आदिवासी क्यों कर रहे हैं समान नागरिक संहिता का विरोध, कई राज्यों में उठ रहे विरोध में स्वर

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान नागरिक संहिता को लेकर जबसे बयान दिया है, तब से देशभर में इस पर बहस जारी है।लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पूरी सियासत इसी यूनिफार्म सिविल कोड के ईदगिर्द ही नजर आएगी। इसलिए केंद्र सरकार भी इस दिशा में तेजी से काम करते हुए दिखाई दे रही है।माना जा रहा है कि मोदी सरकार मानसून सत्र में ही यूसीसी विधेयक ला सकती है। विधि आयोग ने हाल ही में लोगों से नागरिक संहिता पर राय मांगी थी। देश भर से अब तक 8.5 लाख लोगों ने इस पर अपना विचार भी साझा किया है। हालांकि इसी बीच समाज के कई वर्गों से भी तीव्र और तीखा विरोध भी सुनने को मिल रहा है। नागरिक संहिता का सबसे ज्यादा विरोध मुस्लिम समाज के साथ आदिवासी समाज में भी नजर आ रहा है। आदिवासी समाज भी केंद्र सरकार की इस कोशिश के विरोध में आवाज बुलंद कर रहा है।

यूसीसी के लागू होने से ये अधिकार खत्म होने का डर

देश के कई आदिवासी संगठन इस आशंका में हैं कि अगर यह कानून लागू हुआ तो उनके रीति-रिवाजों पर भी इसका असर पड़ेगा। झारखंड के भी 30 से अधिक आदिवासी संगठनों ने ये निर्णय लिया है कि वो विधि आयोग के सामने यूनिफॉर्म सिविल कोड के विचार को वापस लेने की मांग रखेंगे। इन आदिवासी संगठनों का मानना है कि यूसीसी के कारण आदिवासियों की पहचान ख़तरे में पड़ जाएगी। आदिवासी संगठनों का कहना है कि समान नागरिक संहिता के आने से आदिवासियों के सभी प्रथागत कानून खत्म हो जाएंगे। छोटा नागपुर टेनेंसी एक्ट, संथाल परगना टेनेंसी एक्ट, एसपीटी एक्ट, पेसा एक्ट के तहत आदिवासियों को झारखंड में जमीन को लेकर विशेष अधिकार हैं। आदिवासियों को भय है कि यूसीसी के लागू होने से ये अधिकार खत्म हो जाएंगे।

छत्तीसगढ़ में यूसीसी पर भी आदिवासी संगठनों को ऐतराज

छत्तीसगढ़ में यूसीसी पर भी आदिवासी संगठनों को ऐतराज है। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने पीएम मोदी से सीधा सवाल पूछा है कि इस कानून के लागू होने के बाद आदिवासी संस्कृति और प्रथाओं का क्या होगा। छत्तीसगढ़ में हमारे पास आदिवासी लोग हैं उनकी मान्यताओं और रूढ़िवादी नियमों का क्या होगा, जिनके माध्यम से वे अपने समाज पर शासन करते हैं। अगर यूसीसी लागू हो गया तो उनकी परंपरा का क्या होगा। हिंदुओ में भी कई जाति समूह हैं जिनके अपने नियम हैं।

पूर्वोत्तर के राज्यों में भी यूसीसी का विरोध

पूर्वोत्तर के राज्यों में भी समान नागरिक संहिता का विरोध तेजी से हो रहा है। पूर्वोत्तर के तीन राज्यों मिजोरम, नागालैंड और मेघालय में आदिवासियों की संख्या सबसे अधिक है। मिजो नेशनल फ्रंट के नेता थंगमविया ने कहा था कि सिद्धांत के रूप में यूसीसी की चर्चा करना आसान है, लेकिन इसे मिजोरम में लागू नहीं किया जा सकता है। अगर इसे लागू किया गया तो यहां कड़ा विरोध होगा। मेघालय में आदिवासियों की आबादी 86.1 फीसदी है। जानकारी के अनुसार, मेघालय की खासी हिल्स ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल ने 24 जून को एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि समान नागरिक संहिता खासी समुदाय के रीति-रिवाजों, परंपराओं, प्रथाओं, शादी और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दों को प्रभावित करेगा। मेघालय में खासी, गारो और जयंतिया समुदाय के अपने नियम हैं। ये तीनों ही मातृसत्तात्मक समुदाय हैं और इनके नियम निश्चित रूप से यूसीसी से टकराएंगे। जबकि नागालैंड में नागालैंड बैपटिस्ट चर्च काउंसिल के अलावा नागालैंड ट्राइबल काउंसिल ने भी यूसीसी का विरोध करने की घोषणा की है।

