समान नागरिक संहिता पर भाजपा के एक और सहयोगी की अलग राय, अन्नाद्रमुक ने केंद्र से यूसीसी के लिए संविधान में कोई संशोधन नहीं लाने का किया आग्रह, न


एआईएडीएमके महासचिव एडप्पादी पलानीस्वामी ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि समान नागरिक संहिता पर हमारा रुख 2019 के चुनाव घोषणापत्र के समान है। हमने वहां सब कुछ संक्षेप में बताया है।

भाजपा की सहयोगी अन्नाद्रमुक ने केंद्र से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लिए संविधान में कोई संशोधन नहीं लाने का आग्रह किया है। अन्नाद्रमुक का मानना है कि यह भारत के अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। नेशनल पीपुल्स पार्टी के बाद, प्रस्तावित यूसीसी पर आपत्ति व्यक्त करने वाला यह भाजपा का दूसरा प्रमुख सहयोगी है। इससे पहले, नागालैंड में भाजपा की एक अन्य सहयोगी नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) ने समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन पर अपनी आपत्ति जताई थी।

पलानीस्वामी ने क्या कहा

एआईएडीएमके महासचिव एडप्पादी पलानीस्वामी ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि समान नागरिक संहिता पर हमारा रुख 2019 के चुनाव घोषणापत्र के समान है। हमने वहां सब कुछ संक्षेप में बताया है। यूसीसी उन कानूनों के एक सामान्य समूह को संदर्भित करता है जो भारत के सभी नागरिकों पर लागू होते हैं जो धर्म पर आधारित नहीं हैं और विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने सहित अन्य व्यक्तिगत मामलों से संबंधित हैं। हालाँकि, गोवा भारत का एकमात्र राज्य है जहाँ समान नागरिक संहिता है। यह पुर्तगाली नागरिक संहिता 1867 का पालन कर रहा है, जिसे समान नागरिक संहिता भी कहा जाता है। पुर्तगाली शासन से मुक्ति के बाद, यूसीसी गोवा, दमन और दीव प्रशासन अधिनियम, 1962 की धारा 5(1) के माध्यम से जीवित रहा।

मेघालय के सीएम कोनराड संगमा ने कहा कि समान नागरिक संहिता भारत के वास्तविक विचार के विपरीत है। उन्होंने कहा कि भारत एक विविधतापूर्ण देश है और विविधता ही हमारी ताकत है। एक राजनीतिक दल के रूप में, हमें एहसास है कि पूरे पूर्वोत्तर में अनूठी संस्कृति है और हम चाहेंगे कि वह बनी रहे। अपने राज्य का उदाहरण लेते हुए संगमा ने कहा, "उदाहरण के लिए, हम एक मातृसत्तात्मक समाज हैं और यही हमारी ताकत रही है और यही हमारी संस्कृति रही है। अब इसे हमारे लिए नहीं बदला जा सकता है।" हालाँकि, एनपीपी प्रमुख ने कहा कि यूसीसी ड्राफ्ट की वास्तविक सामग्री को देखे बिना विवरण में जाना मुश्किल होगा।

दिल्ली, पंजाब के बाद अब हिमाचल प्रदेश में सरकार और राज्यपाल के बीच ठनी,

हिमाचल राजभवन ने एक विधेयक को अपने पास रखा, दूसरे को दोबारा परीक्षण के लिए भेजा, कुदी आम आदमी पार्टी


देश की राजनीति में इन दिनों चुनी हुई सरकार और राज्यपाल के बीच तकरार लगातार सुर्खियों में है। दिल्ली और पंजाब के बाद हिमाचल प्रदेश में भी ऐसा ही तकरार नजर आ रहा है।

हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार में विधानसभा से पारित दो विधेयक कानून नहीं बन सके हैं। हिमाचल राजभवन ने एक विधेयक को अपने पास रखा है, जबकि दूसरे को दोबारा परीक्षण के लिए वापस भेज दिया है। जानकारी के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने लोकतंत्र प्रहरी सम्मान विधेयक को मंजूरी नहीं दी है। वहीं, सुखाश्रय विधेयक को भी राज्य सरकार के पास कुछ बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है।

