बदल रहा है मौसम रहिए सतर्क संदर्भ : गर्मी का जाना और ठंड का आना
मौसम में बदलाव होने का असर सभी लोगों पर पड़ता है। चाहे वह बच्चे हों, जवान हों, अधेड़ हों या बुजुर्ग सभी संक्रमित हो जाते हैं ।  मौसम हमारे शरीर ,मन और भावनाओं सबको प्रभावित करता है ।  मौसम के  बदलने पर अक्सर मौसमी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों से लेकर बड़े तक सभी इस समय बीमारियों का शिकार हो सकते हैं । 
मौसमी फल और सब्जियों का करें सेवन : बदलते मौसम में हेल्दी रहने के लिए मौसमी फल और सब्जियां स्वस्थ रहने के लिए बहुत ही जरूरी हैं इससे आपको मौसमी बीमारियों से निपटने में भरपूर ताकत मिलेगी । 
पानी खूब पीएं : चाहे मानसून हो या गर्मी या सर्दी आपको नियमित रूप से दो से तीन लीटर तक पानी अवश्य पीना पीना चाहिए ।  पानी पीने का कोई ऑप्शन नहीं हो सकता। वही काम और व्यस्तताओं के बीच हम आराम करना भूल जाते हैं ।  अनुशासित जीवन स्वस्थ जीवन की कुंजी है इसलिए उचित दिनचर्या बनाएं और शरीर को आराम के लिए कुछ समय दें ।
ठंड का मौसम सेहत के लिए लिहाज से काफी मुफीद माना जाता है लेकिन जरा सी लापरवाही आपकी सेहत पर भारी पड़ सकती है ।  इस मौसम में सर्दी ,खांसी, बुखार जैसी बीमारियों का खतरा अधिक रहता है । ठंड से बचने के लिए सिर्फ गर्म कपड़े ही काफी नहीं होते बल्कि खान-पान में अभी बदलाव जरूरी है, क्योंकि बाहर के साथ-साथ बॉडी को  भीतर से  भी गर्म रखना बहुत जरूरी होता  है ।  ठंड में गुड़ का सेवन करना लाभप्रद माना जाता है ।  गुड में मिनरल और विटामिन होते हैं जो सर्दी, जुकाम, अस्थमा आदि से हमें बचाते हैं । ठंड में गर्म तासीर वाली चीजें जैसे अदरक ,लहसुन ,नट्स, हल्दी , खजूर आदि का सेवन शरीर के लिए फायदेमंद रहता है । ठंड में लोंग ,तुलसी ,काली मिर्च और अदरक से बनी चाय का सेवन करें। वहीं मौसमी बीमारियों से बचने के लिए शारीरिक रूप से एक्टिव रहे । और अंत में
स्वस्थ रहें और मस्त रहें।
बदल रहा है मौसम रहिए सतर्क संदर्भ : गर्मी का जाना और ठंड का आना
मौसम में बदलाव होने का असर सभी लोगों पर पड़ता है। चाहे वह बच्चे हों, जवान हों, अधेड़ हों या बुजुर्ग सभी संक्रमित हो जाते हैं ।  मौसम हमारे शरीर ,मन और भावनाओं सबको प्रभावित करता है ।  मौसम के  बदलने पर अक्सर मौसमी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों से लेकर बड़े तक सभी इस समय बीमारियों का शिकार हो सकते हैं । 
मौसमी फल और सब्जियों का करें सेवन : बदलते मौसम में हेल्दी रहने के लिए मौसमी फल और सब्जियां स्वस्थ रहने के लिए बहुत ही जरूरी हैं इससे आपको मौसमी बीमारियों से निपटने में भरपूर ताकत मिलेगी । 
पानी खूब पीएं : चाहे मानसून हो या गर्मी या सर्दी आपको नियमित रूप से दो से तीन लीटर तक पानी अवश्य पीना पीना चाहिए ।  पानी पीने का कोई ऑप्शन नहीं हो सकता। वही काम और व्यस्तताओं के बीच हम आराम करना भूल जाते हैं ।  अनुशासित जीवन स्वस्थ जीवन की कुंजी है इसलिए उचित दिनचर्या बनाएं और शरीर को आराम के लिए कुछ समय दें ।
