गिरिराज सिंह ने बिहार में हलाल सर्टिफाइड उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर तेजस्वी का पलटवार, मंदिर में घंटा बजाने से लोगों का नहीं भरेगा पेट


डेस्क : केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार में हलाल सर्टिफाइड उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। इसे लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर हो रही साजिश के खिलाफ सीएम नीतीश कुमार से तुरंत एक्शन लेने की मांग की है। 

इधर गिरिराज सिंह की इस मांग पर बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने पलटवार किया है। तेजस्वी यादव ने कहा है कि इन्हें विकास से कुछ लेना देना नहीं है, ये लोग सिर्फ हिंदू-मुसलमान की राजनीति करते हैं।

गिरिराज सिंह के यह कहने पर कि हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर भारत के बाजारों और बिहार का इस्लामीकरण किया जा रहा है। इसपर तेजस्वी ने कहा कि इसपर कुछ भी बोलना ठीक नहीं है। ये लोग तो सिर्फ हिंदू मुसलमान ही करते हैं। उनमें और हमलोगों में यही फर्क है। हमलोग रोजगार देने की बात करते हैं और विकास की बात करते हैं तो वे लोग हिंदू-मुसलमान, मंदिर-मस्जिद की बात करते हैं।

उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोग अच्छी तरह से जान ले लोगों का पेट नौकरी देने से भरेगा ना की मंदिर-मस्जिद करने से होगा और ना ही लोगों का पेट मंदिर में घंटा बजाने से होगा। इन लोगों को बस हिंदू-मुसलमान पर राजनीति करना है। नौकरी पाने के लिए यूपी के लोग बिहार आ रहे हैं। 

तेजस्वी ने कहा कि केंद्र में उनकी सरकार है। उनकी सरकार में कितनी मेनुफैक्चरिंग बढ़ी है, उन्हें बताना चाहिए।

बड़ी खबर : राजद के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री वृशिण पटेल को ब्लैकमेल करने की कोशिश, व्हाट्सएप पर मैसेज भेजकर मांगी गई 50 लाख फिरौती

डेस्क : राजधानी पटना से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां बिहार सरकार के पूर्व मंत्री व राजद के वरिष्ठ नेता वृशिण पटेल को ब्लैक मेल करने की कोशिश की गई है। बताया जा रहा है कि उनके व्हाट्सएप पर अश्लील फोटो भेजकर ब्लैकमेल करने की कोशिश की गई थी। जिस तीन व्हाट्सएप नंबर से इसे भेजा गया था और उनसे बात करके 50 लाख रुपए की फिरौती मांगी गई थी। हालांकि तीनों नंबर के व्हाट्सएप प्रोफाइल फर्जी निकले हैं।

इसे संचालित करने वाले कौन लोग हैं, इसका पता अभी तक ईओयू (आर्थिक अपराध इकाई) को नहीं चल सका है। पूर्व मंत्री ने 17 नवंबर को ही ईओयू के एसपी से पूरे मामले की लिखित शिकायत की थी। पटेल ने पहले इस पूरे मामले की जानकारी अपने स्थानीय थाना कदमकुआं को दी थी, लेकिन मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण इसे ईओयू को ट्रांसफर किया गया और तफ्तीश शुरू कर दी गई है। जांच में यह भी पता चला कि जिन 3 सिम का उपयोग इसमें किया गया है, उसे कॉल करने के 10 दिन पहले ही फर्जी नाम-पता पर चालू किया गया था। इसे कहां से खरीदा गया और किसके माध्यम से चालू कराया गया है, इसकी तफ्तीश भी की जा रही है।

पूर्व मंत्री को फंसाने में जिस महिला का नाम सामने आया है, उसका भी कनेक्शन इससे उजागर हो जाएगा।

गौरतलबा है कि कुछ महीने पहले सीतामढ़ी के सांसद सुनील कुमार पिंटू से एक महिला ने ठगी कर ली थी। इस मामले में एक महिला और युवक को गिरफ्तार किया गया। दोनों अभी जेल में हैं। जदयू के एक विधायक समेत कुछ अफसरशाह भी चपेट में आ चुके हैं। इनके मामले की जांच भी ईओयू में चल रही है।