मामले में कूदी आम आदमी पार्टी

हिमाचल प्रदेश मेल उपज रहे इस सियासी तकरार में आम आदमी पार्टी भी कूद गई है। आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली से विधायक नरेश बालियान ने ट्वीट करते हुए लिखा- 'पहले ही अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली तो बस शुरुआत है। पूरे देश में ये राज्यपाल के द्वारा सत्ता हथियाना चाहेंगे। अब अजय माखन क्या करोगे? यहां भी मत मदद करना अपने मुख्यमंत्री को, यहां मदद किया तो फिर दिल्ली में क्या जवाब दोगे? आप लोग इसी चक्कर में पांडिचेरी खो चुके हो।

AAP ने मांगा विपक्षी दलों का साथ

इससे पहले विपक्षी एकता की बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इसी बात को लेकर नाराज हो गए थे कि कांग्रेस केंद्र सरकार की ओर से पारित अध्यादेश मामले में आम आदमी पार्टी का साथ नहीं दे रही है। बैठक से पहले केजरीवाल ने कहा था कि केंद्र सरकार ने दिल्ली अध्यादेश के सहारे एक प्रयोग किया है। अगर वो इसमें सफल हो जाती है, तो फिर एक-एक कर सभी गैर-बीजेपी राज्यों के लिए समवर्ती सूची के तहत आने वाले विषयों पर अध्यादेश जारी कर राज्यों के अधिकार छीन लिए जाएंगे। इसी लिए सभी पार्टियां मिलकर इसे किसी हालत में संसद में पास न होने दें।

ध्वनिमत से पारित हुआ था विधेयक

बता दें कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बजट सत्र के दौरान लोकतंत्र प्रहरी सम्मान निरसन विधेयक को पारित करने का प्रस्ताव किया था। भारतीय जनता पार्टी ने विधेयक निरसन को लेकर खूब हंगामा किया और विरोध में वॉकआउट कर दिया। इस बीच सत्तापक्ष ने ध्वनिमत से इस कानून विधेयक को पारित किया इसके तहत पूर्व भाजपा सरकार ने आपातकाल के वक्त जेल में रहने वाले नेताओं की अलग-अलग दो श्रेणियों में 20 हजार रुपए और 12 हजार रुपए हर महीने सम्मान राशि के तौर पर देने का प्रावधान किया था।

सुक्खू सरकार ने इसे राजनीति से जुड़ा हुआ बताते हुए खत्म करने का प्रस्ताव पेश किया। सत्तापक्ष कांग्रेस के कई विधायकों ने इसे आरएसएस और भाजपा के लोगों को फायदा देने वाला बताया था। सदन में भारी विरोध के बीच सरकार ने लोकतंत्र सम्मान प्रहरी निधि को खत्म करने का फैसला ले लिया। इससे पहले हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में ज्वालामुखी के विधायक संजय रतन ने इस सम्मान राशि को खत्म करने की मांग उठाई थी।

इसके अलावा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने हिमाचल प्रदेश सुखाश्रय विधेयक 2023 को भी पारित किया है। इसमें अनाथ बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट मानते हुए कई कानूनी प्रावधान दिए गए हैं। मुख्यमंत्री का कहना है कि बच्चों अनाथ बच्चों को सरकार उनका अधिकार दे रही है। भाजपा ने इस विधेयक पर तर्क दिया था कि केंद्र सरकार के पहले से चल रहे प्रावधानों में जोड़ने की बात की थी। विपक्ष की ओर से इसमें कई खामियां भी गिनाई गई थी।

जानकारी के मुताबिक, अब राज्यपाल ने कुछ बिंदुओं पर सरकार को स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है। सरकार ने यह फाइल विधि विभाग के पास भेजी है। वित्त विभाग से राय-मशवरा करने के बाद इसे दोबारा राजभवन भेजा जाना है। हालांकि अभी तक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से किसी भी विवाद से इनकार किया जा रहा है। अगर राज्यपाल और सरकार के बीच विवाद होता है तो गैर भाजपा शासित राज्य में चल रही इस सियासी लड़ाई में हिमाचल प्रदेश नहीं एंट्री होगी।

अजित पवार का शरद पवार पर तंज, कहा-अब आराम करें, 83 साल के हो गए, कब रिटायर होंगे?

