“प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहती थीं सोनिया गांधी”, पूर्व राष्ट्रपति की बेटी ने अपनी किताब में किया दावा

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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी नई किताब में सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर कई रहस्योदघाटन किए हैं।शर्मिष्ठा मुखर्जी के मुताबिक उनके पिता प्रणब मुखर्जी राहुल गांधी को परिपक्व राजनेता नहीं मानते थे।शर्मिष्ठा ने अपनी किताब ‘इन प्रणब, माई फादर: ए डॉटर रिमेम्बर्स’ में अपने पिता के राजनीतिक सफर के साथ ही कुछ अनछुए पहलुओं को उजागर किया है. उन्होंने बताया कि 2004 में पूर्ण बहुमत से केंद्र में कांग्रेस की सरकार आई थी. इस दौरान उनके पिता का नाम भी पीएम पद की रेस में था लेकिन पिता को पहले ही एहसास हो चुका था कि सोनिया गांधी उन्हें पीएम नहीं बनाएंगी।शर्मिष्ठा मुखर्जी की पुस्तक में छपे अंश ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। 

शर्मिष्ठा की आने वाली किताब का नाम ‘इन प्रणब, माई फादर: ए डॉटर रिमेम्बर्स’ है जिसमें उन्होंने पिता के साथ अपनी बातों को भी साझा किया है। पुस्तक में छपे अंश के मुताबिक, जब शर्मिष्ठा मुखर्जी ने 2004 में उनके प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि नहीं, सोनिया गांधी मुझे प्रधानमंत्री नहीं बनने देंगी। 2004 में लोकसभा चुनाव जीतने वाली सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस की अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद थी और उन्हें गठबंधन सहयोगियों का पूरा समर्थन प्राप्त था। लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री बनने का दावा छोड़ दिया था, जिसने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था। 

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने पुस्तक में लिखा, इस पद के लिए शीर्ष दावेदारों के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह और प्रणब के नामों पर चर्चा हो रही थी। मुझे कुछ दिनों तक बाबा से मिलने का मौका नहीं मिला क्योंकि वह बहुत व्यस्त थे, लेकिन मैंने उनसे फोन पर बात की। मैंने उनसे उत्साहित होकर पूछा कि क्या वह पीएम बनने जा रहे हैं। उनका दो टूक जवाब था, नहीं, वह मुझे पीएम नहीं बनाएंगी। वह मनमोहन सिंह होंगे। उन्होंने आगे कहा, लेकिन उन्हें जल्द इसकी घोषणा करनी चाहिए। यह अनिश्चितता देश के लिए अच्छी नहीं है।

किताब में पूर्व राष्ट्रपति और आजीवन कांग्रेसी की डायरी में लिखी बातों को भी आधार बनाया गया है। अपने निधन से ठीक एक महीने पहले 28 जुलाई 2020 को प्रणब मुखर्जी ने निजी नोट बुक में क्या लिखा इसका एक नमूना देखें, ‘कांग्रेस को गांधी-नेहरू परिवार के लिए संरक्षित खेल का मैदान बनाकर, कांग्रेस ने अपना लोकतांत्रिक चरित्र खो दिया, जिसने देश की राजनीति को प्रभावित किया। आजादी के बाद अगर एक ही परिवार के 5 सदस्यों का कांग्रेस अध्यक्ष पद पर 37 साल तक कब्जा रहा, तो यह लोकतंत्र के सबसे खराब रूप का प्रमाण है। परिवार आज संगठन को शक्ति प्रदान नहीं कर रहा है बल्कि उसकी ताकत को खत्म कर रहा है। 2004 के बाद से सोनिया गांधी और राहुल ने 2001-2003 में अर्जित आधार को आंशिक रूप से भी खो दिया है। वे बस किसी भी तरह अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ कांग्रेस के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनाने में रुचि रखते हैं।

इस किताब में राहुल और सोनिया गांधी पर तीखे हमले किए गए हैं। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने लिखा, राहुल गांधी अक्सर राष्ट्रपति भवन में उनके पिता प्रणब मुखर्जी से मिलने जाया करते थे। एक बार प्रणब दा ने उन्हें सलाह दी कि वे देश के भावी नेता हैं। उन्हें सरकार चलाने के लिए कुछ अनुभव हासिल करना चाहिए। उन्होंने इसके लिए उन्हें कैबिनेट में शामिल हो जाने का सुझाव दिया लेकिन राहुल गांधी ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।

