कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, मणिपुर में भारत जोड़ों न्याय यात्रा की नहीं मिली मंजूरी, अब मचेगा सियासी बवाल

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कांग्रेस ने की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' 14 जनवरी से शुरू होने जा रही है। हालांकि, इससे पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, भारत जोड़ो यात्रा की सफलता के बाद कांग्रेस पार्टी ने ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ करने का फैसला किया है, जो कि मणिपुर से शुरू होनी है और मुंबई में खत्म होगी। हालांकि, मणिपुर के जिस ग्राउंड से यात्रा शुरू होनी है, उसके लिए मणिपुर सरकार ने मंजूरी देने से मना कर दिया है।

मणिपुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस विधायक के मेघचंद्र ने यात्रा की मंजूरी के लिए पार्टी नेताओं की एक टीम के साथ, बुधवार सुबह मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से मुलाकात की। मुलाकात के बाद उन्होंने मीडिया को बताया कि मुलाकात के दौरान सीएम ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति का हवाला देते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया। के मेघचंद्र ने कहा, ‘सीएम एन बीरेन सिंह ने कहा कि उनकी सरकार यात्रा की अनुमति नहीं दे सकती है।

यात्रा का राजनीतिकरण ना करें- वेणुगोपाल

वहीं मणिपुर सरकार के फैसले पर कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, यह राजनीतिक प्रयास नहीं है और यात्रा का राजनीतिकरण ना करें। वेणुगोपाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘मणिपुर पीसीसी प्रेसिडेंट ने न्याय यात्रा की अनुमति चीफ सेक्रेटरी से मांगी थी। उन्होंने कहा की 5 दिन में जवाब देंगे, लेकिन जब जवाब नहीं आया तो खुद पीसीसी प्रेसिडेंट सचिव के पास अनुमति मांगने गए तो उन्होंने फिर कल शाम का वादा किया है। इसके बाद आज हमारे लोग सीएम से मिले तो उन्होंने भी कहा यात्रा को अनुमति नहीं दे सकते। ये यात्रा राजनीतिक नहीं है, राहुल गांधी वहां राजनीति करने नहीं जा रहे, वो शांति का संदेश देने जा रहे हैं। हम कोई तमाशा नहीं करना चाहते लेकिन ये ठीक नहीं।

इन राज्यों सो होकर गुजरेगी बारत जोड़ो न्याय यात्रा

बता दें कि कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा मणिपुर से शुरू होकर नगालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात से होते हुए महाराष्ट्र में समाप्त होगी। वेणुगोपाल ने कहा था कि पार्टी अध्यक्ष खड़गे इस यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे। भारत जोड़ो न्याय यात्रा का मकसद आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय है। इस यात्रा में राहुल युवाओं, महिलाओं और हाशिए पर पड़े लोगों से मुलाकात करेंगे। बस यात्रा से ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा जाएगा। यात्रा में कुछ छोटे हिस्से को रुक-रुककर पैदल भी कवर किया जाएगा।

भारत जोड़ो यात्रा रही थी सफल

इससे पहले राहुल गांधी ने 7 सितंबर 2022 से 30 जनवरी 2023 तक भारत जोड़ो यात्रा की थी। 145 दिनों की यात्रा तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू होकर जम्मू-कश्मीर में खत्म हुई थी। तब राहुल ने 3570 किलोमीटर की यात्रा में 12 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों को कवर किया था।श्रीनगर में यात्रा के समापन के मौके पर शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में राहुल ने कहा था- मैंने यह यात्रा अपने लिए या कांग्रेस के लिए नहीं बल्कि देश की जनता के लिए की है। हमारा उद्देश्य उस विचारधारा के खिलाफ खड़ा होना है जो इस देश की नींव को नष्ट करना चाहती है।यात्रा के दौरान राहुल ने 12 सभाओं को संबोधित किया था, 100 से ज्यादा बैठकें और 13 प्रेस कॉन्फ्रेंस की थीं।

