समीर वानखेड़े के घर पर सीबीआई ने मारा छापा, भ्रष्टाचार का केस दर्ज, एनसीबी चीफ रहते की थी शाहरूख के बेटे की ड्रग्स केस की जांच

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शाहरूख खान के बेटे आर्यन खान को जिन्होंने ड्रग्स केस में अरेस्ट किया था, अब उसी केस में समीर वानखेड़े खुद फंसते दिख रहे हैं। दरअसल एनसीबी मुंबई जोन के पूर्व चीफ समीर वानखेड़े के खिलाफ सीबीआई ने शुक्रवार (12 मई) को बड़ी कार्रवाई की। सीबीआई ने समीर वानखेड़े के परिसरों पर आर्यन खान क्रूज केस से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में हमने छापा मारा है। दिल्ली, मुंबई और रांची सहित 29 जगहों पर रेड की गई है। सीबीआई की टीम वानखेड़े की बहन, पिता और सास-ससुर के घर पर भी पहुंची हैं।

सीबीआई ने आर्यन खान क्रूज मामले से संबंधित भ्रष्टाचार के एक मामले में मुंबई एनसीबी के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े और तीन अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इस दौरान सीबीआई ने मुंबई, दिल्ली, रांची (झारखंड) और कानपुर (उत्तर प्रदेश) में 29 ठिकानों पर छापेमारी की है। एनसीबी ने रिश्वतखोरी के मामले में वानखेड़े और अन्य की जांच के लिए सीबीआई को लिखा था।

वानखेड़े पर भ्रष्टाचार के जरिए संपत्ति अर्जित करने का आरोप

एक सतर्कता रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई द्वारा प्रारंभिक जांच के बाद भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी वानखेड़े के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया है। विजिलेंस जांच के दौरान यह पाया गया कि समीर वानखेड़े ने भ्रष्टाचार के जरिए संपत्ति अर्जित की।

क्या है आरोप

सीबीआई ने समीर वानखेड़े के खिलाफ कोर्डेलिया जहाज के मालिकों से 25 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने के मामले में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। इसी जहाज से शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को गिरफ्तार किया गया था। इसी ड्रग्स मामले में आर्यन खान को "नहीं फंसाने" के लिए 25 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने के मामले में इनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

आर्यन खान मामले में समीर वानखेडे और उनकी टीम ने शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान और अन्य लोगों को ड्रग्स मामले में मामले में गिरफ्तार किया था। जहां लंबे वक्त आर्यन जेल में बन्द रहा था, जिसके बाद आर्यन खान को जमानत मिलने के बाद विजिलेंस जांच के वक्त आर्यन खान को ड्रग्स मामले से एनसीबी ने क्लीन चिट दी थी।बता दें कि, आर्यन खान मामले में समीर बानखेड़े को बाद में जांच से हटा दिया गया था और उन्हें अपने होम काडर में भेज दिया गया था।

उत्तराखंड के हेमकुंड साहिब में बर्फ से परेशान लोग, यात्रा तैयारियों की देखरेख में जुटा प्रशासन, आठ फीट तक जमी है बर्फ

उत्तराखंड के हेमकुंड साहिब में बर्फ की मोटी चादर परेशानी का सबब बन सकती है। राज्य के मुख्य सचिव ने प्रशासन से हेमकुंड यात्रा तैयारियों की रिपोर्ट मांगी है। प्रशासन के अधिकारी खुद हेमकुंड तक पैदल यात्रा कर तैयारियों का हाल जानने गए हैं।‌

जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक हेमकुंड साहिब की यात्रा तैयारियों को लेकर हेमकुंड गए हैं। मुख्य सचिव ने हेमकुंड में अत्यधिक बर्फ होने के कारण प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी।

जिलाधिकारी हिमांशु खुराना, पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र सिंह डोबाल सहित विभागीय अधिकारी हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग पर यात्रा व्यवस्थाओं की जमीनी हकीकत देखने के लिए हेमकुंड गए हैं। उनके साथ गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब मेनेजमेंट ट्रस्ट के मुख्य प्रबंधक सरदार सेवा सिंह भी साथ हैं। अधिकारियों के शाम तक लौटने की उम्मीद है।