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने सीधे तौर पर कांग्रेस को ठहराया जिम्मेवार,

विशेष राज्य का दर्जा के लिए सोशल मीडिया पर डाला लंबा पोस्ट


डेस्क : बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीते कई वर्षों से कर रहे है। अब एकबार फिर उन्होंने इस मांग की बात उठाई है। वहीं उन्होंने अबतक बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने के लिए सीधे-सीधे कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि कांग्रेस के शासन में विशेष राज्य के दर्जा देने के लिए कमेटी बनी, कमेटी ने रिपोर्ट भी दिया, इसके बाद भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया गया।

आम तौर पर नीतीश कुमार पर ज्यादा एक्टिव नहीं रहते हैं। लेकिन आज कैबिनेट मीटिंग में विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर प्रस्ताव पारित होने के बाद मुख्यमंत्री ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर लंबा चौड़ा पोस्ट किया है। अपने एक्स हैंडल पर सीएम नीतीश कुमार ने लिखा कि 'हमलोग बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की माँग वर्ष 2010 से ही कर रहे हैं। इसके लिए 24 नवम्बर, 2012 को पटना के गाँधी मैदान में तथा 17 मार्च, 2013 को दिल्ली के रामलीला मैदान में बिहार को विशेष राज्य के दर्जे के लिए अधिकार रैली भी की थी। हमारी माँग पर तत्कालीन केन्द्र सरकार ने इसके लिए रघुराम राजन कमेटी भी बनाई थी जिसकी रिपोर्ट सितम्बर, 2013 में प्रकाशित हुई थी, परन्तु उस समय भी तत्कालीन केन्द्र सरकार ने इसके बारे में कुछ नहीं किया।'

 ''देश में पहली बार बिहार में जाति आधारित गणना का काम कराया गया है। जाति आधारित गणना के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक स्थिति के आंकड़ों के आधार पर अनुसूचित जाति के लिये आरक्षण सीमा को 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षण की सीमा को 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षण की सीमा को 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत तथा पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षण की सीमा को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है अर्थात सामाजिक रूप से कमजोर तबकों के लिये आरक्षण सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया है। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिये 10 प्रतिशत आरक्षण पूर्ववत लागू रहेगा। अर्थात इन सभी वर्गो के लिए कुल आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है। 

जाति आधारित गणना में सभी वर्गों को मिलाकर बिहार में लगभग 94 लाख गरीब परिवार पाये गये हैं, उन सभी परिवार के एक सदस्य को रोजगार हेतु 2 लाख रूपये तक की राशि किश्तों में उपलब्ध करायी जायेगी। 63,850 आवासहीन एवं भूमिहीन परिवारों को जमीन क्रय के लिए दी जा रही 60 हजार रूपये की राशि की सीमा को बढ़ाकर 1 लाख रूपये कर दिया गया है। साथ ही इन परिवारों को मकान बनाने के लिए 1 लाख 20 हजार रूपये दिये जायेंगे। 

जो 39 लाख परिवार झोपड़ियों में रह रहे हैं उन्हें भी पक्का मकान मुहैया कराया जायेगा जिसके लिए प्रति परिवार 1 लाख 20 हजार रूपये की दर से राशि उपलब्ध करायी जायेगी। सतत् जीविकोपार्जन योजना के अन्तर्गत अत्यंत निर्धन परिवारों की सहायता के लिए अब 01 लाख रूपये के बदले 02 लाख रूपये दिये जायेंगे। इन योजनाओं के क्रियान्वयन में लगभग 2 लाख 50 हजार करोड़ रूपये की राशि व्यय होगी। 

