बाइडेन के बाद आज इजरायल पहुंच रहे ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहु से करेंगे मुलाकात

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अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के इजराइल दौरे के बाद आज ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक इज़राइल पहुंचेंगे।ऋषि सुनक इस्राइल में पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और राष्ट्रपति इसाक हर्जोग से मुलाकात करेंगे।समाचार एजेंसी रायटर ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कार्यालय का हवाला देते हुए बताया कि ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक इजराइल में पीएम नेतन्याहू के साथ ही इजराइल के राष्ट्रपति इसहाक हर्जोग से भी मुलाकात करेंगे। इस दौरान जंग से निपटने के समाधान, हमास की आतंकी गतिविधियों के साथ ही समाधान के उपायों पर चर्चा की जाएगी। 

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि ऋषि सुनक 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए हमले के मद्देनजर अपनी संवेदनाएं व्यक्त करने के लिए तेल अवीव पहुंचेंगे। सुनक ने अपनी यात्रा से पहले एक बयान में कहा कि हमास के भयावह कृत्य के बाद कई लोगों की जान चली गई है। हर एक नागरिक की मौत एक त्रासदी है। उन्होंने कहा कि गाजा अस्पताल पर मंगलवार को हुए एक घातक विस्फोट के बाद दुनियाभर के नेताओं को संघर्ष की खतरनाक स्थिति से बचने के लिए एक साथ आना चाहिए। इसके अलावा ऋषि सुनक गाजा में जल्द से जल्द मानवीय सहायता की अनुमति देने और वहां फंसे ब्रिटिश नागरिकों को निकलने में सक्षम बनाने के लिए एक मार्ग खोलने का भी आग्रह करेंगे।

बता दें कि इजरायल पर हमास के हमले के बाद से 7 ब्रिटिश नागरिक मारे गए और 9 लापता हैं। माना जा रहा है कि लापता लोग हमास के कब्जे में हैं।

इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी गाजा पट्टी में 20 ट्रक सहायता भेजने पर सहमत हुए हैं. इज़रायली सरकार ने कहा था कि वह मिस्र से दक्षिणी गाजा में मानवीय सहायता की अनुमति तब तक नहीं देगी जब तक यह सुनिश्चित नहीं हो जाता कि इसमें से कुछ भी हमास की ओर नहीं भेजा जाएगा

गाजा में अस्पताल विस्फोट पर अमेरिका का बड़ा बयान, तेल अवीव पहुंचे बायडन बोले-

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इजरायल-हमास जंग के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बड़ा बयान दिया है।18 अक्टूबर को इजरायल पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति ने इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को अपना समर्थन दिया।गाजा पट्टी में अल-अहली अरब अस्पताल पर मिसाइल अटैक को लेकर अमरिका ने इजरायल को क्लीनचिट दे दी है।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि यह एक आतंकवादी समूह की ओर से दागे गए मिसफायर रॉकेट का परिणाम था। ऐसे में साफ है कि बाइडेन इस मामले में इज़रायल के उस बयान के साथ हैं, जिसमें उसने कहा था कि अस्पताल पर हुए हमले में उसका हाथ नहीं है। वहीं हमास अब भी इस हमले के लिए इज़रायल को ज़िम्मेदार ठहरा रहा है।

तेल अवीव पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से कहा कि ऐसा लगता है कि हमला दूसरी टीम की ओर से किया गया था। बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अब तक हमने जो जानकारी देखी है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि गाजा के अस्पताल पर हुआ विस्फोट एक आतंकवादी समूह की ओर से दागे गए गलत रॉकेट के कारण हुआ है। उन्होंने कहा कि यह निष्कर्ष अमेरिकी रक्षा विभाग की ओर से दिखाए गए डेटा पर आधारित है।

हमास और ईरान में कैसे हुई गहरी दोस्ती, जानें पूरी कहानी

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इजराइल-हमास युद्ध अब अगले लेकिन बेहद घातक चरण में प्रवेश कर चुका है।इजरायली फौज के सपोर्ट में अमेरिकी सेना भी उतर चुकी है।ऐसे में सबसे बड़ी चिंता युद्ध में पूरे पश्चिम एशिया के चपेट में आने की है।दरअसल, इस युद्द में अमेरिका भारत समेत कई देश इजराइल का साथ दे रहे है वहीं हमास का साथ इरान जैसा देश दे रहा है। आपको बता दें ये वही इरान है जो एक समय में इजराइल का दोस्त था। लेकिन अब ईरान और इजराइल एक दूसरे के दुश्मन है क्योंकी अब ईरान हमास का साथ दे रहा है और खुलकर समर्थन भी कर रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि हमास और ईरान के बीच गहरी दोस्ती कैसे हो गई है? ऐसा क्या है कि युद्ध के हालात में जब पूरी दुनिया हमास की इस कार्रवाई को आतंकी करार दे रहे हैं, वहीं ईरान खुलकर समर्थ कर रहा है?

