चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे में कहीं 16 तो कहीं 28 वोटों से रहा हार जीत का अंतर, पढ़िए, मतगणना के दिलचस्प आंकड़े

राजस्थान-मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने सबसे अधिक सीट जीती, वहीं कांग्रेस ने तेलंगाना में अधिक सीटों पर जीत दर्ज की

देश के चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। अब इन चारों राज्यों में सरकार बनाने की कवायद शुरू होगी। एक तरफ जहां तेलंगाना में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में जीत कर अपना दमखम दिखाया। हालांकि इन चारों राज्यों में कई ऐसी सीटें थीं, जहां महज कुछ वोटों के अंतर से हार-जीत हुई तो वहीं कुछ सीटों पर रिकॉर्डतोड़ वोटों से उम्मीदवारों ने जाती हासिल की।

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में महज 16 वोट से कांग्रेस के प्रत्याशी शंकर ध्रुवा चुनाव हार गए। वहीं मध्य प्रदेश के इंदौर-2 विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रमेश मेंदोला ने 1.07 लाख वोटों से जीत हासिल की, जो कि इन चार राज्यों के 638 सीटों पर बड़ी जीत में शामिल रही।

छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी जीत

 रायपुर सिटी दक्षिण में भाजपा के उम्मीदवार बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार डॉ. महंत रामसुंदर दास को 67,719 वोटों के अंतर से हराया। बृजमोहन अग्रवाल को 1,09,263 वोट मिले।

छत्तीसगढ़ की सबसे करीबी जीत

कांकेर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार आशा राम नेताम ने कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी शंकर ध्रुवा को केवल 16 वोटों से चुनाव हरा दिया। आशा राम नेताम को 67,980 वोट मिले।

मध्य प्रदेश की बड़ी जीत

 इंदौर-2 विधानसभा सीट पर भाजपा के रमेश मेंदोला ने कांग्रेस पार्टी के चिंटू चौकसे को 1,07,047 वोटों के अंतर से हराया। उन्होंने कुल 1,69,071 वोट मिले।

मध्य प्रदेश की सबसे करीबी जीत

इसके अलावा शाजापुर में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अरुण भीमावद ने कांग्रेस के हुकुम सिंह कराड़ा को महज 28 वोटों को अंतर से हराया। अरुण को कुल 98,960 वोट मिले थे।

राजस्थान की सबसे बड़ी जीत

 राजस्थान के विद्याधर नगर सीट पर भाजपा प्रत्याशी दीया कुमारी ने कांग्रेस पार्टी के सीताराम अग्रवाल को 71,368 वोटों के अंतर से हराया. दीया कुमारी को 1,58,516 वोट मिले।

राजस्थान की सबसे करीबी जीत

 कोटपूतली विधानसभा सीट पर भाजपा के उम्मीदवार हंसराज पटेल ने कांग्रेस के राजेंद्र सिंह यादव को 321 वोटों से हराया। उन्हें 67,716 वोट मिले।

तेलंगाना की सबसे बड़ी जीत

 तेलंगाना के कुतुबुल्लापुर सीट पर बीआरएस उम्मीदवार केपी विवेकानंद ने भाजपा के कुना श्रीशैलम गौड़ को 85,576 वोटों के अंतर से हराया है। केपी विवेकानंद को 1,87,999 वोट मिले हैं।

तेलंगाना की सबसे करीबी जीत- तेलंगाना के चेवेल्ला विधानसभा सीट पर बीआरएस के यादैया काले ने कांग्रेस पार्टी के बीम भारत पामेना को महज 268 वोटों से हराया है।

भारत के 28 राज्यों में से 12 पर कमान संभाल रही भाजपा, तीन राज्यों में सिमटी कांग्रेस, पीएम मोदी के नेतृत्व में लोकसभा में हैट्रिक लगाने की तैयार



राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में हाल के विधानसभा चुनावों के दौरान एक शानदार जीत में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने राजनीतिक पदचिह्न का काफी विस्तार किया है, अब वह भारत के 28 राज्यों में से 12 पर कमान संभाल रही है। यह निर्णायक परिणाम भाजपा को प्रमुख राजनीतिक ताकत के रूप में स्थापित करता है, जबकि कांग्रेस पार्टी के पास केवल तीन राज्यों - तेलंगाना, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश - पर नियंत्रण रह गया है।

भाजपा की राजनीतिक बढ़त चार अतिरिक्त राज्यों - महाराष्ट्र, नागालैंड, सिक्किम और मेघालय में सत्तारूढ़ गठबंधन में उसकी भागीदारी से और अधिक रेखांकित होती है। 2014 से 3 दिसंबर 2023 तक के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद से भाजपा के राजनीतिक मानचित्र का तेजी से विस्तार हुआ है। दिसंबर 2023 तक, भाजपा उन क्षेत्रों पर शासन करती है जो भारत के 58% भूमि क्षेत्र का उल्लेखनीय हिस्सा हैं, जिसमें 57% आबादी है। इसके विपरीत, कांग्रेस द्वारा शासित राज्यों में देश का 41% भूभाग शामिल है और वहां 43% आबादी निवास करती है।

राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भाजपा की हालिया जीत आगामी 2024 के आम चुनावों के लिए एक रणनीतिक प्रस्तावना के रूप में काम करती है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जीत के जवाब में, राज्य चुनावों में भाजपा की "हैट-ट्रिक" को 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की अपेक्षित सफलता का अग्रदूत घोषित किया। उन्होंने चुनावी नतीजे को भाजपा के एजेंडे के स्पष्ट समर्थन के रूप में चित्रित किया, जो आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने, सुशासन सुनिश्चित करने और पारदर्शिता के सिद्धांतों को बनाए रखने पर केंद्रित था।

इन महत्वपूर्ण राज्यों में विजयी जीत न केवल भाजपा की स्थिति को मजबूत करती है बल्कि इसकी नीतियों और नेतृत्व की प्रतिध्वनि को भी दर्शाती है। पार्टी के वैचारिक आधार और रणनीतिक राजनीतिक पैंतरेबाज़ी ने स्पष्ट रूप से मतदाताओं के साथ तालमेल बिठाया है, जो देश के विभिन्न क्षेत्रों में चुनावी जीत में तब्दील हुआ है।

जैसे-जैसे राजनीतिक मानचित्र विकसित होता जा रहा है, भाजपा का गढ़ बढ़ता जा रहा है, जिससे 2024 के आम चुनाव में कड़े मुकाबले की जमीन तैयार हो रही है। बड़ी संख्या में राज्यों में पार्टी का प्रभुत्व इसे एक मजबूत दावेदार के रूप में खड़ा करता है, जबकि कांग्रेस पार्टी को अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। सामने आ रहा राजनीतिक परिदृश्य एक दिलचस्प चुनावी लड़ाई का वादा करता है, जिसमें राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दोनों गतिशीलता भारत के राजनीतिक भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

पूरी तरह कांग्रेस मुक्त हुआ इंदौर, सभी 9 विधानसभा सीटों पर BJP को मिली रिकॉर्ड जीत

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों में इंदौर की सभी 9 विधानसभा सीटों पर बीजेपी के नेताओं ने जीत दर्ज की है। इससे पहले 1993 में बीजेपी ने इंदौर जिले में सभी सीटें जीती थीं। बीजेपी के नेताओं ने रिकार्ड जीत दर्ज की है। विधानसभा दो से रमेश मेंदोला ने 1 लाख सात हजार मतों से जीत दर्ज कर रिकार्ड बनाया है। 