इन कामों के लिये काफी बड़ी राशि की आवश्यकता होने के कारण इन्हें 5 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यदि केन्द्र सरकार द्वारा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाय तो हम इस काम को बहुत कम समय में ही पूरा कर लेंगे। हमलोग बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की माँग वर्ष 2010 से ही कर रहे हैं। इसके लिए 24 नवम्बर, 2012 को पटना के गाँधी मैदान में तथा 17 मार्च, 2013 को दिल्ली के रामलीला मैदान में बिहार को विशेष राज्य के दर्जे के लिए अधिकार रैली भी की थी। हमारी माँग पर तत्कालीन केन्द्र सरकार ने इसके लिए रघुराम राजन कमेटी भी बनाई थी जिसकी रिपोर्ट सितम्बर, 2013 में प्रकाशित हुई थी परन्तु उस समय भी तत्कालीन केन्द्र सरकार ने इसके बारे में कुछ नहीं किया। मई, 2017 में भी हमलोगों ने विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिखा था। आज कैबिनेट की बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने हेतु केन्द्र सरकार से अनुरोध करने का प्रस्ताव पारित किया गया है। मेरा अनुरोध है कि बिहार के लोगों के हित को ध्यान में रखते हुये केन्द्र सरकार बिहार को शीघ्र विशेष राज्य का दर्जा दे।''

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने सीधे तौर पर कांग्रेस को ठहराया जिम्मेवार,

डेस्क : बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीते कई वर्षों से कर रहे है। अब एकबार फिर उन्होंने इस मांग की बात उठाई है। वहीं उन्होंने अबतक बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने के लिए सीधे-सीधे कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि कांग्रेस के शासन में विशेष राज्य के दर्जा देने के लिए कमेटी बनी, कमेटी ने रिपोर्ट भी दिया, इसके बाद भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया गया।

आम तौर पर नीतीश कुमार पर ज्यादा एक्टिव नहीं रहते हैं। लेकिन आज कैबिनेट मीटिंग में विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर प्रस्ताव पारित होने के बाद मुख्यमंत्री ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर लंबा चौड़ा पोस्ट किया है। अपने एक्स हैंडल पर सीएम नीतीश कुमार ने लिखा कि 'हमलोग बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की माँग वर्ष 2010 से ही कर रहे हैं। इसके लिए 24 नवम्बर, 2012 को पटना के गाँधी मैदान में तथा 17 मार्च, 2013 को दिल्ली के रामलीला मैदान में बिहार को विशेष राज्य के दर्जे के लिए अधिकार रैली भी की थी। हमारी माँग पर तत्कालीन केन्द्र सरकार ने इसके लिए रघुराम राजन कमेटी भी बनाई थी जिसकी रिपोर्ट सितम्बर, 2013 में प्रकाशित हुई थी, परन्तु उस समय भी तत्कालीन केन्द्र सरकार ने इसके बारे में कुछ नहीं किया।'

''देश में पहली बार बिहार में जाति आधारित गणना का काम कराया गया है। जाति आधारित गणना के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक स्थिति के आंकड़ों के आधार पर अनुसूचित जाति के लिये आरक्षण सीमा को 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षण की सीमा को 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षण की सीमा को 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत तथा पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षण की सीमा को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है अर्थात सामाजिक रूप से कमजोर तबकों के लिये आरक्षण सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया है। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिये 10 प्रतिशत आरक्षण पूर्ववत लागू रहेगा। अर्थात इन सभी वर्गो के लिए कुल आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है।

जाति आधारित गणना में सभी वर्गों को मिलाकर बिहार में लगभग 94 लाख गरीब परिवार पाये गये हैं, उन सभी परिवार के एक सदस्य को रोजगार हेतु 2 लाख रूपये तक की राशि किश्तों में उपलब्ध करायी जायेगी। 63,850 आवासहीन एवं भूमिहीन परिवारों को जमीन क्रय के लिए दी जा रही 60 हजार रूपये की राशि की सीमा को बढ़ाकर 1 लाख रूपये कर दिया गया है। साथ ही इन परिवारों को मकान बनाने के लिए 1 लाख 20 हजार रूपये दिये जायेंगे।