हमास-ईरान की दोस्ती की शुरुआत साल 1979 में इस्लामिक क्रांति से हुई थी ।मोहम्मद रजा पहलवी जब ईरान के शासक थे, तब तक हमास से उनका कोई मतलब नहीं था, बल्कि उन्होंने इजराइल को मान्यता भी दी थी और व्यापार भी शुरू किया। वहीं जब ईरान में नई सत्ता ने कामकाज संभाला तब से इजराइल-ईरान के रिश्ते एकदम खत्म हो गए और हमास की एंट्री हुई। हालांकि, तब हमास का यह रूप नहीं था, लेकिन चरमपंथ को बढ़ावा देने की अपनी नीति के तहत ईरान ने इस संगठन की मदद की।

इस्लामिक क्रांति से पहले ईरान दूसरा मुस्लिम बहुल देश था, जिसने अपने शासक मोहम्मद रज़ा पहलवी के शासन में इसराइल को मान्यता दी थी।लेकिन अब मध्य-पूर्वी देशों में ईरान एकदम अलग राह पर है और वो इसराइल को मान्यता देने से इनकार करता है। वहीं, इस क्षेत्र के अन्य मुस्लिम देशों ने इसराइल के संबंध सामान्य करने शुरू कर दिए हैं। इस्लामिक गणराज्य ईरान के संस्थापक अयोतुल्लाह रुहोल्लाह खुमैनी ने इजराइल की तुलना 'कैंसर वाले ट्यूमर' से की थी। उन्होंने फ़लस्तीन के मुद्दे को मुस्लिम वर्ल्ड में अपनी सरकार की वैधता बढ़ाने और शिया-सुन्नी के बीच विभाजन से परे इस्लामी एकता को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया।

खुमैनी ने हर साल रमज़ान के आख़िरी दिन को फ़लस्तीन के समर्थन में 'कुद्स (यरुशलम) दिवस' के तौर पर मनाने की भी शुरुआत की। फ़लस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) का हित चाहने वालों में से एक ईरान भी था। हालांकि, पीएलओ के साथ ईरान के रिश्ते तब खराब हुए जब इराक़ के साथ जंग में पीएलओ के नेता यासर अराफ़ात ने इराक़ का समर्थन किया। अराफ़ात को वर्ष 1988 में ईरान के सर्वोच्च नेता अयोतुल्लाह अली ख़ुमैनी ने 'ग़द्दार और मूर्ख' बताया था। उस समय यासर अराफ़ात इसराइल के साथ राजनीतिक समझौते की ओर बढ़ते दिख रहे थे, लेकिन ईरान का नेतृत्व इसराइल के साथ किसी भी तरह की शांति वार्ता के ख़िलाफ़ था. अली खुमैनेई अभी भी ईरान के सर्वोच्च नेता हैं। जैसे ही इसराइल को स्वीकार करने के मुद्दे पर फ़लस्तीन के गुट बंटने शुरू हुए, ईरान ने अपना रुख पीएलओ और उसके प्रभावशाली धड़े फ़तह से मोड़कर अधिक कट्टर और प्रतिद्वंद्वी हमास और फ़लस्तीन इस्लामिक जिहाद (पीआईजे) की ओर कर लिया।

साल 2007 में चुनाव के बाद से हमास ने ग़ज़ा और फ़तह ने वेस्ट बैंक पर नियंत्रण पा लिया। फ़लस्तीनी क्षेत्रों में राजनीतिक ताकतों के बीच इस बंटवारे को देखते हुए ईरान का समर्थन अब मुख्य रूप से ग़ज़ा पट्टी पर शासन करने वाले गुट यानी हमास और पीआईजे की ओर चला गया।ये चरमपंथी समूह इस क्षेत्र में इसराइल और अमेरिका के ख़िलाफ़ एकजुट ईरान के अन्य सहयोगी जैसे हिज़बुल्ला और सीरियाई संगठनों से मिल गए।

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय कर्मचारियों को तोहफा, डीए में चार फीसदी की बढ़ोतरी