ठंड का मौसम सेहत के लिए लिहाज से काफी मुफीद माना जाता है लेकिन जरा सी लापरवाही आपकी सेहत पर भारी पड़ सकती है ।  इस मौसम में सर्दी ,खांसी, बुखार जैसी बीमारियों का खतरा अधिक रहता है । ठंड से बचने के लिए सिर्फ गर्म कपड़े ही काफी नहीं होते बल्कि खान-पान में अभी बदलाव जरूरी है, क्योंकि बाहर के साथ-साथ बॉडी को  भीतर से  भी गर्म रखना बहुत जरूरी होता  है ।  ठंड में गुड़ का सेवन करना लाभप्रद माना जाता है ।  गुड में मिनरल और विटामिन होते हैं जो सर्दी, जुकाम, अस्थमा आदि से हमें बचाते हैं । ठंड में गर्म तासीर वाली चीजें जैसे अदरक ,लहसुन ,नट्स, हल्दी , खजूर आदि का सेवन शरीर के लिए फायदेमंद रहता है । ठंड में लोंग ,तुलसी ,काली मिर्च और अदरक से बनी चाय का सेवन करें। वहीं मौसमी बीमारियों से बचने के लिए शारीरिक रूप से एक्टिव रहे । और अंत में
स्वस्थ रहें और मस्त रहें।
दीपावली व महापर्व छठ घर कैसे आएंगे परदेसी संदर्भ : ट्रेनों में सीट नहीं विमान किराया भी बढ़ा
भारत त्योहारों का देश है ।  यहां हर त्योहार परिवार के सभी सदस्य एक साथ मिलकर मनाते हैं ।  वहीं जो बाहर रहते हैं वह भी समय पर अपने पैतृक गांव जाकर परिजनों के साथ त्योहार का आनंद उठाते हैं ।  ज्ञात हो कि इस साल दीपावली 12 नवंबर तथा महापर्व छठ की शुरुआत 17 नवंबर को नहाए - खाए के साथ होगी । यह दोनों ही पर्व ऐसे हैं जो परिवार के साथ मनाए जाते हैं। घर से बाहर रहने वाले भी अपने कार्यों से छुट्टी लेकर पहले से ही घर आ जाना चाहते हैं ।
कैसे आएंगे घर :  ज्ञात हो कि दिल्ली , कोलकाता ,मुंबई, अहमदाबाद , बेंगलुरु समेत अन्य शहरों में बिहार के लोग बड़ी संख्या में कार्य करते हैं और सभी पर्व- त्योहार पर अपने घर आना चाहते हैं , मगर उन शहरों से बिहार आने के लिए दीपावली से लेकर छठ तक ट्रेनों में कोई सीट ही उपलब्ध नहीं है ,वहीं हवाई जहाज का किराया भी तिगुना- चौगान हो गया है । अधिकतर ट्रेनों में छठ से पहले के टिकट बुक हो चुके हैं या लंबी वेटिंग लिस्ट है । 
यात्रियों को मिलेगी राहत : वहीं यात्रियों की सहूलियत के लिए भारतीय रेलवे द्वारा दीपावली और छठ के मद्देनजर स्पेशल ट्रेनें बिहार के विभिन्न स्टेशनों से चलायी जाएंगी। साथ ही भीड़ को देखते हुए अतिरिक्त कोच भी विभिन्न ट्रेनों में जोड़े जाएंगे ।  इसके साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों से स्पेशल ट्रेनें भी चलायी जायेंगी।
यात्रा के दौरान रहें सावधान  : वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में यात्री जब छठ महापर्व पर बिहार आते हैं तो ट्रेनों में नशा खुरानी  गिरोह भी सक्रिय हो जाते हैं ।  इस गिरोह के सदस्य  यात्रियों  से जान - पहचान कर उन्हें नशीली चीजें  (  बिस्कुट, खैनी आदि ) खिलाकर बेहोश कर देते हैं और गिरोह के सदस्य उसका सामान लूट कर फरार हो जाते हैं। इसलिए इस अवसर पर यात्रियों को सावधान रहना चाहिए। साथ ही अपने सामान पर नजर रखनी चाहिए। अनजाने लोगों द्वारा मेलजोल बढ़ाने पर सावधान हो जाएं। साथ ही अनजान लोगों द्वारा दी गयी खाने- पीने की चीजों से परहेज करें और सुखद यात्रा का आनंद उठाएं।
