*3 राज्यों में जीत के बाद देश के 12 राज्यों में BJP की सरकार, 2024 के लिए क्‍या हैं मायने?

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चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में से तीन में स्पष्ट जीत मिलने के बाद भारतीय जनता पार्टी इन राज्यों में सरकार बनाने जा रही है। इन तीनों राज्यों में जीत के बाद भाजपा अब अपने दम पर 12 राज्यों में सत्ता में होगी, जबकि दूसरी सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हारने के बाद तीन राज्यों में सिमट गई है।

केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, गोवा, असम, त्रिपुरा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश में पहले से ही सत्ता में है। रविवार को आए 4 राज्यों के चुनाव परिणामों के बाद बीजेपी मध्य प्रदेश में सत्ता बरकरार रखेगी तथा राजस्थान और छत्तीसगढ़ को कांग्रेस से छीनने में कामयाब रही।यानी देश के 12 राज्यों में बीजेपी की हुकूमत है।इसके अलावा, भाजपा चार राज्यों - महाराष्ट्र, मेघालय, नगालैंड और सिक्किम में सत्तारूढ़ गठबंधन का भी हिस्सा है।

3 राज्यों में कांग्रेस की सत्ता

वहीं, कांग्रेस अब अपने दम पर तीन राज्यों - कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में सत्ता में होगी। तेलंगाना में कांग्रेस अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को हराकर जीत की हासिल की है। कांग्रेस बिहार और झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन का भी हिस्सा है और तमिलनाडु में शासन करने वाली द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की सहयोगी है। हालांकि, वह राज्य सरकार का हिस्सा नहीं है।

देश की 41 प्रतिशत आबादी पर बीजेपी का शासन

39 साल पहले 1984 के आम चुनाव में भाजपा को केवल दो सीटें ही हासिल हुई थी, लेकिन आज वो दौर है कि पार्टी अब न केवल 12 राज्यों को नियंत्रित करती है, बल्कि यह देश की 41 प्रतिशत आबादी पर भी शासन कर रही है। राजस्थान की हार और छत्तीसगढ़ में उलटफेर से कांग्रेस की शक्ति कमजोर होती दिख रही है, इन चुनावों ने उत्तर में भाजपा की ताकत को उजागर किया है। जिसका प्रभाव 2024 के लोकसभा चुनावों में देखने को मिल सकता है।

प्रशांत किशोर ने बताया एमपी-छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी के जीत की वजह,गिनाए 4 कारण

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देश के 4 राज्यों मध्य प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 संपन्न हो गए हैं। 3 दिसंबर को हुई मतगणना के परिणामों ने पूरे देश को चौंकाया, क्योंकि 3 राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने बहुमत से जीत हासिल की। वहीं कांग्रेस ने एक ही राज्य में चुनाव जीता। चुनाव परिणाम आने के बाद सियासी बयानबाजी का दौर तेज हो गया है। कोई इसे प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी तो कोई इंडिया गठबंधन की असफलता बता रहा है।इन सबके बीच चुनावी नतीजों पर प्रशांत किशोर ने बड़ा बयान दिया है। पीके ने नतीजों को लेकर वो चार कारण भी बताये जिससे बीजेपी सभी पर भारी पड़ी।

वोट मोदी के ग्राफ के ऊपर-नीचे होने से नहीं मिलता-पीके

जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि भाजपा को जो भी दल हराना चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले ये समझना होगा कि उनकी ताकत क्या है ? बीजेपी को वोट लोग क्यों देते हैं ? जब तक आप उसकी ताकत को समझकर उससे बेहतर प्रयास नहीं करेंगे, तब लोग आपको वोट क्यों देंगे ? बीजेपी को जो वोट मिलता है, वो मोदी के ग्राफ के ऊपर-नीचे होने से नहीं मिलता है।

बीजेपी को वोट मिलने का पहला कारण हिंदुत्व विचारधारा-पीके

प्रशांत किशोर कहते हैं कि बीजेपी को वोट मिलने के चार कारण हैं, पहला- हिंदुत्व जो उनकी एक विचारधारा है, इससे जुड़ा हुआ एक बहुत बड़ा वर्ग बीजेपी को इसलिए वोट करता है, क्योंकि उन्हें बीजेपी के हिंदुत्व वाली विचाराधार पर यकीन है। दूसरा, जो न्यू राष्ट्रवाद की बात शुरू हो गई है, जो गांव-देहात में आप सुनते हैं कि भारत विश्वगुरु बना गया है, पूरे विश्व में भारत की शान मोदी ने बढ़ा दी है। ये जो सारी बातें हैं, पुलवामा के बारे में आपने सुना होगा, इस राष्ट्रवाद की भावना की वजह से भी बीजेपी को वोट मिलता है।

