औरंगाबाद पुलिस ने बेरोजगार युवकों को नौकरी का झांसा देकर ठगनेवाले साईबर अपराधी को दबोचा
औरंगाबाद : यह खबर बेरोजगारों खासकर ग्रामीण इलाकों के बेरोजगार युवकों को सावधान करने के लिए है। यदि कोई उन्हे फोन कर टाटा, एचसीएल और एचडीएफसी जैसी अन्य बड़ी कंपनियों में नौकरी दिलाने को कहता है या कही सार्वजनिक स्थान पर दीवार पर इसी तरह की नौकरी के ऑफर के साथ दिए गए नंबर पर संपर्क करने को कहा जाता है, तो इस मामले में पूरी सावधानी बरतने की जरूरत है।
यहां सावधानी हटी दुर्घटना घटी के तर्ज पर फ्रॉड हो सकता है क्योकि प्रतिष्ठित कंपनियां नौकरी फोन कॉल और दीवारों पर पोस्टर साटकर नही दिया करती है बल्कि उनका नौकरी देने का अपना एक सिस्टम काम करता है।
वें अपनी वेबसाइट पर अथवा अखबार में क्लासिफाइड या अन्य तरह का विज्ञापन देकर आवेदन मंगाते है। अपने कार्यालय में इंटरव्यू के लिए बुलाते है। तब जाकर सफल उम्मीदवार को नौकरी देते है। इसके बावजूद शातिर इस तरह का खेल खेलते है और जानकारी के अभाव में लोग इनके चक्कर में फंसकर रकम गंवा बैठते है।
औरंगाबाद में पुलिस ने गुरुवार को एक ऐसे ही सायबर जालसाज को पकड़ा है। औरंगाबाद नगर थाना की पुलिस ने शहर के महाराजगंज रोड स्थित एक इंटरनेट कैफे से से एक साइबर फ्रॉडर को धर दबोंचा है।
नगर थाना के पुलिस अवर निरीक्षक सह अपर थानाध्यक्ष राम इकबाल यादव ने बताया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि शहर के महाराजगंज रोड स्थित एक इंटरनेट कैफे सह सीएसपी सेंटर में एक साइबर अपराधी कैश फ्रॉड का कैश निकालने आया है।
इस सूचना पर पुलिस ने धावा बोलकर साइबर अपराधी को मौके से धर दबोचा। गिरफ्तार साइबर अपराधी मनोज कुमार नबीनगर प्रखंड के टंडवा थाना क्षेत्र के टंडवा गांव निवासी लालू यादव का पुत्र है।
गिरफ्तारी के बाद साइबर अपराधी ने पूछताछ में स्वीकार किया कि वह टाटा, एचसीएल और एचडीएफसी जैसी बड़ी कंपनियों में नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगार युवकों को ठगता रहा है।
उसने पुलिस को बताया कि पहले तो वह बेरोजगार युवकों को फोन कर नौकरी दिलाने का झांसा देता था। झांसे में आ जानेवाले युवकों से वह रजिस्ट्रेशन, डॉक्यूमेंट, फाइलिंग एवं ट्रेनिंग के नाम पर पैसों की डिमांड करता था। वह पैसे अपने बैंक खातें में नहीं मंगवाता था बल्कि वह रूपयों को शहर के महाराजगंज रोड स्थित मां सरस्वती कैफे एवं सीएसपी सेंटर के बैंक खाते में डलवाता था। इसके बाद वह सीएसपी से रूपयों की नगद निकासी कर लेता था।
गुरुवार को दोपहर भी साइबर अपराधी सीएसपी सेंटर पर पैसा निकालने ही आया था। इसी दौरान गुप्त सूचना मिलने पर पुलिस ने उसे धर दबोचा।
अपर थानाध्यक्ष ने बताया कि पिछले 13 जुलाई को उसने साइबर फ़्रॉड कर किसी बेरोजगार युवक से 22000 रुपये मंगाए थे। इसी कारण सीएसपी संचालक के खातें को बैंक पोर्टल द्वारा फ्रीज कर दिया गया था। आज फिर से वह 30000 रुपये निकालने के लिए सीएसपी सेंटर पहुंचा था।
इसी दौरान पुलिस को इसकी खुफिया सूचना मिल गयी और पुलिस ने बिना विलंब किए दबोंच लिया।
उन्होने बताया कि गिरफ्तार साइबर अपराधी से उसके गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी ली जा रही है। उसकी निशानदेही पर अन्य अपराधियों को भी शीघ्र ही दबोंच लिया जाएगा।
गौरतलब है कि सीएसपी संचालकों द्वारा बाहर से पैसे मंगाने की सुविधा दी जाती है। इसके लिए उनके द्वारा अपने सीएसपी का ही बैंक खाता नंबर दे दिया जाता है। इसी बैंक खाता का नंबर रूपये मंगाने वाला भेजने वाले को दे देता है। भेजने वाला उसी खाते में रकम भेज देता है और मंगाने वाला सीएसपी से कैश ले लेता है। इसके बदले में सीएसपी संचालक रूपयें मंगाने वाले से सेवा शुल्क लिया करता है। हालांकि यह गलत है।
कायदे से सीएसपी संचालक के बैंक खाते में नही बल्कि मंगाने वाले के खाते में आनी चाहिए लेकिन सीएसपी संचालक कमीशन के लोभ में पड़कर इस तरह की सुविधा दिया करते है। इसी सुविधा का लाभ साइबर अपराधी फ्रॉड करने में उठा रहे है।
औरंगाबाद से धीरेन्द्र
Jul 28 2023, 14:13