हेमकुंड साहिब व लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के यात्रा को लेकर सात दिन बचे हैं। लेकिन हेमकुंड में अभी भी आठ फीट से अधिक बर्फ जमी है। यात्रा को लेकर मुख्य सचिव ने जिला प्रशासन से यात्रा की तैयारियों को लेकर फीड बैक ली है। यात्रा का संचालन करने वाली गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब मेनेजमेंट ट्रस्ट ने प्रशासन को अवगत कराया है कि यात्रा की तैयारियां समय पर पूरी कर ली जाएगी। लेकिन अगर मौसम खराब हुआ तो हेमकुंड यात्रा पर दुश्वारियां बढ़ सकती है।

हेमकुंड साहिब व लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट आगामी 20 मई को खुलने हैं। लेकिन अभी हेमकुंड साहिब तक रास्ते की बर्फ पूरी तरह से नहीं हटाई गई है। हालांकि सेना हेमकुंड तक रास्ता काटकर पहले ही पहुंच चुकी थी। सेना के जवान अब रास्ते को सुरक्षित काटकर पगडंडी बनाने के कार्य में जुटी है।

बताया गया कि अटलकोटी से हेमकुंड तक पैदल मार्ग पर बर्फ है। अटलाकोटी में आठ फीट ऊंचा हिमखंड है। वहीं हेमकुंड साहिब में भी आठ फीट से अधिक बर्फ जमी है। सेना ने अटलाकोटी हिमखंड को काटकर रास्ता बनाने में जुटी है। जिसे दो दिन में कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। अटलाकोटी से हेमकुंड तक तीन किमी क्षेत्र में सीढियों से बर्फ हटाकर पैदल मार्ग सुचारु कर दिया गया है।

गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब मेनेजमेंट ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्र जीत बिंद्री ने बताया कि हेमकुंड साहिब यात्रा तैयारियां अंतिम चरण में है। यात्रा से पूर्व बर्फ हटाकर रास्ता सुचारु कर लिया जाएगा। सेना के जवान व सेवादार हेमकुंड में रह कर रास्ता बनाने के कार्य में जुटे हैं। हेमकुंड में गुरुद्वारे के आस पास बर्फ हटा दी गई है। इसके अलावा यात्रा काल के लिए लंगर हेतु राशन भी पहुंचाया जा रहा है।

ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग की होगी कार्बन डेटिंग, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दी इजाजत

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वनाथ मंदिर विवाद मामले में अहम फैसला सुनाया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर से बरामद हुए कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की इजाजत दे दी है। ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और साइंटिफिक सर्वे कराने का आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा की पीठ ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) को आदेश दिया है।  

न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा की पीठ ने एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर कथित शिवलिंग का साइंटिफिक सर्वे की जांच कराने का आदेश दे दिया। कोर्ट ने ये आदेश भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से पेश की गई रिपोर्ट पर दिया है। कोर्ट ने भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग से कहा कि शिवलिंग को "बिना खंडित किए वैज्ञानिक जांच करें"।दस ग्राम से ज्यादा हिस्सा उसमें से न लिया जाए।

बता दें कि हिंदू पक्ष की तरफ से शिवलिंग के कार्बन डेटिंग की मांग की गई थी। हिंदू पक्ष की तरफ से लक्ष्मी देवी और 3 लोगों ने सिविल रिविजन याचिका दाखिल की थी।वाराणसी जिला कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया था। लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसकी परमिशन दे दी है।

क्या होती है कार्बन डेटिंग?

