*बरसात के मौसम में पशुओं की देखभाल कैसे करें? पशु पालकों को किया गया प्रशिक्षण*
कानपुर- चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉ आनंद कुमार सिंह के निर्देश के क्रम में कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ शशिकांत ने बरसात के मौसम में पशुओं की देखभाल विषय पर प्रशिक्षण आयोजित किया। उन्होंने बताया कि वर्षा ऋतु का समय जून महीने से लेकर सितम्बर तक का होता है। पशु अनेक रोगों से ग्रसित हो जाता है। इसी मौसम के दौरान परजीवियों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि देखने को भी मिलती है जिनके द्वारा पशुओं को आंतरिक ओर बाह्य परजीवियों के रोग हो जाते हैं। मौसमी बीमारियों की वजह से दुधारू पशुओं का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है, इससे उनके दूध उत्पादन में कमी आ जाती है और उसके कारण दूध उत्पादक का काफी आर्थिक नुकसान हो जाता है।
उन्होंने ये बातें ग्राम बिहारी पुरवा में अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत बारिश के मौसम में पशुओं की देखभाल विषय पर कही। कार्यक्रम में कृषको से बात करते डॉ अरुण कुमार सिंह ने बताया कि इस दौरान वातावरण में अधिक आद्रता होने की वजह से वातावरण के तापमान में अधिक उतार चढाव देखने को मिलता है। जिसका कुप्रभाव प्रत्येक श्रेणी के पशुओं पर भी पड़ता हैं। वातावरण में आद्रता की अधिकता होने के कारण पशु की पाचन प्रक्रिया के साथ-साथ उसकी आन्तरिक रोगरोधक शक्ति पर भी असर पड़ता है। परिणामस्वरूप पशु अनेक रोगों से ग्रसित हो जाता हैं। कृषकों को जानकारी देते डॉ निमिषा अवस्थी ने कहा कि इसी मौसम के दौरान परजीवियों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि देखने को भी मिलती है जिनके द्वारा पशुओं को प्रोटोजुन एवम् पेरासिटिक रोग हो जाते हैं। इन रोगों के प्रकोप से पशु का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है।
कार्यक्रम में पशुपालन वैज्ञानिक डॉ शशिकांत ने पशुपालकों को बताया की बारिश के मौसम से पहले अपने पशुओं का टीकाकरण करके संक्रामक रोगों से तो बचाव कर लेना चाहिए, इसके साथ ही इस मौसम में परजीवियों का भी खतरा होता है, ये पशुओं में बहुत हानि पहुंचाते हैं। बरसात के मौसम में जगह–जगह पानी भरने से पशुओं द्वारा मिट्टी और पानी भी संक्रमित हो जाते हैं। जिसके संपर्क में आने से स्वस्थ पशुओं के संक्रमित होने की सम्भावना बढ़ जाती है। इस लिए रोगी पशु को स्वस्थ पशु से अलग रखें।
इस मौसम में पशुओं में होने वाले प्रमुख संक्रामक रोग जैसे गलघोटू, लंगड़ा बुखार, खुरपका, मुंहपका, न्यूमोनिया आदि हैं। परजीवी रोगों में बबेसिओसिस, थैलेरिओसिस व परजीवी जूं, चिचड़ आदि प्रमुख हैं। इस मौसम में पशुओं की सफाई का खास खयाल रखे। खुर पका से बचाव हेतु सप्ताह में एक या दो बार हल्के लाल दवाई के घोल से पशुओं के खुरों को साफ करना चाहिए। ज्यादा नमी के कारण पशु आहार में फफूँद लगने की संभावना बढ़ जाती है तथा ऐसा आहार खाने से पशु बीमार हो सकते हैं। अतः उचित आहार व्यवस्था भी जरूरी है। कार्यक्रम में ग्राम बिहारी पुरवा के प्रधान समेत कुल 50 पशुपालकों ने प्रतिभाग किया ।
Aug 13 2023, 20:59