आदिवासी अपने रीति-रिवाजों में फेरबदल नहीं चाहते

दरअसल, भारत में अभी शादी, तलाक़, उत्तराधिकार और गोद लेने के मामलों में विभिन्न समुदायों में उनके धर्म, आस्था और विश्वास के आधार पर अलग-अलग क़ानून हैं। यूसीसी आने के बाद भारत में किसी धर्म, लिंग और लैंगिक झुकाव की परवाह किए बग़ैर सब पर इकलौता क़ानून लागू होगा। आदिवासी अपने रीति-रिवाजों में फेरबदल नहीं चाह रहे हैं। आदिवासियों का कहना है कि उनके कानून संवैधानिक रूप से संहिताबद्ध नहीं हैं और उन्हें डर है कि यूसीसी उनकी प्राचीन पहचान को कमजोर कर देगा।

बता दें कि प्रधानमंत्री ने देश में समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए कहा कि 'एक ही परिवार में दो लोगों के अलग-अलग नियम नहीं हो सकते। ऐसी दोहरी व्यवस्था से घर कैसे चल पाएगा? पीएम मोदी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है। सुप्रीम कोर्ट डंडा मारता है. कहता है कॉमन सिविल कोड लाओ। लेकिन ये वोट बैंक के भूखे लोग इसमें अड़ंगा लगा रहे हैं। लेकिन भाजपा सबका साथ, सबका विकास की भावना से काम कर रही है।

एनसीपी में जारी उठापटक के बीच राज ठाकरे का बड़ा बयान, कहा-कल को सुप्रिया सुले केंद्र में मंत्री बन जाए तो आश्चर्य नहीं होगा

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एनसीपी नेता अजित पवार ने प्रदेश की राजनीति में बड़ा भूचाल ला दिया है।अजित पवार के एनडीए में शामिल होते ही वार-पलवार का सिलसिला शुरू हो गया है। इस बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे इस पूरे घटनाक्रम को ही ड्रामा करार दिया है। राज ठाकरे ने कहा कि एनसीपी के बड़े नेता पार्टी से जा रहे हों और ऐसा कैसे हो सकता है कि यह बात शरद पवार को पता न हो।राज ठाकरे ने यह भी कहा कि अगर कल को सुप्रिया सुले केंद्र में मंत्री भी बन जाएं तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।

राज ठाकरे ने कहा कि दिन-ब-दिन राजनीति घिनौनी होती जा रही है। इन लोगों को मतदाताओं से कोई लेना-देना नहीं है। यह लोग सब भूल गये हैं कि पार्टी के कट्टर वोटर क्या सोचेंगे। इस समय महाराष्ट्र में अपने स्वार्थ के लिए समझौता करने की होड़ मची हुई है। राज ठाकरे ने कहा कि लोगों को इन बातों पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। राज ठाकरे ने कहा कि जल्द ही मैं एक सभा का आयोजन करूंगा। मुझे राज्य की जनता से बातचीत करनी। तब मैं हर सवाल का जवाब दूंगा। जल्द ही मेरा महाराष्ट्र दौरा भी शुरू होगा। उस समय मैं एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाऊँगा और लोगों से मिलूंगा।

मनसे चीफ ने मुंबई स्थित अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, शरद पवार भले ही ये क्यों न बोलते हों कि उनका इस घटना से कोई संबंध नहीं है। चाहे वो दिलीप वलसे पाटिल हो या प्रफुल्ल पटेल या छग्गन भुजबल हो ये लोग ऐसे ही नहीं जाएंगे पार्टी से। कल को सुप्रिया सुले केंद्र में मंत्री बन जाएंगी तो भी मुझे आश्चर्य नहीं होगा। इन सभी चीजों की शुरुआत सुबह की शपथ विधि से हुई, फिर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की पार्टी हुई। इसीलिए दुश्मन कौन दोस्त कौन? महाराष्ट्र में तो कुछ बचा ही नहीं है।

बता दें कि राज ठाकरे ने इससे पहले एक ट्वीट के जरिए यह दावा किया था कि शरद पवार उद्धव ठाकरे के बोझ को हटाना चाहते थे, आज उसका पहला अंक था। पवार की पहली टीम सत्ता के लिए निकल गई, जितना जल्दी होगा, दूसरी टीम सत्ता में शामिल होगी।