प्रणब मुखर्जी ने अपनी डायरी में विशेष रूप से राहुल की आलोचना करते हुए उन्हें राजनीतिक रूप से अपरिपक्व बताया। 2013 में जब राहुल ने उस अध्यादेश को खारिज कर दिया था, जिसमें दोषी राजनेताओं को बचाने की मांग की गई थी, तब तक मुखर्जी राष्ट्रपति भवन चले गए थे। उस रात, प्रणब मुखर्जी ने अपनी डायरी में लिखा, ‘राहुल गांधी ने अजय माकन की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को हाईजैक कर लिया और कैबिनेट के फैसले को ‘बकवास’ बताया। यह पूरी तरह से अनावश्यक है। उनके पास कोई राजनीतिक कौशल नहीं बल्कि अपने गांधी-नेहरू वंश का पूरा अहंकार है।

पिछले 60 साल में सबसे शांत रहा 2022, दंगों पर NCRB ने जारी किए आंकड़े, यहां जानिए कहां बढ़े और कहां घटे

 पिछले 6 दशकों में, किसी भी कैलेंडर वर्ष में दंगों की कुल घटनाओं के मामले में 2022 देश के लिए सबसे शांतिपूर्ण वर्ष रहा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक, इंदिरा गांधी के देश की प्रधानमंत्री बनने के बाद से 2022 तक, पिछले साल देश भर में सबसे कम दंगे दर्ज किए गए। साल 2022 में देशभर में दंगों की करीब 37,816 घटनाएं दर्ज की गईं थी।

पिछले पांच वर्षों में, दंगों की कुल घटनाएं साल-दर-साल आधार पर कम हो रही हैं। गौरतलब है कि इसी अवधि में इसमें 35% से अधिक की गिरावट आई है। उससे एक साल पहले दर्ज की गई घटनाओं की तुलना में 2022 में दंगे की घटनाओं में 9.5% की कमी आई थी। NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2021 में देश में दंगों की कुल 41,954 घटनाएं दर्ज की गईं थी। आश्चर्यजनक रूप से, NCRB डेटा से पता चलता है कि जहां भाजपा शासित राज्यों ने दंगों को कम करने और कानून व्यवस्था को मजबूत करने में अच्छा प्रदर्शन किया है, वहीं कांग्रेस शासित राज्य इसमें फिसड्डी साबित हुए हैं। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और असम जैसे राज्य पिछले पांच वर्षों में दंगों को कम करने में सफल रहे हैं। संयोग से, राज्य में निवर्तमान कांग्रेस सरकार के शासन में छत्तीसगढ़ में दंगों के मामले बढ़ गए थे।

उत्तर प्रदेश, गुजरात और असम ने पिछले पांच वर्षों में दंगों को कम करने में सबसे बड़ी सफलता हासिल की है। 2018 के मुकाबले 2022 में दंगों के मामलों का NCRB डेटा बताता है कि गुजरात और असम में दंगों की संख्या में क्रमशः 90% और 80% की कमी आई है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में दंगों को 50% तक कम करने में सफलता मिली है। इसके विपरीत, वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़ में सत्ता संभालने के बाद कांग्रेस सरकार के तहत दंगों में इजाफा हुआ। वर्ष 2018 में, भूपेश बघेल के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ में दंगों की 665 घटनाएं दर्ज की गईं और वर्ष 2022 तक यह 30% बढ़कर 961 हो गईं। चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद, राज्य में अब सत्ता परिवर्तन देखने को मिलेगा क्योंकि भाजपा ने 54 सीटें हासिल कीं है, जबकि निवर्तमान सत्तारूढ़ दल कांग्रेस ने 35 सीटें जीतीं हैं।

गौरतलब है कि भाजपा शासित राज्यों में, जहां दंगे की घटनाओं में कमी दर्ज की गई है, कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपराधियों की अवैध संपत्तियों को जमींदोज कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, अपराधियों की संपत्ति लगातार जब्त की गई है और दंगाइयों की तस्वीरें जनता के बीच प्रदर्शित की गई हैं। देश में दंगों के मामलों का एक सांख्यिकीय विश्लेषण इस बात पर प्रकाश डालता है कि आजादी के बाद से देश में दंगों में लगातार वृद्धि हुई है। साल 1981 में जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं, तो यह आंकड़ा 1.10 लाख को पार कर गया था। देश में दंगों की घटनाओं में पहली तेज गिरावट पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में दर्ज की गई थी।

