*गीता वाटिका द्वारा नि:शुल्क कैंसर की प्राथमिक जांच एवं प्रशिक्षण शिविर का हुआ आयोजन*
गोरखपुर। भारत में लोगों में कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। इसके प्रबंधन और उपचार के लिए शुरुआती पहचान जरूरी है। अज्ञानता,और सामाजिक भय के कारण कई लोगों को कैंसर हो जाता है जिसके लिए उपचार की आवश्यकता होती है। यदि जल्दी पता चल जाता है, तो ज्यादातर मामलों में ठीक होने की बेहतर संभावना रहती है।
इसीलिए मुख्य चिकित्साधिकारी के सहयोग से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, बांसगांव के प्रांगण में हनुमान प्रसाद पोद्दार कैंसर अस्पताल एवं शोध संस्थान, गीता वाटिका, गोरखपुर द्वारा नि:शुल्क कैंसर की प्राथमिक जांच एवं प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया।
इस शिविर में कैंसर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. राकेश श्रीवास्तव द्वारा नि:शुल्क कैंसर की प्राथमिक जांच एवं प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में दिखाने एवं परामर्श लेने 121 लोग आए जिनको मुंह, लंग, पेट, प्रोस्टेट, पैर में गांठ आदि में ब्रेस्ट की गांठ, गर्भाशय, अंडाशय, पित्त वाले लोग ज्यादा रहे। सभी को उचित परामर्श एवं निशुल्क दवाई दी गई। कैंसर के प्रकार एवं उनके लक्षण के विषय में मरीजों एवं उनके परिजनों को प्रशिक्षण तथा इलाज के बारे में जानकारी दी गई।
कैंसर जागरूकता अभियान के तहत इस स्वास्थ्य केंद्र से संबंधित ए. एन. एम., संगिनी एवं आशा कार्यकर्ताओं को बुलाकर कैंसर से बचाव, लक्षण एवं इलाज के बारे में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अजय श्रीवास्तव ने उन्हें समझाया कि अगर कैंसर का बाद में पता चला तो यह बहुत खरतनाक साबित हो सकता है। कैंसर को रोकने के तरीके में निवारण ही हमेशा इलाज से बेहतर है।में कैंसर के निवारक उपायों को जानना चाहिए।
यदि कोई समस्या है, तो हमें कैंसर के शीघ्र निदान और अच्छे उपचार के बारे में पता होना चाहिए। सही समय पर कैंसर की पहचान कर समय पर उसका उपचार शुरू करने पर कैंसर ठीक हो जाता है वर्ना यह लाइलाज हो जाता है। उचित टीकाकरण हो (जैसे एच० पी० वी० टीका आदि) तब भविष्य में कैंसर रोगियों की संख्या में काफी गिरावट आ जाएगी। इसलिए ऐसे टीकाकरण के लिए लड़कियों को आगे आना चाहिए। डॉ. राकेश श्रीवास्त ने बताया कि कि लगातार खांसी में खून आना, आंत्र की आदतों में बदलाव, मल में खून आना, अस्पष्टीकृत एनीमिया (कम रक्त गणना), स्तन में गांठ या स्तन से स्राव, अंडकोष में गांठें पेशाब में बदलाव, पेशाब में खून आना, तीन से चार सप्ताह से अधिक समय तक गला बैठना, लगातार गांठें या सूजी हुई ग्रंथियां, तीन से चार सप्ताह से अधिक समय तक मस्से या तिल में स्पष्ट परिवर्तन, बड़े तिल या बहुरंगी तिल जिनके किनारे अनियमित हों या जिनमें खून बह रहा हो, अपच या निगलने में कठिनाई, असामान्य योनि से रक्तस्राव या स्राव, अप्रत्याशित वजन घटना, रात को पसीना आना, या बुखार, मुंह में ठीक न होने वाले घाव या मसूड़ों, जीभ, या टॉन्सिल पर लगातार सफेद या लाल धब्बे, गंभीर असहनीय सिरदर्द जो सामान्य से अलग महसूस हो, अधिक समय तक पीठ दर्द, पेल्विक दर्द, सूजन या अपच कैंसर का संकेत हो सकता है ।
ऐसे में कैंसर के चिकित्सक को जरूर दिखाना चाहिए ताकि पता लगकर अगर कैंसर हो तो उसका तुरंत एवं उचित इलाज हो सके। भरपूर पानी से मूत्राशय के कैंसर का खतरा कम करने में विशेष रूप से उपयोगी है क्योंकि पानी कैंसर का कारण बनने वाले एजेंटों की एकाग्रता को कम कर सकता है और उन्हें नष्ट कर सकता है। स्वस्थ आहार खाने में कोई संदेह नहीं है। विभिन्न फलों, सब्जियों, अनाज और दालों से भरे एक स्वस्थ आहार एक स्वस्थ जीवन शैली की कुंजी है जो विभिन्न प्रकार के कैंसर के विकास के जोखिम को कम रखती है। हरी सब्जियां खाने का सुझाव इसलिए है क्योंकि ये मैग्नीशियम में समृद्ध होती हैं जो कैंसर का खतरा कम करती हैं। यह विशेष रूप से महिलाओं में पेट के कैंसर के खतरे को कम करता है। अपने आहार में ब्राजील नट्स शामिल करें जो सेलेनियम से भरे होने के कारण मूत्राशय, फेफड़े और कोलोरेक्टल कैंसर के विकास के जोखिम को कम करने का काम करता है। भरपेट भोजन करना सांस लेने की प्रणाली को विफल कर सकता है जिससे विषाक्त कैंसर को पैदा करने वाली हवा बाहर निकलती है। जो कैफीन युक्त कॉफ़ी के 5 या उससे अधिक कप पीते हैं उनमें कम कॉफ़ी पीने वालों की तुलना में मस्तिष्क, मुंह और गले के कैंसर के विकास की कम संभावना होती है। मध्यम व्यायाम में शामिल होने से नियमित रूप से विभिन्न प्रकार के कैंसर विकसित करने के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।
इन स्वस्थ आदतों का पालन करने के अलावा तंबाकू की खपत को कम करने और शराब का सेवन कम करना महत्वपूर्ण है। एक स्वस्थ आहार का पालन करना और नियमित रूप से व्यायाम करना फिट रहने और इस ख़तरनाक स्थिति को रोकने के लिए आदत बनाना आवश्यक है। सभी लोगो को कैंसर से संबंधित पत्रक, विवरण पुस्तिका आदि वितरित किया गया ताकि वे लोगो को कैंसर के बारे मे जागरुक कर सकें।
शिविर में प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक डॉ. कृष्ण मोहन अग्रवाल, अजय श्रीवास्तव,, प्रदीप, रानी त्रिपाठी, श्रीभगवान यादव, राजकमल कुमार, जिगना के पूर्व ग्राम प्रधान हरिनारायण, प्रतिमा शर्मा, सतीभा देवी, अंकित पांडेय, अस्पताल के डॉक्टर एवं कर्मचारियों आदि का कार्य उल्लेखनीय रहा ।
Jan 09 2024, 18:53