2024 में तोड़ना है मोदी का मैजिक, तो विपक्ष को अपनाना होगा ये फॉर्मूला, जानें कहां फंस सकता है पेंच
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लोकसभा चुनाव में अभी कुछ महीनों का वक्त बाकी है, लेकिन सभी राजनीतिक दल मिशन-2024 के मोड में उतर चुके हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है। बीजेपी केंद्र की सत्ता में हैट्रिक लगाने की कवायद में जुटी है तो विपक्ष नरेंद्र मोदी को हर हाल में रोकने के लिए तानाबाना बुनने लगा है। इसके लिए विपक्ष को एकजुट करने की कवायद जारी है। इसी क्रम में 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक होनी है। देश भर से कम से कम 15 विपक्षी दलों के भाग लेने की संभावना है। इनमें ममता बनर्जी की टीएमसी, मलिल्कार्जुन खरगे के नेतृत्व वाली कांग्रेस, पीडीपी, नेशनल कान्फ्रेंस, समाजवादी पार्टी शामिल हैं। साथ ही एनसीपी और उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने बैठक में शामिल होने की सवीकृति दी है।
मोदी को तीसरी बार सत्ता में आने से रोकने का बनेगा फॉर्मूला
विपक्षी एकता के सूत्रधार बनते दिख रहे जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने 23 जून को पटना में प्रमुख पार्टियों के आला नेताओं की बैठक रखी है।इस बैठक में बीजेपी को हराने की रणनीति तय की जाएगी। मोदी को तीसरी बार सत्ता में आने से रोकने के लिए फॉर्मूला बनेगा। इस मिशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए ‘वन इज टु वन’ फॉर्मूला की भी चर्चा है। सबसे पहले जानते हैं ‘वन इज टु वन’ फॉर्मूला क्या है?
ऐसे रोका जा सकता है भाजपा विरोधी वोटों को बंटने से
जब किसी मजबूत पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ बाकी सभी विपक्षी दल मिलकर अपना सिर्फ एक उम्मीदवार उतारते हैं तो इसे ‘वन इज टु वन’ का फॉर्मूला कहा जाता है। इसे ऐसे समझ सकते हैं, 2024 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों पर बीजेपी के खिलाफ आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, बसपा समेत बड़े विपक्षी दल मिलकर मैदान में अपने 1 उम्मीदवार को उतारें। ऐसा करने से भाजपा के विरोध में पड़ने वाले वोटों को बंटने से रोका जा सकेगा।
बीजेपी को हराना आसान नहीं होगा
हालांकि, विपक्षी एकता की मुहिम के तहत बने वन टू वन फॉर्मूला यानी आमने-सामने की लड़ाई में बीजेपी को हराना आसान नहीं होगा। मान लीजिए 2024 में सभी विपक्षी दल इस फॉर्मूले से चुनावी मैदान में उतरते हैं तो बिहार में राजद और जदयू चाहेंगे कि उनके हिस्से में ज्यादा सीटें आएं। इसी तरह यूपी में सपा, बसपा और रालोद ज्यादा से ज्यादा सीटें चाहेंगीं। इससे विपक्षी दलों की एकता खतरे में पड़ सकती है।
यहां फंस सकता है पेंच
23 जून को होने वाली बैठक में विपक्षी पार्टियों का फोकस सीट बंटवारे और जीतने वाले उम्मीदवार को खड़े करने पर ही होने वाला है। जानकारी के अनुसार, विपक्ष 450 सीटों पर एक उम्मीदवार लड़ाने पर सहमति बनाने में जुटा है। हालांकि, अभी भी कई राज्य हैं, जहां पेंच फंस सकता है और विपक्षी एकता को झटका लग सकता है। विपक्षी एकता के केंद्र में कांग्रेस होने के कारण ज्यादातर सीटों पर पेंच भी उसी के चलते फंस सकता है।
दिल्ली- 7 सीटः दिल्ली में भाजपा को टक्कर देने के लिए आम आदमी पार्टी को सबसे बड़ा विपक्ष माना जा रहा है। इसी के चलते केजरीवाल की पार्टी दिल्ली की सात सीटों पर कांग्रेस से गठबंधन की राह देख रही है। हालांकि, दिल्ली कांग्रेस के नेता आप का साथ देने को तैयार नहीं है।
पंजाब- 13 सीटः पंजाब की 13 सीटों पर भी यही हाल है। पंजाब में कांग्रेस को हराकर सत्ता संभालने वाली AAP से कांग्रेस के स्थानीय नेता हाथ मिलाने को राजी नहीं है। इन नेताओं ने कांग्रेस आलाकमान के साथ बैठक कर कड़ा एतराज भी जताया है। दरअसल, नेताओं का मानना है कि इससे उनकी पार्टी को राज्य के चुनाव में बड़ा झटका लग सकता है।
केरल- 20 सीटः केरल में सीपीएम की सरकार है, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बढ़त मिली थी। इसी कारण कांग्रेस अपनी जीती सीट सीपीएम को देने को राजी नहीं है। वहीं, सीपीएम भी ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है।
महाराष्ट्र - 48 सीटः महाराष्ट्र में भी स्थिति साफ नहीं है। महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी मुख्य पार्टी होने के चलते ज्यादा सीट चाह रहे हैं। वहीं, शिवसेना और एनसीपी आपस में भी अपनी जमीन बचाने की कोशिश में होगी।
पश्चिम बंगाल- 42 सीटः बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी सरकार होने के चलते मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और सीपीएम का एकसाथ मिलना आसान नहीं लग रहा है। बंगाल में भी सीटों को लेकर पेंच फंस सकता है।
तेलंगाना- 17 सीटः केसीआर की पार्टी का नाम ही पार्टी प्रमुख ने तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) से बदलकर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) रख लिया है। केसीआर ने राष्ट्रीय राजनीति में आने की महत्वकांक्षाओं के चलते ऐसा किया। यही कारण है कि तेलंगाना में भी विपक्षी एकता खतरे में है।
उत्तर प्रदेश- 80 सीटः यूपी की 80 सीटों पर भी सपा और कांग्रेस में सीट बंटवारे को लेकर अड़चन आ सकती है। दरअसल, यूपी में फिलहाल देखा जाए तो भाजपा के बाद सपा का ही सबसे बड़ा जनाधार है। इसके चलते कई ऐसी सीटें होंगी, जिसपर विवाद हो सकता है।
हालांकि, अगर बीजेपी के खिलाफ साझा उम्मीदवार उतारने में विपक्ष कामयाब होता है तो महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पंजाब, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, दिल्ली, केरल जैसे राज्यों में बीजेपी के साथ खेल जरूर हो जाएगा। वैसे, अभी तो कवायद शुरू हुई है।
Jun 15 2023, 09:49