 UPA सरकार के दौरान देश में दंगों की घटनाएं एक बार फिर बढ़ गईं। 2014 में प्रधान मंत्री मोदी के सत्ता में आने के बाद से, देश में दंगों की संख्या लगातार कम हो रही है, जिससे हर नया साल देश का सबसे शांतिपूर्ण वर्ष बन गया है। 2013 में, कांग्रेस के शासन के आखिरी पूर्ण वर्ष में, देश में दंगों की संख्या 72,126 थी, जो पीएम मोदी के कार्यकाल में घटकर लगभग आधी रह गई है। इस प्रकार, नरेंद्र मोदी सरकार में देश में दंगों की घटनाओं में लगभग 48 प्रतिशत की कमी आई है।

केन्या भारत का भरोसेमंद साझेदार, हमारा साझा अतीत और भविष्य..', राष्ट्रपति विलियम समोई से मिलकर बोले पीएम मोदी

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मंगलवार को कहा कि केन्या भारत का एक "भरोसेमंद और प्रतिबद्ध" विकास भागीदार है। उन्होंने कहा कि उन्होंने और केन्या के राष्ट्रपति विलियम समोई रुटो ने दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए कई नई पहलों की पहचान की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और केन्या ने पिछली शताब्दी में उपनिवेशवाद का विरोध किया था और वे ऐसे देश हैं जिनका साझा "अतीत और भविष्य" है।

पीएम मोदी ने कहा कि, 'हमने (भारत-केन्या) साथ मिलकर पिछली सदी में उपनिवेशवाद का विरोध किया था। भारत और केन्या ऐसे देश हैं जिनका अतीत और भविष्य साझा है। प्रगतिशील भविष्य की नींव रखते हुए, हमने हर क्षेत्र में अपने सहयोग को मजबूत करने का फैसला किया और कई नए क्षेत्रों की पहचान की पहल की है। भारत और केन्या के बीच व्यापार और निवेश में लगातार वृद्धि हो रही है। अपने आर्थिक सहयोग की पूरी क्षमता का एहसास करने के लिए, हम नए अवसरों की तलाश जारी रखेंगे। भारत के लिए, केन्या एक भरोसेमंद और प्रतिबद्ध विकास भागीदार रहा है।''

पीएम मोदी ने दक्षिण अफ्रीकी देश केन्या के कृषि क्षेत्र को आधुनिक बनाने के लिए 250 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन की घोषणा की। उन्होंने कहा है कि दोनों देश अपने अनुभव साझा करते हैं, क्योंकि वे एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था हैं। पीएम मोदी ने कहा कि, 'आधुनिक समय की जरूरतों के अनुसार, हम नवाचार में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपना सहयोग बढ़ा रहे हैं। डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में, हम केन्या के साथ भारत की उपलब्धियों को साझा करने के लिए तैयार हैं...स्वच्छ ऊर्जा दोनों देशों की मुख्य प्राथमिकता है।' 

प्रधानमंत्री मोदी ने केन्या की अफ्रीका जलवायु शिखर सम्मेलन की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि, "मुझे खुशी है कि केन्या ने ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस और इंटरनेशनल सोलर अलायंस में शामिल होने का फैसला किया है। केन्या के इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस में शामिल होने के फैसले से, हम बड़ी बिल्लियों को बचाने के लिए वैश्विक प्रयास करने में सक्षम होंगे।" पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देश भारत-केन्या आर्थिक संबंधों की पूरी क्षमता का एहसास करने के लिए नए अवसर तलाशते रहेंगे। उन्होंने आगे कहा कि, "भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत और केन्या के बीच घनिष्ठ सहयोग आम प्रयासों को आगे बढ़ाएगा।"

प्रेस को संबोधित करते हुए, केन्या के राष्ट्रपति विलियम सामोई रुतो ने पीएम नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह उनकी प्रतिबद्धता थी, अफ्रीकी संघ अब G20 का सदस्य है। "हमने उन सभी मुद्दों पर व्यापक बातचीत और जुड़ाव किया है जो हमारे दोनों देशों के बीच पारस्परिक महत्व और महत्व के हैं। मैंने G20 की सफलतापूर्वक मेजबानी करने और अफ्रीकी लोगों के हितों का सफलतापूर्वक समर्थन करने के लिए पीएम मोदी को बधाई दी है। आज, पीएम मोदी के कारण सगाई, अफ्रीकी संघ अब G20 का सदस्य है।" 

उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग का एक लंबा इतिहास रहा है और उनकी यात्रा के साथ, उन्होंने उस रिश्ते को मजबूत किया है और अपनी सरकारों के बीच जुड़ाव का दायरा बढ़ाया है। वहीं केन्या के राष्ट्रपति ने कहा कि, "हमने चर्चा की है कि भारतीय राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण बैंक हमारे कृषि वित्त निगम के साथ किसानों को ऋण की सहायता देने के क्षेत्र में कैसे काम करेगा ताकि हम खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों से निपट सकें। विशेष रूप से केन्या गणतंत्र में भोजन उगाना।"

 राष्ट्रपति रुतो ने कहा कि, मुझे आमंत्रित करने के लिए मैं पीएम मोदी को धन्यवाद देता हूं। हमारा शानदार स्वागत हुआ। हमने आपसी महत्व और महत्त्व की व्यापक बातचीत की है।'

दिग्विजय के बाद कमलनाथ ने भी उठाए EVM पर सवाल, बोले- 'विधायकों को उनके गांव में 50 वोट मिले, ऐसा कैसे हुआ?'

 मध्य प्रदेश में समाप्त हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी शिकस्त के पश्चात् स्टेट यूनिट चीफ कमलनाथ पर सवाल उठाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि वह आज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात करके अपने पद से इस्तीफा सौंप सकते हैं। इससे पहले ही मीडिया कार्मियों से चर्चा करते हुए उन्होंने EVM पर सवाल उठा दिए। उन्होंने कहा कि मुझे कुछ विधायक मिले हैं जो बोल रहे हैं कि उन्हें उनके अपने गांव में 50 मत प्राप्त हुए हैं, आखिर ऐसा कैसे हो सकता है। 

वही मीडिया ने कमलनाथ से पूछा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की हार की क्या वजह रही। इस पर उन्होंने कहा कि अभी हम चर्चा कर रहे हैं। सभी प्रत्याशियों को बुलाया गया है जिसमें हारने वाले और जीते हुए उम्मीदवार भी सम्मिलित हैं। इन लोगों से चर्चा करने के पश्चात् विचार किया जाएगा। कमलनाथ से सवाल पूछा गया कि नेता-प्रतिपक्ष EVM हैक किए जाने की बात कर रहे हैं, क्या आपको भी लगता है EVM हैक हुई है? इसके जवाब में उन्होंने कहा, 'पहले मैं सबकी बात सुन लूं। इस पर चर्चा कर लूं। इसके पश्चात ही किसी फैसले पर पुहंचना सही होगा। लेकिन, आप लोग भी जानते हैं कि क्या माहौल था तो मुझ से क्यों पूछ रहे हैं। आप जनता से पूछिए। मुझे आज सुबह ही कुछ MLA मिले। वे कह रहे हैं कि मुझे अपने गांव में 50 वोट प्राप्त हुए हैं। आखिर ऐसा कैसे हो सकता है।'

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि एग्जिट पोल तो माहौल बनाने के लिए तैयार किया गया था। कुछ लोगों को परिणाम पहले पता थे तो उसी हिसाब से एग्जिट पोल बनाया गया होगा। इससे पहले, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी EVM पर ठीकरा फोड़ा था। उन्होंने कहा कि चीप वाली किसी भी मशीन को हैक करना संभव है। साथ ही उन्होंने पोस्टल बैलेट वोट के आंकड़े साझा किए। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करके कहा, 'कुल 230 सीटों के आंकड़े आपके पास हैं। पोस्टल बैलेट के माध्यम से कांग्रेस और बीजेपी को पड़े वोटों का आंकड़ा विश्लेषण के लिए पेश है। यह सोचना चाहिए कि जब जनता वही है तो वोटिंग पैटर्न इतना कैसे बदल सकता है?' उन्होंने कहा कि पोस्टल बैलेट के माध्यम से कांग्रेस को वोट देने वाले और हम पर विश्वास जताने वाले मतदाताओं का धन्यवाद।

तीनों राज्यों में चुनाव जीतने वाले भाजपा सांसदों और मंत्रियों ने पद से दिया इस्तीफा, CM पोस्ट को लेकर और बढ़ा सस्पेंस !

मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित 4 राज्यों में विधानसभा का चुनाव जीतने वाले सभी सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। ये सभी लोग अब विधायक के रूप में कार्य करेंगे और अपने प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मजबूत करेंगे। सभी सांसदों ने आज यानी बुधवार (6 दिसंबर) को लोकसभा अधिकः के दफ्तर पहुंचकर इस्तीफा सौंप दिया। बता दें कि, भाजपा ने तीनों राज्यों में 21 सांसदों को मैदान में उतारा था, जिसमे से 11 ने जीत दर्ज की है। 

 इस फैसले के बाद अब मध्य प्रदेश, राजस्थान और छ्त्तीसगढ़ में सीएम पद को लेकर अटकलें और तेज हो चली हैं। दरअसल कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रह्लाद पटेल ने मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ा था और उन्होंने जीते भी दर्ज की है। ऐसे में इनके इस्तीफे के बाद कयास तेज हैं कि क्या वे मुख्यमंत्री बनेंगे? वहीं, इन नेताओं के अलावा राजस्थान से राज्यवर्धन सिंह राठौर जैसे नेताओं ने भी चुनाव में जीत दर्ज की है। हालाँकि, १० सांसदों ने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन अब तक बाबा बालकनाथ ने अपना त्यागपत्र नहीं सौंपा है, वे भी राजस्थान में CM पद की दौड़ में हैं।  

राजस्थान में विधानसभा चुनाव जीतने वाले सांसदों राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी और किरोड़ी लाल मीणा ने भी अपने पदों से त्यागपत्र दे दिया है। बता दें कि, राजस्थान में दीया कुमारी और किरोड़ी लाल मीणा भी सीएम पद की रेस में हैं। उधर, मंगलवार शाम पीएम नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के बीच राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नए सीएम को लेकर लंबा मंथन चला। इसके बाद माना जा रहा है कि इस बैठक में नाम तय कर लिए गए हैं, जो शनिवार या रविवार को विधायक दल की बैठक के बाद घोषित किए जा सकते हैं।

मध्य प्रदेश के जोबट गांव को पहली बार रेल कनेक्टिविटी, रतलाम झाबुआ सांसद ने ग्रामीणों के लिए ख़रीदे 100 टिकट

मध्य प्रदेश के जोबट गांव को मंगलवार को रेल कनेक्टिविटी मिल गई और जोबट और प्रताप नगर (वडोदरा) के बीच पहली ट्रेन शुरू हुई। अब जोबट से गुजरात तक का सफर भी ट्रेन से पूरा होगा, क्योंकि अलीराजपुर आने वाली ट्रेन को जोबट तक बढ़ा दिया गया है। रेल मार्ग का यह विस्तार अलीराजपुर के उन निवासियों के लिए परिवहन का एक सुविधाजनक और कुशल साधन प्रदान करेगा जो जोबट की यात्रा करना चाहते हैं। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि इन दोनों शहरों के बीच कनेक्टिविटी भी बढ़ेगी, जिससे यात्रियों और स्थानीय अर्थव्यवस्था दोनों को लाभ होगा। जोबट से प्रतापनगर तक ट्रेन का टिकट 75 रुपये है जबकि बस यात्रा का किराया लगभग 200 रुपये है।

मंगलवार दोपहर करीब 2.05 बजे रतलाम-झाबुआ सांसद गुमानसिंह डामोर ने हरी झंडी दिखाकर ट्रेन को रवाना किया। यात्रा के पहले दिन 168 टिकटें बिकीं और 68 यात्रियों ने अलीराजपुर-प्रतापनगर तक यात्रा की। ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के बाद सांसद डामोर ने कहा कि इस ट्रेन के शुरू होने से विकास को गति मिलेगी। अलीराजपुर के बाद, ट्रेनों ने छोटा उदयपुर-धार रेल परियोजना पर सेवा शुरू की और खंडाला और जोबट में भी पटरियों पर दौड़ना शुरू कर दिया। जोबट और खंडाला में रेलवे स्टेशन काफी समय पहले तैयार किए गए थे। उन्होंने ट्रैक का परीक्षण भी किया था। ट्रेन के संचालन की ही प्रतीक्षा थी और यह 5 दिसंबर को समाप्त हो गई। अलीराजपुर जिले के बाद खंडाला और जोबट में रुकते हुए ट्रेनें चलने लगीं। यह अनुमान लगाया गया है कि इस विकास से आर्थिक विकास में तेजी आएगी और जिले के सामान्य जीवन स्तर में सुधार होगा।

वडोदरा के प्रतापनगर स्टेशन और अलीराजपुर के बीच चलने वाली ट्रेन 09119 (मूल ट्रेन 59123) और ट्रेन 09120 (मूल ट्रेन 59124) को जोबट तक बढ़ा दिया गया है। ट्रेन करीब 80 से 90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से मंगलवार को जोबट पहुंची। एकत्रित जन प्रतिनिधियों ने जयकारे लगाकर ट्रेन और लोको पायलट का स्वागत किया। ट्रेन मंगलवार दोपहर करीब 1:20 बजे जोबट पहुंची। ट्रेन को देखने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण भी रेलवे स्टेशन पहुंचे। 

