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Nov 24 2023, 15:06

'एक की होनी थी शादी, तो दूसरे के घरवाले ढूंढ रहे थे दुल्हन...', राजौरी के इन पांच बलिदानियों की कहानियां जानकर छलक उठेंगे आंसू

 जम्मू-कश्मीर के राजौरी में हाल ही में हुई एक मुठभेड़ में, पांच सैनिकों ने कर्तव्य की पंक्ति में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। राजौरी जिले में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान हुई इस झड़प में दो कैप्टन समेत ये जवान शहीद हो गए। इसके साथ ही सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई में लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकवादियों को मार गिराया। मृतक आतंकवादियों में लश्कर-ए-तैयबा का शीर्ष कमांडर शामिल था, जिसने अफगानिस्तान में प्रशिक्षण लेकर आतंक फैलाने के लिए भारत में घुसपैठ की थी।

राजौरी के दरमसल में 36 घंटे तक चली मुठभेड़ में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच रुक-रुक कर गोलीबारी होती रही। ऑपरेशन बुधवार को शुरू हुआ, बुधवार रात को अस्थायी तौर पर गोलीबारी बंद कर दी गई, क्योंकि इलाके को चारों तरफ से घेर लिया गया था। हालांकि, आतंकवादियों ने गुरुवार सुबह फिर से गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके परिणामस्वरूप दो आतंकवादी मारे गए, जिनमें से एक की पहचान लश्कर के शीर्ष कमांडर के रूप में की गई।

इस ऑपरेशन के दौरान पांच सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान दिया। शहीद अधिकारियों और जवानों में कैप्टन एमवी प्रांजल (मैंगलोर, कर्नाटक), कैप्टन शुभम गुप्ता (आगरा, उत्तर प्रदेश), हवलदार अब्दुल माजिद (पुंछ, जम्मू और कश्मीर), लांस नायक संजय बिष्ट (उत्तराखंड), और पैराट्रूपर सचिन लूर (अलीगढ़) शामिल हैं। 

कैप्टन एमवी प्रांजल

कर्नाटक के मैसूरु के रहने वाले कैप्टन एमवी प्रांजल केवल 28 वर्ष के थे और 63 राष्ट्रीय राइफल्स में कार्यरत थे। दो साल पहले ही उनकी शादी हुई थी और शादी से कुछ समय पहले ही उनकी कश्मीर में तैनाती हुई थी।

कैप्टन शुभम गुप्ता

उत्तर प्रदेश के आगरा के रहने वाले कैप्टन शुभम गुप्ता भी राजौरी मुठभेड़ में शहीद हो गए। उनके पिता, बसंत गुप्ता, आगरा में जिला सरकारी परामर्शदाता के रूप में कार्यरत हैं। कैप्टन शुभम का असामयिक निधन तब हुआ जब उनकी शादी की तैयारियां चल रही थीं।

हवलदार अब्दुल माजिद

जम्मू-कश्मीर के पैरा कमांडो हवलदार अब्दुल माजिद ने उसी ऑपरेशन में अपनी जान दे दी। जीरो लाइन और सीमा पर बाड़ के बीच अजोट गांव में रहने वाला उनका परिवार इस खबर से तबाह हो गया। हवलदार माजिद के परिवार में उनकी पत्नी और तीन बच्चे हैं।

लांस नायक संजय बिष्ट

19 कुमाऊं पैरा में कार्यरत उत्तराखंड के सैनिक लांस नायक संजय बिष्ट भी अपने प्राणों की आहुति देने वाले बहादुर जवानों में से एक थे। रामगढ़ के हल्दी गांव के रहने वाले संजय हाल ही में सेना में भर्ती हुए थे।

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के रहने वाले पैराट्रूपर सचिन लौर की हाल ही में शादी हुई है, जिससे उनका बलिदान और भी मार्मिक हो गया है। उनके पिता एक किसान हैं और पूरा गांव उनके निधन पर शोक मना रहा है।