भारत जब अपनी आजादी के 100 वर्ष मनाएगा तब तक यह एक विकसित देश होगा', वाइब्रेंट गुजरात समिट में बोले PM मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में सम्मिलित होने आए तमाम देशों का धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि हमने लक्ष्य रखा है कि जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष मानएगा तब तक यह विकासशील नहीं बल्कि विकसित देश होगा। उन्होंने कहा कि आज इसलिए ये 25 वर्षों का कार्यकाल भारत का अमृत काल है। ये नए सपने नए संकल्प एवं नित्य नूतन सिद्धियों का काल है। इस अमृत काल में ये पहली बार वाइब्रेंट गुजरात समिट। इसलिए इसका महत्व और बढ़ गया है। इस समिट में आए 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि भारत की इस विकास यात्रा के अहम सहयोगी हैं। मैं आप सभी का स्वागत करता हूं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज से कुछ वक़्त पहले भारत विश्व की पांचवें नवंबर की अर्थव्यवस्था थी मगर आगामी दिनों में अब भारत विश्व की तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था हो जाएगी। और ये मोदी की गारंटी है। 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोस्तों, UAE के राष्ट्रपति बिन जैद का इस आयोजन में सम्मिलित होना हमारे लिए बेहद खुशी की बात है। वाइब्रेंट गुजरात के इस समिट में उनका यहां चीफ गेस्ट के तौर पर होना है भारत एवं UAE के दिनों दिन मजबूत होते आत्मीय संबंधों का प्रतीक है। भारत का लेकर उनका विश्वास एवं उनका सहयोग बहुत ही गर्मजोशी से भरा हुआ है। वाइब्रेंट समिट अब ग्लोबल प्लेटफॉर्म बन गई है। इस समिट में भी भारत औऱ UAE ने फूड पार्क के लिए, रिन्यूलेबल रीसोर्स के लिए कई समझौते किए हैं। 

उन्होंने कहा कि भारत के लिए गर्व की बात है कि हमारी जी 20 प्रेसिंडेंसी में अफ्रीकन यूनियन को स्थाई सदस्यता प्राप्त हुई है। प्रेसीडेंट यूसी के इस यात्रा से भारत एवं अफ्रीका की घनिष्ठा और बढ़ी है। चेक रिपब्लिक लंबे वक़्त से वाइब्रेंट समिट से जुड़ा हुआ है। भारत एवं चेक के बीच ऑटोमोबाइल, मैन्यूफेंक्चरिंग सेक्टर और अन्य सेक्टर में निरंतर सहयोग बढ़ रहा है। आपकी इस यात्रा से दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस बार की थीम है गेटवे टू द फ्यूचर। 21वीं सदी की दुनिया का फ्युचर, हमारे साझा प्रयासों से ही बनेगा। भारत ने इसके लिए रोडमैप भी दिया है। भारत आईटी यूटी जैसे मल्टीनेशनल के साथ भागेदारी को और मजबूत कर रहा है। वन वर्ल्ड, वन फैमिली का सिद्धांत विश्व कल्याण के लिए अनिवार्य है। भारत आज विश्व मित्र की भूमिका में आगे बढ़ रहा है। भारत ने दुनिया को विश्वास दिया है कि हम साझा लक्ष्य तय कर सकते हैं। अपने लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। विश्व कल्याण के लिए भारत की प्रयास, प्रतिबद्धिता एवं भारत का परीश्रम आज की दुनिया को अधिक सुरक्षित बना रहा है।

वे मौके जब मालदीव के लिए “संकटमोचक” बना भारत, जानें कब-कब की मदद

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भारत और मालदीव के रिश्ते इन दिनों चर्चा में है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद मालदीव सरकार के उप मंत्रियों द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी। जिसके बाद से दोनों देशों के बीच के रिश्ते तल्ख होते दिख रहे हैं। भारत की आपत्ति के बाद मालदीव सरकार ने इन उप मंत्रियों को निलंबित कर दिया था।हालंकि, इससे पहले दोनों देशों के सम्बंधों में खटास की शुरुआत हो चुकी थी। इसकी शुरूआत खुद राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू ने की थी। उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में इंडिया आउट का भारत विरोधी नारा दिया और सत्ता हासिल कर ली। 

