जयशंकर की पाकिस्तान को दो टूक, बोले- शर्तों पर बातचीत नहीं, कनाडा और चीन को भी घेरा
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान, चीन और कनाडा को लेकर भारत सरकार की नीतियों को लेकर खुलकर बात की।एएनआई को दिए साक्षात्कार में एस जयशंकर ने पाकिस्तान को आड़े हाथ लिया है। उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान से बात करेंगे लेकिन उसकी शर्तों के आधार पर नहीं। पाकिस्तान के अलावा उन्होंने कनाडा को भी सख्त संदेश दिया।इसके साथ ही उन्होंने चीन से विवाद सुझलाने को लेकर भारत की नीतियों पर भी बात की।
पाकिस्तान की मुख्य नीति ही आतंकवाद रही-जयशंकर
विदेश मंत्री जयशंकर ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि पाकिस्तान की मुख्य नीति ही आतंकवाद रही है, लेकिन भारत ने अब वह खेल खेलना बंद कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत को बातचीत की टेबल पर लाने के लिए आतंकवाद का सहारा लेता रहा है। वह अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए सीमा पार से आतंकियों को भारत की ओर भेजता रहता है। हालांकि भारत ने अब पड़ोसी मुल्क की आतंक की नीति को अप्रासंगिक बना दिया है।
कनाडा की राजनीति में खालिस्तानी शामिल-जयशंकर
भारत और कनाडा के मौजूदा राजनयिक संबंधों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि कनाडा की राजनीति ने खालिस्तानी ताकतों को पनाह दी हुई हैं। वे सभी सीधे तौर पर कनाडा की राजनीति में शामिल हैं। मुझे लगता है कि यही एक कारण हैं, जो दोनों देशों के संबंधों को नुकसान पहुंचा रहा हैं। यह स्थिति भारत और कनाडा दोनों के लिए खतरा हैं। मेरा मानना है कि जितना यह भारत के खतरा है, उतना ही इससे कनाडा को भी नुकसान होगा।
चीन से निपटने में सरदार पटेल की नीति पर काम कर रही सरकार-जयशंकर
इंटरव्यू के दौरान जयशंकर ने कहा कि भारत को चीन के साथ आपसी सम्मान, संवेदनशीलता और साझा हितों के आधार पर रिश्ता कायम करने की जरूरत है। उन्होंने चीन की आक्रामकता से निपटने के लिए भारत के दृष्टिकोण में बदलाव की बात की। साथ ही उन्होंने चीन को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जरिए बनाई गई नीतियों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि नेहरू ने चाइना फर्स्ट की पॉलिसी पर काम किया। शुरुआत से ही नेहरू और सरदार पटेल के बीच चीन को कैसे जवाब दिया जाए इस मुद्दे पर मतभेद रहा है। मोदी सरकार चीन से निपटने में सरदार पटेल द्वारा शुरू की गई यथार्थवाद की धारा के मुताबिक ही काम कर रही है। हमने ऐसे रिश्ते बनाने की कोशिश की है जो आपसी संबंधों पर आधारित हों। जब तक उस पारस्परिकता को मान्यता नहीं दी जाती, इस रिश्ते का आगे बढ़ना मुश्किल होगा।
Jan 02 2024, 15:44