देश इन बहादुर सैनिकों के साहस और बलिदान को सलाम करता है जो देश की रक्षा के लिए लड़े। यह मुठभेड़ सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा बलों के सामने आने वाली चुनौतियों को रेखांकित करती है, जहां वे शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए आतंकवाद का सामना करते हैं।

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Nov 24 2023, 14:58

एमपी विधानसभा चुनाव के बाद मतगणना से पहले जबलपुर पहुंचे RSS प्रमुख मोहन भागवत, मची सियासी हलचल

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत एक दिवसीय प्रवास पर जबलपुर पहुंचे। जबलपुर शहर में मोहन भागवत केशव कुटी में रुके हुए हैं। निजी कार्यक्रम में सम्मिलित होने आए मोहन भागवत का जबलपुर प्रवास महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मध्यप्रदेश विधानसभा की 230 सीटों पर 17 नवम्बर को मतदान हो चुका है। 3 दिसंबर को होने वाली मतगणना के ठीक पहले उनके दौरे के कई मायने निकल रहे हैं। केशव कुटी के आसपास सुरक्षा की सारी व्यवस्था की गई है।

मोहन भागवत को Z सुरक्षा मिली हुई है। इसके चलते उनसे मिलने वालो की संख्या भी सीमित है। बताया जाता है कि मोहन भागवत महाकौशल के सह प्रांत कार्यवाहक उत्तम बनर्जी के यंहा आयोजित विवाह कार्यक्रम में सम्मिलित होने आए हुए है। मोहन भागवत के जबलपुर आगमन को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया है। 

 मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में इस बार RSS कमान संभाली थी तथा हर टूटी और बिखरी कड़ी को संघ ने जोड़ने का कार्य किया है। इस बार विधानसभा चुनाव में संघ ने भारतीय जनता पार्टी संगठन को पीछे छोड़ दिया तथा चुनाव में अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी। मोहन भागवत ने जबलपुर में संघ के विशेष पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओ से बात भी की।

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Nov 24 2023, 14:55

दुनिया को भारत दिखाएगा रास्ता”, विश्व हिंदू सम्मेलन में बोले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

#mohanbhagwatinbangkokvishwahinducongress 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत वर्ल्ड हिंदू कांग्रेस में हिस्सा लेने बैंकॉक गए हुए हैं। यहां उन्होंने शुक्रवार 24 नवंबर को कहा कि पूरा विश्व एक परिवार है और वह सभी को आर्य यानी एक संस्कृति बनाएँगे।उन्होंने कहा कि कोविड के बाद लोग खुश नहीं है। उन्होंने पुनर्विचार शुरू कर दिया है और भारत की ओर देख रहे हैं कि भारत उनको रास्ता दिखाएगा।संघ प्रमुख भागवत ने यह भी कहा कि हिंदू परंपराओं में भले ही कुछ मतभेद हों, लेकिन ये धर्म का अच्छा उदाहरण पेश करती हैं। हम हर जगह जाते हैं, सबके दिल को छूने की कोशिश करते हैं, कुछ लोग राजी होते हैं तो कुछ राजी नहीं भी होते, लेकिन फिर हम सभी से जुड़ते हैं।

दुनिया अब शांति के पथ से लड़खड़ा रही है-भागवत

राष्ट्रीय स्वयं सेवक प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, आज की दुनिया अब शांति के पथ से लड़खड़ा रही है। इसने दो हजार वर्षों से खुशी, आनंद और शांति लाने के लिए कई सारे प्रयोग किए हैं। इतना ही नहीं, भौतिकवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद की कोशिश की है। सब भौतिक सुख प्राप्त कर लिया है, लेकिन फिर भी संतुष्टि, साधना नहीं है। हमने भौतिकवादी ज्ञान लिया लेकिन हम और हिंसक होते गए… इसलिए कोई शांति और सुख नहीं है।

