*पांडवों से जुड़ा है तिलेश्वनाथ शिवलिंग, तीन बार स्वरुप बदलने के कारण यहां पर भक्तों की पूरे सावन माह रहती है भारी भीड़*
भदोही। पूर्वांचल में ऐसे कई धार्मिक मंदिर व धरोहर हैं जिनका इतिहास पौराणिक तो है ही लोगों के आस्था का केंद्र भी है। इन्हीं प्राचीन व पौराणिक मंदिर व तीर्थ स्थलों में शुमार है जिले के गोपीगंज क्षेत्र के तिलंगा में स्थित तिलेश्वर नाथ मंदिर। दरअसल इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग साल में तीन बार अपने स्वरूप बदलने के कारण प्राचीन काल से ही लोगों की आस्था का प्रतीक है। सावन में इस मंदिर का माहात्म्य काफी बढ़ जाता है। उन्हें प्रसन्न करने के लिए भक्त सैकड़ों किलोमीटर की पैदल कांवर यात्रा कर उनका जलाभिषेक करने पहुंचते हैं।
गौरतलब हो कि देश में अनेक ऐसे शिवलिंग है जो अपने अदभुत व अलौकिक शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है। भगवान शिव के कुछ शिवलिंगों में अपने आप जल की धारा बरसती है तो कुछ शिवलिंग का आकार दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। इसी क्रम में जिले में स्थित तिलेश्वर नाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग जहां सावन में भक्तों का रेला उमड़ता है। गंगा के तट पर स्थित मंदिर का यह शिवलिंग अपने रहस्यमयी स्वरूप के लिए जाना जाता है।सावन के महीने में किया जाने वाला उपाय बहुत विशेष होता है। राशि के अनुसार सावन के महीने में शिव जी का अभिषेक करने पर सभी तरह की मनोकामनाएं जल्द पूरी होती हैं।
पांडवकालीन शिवलिंग वर्ष की तीन ऋतुओं में तीन बार अपना स्वरूप बदलने के लिए प्रसिद्ध है। इस पर भक्तों की अपार श्रद्धा और विश्वास है। मान्यता है कि पांडवों ने इसे अपने अज्ञातवास के दौरान स्थापित किया था। महाभारत के वन पर्व में इसका उल्लेख भी मिलता है। इस मूर्ति का हर चार महीने में स्वत: रंग बदल जाता है। सावन में काला स्वरूप, गर्मी में गेहुंआ और ग्रीष्म ऋतु में यह शिवलिंग भूरे स्वरूप में हो जाता है। मंदिर के महासचिव जटाशंकर पांडेय बताते हैं कि 1997 श्री तिलेश्वरनाथ शृंगार समिति के नेतृत्व में मंदिर सुंदरीकरण के लिए खुदाई की गई थी। 20 फीट खुदाई के बाद भी शिवलिंग का अंतिम छोर नहीं मिल पाया था। मंदिर के पुजारी राजेश ने शिवलिंग के रहस्य के बारे में बताया कि यह शिवलिंग सावन के महीने में चप्पड़ (ऊपरी परत) छोड़ता है, लेकिन वह आज तक किसी के हाथ नहीं लग सका है। उन्होंने बताया कि सच्चे मन से जो भी मुराद मांगी जाती है, वह अवश्य पूरी होती है।
Jul 07 2023, 16:08