वहीं बीजेपी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पहली बार विधानसभा चुनाव में 50 हजार से अधिक वोटों से जीते हैं। पिछली बार मतलब 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पास इंदौर जिले में 9 में से चार सीटें थी। उस चुनाव में संजय शुक्ला, जीतू पटवारी, तुलसी सिलावट एवं विशाल पटेल जीते थे। बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ सिलावट बीजेपी में सम्मिलित हो गए थे तथा वे उपचुनाव में जीत गए थे। 

वही इस बार कांग्रेस का क्लीन स्विप हो गया है तथा 9 में से 9 सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा हो गया है। भारतीय जनता पार्टी के 3 विधायक 50 हजार मतों के अंतर से जीते हैं। कैलाश विजयवर्गीय, रमेश मेंदोला एवं तुलसी सिलावट को जनता ने बड़ी जीत दिलाई है। सबसे कम मतों के अंतर से गोलू शुक्ला जीते हैं जिन्हें 14757 वोट ज्यादा मिले हैं।

अयोध्या में श्री राम लला के प्राण प्रतिष्ठा को सबसे पहले संतों को भेजा जा रहा निमंत्रण, देश भर के विभिन्न परम्पराओं के चार हजार संत होंगे शामिल

रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए सबसे पहले संतों को आमंत्रित किया जा रहा है। समारोह में देश भर के करीब चार हजार संत एकत्रित होंगे। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए आमंत्रण कार्ड बांटने का काम श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से शुरू कर दिया गया है। सबसे पहले साधु - संतों को आमंत्रण कार्ड भेजा जा रहा है। इसकी छपाई करा ली गई है। समारोह में देश के विभिन्न परंपराओं के करीब चार हजार संतों को आमंत्रित किए जाने का निर्णय लिया गया है। आमंत्रण पत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की ओर से भेजा जा रहा है। इसके माध्यम से अपील की जा रही है कि लंबे संघर्ष के बाद राम मंदिर निर्माण का कार्य प्रगति पर है। पौष शुक्ल द्वादशी 22 जनवरी को रामलला के नूतन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा मंदिर के गर्भगृह में की जाएगी। प्रबल इच्छा है कि अयोध्या में उपस्थित रहकर आप इस महान अवसर के साक्षी बनें।

 श्री राय ने संतों से अपील करते हुए कहा कि आप सभी स्वजन 21 जनवरी के पूर्व अयोध्या आने की योजना बनाएं। विलंब से आने पर परेशानी का भी सामना करना पड़ सकता है। 23 जनवरी तक अयोध्या में रहने का आग्रह भी ट्रस्ट कर रहा है। देश भर के संतों के साथ अयोध्या के भी संतों को आमंत्रण देने का काम शुरू कर दिया गया है। संघ व विहिप के कार्यकर्ताओं की टीम संतों से मुलाकात कर उन्हें आमंत्रण दे रहे हैं।

 

उधर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर अयोध्या में खास तैयारी शुरू कर दी गई है। समूचा अयोध्या को अद्भुत तरीके से सजाने और संवारने की योजना है। साधु - संत के साथ श्रद्धालु जन प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साहित हैं।

चुनाव आयोग ने तेलंगाना के डीजीपी को सस्पेंड करने की सिफारिश की, नतीजों से पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से की थी मुलाकात

तेलंगाना में कांग्रेस को बहुमत मिला है। एक तरफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है तो वहीं दूसरी ओर मतगणना के दौरान राज्य कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात करना डीजीपी को भारी पड़ गया है। सूत्रों का कहना है कि भारत चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए तेलंगाना के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अंजनी कुमार को सस्पेंड करने की सिफारिश की है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने मुख्य सचिव को पत्र भेजकर तेलंगाना के डीजीपी अंजनी कुमार को निलंबित करने की सिफारिश की है। मुख्य सचिव निलंबन की कार्रवाई जारी करने की प्रक्रिया में हैं। 

