*काशी-प्रयाग के मध्य इतिहास को समेटे है सेमराधनाथ धाम, कुएं में विराजमान है स्वयंभू*
नितेश श्रीवास्तव
भदोही इस साल सावन में 19 साल बाद सावन का अद्भुत संयोग बन रहा है। इस बार सावन आठ सोमवार के साथ 59 दिनों होगा। अधिमास लगने के कारण यह संयोग बना हैं। दो महीने के सावन होने से महादेव के भक्त प्रफ्फुलित हैं। मंगलवार से दो महीने तक शिवालय हर-हर महादेव के उद्धोष से गुंजायमान रहेंगे।काशी- प्रयाग और विंध्य के मध्य भदोही में गंगा के तट पर स्थित प्राचीन बाबा सेमराधनाथ धाम का अद्भुद शिवलिंग इतिहास को खुद में समेटे है। जमीन से करीब 15 फीट नीचे कुएं में विराजमान स्वयंभू सेमराधनाथ में देश का पांचवां कुंभ मेला लगता है ।
जिसका उल्लेख श्रीमद्भागवत सहित अन्य कई पुराणों में मिलता है। यहां हर सोमवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। सावन के तेरस को बड़ी संख्या में कावंरिया जलाभिषेक करने आते हैं। जिले के जंगीगंज कस्बे से 13 किलोमीटर दक्षिण और सीता समाहित स्थल सीतामढ़ी से 15 किलो मीटर पूरब उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर स्वयंभू बाबा सेमराधनाथ मंदिर स्थित है। पुराणों और ग्रंथों में इसे उप ज्योतिर्लिंग की संज्ञा दी गई है।
इस मंदिर का उल्लेख पद्म पुराण, शिव पुराण, लिंग पुराण सहित श्रीमद्भागवत के दशम स्कंद में भी मिलता है। मान्यता है कि कालांतर में भगवान शिव की प्रेरणा से एक व्यापारी ने जब सेमराध स्थित इस स्थल की खुदाई प्रारंभ की तो जमीन से 15 फिट नीचे एक अद्भुत और चमत्कारिक शिवलिंग मिला ।इसका आकर एक मीटर लंबा तथा आधे मीटर मोटे व्यास में है,जो बाई ओर थोड़ा झुका था। वैसे वर्ष भर दर्शनार्थियों से प्रांगण गुलजार रहता है लेकिन सावन में शिवालय का महात्मय बढ़ जाता है। तेरस के दिन बड़ी संख्या में कांवरिये और श्रद्धालु बाबा सेमराध का जलाभिषेक करते हैं।
Jul 04 2023, 14:13