एनआईटी दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ली छात्रों की चुटकी, कहा-‘सबको जवानी अच्छी लगती है’

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केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार के 9 साल पूरे हो चुके हैं।पीएम नरेंद्र मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर भाजपा विशाल जनसंपर्क अभियान चला रही है।इसी क्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर नेशननल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) पहुंचे और दिल्ली के छात्र-छात्राओं के साथ बातचीत की।इस दौरान एस जयशंकर ने छात्रों को स्थानीय और वैश्विक विकास को समझने की भी सलाह दी। इस दौरान वे छात्र-छात्राओं के साथ हल्के-फुल्के अंदाज में नजर आए।

विदेश मंत्री एस जयशंकर, नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के मौके पर भाजपा के एक कार्यक्रम में शिरकत करने दिल्ली एनआईटी पहुंचे थे।विदेश मंत्री जयशंकर की बातचीत में एक हल्का-फुल्का मौका भी देखने को मिला जब एक छात्र ने जयशंकर से सवाल किया कि उन्हें कौन सा जीवन सबसे ज्यादा पसंद है- एक नौकरशाह का या एक मंत्री का। इस जयशंकर ने चुटकी लेते हुए कहा कि ‘सबको जवानी अच्छी लगती है। ऐसे में पूरा हाल ठहाकों से गूंज उठा। आमतौर पर काफी गंभीर रहने वाले विदेश मंत्री ने भी मुस्कुरा कर छात्र-छात्राओं का साथ दिया।

छात्रों को स्थानीय और वैश्विक विकास को समझने की सलाह

नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में भाजपा की विशाल जनसंपर्क यात्रा के तहत एनआइटी दिल्ली के छात्रों के साथ बातचीत करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि कोई भी देश प्रौद्योगिकी और अनुसंधान एवं विकास को अपनाए बिना प्रगति नहीं कर सकता है। उन्होंने छात्रों को स्थानीय और वैश्विक विकास को समझने की भी सलाह दी। विदेश मंत्री ने पेट्रोलियम उत्पादों और खाद्यान्न की कीमतों पर कोविड महामारी और यूक्रेन युद्ध के प्रभावों का हवाला देते हुए कहा कि वैश्वीकरण ने अंदर और बाहर के बीच की सीमाओं को तोड़ दिया है और आपको समझना चाहिए कि आपके आसपास क्या हो रहा है।

पीएम मोदी के नेतृत्व में देश तरक्की की रफ्तार पकड़ चुका

जयशंकर ने कहा, अपनी विदेश यात्राओं में मोदी 149 करोड़ भारतीयों की ताकत और प्रतिभा का प्रतिनिधित्व करते हैं। दुनिया अब भारत और उसके युवाओं की ओर देख रही है।विदेश मंत्री ने भारत को सेमीकंडक्टर विनिर्माण का केंद्र बनाने और एक राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन स्थापित करने की मोदी सरकार की पहल पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों को बताया कि किस तरह पीएम मोदी के नेतृत्व में देश तरक्की की रफ्तार पकड़ चुका है और पूरी दुनिया भारत की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रही है।

9 साल में पीएम मोदी के नेतृत्व में कई बदलाव हुए हैं

बातचीत के दौरान विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 9 वर्षों में कई बदलाव हुए हैं। जयशंकर ने मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा का हवाला देते हुए कहा कि पीएम मोदी की एक अलग छवि है, खासकर लोकतांत्रिक दुनिया में एक वरिष्ठ अनुभवी और विश्वसनीय नेता के रूप में। उन्होंने कहा कि मोदी के विचारों और फैसलों का प्रभाव है।

मनीष सिसोदिया को बड़ा झटका, दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका

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दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मामले से जुड़े प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के केस में उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इसी मामले में आम आदमी पार्टी के पूर्व मीडिया प्रभारी विजय नायर, हैदराबाद के उद्यमी अभिषेक बोइनपल्ली और बिनाय बाबू की जमानत याचिका भी खारिज कर दी है। जमानत देने से इनकार करने के राउज एवेन्यू कोर्ट के निर्णय को मनीष समेत सभी आरोपित ने चुनौती दी थी।

दिल्ली हाई कोर्ट में ईडी ने मनीष सिसोदिया को जमानत देने का विरोध किया था। ईडी ने कहा था मनीष सिसोदिया के पास 18 से ज्यादा मंत्रालय थे। वह बहुत प्रभावशाली व्यक्ति हैं। अगर उन्हें जमानत दी जाती है तो वह जांच को प्रभावित कर सकते हैं।