दरअसल रविवार सुबह डीजीपी ने राज्य पुलिस के नोडल अधिकारी संजय जैन और नोडल अधिकारी (व्यय) महेश भागवत के साथ वोटों की गिनती के बीच हैदराबाद में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अनुमुला रेवंत रेड्डी से मुलाकात की और फूलों का गुलदस्ता भेंट किया। इस मुलाकात का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद भारत चुनाव आयोग ने इसे संज्ञान में लिया है। भारत चुनाव आयोग ने डीजीपी कुमार को निलंबित करने का आदेश दिया है।

 तेलंगाना में मुख्यमंत्री चेहरे की बात करें तो कई ऐसे नेता हैं जिन्हें दावेदार माना जा रहा है। इनमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी , सांसद कैप्टन एन. उत्तमकुमार रेड्डी , कोमाटि रेड्डी वेंकट रेड्डी और मल्लू भट्टी विक्रमार्क जैसे नाम शामिल हैं। हालांकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा है।

आप सांसद राघव चड्ढा की संसद सदस्यता बहाल, राज्यसभा विशेषाधिकार समिति ने निलंबन किया रद्द

#aap_mp_raghav_chadha_parliament_membership_revoked

राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा की सदस्यता बहाल हो गई। अब वह फिर से राज्यसभा में नजर आएंगे।राज्यसभा की ओर से आप सांसद का निलंबन वापस ले लिया गया। राघव चड्ढा की सदस्यता बहाल करने के लिए राज्यसभा में प्रस्ताव पारित किया।

सोमवार को संसद में शीतकालीन सत्र शुरू हुआ। इस राज्यसभा में चड्ढा के निलंबन को वापस लेने का प्रस्ताव पारित हुआ। इस मामले में आज राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति की बैठक हुई। बैठक के बाद राज्यसभा अध्यक्ष ने चड्ढा की सदस्यता बहाल करने का फैसला लिया।

सोमवार को राज्यसभा की सदस्यता बहाल होने के तत्काल बाद आप सांसद राघव चड्ढा का भी बयान सामने आ गया है। उन्होंने कहा कि 11 अगस्त को मुझे राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था। मैं अपने निलंबन को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया और अब 115 दिनों के बाद मेरा निलंबन रद्द कर दिया गया है। मुझे खुशी है कि मेरा निलंबन वापस ले लिया गया है। सदस्यता बहाली के लिए मैं, सुप्रीम कोर्ट और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को धन्यवाद देना चाहता हूं।

बता दें कि अगस्त में दिल्ली सेवा विधेयक से संबंधित एक प्रस्ताव पर चर्चा चल रही थी। इस दौरान उन पर पांच सांसदों के फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप लगा था। सांसदों की बिना सहमति के प्रस्ताव पर नाम लेने के आरोप में उन्हें राज्यसभा से निलंबित कर दिया था। उन्हें इस मामले में जांच पूरी होने तक निलंबित किया था। चड्ढा के निलंबन का प्रस्ताव बीजेपी सांसद पीयूष गोयल ने पेश किया था।

कभी इंदिरा गांधी के थे सिक्योरिटी चीफ, वो पूर्व आईपीएस जो बन सकते हैं मिजोरम के नए सीएम*

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मिजोरम विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती जारी है। प्रदेश में जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) बड़ी जीत की तरफ बढ़ रही है।रुझान से साफ है कि जेडएनपी भारी बहुमत से सरकार बनाएगी।उसे 40 में से 27 सीटें मिलती हुई दिख रही हैं। जबकि सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट 10 सीटों पर सिमट रही है।हाल के एक्जिट पोल में मिजोरम में जेडपीएम के लिए संभावित जीत का अनुमान लगाया गया। एग्जिट पोल में जेडपीएम को 28-35 सीटें हासिल करने का अनुमान जताया गया था। चुनाव रिजल्ट भी एग्जिट पाल सही साबित कर रहे हैं।