अपने चुनाव प्रचार में “इंडिया आउट” का नारा देने वाले मुइज़्ज़ू के नवंबर, 2023 में राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत और मालदीव के संबंधों पर सवाल उठे हैं, लेकिन ऐतिहासिक तौर पर दोनों देश के बीच दोस्ताना संबंध रहे हैं। आपत्तिजनक टिप्पणियों के बाद मालदीव की पूर्व रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी का दिया ये बयान इसकी तस्दीक करता है, जिसमें वे कहती हैं कि भारत हमारे लिए 911 कॉल की तरह है और जब भी हमें जरूरत होती है, हम भारत से मदद मांगते हैं। तो बचाव के लिए भारत के लोग हमारे पास तुरंत आ जाते हैं। भारत हमारा उस तरह का दोस्त है जब हमें तकलीफ होती है वे मदद के लिए आते हैं। मारिया अहमद दीदी के बयान से साफ जाहिर है कि बारत हमेसा से मालदीव का मददगार रहा है। भारत हमेशा से मालदीव के अच्छे और बुरे समय में उसके साथ खड़ा रहा है। भारत 1965 में इस द्वीप राष्ट्र को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था और उसने मालदीव के साथ राजनयिक संबंध भी स्थापित किए थे।

जब तख्तापलट से बचाने के लिए भारत ने चलाया 'ऑपरेशन कैक्टस'

1988 की एक घटना दोनों देशों के संबंधों में मील का एक पत्थर मानी जाती है। उस वक्त मालदीव में एक विद्रोह हुआ था, जिसे भारत की फ़ौज की मदद से नाकाम किया गया था। उस अभियान का नाम था - 'ऑपरेशन कैक्टस'। 3 नवंबर, 1988 को मालदीव के राष्ट्रपति मौमून अब्दुल ग़यूम भारत यात्रा पर आने वाले थे। उनको लाने के लिए एक भारतीय विमान दिल्ली से माले के लिए उड़ान भर चुका था। अभी वो आधे रास्ते में ही था कि भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी को अचानक एक चुनाव के सिलसिले में दिल्ली से बाहर जाना पड़ गया। राजीव गांधी ने ग़यूम से बात कर ये तय किया कि वो फिर कभी भारत आएंगे। लेकिन ग़यूम के ख़िलाफ़ विद्रोह की योजना बनाने वाले मालदीव के व्यापारी अब्दुल्ला लुथूफ़ी और उनके साथी सिक्का अहमद इस्माइल मानिक ने तय किया कि बग़ावत को स्थगित नहीं किया जाएगा। उन्होंने श्रीलंका के चरमपंथी संगठन 'प्लोट' (पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ तमिल ईलम) के भाड़े के लड़ाकुओं को पर्यटकों के भेष में स्पीड बोट्स के ज़रिए पहले ही माले पहुंचा दिया था। देखते ही देखते राजधानी माले की सड़कों पर विद्रोह शुरू हो गया और सड़कों पर भाड़े के लड़ाकू गोलियां चलाते हुए घूमने लगे। इस मुश्किल वक्त में मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल ग़यूम, एक सेफ हाउस में जा छिपे। राष्ट्रपति गयूम ने उन्हें और उनकी सरकार बचाने के लिए भारत से मदद मांगी। अब तक राजधानी माले के हुलहुले हवाई अड्डे और टेलीफोन एक्सचेंज पर सैकड़ों विद्रोहियों कब्जा कर चुके थे। ऐसी स्थिति में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मालदीव में भारतीय सेना भेजने का फैसला किया और कुछ ही देर में 6 पैरा के 150 कमांडो से भरे विमान ने आगरा के खेरिया हवाई अड्डे से मालदीव के लिए उड़ान भर दी। थोड़ी देर में दूसरा विमान उतरा मालदीव पहुंचा और उसने आनन फानन में एटीसी, जेटी और हवाई पट्टी के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर नियंत्रण कर लिया। इसके बाद भारतीय सैनिकों ने राष्ट्रपति के सेफ हाउस को सुरक्षित किया। कुछ ही घंटों में भारतीय सैनिकों ने मालदीव की सरकार गिराने की कोशिश को नाकाम कर दिया। 

ऑपरेशन सी वेव्स

साल 2004 के आखिर में समुंद्र के अंदर भूकंप आया था, जिसने मालदीव के तटों को तबाह कर दिया था। इस वक्त भी भारत मालदीव की मदद के लिए आगे आया और उसने 'ऑपरेशन सी वेव्स' चलाया। तभी भारत से हर प्रकार की राहत सामग्री मालदीव भेजी गई। हेलीकॉप्टरों की मदद से लोगों को रेस्क्यू किया गया। इतना ही नहीं, पैसों की तंगी से जूझ रहे मालदीव को भारत ने 10 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद दी। इसके बाद भी भारत ने करोड़ों रूपये की मदद की। 

