*पुराण और महाकाव्य देते हैं सीतामढ़ी स्थल की पौराणिकता की गवाही*
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नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में पौराणिक स्थलों सीतामढ़ी धाम महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली होने के साथ- साथ लव- कुश कुमारों की जन्मस्थली ने यहीं पर रामायण महाकाव्य की रचना की थी। गोस्वामी तुलसीदास की कवितावली के कवित्त संख्या-138 इसके प्रणाण मिलते हैं। इसके अलावा अन्य कई महाकाव्यों में इसकी प्रामाणिकता भी सिद्ध होती है।
महर्षि वाल्मीकि आश्रम के महत पंडित हरिप्रसाद मिश्र शास्त्री कहते हैं कि गोस्वामी तुलसीदास जी अपनी कवितावली के कवित्त संख्या 138 में सीतामढ़ी की प्राथमिकता सिद्ध की है। जहां वाल्मीकि भयो व्याधि ते मुनींद्र मरा मरा जपे... सिय को निवास लवकुश को जनमथल यानी सीतामढ़ी में सप्तर्षियों का उपदेश सुनकर ( राम नाम का उलटा मरा मरा) हुए वाल्मीकि जी व्याध से महामुनि साधु हो गए। बताया कि यह स्थान माता सीता का निवास और लवकुश का जन्मस्थान है।



Jan 09 2024, 14:59
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