बीजेपी के जीत की बड़ी वजह संगठनात्मक और आर्थिक ताकत-पीके

प्रशांत किशोर आगे दो और वजहों को भी बताते हुए कहते हैं कि बीजेपी की जीत का तीसरा कारण है एक बहुत बड़ा वर्ग केंद्र की योजनाओं के लाभार्थियों का है, चाहे वो किसान स्वनिधि योजना हो, आवास योजना हो, जिसकी धनराशि सीधे केंद्र सरकार लाभार्थियों को भेज रही है। चौथा, जो बीजेपी का अपना संगठन है, उसकी जो संगठनात्मक और आर्थिक ताकत है उससे भी बहुत फर्क पड़ता है। प्रशांत किशोर ने चौथी वजह बताई कि बीजेपी के संगठन की जितनी ताकत है उसके मुकाबले में अन्य पार्टियों का संगठन बेहतर होना चाहिए।

तमिलनाडु में मिचौंग तूफान का कहर, चेन्नई और आसपास के जिलों में भारी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त, एक दर्जन से अधिक उड़ानें रद्द

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चक्रवाती तूफान मिचौंग आज आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु के तट से टकरा सकता है। चक्रवाती तूफान मिचौंग के प्रभाव से चेन्नई और उसके आसपास के जिलों में सोमवार को जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। लगातार बारिश के कारण शहर के विभिन्न हिस्सों में पानी भर गया है। तेज हवाओं के साथ मूसलाधार बारिश की वजह से शहर के कई इलाकों की बिजली गुल हो गई तथा इंटरनेट सेवा बाधित हुई है। साथ ही भारी बारिश के बीच सोमवार को 33 उड़ानें चेन्नई से यहां केंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (केआईए) की ओर मोड़ दी गईँ।तूफान के कारण सरकार ने एक दिन के लिए प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया है।तूफान के कारण तमिलनाडु के महाबलीपुरम बीच पर समुद्र का स्तर 5 फीट तक बढ़ गया है।

मौसम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक मिचौंग तूफान आज देर शाम से कल सुबह के बीच आंध्रप्रदेश के नेल्लोर और मछलीपट्टनम के बीच तट से टकराने वाला है। फिलहाल ये तूफान चेन्नई से तकरीबन 130 किलोमीटर दूर है जिसके चलते चेन्नई और उसके आस पास के जिलों में तेज हवाओं के साथ जबरदस्त बारिश हो रही है। भारी बारिश की चेतावनी के चलते तमिलनाडु, पुदुचेरी और आंध्रप्रदेश के कई जिलों में आज अवकाश घोषित किया गया है। प्रभावित इलाकों में फ्लाइट और ट्रेन की आवाजाही पर भी असर देखने को मिल रहा है। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के कई इलाकों में भारी बारिश के चलते जल भराव के हालात पैदा हो गए हैं।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने चक्रवाती तुफान मिचौंग को देखते हुए तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में 12 घंटे का अलर्ट जारी किया है। आईएमडी के मुताबित ओडिशा के दक्षिण हिस्सों में भी भारी बारिश हो सकती है। खराब मौसम को देखते हुए तमिलनाडु में पब्लिक हॉलिडे का ऐलान कर दिया गया है। चक्रवात से निपटने की तैयारियों का जायजा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश के सीएम से बात की और हर संभव मदद के लिए आश्वासन दिया है।

साइक्लोन मिचौंग पर आईएमडी के महानिदेशक डॉ मृत्युंजय महापात्र का कहना है, यह एक गंभीर चक्रवाती तूफान है जो चेन्नई से 90 किमी उत्तर पूर्व में है। यह आंध्र प्रदेश तट के समानांतर चलेगा। आंध्र प्रदेश में हवा की गति आज से 90-100 किमी प्रति घंटे हो जाएगी। हमने मछुआरों को 6 दिसंबर तक समुद्र में न जाने की हिदायत दी है। उत्तरी तटीय टीएन और एपी और यनम के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया है।

चार राज्यों में आए विधानसभा चुनाव के नतीजों पर ममता बनर्जी का बड़ा बयान, कहा- यह जनता की हार नहीं, कांग्रेस की हार है

