सुप्रीम कोर्ट पहुंचा नए संसद भवन का मामला, राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने की मांग
#pil_filed_in_supreme_court_for_new_parliament_building_inauguration
नए संदन भवन के उद्घाटन को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कई विपक्षी दल पीएम द्वारा संसद भवन के उद्घाटन का विरोध करते हुए कार्यक्रम के बहिष्कार का ऐलान कर चुके हैं। इस बीच नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।
नई संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल हुई है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति संसद का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। लोकसभा सचिवालय ने उनसे उद्घाटन न करवाने का जो फैसला लिया है, वह गलत है। पेशे से वकील जयासुकिन ने ये याचिका दायर की है।
सीआर जया सुकिन ने अपनी याचिका में कहा है कि संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन (राज्यों की परिषद) राज्यसभा और जनता का सदन लोक सभा शामिल हैं। राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है। साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास है।
क्यों हो रहा विरोध?
बता दें कि नई संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर सियासी संग्राम जारी है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत 19 विपक्षी दलों ने देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों न करवाने को लेकर इसे मुद्दा बनाया है और इस समारोह के बॉयकट का ऐलान किया है। तमाम विपक्षी दलों का कहना है कि देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए।
किन पार्टियों ने किया उद्घाटन समारोह का बहिष्कार?
कांग्रेस समेत विपक्ष की 19 राजनीतिक दल नए संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करेंगे। इन दलों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, द्रमुक, समाजवादी पार्टी, जेडीयू, राष्ट्रीय जनता दल, शिवसेना (यूबीटी), एआईएमआईएम, माकपा, भाकपा शामिल हैं। इन दलों ने एक संयुक्त बयान में आरोप लगाया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को उद्घाटन समारोह से दरकिनार करना और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन का उद्घाटन करने का फैसला लोकतंत्र पर सीधा हमला है।
May 25 2023, 13:25