दिल्ली की आबकारी नीति मामले में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने 9 मार्च को मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद से सिसोदिया न्यायिक हिरासत में हैं। इससे पहले सीबीआई ने बीती 26 फरवरी को मनीष सिसोदिया को शराब घोटाले में उनकी भूमिका को लेकर 8 घंटों की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। तब से वह तिहाड़ जेल में बंद हैं।

बता दें कि दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया।

पीएम मोदी का अमेरिका दौरा बाकी प्रधानमंत्रियों से कैसे था अलग? विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया

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“कई प्रधानमंत्री अमेरिका दौरे पर गए हैं लेकिन पीएम मोदी का दौरा खास रहा।” ये बयान है भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का। प्रधानमंत्री मोदी की पिछले महीने अमेरिका की यात्रा के बारे में बात करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा अन्य यात्राओं से अलग कैसे है।यही नहीं, प्रधानमंत्री की तारीफ करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि जब पीएम मोदी कुछ करते हैं तो उसका असर पूरी दुनिया पर होता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में खत्म हुई अमेरिकी यात्रा को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि मैं इस यात्रा को इंदिरा गांधी की वर्ष 1982 की यात्रा से जोड़कर देखता हूं। उन्होंने कहा कि जब मैं उनके साथ नहीं गया था। लेकिन मैं राजीव गांधी के साथ 1985 में गया था। उन्होंने कहा कि पहली यात्रा जिसके दौरान वह वाशिंगटन में शारीरिक रूप से उपस्थित थे, वह 1985 में राजीव गांधी की यात्रा थी। और राजीव गांधी के बाद हुई सभी यात्राओं में से, अगर हम आम तौर पर पूछें कि तीन सबसे महत्वपूर्ण यात्राएं कौन सी थीं, तो लोग कहेंगे, 2014 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा, परमाणु समझौते के लिए डॉ. मनमोहन सिंह की यात्रा और राजीव गांधी की यात्रा , क्योंकि उन्होंने वास्तव में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंधों को सुचारू बनाने की कोशिश की, जो मुश्किल था।

पीएम मोदी की यह यात्रा बिल्कुल अलग-जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा बिल्कुल अलग थी। उन्होंने कहा कि यह भारतीय प्रधानमंत्री की दूसरी राजकीय यात्रा थी। इससे पहले साल 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अमरिका की राजकीय यात्रा पर गए थे। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ने दो बार अमेरिका की संयुक्त संसद को संबोधित किया है। जोकि इससे पहले किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने नहीं किया। इतना ही नहीं सिर्फ चार लोगों ने अमेरिका के संयुक्त संसद को संबोधित किया है। इनमें विंस्टन चर्चिल, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला शामिल हैं।

पीएम मोदी जो करते हैं, उसका पूरी दुनिया पर असर होता है-जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमरिकी दौरे को लेकर पीएम मोदी की तारीफ की है और उनकी तुलना देश के बाकी प्रधानमंत्रियों से की है। उन्होंने कहा, वैसे तो देश के कई प्रधानमंत्री अमेरिकी दौरे पर गए लेकिन पीएम मोदी का दौरा कुछ अलग था। ऐसा इसलिए क्योंकि पीएम मोदी की एक अलग छवि है। जयशंकर ने आगे कहा, पीएम मोदी एक वरिष्ठ, अनुभवी और विश्वसनीय नेता हैं। पीएम मोदी जब कोई कोशिश करते हैं या कोई पद लेते हैं तो उसका असर वैश्विक राजनीति पर पड़ता है। बीते नौ सालों में हमने दुनिया में कई बड़े बदलाव देखे हैं, जिनकी शुरुआत भारत से की गई।

पीएम मोदी के नेतृत्व में हो रहे असली बदलाव-जयशंकर

भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि 'पीएम मोदी के नेतृत्व में असली बदलाव हो रहे हैं। विकास का मतलब सिर्फ इतना नहीं है कि पत्थरों का शिलान्यास किया जाए और फिर उनके बारे में भूल जाएं। यह सरकार डिलीवर करती है। अन्य सरकारें सिर्फ बोलती हैं लेकिन हमारा विश्वास है कि लोग खुद बदलाव होते हुए देखें।' विदेश मंत्री ने कहा कि आज विदेश नीति में तकनीक की अहम भूमिका है। आप चाहें या ना चाहें दुनिया आपके यहां तो आएगी ही। यह अवसरों को तौर पर भी आ सकती है और चुनौतियों के तौर पर भी। विदेश मंत्री ने कहा कि बीते नौ सालों में जो आइडिया आए हैं, वह भारत से आए हैं।