वायु प्रदूषण से रहें सावधान हो सकते हैं बीमार संदर्भ : राजधानी पटना का एक्यूआई लेवल 200 के पार
वायु प्रदूषण का मतलब हवा में किसी भी भौतिक, रासायनिक या जैविक परिवर्तन है । यह हानिकारक गैसों और धूल द्वारा वायु का प्रदूषण होता है, जो मनुष्यों, जानवरों और पेड़ - पौधों पर असर डालता है । ज्ञात हो कि वायुमंडल में गैसों का निश्चित प्रतिशत मौजूद है । इन गैसों की संरचना में वृद्धि या कमी मानव अस्तित्व के लिए हानिकारक है । इस असंतुलन के कारण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हुई जिसे ग्लोबल वार्मिंग के नाम से जाना जाता है।
वायु प्रदूषण के कारण :  आवागमन के साधनों से निकलने वाली गैस  पर्यावरण को प्रदूषित करती हैं । वाहन ग्रीन हाउस गैसों के प्रमुख स्रोत हैं । इसके साथ ही  कारखाने- उद्योग भी कार्बन मोनोऑक्साइड ,कार्बनिक यौगिक, हाइड्रोकार्बन और रसायनों के मुख्य स्रोत है ।  इन्हीं से हवा की गुणवत्ता खराब होती है । वहीं घरेलू सफाई उत्पाद और पेंट में जहरीले रसायन होते हैं जो हवा में आसानी से फैल कर उसे प्रदूषित कर देते हैं ।
दूसरी ओर हवा में नमी बढ़ने के कारण वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगता है । नम हवा में धूल कणों की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ने लगी है ।
क्या पड़ता है प्रभाव : वायु प्रदूषण के कारण मनुष्यों में श्वसन संबंधी बीमारियां ,हृदय रोग ,फेफड़ों के कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं ।वहीं प्रदूषित क्षेत्रों के आसपास रहने वाले बच्चों में निमोनिया और अस्थमा का खतरा अधिक रहता है । साथ ही प्रदूषण का असर पेड़ - पौधों और जानवरों पर भी पड़ता है ।
क्या हो निदान : वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग किया जाए । दूसरी ओर ई वाहनों के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए ।  वहीं पेट्रोल और डीजल चालित वाहनों का प्रयोग बंद किया जाए और उसकी जगह सीएनजी वाले वाहनों को उपयोग में लाया जाए । साथ ही गोइंग ग्रीन जीवन शैली को अपनाना होगा अपनाना होगा ।
पौधे लगाएं : पेड़ - पौधे हवा की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं, इसलिए अधिक से अधिक पौधा रोपण करना चाहिए साथ ही हमें सौर ऊर्जा का आधिकारिक प्रयोग करना चाहिए। और अंत में वायु प्रदूषण को कम करना किसी एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं है । इसके लिए सभी को संवेदनशील होना होगा । वैसे सरकार भी इस समस्या को लेकर पहले से ही प्रयासरत है । सरकार की तरफ से वायु प्रदूषण कम करने के लिए सड़कों पर एंटी स्मोक गन से पानी का छिड़काव किया जाता है।
म्यूजिक थैरेपी से मन और तन दोनों होते हैं स्वस्थ संदर्भ : मरीजों की थमती सांसों में जान फूंक रहा संगीत मरीजों के स्वस्थ होने में लग रहा कम समय