भाजपा नेताओं के साथ सांसद गुमान सिंह डामोर ने अपने समर्थकों के साथ रेलवे स्टेशन का दौरा किया। टिकट खिड़की पर उन्होंने खंडाला गांव के 100 टिकटों के लिए 3000 रुपये का भुगतान किया। इसके बाद नई ट्रेन को हरी झंडी दिखाई गई। पहले दिन जोबट ने कुल 168 टिकटें बेचीं। उनमें से 68 को प्रतापनगर और अलीराजपुर भेजा गया। डामोर के मुताबिक केंद्र सरकार आदिवासी क्षेत्रों की उन्नति के लिए प्रतिबद्ध है. जोबट से ट्रेन सेवा शुरू होने से क्षेत्र के विकास में तेजी आएगी। स्वास्थ्य सेवाएँ, फल, सब्जियाँ, दुग्ध उत्पादन और कृषि उत्पादों की बिक्री सभी स्थानीय लोगों के लिए उपलब्ध होंगी। उन्होंने संभावना जताई कि इंदौर तक इस रेलवे लाइन के विस्तार का काम जल्द ही पूरा हो जाएगा। डामोर के अनुसार जोबट से ट्रेन सेवा शुरू होने पर क्षेत्र का विकास होगा। डामोर जोबट रेलवे स्टेशन भी गये। रेलवे के सीपीएम गतिशक्ति मुकेश कुमार ने ट्रेन शेड्यूल के संबंध में जानकारी दी।

MP में कांग्रेस की हार पर दिग्विजय सिंह ने उठाए EVM पर सवाल, बोले- 'चिप वाली किसी भी मशीन को हैक किया जा सकता'

मध्य प्रदेश सहित पांच प्रदेशों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं। भाजपा ने मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में सरकार बनाई है। तेलंगाना में कांग्रेस एवं मिजोरम में ZPM पार्टी सत्ता में आई है। चुनावी हार के पश्चात् नेताओं की प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। कांग्रेस नेता एवं राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश में हार के लिए EVM को जिम्मेदार ठहराया है। दिग्विजय ने कहा, चिप वाली किसी भी मशीन को हैक किया जा सकता है।

आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए हैं। भाजपा ने 163 सीटें जीती हैं। कांग्रेस 66 सीटों पर सिमट गई है। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 114 सीटों पर कब्जा किया था। भाजपा ने 109 सीटें जीती थीं। बाद में 2020 में सत्ता का उलटफेर हुआ तथा 22 विधायकों ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली थी। शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बन गई थी। वही अब 2023 के चुनाव में कांग्रेस की बड़ी हार हुई है। जबकि भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल किया है। परिणाम के 2 दिन पश्चात् कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का बयान ख़बरों में है। 

दिग्विजय सिंह ने कहा, चिप वाली किसी भी मशीन को हैक किया जा सकता है। मैंने 2003 से ही EVM के माध्यम से मतदान का विरोध किया है। क्या हम अपने भारतीय लोकतंत्र को पेशेवर हैकरों द्वारा नियंत्रित करने की अनुमति दे सकते हैं। यह मौलिक सवाल है, जिसका समाधान सभी राजनीतिक दलों को करना होगा। भारतीय चुनाव आयोग तथा सर्वोच्च न्यायालय, क्या आप कृपया हमारे भारतीय लोकतंत्र की रक्षा करेंगे? दिग्विजय ने एक अंग्रेजी अखबार का आर्टिकल भी साझा किया है। इससे पहले उन्होंने एक्स पर एक अन्य पोस्ट में लिखा, अब कुल 230 सीटों के आंकड़े आपके पास हैं। पोस्टल बैलेट के माध्यम से कांग्रेस और भाजपा को पड़े मतों की संख्या विश्लेषण के लिए प्रस्तुत है। सोचने की बात यह है कि जब जनता वही है तो वोटिंग पैटर्न इतना कैसे बदल गया?