जो 39 लाख परिवार झोपड़ियों में रह रहे हैं उन्हें भी पक्का मकान मुहैया कराया जायेगा जिसके लिए प्रति परिवार 1 लाख 20 हजार रूपये की दर से राशि उपलब्ध करायी जायेगी। सतत् जीविकोपार्जन योजना के अन्तर्गत अत्यंत निर्धन परिवारों की सहायता के लिए अब 01 लाख रूपये के बदले 02 लाख रूपये दिये जायेंगे। इन योजनाओं के क्रियान्वयन में लगभग 2 लाख 50 हजार करोड़ रूपये की राशि व्यय होगी।

इन कामों के लिये काफी बड़ी राशि की आवश्यकता होने के कारण इन्हें 5 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यदि केन्द्र सरकार द्वारा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाय तो हम इस काम को बहुत कम समय में ही पूरा कर लेंगे। हमलोग बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की माँग वर्ष 2010 से ही कर रहे हैं। इसके लिए 24 नवम्बर, 2012 को पटना के गाँधी मैदान में तथा 17 मार्च, 2013 को दिल्ली के रामलीला मैदान में बिहार को विशेष राज्य के दर्जे के लिए अधिकार रैली भी की थी। हमारी माँग पर तत्कालीन केन्द्र सरकार ने इसके लिए रघुराम राजन कमेटी भी बनाई थी जिसकी रिपोर्ट सितम्बर, 2013 में प्रकाशित हुई थी परन्तु उस समय भी तत्कालीन केन्द्र सरकार ने इसके बारे में कुछ नहीं किया। मई, 2017 में भी हमलोगों ने विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिखा था। आज कैबिनेट की बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने हेतु केन्द्र सरकार से अनुरोध करने का प्रस्ताव पारित किया गया है। मेरा अनुरोध है कि बिहार के लोगों के हित को ध्यान में रखते हुये केन्द्र सरकार बिहार को शीघ्र विशेष राज्य का दर्जा दे।''

बड़ी खबर : कैबिनेट की बैठक खत्म, इन महत्वपूर्ण एजेंडों पर लगी मुहर

डेस्क : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में चल रही कैबिनेट की बैठक खत्म हो गई है। मंत्रिपरिषद की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं। बिहार के सरकारी सेवकों के लिए सरकार ने महंगाई भत्ता मे इंजाफ़ा किया है। कैबिनेट ने चार फीसदी महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी का प्रस्ताव पास किया है। डीए को 42 फीसदी से 46 प्रतिशत कर दिया गया है। 1 जुलाई 2023 के प्रभाव से यह लाभ दिया जाएगा। 

नीतीश कैबिनेट ने अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग को पद एवं सेवाओं की रिक्त में आरक्षण,नामांकन में आरक्षण संशोधन अधिनियम को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए राज्य सरकार की अनुशंसा भेजने का प्रस्ताव पास किया है।

बर्खास्त न्यायिक दंडाधिकारी अंचल द्विवेदी को फिर से सेवा में बहाल करने की स्वीकृति दी गई है। बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेज एवं पॉलीटेक्निक संस्थानों के लिए परामर्शी नीति की स्वीकृति दी गई है। सुदूर पंचायत एवं प्रखंड को जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर 3600 बसों पर सरकार अनुदान देगी। प्रति बस ₹500000 का अनुदान भुगतान के लिए 180 करोड़ की स्वीकृति मुख्यमंत्री प्रखंड परिवहन योजना के तहत दी गई है।

मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र की स्थापना के लिए 100 करोड रुपए बजट का प्रबंध अनुदान के रूप में किया गया है। भवन प्रमंडल राजेंद्र नगर पटना के तत्कालीन सहायक अभियंता बृजा सिंह को निगरानी ने 2017 में ही गिरफ्तार किया था। कोर्ट के आदेश के बाद अब उन्हें सेवा से बर्खास्तगी का दंड दिया गया है। 