बूंद-बूंद के लिए तरह रहे मालदीप की ‘ऑपरेशन नीर’ से की मदद

जब-जब मालदीव में मुश्किल आई तो भारत ने दोनों हाथों से मदद की। साल 2014 में चलाया गया ‘ऑपरेशन नीर’ इसका एक उदाहरण है। 2014 में मालदीव में पानी का संकट खड़ा हो गया। संकट ऐसा था कि मालदीव को भारत से मदद मांगनी पड़ी। भारत सरकार ने मालदीव को उस संकट से निकाला। मालदीव की राजधानी माले का आरओ प्लांट खराब होने यहां पीने के पानी का संकट पैदा हो गया। पूरे शहर में बूंद-बूंद पानी के लिए त्राहि मच गई। मालदीव ने भारत सरकार मदद मांगी।उस समय विदेशी मंत्री थीं सुषमा स्वराज और विदेश सचिव थे जयशंकर। इंडियन एयरफोर्स की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, माले शहर को रोजाना 100 टी पीने के पानी की जरूरत थी। वहां मदद भेजने की जिम्मेदारी भारतीय वायु सेना को सौंपी गई। भारतीय वायु सेना ने तीन सी-’17 और तीन आई एल-76 वायुयानों की तैनाती की। पैक किया हुआ पानी दिल्ली से अराक्कोणम और वहां से माले के लिए रवाना किया। सेना ने वायुयानों के जरिए 5 से 7 सितंबर के बीच 374 टन पीने का पानी वहां पहुंचाया।

कोविड में ऑपरेशन संजीवनी चलाया

इसके अलावा भी भारत में कई मौकों पर मालदीव को मदद भेजी। कोविड के दौरान भारत ने ऑपरेशन संजीवनी चलाया। मालदीव सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार ने परिवहन विमान C-130J से दवाओं और इलाज से जुड़ी जरूरी चीजों को मालदीव तक पहुंचाया। इतना ही नहीं, इससे पहले भारतीय सेना ने वायरल टेस्ट लैब बनाने के लिए 14 सदस्यीय मेडिकल दल मालदीव भेजा था। भारत सरकार ने 5.5 टन जरूरी दवाएं मालदीव को उपहार के रूप में दी थीं।

खूब बच्चे पैदा करो, मकान PM मोदी देंगे', राजस्थान में बोले भाजपा के मंत्री बाबूलाल खराड़ी, खुद भी की है दो शादियां

 राजस्थान सरकार के मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने लोगों से कहा है कि उन्हें बहुत सारे बच्चे पैदा करने चाहिए। उन्हें चिंता करने की आवश्यकता इसलिए नहीं है, क्योंकि मकान पीएम नरेंद्र मोदी देंगे तथा गैस भी सस्ती मिलेगी। बता दें कि उदयपुर जिले की झाडोल सीट से दूसरी बार MLA बाबूलाल खराड़ी की दो पत्नियां और 8 बच्चे हैं। राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री बाबूलाल खराड़ी का बयान इसलिए भी चर्चा में बना हुआ है, क्योंकि उन्होंने स्वयं 2 शादियां की हैं। उनकी पहली पत्नी का नाम तेजू देवी एवं दूसरी पत्नी का नाम मणि देवी है। दोनों पत्नियों से उनके 8 बच्चे हैं।

राजस्थान सरकार में मंत्री खराड़ी बचपन से ही RSS में रहे हैं। इससे पहले वह 2003 और 2008 में भी चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि, 2013 में मोदी लहर के बड़ा भी खराड़ी विधानसभा चुनाव हार गए थे। इसके पश्चात् से वह निरंतर 2 बार चुनाव जीत चुके हैं। बाबूलाल का बड़ा बेटा देवेंद्र B.Tech कर चुके हैं। वहीं, 3 बेटे कॉलेज एवं स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। जबकि उनकी चारों बेटियां भी कॉलेज में पढ़ाई कर रही हैं। खराड़ी जब मंत्री बने थे तो उनके परिवार ने बताया था कि उनके मंत्री बनने का पता TV पर समाचार देखकर चला।

