कर्नाटक विधानसभा चुनावः धार्मिक शोर के बीच विकास के मुद्दे हुए गौण
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कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा के लिए वोट डाले जाएंगे। ऐसे में सूबे में सियासी पारा अपने चरम पर है। मतदान से पहले पार्टियां जी तोड़ मेहनत कर रही है। लोगों को अपने पाले में करने के लिए पार्टियां हर मुमकिन कोशिश कर रही है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है,एक दूसरे को कटघरे में खड़ा करने का काम किया जा रहा है। लेकिन हर चुनाव की तरह यहां भी मुद्दे गौण हो गए हैं। पूरे राज्य में इस समय धार्मिक शोर सुनाई दे रहा है, जिसमें लोगों की आवाम की आवाज दब कर रह गई है।
कर्नाटक चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा, कांग्रेस तथा जनता दल एस ने घोषणा पत्रों में वादों की बौछार की है। इसके विपरीत चुनाव में विकास और समस्याओं के समाधान को दरकिनार कर फिजूल के मुद्दे हावी हैं। घोषणा पत्रों पर सवाल-जवाब करने के बजाय अन्य मुद्दों पर बल देने से कर्नाटक में बुनियादी सुविधाओं के मसले दरकिनार हो गए।
मतदान की तारीख नजदीक आते-आते ध्रुवीकरण भी हो चला है। बजरंग बली बनाम अल्लाह हू अकबर की रेस में विकास का मुद्दा खूंटी पर टांग दिया गया है। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का वादा किया, तो भाजपा ने मौके को भुनाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। या यूं कहें, कांग्रेस ने बैठे बिठाए भाजपा को एक बड़ा चुनावी प्रचार का हथियार थमा दिया।भाजपा ने अब इसे प्रमुख मुद्दा बना कर बजरंग बली से जोड़ दिया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी रैलियों में 'जय बजरंग बली' के नारे लगवाने लगे। हनुमान चालीसा के पाठ शुरू हो गए हैं। भाजपा खुल कर धार्मिक मसले पर खेल रही है।
वहीं अपनी ही गेंद पर बीजेपी को सधी बल्लेबाजी करता देख कांग्रेस बैकफुट पर आ गई।बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने से पीछे हटने के बाद कांग्रेस ने राज्य के हर जिले में हनुमान मंदिर बनवाने का ऐलान कर दिया।कर्नाटक चुनाव में बजरंग बली की एंट्री से एआईएमआईएम के मुखिया और लोकसभा सांसद असदुद्दीन का पारा हाई होना स्वाभाविक था।असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि पीएम मोदी ने कर्नाटक के लोगों से कहा कि वोट डालते वक्त जय बजरगंबली कहें। जबकि कांग्रेस के डीके शिवकुमार ने कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो वह कर्नाटक में और बजरंगबली के मंदिर बनवाएगी।अगर मैं यहां खड़ा होकर आपसे कहूं कि वोट डालते वक्त अल्लाह हू अकबर कहिए तो...।
जी हां, आप समझ ही गए होंगे की कर्नाटक में चुनाव प्रचार की दिशा क्या है। बजरंगबली और अल्लाह के नाम पर राजनीतिक दल अपने मुद्दों से भटक गए हैं। बेवजह की राजनीति की जा रही है। हालांकि, कार्नाटक जैसे देश के विकसित राज्य के लिए मुद्दों की कमी नहीं है। राजधानी बंगलुरू अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बतौर आईटी हब पहचान बना चुकी है। देश की प्रमुख आईटी कंपनियों के हजारों कर्मचारी यहां कार्यरत हैं। इसके अलावा दूसरे बड़े उद्योगों के कर्मचारी भी बड़ी संख्या में हैं। बारिश के मौसम में पिछले कई सालों से प्रदेश की राजधानी की हालत बाढ़ग्रस्त क्षेत्र जैसी हो जाती है। पिछले साल मानसून के दौरान हुई बारिश से लगभग पूरा बंगलुरू जलमग्न हो गया। नावों के जरिये लोगों को अपना बचाव करना पड़ा। यह शहर प्रदूषण की मार भी झेल रहा है। इससे निपटने के उपायों पर भी गंभीरता से प्रयास नहीं किए गए। ऐसे चुनावी मुद्दे प्रमुखता से उठाने के बजाय हाशिये पर धकेले जा चुके हैं।
May 06 2023, 13:13