बिहार लॉजिस्टिक पॉलिसी 2023 के गठन की स्वीकृति दी गई है। प्रशासनिक कार्यों के संपादन के लिए मोबाइल फोन की अनुमान्यता एवं उसकी खरीद के लिए निर्धारित राशि को बढ़ाया गया है। पटना हाई कोर्ट में अनुवादक के 60 पद एवं अनुवादक सह प्रूफ्र रीडर के 20 पद कुल 80 पदों की सृजन की स्वीकृति दी गई है।

छठ के बाद रेल में बढ़ी यात्रियों की भारी भीड़, सुरक्षा के लिए विभिन्न स्टेशनों पर तैनात किए गये 1 हजार पुलिसकर्मी

डेस्क : छठ पर्व के समापन के बाद अब परदेश के अपने-अपने घरों पर आए लोग काम-धंधे पर लौटने लगे है। जिसकी वजहर से रेलवे में भारी भीड़ उमड़नी शुरु हो गई है। रेलवे स्टेशनों पर बढ़ रही यात्रियों की भीड़ को देखते हुए रेल पुलिस ने सुरक्षा इंतजाम को सख्त कर दिया है। प्लेटफार्म से लेकर ट्रेनों की सुरक्षा को लेकर विभिन्न स्टेशनों पर एक हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। खासकर राजधानी पटना के राजेंद्रनगर, पाटलिपुत्र, दानापुर व पटना जंक्शन पर रेल पुलिस विशेष नजर रख रही है।

रेल एसपी अमृतेंदु शेखर ठाकुर ने बताया कि जिन ट्रेनों में ज्यादा भीड़ है उनमें अतिरिक्त बलों की ड्यूटी लगाई गई है। इसके अलावा ट्रेनों में लाइन लगाकर यात्रियों को चढ़ाया जा रहा है, ताकि किसी तरह का हादसा न हो। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर रेल पुलिस और आरपीएफ संयुक्त रूप से कार्रवाई कर रही है। आरपीएफ की ओर से भी अतिरिक्त जवानों को सुरक्षा व्यवस्था के लिये लगाया गया है। पटना जंक्शन पर प्लेटफॉर्म नंबर एक और दस पर कंट्रोल रूम बनाया गया है। ट्रेनों में सक्रिय साइबर गिरोह पर भी नजर रखी जा रही है। दरअसल भीड़ के वक्त इस गैंग के सदस्य यात्रियों का मोबाइल चोरी कर रुपये उड़ा लिये जाते हैं।

उन्होंने बताया कि रेल पुलिस भीड़ के वक्त सक्रिय रहने वाले नशाखुरानी गिरोह के अपराधियों पर खास नजर रख रही है। उन्होंने यात्रियों से अपील की है कि अपरिचित लोगों से ट्रेन के भीतर दोस्ती न करें। खासकर अगर कोई कुछ खाने को दें तो उससे परहेज करें। यह गिरोह सामान लेकर फरार हो जाता है।

डीएम की सरकारी गाड़ी ने चार लोगों को रौंदा, तीन की मौत

डेस्क : बिहार के मधेपुरा जिले से एक बड़ी घटना सामने आई है। जहां बीते मंगलवार सुबह करीब 8 बजे फुलपरास थाना चौक से पूरब एनएच-57 पर जिले के डीएम विजय प्रकाश मीणा के सरकारी वाहन ने मां-बेटी समेत चार लोगों को कुचल दिया। इनमें तीन की मौत हो गई। मां व तीन साल की मासूम की मौके पर ही जान चली गई, जबकि घायल दो मजदूरों में से एक ने इलाज के दौरान दरभंगा में दम तोड़ दिया। 

एसपी सुशील कुमार के निर्देश पर मंगलवार देर रात एफआईआर दर्ज की गई। मृतिका की गोतनी मीणादेवी के फर्दबयान पर वाहन चालक पर हिट एंड रन मामले में केस दर्ज किया गया है। इसकी पुष्टि फुलपरास थानाध्यक्ष ललन प्रसाद चौधरी ने की है। चालक पर लापरवाही से गाड़ी चलाने का आरोप लगाया गया है। अभी तक चालक का नाम उजागर नहीं हुआ है।