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मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय कर्मचारियों को दिवाली का तोहफा मिलने जा रहा है। केंद्र की मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को दिवाली का तोहफा दिया है। केन्द्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों डीए में चार फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। सरकार के फैसले से देशभर के एक करोड़ सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स को फायदा मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इससे जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। बढ़ा हुआ डीए एक जुलाई से लागू होगा। इससे केंद्र सरकार के एक करोड़ से अधिक कर्मचारियों और पेंशनर्स को फायदा होगा।

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने डीए की बढ़ी हुई दरों की घोषणा की है। अब इस वृद्धि के साथ ही डीए की मौजूदा दर 42 से 46 प्रतिशत पर पहुंच गई है। केंद्रीय कर्मचारियों के डीए में यह बढ़ोतरी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप की गई है। इससे केंद्र सरकार के 48.67 लाख कर्मचारियों और 67.95 लाख पेंशनर्स को फायदा होगा। डीए में बढ़ोतरी से सरकारी खजाने पर सालाना 12,857 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। इसके बाद जनवरी 2024 में भी अगर महंगाई भत्ते में 4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई तो वह दर 50 प्रतिशत हो जाएगी।दरअसल, केंद्र सरकार साल में दो बार अपने कर्मचारियों के डीए में बदलाव करती है। इससे पहले जनवरी से डीए में चार फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी।

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बाद में संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट और सीसीईए की बैठक में आज चार अहम फैसले लिए गए। केंद्रीय कर्मचारियों का डीए 42% से बढ़ाकर 46% कर दिया गया है। साथ ही रेलवे के 11 लाख से अधिक कर्मचारियों को 78 दिन का बोनस देने का फैसला किया गया है। तीसरा निर्णय किसानों से जुड़ा हुआ है। रबी की छह फसलों का एमएसपी बढ़ा दिया गया है। तिलहन और सरसों में 200 रुपये, मसूर के लिए 425 रुपये, गेहूं के लिए 150 रुपये, जौ के लिए 115 रुपये, चने के लिए 105 रुपये और सनफ्लावर के लिए भी 150 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है।

पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या में सभी आरोपी दोषी करार, 15 साल बाद मिला इंसाफ

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टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन मर्डर केस में दिल्ली के साकेत कोर्ट ने पांचों आरोपियों को दोषी करार दिया है।करीब 15 साल पहले नेल्सन मंडेला रोड पर सौम्या की चलती गाड़ी में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।इससे पहले अदालत ने मामले में दलीलें पूरी करते हुए 13 अक्टूबर को जजमेंट सुरक्षित रख लिया था।26 अक्‍टूबर को ही पांचों आरोपियों की सजा का ऐलान हो सकता है। सभी आरोपियों को मकोका, हत्या और लूट में दोषी करार दिया गया है। साथ ही अजय सेठी को आरोपियों की मदद करने और मकोका में दोषी क़रार दिया गया है।

सौम्या विश्वनाथन की हत्या 30 सितंबर, 2008 में उस वक्त हुई थी, जब वह तड़के करीब 3.30 बजे अपनी कार से घर लौट रही थीं। उसी दौरान उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने दावा किया था कि उनकी हत्या का मकसद लूटपाट था। हत्या के सिलसिले में पांच लोगों- रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक, अजय कुमार और अजय सेठी को गिरफ्तार किया गया, जो मार्च 2009 से हिरासत में हैं। पुलिस ने आरोपियों पर मकोका लगाया था। मलिक और दो अन्य आरोपी रवि कपूर और अमित शुक्ला को 2009 में आईटी प्रोफेशनल जिगिशा घोष की हत्या मामले में दोषी करार दिया जा चुका है।

पुलिस ने तब दावा किया था कि जिगिशा घोष की हत्या में इस्तेमाल हथियार की बरामदगी के बाद विश्वनाथन की हत्या के मामले का खुलासा हुआ। निचली अदालत ने 2017 में जिगिशा घोष हत्या मामले में कपूर और शुक्ला को मौत की सजा और मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि, अगले साल, हाई कोर्ट ने जिगिशा हत्या मामले में कपूर और शुक्ला की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। मलिक की उम्रकैद की सजा बरकरार रही।

गाजा अस्पताल पर हमले से हुई मौतों से दुखी हैं पीएम मोदी, बोले-तय हो हमलावरों की जिम्मेदारी

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गाजा के अस्पताल अल अहली अस्पताल पर हुए रॉकेट हमले पर पीएम नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है।पीएम मोदी ने हमले में जान गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की है। साथ ही कहा है कि जो भी इस मामले में गुनहगार है, उनको बख्शा नहीं जाए।