कार्बन डेटिंग उस विधि का नाम है जिसका इस्तेमाल कर के किसी भी वस्तु की उम्र का पता लगाया जा सकता है। इस विधि के माध्यम से लकड़ी, बीजाणु, चमड़ी, बाल, कंकाल आदि की आयु पता की जा सकती है। यानी की ऐसी हर वो चीज जिसमें कार्बनिक अवशेष होते हैं, उनकी करीब-करीब आयु इस विधि के माध्यम से पता की जा सकती है। 

दरअसल हमारी पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन के तीन आइसोटोप पाए जाते हैं। ये कार्बन- 12, कार्बन- 13 और कार्बन- 14 के रूप में जाने जाते हैं। कार्बन डेटिंग की विधि में कार्बन 12 और कार्बन 14 के बीच का अनुपात निकाला जाता है। जब किसी जीव की मृत्यु होती है तब ये वातावरण से कार्बन का आदान प्रदान बंद कर देते हैं। इस कारण उनके कार्बन- 12 से कार्बन- 14 के अनुपात में अंतर आने लगता है।यानी कि कार्बन- 14 का क्षरण होने लगता है। इसी अंतर का अंदाजा लगाकर किसी भी अवशेष की आयु का अनुमान लगाया जाता है।

क्या है विवाद?

हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी परिसर में मिला शिवलिंग 100 फीट ऊंचा आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है। काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करीब 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था, लेकिन मुगल सम्राट औरंगजेब ने साल 1699 में मंदिर को तुड़वा दिया। दावे में कहा गया है कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर उसकी भूमि पर किया गया है जो कि अब ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है।याचिकाकर्ताओं की मांग की है कि ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कर यह पता लगाया जाए कि जमीन के अंदर का भाग मंदिर का अवशेष है या नहीं। साथ ही विवादित ढांचे का फर्श तोड़कर ये भी पता लगाया जाए कि 100 फीट ऊंचा ज्योतिर्लिंग स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ भी वहां मौजूद हैं या नहीं।

सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को सजा सुनने वाले सूरत के सीजेएम हरीश हसमुखभाई वर्मा समेत गुजरात की निचली अदालतों के 68 जजों के प्रमोशन पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) हरीश हसमुखभाई वर्मा समेत गुजरात की निचली अदालतों के 68 जजों को बड़ा झटका देते हुए उनके प्रमोशन पर शुक्रवार को रोक लगा दी। सूरत के सीजेएम हसमुखभाई वर्मा ने ही पिछले दिनों मानहानि के एक मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दोषी ठहराया था।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम.आर. शाह और जस्टिस सी.टी. रविकुमार की बेंच ने कहा कि गुजरात राज्य न्यायिक सेवा नियमावली 2005 के अनुसार, योग्यता-सह-वरिष्ठता के सिद्धांत और योग्यता परीक्षा पास करने पर ही पदोन्नति होनी चाहिए। नियमावली में 2011 में संशोधन किया गया था।

बेंच ने कहा, ''हाईकोर्ट द्वारा जारी की गई सूची और जिला न्यायाधीशों को पदोन्नति देने के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश गैरकानूनी और इस अदालत के निर्णय के विपरीत है। अत: इसे बरकरार नहीं रखा जा सकता।''

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''हम पदोन्नति सूची के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हैं। पदोन्नति पाने वाले संबंधित अधिकारियों को उनके मूल पदों पर भेजा जाता है, जिन पर वह अपनी पदोन्नति से पहले नियुक्त थे।''

शीर्ष न्यायालय ने पदोन्नति पर रोक लगाते हुए एक अंतरिम आदेश पारित किया और मामले को सुनवाई के लिए उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया क्योंकि जस्टिस शाह 15 मई को रिटायर हो रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट वरिष्ठ सिविल जज कैडर के अधिकारी रविकुमार महेता और सचिन प्रतापराय मेहता की याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें 68 न्यायिक अधिकारियों के जिला न्यायाधीशों के उच्च कैडर में चयन को चुनौती दी गई है।

जिन 68 न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति को चुनौती दी गई है उनमें सूरत के सीजेएम वर्मा भी शामिल हैं जो अभी गुजरात सरकार के कानूनी विभाग में अवर सचिव तथा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सहायक निदेशक के रूप में काम कर रहे हैं।