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बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी अपनी बेबाकी के लिए जानी जाती है। तीन राज्यों में कांग्रेस की करारी हार के बाद ममता बनर्जी ने बड़ी बयान दिया है। बंगाल की मुख्यमंत्री बनर्जी ने इस हार के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह जनता की हार नहीं है, बल्कि कांग्रेस की हार है।उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि अगर सीट शेयरिंग कर ली गई होगी तो नतीजे ऐसे नहीं होते।

गठबंधन दल ने कांग्रेस का 12 फीसदी वोट काट दिया-ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनर्जी ने विधानसभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह ‘कांग्रेस की हार है, लोगों की नहीं। कांग्रेस ने तेलंगाना जीत लिया है। वे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जीत सकते थे। कुछ वोट विपक्षी गठबंधन इंडिया की पार्टियों ने काटे। यह सच है, हमने सीट-बंटवारे की व्यवस्था का सुझाव दिया था। वोटों के बंटवारे के कारण कांग्रेस हार गई। मुख्यमंत्री ने बताया कि गठबंधन दल ने कांग्रेस का 12 फीसदी वोट काट दिया है। उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि चुनाव में लोकतंत्र ध्वस्त हो गया।

हम गलतियों से सीखेंगे- ममता बनर्जी

ममता बनर्जी ने कहा कि विचारधारा के साथ-साथ आपको एक रणनीति की भी जरूरत है। अगर सीट-बंटवारे की व्यवस्था बनेगी, तो बीजेपी 2024 में सत्ता में नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों का गठबंधन अगले साल आम चुनाव से पहले मिलकर काम करेगा और गलतियों को सुधारेगा। उन्होंने कहा, हम गलतियों से सीखेंगे।

इंडिया गुट की पार्टियों ने कांग्रेस की आलोचना की

ममता बनर्जी ने ही नहीं, विपक्षी गठबंधन इंडिया गुट के कई सहयोगियों ने चुनावों से पहले खुद को दूर करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की। जनता दल-यूनाइटेड के केसी त्यागी ने कहा कि कांग्रेस ने गठबंधन की अन्य पार्टियों को नजरअंदाज किया, लेकिन वह अपने दम पर जीतने में असमर्थ रही। केरल के मुख्यमंत्री और सीपीएम नेता पिनाराई विजयन ने कहा कि हिंदी पट्टी में बीजेपी से मुकाबला करते समय साथ मिलकर लड़ना जरूरी है।

बता दें कि केवल मध्य प्रदेश में ही समाजवादी पार्टी ने 69 सीटों पर चुनाव लड़ा था। हालांकि, इन सीटों पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार जीत नहीं पाए, लेकिन किसी न किसी रूप में उसने कांग्रेस उम्मीदवार को नुकसान पहुंचाया और बीजेपी को फायदा। जिस तरह से चुनाव के पहले समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच बयानबाजी हुई थी। उससे भी बीजेपी विरोधी पार्टियों की साख पर नुकसान पहुंचा।

चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे में कहीं 16 तो कहीं 28 वोटों से रहा हार जीत का अंतर, पढ़िए, मतगणना के दिलचस्प आंकड़े

राजस्थान-मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने सबसे अधिक सीट जीती, वहीं कांग्रेस ने तेलंगाना में अधिक सीटों पर जीत दर्ज की

देश के चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। अब इन चारों राज्यों में सरकार बनाने की कवायद शुरू होगी। एक तरफ जहां तेलंगाना में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में जीत कर अपना दमखम दिखाया। हालांकि इन चारों राज्यों में कई ऐसी सीटें थीं, जहां महज कुछ वोटों के अंतर से हार-जीत हुई तो वहीं कुछ सीटों पर रिकॉर्डतोड़ वोटों से उम्मीदवारों ने जाती हासिल की।

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में महज 16 वोट से कांग्रेस के प्रत्याशी शंकर ध्रुवा चुनाव हार गए। वहीं मध्य प्रदेश के इंदौर-2 विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रमेश मेंदोला ने 1.07 लाख वोटों से जीत हासिल की, जो कि इन चार राज्यों के 638 सीटों पर बड़ी जीत में शामिल रही।

छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी जीत

 रायपुर सिटी दक्षिण में भाजपा के उम्मीदवार बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार डॉ. महंत रामसुंदर दास को 67,719 वोटों के अंतर से हराया। बृजमोहन अग्रवाल को 1,09,263 वोट मिले।