पीएम ने एक्स पर ट्वीट करके लिखा कि हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिवार के प्रति हमारी संवेदना है। पीएम मोदी ने लिखा-गाजा के अल अहली अस्पताल में लोगों बड़े पैमाने पर हुई मौत से गहरा सदमा लगा। पीड़ितों के परिवारों के प्रति हमारी हार्दिक संवेदना है और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हैं। जो संघर्ष चल रहा है उसमें नागरिकों का हताहत होना गंभीर और निरंतर चिंता का विषय है। इसमें शामिल लोगों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

वहीं, संयुक्त राष्ट्र, इसके शीर्ष नेताओं और एजेंसियों ने गाजा के एक अस्पताल पर हुए हमले में कई नागरिकों की मौत को लेकर गहरा दुख जताया और घटना की कड़ी निंदा की। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट किया, गाजा में आज एक अस्पताल पर हुए हमले में सैकड़ों फलस्तीनियों की मौत से मैं अत्यंत दुखी और व्यथित हूं, मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं. मेरी संवेदनाएं पीड़ितों के परिवारों के साथ हैं। अस्पताल और चिकित्साकर्मियों को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत संरक्षण प्राप्त होता है।

बता दें कि मंगलवार देर रात को गाजा के एक अस्पताल में मिसाइल हमला हुआ था जिसमें 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। फिलिस्तीन ने इस हमले के पीछे इजराइल का हाथ बताया था। हालांकि, इजराइल ने इसका खंडन करते हुए इसे झूठा करार दिया था। दोनों ही देश एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। इजराइल के अधिकारियों ने कहा कि गाजा पट्टी के अस्पताल पर हुआ हमला फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद द्वारा किया गया है। ये संगठन गाजा पट्टी से ही संचालित होता है।

जिहादी विचारधारा रखने वालों को अमेरिका से बाहर निकालेंगे, आतंकी हमास के समर्थकों के लिए डोनाल्ड ट्रम्प का सख्त सन्देश

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इजराइल और फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के बीच जारी युद्ध को लेकर वादा किया कि अगर वह फिर से US के राष्ट्रपति चुने जाते हैं, तो वह आतंकी संगठन हमास का समर्थन करने वाले अप्रवासियों को अमेरिका में प्रवेश करने से रोक देंगे और सार्वजनिक रूप से फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह का समर्थन करने वाले अप्रवासियों को गिरफ्तार करने और निर्वासित करने के लिए हमास समर्थक विरोध प्रदर्शनों में अधिकारियों को भेजेंगे।

आयोवा में एक अभियान के पड़ाव पर, ट्रम्प हमास द्वारा कम से कम 1,300 इजरायलियों की हत्या का जवाब दे रहे थे, जिससे युद्ध शुरू हो गया। इसके बाद फिलिस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इजरायल ने गाजा में 2,800 से अधिक फिलिस्तीनियों को मार डाला है। 2017-2021 तक राष्ट्रपति रहे डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि यदि वे व्हाइट हाउस के दूसरे कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं, तो वह ऐसे किसी भी व्यक्ति के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा देंगे, जो इज़राइल के अस्तित्व के अधिकार में विश्वास नहीं करता है, और उन विदेशी छात्रों के वीजा रद्द कर देगा, जो "यहूदी विरोधी" हैं।

ट्रम्प ने "आतंकवाद से ग्रस्त देशों" से यात्रा प्रतिबंध बढ़ाने की भी कसम खाई। हालाँकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि वह अपनी मांगों को कैसे लागू करेंगे, जिसमें आप्रवासियों को इजरायल के अस्तित्व के अधिकार का समर्थन करने की मांग भी शामिल है, जिसे उन्होंने "मजबूत वैचारिक स्क्रीनिंग" कहा है। ट्रम्प की कई आव्रजन नीतियों को उनके राष्ट्रपति पद के दौरान अदालत में चुनौती दी गई थी और उनकी नवीनतम प्रतिज्ञाओं को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