मंत्री बनने वाले खराड़ी को बड़े नेताओं के साथ RSS का भी समर्थन है। उनका सरल व्यवहार एवं सादगी भी अक्सर ख़बरों में रहती है. वह दो कमरों के कच्चे मकान में रहते हैं। प्रदेश के सबसे पिछड़े कोटड़ा जैसे क्षेत्र से आने वाले खराड़ी को जनजाति मंत्री बनाया गया है। आदिवासी क्षेत्र में रहने वाले खराड़ी को भारतीय जनता पार्टी ने 1987 में कोटड़ा का युवा मंडल अध्यक्ष बनाया गया था। तत्पश्चात, 1995 में वह जिला परिषद सदस्य बने और वर्ष 2000 में प्रधान बने।

सात करोड़ गुजरातियों के सपने पूरे करने के लिए रिलायंस कोई कसर नहीं छोड़ेगा', गुजरात में मुकेश अंबानी ने किया बड़ा ऐलान

गुजरात में बुधवार को आरम्भ हुए वाइब्रेंट गुजराज ग्लोबल समित (Vibrant Gujarat Global Summit) में एशिया के सबसे अमीर इंसान तथा रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने बड़ी घोषणा की है। उन्होंने कहा कि अगले 10 वर्षों तक प्रदेश में रिलायंस का निवेश जारी रहेगा तथा 2030 तक गुजरात की कुल ग्रीन एनर्जी खपत का आधा भाग उनकी कंपनी द्वारा उत्पादित किया जाएगा। 

मुकेश अंबानी ने कहा कि गुजरात, ग्रीन डेवलेपमेंट में वैश्विक नेता बनकर उभरे इसके लिए रिलायंस ने जामनगर में 5,000 एकड़ में धीरूभाई अंबानी ग्रीन एनर्जी गीगा कॉम्प्लेक्स का निर्माण आरम्भ कर दिया है। अंबानी के अनुसार, इससे बड़े आंकड़े में ग्रीन नौकरियां पैदा होंगी। इसके साथ ही ग्रीन प्रोडक्ट्स और अन्य सामग्रियों का उत्पादन संभव होगा, जो गुजरात को हरित उत्पादों का अग्रणी निर्यातक बना देगा। गुजरात को अपनी मातृभूमि तथा कर्मभूमि बताते हुए मुकेश अंबानी ने कहा कि बीते 10 सालों में रिलायंस ने देश में लगभग 12 लाख करोड़ का निवेश किया है तथा इसमें से एक तिहाई से ज्यादा का निवेश अकेले गुजरात में किया गया है।

उन्होंने वादा करते हुए कहा कि 7 करोड़ गुजरातियों के सपने पूरे करने के लिए रिलायंस कोई कसर नहीं छोड़ेगा। मुकेश अंबानी ने आगे कहा कि मुझे गुजराती होने का अभिमान है। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी भारत के सबसे सफल पीएम हैं, 'मोदी है तो मुमकिन है'। रिलायंस चेयरमैन ने आगे कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी बोलते है तो दुनिया उन्हें सिर्फ सुनती नहीं, बल्कि उनकी सराहना भी करती है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी असंभव को संभव कर रहे हैं।

हिट एंड रन कानून को लेकर ट्रक-डंपर ड्राइवर्स ने अनोखे अंदाज में किया विरोध प्रदर्शन, पहनाई चप्पल-जूते की माला

मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में एक बार फिर हिट एंड रन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। जिले के भेरूंदा में स्थानीय ड्राइवर यूनियन ने ट्रक एवं डंपर चालकों को जूते और चप्पलों की माला पहनाई। वही सोशल मीडिया पर इस मामले के वीडियो जमकर वायरल हो रहे हैं। खबर मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची मगर सभी लोग मौके से फरार हो गए। बताया गया कि स्थानीय ड्राइवर यूनियन ने भेरूंदा के अतरालिया-मंडी चौराहा के पास ट्रक एवं डंपर चालकों को जूते और चप्पल की मालाएं जबरदस्ती पहनाईं। सोशल मीडिया पर वीडियो खूब वायरल हो रहे हैं। एक वायरल वीडियो में ट्रक और डंपर चालक को जूते चप्पल की माला पहनाई जा रही है।