ग्रामीणों के अनुसार, हादसे के बाद गाड़ी के चालक समेत उसमें बैठे दो लोग भाग निकले। आक्रोशित लोगों ने एनएच जाम कर प्रदर्शन किया। डीएम ने कहा कि उनकी गाड़ी मरम्मत के लिए गई थी, हादसे के समय वह उसमें नहीं थे।

आज से स्कूलों में पढ़ाना शुरु करेंगे बीपीएससी से बहाल 1.20 लाख शिक्षक

डेस्क : आज बुधवार से राज्य के विभिन्न स्कूलों करीब एक लाख नए शिक्षक बच्चों को पढ़ाना शुरू करेंगे। ये सभी शिक्षक बीपीएससी की लिखित परीक्षा में सफल होकर आये हैं। विभाग का निर्देश था कि दिवाली और छठ की छुट्टी के बाद जब स्कूल खुलें तो ये शिक्षक अपनी सेवा दें। इसी के अनुरूप जिलों ने कार्रवाई की है।

शिक्षा विभाग द्वारा आवंटित स्कूलों में शिक्षकों ने योगदान दिया है। जिलों द्वारा एक लाख दस हजार नियुक्तिपत्र तैयार किये हैं, जिन्हें प्राप्त कर शिक्षक अपने स्कूल में योगदान किये हैं। सूचना के अनुसार करीब एक लाख शिक्षकों ने योगदान कर लिया है। इसकी विस्तृत रिपोर्ट विभाग ने जिलों से मांगी है। बिहार लोक सेवा आयोग से एक लाख 20 हजार 336 शिक्षक अभ्यर्थी चयनित हुए थे। इनमें से एक लाख दस हजार ने ही औपबंधिक नियुक्तिपत्र प्राप्त किया है।

विभाग का जिलों को निर्देश था कि औपबंधिक नियुक्तपत्र प्राप्त करने वाले सभी शिक्षकों का 21 नवंबर तक योगदान करा दें। कुल चयनित में प्राथमिक शिक्षक (वर्ग 1-5) 70545, माध्यमिक शिक्षक (वर्ग 9-10) 26089 और उच्च माध्यमिक शिक्षकों (वर्ग 11-12) की संख्या 23,702 है। हालांकि खबर लिखे जाने तक मुख्यालय को यह रिपोर्ट नहीं मिल पायी है कि मंगलवार तक कुल कितने शिक्षकों ने योगदान कर लिया है।

नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा की सरकार से मांग, अपराधी की गोली से मौत होने पर सरकार करे मुआवजा का प्रावधान

डेस्क : बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष वभाजपा विधानमंडल दल के नेता विजय कुमार सिन्हा ने प्रशासनिक अराजकता एवं अपराधी की गोली से मौत होने पर सरकार मुआवजा का प्रावधान करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि मृतक के परिवार में बिलखती विधवा, सिसकते बच्चे कराहते माता-पिता को कोई देखने वाला नहीं है। उनके लिए रोजी-रोटी का इंतज़ाम करने वाले का दुनियां से चले जाने पर परिवार की दयनीय स्थिति के कारण मुआवजा जरुरी है।