बेंगलुरु में टला दूसरा विपक्षी महाजुटान, मानसून सत्र के बाद बैठक तय की जाएगी बैठक की नई तारीख

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महाराष्ट्र की राजनीति में मचे सियासी घमासान के बीच अब 13-14 जुलाई को बेंगलुरु में होने वाली विपक्षी नेताओं की बैठक टल गई है।दावा किया जा रहा है कि संसद सत्र के कारण 13-14 जुलाई को होने वाली इस मीटिंग को टाल दिया गया है। साथ ही इसे टालने के पीछे कारण बताया जा रहा है कि कर्नाटक और बिहार में विधानसभा सत्र चल रहा है। इस कारण कई विपक्षी दलों के कई नेताओं का इस मीटिंग में आ पाना मुश्किल हैं।महाराष्ट्र में सियासी उठापटक के बीच इस बैठक के टलने पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

13 और 14 जुलाई को होनी थी बैठक

गैर-भाजपा विपक्षी दलों की दूसरी बैठक 13 और 14 जुलाई को बेंगलुरु में प्रस्तावित थी। बैठक की अगली तारीख अभी तय नहीं हुई है। जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि उम्मीद है कि विपक्षी दलों की अगली बैठक संसद के मानसून सत्र के बाद बुलाई जाएगी। संसद का मानसून सत्र इस साल 20 जुलाई से शुरू होकर 20 अगस्त तक चलेगा।

पटना में हुई थी महाजुटान की पहली बैठक

बता दें कि बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों की बैठक का आयोजन 23 जून को किया गया था।पटना में हुई बैठक में 15 से ज्यादा विपक्षी दल शामिल हुए थे।इसमें ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, एमके स्टालिन समेत छह राज्यों के सीएम और अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे, महबूबा मुफ्ती समेत 5 राज्यों के पूर्व सीएम शामिल हुए थे। राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी बैठक में मौजूद रहे थे।बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव और पीएम नरेंद्र मोदी व बीजेपी को सत्ता से हटाने को लेकर रणनीति पर चर्चा हुई थी। बैठक के बाद सभी नेताओं ने साझा प्रेस कांफ्रेंस भी की थी।इसमें सभी नेताओं ने कहा था कि अगामी लोकसभा चुनाव में एकजुटता पर सहमति बनी है।

इन मुद्दों पर बनी थी बात

बैठक के बाद बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि बैठक से तीन चीजें क्लीयर हो गई हैं। पहला कि हम एक हैं, दूसरा- साथ-साथ चुनाव लड़ेंगे और तीसरा कि बीजेपी के हर एजेंडे का सामूहिक तौर पर विरोध करेंगे। बैठक में इस बात पर सभी दलों में सैद्धांतिक सहमति बनी थी कि बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का एक ही उम्मीदवार होगा। जिस दल का जो उम्मीदवार पिछली बार जीता या दूसरे नंबर पर रहा, वह सीट उसी दल को दी जाएगी। बैठक में ये भी तय निर्णय हुआ था कि अब विपक्षी गठबंधन का नाम यूपीए नहीं रहेगा, लेकिन नया नाम क्या होगा, इस पर अंतिम निर्णय नहीं हो सका। बैठक में राय बनी थी कि सारी बातें अगली बैठक में ही तय होंगी।

‘बीजेपी को उनकी जगह दिखाएंगे’, भतीजे अजीत की बगावत के बाद शरद पवार की हुंकार

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महाराष्ट्र भीषण सियासी संकट से गुजर रहा है। शिवसेना में टूट के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी बगावत हो गई है। अजित पवार ने अपनी ही पार्टी एनसीपी से बगावत कर दी है।चाचा शरद पवार से अलग होकर वह एकनाथ शिंदे की सरकार में शामिल हो गए है। पार्टी के टूट जाने के बाद एनसीपी के चीफ शरद पवार महाराष्ट्र के कराड पहुंचे। यहां सतारा में शरद पवार के समर्थन में कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ जुटी है।शरद पवार और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने महाराष्ट्र के कराड में पहले पूर्व सीएम यशवंतराव चव्हाण को पुष्पांजलि अर्पित की। फिर शरद पवार ने अपने समर्थकों को संबोधित किया।