वही खबर मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची मगर सभी लोग मौके से फरार हो गए। हालांकि, मामले को लेकर किसी ने कोई मुकदमा दर्ज नहीं करवाया है। मगर सोशल मीडिया पर जूते-चप्पल की माला ट्रक एवं डंपर चालकों को पहनने के वीडियो जमकर वायरल हो रहे हैं। मामले को लेकर भेरूंदा थाना प्रभारी जगदीश सिंह सिद्धू ने बताया कि सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहे हैं। हालांकि, इसमें कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है। खबर मिलने के बाद पुलिस भी पहुंची थी मगर मालाएं पहनाने वाले लोग मौके से फरार हो गए। फिलहाल मामले की तहकीकात की जा रही है।

मोटर चालकों से जुड़े ‘हिट-एंड-रन’ दुर्घटना मामलों के सिलसिले में नए दंड कानून के प्रावधान के विरुद्ध पिछले दिनों देशभर में प्रदर्शन हुआ। दरअसल, भारतीय दंड संहिता (IPS) की जगह लेने वाले भारतीय न्याय संहिता (BNS) में प्रावधान है कि लापरवाही से गाड़ी चलाकर गंभीर सड़क हादसे की वजह बनने वाले तथा पुलिस या प्रशासन के किसी भी अफसर को सूचित किए बिना भागने वाले वाहन चालकों को 10 वर्षों तक की सजा या 7 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। प्रर्दशनकारी वाहन चालकों ने बताया कि नए कानून के अनुसार ‘हिट-एंड-रन’ मामलों में 10 साल की जेल की सजा तथा 7 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है, जो बहुत सख्त है।

इतिहास में पहली बार UNESCO की इस समिति का अध्यक्ष बनेगा भारत, हमारी ऐतिहासिक धरोहरें देखेगी दुनिया

भारत को पहली बार UNESCO की विश्व धरोहर समिति की अध्यक्षता और मेजबानी करने का अवसर प्राप्त हुआ है। इसका आयोजन 21 से 31 जुलाई को नई दिल्ली में होने वाला है। UNSECO में भारत के स्थाई प्रतिनिधि विशाल वी शर्मा ने इस बारे में जानकारी दी है। उल्लेखनीय है कि, यह बैठक साल में एक बार ही आयोजित होती है। यह समिति विश्व धरोहर को संरक्षण और मान्यता प्रदान करने के लिए काम करती है। इसकी अध्यक्षता करना भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण मौका है।

UNESCO में कुल 193 सदस्य देश हैं, वहीं 11 सहयोगी सदस्य हैं। UNESCO का गठन 16 नवंबर 1945 को हुआ था, जिसका हेडक्वार्टर फ्रांस के पेरिस में है। इसके अलावा पूरे विश्व में इसके 53 क्षेत्रीय कार्यालय हैं। दुनियाभर में UNESCO के संरक्षण में 40 अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाए जाते हैं। दुनिया की कई पुरानी धरोहरों और विरासतों के संरक्षण का कार्य भी UNESCO के द्वारा किया जाता है। यही नहीं पूरे विश्व के 332 अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठनों के साथ UNESCO के संबंध हैं।

UNESCO का पहला सम्मेलन 10 नवंबर 1946 को आयोजित किया गया था, जिसमे लगभग 30 देशों ने हिस्सा लिया था। भारत आजादी के बाद से ही इसका मेंबर हैं, लेकिन आज तक देश को UNESCO की विश्व धरोहर समिति की अध्यक्षता और मेजबानी करने का मौका नहीं मिला था। अब पहली बार भारत ये भूमिका निभाने जा रहा है, जो देश में मौजूद सांस्कृतिक विरासतों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है। भारत के बाद 1951 में जापान और 1953 में पश्चिम जर्मनी और स्पेन, 1954 में सोवियत संघ भी UNESCO में शामिल हुए थे।

पाकिस्तान की जेल में बंद है हाफिज सईद, काट रहा है 78 साल की सजा, यूएन ने दी जानकारी