खालिस्तानी आतंकी पन्नू की गीदड़ भभकी, दी संसद पर हमले की धमकी, कहा-दिल्ली बनेगा पाकिस्तान

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भारत सरकार के अधिकारी पर अमेरिका में खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने की कोशिश के आरोपों के बीच पन्नू ने एक और धमकी भरा वीडियो जारी किया है। इसमें पन्नू ने भारत की संसद की नींव को हिला देने की बात कही है। आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने धमकी दी है कि वह 13 दिसंबर को संसद भवन पर हमला करेगा। उसने भारत पर हमले का एक धमकी भरा वीडिया जारी किया है।

पन्नू ने इस वीडियो में कहा कि 'मेरी हत्या की साजिश नाकाम हुई है, मैं 13 दिसंबर को संसद भवन पर हमला करके उसका जवाब दूंगा।'खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने वीडियो में कहा कि भारतीय एजेंसियों ने उसकी हत्या की योजना बनाई थी, जो कामयाब नहीं हो पाई। अब हमले की योजना का जवाब वो 13 दिसंबर को संसद पर हमला करके देगा।' वीडियो में पन्नू ने संसद भवन पर हमले के आरोपी अफजल गुरु का पोस्टर भी जारी किया। इसमें लिखा है 'दिल्ली बनेगा पाकिस्तान'। 

आपको बता दें कि 2001 में 13 दिसंबर के ही दिन भारतीय संसद पर हमला हुआ था। ऐसे में पन्नू के 13 दिसंबर को चुनने की वजह इसी दिन संसद पर हुए हमले से जोड़कर देखा जा रहा है। 

पहले भी धमकी दे चुका है पन्नू

इससे पहले भी खालिस्तानी आतंकी पन्नू गीदड़ भभकी दे चुका है। उसने सिख लोगों से 19 नवंबर को एयर इंडिया की फ्लाइट से यात्रा न करने के लिए कहा था। उसने कहा था कि अगर एयर इंडिया से यात्रा करेंगे तो आपकी जान खतरे में पड़ जाएगी। पन्नूं ने आगे दावा किया था कि दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट 19 नवंबर को बंद रहेगा और इसका नाम बदल दिया जाएगा।

अमेरिकी एजेंसियों ने लगाया था ये आरोप

बता दें कि अभी हाल ही में अमेरिकी एजेंसियों ने एक भारतीय शख्स को गिरफ्तार कर पन्नू की हत्या की साजिश नाकाम की थी, अमेरिकी एजेंसियों ने दावा किया था कि गिरफ्तार आरोपी भारतीय एजेंसियों के इशारे पर काम कर रहा था। हालांकि भारत ने इन आरोपों से साफतौर पर इनकार किया है। साथ ही जांच के लिए एक हाई लेवल कमेटी भी बनाई है। बता दें कि पन्नू ने साल 2007 में 'सिख फॉर जस्टिस' संगठन बनाया था। जुलाई 2020 में भारत ने पन्नू को आतंकी घोषित किया था. पन्नू आईएसआई की मदद से खालिस्तान की मुहिम चला रहा है।

हमास के बंधक इजराइली महिलाओं से रेप और अत्याचार पर भड़के नेतन्याहू, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की चुप्पी पर उठाया सवाल

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हमास ने 7 अक्टूबर के हमले के बाद बंधक बनाई गईं इजरायली महिला सैनिकों के साथ क्रूरता की सभी सीमाओं को लांघ दिया। आतंकियों ने महिला सैनिकों को टॉर्चर करने के लिए हर वो तरीका अपनाया, जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती। कई इजरायली महिला सैनिकों के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। हमास की हैवानियत का खुलासा मृत इजरायली सैनिकों के शवों को दफनाने वाले डॉक्टरों और वॉलियंटर्स ने की है। उन्होंने जो भी बताया है, वह किसी भी इंसान को भावुक कर सकता है। इसे संयुक्त राष्ट्र के मंच पर भी साझा किया गया है, ताकि दुनिया को हमास की सच्चाई पता चल सके।हमास की इन दिल दहला देने वाली हरकतों पर इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों पर सवाल उठाए हैं। नेतन्याहू ने इजरायली महिलाओं के खिलाफ हमास द्वारा किए गए रेप और अन्य अत्याचारों के बारे में चुप्पी साधने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों, महिला समूहों और संयुक्त राष्ट्र की कड़ी आलोचना की है।

अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की चुप्पी पर उठाया सवाल

नेतन्याहू ने अपने आधिकारिक एक्स पर पोस्ट किया हौ। इसमें लिखा कि "मैं महिला अधिकार संगठनों, मानवाधिकार संगठनों से कहता हूं कि 'आपने इजराइली महिलाओं के रेप, भयानक अत्याचार, यौन उत्पीड़न के बारे में सुना है- आप कहां हैं?' नेतन्याहू ने इजराइली महिलाओं पर हुए हमास के अत्याचारों पर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के चुप्पी पर उन्हें आड़े हाथों लिया। 