श्री सिन्हा ने कहा कि बिहार में अपराधी बेख़ौफ़ और खुलेआम घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। प्रशासन से उनका डर भय बिलकुल ख़त्म हो चुका है। हाल ही में पटना के बिक्रम निवासी देवराज यादव की हत्या थाना परिसर से निकलते ही कर दी गयी तो दूसरी ओर मुंगेर में बीएमपी जवान बबलू यादव की हत्या थाना से महज 200 मीटर की दूरी पर कर दी गयी। ऐसी घटनाओं से यह सिद्ध हो गया है कि बिहार में हो रही आपराधिक घटनाओं में प्रशासन का अपराधियों को पूर्ण संरक्षण प्राप्त है। अपराधी को बचाने और पैसे के दोहन से पुलिस का भय खत्म हो गया है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्य में रोज हो रही नृशंस हत्याओं से पूरा बिहार थर्रा उठा है। सिन्हा ने कहा कि 10 अगस्त 2022 को राज्य में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद हत्या एवं अपराध की वारदातों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। 15 महीनों में बिहार में जंगल राज की याद ताज़ा हो गयी है। पटना, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर सहित राज्य के सभी जिलों में रोज हत्याएं हो रही है। सरकार के द्वारा हत्याओं का आंकड़ा कम कर दिखाया जाता है। 7000 से अधिक लोग अपराधियों के गोली के शिकार हुए हैं। अपराधियों की नज़र में पुलिस और पब्लिक में कोई फर्क नहीं पड़ता है। जमुई में हाल ही में दारोगा की हुई हत्या इसका उदाहरण है।

उन्होंने कहा कि राज्य में शराब बंदी के बावजूद जहरीली शराब उपलब्ध होना सरकार की विफलता को दर्शाता है। छपरा,सीवान, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, दरभंगा, बेगूसराय, गोपालगंज, मोतीहारी सहित कई अन्य जिलों में जहरीली शराब पीने से सैंकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है।

बताते चले कि भाजपा के लगातार आंदोलन के बाद जहरीली शराब से होने वाले मौत पर मुआवजा का प्रावधान किया गया है। सिन्हा ने कहा कि जब तक अपराध और भ्रष्टाचार नहीं रुकेगा, निवेशक पलायन करते रहेंगे और युवा अपराध की ओर बढ़ते रहेंगे। राज्य की सरकार इस हालात के लिए जिम्मेवार है।

आरक्षण (संशोधन) अधिनियम-2023 के प्रावधानों को लागू करने के लिए सीएम ने उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की, अधिकारियों को दिए जरुरी निर्देश

डेस्क : बिहार में हुई जातीय गणना सर्वे के बाद आरक्षण को बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने का नीतीश सरकार का निर्णय आज मंगलवार से लागू हो गया। एससी-एसटी, EBCऔर ओबीसी के आरक्षण को 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी करने और EWS के लिए 10 फीसदी का कोटा रखने को लेकर बिहार गजट में इसे प्रकाशित कर दिया गया है। वही आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के सभी सरकारी विभागों में आरक्षण (संशोधन) अधिनियम-2023 के प्रावधानों को लागू करने के लिए उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये।

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में सभी दलों की सहमति से जाति आधारित गणना कराई गई। जाति आधारित गणना की रिपोर्ट आने के बाद बिहार विधानसभा और बिहार विधान परिषद् में उस पर चर्चा की गई और उसके आधार पर सभी वर्गों की स्थिति को ध्यान में रखकर आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 75 प्रतिशत तक किया गया। दोनों सदनों से यह विधेयक सर्वसम्मति से पारित कराया गया और इसका गजट प्रकाशित हो चुका है। सभी विभाग इसको ध्यान में रखते हुए आरक्षण अधिनियम के प्रावधानों को पूर्णतः लागू करें ताकि लोगों को इसका तेजी से लाभ मिले।