#Maharashtra_Political_Crisis 

राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार के बीच तनाव बढ़ता नजर आ रहा है। दरअसल, अपनी ही पार्टी से बगावत करके महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री बने अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार पर तंज कसा है। अजित पवार ने बुधवार को मुंबई में शक्ति प्रदर्शन किया। इस दौरान अपने संबोधन में अजीत पवार ने कहा कि शररद पवार पर तंज कसते हुए कहा कि अब उनकी उम्र हो गई है, उन्हें रिटायर होकर हमें आशीर्वाद देना चाहिए।

शरद गुट के कई विधायकों के आने का दावा

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बुधवार दोपहर को अपने गुट के विधायकों की बैठक को संबोधित किया। उनके साथ कुल 32 विधायक हैं, इनमें 30 मीटिंग में मौजूद रहे जबकि 2 विदेश में हैं। अजित पवार ने दावा किया कि जल्द ही शरद पवार गुट की तरफ से अभी अन्य विधायक हमारे साथ आएंगे।

बीजेपी में 75 की उम्र वाले नेता रिटायर हो जाते हैं-अजीत पवार

अजित पवार ने शरद पवार पर तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी में 75 साल की उम्र वाले नेता भी रिटायर हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोग ये बात नहीं समझते हैं। अजित ने शरद पवार को लेकर कहा कि आपकी उम्र ज्यादा हो गई है तो हमें आशीर्वाद दीजिए, हम आपके घर में पैदा नहीं हुए हैं तो इसमें हमारी क्या गलती है। आपने सुप्रिया सुले को पार्टी अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया था, उसके लिए हम तैयार थे। जब आपको इस्तीफा वापस ही लेना था तो दिया ही क्यों था।

तो आज महाराष्ट्र में एनसीपी का सीएम होता- अजीत पवार

अजित पवार ने अपने संबोधन में कहा कि जब हम कांग्रेस के साथ थे, तब कहा जाता था कि सोनिया गांधी परदेसी हैं इसलिए वो प्रधानमंत्री नहीं बन सकतीं, लेकिन उसके बाद भी कांग्रेस की सरकार आई थी। अजित पवार ने कहा, 2004 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी के पास कांग्रेस से ज्यादा विधायक थे। अगर हमने उस समय कांग्रेस को मुख्यमंत्री पद नहीं दिया होता तो आज तक महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का ही मुख्यमंत्री होता।

शिवसेना की विचारधारा स्वीकार तो बीजेपी से आपत्ति क्यों?

अजित पवार ने इसके साथ ही सवाल किया, ‘जब हम शिवसेना की विचारधारा को स्वीकार कर सकते हैं तो फिर बीजेपी के साथ जाने में क्या आपत्ति है? हम एक स्वतंत्र इकाई के रूप में इस गठबंधन में शामिल हुए हैं। जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला बीजेपी के साथ चले गए और अब वे संयुक्त विपक्ष का हिस्सा हैं।

महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच एनसीपी को लेकर शरद पवार और अजीत पवार के बीच जंग जारी, डिटेल में पढ़िए, कौन किस पर पड़ रहा भारी

महाराष्ट्र में राजनैतिक घमासान जारी है। इस बीच अजित पवार गुट की बैठक में छगन भुजबल ने दावा किया कि 40 से अधिक विधायक और MLC हमारे साथ हैं। हमने शपथ लेने से पहले पूरी मेहनत की है। हमने शपथ ऐसे ही नहीं ली।

महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच एनसीपी को लेकर शरद पवार और अजीत पवार के बीच जंग जारी है। इन सबके बीच आज दोनों गुटों की ओर से शक्ति प्रदर्शन किया जा रहा है। अजित पवार गुट का दावा है कि उनके साथ 42 से ज्यादा विधायक हैं। कुछ विधायकों के नाम भी सामने आ गए हैं। वहीं, अजित पवार गुट की ओर से शरद पवार के समक्ष एक बड़ी शर्त रख दी गई है। इससे पहले 2 जुलाई को, अजीत पवार महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा गठबंधन में शामिल हो गए और एक आश्चर्यजनक और नाटकीय राजनीतिक कदम में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जिसने अगले साल लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले राज्य में राजनीतिक समीकरण बदल दिए।

छगल भुजबल की शर्त

अजित पवार गुट की बैठक में छगन भुजबल ने दावा किया कि 40 से अधिक विधायक और MLC हमारे साथ हैं। हमने शपथ लेने से पहले पूरी मेहनत की है। हमने शपथ ऐसे ही नहीं ली। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम पर कानूनी मामलों के डर से यहां (अजित पवार के साथ) आने का आरोप लगाया जा रहा है। यह सही नहीं है। धनंजय मुंडे, दिलीप वाल्से पाटिल और रामराजे निंबालकर के खिलाफ कोई मामला नहीं है। हम यहां केवल इसलिए हैं क्योंकि आपके (शरद पवार) साहब के आसपास कुछ करीबी सहयोगी हैं, वे पार्टी को खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि एक बार जब आप उन्हें किनारे कर देंगे तो हम आपके पास वापस आने के लिए तैयार हैं। 

इनके नाम आए सामने

अजित पवार खेमे में NCP विधायकों की सूची सामने आ गई है। इसमें विधानसभा से 1) अजित पवार 2) छगन भुजबल 3) हसन मुश्रीफ 4) नरहरि झिरवाल 5) दिलीप मोहिते 6) अनिल पाटिल 7) माणिकराव कोकाटे 8) दिलीप वलसे पाटिल 9) अदिति तटकरे 10) राजेश पाटिल 11) धनंजय मुंडे 12) धर्मराव अत्राम 13 ) अन्ना बंसोड़ 14) नीलेश लंके 15) इंद्रनील नाइक 16) सुनील शेलके 17) दत्तात्रय भरणे 18) संजय बंसोड़ 19) संग्राम जगताप 20) बीइंग दिलीप 21) सुनील टिंगरे 22) सुनील शेलके 23) बालासाहेब अजाबे 24) दीपक चव्हाण 25) यशवंत माने 26) नितिन पवार 27) शेखर निकम 28) संजय शिंदे 29) राजू क्रोमारे शामिल है। वहीं, विधान परिषद से 1) अमोल मिटकारी 2) रामराजे निंबालकर 3) अनिकेत तटकरे 4) विक्रम काले शामिल हैं।

फुल फॉर्म में दिखे आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव, केंद्र सरकार पर बोला तीखा हमला, कहा, जब तू ना रहबा तब का होई, नरेंद्र मोदी समझ ल उखाड़ के फेंक देब


आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव फिर एक बार फुल फॉर्म में दिखे। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है। लैंड फॉर जॉब मामले में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव समेत लालू परिवार के लोगों के खिलाफ सीबीआई द्वारा चार्जशीट दायर करने पर लालू यादव ने मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने की धमकी दी। आरजेडी के स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लालू ने भोजपुरी बोलते हुए अपने अंदाज में पीएम को चेतावनी देते हुए कहा- जब तू ना रहबा तब का होई, नरेंद्र मोदी समझ ल उखाड़ के फेंक देब।

आरजेडी के 27वें स्थापना दिवस के मौके पर पटना स्थित दफ्तर में बुधवार को राज्यस्तरीय आयोजन किया गया। इसमें आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव समेत पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं ने शिरकत की। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए लालू ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार को उखाड़ के फेंक देंगे। उन्होंने भोजपुरी में बोलते हुए कहा, "उखाड़ के फेंक देब, नरेंद्र मोदी, समझ ल, ज्यादा जुल्म नहीं करना, कोई ठहरा नहीं, जिस पर चाहते हैं, मुकदमा करो-मुकदमा करो, जब तू ना रहबा तब का होई।" लालू के कहने का मतलब है कि जब तुम नहीं रहोगे, तब क्या होगा, नरेंद्र मोदी समझ लें, ज्यादा जुल्म नहीं करना, उखाड़ फेंक देंगे।

लालू यादव ने कहा कि देहात में पहले लोग गरीबों को ऐसे ही सताते थे। वे गरीबों को कहते थे कि कोर्ट में केस कर देंगे, हाईकोर्ट तक पहुंचा देंगे। लालू ने कहा कि हम लोग डरने वाले नहीं हैं, 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाला है, कर्नाटक तो अभी झांकी है। लालू प्रसाद ने पार्टी की स्थापना के कारण, जेपी आंदोलन, पार्टी के संघर्ष और राष्ट्रीय स्तर पर देश के समक्ष एकता और अखंडता के सामने खतरे के प्रति भी आगाह किया। इस मौके पर राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष का स्वागत किया। इस मौके पर पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी, उदय नारायण चौधरी,श्याम रजक, कांति सिंह सहित अन्य प्रमुख नेता मौजूद रहे।

बता दें कि रेलवे में नौकरी के बदले जमीन देने के मामले में लालू यादव, उनकी पत्नी, बेटे और बेटियां समेत अन्य कई करीबी आरोपी हैं। सीबीआई ने हाल ही में इस केस की सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की, जिसमें डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को भी आरोपी बनाया गया है। पहले उनका नाम केस में न हीं था। इस मामले की सुनवाई दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में 12 जुलाई को होगी। फिलहाल लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी एवं अन्य जमानत पर हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भाया पहाड़ के फलों का राजा ‘काफल’, उत्तराखंड के सीएम धामी ने किए थे गिफ्ट, प्रदेश को प्रकृति ने दिए हैं उपहार


उत्तराखंड के काफल के दीवाने अभी तक आम जनता थी, लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस लिस्ट में शामिल हो गए हैं। पीएम मोदी को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने काफल भेंट किए थे। इस काफल को खाकर पीएम मोदी इसके दीवाने हो गए। ये प्रधानमंत्री खुद कह रहे हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट किये गए उत्तराखंड के प्रसिद्ध फल काफल उन्हें बहुत पसंद आए। प्रधानमंत्री मोदी ने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री धामी का आभार व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को संबोधित अपने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देवभूमि उत्तराखंड से भेजे गए रसीले और दिव्य मौसमी फल ‘काफल’ प्राप्त हुए।

पीएम मोदी ने आगे लिखा कि हमारी प्रकृति ने हमें एक से बढ़कर एक उपहार दिए हैं और उत्तराखण्ड तो इस मामले में बहुत धनी है, जहां औषधीय गुणों से युक्त कंद-मूल और फल-फूल प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैँ। काफल ऐसा ही एक फल है जिसके औषधीय गुणों का उल्लेख प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी मिलता है।

उत्तराखंड की संस्कृति में रचा बसा है काफल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि काफल उत्तराखण्ड की संस्कृति में भी रचा बसा है। इसका उल्लेख विभिन्न रूपों में यहां के लोकगीतों में भी पाया जाता है। उत्तराखण्ड जाएं और वहां मिलने वाले विभिन्न प्रकार के पहाड़ी फलों का स्वाद ना लें, तो यात्रा अधूरी लगती है। गर्मियों के मौसम में पक कर तैयार होने वाले काफल राज्य में आने वाले पर्यटकों में भी खासे लोकप्रिय हैं। अपनी बढ़ी हुई मांग के कारण मध्य हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाला यह फल स्थानीय लोगों को आर्थिक मजबूती भी प्रदान कर रहा है।

ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे काफल

पीएम मोदी ने कहा कि मुझे खुशी है कि काफल के लिए उपयुक्त बाजार सुनिश्चित कर गुणों से भरपूर इस फल को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। बाबा केदार और भगवान बद्री विशाल से उत्तराखंड के लोगों के कल्याण और राज्य की समृद्धि की कामना करता हूँ।

सीएम धामी ने जताया पीएम का आभार

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पत्र हेतु हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री जी के इन स्नेहपूर्ण शब्दों से हमारा तथा समस्त राज्यवासियों का उत्साहवर्धन हुआ है। उन्होंने काफल और उत्तराखंड के लिए कहे शब्दों के लिए पीएम का धन्यवाद दिया है।

पेट्रोल का भाव हो जाएगा 15 रूपये प्रति लीटर! नितिन गडकरी ने दिया खुश करने वाला बयान

#nitin_gadkari_-says_petrol_will_cost_rs_15_per_liter 

पेट्रोल के नाम पर ना जाने कितने रूपये हम “फूंक” देते हैं। ऑफिस से लेकर बाजार तक जाने के लिए हम गाड़ी का सहारा लेते हैं। ये गाड़ियां पानी से तो चलती नहीं है, पेट्रोल पीती हैं। जिसके लिए जेब ढीली करनी पड़ती है।इस बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ऐसा बयान दिया है। जिसे सुनकर हर कोई खुशी से नाच उठेगा।जी हां, नितिन गडकरी ने कहा है कि पेट्रोल 15 रुपये लीटर हो सकता है।

अब गाड़ियां किसानों के तैयार इथेनॉल पर चलेंगी-गडकरी

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने राजस्थान के प्रतापगढ़ में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि 40 फीसदी बिजली और 60 फीसदी इथेनॉल का एवरेज पकड़ा जाएगा तो पेट्रोल का भाव 15 रुपये लीटर हो जाएगा। इससे देश की जनता का भला होगा। प्रदूषण में कमी आएगी, साथ ही किसान अन्नदाता से ऊर्जादाता बनेगा। गडकरी ने कहा कि हमारी सरकार का कमाल है कि आज हवाई जहाज का ईधन भी किसान बना रहा है। मैं अगस्त में टोयोटा कंपनी की गाड़ियां लॉन्च कर रहा हूं। अब सभी गाड़ियां किसानों के तैयार किए इथेनॉल पर चलेंगी।

परली से इथेनॉल तैयार हो रहा-गडकरी

नितिन गडकरी ने आगे कहा कि 16 लाख करोड़ का ईंधन इम्पोर्ट अब किसानों के घर में जाएगा। पानीपत से परली से इथेनॉल तैयार हो रहा है। उन्होंने कहा कि अब परली से डामर भी तैयार होगा।

कांग्रेस ने अपने लोगों की गरीबी दूर कर दी-गडकरी

सभा को संबोधित करते हुए गडकरी ने कांग्रेस पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इतने सालों तक देश का शासन किया लेकिन गरीबी दूर नहीं हुई जबकि उसी ने गरीबी हटाने का नारा दिया था। मगर ऐसा नहीं हुआ। हां एक बात जरूर हुई कि कांग्रेस ने अपने लोगों की गरीबी दूर कर दी।

एनसीपी की सरकार में एंट्री से शिदें गुट के कई नेता नाखुश, बीजेपी विधायकों में भी नाराजगी

#after_ncp_joined_our_people_are_upset 

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी)दो गुटों में बंट गई है। अजित पवार अपने चाचा शरद पवार से बगावत कर एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है। उनके साथ एनसीपी के 8 विधयकों ने भी शिंदे सरकार में मंत्री पद की शपथ ली है। एनसीपी नेता अजित पवार के मंत्रिमंडल में अपने समर्थकों संग शामिल होने से एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों में नाराजगी देखी जा रही है। शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता संजय शिरसाट ने कहा कि हम हमेशा से एनसीपी और शरद पवार के खिलाफ रहे हैं। संजय शिरसाट ने ये भी कहा कि अजित पवार के साथ आने ने बीजेपी विधायक भी नाखुश हैं। 

तीन पार्टियों का मंत्रीमंडल कैसे करेगा काम?

संजय शिरसाट के मुताबिक शिंदे- फडणवीस सरकार के पास 170 से ज्यादा विधायकों का संख्या बल था। ऐसे में एनसीपी को सरकार में शामिल करवाने की कोई जरूरत नहीं थी। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि राजनीति में कई बार कई समीकरण बैठाये जाते हैं। लेकिन एनसीपी नेताओं के साथ आने के बाद हमारे नेता नाराज हैं, क्योंकि एनसीपी के शामिल होने के बाद हमारे कुछ नेताओं को मनचाहा पद नहीं मिलेगा। उन्होंने ये भी कहा कि यह सच नहीं है कि हमारे सभी नेता एनसीपी के हमारे साथ आने से नाराज हैं। हमने सीएम और डिप्टी सीएम को भी इसकी जानकारी दी है और उन्हें इस मुद्दे को हल करना होगा। शिरसाट का कहना है कि हमारे विधायकों के मन में यह सवाल भी है कि आखिर तीन पार्टियों का मंत्रीमंडल किस तरह से काम करेगा?

