सरायकेला :दारूदा गांव के बाल मजदूर गुजरात में था बंधक ,घर लोटे बाल मजदूर ने बताया आपबीती,कहा नहीं मिला मजदूरी
सरायकेला :गुजरात के राजकोट गए मजदूरों ने कहा कि उन्हें काम का मेहनताना नहीं दिया गया वहीं कंपनी प्रबंधन की ओर से उन्हें प्रताड़ित किया जाता था। काम नहीं करने पर खाना भी नहीं दिया जाता था।
बीमार होने पर भी काम करना लाचारी था पांच से छह मजदूरों में पांच नाबालिग रहे इसके बावजूद कंपनी प्रबंधन इन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करता रहा। बंधक मुक्त होकर घर लौटे बाल मजदूरों ने बताया कि विरोध जताने पर हाथ-पैर तोड़कर अस्पताल में भर्ती कराने की धमकी दी जाती थी।
आपने मुल्क वापसी के लिए भी रुपये नहीं दिए। घर से भेजे गए रुपयों में भी भाड़ा छोड़कर बाकी रुपेय ले लिया । परिवार वालों द्वारा तिरुलडीह थाना में सूचना दिए जाने के बाद पुलिस ने कंपनी प्रबंधन को फोन किया था । इसके बाद कंपनी प्रबंधन की ओर से सभी को ट्रेन में बैठा दिया गया ।
गुजरात के राजकोट में बंधक बनाकर रखे गए कुकड़ू प्रखंड स्थित दारूदा गांव के छह मजदूरों के मुक्त होकर लाैटने पर उनके परिवार के साथ पूरे गांव में खुशी का माहौल है । स्थानीय पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों ने गुजरात के पुलिस-प्रशासन से संबंध स्थापित कर मजदूरों को मुक्त कराया और घर वापसी के लिए समुचित व्यवस्था करायी थी. सभी मजदूर रविवार को ही गुजरात से रवाना हुए थे। लौटने वाले मजदूरों में दारूदा गांव के गौरव महतो, निरंजन महतो, राजकिशोर महतो, राजेश मछुआ, प्रेमचंद मछुआ और लखिंद्र मछुआ का बेटा शामिल है. मजदूरों के परिजनों ने तिरुलडीह थाना की पुलिस को लिखित सूचना देकर बताया था कि राजकोट, गुजरात के केरावीट कंपनी में नौकरी दिलाने के लिए आजाद बस्ती कांड्रा निवासी जोसवंत तांती ले गया था. जिला परिषद उपाध्यक्ष मधुश्री महतो ने जिले के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर मजदूरों को सकुशल वापस लाने की पहल करने का आग्रह किया था ।
दोषियों पर कार्रवाई करे प्रशासन
मजदूरों के वापस लौटने पर जिला परिषद उपाध्यक्ष मधुश्री महतो सभी से मुलाकात कर वास्तविकता की जानकारी ली. उन्होंने कहा कि एक तो बाल मजदूरों से काम करवाना अपराध है. वहीं बाल मजदूरों का शोषण करना उससे बड़ा अपराध है. उन्होंने बताया कि कांड्रा आजाद बस्ती के रहने वाले जोसवंत तांती ने नाबालिग लड़कों को बहला-फुसला कर गुजरात के केरावीट कंपनी में मजदूर का काम दिलाने ले गया था. उन्हें वहां बंधुआ मजदूर बनाकर शोषण किया जा रहा था. सभी मजदूरों से जबरदस्ती काम कराया जा रहा था और घर लौटने नहीं दिया जा रहा था. इतना ही नहीं मजदूरों को अपने किसी परिजनों से भी संपर्क नहीं करने दिया जा रहा था. पुलिस-प्रशासन मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे।
Sep 26 2023, 18:20