अत्याचार के खिलाफ बोलने की उम्मीद करता हूं- नेतन्याहू

इजरायली पीएम ने कहा मैं सभी सभ्य नेताओं, सरकारों, देशों से इस अत्याचार के खिलाफ बोलने की उम्मीद करता हूं। उन्होंने तेल अवीव में रक्षामंत्री योव गैलेंट और मंत्री बेनी गैंट्ज़ के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में यह टिप्पणी की। 

”आप इस वजह से चुप हैं, क्योंकि वे यहूदी महिलाएं थी?”

नेतन्याहू ने कहा कि उन्होंने रिहा किए गए बंधकों और पहले भी बंधक बनाए गए लोगों के रिश्तेदारों से मुलाकात की। उन्होंने बताया, 'मैंने उनकी दिल दहला देने वाली कहानियां सुनी। मुझे दुष्कर्म की दर्दनाक कहानियां बताई गई। नेतन्याहू ने आगे कहा कि लेकिन इन सब में महिला संगठन या अन्य संगठन की तरफ से एक शब्द भी नहीं कहा गया। उन्होंने इन संगठनों से सवाल किया, आप इस वजह से चुप हैं, क्योंकि वे यहूदी महिलाएं थी?

हमास के खिलाफ दक्षिणी गाजा में हमले और तेज

बता दें कि संघर्ष विराम के बाद इजरायल में हमास के खिलाफ दक्षिणी गाजा में हमले और तेज कर दिए हैं। इजरायली सेना, आईडीएफ ने उत्तर के बाद दक्षिण गाजा पर हमले तेज किए हैं। गाजा के जल्दी पूरी तरह से आईडीएफ के नियंत्रण में जाने की संभावना के बीच इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने युद्ध के लक्ष्यों को दोहराया है। नेतन्याहू ने एक बार फिर हमास की कमर तोड़ने और हमास के सभी कमांडरों को खत्म करने की बात दोहराई है। साथ ही नेतन्याहू ने कहा है कि इजरायली सेना गाजा पट्टी में एक विसैन्यीकृत क्षेत्र बनाने के लिए काम करेगी।

*3 राज्यों में करारी हार और 'इंडिया' गठबंधन में उथल-पुथल के बीच विदेश यात्रा पर निकलने वाले हैं राहुल गांधी

#rahul_gandhi_to_visit_four_countries

देश के 5 राज्यों मिजोरम, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं। तेलंगाना को छोड़कर बाकी सभी राज्यों से कांग्रेस के लिए बुरे नतीजे सामने आए हैं। हार की समीक्षा करने के बजाय राहुल गांधी आज चार देशों की यात्रा पर निकलने वाले हैं।यही नहीं, राहुल गांधी ऐसे समय में विदेश यात्रा पर जा रहे हैं जब संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। 

राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी की सरकार थी, लेकिन यहां भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल करके कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया है। यही नहीं इस हार के बाद विपक्षी गठबंधन इंडिया में भी अनबन चल रही है जिसकी वजह से आज होने वाली बैठक को टाल दिया गया है। ऐसे में राहुल गांधी की इस यात्रा को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के लिए इंडिया गठबंधन के सहयोगी कांग्रेस पर मनमानी करने, सहयोगी दलों को अपमानित करने और गठबंधन के लिए गंभीरता नहीं बरतने के आरोप लगा रहे हैं। सहयोगी दलों के कई नेताओं ने सार्वजनिक रूप से इस आशय का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस गठबंधन के प्रति गंभीर नहीं है। 

राहुल गांधी 8 दिसंबर से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की 7 दिवसीय यात्रा पर रहेंगे। वह 8 दिसंबर की शाम को मलेशिया पहुंचेंगे और 10 दिसंबर तक वहीं रहेंगे। इसके बाद वह 11 दिसंबर को सिंगापुर पहुंचेंगे और 12 दिसंबर तक वहीं रहेंगे। राहुल सिंगापुर के बाद 13 दिसंबर को जकार्ता पहुंचेंगे। वहीं, 14 दिसम्बर को राहुल हनोई जाएंगे। इसके बाद वह 15 दिसंबर की रात हनोई से दिल्ली के लिए रवाना होंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल इन देशों के के कुछ विश्वविद्यालयों में भारतीय प्रवासियों और छात्रों के कार्यक्रमों को संबोधित करेंगे।