शिंदे गुट में बेचैनी की वजह

अजित कैंप के सरकार में शामिल होने से शिंदे सेना में बेचैनी बढ़ने की वजह मलाईदार मंत्रालय हैं। सरकार में मलाईदार विभाग एनसीपी को ना मिलें, इसलिए शिंदे सेना बीजेपी पर दबाव बना रही है। वित्त, जल संसाधन और लोक निर्माण मंत्रालय एनसीपी को नहीं मिलनी चाहिए, इस तरह की मांग शिंदे सेना के मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से की है। दरअसल शिंदे सेना के विधायकों को डर है कि अगर अजित पवार को वित्त मंत्रालय दे दिया गया तो अजित दादा विकास फंड देने में परेशानी खड़े कर सकते हैं। शिंदे सेना में जो विधायक मंत्री बनने की आस लगाए हुए थे वह सबसे ज्यादा नाराज हैं। 

विधायकों की नाराजगी कैसे दूर करेंगे शिंदे?

विधायकों में बढ़ती इसी नाराजगी की वजह से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को अपना नागपुर दौरा बीच में छोड़कर मंगलवार रात मुंबई लौटना पड़ा था। मंगलवार देर रात तक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने मंत्रियों के साथ बैठक की और उन्हें समझाने की कोशिश की। आज शाम 7 बजे एकनाथ शिंदे अपने सभी विधायकों के साथ बैठक करेंगे।इस बैठक में विधायक अपनी नाराजगी के बारे में एकनाथ शिंदे को बताएंगे।

एक साल पहले कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए सुनील जाखड़ को कैसे मिल गई पंजाब की कमान, जानें राजस्थान तक है कैसे “कमल” खिलाने का प्लान?

#sunil_jakhar_will_be_in_big_role_in_punjab_and_rajasthan 

भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले पूर्व कांग्रेसी सुनील जाखड़ को बीजेपी ने पंजाब की कमान सौंपी है। भाजपा के लिहाज से यह चौंकाने वाला फैसला रहा क्योंकि जाखड़ को भाजपा में आए अभी करीब 1 ही साल हुआ है। पार्टी में पहली बार किसी ऐसे नेता को अध्यक्ष बनाया गया है जो एक साल पहले ही पार्टी में शामिल हुआ है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि इसकी क्या वजह है?

सुनील जाखड़ को ऐसे ही भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नहीं बना दिया गया है। सुनील जाखड़ को भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनाया जाना वैसे तो काफी हैरानी भरा रहा, क्योंकि जाखड़ के अलावा भाजपा में कई वरिष्ठ अन्य नेता भी थे, जो इस पद के लिए पूरी तरह से योग्य थे, लेकिन इन सबको दरकिनार कर पार्टी ने जाखड़ को जिम्मेदारी सौंपी। इसका एक लंबा राजनीतिक संदेश है। भाजपा अब सुनील जाखड़ को पंजाब में सारथी बना कांग्रेस के किले को ध्वस्त करना चाहती है। वहीं जाट और हिंदू मतदाताओं को भी लामबंद करने की योजना है।

2022 में भाजपा ने अश्वनी शर्मा की अगुवाई में पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में भाजपा को सात फीसदी से कम वोट मिले थे। वहीं पार्टी महज दो सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी थी। तीन कृषि कानूनों और किसान आंदोलन के बाद पंजाब में भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा। पार्टी की छवि को भी गहरा झटका लगा है। अब बीजेपी सुनील जाखड़ के सहारे इस नुकसान की भरपाई करना चाहती है।