दुनिया को भारत से उम्मीद है-भागवत

भगवत ने आगे कहा कि दुनिया ने कोविड काल के बाद पुनर्विचार शुरू कर दिया है। ऐसे में लगता है कि वे इस सोच में एकमत हैं कि भारत रास्ता दिखाएगा क्योंकि भारत पहले भी ऐसा कर चुका है। उन्हें भारत से उम्मीद है और वहीं हमारे समाज और राष्ट्र का भी यही उद्देश्य है।

भारत के सभी संप्रदायों को शुद्ध करने की जरूरत-भागवत

अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया एक परिवार है। हम सभी को आर्य यानी एक संस्कृति बनाएंगे। हालांकि, संस्कृति शब्द काफी नहीं है, एक बेहतर दुनिया के लिए मुझे संस्कृति कहना होगा। अनुशासन का पालन करने के लिए भारत के सभी संप्रदायों को शुद्ध करने की जरूरत है।

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Nov 24 2023, 14:54

“दुनिया को भारत दिखाएगा रास्ता”, विश्व हिंदू सम्मेलन में बोले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

#mohan_bhagwat_in_bangkok_vishwa_hindu_congress 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत वर्ल्ड हिंदू कांग्रेस में हिस्सा लेने बैंकॉक गए हुए हैं। यहां उन्होंने शुक्रवार 24 नवंबर को कहा कि पूरा विश्व एक परिवार है और वह सभी को आर्य यानी एक संस्कृति बनाएँगे।उन्होंने कहा कि कोविड के बाद लोग खुश नहीं है। उन्होंने पुनर्विचार शुरू कर दिया है और भारत की ओर देख रहे हैं कि भारत उनको रास्ता दिखाएगा।संघ प्रमुख भागवत ने यह भी कहा कि हिंदू परंपराओं में भले ही कुछ मतभेद हों, लेकिन ये धर्म का अच्छा उदाहरण पेश करती हैं। हम हर जगह जाते हैं, सबके दिल को छूने की कोशिश करते हैं, कुछ लोग राजी होते हैं तो कुछ राजी नहीं भी होते, लेकिन फिर हम सभी से जुड़ते हैं।

दुनिया अब शांति के पथ से लड़खड़ा रही है-भागवत

राष्ट्रीय स्वयं सेवक प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, आज की दुनिया अब शांति के पथ से लड़खड़ा रही है। इसने दो हजार वर्षों से खुशी, आनंद और शांति लाने के लिए कई सारे प्रयोग किए हैं। इतना ही नहीं, भौतिकवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद की कोशिश की है। सब भौतिक सुख प्राप्त कर लिया है, लेकिन फिर भी संतुष्टि, साधना नहीं है। हमने भौतिकवादी ज्ञान लिया लेकिन हम और हिंसक होते गए… इसलिए कोई शांति और सुख नहीं है।

दुनिया को भारत से उम्मीद है-भागवत

भगवत ने आगे कहा कि दुनिया ने कोविड काल के बाद पुनर्विचार शुरू कर दिया है। ऐसे में लगता है कि वे इस सोच में एकमत हैं कि भारत रास्ता दिखाएगा क्योंकि भारत पहले भी ऐसा कर चुका है। उन्हें भारत से उम्मीद है और वहीं हमारे समाज और राष्ट्र का भी यही उद्देश्य है।

भारत के सभी संप्रदायों को शुद्ध करने की जरूरत-भागवत

अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया एक परिवार है। हम सभी को आर्य यानी एक संस्कृति बनाएंगे। हालांकि, संस्कृति शब्द काफी नहीं है, एक बेहतर दुनिया के लिए मुझे संस्कृति कहना होगा। अनुशासन का पालन करने के लिए भारत के सभी संप्रदायों को शुद्ध करने की जरूरत है।

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Nov 24 2023, 14:50

जान लीजिए, महाकाल की नगरी में होगी सलमान और शाहरुख खान की नीलामी, शुरू हो रहा है खास मेला

मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में प्रत्येक वर्ष शिप्रा नदी के किनारे गधों का अनोखा मेला लगता है। मेले को लगने में अभी 4 दिन शेष है। उससे पहले ही कारोबारी अपने गधे और खच्चरों को लेकर यहां पहुंच चुके हैं। इस मेले में गधे की खरीद का दाम उम्र के हिसाब से निर्धारित किया जाता है। गधों की उम्र उनके दांत देखकर निर्धारित की जाती है। 

खास बात यह है कि इस मेले में फिल्म अभिनेता शाहरुख, सलमान, आमिर आदि के नाम से गधों को बेचा जाता था। गधा बेचने आए कारोबारी मनोज प्रजापत ने बताया कि गधे के मेले में 15 - 20 हजार के गधे हैं, 25 हजार के खच्चर और घोड़े सभी उपस्थित हैं। 7 दिन तक लगने वाले इस मेले में दूर-दूर से गधे के मालिक अपने गधों को लेकर आते हैं तथा बेचते हैं। इस साल भी मेले में कई गधे और खच्चरों की बोली लगाई जा रही है। गधों की बिक्री के लिए आए कारोबारियों ने बताया कि आहिस्ता-आहिस्ता अब गधों की मांग कम होती जा रही है। इनकी जगह टेक्नोलॉजी ले रही है। अब अधिकतर भार उठाने के काम मशीनों के द्वारा ही कर लिया जाता है। इसलिए जहां इन मशीनों को जाने का रास्ता नहीं है तथा गालियां पतली हैं वहीं खच्चर से काम लिया जाता है।

हालांकि, कारोबारियों का कहना है कि लोगों को माल ढुलाई के लिए गधों को अवश्य खरीदना चाहिए। आधुनिक साधनों से ये काम करने में लागत अधिक होती है। वहीं इस काम में गधों के इस्तेमाल में लोगों को लागत न के बराबर आएगी। फिलहाल, पहाड़ी प्रदेशों एवं दुर्गम स्थानों पर आवागमन और सामानों को ले आने तथा ले जाने में अब भी गधों का ही उपयोग किया जाता है। दरअसल इन स्थानों पर वाहनों का उपयोग करना बहुत मुश्किल होता है।

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Nov 24 2023, 14:47

आजादी के 76 साल बाद सुप्रीम कोर्ट परिसर की शोभा बढ़ाएगी बाबा साहेब आंबेडकर की प्रतिमा

आजादी के 76 साल बाद, संविधान के निर्माताओं में से एक बीआर अंबेडकर की प्रतिमा सुप्रीम कोर्ट के परिसर की शोभा बढ़ाएगी। इसकी स्थापना 26 नवंबर को संविधान दिवस, जिसे राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में भी जाना जाता है, के उत्सव के साथ मेल खाने के लिए किया गया है।

देश भर में विभिन्न स्थानों पर, छोटे गांवों से लेकर हलचल भरे शहरों तक, प्रगति का प्रतीक अपने प्रतिष्ठित हाथ उठाए हुए बीआर अंबेडकर की मूर्तियां आम हैं। मामले से परिचित सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट परिसर में मूर्ति स्थापित करने की इस पहल का नेतृत्व भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने किया था। वकील की पोशाक में और 3 फीट के आधार पर 7 फीट ऊंची खड़ी बीआर अंबेडकर की मूर्ति, उनके हाथ में संविधान की एक प्रति है। 

कलाकार नरेश कुमावत द्वारा निर्मित, यह प्रतिमा सुप्रीम कोर्ट परिसर की शोभा बढ़ाने वाली पहली भारतीय निर्मित प्रमुख प्रतिमा के रूप में एक ऐतिहासिक क्षण का प्रतीक है। इससे पहले, अदालत में भारतीय मूल के ब्रिटिश कलाकार चिंतामणि कर द्वारा निर्मित भारत माता की एक भित्तिचित्र और एक ब्रिटिश मूर्तिकार द्वारा तैयार की गई महात्मा गांधी की एक मूर्ति प्रदर्शित की गई थी। इस स्थापना के साथ, सुप्रीम कोर्ट परिसर, 76 वर्षों में पहली बार, दूरदर्शी नेता, बाबा साहेब अम्बेडकर को श्रद्धांजलि देने वाली एक प्रतिमा की उपस्थिति से सुशोभित होगा।