संगीत के बारे में एक अच्छी बात यह है कि जब यह आप पर प्रभाव डालता है तो आपको कोई दर्द महसूस नहीं होता। आधुनिक युग में हुए  कई शोधों  से हमें  मालूम होता है कि संगीत सुनते वक्त मानव मस्तिष्क कुछ प्राकृतिक रसायन छोड़ता है। शरीर का तंत्रिका तंत्र एंडोर्फिन नामक रसायन का उत्सर्जन करता है जो दर्द और तनाव को कम करने में मदद करता है।
काफी कारगर है : संगीत थैरेपी तनाव को कम करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में काफी कारगर मानी जाती है। म्यूजिक थैरेपी सभी उम्र और जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों की मदद करती है। संगीत सुनने से मस्तिष्क के उन क्षेत्रों में रक्त प्रवाह बढ़ जाता है जो भावनाओं को उत्पन्न और नियंत्रित करते हैं।
संगीत चिकित्सा आमतौर पर काफी सुरक्षित होती है और इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है, लेकिन बहुत तेज या विशेष प्रकार का संगीत कुछ लोगों को परेशान कर सकता है।
संगीत सुनने से शरीर डोपामाइन नामक हार्मोन रिलीज करता है जो लोगों को अच्छा महसूस कराता है। संगीत सुनने से चिंता, रक्तचाप और दर्द कम हो सकता है। साथ ही नींद की गुणवत्ता, मानसिक सतर्कता और यादाश्त में सुधार हो सकता है।
सैड सांग्स ज्यादा कारगर : 2020 में प्रकाशित एक अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने ऐसे लोगों को विभिन्न प्रकार के शास्त्रीय संगीत सुनने को कहा जो पहले अवसाद से पीड़ित थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रतिभागियों ने अधिक तेज संगीत के बजाय सैड सांग्स ज्यादा पसंद किये क्योंकि उन्हें यह ज्यादा आरामदायक लगे। सैड सांग्स सुनने से लोगों को अपनी भावनाओं को स्वस्थ तरीके से अभिव्यक्त करने की ताकत मिलती है। सच में संगीत भगवान् की ऐसी देन है जो बीमार और अस्वस्थ मनुष्यों को नयी ताजगी और स्वास्थ्य दुबारा प्रदान करता है।
ध्वनि प्रदूषण से मानव व्यवहार में आ रहा परिवर्तन संदर्भ : दुर्गा पूजा में अत्यधिक रहा ध्वनि प्रदूषण
साधारणतया एक मनुष्य की क्षमता 30 से 40 डेसिबल ध्वनि सहन करने की होती है। इससे अधिक तीव्रता वाली ध्वनि मनुष्य पर हानिकारक प्रभाव डालती है। आधुनिक युग ने हमें उच्च शक्ति वाली मशीनों से परिचित करवाया। ये हमारे चारों तरफ हैं और इनसे उच्च ध्वनि निकलती है। हवाई अड्डा, रेलवे स्टेशन और कारखानों के आसपास रहने वाले लोग ध्वनि प्रदूषण के अधिक शिकार होते हैं। दुनिया भर में ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्रोत बड़ी- बड़ी मशीनें, परिवहन प्रणाली और प्रसार प्रणालियां हैं।
क्या होता है असर : ध्वनि प्रदूषण का वायुमंडल पर भी व्यापक असर पड़ता है। लोगों की श्रवण शक्ति कम होने लगती है। अनिद्रा की बीमारी हो सकती है। साथ ही हृदय रोग  तथा रक्तचाप की समस्याएं बढ़ जाती हैं। ध्वनि प्रदूषण केवल मनुष्यों पर ही बुरा प्रभाव नहीं डालता पशु- पक्षी भी इससे प्रभावित होते हैं। ध्वनि प्रदूषण का असर समुद्रीय जीवन फर भी पड़ता है।