उच्चतम न्यायालय ने दो न्यायिक अधिकारियों की याचिका पर 13 अप्रैल को गुजरात हाईकोर्ट के महापंजीयक और राज्य सरकार को नोटिस जारी किए थे। उच्चतम न्यायालय ने पारित आदेश की आलोचना करते हुए कहा था कि यह जानते हुए 68 अधिकारियों की पदोन्नति के लिए 18 अप्रैल को आदेश दिया गया कि मामला उसके समक्ष लंबित है।

*पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को राहत, इस्‍लामाबाद हाईकोर्ट ने अलकादिर केस में दी दो हफ्ते की जमानत*

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पाकिस्‍तान में गृहयुद्ध जैसे हालात के बीच पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को इस्‍लामाबाद हाईकोर्ट से अलकादिर केस में दो हफ्ते के लिए जमानत मिल गई है। इमरान खान को तोशाखाना मामले में पहले ही जमानत मिली हुई है। इससे पहले इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने तोशाखाना केस पर स्टे लगाकर इमरान खान को बड़ी राहत दी।

इमरान खान पर अल-कादिर ट्रस्ट केस में भ्रष्टाचार करने का आरोप है, इसी मामले में उन्हें 9 मई को गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद काफी हंगामा मचा और फिर 11 मई को सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत मिली थी और कोर्ट ने तत्काल रिहा करने का आदेश दिया था, साथ ही जमानत के लिए इस्लामाबाद हाईकोर्ट जाने के लिए इमरान को कहा गया था। अब इस्लामाबाद हाईकोर्ट से भी इमरान को राहत मिल गई है और उन्हें दो हफ्ते के लिए बेल मिल गया हैय़

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान अग्रिम जमानत के लिए इस्लामाबाद हाई कोर्ट में पेश हुए। वह इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में एक सुरक्षा काफिले में पहुंचे, जहां सैकड़ों पुलिस और अर्धसैनिक बल तैनात थे।

 

बता दें कि इमरान खान को 9 मई को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय परिसर से पाकिस्तान रेंजर्स ने उस वक्त गिरफ्तार कर लिया था, जब वह दो मामलों में अग्रिम जमानत के लिए पहुंचे थे। एक जवाबदेही अदालत ने अगले दिन उन्हें अल-कादिर ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में 8 दिन की रिमांड पर राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो को सौंप दिया था। उनकी गिरफ्तारी ने पूरे पाकिस्तान में व्यापक विरोध प्रदर्शन देखा, जिसने शहबाज शरीफ सरकार को राष्ट्रीय राजधानी के साथ-साथ पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांतों में सेना तैनात करने के लिए प्रेरित किया। देशव्यापी हिंसक विरोध प्रदर्शन में कम से कम 8 लोगों की मौत हो गई। मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल, न्यायमूर्ति मुहम्मद अली मजहर और न्यायमूर्ति अतहर मिनल्लाह की 3 सदस्यीय शीर्ष अदालत की पीठ ने कल इमरान खान की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए उनकी तत्काल रिहाई का आदेश दिया। पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान देश भर में 120 से अधिक मामलों का सामना कर रहे हैं, जिनमें कथित रूप से देशद्रोह और ईशनिंदा, हिंसा और आतंकवाद को उकसाना शामिल है।

दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर पर शीर्ष अदालत के फैसले के एक दिन बाद ही फिर सुप्रीम कोर्ट दौड़े अरविंद केजरीवाल, यहां पढ़िए, पूरा मामला