सीएम ने कहा कि कानून व्यवस्था को बेहतर बनाया गया है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि राज्य में लॉ एंड ऑर्डर को हर स्थिति में कायम रखें। जो भी व्यक्ति गड़बड़ करते हैं चाहे वे कोई भी हों उन पर सख्त कार्रवाई करें। समाज में प्रेम और भाईचारे का माहौल कायम किया गया। उन्होंने कहा कि मंदिर और कब्रिस्तान की घेराबंदी कराई गई है जो बचे हुए हैं उनकी घेराबंदी भी जल्द कराएं। राज्य में कई आईकोनिक बिल्डिंग बनाई गई है। कई नये सरकारी भवनों बनाए गए हैं। सभी का ठीक ढंग से मेंटेनेंस करवाएं। बेहतर पथों के निर्माण के साथ-साथ उसका मेंटेनेंस भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि बच्चों को हर हालत में बेहतर शिक्षा जरूरी है। स्कूलों में पठन-पाठन का कार्य बेहतर ढंग से कराएं। साथ ही सभी अभिभावकों को प्रेरित करें कि अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जाति आधारित गणना में लोगों की आर्थिक स्थिति की भी गणना करायी गयी है जिसके आधार पर तय किया गया है कि प्रत्येक गरीब परिवार को दो लाख रुपये की राशि उपलब्ध कराई जाएगी। भूमिहीन परिवारों को मकान बनाने के लिए जमीन क्रय हेतु एक लाख रुपये की राशि उपलब्ध कराई जाएगी। सतत् जीविकोपार्जन योजना के प्रत्येक लाभार्थी को 2 लाख रूपये तक का लाभ दिया जायेगा। राज्य में अब तक 1 करोड़ 30 लाख जीविका दीदियां स्वयं सहायता समूह से जुड़ चुकी हैं, अब 1 करोड़ 50 लाख जीविका दीदियों को स्वयं सहायता समूह से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। शहरों में भी अब स्वयं सहायता समूह का गठन किया जाएगा।

कहा कि वर्ष 2005 ई0 में सरकार में आने के बाद से राज्य सरकार सभी वर्गों के लिए न्याय के साथ विकास का कार्य कर रही है। सभी जाति एवं सभी वर्गों के हित के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि 12.5 प्रतिशत बच्चे स्कूल से बाहर थे, जिन्हें स्कूल पहुंचाया गया और अब स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या आधे प्रतिशत से भी कम हो गयी है। जब सर्वे कराया गया तो पता चला कि पति-पत्नी में अगर पत्नी मैट्रिक पास है तो देश की प्रजनन दर 2 थी और बिहार की भी प्रजनन दर 2 थी। पति-पत्नी में अगर पत्नी इंटर पास है तो देश की प्रजनन दर 1.7 थी और बिहार की प्रजनन दर 1.6 थी। इसको ध्यान में रखते हुए लड़कियों की शिक्षा पर हमने काफी जोर दिया। लड़कियों के शिक्षित होने से राज्य की प्रजनन दर घटी है। महिलाओं के शिक्षित होने से न सिर्फ उनका भला होता है बल्कि पूरे परिवार एवं समाज का भला होता है। उन्होंने कहा कि राज्य में काफी संख्या में सड़कों और पुल-पुलियों का निर्माण कराया गया। राज्य के किसी भी हिस्से से पटना पहुंचने के लिए 6 घंटे का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया और अब 5 घंटे के लक्ष्य पर काम किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद राज्य का हरित आवरण क्षेत्र करीब 9 प्रतिशत था। काफी संख्या में पौधारोपण कराया गया और राज्य का हरित आवरण क्षेत्र अब 15 प्रतिशत से अधिक हो गया है। पहाड़ी क्षेत्रों में भी पौधों के बीजों का छिड़काव कर पौधारोपण किया गया। जल संरक्षण और हरियाली को बढ़ावा देने के लिए जल-जीवन-हरियाली अभियान चलाया जा रहा है। हर घर तक बिजली पहुंचा दी गई है। लोगों की स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सरकार द्वारा कई कार्य किए गए हैं। राज्य में शराबबंदी लागू की गई जिससे समाज का वातावरण बदला है। नीरा के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा रहा है और उससे बने हुए प्रोडक्ट को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।

बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव आमिर सुबहानी, पुलिस महानिदेशक आर०एस० भट्टी, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के०के० पाठक, जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सह गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ० एस० सिद्धार्थ, पथ निर्माण, आपदा प्रबंधन सह स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव डॉ० एन० सरवन कुमार, ग्रामीण कार्य विभाग के सचिव पंकज कुमार पाल, गृह विभाग के सचिव के० सेंथिल कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक, मुख्यालय जे०एस० गंगवार, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के सचिव विनोद सिंह गुंजियाल, सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव मो० सोहेल, भवन निर्माण विभाग के सचिव कुमार रवि सहित अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे।