कटकमसांडी के आराभूसाई पंचायत के ग्राम बारिकोला झोंझी स्थित भेलवारी टोला में आयोजित हुआ भव्य जतरा मेला
हजारीबाग: कटकमसांडी प्रखंड के आराभूसाई पंचायत के ग्राम बारिकोला झोंझी स्थित भेलवारी टोला अखाड़ा में बुधवार को स्थानीय वनवासी कल्याण केन्द्र सरना समिति आदिवासी कुटुम्ब जतरा मेला का भव्य आयोजन हर साल की भांति इस साल भी पारंपरिक तरीके से किया गया। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि समाजसेवी श्रद्धानंद सिंह और विशिष्ठ अतिथि के रूप में वनवासी कल्याण केन्द्र से जुडे़ चंद्रेश्वर मुंडा, कटकमसांडी विधायक प्रतिनिधि किशोरी राणा सहित अन्य गणमान्य लोग शामिल हुए और पाहन रामलखन मुंडा के अगुवाई में पारंपरिक विधि- विधान से सरना अखड़ा में पूजा-अर्चना करके और धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के तस्वीर पर माल्यार्पण और पुष्पार्पण कर नमन करके जतरा मेला की शुरुआत कराया।
मेला में समाजसेवी श्रद्धानंद सिंह सहित का अन्य अतिथियों के यहां पहुंचने पर स्थानीय समिति के लोगों ने अनोखे अंदाज में पारंपरिक वाद्ययंत्र और वेशभूषा से लिप्त होकर पारंपरिक आदिवासी रीति- रिवाज से नृत्य- संगीत के जरिए अनोखे अंदाज में भव्य स्वागत किया ।
तत्पश्चात जतरा स्थल पर मुख्य कलाकार के रूप में पहुंचे कटकमसंडी प्रखंड सहित आसपास के क्षेत्र से पहुंचे कई नृत्य टीम के साथ रंगारंग सांस्कृतिक झूमर नृत्य कर उपस्थित लोगों को नाचने और झूमने को मजबूर कर दिया। नृत्य टीमों की मनोरम प्रस्तुति को देख श्रद्धानंद सिंह खुद को रोक नहीं सके और उनके बीच पहुंचकर भी झूम उठे और ढोल, नगाड़े और मांदर की गड़गड़ाहट के बीच अपने पैरों को खुद थिरकने का मौका दिया। श्रद्धानन्द सिंह ने जमकर मांदर पर थाप लगाया और खुद झूमे ।
मौके पर बतौर मुख्य अतिथि समाजसेवी श्रद्धानंद सिंह ने
संबोधित करते हुए कहा कि जल, जंगल और जमीन से जुड़ा आदिवासी समुदाय का अपना एक अलग पारंपरिक रीति-रिवाज है। आपकी संस्कृति ही आपकी पहचान है। खेती- बारी के कार्यों से निपटने के बाद मन को सुकून और शरीर का थकान दूर करने हेतु उल्लास और उमंग के साथ जतरा मेला का आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि जतरा मेला जहाँ मनोरंजन का साधन है वहीं अपनी पारंपरिक संस्कृति को जीवंत रखने का एक वृहत माध्यम है।
श्रद्धानंद सिंह ने यह भी कहा कि आज हम अपनी संस्कृति को भुलाकर पाश्चात्य संस्कृति को तेज़ी से अपना रहे हैं। लेकिन हमारी संस्कृति हमारी विरासत है हमारी पहचान है इससे कभी भी दूर नहीं जाना चाहिए। जतरा मेला के माध्यम से नाच- गान के साथ अपनी एकता- अखंडता को बरकरार रखते हुए मनोरंजन करते थे। लेकिन धीरे-धीरे या परंपरा टूटने लगी है। विशेषकर युवा पीढ़ी पश्चात संस्कृति की ओर अधिक हावी हो रहा है।
उन्होंने कहा की अपनी पहचान को मिटाकर हम कभी भी काबिल नहीं हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा की हजारीबाग गौसाला परिसर में जनजातीय बच्चों के हितों के लिए विशेष बोर्डिंग स्कूल का निर्माण किया जा रहा है जहां भारतीय प्राचीन संस्कृति के साथ गुरुकुल पद्धति की शिक्षा प्रदान की जायेगी ।
चन्द्रेश्वर मुंडा ने आदिवासी प्राचीन संस्कृति और जतरा मेला के इतिहास को विस्तार से रखा। कटकमसांडी विधायक प्रतिनिधि किशोरी राणा ने बताया की आदिवासी संस्कृति और सभ्यता झारखंड का धरोहर है और इसे अच्छुन्न रखने के लिए हजारीबाग सदर विधायक मनीष जायसवाल
कृतसंकल्पित हैं।
उन्होंने बताया की भेलवारी का यह सरना अखड़ा स्थल जीर्ण शीर्ण अवस्था में था लेकिन ग्रामीणों के आग्रह पर हजारीबाग सदर विधायक मनीष जायसवाल के सहयोग से इसका समतलीकरण कराया गया । उक्त जतरा मेले में भारी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी। मेले में ठेले, खोमचे और मिठाई की अनेकों दुकानें सजी थी। मेला मैदान में स्थानीय लोग अलग - अलग अंदाज में नृत्य करते देखें गए ।
Nov 15 2023, 17:52