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Nov 24 2023, 13:39

उत्तरकाशी टनल हादसाः ड्रिलिंग का काम एक बार फिर शुरू, जल्द अच्छी खबर आने की उम्मीद

#uttarkashi_tunnel_rescue_operation 

उत्तरकाशी की सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए ड्रिलिंग का काम एक बार फिर शुरू हो गया है।गुरुवार रात को इसको रोक दिया गया था। ऑगर मशीन में तकनीकी खराबी के बाद ड्रिलिंग का काम रोक दिया गया था।बता दें कि उत्तराखंड में टनल हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन आज 13वें दिन में प्रवेश कर गया। 12 दिन से 41 मजदूर टनल के अंदर फंसे हैं। जिन्हें निकालने का प्रयास लगातार जारी है। 

12 घंटे में पूरा खत्म बोने की उम्मीद

प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि यह एक कठिन काम है, इसलिए इसमें समय लग रहा है। हर नए दिन एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उम्मीद है 12 घंटे में पूरा काम खत्म हो जाएगा। जीपीआर ने बताया है कि अगले 5 मीटर में कोई मैटेलिक बाधा नहीं है यानी हम 52 मीटर तक आसानी से पहुचेंगे। एक पाइप का मुंह पिचक गया है, इसलिए हम दो मीटर पीछे हो गए हैं। अब 46 मीटर से काम शुरू होगा। शाम 6 बजे तक मजदूरों तक पहुंचने की उम्मीद है।

पीएम मोदी ने ली मजदूरों की जानकारी

इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बातचीत की और टनल में फंसे श्रमिकों के रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी ली। पीएम ने सीएम को निर्देश दिए कि जब श्रमिक टनल से बाहर निकलेंगे तो उनके स्वास्थ्य की जांच की जाए और अगर जरूरत पड़े तो उनको अस्पताल भेजे जाने की उचित व्यवस्था भी सुनिश्चित कि जाए।

उत्तरकाशी ड्रोन सेंसर रेडार का शुरू हुआ इस्तेमाल

उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू ऑपरेशन में पहली बार ड्रोन सेंसर रेडार का इस्तेमाल किया जा रहा है। बेंगलुरु से ड्रोन सेंसर रेडार के साथ टीम उत्तरकाशी पहुंची है। देश में पहली बार डिजास्टर मैनेजमेंट के मामले में इस ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह ऑटोमेटेड ड्रोन अपने सेंसर के जरिए रेस्क्यू ऑपरेशन में आने वाली बाधाओं के बारे में अलर्ट करेगा। इससे तेजी और सावधानी से ऑपरेशन को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। ड्रोन एक्सपर्ट सिरियाक जोसेफ ने बताया कि पहली बार देश में इस प्रकार के ड्रोन का प्रयोग रेस्क्यू मिशन या फिर आपदा प्रबंधन के लिए किया जा रहा है। हमारी टीम रेस्क्यू ऑपरेशन में जुड़े अधिकारियों को जरूरी सूचनाएं उपलब्ध करा रही है।

41 जिंदगियां बचाने की जंग

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में चार धाम प्रोजेक्ट के तहत बन रहे सिलक्यारा टनल धंसने के चलते 41 मजदूर 13 दिन से फंसे हुए हैं। मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए युद्धस्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। वहीं मजदूरों को पाइप के जरिए भोजन-पानी, दवाई और ऑक्सीजन भेजी जा रही है।

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Nov 24 2023, 12:06

फिर खौफ के साये में चीन! तेजी से फैल रही रहस्यमयी बीमारी, क्या कोरोना की तरह होगा ?