बीजेपी ने पंजाब की जिम्मेदारी सुनील जाखड़ को देकर एक तीर से दो निशाने साधे हैं। यानी पंजाब के सा-साथ राजस्थान पर भी सियासी पकड़ मजबूत बनाने का लक्ष्य है।राजस्थान में इस बार विधानसभा चुनाव से पहले सभी जातियों को साधने का काम तेज हो गया है। बीजेपी ने राजस्थान में दलितों को साधने के लिए अर्जुन राम मेघवाल को प्रमोट किया और फिर बीकानेर, सीकर, नागौर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर और झुंझुनूं में जाटों को साधने के लिए सुनील जाखड़ को पंजाब का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। सुनील जाखड़ की जड़ें राजस्थान के इन क्षेत्रों में हैं। सुनील जाखड़ भले ही पंजाब में पैदा हुए हों लेकिन उनके पिता बलराम जाखड़ सीकर से दो बार और एक बार बीकानेर से सांसद रहे हैं। उनकी राजस्थान कांग्रेस और जाटों में मजबूत पकड़ थी। ऐसे में सुनील जाखड़ को उसी नजरिए से यहां की राजनीति में देखा जा रहा है।

सुनील जाखड़ हिंदू जाट समुदाय से आते हैं। राजस्थान में 15 फीसदी जाट हैं, जो 50 से 60 विधानसभा सीटों पर असर डालते हैं। 2018 के चुनाव में राजस्थान की 200 सीटों में से 31 जाट उम्मीदवार जीते थे। ऐसे में सुनील जाखड़ बीजेपी के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं। राजस्थान में इन दिनों कांग्रेस में जाट के दो बड़े नेता खुलकर सामने हैं। सीकर से गोविंद सिंह डोटासरा और बीकानेर से रामेश्वर डूडी की चर्चा है। बलराम जाखड़ बीकानेर और सीकर दोनों जगहों से तीन बार सांसद चुने गए थे। ऐसे में सुनील जाखड़ बीजेपी के बड़ा हथियार साबित हो सकते हैं।

अजीत अगरकर बने टीम इंडिया के चीफ सेलेक्टर, सैलरी के तौर पर मिलेगा एक करोड़ सालाना

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अजीत अगरकर भारतीय क्रिकेट टीम के नए मुख्य चनयकर्ता चुने गए हैं। वह चेतन शर्मा की जगह यह जिम्मेदारी संभालेंगे।बीसीसीआई ने अजीत को राष्ट्रीय चयन समिति के पद की जिम्मेदारी सौंपी और इसकी जानकारी उन्होंने ट्वीट के जरिए दी।बता दें कि ये पद पिछले 5 महीनों से खाली था। भारतीय क्रिकेट चयन समिति के पूर्व अध्यक्ष चेतन शर्मा ने एक स्टिंग ऑपरेशन में फंसने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद ये यह पद खाली था। अब अजीत अगरकर को यह जिम्मेदारी दी गई है।

अजीत अगरकर को मुख्य चयनकर्ता बनाए जाने की अटकलें काफी पहले से लगाई जा रही थीं।अजीत अगरकर ने कुछ दिन पहले ही आईपीएल टीम दिल्ली कैपिटल्स में अपने पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद से ही यह लगभग तय हो गया था कि वह भारतीय क्रिकेट टीम के नए मुख्य चयनकर्ता होंगे।22 जून के बीसीसीआई ने एक विज्ञापन के जरिये चयन समिति में एक खाली पद के लिए आवेदन मांगे थे। इस समय अजीत अगरकर ने आवेदन किया था और तभी से वह इस पद को भरने के लिए प्रबल दावेदार माने जा रहे थे।

वहीं, बीसीसीआई की ओर से चीफ सिलेक्टर की सैलरी में इजाफा किया गया है। बतौर चीफ सिलेक्टर अजीत अगरकर को बीसीसीआई की ओर से एक करोड़ रुपये सलाना मिलेंगे। बाकी सिलेक्टर की सैलरी में भी बीसीसीआई की ओर इजाफा किया है। ऐसी खबरें भी सामने आई थी कि सिलेक्टर की सैलरी कम होने की वजह से कोई बड़ा खिलाड़ी इस पद पर अप्लाई नहीं करना चाहता। यह जानकारी भी मिली कि वीरेंद्र सहवाग ने कम सैलरी होने की वजह से चीफ सिलेक्टर बनने का प्रस्ताव ठुकरा दिया।