स्वदेशी आंदोलन 1905 की 118 वीं वर्षगांठ पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा भव्य कार्यक्रम का हुआ आयोजन
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बेतिया : आज दिनांक 7 अगस्त 2023को सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन स्वदेशी आंदोलन दिवस पर किया गया।
इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता ,डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ,डॉ शाहनवाज अली , डॉ अमित कुमार लोहिया, मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट की निदेशक एस सबा ,डॉ अमानुल हक, डॉ महबूब उर रहमान एवं पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन ने संयुक्त रूप से कहा कि आज ही के दिन 7 अगस्त 1905को स्वदेशी आंदोलन आरंभ हुआ था।
स्वदेशी आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन का एक महत्वपूर्ण आन्दोलन, सफल रणनीति व दर्शन का था। 'स्वदेशी' का अर्थ है - 'अपने देश का'। इस उद्देश्य ब्रिटेन में बने माल का बहिष्कार करना तथा भारत में बने माल का अधिकाधिक प्रयोग करके साम्राज्यवादी ब्रिटेन को आर्थिक हानि पहुँचाना व भारत के लोगों के लिये रोजगार सृजन करना था। यह ब्रिटिश शासन को भारत से उखाड़ फेंकने और भारत की समग्र आर्थिक व्यवस्था के विकास के लिए अपनाया गया साधन था।
वर्ष 1905 के बंग-भंग विरोधी जनजागरण से स्वदेशी आन्दोलन को बहुत बल मिला। यह 1911 तक चला और गान्धी जी के भारत में पदार्पण के पूर्व सभी सफल आन्दोलनों में से एक था।
अरविन्द घोष, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और लाला लाजपत राय स्वदेशी आन्दोलन के मुख्य उद्घोषक थे।
चंपारण बेतिया की धरती पर शेख़ गुलाब एवं उन के सहयोगी स्वतंत्रता सेनानियों ने चम्पारण सत्याग्रह 1917 के पहले स्वदेशी आंदोलन एवं अंग्रेजों के अत्याचार से मुक्ति मे अहम भूमिका निभाई थी।आगे चलकर यही स्वदेशी आन्दोलन महात्मा गांधी के स्वतन्त्रता आन्दोलन का भी केन्द्र-बिन्दु बन गया।
उन्होने इसे "स्वराज की आत्मा" कहा है। महात्मा गांधी को स्वदेशी आंदोलन से चम्पारण सत्याग्रह 1917, असहयोग आंदोलन,नमक सत्याग्रह 1930, भारत छोड़ो आंदोलन 1942को काफी बल मिला।
Aug 07 2023, 21:16