#mysterious_disease_in_china 

कोरोना वायरस की पहचान चीन के वुहान में दिसंबर 2019 में हुई थी। धीरे-धीरे इस महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी ज़द में ले लिया था। हालांकि अब अधिकतर देश इस महामारी से निजात पा चुके हैं। लेकिन, चीन अभी भी कोरोना वायरस के मामलों से जूझ रहा हैं। इस बीच, यहां एक और रहस्यमयी निमोनिया का प्रकोप तेजी से फैल रहा है।इस बार वुहान की जगह रहस्यमयी संक्रमण के मामले बीजिंग और लिओनिंग में सामने आए हैं।ये बीमारी बच्चों को अपना शिकार बना रही है। 

इन नई रहस्यमयी बीमारी का खुलासा अंतरराष्ट्रीय संस्था ProMED ने किया है। ये वहीं संस्थान है जिसने कोरोना महामारी के बारे में सबसे पहले दुनिया को आगाह किया था।आमतौर पर सर्दियों के मौसम में निमोनिया के मरीज काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं। खासतौर पर इसका खतरा, कमजोर इम्यीनिटी वाले लोगों, अस्थमा मरीजों और छोटे बच्चों पर मंडराता है या फिर डायबिटीज या ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे लोगों को भी इसकी चपेट में आने का डर रहता है। मगर चीन में पसर रहा ये, खौफनाक रहस्यमयी निमोनिया बच्चों को अपना शिकार बना रहा है। जिससे उन्हें फेफड़ों में दर्द, तेज बुखार, सांस लेने में परेशानी और फेफड़ों में सूजन जैसी शिकायत हो रही हैं।

चीन के बीजिंग और लिओनिंग में फिलहाल जिस तरह के हालात हैं, वो कोविड संकट के शुरुआती दिनों की याद दिलाती है। मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा देखकर स्वास्थ्य अधिकारियों में चिंता पैदा हो गई है। इस बीमारी से अधिकतर बच्चे शिकार हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी अलर्ट कर चुका है। वह पहले ही चीन से अधिक जानकारी देने को कह चुका है।  

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि पिछले तीन वर्षों की इसी अवधि की तुलना में चीन में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों में वृद्धि हुई। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने इस महीने की शुरुआत में बताया था कि कोविड-19 उपायों को हटाने अर्थात् इन्फ्लूएंजा और सामान्य जीवाणु संक्रमण के प्रसार के कारण श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि हुई है, जो माइकोप्लाज्मा निमोनिया सहित बच्चों को प्रभावित करते हैं।

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Nov 24 2023, 11:18

कतर कोर्ट ने स्वीकार की भारत की अर्जी, मौत की सजा पाए आठ पूर्व नेवी अफसरों को मिलेगी राहत?

#qatar_court_accept_indian_ex_navy_officers_appeal_against_death_penalty

कतर में जासूसी के आरोप में मौत की सजा पाने वाले भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को उम्मीद की किरण दिख रही है। कतर की अदालत ने 8 पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को दी गई मौत की सजा के खिलाफ अपील स्वीकार कर ली है।जल्द ही इस मामले पर सुनवाई होगी।बता दें कि नौसेना के इन आठ पूर्व अफसरों को कतर में फांसी की सजा सुनाई गई है।

भारत सरकार ने दायर की थी याचिका

आठ पूर्व नेवी अफसरों की मौत की सजा के खिलाफ भारत सरकार ने यह याचिका दायर की है। कतर की अदालत ने 23 नवंबर 2023 को इसे स्वीकार कर लिया और अब अपील का अध्ययन कर जल्द इस पर सुनवाई शुरू करेगी। कतर की अदालत ने कहा है कि वह इस मामले को स्टडी कर रहे हैं और जल्दी ही सुनवाई के लिए तारीख तय करेंगे। दोषी करार दिए गए सभी पूर्व नौसैनिकों के लिए इसे एक राहत की खबर के तौर पर देखा जा रहा है।