एलजी या दिल्ली सरकार? राजधानी में अधिकारियों पर नियंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी विवाद थम नहीं रहा। संविधान पीठ के फैसले के एक दिन बाद दिल्ली की केजरीवाल सरकार एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। केजरीवाल सरकार ने आरोप लगाया है कि केंद्र अधिकारियों (सचिव) का ट्रांसफर नहीं करने दे रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र के GNCTD अधिनियम 2021 (संसोधन) के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका पर बड़ा फैसला सुनाया था. पीठ ने अपने फैसले में कहा था, दिल्ली (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ) में विधायी शक्तियों के बाहर के क्षेत्रों को छोड़कर सेवाओं और प्रशासन से जुड़े सभी अधिकार चुनी हुई सरकार के पास होंगे। हालांकि, पुलिस, पब्लिक आर्डर और लैंड का अधिकार केंद्र के पास ही रहेगा। 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीएम केजरीवाल ने ट्रांसफर की बात कही थी। इसके बाद केजरीवाल सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने अपने विभाग के सचिव बदल दिया है। दिल्ली सरकार के सर्विसेज विभाग के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने आशीष मोरे को सर्विसेज सचिव पद से हटा दिया था। उनकी जगह पर अनिल कुमार सिंह सर्विसेज के नए सचिव बनाए गए हैं। वह 1995 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और जल बोर्ड के सीईओ भी रह चुके हैं।

पहले ट्रांसफर पर ही विवाद 

दिल्ली सरकार द्वारा किए गए पहले ही ट्रांसफर के बाद टकराव हो गया। आशीष मोरे के ट्रांसफर को एलजी दफ्तर की ओर से अवैध बताया गया। दिल्ली एलजी सचिवालय और सेवा विभाग के सूत्रों का दावा है कि सचिव सेवा का स्थानांतरण अवैध, मनमाना और निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन किए बिना है। सूत्रों का दावा है कि एक अधिकारी का तबादला कार्यकाल पूरा होने से पहले केवल सिविल सेवा बोर्ड द्वारा किया जा सकता है, जिसके प्रमुख मुख्य सचिव और अन्य दो वरिष्ठ नौकरशाह सदस्य होते हैं। लेकिन सचिव सेवा के तबादले में आज इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। यह भी दावा किया गया है कि आज के फैसले की आधिकारिक प्रति आने से पहले मंत्री के आदेश आ गए।

लंबे समय से चला आ रहा विवाद

 - केंद्र बनाम दिल्ली विवाद 2018 से सुप्रीम कोर्ट में है. कोर्ट ने 4 जुलाई 2018 को इस पर फैसला सुनाया था। लेकिन तब कोर्ट ने सर्विसेज यानी अधिकारियों पर नियंत्रण जैसे कुछ मुद्दों को आगे की सुनवाई के लिए छोड़ दिया था। 

- 14 फरवरी 2019 को इस मुद्दे पर 2 जजों की बेंच ने फैसला दिया था। लेकिन दोनों जजों, जस्टिस ए के सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण के फैसले अलग अलग थे।

- जस्टिस ए के सीकरी ने माना था कि दिल्ली सरकार को अपने यहां काम कर रहे अफसरों पर नियंत्रण मिलना चाहिए। हालांकि, उन्होंने कहा था कि जॉइंट सेक्रेट्री या उससे ऊपर के अधिकारियों पर केंद्र सरकार का नियंत्रण रहेगा। उनकी ट्रांसफर-पोस्टिंग उपराज्यपाल करेंगे। इससे नीचे के अधिकारियों को नियंत्रण करने का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा।

द केरल स्‍टोरी' पर बैन पर सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को जारी किया नोटिस, पूछा-बंगाल सरकार फिल्म आखिर क्यों नहीं चलने देना चाहती है?

#the_kerala_story_ban_plea_supreme_court_issues_notice_to_west_bengal

सुदीप्तो सेन की फिल्म द केरल स्टोरी इन दिनों सिनेमाघरों में धूम मचा रही है। वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने इसे बैन कर रखा है। अब सुप्रीम कोर्ट ने द केरल स्टोरी के निर्माताओं की उस याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है, जिसमें राज्य में फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल बंगाल में द केरला स्टोरी पर लगे प्रतिबंध को नहीं हटाया है। इस दौरान सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने फ़िल्म निर्माता की याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी करते हुए सवाल पूछा कि अगर फिल्म दूसरे राज्यों में शांति से चल सकती है, तो पश्चिम बंगाल में क्यों नहीं चल सकती है? 