छत्तीसगढ़ की सबसे करीबी जीत

कांकेर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार आशा राम नेताम ने कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी शंकर ध्रुवा को केवल 16 वोटों से चुनाव हरा दिया। आशा राम नेताम को 67,980 वोट मिले।

मध्य प्रदेश की बड़ी जीत

 इंदौर-2 विधानसभा सीट पर भाजपा के रमेश मेंदोला ने कांग्रेस पार्टी के चिंटू चौकसे को 1,07,047 वोटों के अंतर से हराया। उन्होंने कुल 1,69,071 वोट मिले।

मध्य प्रदेश की सबसे करीबी जीत

इसके अलावा शाजापुर में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अरुण भीमावद ने कांग्रेस के हुकुम सिंह कराड़ा को महज 28 वोटों को अंतर से हराया। अरुण को कुल 98,960 वोट मिले थे।

राजस्थान की सबसे बड़ी जीत

 राजस्थान के विद्याधर नगर सीट पर भाजपा प्रत्याशी दीया कुमारी ने कांग्रेस पार्टी के सीताराम अग्रवाल को 71,368 वोटों के अंतर से हराया. दीया कुमारी को 1,58,516 वोट मिले।

राजस्थान की सबसे करीबी जीत

 कोटपूतली विधानसभा सीट पर भाजपा के उम्मीदवार हंसराज पटेल ने कांग्रेस के राजेंद्र सिंह यादव को 321 वोटों से हराया। उन्हें 67,716 वोट मिले।

तेलंगाना की सबसे बड़ी जीत

 तेलंगाना के कुतुबुल्लापुर सीट पर बीआरएस उम्मीदवार केपी विवेकानंद ने भाजपा के कुना श्रीशैलम गौड़ को 85,576 वोटों के अंतर से हराया है। केपी विवेकानंद को 1,87,999 वोट मिले हैं।

तेलंगाना की सबसे करीबी जीत- तेलंगाना के चेवेल्ला विधानसभा सीट पर बीआरएस के यादैया काले ने कांग्रेस पार्टी के बीम भारत पामेना को महज 268 वोटों से हराया है।

भारत के 28 राज्यों में से 12 पर कमान संभाल रही भाजपा, तीन राज्यों में सिमटी कांग्रेस, पीएम मोदी के नेतृत्व में लोकसभा में हैट्रिक लगाने की तैयार



राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में हाल के विधानसभा चुनावों के दौरान एक शानदार जीत में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने राजनीतिक पदचिह्न का काफी विस्तार किया है, अब वह भारत के 28 राज्यों में से 12 पर कमान संभाल रही है। यह निर्णायक परिणाम भाजपा को प्रमुख राजनीतिक ताकत के रूप में स्थापित करता है, जबकि कांग्रेस पार्टी के पास केवल तीन राज्यों - तेलंगाना, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश - पर नियंत्रण रह गया है।

भाजपा की राजनीतिक बढ़त चार अतिरिक्त राज्यों - महाराष्ट्र, नागालैंड, सिक्किम और मेघालय में सत्तारूढ़ गठबंधन में उसकी भागीदारी से और अधिक रेखांकित होती है। 2014 से 3 दिसंबर 2023 तक के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद से भाजपा के राजनीतिक मानचित्र का तेजी से विस्तार हुआ है। दिसंबर 2023 तक, भाजपा उन क्षेत्रों पर शासन करती है जो भारत के 58% भूमि क्षेत्र का उल्लेखनीय हिस्सा हैं, जिसमें 57% आबादी है। इसके विपरीत, कांग्रेस द्वारा शासित राज्यों में देश का 41% भूभाग शामिल है और वहां 43% आबादी निवास करती है।

राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भाजपा की हालिया जीत आगामी 2024 के आम चुनावों के लिए एक रणनीतिक प्रस्तावना के रूप में काम करती है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जीत के जवाब में, राज्य चुनावों में भाजपा की "हैट-ट्रिक" को 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की अपेक्षित सफलता का अग्रदूत घोषित किया। उन्होंने चुनावी नतीजे को भाजपा के एजेंडे के स्पष्ट समर्थन के रूप में चित्रित किया, जो आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने, सुशासन सुनिश्चित करने और पारदर्शिता के सिद्धांतों को बनाए रखने पर केंद्रित था।