पहले ट्रम्प ने कुछ मुस्लिम-बहुल देशों के अप्रवासियों पर जो प्रतिबंध लगाया था, उसे निचली अदालतों में रद्द कर दिया गया, लेकिन अंततः अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने इसे बरकरार रखा। लेकिन, बाइडेन ने पदभार ग्रहण करते ही उस प्रतिबंध को समाप्त कर दिया। ट्रंप ने सोमवार को कहा कि वह लीबिया, सोमालिया, सीरिया और यमन या "हमारी सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली किसी भी जगह" से आने वाले आप्रवासियों पर प्रतिबंध लगा देंगे। ट्रंप ने एक कविता भी पढ़ी जिसमें उन्होंने आप्रवासियों की तुलना घातक सांपों से की थी। ट्रंप ने कहा कि, "हम जिहादी सहानुभूति रखने वाले विदेशी नागरिकों को आक्रामक तरीके से निर्वासित करेंगे।"

अमेरिकी आव्रजन कानूनों को कड़ा करने का वादा करते हुए, ट्रम्प ने कहा कि, "यदि आप इज़राइल राज्य को खत्म करना चाहते हैं, तो आप अयोग्य हैं, यदि आप हमास या हमास के पीछे की विचारधारा का समर्थन करते हैं, तो आप अयोग्य हैं, और यदि आप कम्युनिस्ट हैं, मार्क्सवादी, या फासीवादी, आप अयोग्य हैं।" ट्रम्प के अधिकांश रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वियों ने हमास की निंदा की है और गाजा पर संभावित इजरायली आक्रमण के लिए पूर्ण समर्थन की पेशकश की है, लेकिन किसी ने भी लोगों को बाहर रखने और हमास समर्थकों को अमेरिका से बाहर निकालने के लिए प्रस्तावों की इतनी कड़ी श्रृंखला नहीं रखी है।

अमेरिका ने कई अन्य देशों के साथ मिलकर हमास को आतंकवादी संगठन घोषित किया है। राष्ट्रपति पद के नामांकन के लिए ट्रम्प के रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वियों में से एक, फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसेंटिस ने सोमवार को कहा कि वह हमास का समर्थन करने वाले विदेशी छात्रों के निर्वासन के पक्ष में हैं और राष्ट्रपति चुने जाने पर गाजा शरणार्थियों को अमेरिका से बाहर निकाल देंगे।

आज बंद होंगे केदार रुद्रनाथ धाम के कपाट, अब शीतकालीन पड़ाव गोपीनाथ मंदिर में दर्शन देंगे भगवान

उत्तराखंड में पंचकेदार में चतुर्थ रुद्रनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। बाबा की चल विग्रह उत्सव डोली भी अपने शीतकालीन पड़ाव गोपीनाथ मंदिर गोपेश्वर के लिए प्रस्थान कर जाएगी। अगले छह माह बाबा यहीं अपने भक्तों को दर्शन देंगे।

चतुर्थ केदार रुद्रनाथ धाम की यात्रा सबसे दुर्गम मानी जाती है

चमोली जिले में समुद्रतल से 11808 फीट की ऊंचाई पर स्थित चतुर्थ केदार रुद्रनाथ धाम की यात्रा सबसे दुर्गम है। यहां पहुंचने के लिए सगर गांव से 19 किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। सगर जिला मुख्यालय गोपेश्वर से तीन किमी की दूरी पर है।

शीतकालीन गद्दी स्थल गोपीनाथ मंदिर पहुंचेगी

रुद्रनाथ धाम के पुजारी पं.जनार्द्धन तिवारी ने बताया कि सुबह कपाट बंद होने के बाद बाबा की उत्सव डोली यात्रा रात्रि विश्राम के लिए मोली खर्क के लिए प्रस्थान करेगी। 19 अक्टूबर को डोली सगर गांव होते हुए गंगोल गांव और 20 अक्टूबर को शीतकालीन गद्दी स्थल गोपीनाथ मंदिर पहुंचेगी। बताया कि सोमवार शाम हुई बर्फबारी के कारण रुद्रनाथ धाम में ठंड काफी बढ़ गई है और तीर्थयात्री बर्फबारी का भी आनंद ले रहे हैं।

महुआ मोइत्रा का मामला पहुंचा एथिक्स कमेटी के पास, बीजेपी निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत को गवाही के लिए बुलाया गया

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। बिजनेसमैन से पैसे और गिफ्ट लेकर संसद में सवाल पूछने के मामला अब लोकसभा की एथिक्स कमेटी के पास पहुंच गया है।इस मामले में झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे को भी बयान देने के लिए बुलाया गया है।मिली जानकारी के मुताबिक, आगामी 26 अक्टूबर को दुबे को प्रिविलेज कमेटी के सामने पेश होकर अपना स्टेटमेंट रिकॉर्ड करने के लिए बुलाया गया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील जय अनंत देहादराई को भी स्टेटमेंट रिकॉर्ड करने के लिए उसी दिन बुलाया गया है।

