*नौकरशाहों को पसंद आ रहे भ्रष्टाचारी अफसर!,चीनी मिल संघ और चीनी निगम में रिटायर अफसरों को सौंपें गए कमाऊ प्रभार*
आर के यादव
लखनऊ। योगी सरकार की नौकरशाही को घोटालेबाज के दोषी और दागदार अफसर रास आ रहे है। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन सच है। चीनी मिल संघ और चीनी निगम में घोटाले के दोषी अफसरों को रिटायरमेंट के बाद अस्थाई नियुक्ति देकर कमाऊ सीटों पर लगा दिया गया है। चीनी निगम के एक अधिकारी को सेवानिवृत्त होने के एक दिन बाद ही अफसरों ने तीन माह के लिए अस्थाई नियुक्ति दे दी। यह मामला विभागीय अधिकारियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा है कि चहेते अफसरों के लिए विभाग में नियम और कानून कोई मायने नहीं रहता है।
मिली जानकारी के मुताबिक चीनी निगम में बसपा सरकार में चीनी मिलों की बिक्री को लेकर सुर्खियों में रहे अधिकारी एसके मेहरा 30 सितंबर को सेवाविस्तार हो गए। सेवानिवृत्त होने के अगले दो दिन (रविवार व गांधी जयंती )का अवकाश था। अवकाश के अगले ही दिन तीन अक्टूबर को उन्होंने फिर से निगम में रहते हुए पुराने पदों पर काम शुरू कर दिया। सूत्रों का कहना है कि चीनी निगम में सेवानिवृत्त के पूर्व में जो प्रभार थे उन्हीं प्रभारों के साथ उन्हें विस्तार दिया गया है। वर्तमान समय में इस अधिकारी के पास महाप्रबंधक परियोजना, कार्मिक, वित्त के साथ कंपनी सचिव के अलावा जिन जगहों पर महाप्रबंधक नहीं है वह प्रभार भी इन्हीं के पास हैं।
सूत्रों का कहना है कि बीते दिना एक व्यक्ति ने इस अधिकारी की शिकायत मुख्यमंत्री से की गई। मुख्यमंत्री से मिलकर की गई इस शिकायत पर प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने इसकी जांच शासन के दो अधिकारी को सौंपी। इसके साथ ही इसी मामले की जांच चीनी मिल संघ के प्रबंध निदेशक ने संघ की दो सदस्यीय कमेटी से कराई। चीनी मिल संघ कमेटी के अफसरों ने जांच में उन्हें क्लीन चिट दे दी, वहीं दूसरी ओर शासन स्तर से हुई जांच में शिकायत को सच पाया गया है। जंांच में दोषी पाए गए अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए आला अफसरों ने उन्हें सेवाविस्तार जरूर दे दिया।
इसी प्रकार चीनी मिल संघ से रिटायर हर्ष वर्धन कौशिक, मुख्य लेखाकार सतेंद्र कुमार, एलडब्लूओ पीके श्रीवास्तव को अस्थाई नियुक्ति पर काम कराया जा रहा है। तीन साल पहले सेवानिवृत्त हुए हर्षवर्घन कौशिक को चीनी शीरा बिक्री के साथ अन्य प्रभार दिए गए है। लीगल का प्रभार पीके श्रीवास्तव के पास है। इनके पास लॉ की डिग्री तक नहीं है। इसी प्रकार सतेंद्र सिंह के पास रिटायरमेंट के बाद से लगातार अकाउंट का प्रभार है। हकीकत यह हे कि चीनी निगम और चीनी मिल संघ में सेवानिवृत्त घोटालेबाज व दागदार अफसरों का दबदबा कायम है। इन रिटायर अफसरों को भी छह माह का विस्तार दे दिया गया। यह सभी कमाऊ सीटों पर जमें हुए है। इनमें कई तो ऐसे है जो जांच में दोषी पाए जाने के साथ दंडित तक किए जा चुके हैं।
रिटायरमेंट के एक दिन बाद ही मिला सेवाविस्तार
उत्तर प्रदेश चीनी निगम में महाप्रबंधक परियोजना, कार्मिक, वित्त के साथ कंपनी सचिव समेत अन्य प्रभार संभाल रहेे एसके मेहरा से जब इस संबंध में बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि चीनी मिल बेचने के समय नाम सुर्खियों में आया था। इसकी सीबीआई जांच होने की जानकारी होने पर उन्होंने सहयोगियों को मिठाई तक खिलाई थी। मुख्यमंत्री से एक शिकायत होने व उसकी जांच में दोषी पाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसी शिकायतें होती रहती है। इस बेलगाम अधिकारियों ने रिटायर होने के दो दिन बाद ही अस्थाई नियुक्ति देकर तीन माह का कार्यकाल बढ़ा दिया है।
अफसरों की चलती रहती हैं जांचे:एमडी
चीनी निगम ओर उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल संघ में सेवानिवृत्त हो चुके अधिकारियों को लंबे समय में दिए जा रहे सेवाविस्तार के संबंध में जब चीनी मिल संघ और चीनी निगम के प्रबंध निदेशक रमाकांत पांडे से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अधिकारियों की कमी की वजह से इनको सेवाविस्तार दिया गया है। चीनी निगम और संघ में अधिकारी रिटायर होते जा रहेे है भर्ती हो नहीं रही है। काम चलाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। चीनी निगम और चीनी मिल संघ में दागी और घोटालेबाज अफसरों को सेवाविस्तार दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जांचें तो चलती ही रहती है।
Oct 18 2023, 16:02