इन महत्वपूर्ण राज्यों में विजयी जीत न केवल भाजपा की स्थिति को मजबूत करती है बल्कि इसकी नीतियों और नेतृत्व की प्रतिध्वनि को भी दर्शाती है। पार्टी के वैचारिक आधार और रणनीतिक राजनीतिक पैंतरेबाज़ी ने स्पष्ट रूप से मतदाताओं के साथ तालमेल बिठाया है, जो देश के विभिन्न क्षेत्रों में चुनावी जीत में तब्दील हुआ है।

जैसे-जैसे राजनीतिक मानचित्र विकसित होता जा रहा है, भाजपा का गढ़ बढ़ता जा रहा है, जिससे 2024 के आम चुनाव में कड़े मुकाबले की जमीन तैयार हो रही है। बड़ी संख्या में राज्यों में पार्टी का प्रभुत्व इसे एक मजबूत दावेदार के रूप में खड़ा करता है, जबकि कांग्रेस पार्टी को अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। सामने आ रहा राजनीतिक परिदृश्य एक दिलचस्प चुनावी लड़ाई का वादा करता है, जिसमें राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दोनों गतिशीलता भारत के राजनीतिक भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

पूरी तरह कांग्रेस मुक्त हुआ इंदौर, सभी 9 विधानसभा सीटों पर BJP को मिली रिकॉर्ड जीत

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों में इंदौर की सभी 9 विधानसभा सीटों पर बीजेपी के नेताओं ने जीत दर्ज की है। इससे पहले 1993 में बीजेपी ने इंदौर जिले में सभी सीटें जीती थीं। बीजेपी के नेताओं ने रिकार्ड जीत दर्ज की है। विधानसभा दो से रमेश मेंदोला ने 1 लाख सात हजार मतों से जीत दर्ज कर रिकार्ड बनाया है। 

वहीं बीजेपी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पहली बार विधानसभा चुनाव में 50 हजार से अधिक वोटों से जीते हैं। पिछली बार मतलब 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पास इंदौर जिले में 9 में से चार सीटें थी। उस चुनाव में संजय शुक्ला, जीतू पटवारी, तुलसी सिलावट एवं विशाल पटेल जीते थे। बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ सिलावट बीजेपी में सम्मिलित हो गए थे तथा वे उपचुनाव में जीत गए थे। 

वही इस बार कांग्रेस का क्लीन स्विप हो गया है तथा 9 में से 9 सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा हो गया है। भारतीय जनता पार्टी के 3 विधायक 50 हजार मतों के अंतर से जीते हैं। कैलाश विजयवर्गीय, रमेश मेंदोला एवं तुलसी सिलावट को जनता ने बड़ी जीत दिलाई है। सबसे कम मतों के अंतर से गोलू शुक्ला जीते हैं जिन्हें 14757 वोट ज्यादा मिले हैं।

अयोध्या में श्री राम लला के प्राण प्रतिष्ठा को सबसे पहले संतों को भेजा जा रहा निमंत्रण, देश भर के विभिन्न परम्पराओं के चार हजार संत होंगे शामिल

रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए सबसे पहले संतों को आमंत्रित किया जा रहा है। समारोह में देश भर के करीब चार हजार संत एकत्रित होंगे। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए आमंत्रण कार्ड बांटने का काम श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से शुरू कर दिया गया है। सबसे पहले साधु - संतों को आमंत्रण कार्ड भेजा जा रहा है। इसकी छपाई करा ली गई है। समारोह में देश के विभिन्न परंपराओं के करीब चार हजार संतों को आमंत्रित किए जाने का निर्णय लिया गया है। आमंत्रण पत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की ओर से भेजा जा रहा है। इसके माध्यम से अपील की जा रही है कि लंबे संघर्ष के बाद राम मंदिर निर्माण का कार्य प्रगति पर है। पौष शुक्ल द्वादशी 22 जनवरी को रामलला के नूतन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा मंदिर के गर्भगृह में की जाएगी। प्रबल इच्छा है कि अयोध्या में उपस्थित रहकर आप इस महान अवसर के साक्षी बनें।