देशभर में विपक्ष की सरकार खत्म करने में तुली बीजेपी-पवार

पार्टी में टूट के बाद सतारा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए एनसीपी के नेता शरद पवार ने कहा कि सभी को लोकतांत्रित अधिकार के लिए कोशिश करनी चाहिए। राज्य में धार्मिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि देशभर में विपक्ष की सरकार खत्म करने पर तुली हुई है।

चुनी हुई सरकारों को गिराया जा रहा है-पवार

शरद पवार ने कहा कि हमारी विचारधारा सांप्रदायिकता और जातिवाद के खिलाफ है। महाराष्ट्र में जातिवाद की राजनीति नहीं चलेगी और महाराष्ट्र को अपनी एकता दिखानी होगी। शरद पवार बोले- चुनी हुई सरकारों को गिराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कई राज्यों में पार्टी तोड़ने की कोशिश की गई है। बीजेपी कई राज्यों में इस तरह का खेल कर रही है। हम उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र की सेवा कर रहे हैं लेकिन कुछ लोगों ने हमारी सरकार गिरा दी। देश के कुछ अन्य हिस्सों में भी ऐसा ही हुआ। पवार ने कहा कि हमें नई शुरुआत करनी है। 5 जुलाई को पार्टी नेताओं की अहम बैठक बुलाई है।

जो छोडकर गए उनकी सही जगह दिखाऊंगा-पवार

सतारा में शरद पवार ने भतीजे की बगावत पर कहा कि मेरी ताकत अभी बाकी है जो छोडकर गए उनकी सही जगह दिखाऊंगा। उन्होंने कहा, धोखा देने वालों को बाजू में करके फिर महाराष्ट्र में घुमूंगा और नए लोगों के लेकर प्रगति पर लेकर जाने के लिए टीम बनाऊंगा।

पांचवीं बार राज्य के उपमुख्यमंत्री बने

बता दें कि अजीत पवार ने शरद पवार को बहुत बड़ा झटका दिया है। उन्होंने एनसीपी से बगावत कर देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के साथ मिल गए। अजीत पवार अब एनडीए का हिस्सा हो गए हैं। इसके साथ ही उन्होंने पांचवीं बार राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है।

शिंदे सरकार में शामिल अजित पवार समेत इन तीन मंत्रियों के खिलाफ चल रही है जांच, कभी इस बीजेपी नेता ने ही जुटाए थे सबूत

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महाराष्ट्र की राजनीति में रविवार दोपहर उस वक्त भूचाल आ गया, जब पता चला कि एनसीपी नेता और राज्य में विपक्ष के पूर्व नेता अजित पवार उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। राजभवन में आयोजित समारोह में अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली।अजित पवार के साथ एनसीपी के 8 विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार में शपथ लेने वाले नौ मंत्रियों में से कम से कम तीन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच चल रही है। ये तीन मंत्री अजित पवार, छगन भुजबल और हसन मुश्रीफ हैं। इनमें से कोई जमानत पर है तो किसी को सजा मिल चुकी। किसी का केस अभी कोर्ट में लंबित है। सबसे बड़ी बात इनके खिलाफ किरीट सोमैया ने कई सबूत जुटाए और मीडिया के सामने पेश किए थे। 

अजित पवार के खिलाफ चल रही है इन मामलों में जांच

महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में शामिल हुए अजीत पवार के खिलाफ कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में अभी जांच जारी है। एक जनहित याचिका के आधार पर इकोनॉमिक ऑफेंस विंग जांच कर रही है। इसी मामले में ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। हालांकि सितंबर 2020 में इकोनॉमिक ऑफेंस विंग ने स्पेशल कोर्ट में कहा कि उन्हें अजित के खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं मिला और केस में क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी।ईडी ने इसका विरोध किया, लेकिन कोर्ट ने आपत्ति खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार यदि इकोनॉमिक ऑफेंस विंग ने केस बंद कर दिया है तो ईडी भी आगे जांच नहीं कर सकती।

