भारत ने ठुकराया अमेरिका का ऑफर, नाटो में शामिल होने से इनकार
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भारत ने अमेरिका के ऑफर को ठुकरा दिया है।भारत ने अमेरिका के नाटो में शामिल होने की पेशकश को मना कर दिया है। भारत ने साफ कर दिया है, कि पश्चिमी देशों के नेतृत्व वाले उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने का उसका कोई इरादा नहीं है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है, कि नाटो सैन्य गठबंधन "भारत के लिए उपयुक्त नहीं है।
इससे पहले अमेरिका ‘नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) प्लस’ में भारत को शामिल करने की सिफारिश कर चुका है। भारत ने नाटो में शामिल होने से उस वक्त इनकार किया है, जब अमेरिकी कांग्रेस की एक शक्तिशाली कमेटी ने भारत को नाटो प्लस में शामिल करने की मजबूत सिफारिश की थी। अमेरिकी कांग्रेस की कमेटी ने कहा था कि एशिया में नाटो प्लस में भारत को शामिल करने की मजबूत कोशिश की जानी चाहिए। नाटो प्लस, नाटो का ही एक एक्सटेंशन है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, इजरायल और दक्षिण कोरिया हैं और ये एक सुरक्षा व्यवस्था है, जिसे नाटो से टेक्नोलॉजिकल, खुफिया और हथियारों की मदद मिलती है।
नाटो प्लस में भारत को शामिल करने से हिंद प्रशात क्षेत्र में सीसीपी की आक्रामकता को रोकने और वैश्विक सुरक्षा मजबूत करने में अमेरिका तथा भारत की करीबी साझेदारी बढ़ेगी।अमेरिकी समिति ने कहा, 'नाटो प्लस में भारत को शामिल करने से हिंद प्रशात क्षेत्र में सीसीपी की आक्रामकता को रोकने और वैश्विक सुरक्षा मजबूत करने में अमेरिका तथा भारत की करीबी साझेदारी बढ़ेगी।
दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य संगठन है नाटो
नाटो दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन संगठन है। नाटो की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद 4 अप्रैल 1949 में की गई। विश्व युद्ध में दुनिया के बहुत सारे देशों को गहरा जान-माल का नुकसान झेलना पड़ा। ऐसे में सभी देश चिंतित थे कि ऐसी कोई घटना फिर कभी ना हो। इसी समस्या के हल के लिए युद्ध के समाप्त होने पर नाटो का निर्माण किया गया। जिसमें बहुत सारे देशों ने अपने सैन्य बल को साझा किया।नाटो उस समय और भी चर्चा में आया, जब रूस और उक्रेन के बीच युद्ध की बातें सामने आने लगीं। नाटो संगठन के अंतर्गत एक देश दूसरे देश में अपनी सेना भेजता है और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ट्रेनिंग भी दी जाती है। मुख्य रूप से नाटो का उद्देश्य विश्व में शांति को कायम रखना है।
नाटो में शामिल देश
अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद 15 के तहत उत्तर अटलांटिक संधि प्रस्ताव की पेशकश की, इस संधि पर दुनिया के 12 अलग अलग देशों ने हस्ताक्षर किये। संधि में अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, बेल्जियम, आइसलैंड, लक्जमबर्ग, फ्रांस, कनाडा और इटली जैसे कई देश शामिल थे। बाद में शीत युद्ध से कुछ समय पहले स्पेन, पश्चिम जर्मनी, टर्की और यूनान ने इसकी सदस्य्ता ली। शीत युद्ध खत्म होने के बाद हंगरी, पोलैंड और चेक गणराज्य देशों को भी नाटो में शामिल किया गया। इसके अलावा साल 2004 में 7 और देशों ने इसकी सदस्य्ता ली।
Jun 10 2023, 16:17