इसके अलावा सीजेआई ने सवाल किया कि पश्चिम बंगाल सरकार फिल्म आखिर क्यों नहीं चलने देना चाहती है? जबकि दूसरे राज्यों में, जहां भगौलिक परिस्थिति वैसी ही है, वहां शांति से चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा कि अगर लोग नहीं देखना चाहते तो ये उनकी मर्जी है। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार रोक क्यों लगाई है। 

कोर्ट में राज्य सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंहवी ने कहा कि राज्य सरकार के पास खुफिया रिपोर्ट है कि फिल्म की स्क्रीनिंग से कानून और व्यवस्था भंग हो सकती है।

वहीं, कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह बिना काउंटर दलील के फिल्‍म पर लगे बैन को नहीं हटा सकते। ऐसे में दोनों ही राज्‍यों को शॉर्ट नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाए। इस मामले में अब बुधवार 17 मई को फिर से सुनवाई होगी। यानी दोनों राज्‍यों के पास जवाब दाख‍िल करने के लिए मंगलवार तक का वक्‍त है।

जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो पप्पू यादव ने फिर बागेश्वर बाबा पर बोला हमला, कहा, अपने भाई को लेकर कोई पर्चा क्यों नहीं निकलते

 पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री का कलश यात्रा के साथ धार्मिक आयोजन हनुमंत कथा आरम्भ हो गया है। कल 13 मई को धीरेंद्र शास्त्री बिहार की राजधानी पटना आ रहे हैं। उनके स्वागत की विशाल तैयारी हो चुकी है। इस बीच बागेश्वर बाबा से जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने बड़ा सवाल पूछा है। जन अधिकार पार्टी सुप्रीमो ने पूछा है कि बागेश्वर बाबा अपने भाई को लेकर कोई पर्चा क्यों नहीं निकलते? 

गुरुवार को पप्पू यादव वैशाली गए थे। तभी मीडिया ने बागेश्वर बाबा के पटना में समारोह को लेकर सवाल किया पप्पू यादव इस पर भड़क गए। उन्होंने कहा कि बाबा जब सब कुछ ठीक करते हैं तो पहले अपने भाई का पर्चा बना दें। उनमें चमत्कार है तो भाई को सुधार दें। यादव ने कहा कि ऐसे बाबाओं को कोर्ट में पेश कर जेल में बंद कर देना चाहिए।

इधर, मीडिया से चर्चा करते हुए बागेश्वर धाम सरकार से कहा कि देश में बहुत गरीबी है। चमत्कार से उन्हें बाबा दूर कर देते। पाकिस्तान एवं चाइना के समस्या को भी वह समाप्त कर देते। आरोप लगाया कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री के सगे भाई हथियार रखते हैं। उनका पर्चा पहले बना देना चाहिए। पहले घर में चमत्कार दिखाना चाहिए। इससे पहले भी पप्पू यादव धीरेंद्र शास्त्री पर हमला कर चुके हैं। बीते दिनों उन्होंने कहा था कि इन बाबाओं को चाइना बॉर्डर पर भेज देना चाहिए। बिहार में ऐसे व्यक्तियों का कोई काम नहीं है। जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो का तेवर अभी भी कायम है।

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सुदीप्तो सेन की फिल्म द केरल स्टोरी इन दिनों सिनेमाघरों में धूम मचा रही है। वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने इसे बैन कर रखा है। अब सुप्रीम कोर्ट ने द केरल स्टोरी के निर्माताओं की उस याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है, जिसमें राज्य में फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल बंगाल में द केरला स्टोरी पर लगे प्रतिबंध को नहीं हटाया है। इस दौरान सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने फ़िल्म निर्माता की याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी करते हुए सवाल पूछा कि अगर फिल्म दूसरे राज्यों में शांति से चल सकती है, तो पश्चिम बंगाल में क्यों नहीं चल सकती है? 

इसके अलावा सीजेआई ने सवाल किया कि पश्चिम बंगाल सरकार फिल्म आखिर क्यों नहीं चलने देना चाहती है? जबकि दूसरे राज्यों में, जहां भगौलिक परिस्थिति वैसी ही है, वहां शांति से चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा कि अगर लोग नहीं देखना चाहते तो ये उनकी मर्जी है। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार रोक क्यों लगाई है। 

कोर्ट में राज्य सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंहवी ने कहा कि राज्य सरकार के पास खुफिया रिपोर्ट है कि फिल्म की स्क्रीनिंग से कानून और व्यवस्था भंग हो सकती है।

वहीं, कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह बिना काउंटर दलील के फिल्‍म पर लगे बैन को नहीं हटा सकते। ऐसे में दोनों ही राज्‍यों को शॉर्ट नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाए। इस मामले में अब बुधवार 17 मई को फिर से सुनवाई होगी। यानी दोनों राज्‍यों के पास जवाब दाख‍िल करने के लिए मंगलवार तक का वक्‍त है।

अगले कुछ घंटे में खतरनाक हो जाएगा चक्रवात मोचा, मौसम विभाग का अलर्ट, उत्तर-पूर्वी राज्यों में बारिश का अनुमान

#cyclone_mocha

मध्य बंगाल की खाड़ी से सटे दक्षिण पूर्व में चक्रवाती तूफान ‘मोचा’ एक बहुत ही भीषण चक्रवाती तूफान में बदल गया है। आईएमडी ने कहा कि ‘मोचा’ पिछले छह घंटों के दौरान 9 किमी. प्रति घंटे की गति से उत्तर दिशा की ओर बढ़ रहा है।इसके बांग्लादेश-म्यांमा तट की ओर बढ़ने का अनुमान है।चक्रवात की आशंकाओं के बीच नेशनल डिजास्टर मैनेजमें अथॉरिटी ने पश्चिम बंगाल में कई टीमें तैनात की हैं. इनके अलावा त्रिपुरा, मिजोरम और उत्तर पूर्व के कुछ राज्यों में हल्की से भारी बारिश का अनुमान है।

मौसम विभाग ने कहा कि इसके उत्तरपूर्व की ओर बढ़ने और तेज होने की संभावना है। इसके 14 मई की दोपहर के आसपास कॉक्स बाजार (बांग्लादेश) और सितवे के करीब क्यौकप्यू (म्यांमार) के बीच तट को पार करने की संभावना है। ये 150-160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं के साथ एक बहुत ही गंभीर चक्रवाती तूफान है। जिसमें हवा की रफ्तार 175 किमी. प्रति घंटे तक हो सकती है।

आईएमडी का कहना है कि बंगाल की खाड़ी के ऊपर गहरा दबाव एक चक्रवाती तूफान ‘मोचा’ में बदल गया है। आज यानी गुरुवार (11 मई) की आधी रात को यह गंभीर चक्रवाती तूफान का रूप ले सकता है। इसके कारण बांग्लादेश और म्यांमार में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है।अधिकारियों ने बताया कि 'मोचा' के कारण अंडमान में भारी बारिश होने की संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, सुबह साढ़े आठ बजे चक्रवाती तूफान पोर्ट ब्लेयर के 510 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में था।

मौसम विभाग ने गुरुवार को उत्तर पूर्व के कई राज्यों में हल्की से भारी बारिश का अनुमान लगाया है। चक्रवात मोचा की वजह से अंडमान निकोबार द्वीप समूह में भी भारी बारिश का अनुमान है। चक्रवात के बंगाल की खाड़ी में सेंट्रल मूवमेंट्स की वजह से अगले पांच दिनों तक उत्तर पूर्वी राज्यों में बारिश का अनुमान है। पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, गोवा, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।

चक्रवात तूफान को ध्यान में रखते हुए पश्चिम बंगाल में एडीआरएफ की 8 टीमें तैनात की गई हैं। एनडीआरएफ की दूसरी बटालियन के कमांडेंट, गुरमिंदर सिंह ने कहा कि 12 मई को चक्रवात मोचा भयंकर तूफान और 14 मई को एक बहुत ही गंभीर चक्रवाक में बदल सकता है। 8 टीमों तैनाती हुई है। 200 से बचावकर्मी जमीन पर भेजे गए हैं और 100 बचावकर्मी स्टैंडबाय पर हैं।