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मुंबई आतंकवादी हमले का सरगना और प्रतिबंधित संगठन जमात-उद-दावा का प्रमुख हाफिज सईद पाकिस्तान सरकार की हिरासत में है। वो आतंकवाद के सात मामलों में दोषी करार दिए जाने के बाद 78 वर्ष के कारावास की सजा काट रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने अपनी नई सूचना में इस बात की जानकारी दी है।बीते साल दिसंबर में भारत ने पाकिस्तान से मांग की थी कि वह यूएन में नामित आतंकी सईद को उसे सौंप दे। भारतीय अफसरों ने इसके लिए सईद के मुंबई हमलों समेत आतंकवाद से जुड़े कई मामलों में उसके भारत में वांछित होने का हवाला दिया था। हालांकि सईद को देने से पाकिस्तान ने साफ इनकार कर दिया है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति (सैंक्शन कमेटी) की संशोधित सूचना में कहा गया है कि सुरक्षा परिषद की 1267 अल-कायदा प्रतिबंध समिति द्वारा दिसंबर 2008 में वैश्विक आतंकवादी घोषित किया गया सईद 12 फरवरी 2020 से पाकिस्तान सरकार की हिरासत में है। वह आतंकवाद से जुड़े सात मामलों में दोषी करार दिए जाने के बाद 78 वर्ष के कारावास की सजा काट रहा है। 

आतंकी हाफिज अब्दुल सलाम भुट्टावी की मौत की पुष्टि

सुरक्षा परिषद समिति ने पिछले महीने अपनी आईएसआईएल (दाएश) और अल-कायदा प्रतिबंध सूची में आतंकवादियों और समूहों की संपत्ति फ्रीज करने, यात्रा प्रतिबंध और हथियार प्रतिबंध के अधीन कुछ प्रविष्टियों में संशोधन किया गया। दिसंबर में किए गए इन बदलावों के तहत कमेटी ने कहा है कि लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक सदस्य और सईद के खास हाफिज अब्दुल सलाम भुट्टावी की मौत की पुष्टि हो चुकी है। भुट्टवी ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के लिए लश्कर हमलावरों को प्रशिक्षित किया था। उसने कम से कम दो मौकों पर आतंकवादी संगठन के प्रमुख के रूप में काम किया था। यूएन में नामित आतंकी भुट्टवी की पाकिस्तान के पंजाब की जेल में बीते साल मई में मौत हो गई थी। आतंक के वित्तपोषण के लिए भुट्टी को सजा हुई थी, जिसके बाद वह जेल में बंद था।

दृष्टि' से बचना नामुमकिन है, नौसेना प्रमुख ने लॉन्च किया स्वदेशी ड्रोन, जानें क्या है खासियत

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भारत की 'दृष्टि' से बचना अब नामुमकिन है। देश पर “कुदृष्टि” रखने वालों की अब खैर नहीं है। देश के दुश्मनों पर हर मौसम में होगी निगेहबानी। भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ना आ गया है पहला स्वेदशी ड्रोन। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार आज नौसेना के लिए पहले स्वदेश निर्मित दृष्टि 10 ‘स्टारलाइनर’ मानव रहित ड्रोन को नेवी में शामिल किया। बुधवार को हैदराबाद में फ्लैगऑफ कार्यक्रम में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने ड्रोन का अनावरण किया।

अडाणी ग्रुप की कंपनी ने भारतीय नौसेना के लिए ड्रोन स्वदेशी ड्रोन बनाया है। इस स्वदेशी ड्रोन का नाम दृष्टि-10 रखा गया है। ये स्टारलाइनर ड्रोन है। इस स्वदेशी ड्रोन के शामिल होने के बाद भारतीय नौसेना का ताकत और ज्यादा बढ़ गई है। स्वदेशी तकनीक पर आधारित ये ड्रोन काफी एडवांस है। यह एक स्वदेशी अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV) है जिसे अडाणी डिफेंस और एयरोस्पेस ने कंपनी के हैदराबाद स्थित एयरोस्पेस पार्क में बनाया है। कंपनी का कहना है कि यह ड्रोन हैदराबाद से गुजरात के पोरबंदर के लिए उड़ान भरेगा. वहां इसकी तैनाती नौसेना के ऑपरेशंस के लिए की जाएगी।