इसके अलावा अजित पवार सिंचाई घोटाले का भी सामना कर रहे हैं। दरअसल, कांग्रेस-एनसीपी सरकार में अजित जब जल संसाधन मंत्री थे, तब उनपर सिंचाई परियोजनाओं में अनियमितता के आरोप लगे थे। महाराष्ट्र एसीबी ने इस मामले में अदालत की निगरानी में जांच शुरू की थी। साल 2019 में देवेंद्र फडणवीस के साथ सरकार में आने के बाद एसीबी ने अजित पवार को क्लीनचिट दे दी थी। लेकिन इस रिपोर्ट को बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्वीकार नहीं किया। जब महाविकास अघाड़ी सत्ता में आई तो कुछ बीजेपी नेताओं ने मामले की दोबारा जांच की मांग शुरू कर दी।

दो साल जेल में रहने के बाद जमानत पर हैं छगन भुजबल

छगन भुजबल और 16 अन्य लोगों के खिलाफ एसीबी ने 2015 में केस दर्ज किया था। यह मामला 2006 में तीन परियोजनाओं के लिए 100 करोड़ से अधिक के ठेके देने में अनियमिताओं से जुड़ा है। भुजबल तब पीडब्ल्यूडी मंत्री थे। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए एक अलग मामला भी दर्ज किया था। एजेंसी ने मामले में भुजबल को 2016 में गिरफ्तार किया था और दो साल जेल में रहने के बाद उन्हें जमानत मिल गई थी।

हसन मुश्रीफ 11 जुलाई तक अंतरिम जमानत पर

हसन के खिलाफ सर सेनापति संताजी घोरपड़े शुगर फैक्ट्री लिमिटेड और उनके परिवार से जुड़ी कंपनियों के कामकाज में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में मुंबई में ईडी की जांच चल रही है। मुश्रीफ की अग्रिम जमानत याचिका अप्रैल में विशेष कोर्ट ने खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने उनकी अंतरिम राहत बढ़ा दी। पिछले हफ्ते इसे 11 जुलाई तक बढ़ा दिया गया था। इसी केस में ईडी उनके तीन बेटों के खिलाफ भी जांच कर रही है। इनकी अग्रिम जमानत याचिकाएं स्पेशल कोर्ट में पेंडिंग हैं।

संजय राउत का बड़ा दावा, कहा-अजित पवार बनने जा रहे हैं महाराष्ट्र के सीएम, शिंदे से छिन जाएगी गद्दी

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अजित पवार ने अपनी ही पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में बगावत कर दी है। चाचा शरद पवार से अलग होकर अजित पवार एकनाथ शिंदे की सरकार में शामिल हो गए है। महाराष्ट्र में राष्ट्रावादी कांग्रेस पार्टी में हुई बड़ी टूट पर शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने प्रतिक्रिया दी है।संजय राउत ने दावा किया है कि जल्द ही महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री बदलने जा रहा है। उन्होंने कहा है कि एकनाथ शिंदे को हटाया जाएगा और अजीत पवार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।

महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बदलने वाला है-राउत

महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति पर सांसद संजय राउत ने कहा, मैं आज कैमरे के सामने यह कह रहा हूं कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बदलने वाला है। एकनाथ शिंदे को हटाया जा रहा है और उनकी जगह अजित पवार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।मुंबई में पत्रकारों से बातचीत में संजय राउत ने दावा किया कि महाराष्ट्र को जल्द ही एक नया मुख्यमंत्री मिलेगा। ये घटनाक्रम कोई राजनीतिक भूकंप नहीं है।यह शपथ ग्रहण समारोह एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री पद खोने की शुरुआत है। उनके विधायक सदन के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिए जाएंगे। इसके बाद भी भाजपा के सत्ता में बने रहने के लिए अजित पवार और राकांपा विधायक सरकार में शामिल हो गए हैं।

ये तो होना ही था-राउत

महाराष्ट्र की बदली राजनीतिक स्थिति पर संजय राउत ने कहा कि ये तो कभी ना कभी होने ही वाला था। बीजेपी पूरे देश में जिस तरह की राजनीति करने वाली है, वो कर ले। हमारी शिवसेना को तोड़ दिया है और अब उन्होंने एनसीपी को तोड़ दिया है। कुछ लोग कह रहे हैं कि कांग्रेस को भी तोड़ने वाले हैं। लेकिन इन सबसे बीजेपी को कोई फायदा नहीं होने वाला।

'सामना' में उद्धव गुट का बड़ा दावा

वहीं, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखे एक लेख में शिवसेना ने दावा किया है कि एकनाथ शिंदे को सीएम पद से हटाने के लिए भाजपा ने अजित पवार से हाथ मिलाया है। लेख के अनुसार, जल्द ही अजित पवार, एकनाथ शिंदे के जगह ले लेंगे।सामना में शिवसेना ने दावा किया कि 'अजित पवार सिर्फ डिप्टी सीएम बनने के लिए सरकार में शामिल नहीं हुए हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और बागी विधायकों को जल्द ही अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और पवार की ताजपोशी होगी।