मिजोरम में रूझानों को देखते हुए जेडपीएम में जस्न का माहौल है। इस बीच सभी की निगाहें 74 वर्षीय शख्स पर हैं, जो पहले एक आईपीएस अफसर रह चुके हैं। पूर्व आईपीएस अधिकारी लालदुहोमा ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट की तरफ से मुख्यमंत्री के उम्मीदवार हैं। राजनीति में लालदुहोमा की यात्रा असाधारण है। एक आईपीएस अधिकारी रहे लालदुहोमा राजनीति में आए। वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिक्योरिटी टीम के नेतृत्वकर्ता भी रहे।

लालदुहोमा मिजोरम के युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। वह पिछले कुछ साल से मिजोरम के विकास और राज्य को कांग्रेस और एमएनएफ से मुक्ति दिलाने की बात कहते आ रहे हैं। लालदुहोमा 1977 में आईपीएस बने और गोवा में एक स्क्वाड लीडर के रूप में काम किया। इस दौरान उन्होंने तस्करों पर कई कार्रवाई की। इससे वह नेशनल मीडिया में छाने लगे। इनके अच्छे काम को देखते हुए 1982 में इन्हें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सुरक्षा प्रभारी के रूप में तैनाती दी गई।

दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले सांसद

इंदिरा गांधी की सुरक्षा में रहने के दो साल बाद ही लालदुहोमा ने 1984 में राजनीति में आने का फैसला किया। वह 1984 में सांसद बने। चार साल बाद ही 1988 में कांग्रेस की सदस्यता छोड़ने के कारण उन्हें लोकसभा से अयोग्य करार दे दिया गया। इस तरह लालदुहोमा दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले सांसद बन गए

कांग्रेस छोड़ने के बाद अपनी पार्टी बनाई

कांग्रेस छोड़ने के बाद पूर्व आईपीएस लालडुहोमा ने जोराम नेशनलिस्ट पार्टी नाम से एक दल बनाया, जिसके जरिए वे राज्य की राजनीति में सक्रिय हुए। वहीं दूसरी ओर, राज्य के पांच अन्य छोटे दलों के साथ लालडुहोमा की पार्टी ने गठबंधन कर लिया। जिसके बाद वह गठबंधन राजनीतिक पार्टी में तब्दील हो गया, जो 2017 में जेडपीएम (ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट) पार्टी के नाम से अस्तित्व में आया।

मिजोरम में जेडपीएम को प्रचंड बहुमत, मुख्यमंत्री जोरमथांगा और डिप्टी सीएम त्वानलुइया हारे

#mizoram_assembly_election_results

पू्र्वोत्तर राज्य मिजोरम में विधानसभा चुनाव के नतीजे आज घोषित हो रहे हैं। सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट और जेडपीएम के बीच कांटे की टक्कर है।अभी तक 13 सीटों पर नतीजे सामने आ चुके हैं। जेडपीएम ने 12 सीटों पर जीत दर्ज कर ली है। वहीं अन्य दो सीटें अलग अलग पार्टी के पाले में गई हैं। एक सीट पर एनएमएफ और एक सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की है।

आइजोल पूर्व-1 निर्वाचन क्षेत्र में जेडपीएम के लालथनसांगा ने मौजूदा मुख्यमंत्री जोरमथांगा को हरा दिया है। सीएम को 2101 वोटों से हार का सामना करना पड़ा है। वहीं, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री एवं मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के उम्मीदवार आर. लालथंगलियाना साउथ तुईपुई सीट से जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के उम्मीदवार जेजे लालपेखलुआ से हार गए। लालपेखलुआ को 5,468 मत मिले, जबकि लालथंगलियाना को 5,333 वोट मिले। कांग्रेस उम्मीदवार सी लालडिंतलुआंगा को 2,958 वोट मिले।मिजोरम के ग्रामीण विकास मंत्री लालरुआतकिमा आइजवाल पश्चिम-द्वितीय सीट पर जेडपीएम की लालंघिंगलोवा हमर से चुनाव हार गए।