बता दें कि बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को इस मामले की शिकायत करते हुए महुआ मोइत्रा के संसदीय आचरण की जांच कराने की मांग की थी।निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर और केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव और राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर को पत्र लिखकर मांग की है कि महुआ मोइत्रा के दिए गए लॉग इन आईडी और आईपी एड्रेस की जांच की जाए।बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया है कि बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी ने संसद में सवाल पूछने के लिए महुआ मोइत्रा को गिफ्ट और घूस दिए थे।ओम बिरला को लिखे पत्र में, निशिकांत दुबे ने वकील जय अनंत देहाद्राई से प्राप्त एक पत्र का हवाला दिया और कहा कि वकील ने ‘पुख्ता' सबूत साझा किए हैं कि महुआ मोइत्रा ने संसद में सवाल पूछने के लिए उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी से ‘नकद' और ‘उपहार' के रूप में रिश्वत ली है।

महुआ ने आरोपों को आधारहीन बताया

वहीं महुआ मोइत्रा ने ऐसे किसी भी आरोप से इनकार किया है और कहा है कि वो किसी भी जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं।महुआ ने आरोपों को आधारहीन बताया और और लोकसभा अध्यक्ष से इस मामले में जांच समिति गठित करने की मांग खुद भी की। एक दिन पहले मंगलवार को ही महुआ मोइत्रा ने इस मामले में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहादराई को कानूनी नोटिस भी भेजा है।

एथिक्स कमेटी में कौन-कौन हैं और ये कैसे काम करती है?

बीजेपी सांसद विनोद सोनकर एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष हैं। एथिक्स कमेटी का काम नैतिक तौर पर किसी भी सांसद पर लगे आचरण से जुड़े आरोप की जांच करना है। इसके पास सभी तरह की ऐसी शिकायत जो लोकसभा स्पीकर द्वारा भेजी जाती है, उसकी जांच करता है। लोकसभा स्पीकर की ओर से जिस भी मामले की शिकायत भेजी जाती है उसकी जांच कमेटी करती है।

*देश में क्यों महंगी हो रही बिजली? राहुल गांधी ने अडानी से जोड़ा कनेक्शन

#rahul_gandhi_attack_adani_group

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर अदाणी समूह पर बड़ा हमला किया है।राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि अडानी ने 32 हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया है। उन्होंने ये भी कहा कि अडानी की वजह से ही बिजली महंगी मिलती है।

राहुल ने कहा कि गौतम अडानी ने कोयले के कारोबार में बड़ी गड़बड़ी की। उन्होंने इसमें 32000 करोड़ का घोटाला किया। यही कारण है कि बिजली महंगी होती जा रही है। लोगों का बिल बढ़ता जा रहा है। राहुल ने कहा कि बिजली महंगी होने का फायदा अडानी को पहुंचा। मोदी जी अडानी को सीधा फायदा पहुंचा रहे हैं।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में हुए राहुल गांधी ने कहा, लोग जैसे ही बिजली का स्विच ऑन करते हैं, अडानी की जेब में पैसा जाता है। अडानी की रक्षा भारत के पीएम कर रहे हैं। दुनिया के बाकी देशों में जांच हो रही है लेकिन भारत में अडानी को ब्लैंक चेक दिया हुआ है। वो जो मर्जी चाहें कर सकते हैं। 

राहुल ने कहा कि पहले हमलोग 20 हजार करोड़ कह रहे थे लेकिन अब उसमें 12 हजार करोड़ और जोड़ दीजिए जो अब 32 हजार करोड़ हो जाता है। इसका मतलब अडानी ने 32000 करोड़ का घोटाला किया है। उन्होंने कहा कि अडानी ने तकरीबन 12000 करोड़ हिदुस्तान की जनता के पॉकेट से निकाला है। इन पर पीएम मोदी का प्रोट्क्शन है पीएम अडानी की जांच क्यों नहीं करवाते?

बता दें कि राहुल ने फाइनेंशियल टाइम्स के हवाले से अडानी पर यह आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि फाइनेंशियल टाइम्स को सारे डॉक्यूमेंट्स मिले हैं। कोयले के कारोबार में बड़ा घोटाला हुआ है। ये हम नहीं कह रहे हैं लंदन के अखबार के हवाले से खबर है। मगर उनके खिलाफ जांच नहीं होगी। सवाल उठने पर भी अडानी की जांच नहीं होगी। भारत का पीएम अडानी की रक्षा कर रहा है।