शिवसेना जैसा होगा एनसीपी का हाल? अजीत पवार ने ठोका पार्टी और चुनाव चिन्ह पर दावा

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महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा बदलाव हुआ है।राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता अजित पवार ने पार्टी के कई विधायकों को साथ लेकर बगावत करते हुए महाराष्ट्र की शिंदे-फडणवीस सरकार को समर्थन दिया है। इसके साथ ही राज्य को एक और नया डिप्टी सीएम मिल गया। एनडीए में शामिल होने के बाद अजीत पवार ने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली। हालांकि, ये सोच लेना की इसके साथ ही महाराष्ट्र में आया सियासी “चक्रवात” थम गया है, तो ये बड़ी भूल होगी। दरअसल, इसे बवंडर की शुरूआत भी कह सकते हैं। संभव है ये वैसे ही स्थिति हो जाएगी जैसी कि एक साल पहले शिवसेना में थी। जी हां, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि एनसीपी भी शिवसेना की तरह दो फाड़ हो जाए। इस बात के संकेत खुद अजीत पवार ने दे दिए हैं।

अजीत पवार का बड़ा दावा

एनडीए में शामिल होने के बाद अजित पवार ने एनसीपी पर दावा करते हुए कहा कि हम अगला चुनाव एनसीपी के चुनाव चिह्न पर लड़ेंगे। पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद छगन भुजबल और प्रफुल पटेल के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि ‘शिदें सरकार में शामिल होने का फैसला उनका फैसला नहीं है बल्कि पार्टी का फैसला है। यानि सभी की सहमति से यह फैसला लिया गया है। छगन भुजबल ने भी उनका समर्थन किया है। अजित पवार ने कहा कि आने वाले सारे चुनाव वह एनसीपी के चुनाव चिन्ह पर ही लड़ेंगे।’ अजित पवार के इस बयान का सीधा मतलब यह निकाला जा रहा है कि वह न केवल शिंदे सरकार में शामिल हुए हैं, बल्कि पार्टी भी अब उनकी की है।

अजित पवार का 40 विधायकों के समर्थन का दावा

अजित पवार ने दावा किया है कि उनके साथ एनसीपी के 40 विधायक और 6 एमएलसी हैं। अजित पवार ने कहा, हमने एनसीपी के लगभग सभी विधायकों के साथ शिंदे-फडणवीस सरकार के साथ आने का फैसला लिया। हमने आज शपथ ली और अगले विस्तार में कुछ अन्य मंत्रियों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा, कुछ विधायकों से इस वक़्त संपर्क नहीं हो पा रहा क्योंकि वे देश से बाहर हैं लेकिन मैंने उन सभी से बात की है और वे हमारे फैसले से सहमत हैं। 

क्या एनसीपी का शिवसेना की तरह होगा हश्र?

अगर अजीत पवार के दावे सच साबित होते हैं, अगर इतनी बड़ी संख्या में विधायक अजित पवार के साथ चले जाते हैं तो निश्चित तौर पर शरद पवार के सामने बड़ा राजनीतिक संकट पैदा हो सकता है। बता दें कि राज्य विधानसभा में एनसीपी के कुल 54 विधायक हैं। ऐसे में 40 अगर अजित पवार के साथ जाते हैं तो निश्चित ही यह ठीक वैसे ही स्थिति हो जाएगी जैसी कि एक साल पहले शिवसेना में थी। यानी एकनाथ शिंदे ने बगावत की और फिर सरकार को समर्थन दिया और बाद में कानूनी लड़ाई से असली शिवसेना का नाम भी उन्हें ही मिला। 

एक साल पहले आया था ऐसा ही सियासी तूफान

बता दें कि एक साल पहले शिवसेना में भी ऐसी ही टूट हुई थी, जब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में करीब चालीस विधायकों ने शिवसेना से बगावत कर दी थी। शिंदे ने अपने गुट को असली शिवसेना बताया था और पार्टी की चुनाव चिन्ह और पार्टी के नाम पर दावा कर दिया था। चुनाव आयोग ने भी शिंदे के पक्ष में फैसला दिया। यह मामला सुप्रीम कोर्ट गया था।