जेडपीएम के मुख्यमंत्री उम्मीदवार लालदुहोमा ने कहा है कि कल या परसों मैं राज्यपाल से मिलूंगा। शपथ ग्रहण इसी महीने होगा। उन्होंने कहा कि मिजोरम वित्तीय संकट का सामना कर रहा है।यही हमें निवर्तमान सरकार से विरासत में मिलने जा रहा है। हम अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने जा रहे हैं। वित्तीय सुधार जरूरी हैं और उसके लिए हम संसाधन जुटाने जा रहे।

शीतकालीन सत्र को लेकर पीएम मोदी की विपक्ष को नसीहत, बोले- हार का गुस्सा संसद में न निकालें

#pmmodisremarksatthestartofwintersessionof_parliament

संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया है।चार राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के हंगामेदार होने के पूरे आसार हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मीडिया से बात की।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षियों को बाहर की पराजय का गुस्सा सदन में नहीं निकालने की नसीहत दे डाली।  

सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलने देने की अपील

पीएम मोदी ने कहा कि ठंड शायद विलंब से चल रही है और धीमी गति से आ रही है, लेकिन राजनीतिक गर्मी तेजी से बढ़ रही है. पीएम ने चार राज्यों के विधानसभा चुनाव को उत्साह वर्धक बताया। कल ही चार राज्यों के चुनाव के नतीजे सामने आए हैं। परिणाम बहुत ही उत्साहजनक हैं। खासकर उन लोगों के लिए उत्साहजनक हैं, जो देश के आम लोगों के कल्याण और देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पूरे देश ने नकारात्मकता को सिरे से नकार दिया है। इसलिए वो विपक्ष से अनुरोध करते हैं कि वो नकारात्मकता को छोड़कर सकारात्मकता के साथ सदन में आए और सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलने दें।

हार का गुस्सा निकालने की बजाए उससे कुछ सीख लें-पीएम मोदी

पीएम ने कहा कि संसद के पहले विपक्ष के नेताओं से बात होती है इस बार भी हुई है। पीएम ने कहा कि लोकतंत्र का ये मंदिर जनाकांक्षाओं और विकसित भारत बनाने का मंच है। ऐसे में सभी लोग यहां तैयारी के साथ आए और उत्तम सुझाव दें। पीएम ने कहा कि विपक्ष में बैठे साथियों के लिए ये गोल्डन अवसर है, ऐसे में वो हार का गुस्सा निकालने की बजाए उससे कुछ सीख लें, पीएण ने कहा कि बाहर का गुस्सा सदन के अंदर नहीं निकालना चाहिए।

विपक्ष के लिए सुनहरा अवसर-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा, अगर मैं वर्तमान चुनाव नतीजों के आधार पर कहूं, तो ये विपक्ष में बैठे हुए साथियों के लिए सुनहरा अवसर है। इस सत्र में पराजय का गुस्सा निकालने की योजना बनाने के बजाय, इस पराजय से सीखकर, पिछले नौ साल में चलाई गई नकारात्मकता की प्रवृत्ति को छोड़कर इस सत्र में अगर सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ेंगे तो देश उनकी तरफ देखने का दृष्टिकोण बदलेगा।

बता दें कि कांग्रेस सिर्फ तेलंगाना की 64 सीटें जीत सकी। जबकि मध्य प्रदेश में भाजपा प्रचंड बहुमत पाकर 163 सीटें जीतने में सफल रही। वहीं राजस्थान में भाजपा को 115 सीटों पर जीत मिली। छत्तीसगढ़ में भाजपा 54 सीटें जीतकर सत्ता कब्जाने में सफल रही है। मिजोरम में आज नतीजे साफ हो जाएंगे।

सांप्रदायिक हिंसा में बेटा खोया, बीजेपी ने बनाया था उम्मीदवार, अब सात बार के विधायक को दी मात