 श्री राय ने संतों से अपील करते हुए कहा कि आप सभी स्वजन 21 जनवरी के पूर्व अयोध्या आने की योजना बनाएं। विलंब से आने पर परेशानी का भी सामना करना पड़ सकता है। 23 जनवरी तक अयोध्या में रहने का आग्रह भी ट्रस्ट कर रहा है। देश भर के संतों के साथ अयोध्या के भी संतों को आमंत्रण देने का काम शुरू कर दिया गया है। संघ व विहिप के कार्यकर्ताओं की टीम संतों से मुलाकात कर उन्हें आमंत्रण दे रहे हैं।

 

उधर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर अयोध्या में खास तैयारी शुरू कर दी गई है। समूचा अयोध्या को अद्भुत तरीके से सजाने और संवारने की योजना है। साधु - संत के साथ श्रद्धालु जन प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साहित हैं।

चुनाव आयोग ने तेलंगाना के डीजीपी को सस्पेंड करने की सिफारिश की, नतीजों से पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से की थी मुलाकात

तेलंगाना में कांग्रेस को बहुमत मिला है। एक तरफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है तो वहीं दूसरी ओर मतगणना के दौरान राज्य कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात करना डीजीपी को भारी पड़ गया है। सूत्रों का कहना है कि भारत चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए तेलंगाना के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अंजनी कुमार को सस्पेंड करने की सिफारिश की है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने मुख्य सचिव को पत्र भेजकर तेलंगाना के डीजीपी अंजनी कुमार को निलंबित करने की सिफारिश की है। मुख्य सचिव निलंबन की कार्रवाई जारी करने की प्रक्रिया में हैं। 

दरअसल रविवार सुबह डीजीपी ने राज्य पुलिस के नोडल अधिकारी संजय जैन और नोडल अधिकारी (व्यय) महेश भागवत के साथ वोटों की गिनती के बीच हैदराबाद में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अनुमुला रेवंत रेड्डी से मुलाकात की और फूलों का गुलदस्ता भेंट किया। इस मुलाकात का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद भारत चुनाव आयोग ने इसे संज्ञान में लिया है। भारत चुनाव आयोग ने डीजीपी कुमार को निलंबित करने का आदेश दिया है।

 तेलंगाना में मुख्यमंत्री चेहरे की बात करें तो कई ऐसे नेता हैं जिन्हें दावेदार माना जा रहा है। इनमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी , सांसद कैप्टन एन. उत्तमकुमार रेड्डी , कोमाटि रेड्डी वेंकट रेड्डी और मल्लू भट्टी विक्रमार्क जैसे नाम शामिल हैं। हालांकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा है।

आप सांसद राघव चड्ढा की संसद सदस्यता बहाल, राज्यसभा विशेषाधिकार समिति ने निलंबन किया रद्द

#aap_mp_raghav_chadha_parliament_membership_revoked

राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा की सदस्यता बहाल हो गई। अब वह फिर से राज्यसभा में नजर आएंगे।राज्यसभा की ओर से आप सांसद का निलंबन वापस ले लिया गया। राघव चड्ढा की सदस्यता बहाल करने के लिए राज्यसभा में प्रस्ताव पारित किया।

सोमवार को संसद में शीतकालीन सत्र शुरू हुआ। इस राज्यसभा में चड्ढा के निलंबन को वापस लेने का प्रस्ताव पारित हुआ। इस मामले में आज राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति की बैठक हुई। बैठक के बाद राज्यसभा अध्यक्ष ने चड्ढा की सदस्यता बहाल करने का फैसला लिया।

सोमवार को राज्यसभा की सदस्यता बहाल होने के तत्काल बाद आप सांसद राघव चड्ढा का भी बयान सामने आ गया है। उन्होंने कहा कि 11 अगस्त को मुझे राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था। मैं अपने निलंबन को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया और अब 115 दिनों के बाद मेरा निलंबन रद्द कर दिया गया है। मुझे खुशी है कि मेरा निलंबन वापस ले लिया गया है। सदस्यता बहाली के लिए मैं, सुप्रीम कोर्ट और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को धन्यवाद देना चाहता हूं।

बता दें कि अगस्त में दिल्ली सेवा विधेयक से संबंधित एक प्रस्ताव पर चर्चा चल रही थी। इस दौरान उन पर पांच सांसदों के फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप लगा था। सांसदों की बिना सहमति के प्रस्ताव पर नाम लेने के आरोप में उन्हें राज्यसभा से निलंबित कर दिया था। उन्हें इस मामले में जांच पूरी होने तक निलंबित किया था। चड्ढा के निलंबन का प्रस्ताव बीजेपी सांसद पीयूष गोयल ने पेश किया था।