अगस्त 2022 में गिरफ्कार किए गए थे सभी अफसर

बता दें कि भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अफसर कतर में अल-दहरा कंपनी के लिए काम कर रहे थे। यह कंपनी कतर के सशस्त्र बलों को ट्रेनिंग देती थी साथ ही उससे जुड़ी सर्विस मुहैया कराती थी। अगस्त 2022 में इन सभी को गिरफ्तार किया गया। कतर की सरकार ने नौसेना के पूर्व अफसरों पर लगाए गए आरोपों की जानकारी नहीं दी है। 26 अक्तूबर 2023 को कतर की अदालत ने इन पूर्व अफसरों को मौत की सजा सुनाई थी। 

इन पूर्व अधिकारियों को सुनाई गई है सजा

गृह मंत्रालय की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार, जिन 8 पूर्व अधिकारियों को सजा सुनाई गई है उनमें कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर संजीव गुप्ता और सेलर रागे शामिल हैं। इन अधिकारियों में ज्यादातर की उम्र 60 साल से ज्यादा है। बताया जाता है कि जब इन आधिकारियों की गिरफ्तारी हुई थी, तब उनके परिजनों को कतर ने स्पष्ट जानकारी नहीं दी थी कि उनपर किस आधार पर आरोप तय किए गए हैं। गिरफ्तारी के कई दिनों तक इस मामले को गुप्त रखा गया और कतर में मौजूद भारतीय दूतावास के अधिकारियों को भी इसकी जानकारी नहीं दी गई।

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Nov 24 2023, 10:34

भारत में स्थायी रूप से बंद हुआ अफगानिस्तान का दूतावास, जानें इस फैसले के पीछे की वजह

#afghanistan_announce_permanent_closure_his_embassy_in_new_delhi

भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित अफगानिस्तान के दूतावास को आखिरकार बंद कर दिया गया है।अफगानिस्तान ने भारत में अपने दूतावास को बंद करने की आधिकारिक घोषणा कर दी है।अफगानिस्तान की सरकार का कहना है कि उन्हें भारत सरकार की तरफ से लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके चलते यह फैसला किया गया है।अफगानिस्तान के डिप्लोमैटिक मिशन बयान जारी कर इसकी जानकारी दी गई है।

दूतावास ने नोटिस जारी करते हुए बताया है कि हमें 23 नवंबर 2023 से नई दिल्ली में अपने राजनयिक मिशन को स्थायी रूप से बंद करने की घोषणा करते हुए खेद है। नोटिस में ये भी कहा गया है कि अफगान गणराज्य का कोई भी राजनयिक भारत में नहीं बचा है। इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान के दूतावास में सेवा देने वाले लोग सुरक्षित रूप से तीसरे देशों में पहुंच गए हैं।

नोटिस में कहा गया है कि भारत में राजनयिक मिशन को स्थायी रूप से बंद करने का निर्णय दूतावास द्वारा 30 सितंबर 2023 को परिचालन बंद करने के बाद लिया गया है। नोटिस में ये भी कहा गया है कि यह कदम इस उम्मीद में उठाया गया था कि भारत सरकार का रुख नई दिल्ली में अफगानिस्तान के दूतावास की सामान्य निरंतरता के लिए अनुकूल रूप से विकसित होगा। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ। 

साथ ही दूतावास ने पिछले 22 वर्षों में अफगानिस्तान को उनके समर्थन और सहायता के लिए भारत के लोगों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया है। अफगान दूतावास ने अपने बयान में यह भी कहा कि दूतावास अफगान मिशन समर्थन के लिए भारत का हार्दिक धन्यवाद करता है। हालांकि, हमने संसाधनों में कमी के बावजूद और काबुल में वैध सरकार की अनुपस्थिति में अफगानी लोगों की बेहतरी के लिए अथक प्रयास किया है। इसके बावजूद पिछले 2 सालों और 3 महीनों में भारत में अफगान समुदाय में छात्रों और व्यापारियों के देश छोड़ने के साथ उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है।