#farmer_defeated_seven_time_mla_and_former_minister

राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना विधानसभा चुनाव के परिणाम आ गए हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बन रही है। वहीं तेलंगाना में कांग्रेस को जीत मिली है। हर बार की तरह इस बार भी कई चौंकाने वाले रिजल्ट देखने को मिले।खासकर छत्तीसगढ़ में भाजपा ने बंपर जीत हासिल की है। चुनाव परिणाम से पहले तक कांग्रेस राज्य में भूपेश बघेल के नेतृत्व में आसान जीत की उम्मीद लगाए बैठी थी। हालांकि, परिणाम ठीक इसके उलट आया। छत्तीसगढ़ चुनाव परिणाम में सबसे ज्यादा चर्चा साजा विधानसभा सीट की रही।छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले की साजा सीट पर काफी रोचक मुकाबला देखने को मिला। यहां के साधारण किसान ईश्वर साहू ने छह बार के विधायक और मंत्री रविंद्र चौबे को हराकर चौंका दिया।

साजा विधानसभा सीट पर हुई दिलचस्प लड़ाई में बीजेपी उम्मीदवार ने कांग्रेस उम्मीदवार को हरा दिया। हैरानी की बात ये है कि कांग्रेस पार्टी से सात बार के विधायक रहे रवींद्र चौबे का मुकाबला पहली बार चुनाव लड़ रहे ईश्वर साहू से था। दरअसल, ईश्वर साहू वो शख्स हैं, जिनके बेटे की आठ अप्रैल 2023 को हुई सांप्रदायिक हिंसा में हत्या हुई थी।उन्हें बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया था। ये अलग बात है कि उन्होंने आज तक सरपंच का भी चुनाव नहीं लड़ा है। उनके सामने 1990 से चुनाव लड़ रहे और नेता प्रतिपक्ष रह चुके रवींद्र चौबे थे। ये उनका आठवां चुनाव था। लेकिन रवींद्र चौबे का ना तो अनुभव काम आया ना पार्टी की साख। 

रविंद्र चौबे को 5297 वोटों से हराया

छत्तीगसढ़ की साजा सीट पर करीब 60 हजार साहू वोटर हैं जो कि निर्णायक साबित होते हैं। भाजपा ने इन वोटरों को ईश्वर साहू के पक्ष में करने की पूरी कोशिश की। जब चुनाव के परिणाम आए तो ईश्वर साहू को कुल 101789 वोट मिले। उन्होंने कांग्रेस के रविंद्र चौबे को 5297 वोटों से हराया है। 

सांप्रदायिक हिंसा में खो चुके हैं बेटा

साजा में इसी साल अप्रैल में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। स्कूली मारपीट से शुरू हुई इस घटना ने जल्द ही सांप्रदायिक दंगों का रूप धर लिया था। इस घटना में दो मुस्लिम और एक हिंदू व्यक्ति की मौत हुई थी। दोनों पक्षों की तरफ से आगजनी की घटनाएं हुईं। घर जलाए गए। इन हिंसक झड़पों में भुवनेश्वर साहू की हत्या हुई। भाजपा ने भुवनेश्वर साहू के पिता ईश्वर साहू को टिकट दिया था।ईश्वर साहू लगातार वोट के बदले अपने बेटे के लिए इंसाफ देने की बात कहते रहे। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि ईश्वर साहू भावनात्मक ढंग से यह चुनाव को लड़े।

बीजेपी बोली- लोकतांत्रिक लड़ाई में अन्याय का बदला लिया

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष ने भी ईश्वर साहू की जीत की चर्चा की है। उन्होंने लिखा है- "ये छत्तीसगढ़ भाजपा के विधानसभा उम्मीदवार ईश्वर साहू हैं। इन्होंने कांग्रेस के 7 बार के विधायक रविंद्र चौबे को हराया है। इनका बेटा भीड़ की हिंसा में मारा गया और हमेशा की तरह कांग्रेस दंगाइयों का समर्थन कर रही थी। आज ईश्वर ने लोकतांत्रिक लड़ाई में अन्याय का बदला लिया। बधाई हो।