सभी मौसमों में उड़ान भरने में सक्षम

दृष्टि 10 स्टारलाइनर एक एडवांस्ड इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रीकॉन्सेंस (ISR) प्लेटफॉर्म है. यह 36 घंटे की एंडुरेंस क्षमता रखता है और 450 किलोग्राम वजन को ढो सकता है। हर मौसम और स्थिति में उड़ान भरना इसकी सबसे बड़ी खूबी है। नौसेना के बेड़े में इसके शामिल होने के बाद भारतीय नौसेना की ताकत पहले से और कहीं ज्यादा बढ़ जाएगी।

समुद्री निगरानी में मदद करेगा ड्रोन*

हैदराबाद में फ्लैगऑफ कार्यक्रम में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने भारतीय नौसेना की जरूरतों के साथ अपने रोडमैप को बताया। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए अडाणी ग्रुप की सराहना की। नौसेना प्रमुख ने कहा, 'यह ISR टेक्नॉलजी और समुद्री वर्चस्व में आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। अडाणी ग्रुप ने न केवल मैन्युफेक्चरिंग में बल्कि ड्रोन के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल में भी मदद की है। हमारे नौसैनिक अभियानों में दृष्टि-10 का एकीकरण हमारी क्षमताओं को बढ़ाएगा, समुद्री निगरानी में ये ड्रोन हमारी मदद करेगा।'

चीन से पहले भारत आना चाहते थे मालदीव के राष्ट्रपति, जानें क्यों टला दौरा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ मालदीव के मंत्रियों की अपमानजनक टिप्पणियों पर राजनयिक विवाद पैदा हो गया है। इसके बाद बड़ी संख्या में भारतीय पर्यटकों ने मालदीव की अपनी बुकिंग रद्द कर दी है। भारत के साथ टकराव के बीच मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन यात्रा पर हैं।इस बीच खबर आ रही है कि मोहम्मद मोइज्जू के राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद मालदीव सरकार ने पिछले साल उनके भारत दौरे का प्रस्ताव दिया। हालांकि, कई वजहों से चलते राष्ट्रपति मोइज्जू का भारत दौरा तय नहीं हो पाया।जिसके बाद उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा बतौर राष्ट्रपति तुर्किये से शुरु की थी। वर्तमान में मुइज्जू चीन की पांच दिवसीय यात्रा पर हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू पदभार संभालने के तुंरत बाद भारत का दौरा करना चाहते थे, लेकिन तारीखों पर सहमति के चलते ऐसा न हो सका। माना जा रहा है कि द्विपक्षीय रिश्तों का खराब होना भी उन वजहों में से एक रहा।हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और मालदीव के रिश्ते पिछले हफ्ते और भी ज्यादा खराब हो गए, जब मोइज्जू सरकार के कुछ मंत्रियों ने भारत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की। आपत्तिजनक बयानबाजी के बाद मालदीव सरकार ने तुरंत अपने तीन डिप्टी मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया।

भारत के साथ टकराव के बीच चीन पहुंच मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने डिमांड करते हुए कहा कि चीन को उनके देश में और अधिक पर्यटकों को भेजना चाहिए। मुइज्जू की आधिकारिक वेबसाइट पर साझा किए गए एक बयान के अनुसार, ''कोविड से पहले चीन के पर्यटक सबसे अधिक संख्या में हमारे देश में आते थे, और मेरा अनुरोध है कि चीन इस स्थिति को फिर से हासिल करने के लिए प्रयास तेज करे।'' वहीं, मालदीव की मीडिया की रिपोर्ट में बताया गया कि दोनों देशों ने हिंद महासागर द्वीप में एक एकीकृत पर्यटन क्षेत्र विकसित करने के लिए पांच करोड़ अमेरिकी डॉलर की परियोजना पर हस्ताक्षर किए हैं।

चीन की अपनी पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा के दूसरे दिन मुइज्जू ने मंगलवार को फुजियान प्रांत में मालदीव बिजनेस फोरम को संबोधित करते हुए चीन को द्वीपीय राष्ट्र का निकटतम सहयोगी बताया। मालदीव के राष्ट्रपति ने कहा, ''चीन हमारे सबसे करीबी सहयोगियों और विकास साझेदारों में से एक है।अपने संबोधन के दौरान उन्होंने 2014 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) परियोजनाओं की प्रशंसा की और कहा कि "उन्होंने (जिनपिंग) मालदीव के इतिहास में देखी गई सबसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाएं प्रदान की हैं।