उगापुर हवाईपटटी उपेक्षित, रनवे पर अतिक्रमण
भदोही- अंग्रेजों के समय में लगभग पांच हजार एकड़ में बनी उगापुर हवाईपट्टी 80 वर्ष बाद अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। हवाईपट्टी की 50 फीसदी से अधिक भूमि पर अवैध तरीके से कब्जा हो चुका है। आठ वर्ष पूर्व उड्डयन विभाग के अफसरों ने अतिक्रमण हटवाकर चहारदीवारी बनवाई लेकिन उसके बाद फिर कब्जा जारी है।
आजादी से पूर्व 1942 में अंग्रेजी सरकार ने सामानों को ढोने के लिए औराई से सटे उगापुर गांव में हवाईपट्टी का निर्माण कराया। करीब पांच हजार एकड़ में बनी हवाईपट्टी ढाई किमी लंबी और 55 मीटर चौड़ी है। उस दौरान माधोसिंह स्टेशन से हवाईपट्टी तक आठ किमी लंबी रेल लाइन भी बिछ़ाई गई थी। जहां से प्रतिदिन हवाईपट्टी के निर्माण संबंधी सामग्री और माल का परिवहन हुआ करता था। कुछ वर्ष तक तक माल वाहक एवं सामान्य जहाज यहां उतरते थे लेकिन जादी के बाद उक्त हवाईपट्टी पर दो हवाई जहाज उड़ान नहीं भर सके। अंग्रेजी अफसरों ने उड़ान न भरने वाले दोनों जहाजों का तेल निकाल कर आग के हवाले कर दिया जिसका मलवा वर्षों तक हवाई पटटी पर ही पड़ा रहा। बाद में उड्डयन विभाग मलवे को अपनी सुपुर्दगी में ले लिया। उसी दौरान हवाई पट्टी से कुछ दूर शुकुलपुर चकबीरा, नकटापुर और गरौली गांव में सुरक्षा कर्मियों एवं कर्मचारियों के लिए आवास भी बने थे वह भी खंडहर हो चुके हैं।
आजादी से अब तक का सफर करने वाले कुछ लोगों ने माना कि सरकार की नजर पड़ने पर ही हवाईपट्टी से उड़ान शुरु होगी और पांच हजार एकड़ क्षेत्रफल में मौजूद हवाईपटटी की भूमि अतिक्रमण से मुक्त हो सकेगी। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि हवाईपटटी दशा बदलते ही विश्व विख्यात कालीन से आयात-निर्यात में व्यापक बदलाव आएगा और कालीन कालीन कारोबार से जुड़े निर्यातकों को बंदरगाहों तक सीधी कार्गो की व्यवस्था साकार होती नजर आएगी। डीएम गौरांग राठी ने कहा कि उनके कार्यकाल में दो बार मामला सामने आया है। औराई तहसील प्रशासन से भौगोलिक स्थिति पर मंथन किया जाएगा।
Jul 09 2023, 13:37