कैसे करें कम : ध्वनि प्रदूषण के नकारात्मक प्रभावों को लेकर सरकार ने भी इसे कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाये हैं। साथ ही सरकार जागरूकता अभियान भी चला रही है। पौधारोपण से भी ध्वनि प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है। दूसरी तरफ ऐसी तकनीक का उपयोग करना होगा जिससे कम ध्वनि प्रदूषण हो। साथ ही ध्वनि अवशोषक का प्रयोग करना होगा। वहीं अनावश्यक ध्वनि पैदा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी होगी।
क्यों दरक रहे हैं पति और पत्नी के बीच के रिश्ते संदर्भ : सिपाही पत्नी की हत्या का मामला पत्नी की हत्या के बाद करना चाहता खुदकुशी
क्या प्रेम विवाह का अंत ऐसा होता है। क्यों दरक रहे हैं पत्नी और पति के रिश्ते। हाल के दिनों में आपसी संबंधों में मनमुटाव ज्यादा दिखायी दे रहा है। पति- पत्नी, भाई- भाई, पिता- पुत्र, मां-बेटी के बीच रिश्तों में कटुता धीरे- धीरे बढ़ती जा रही है।
पति - पत्नी का रिश्ता आपसी विश्वास पर टिका रहता है। जरा सी भी गलतफहमी से परिवार टूट जाते हैं। दोनों रेल की पटरियों की तरह होते हैं अगर पटरियां  सीधी हैं तो जिंदगी आराम से गुजर जाती है। वहीं पटरियां उबड़ - खाबड़ या टूटी हैं तो जिंदगी रूपी ट्रेन ड्रेल कर जाती है।
क्या हैं कारण : पति- पत्नी के बीच संबंध बिगड़ने के कुछ कारण हो सकते हैं : - शादी के बाद पति या पत्नी का किसी दूसरे के साथ संबंध होना, विचारों का नहीं मिलना, एक दूसरे को समय नहीं देना और यदि प्रेम विवाह हुआ है तो शादी से पहले सजाये सपने टूटने पर आये दिन झगड़ा होना।
कहते हैं कि शक का इलाज हकीम लुकमान के पास भी नहीं था। इस लिए अगर प्रेम विवाह किया गया है तो एक- दूसरे पर पूर्ण विश्वास भी होना चाहिए। कोशिश होनी चाहिए कि बीच में कोई तीसरा नहीं आये। आपसी कलह  बातचीत से दूर की जा सकती है।
आज एकल परिवार ज्यादा हैं। कोई बड़ा - बूढ़ा समझाने वाला नहीं है। जरा सी बहस हुई बस निकल गये घर छोड़कर। इससे समस्या का समाधान नहीं होता। आपस में बातें करें और कुछ समस्या नहीं सुलझ पाये तो काउंसलिंग करवा कर समस्या को दूर कर सकते हैं।

वक्त ही कुछ बेरहम सा हो रहा है।
जिसको देखो वही कांटे बो रहा है।।
आदमी की भीड़ में किस- किस से पूछें।
जिंदगी वो जी रहा या ढो रहा है।।
आटो में सफर करते हैं तो रहें सावधान संदर्भ : आटो गैंग ने विदेशी नागरिक को लूटा सूबे की छवि को कर रहे धूमिल
सावधानी हटी दुर्घटना घटी।अगर आपकी आटो में सफर करना मजबूरी है तो जरा सतर्क रहें।हाल के दिनों में बिहार की राजधानी पटना में आटो गैंग सक्रिय हो गया है।यह गिरोह यात्रियों को उनके गंतव्य  स्थान पर पहुंचाने के नाम पर सुनसान रास्ते में ले जाकर मारपीट कर सारा सामान लूट कर फरार हो जाता है।
अभी त्योहार सीजन चल रहा है।इसलिए आपको संभल कर सफर करने की जरूरत है।इस गिरोह के निशाने पर रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से अपने गंतव्य स्थान जाने वाले यात्री होते हैं। बाहर से आने वाले लोग ही इस गिरोह के शिकार बन जाते हैं।बैस्टिली सीजन में इस गिरोह की कारगुजारी बढ़ जाती है।
अतिथि देवो भव की भावना को लग रही ठेस : हाल की घटना एक विदेशी नागरिक के साथ हुई,जो बेल्जियम का निवासी था।वह गया से पटना आ रहा था। संपतचक से पटना जंक्शन जाने के क्रम में इलाही बाद के पास सुनसान सड़क पर उसके साथ मारपीट कर सारा सामान लूट कर भाग निकले।
पुलिस ने दो को पकड़ा : हालांकि पुलिस ने त्वरित कार्यवाही करते हुए दो लुटेरों को धर दबोचा है। पुलिस का कहना है कि गैंग के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। त्योहारी सीजन को ध्यान में रखते हुए सुनसान रास्तों पर गस्त बढ़ायी जा रही है।
बिहार की संस्कृति को करीब से महसूस करतीं हैं देश की राष्ट्रपति संदर्भ : चौथे कृषि रोड मैप का हुआ शुभारंभ
बुधवार को पटना में  देश की राष्ट्रपति ‌द्रौपदी मुर्मू ने बिहार की धरती से चौथे कृषि रोड मैप का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि इससे कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के साथ- साथ किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। राष्ट्रपति ने कहा कि बिहार भगवान् बुद्ध और राजा अशोक की धरती है, जिन्होंने पूरी मानव जाति को शांति और सद्भाव का पाठ पढ़ाया। इसलिए आज हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जहां आपसी कलह और द्वेष की कोई गुंजाइश ही नहीं हो।
कब-कब लागू हुआ कृषि रोड मैप--2008 में पहला, 2012 में दूसरा, 2017 में तीसरा और कोरोना के कारण एक साल के विलंब के कारण 2023 में चौथे कृषि रोड मैप का शुभारंभ हुआ।
मालूम हो कि पहले कृषि रोड मैप में किसान पंचायत के साथ- साथ उत्पादकता बढ़ाने की कोशिश की गयी। दूसरे कृषि रोड मैप में 18 विभागों को शामिल कर कृषि कैबिनेट का गठन किया गया। वहीं तीसरे कृषि रोड मैप में रासायनिक खादों के दुष्परिणाम से मानवता को बचाने के लिए आर्गेनिक खाद पर जोर दिया गया। वहीं चौथे कृषि रोड मैप, जो एक अप्रैल, 2023 से लागू होगा, जिसमें किसानों की आय बढ़ाना, उत्पादकता बढ़ाना आदि पर विशेष ध्यान दिया गया है। कृषि रोड मैप का मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में इंद्रधनुषी क्रांति लाना और किसानों का सर्वांगीण विकास करना है।
संदर्भ पटना में बढ़ता डेंगू का प्रकोप चेंज आफ सीजन में रहे सतर्क और जागरूक
सावधानी हटी दुर्घटना घटी, यह कहावत आज डेंगू के बढ़ते हुए प्रकोप को देखते हुए और भी सामयिक हो जाती है। बस सतर्क रहें। डेंगू में होने वाला तेज बुखार प्लेटेट्स को तेजी से कम कर देता है जिससे शरीर में काफी कमजोरी महसूस होती है। चिंतित न होकर बस अपने खान- पान पर ध्यान रखें। तैलीय पदार्थ न खायें। तरल पदार्थ ज्यादा लें। प्लेटेट्स बढ़ने में पपीता खूब मदद करता है। कच्चा या पका दोनों फायदा पहुंचाया करते हैं। कच्चे पपीता का सूप, जूस या सब्जी के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
सूबे में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। वार्डों में फागिंग
की क्या स्थिति है यह पटना नगर निगम ही जानता है। नियमित रूप से नहीं होती है। डेंगू के बढ़ते हुए प्रकोप को देखते हुए सभी वार्डों में फागिंग की व्यवस्था होनी चाहिए।
चिंतित न हों बस सतर्क और जागरूक रहे और अपने शरीर की अंदरूनी शक्ति को मजबूत रखें और मस्त रहें।