मौसम विभाग के 150 साल पूरे होने पर पीएम मोदी ने लॉन्च किया 'मिशन मौसम'
भारतीय मौसम विभाग के 150वें स्थापना दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने ‘मिशन मौसम’ लॉन्च किया. साथ ही आईएमडी विजन-2047 दस्तावेज भी जारी किया. अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मौसम वैज्ञानिकों से भूकंप की चेतावनी देने वाला तंत्र विकसित करने के लिए कहा. ताकि समय रहते इससे देश को होने वाले नुकसान को रोका या कम किया जा सके. साथ ही पीएम ने कहा कि जहां पिछली सरकारों में प्राकृतिक आपदाओं में हजारों लोगों की जान जाने पर उसे नियति कहकर टाल दिया जाता था, वहीं आज मौसम से जुड़ा हर अपडेट व्हाट्सऐप पर मिल जाता है. यहा कारण है कि पिछले 10 सालों में कई साइक्लोन आए पर जनहानि या तो जीरो रही या सबसे कम.
भारतीय वैज्ञानिकों की तारीफ करते हुए पीएम ने कहा कि आज हमारा Flash Flood Guidance System भारत के पड़ोसी देशों जैसे नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और श्रीलंका को भी सूचनाएं दे रहा है. साथ ही अगर हमारे पड़ोस में कहीं कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो भारत सबसे पहले मदद के लिए मौजूद रहता है, जिससे दुनिया में भारत को लेकर भरोसा भी बढ़ा है.
पीएम ने सुनाया मौसम से जुड़ा एक किस्सा
भारतीय मौसम विभाग की स्थापना 1875 में मकर संक्रांति के ही करीब 15 जनवरी को हुई थी. आज के कार्यक्रम में पीएम मोदी ने मिशन मौसम लांच करने के साथ ही आईएमडी विजन-2047 दस्तावेज भी जारी किया. मिशन मौसम का मकसद देश को मौसम के लिए तैयार होने, देश को क्लाइमेट-स्मार्ट बनाने, वेदर मॉनिटरिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग कर नेक्स्ट जनरेशन रडार, सैटेलाइट और हाई-पर्फॉर्मिंग सुपर कंप्यूटर विकसित करना है. ताकि देश को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और प्राकृतिक आपदा से बेहतर तरीके से निपटने में मदद मिल सके.
विजन 2047 दस्तावेज में मौसम के पूर्वानुमान, मौसम प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने की योजनाएं शामिल है. ये दस्तावेज मॉडर्न वेदर मैनेजमेंट सिस्टम को लागू करने के लिए मददगार होगा. इस मौके पर पीएम ने अपना व्यक्तिगत अनुभव सुनाते हुए मौसम विभाग के पूर्वानुमान करने की तकनीक की तारीफ की.
पीएम ने कहा कि सोमवार को वो सोनमर्ग में थे, जिसका कार्यक्रम जल्दी बना था लेकिन मौसम विभाग की सारी जानकारियों से पता चला कि मेरे लिए वो समय उचित नहीं है. फिर मौसम विभाग ने मुझे बताया कि साहब 13 तारीख ठीक है. तब कल मैं वहां गया, माइनस 6 डिग्री टेंपरेचर था लेकिन जितना समय मैं वहां रहा, एक भी बादल नहीं था. धूप खिली हुई थी. मौसम विभाग की सूचना के कारण इतनी सरलता से मैं कार्यक्रम करके लौटा.
पीएम की स्पीच की मुख्य बातें
मौसम विभाग के Early Warning for All सुविधा की पहुंच आज देश की 90 प्रतिशत से ज्यादा आबादी तक हो रही है. कोई भी व्यक्ति किसी भी समय पिछले 10 दिन और आने वाले 10 दिन के मौसम की जानकारी ले सकता है. मौसम से जुड़ी भविष्यवाणी सीधे व्हाट्सऐप पर भी पहुंच जाती है. मेघदूत मोबाइल एप से देश की सभी स्थानीय भाषाओं में जानकारी मिलती है.
10 साल पहले देश के सिर्फ 10% किसानों और पशुपालकों को मौसम से जुड़ी जानकारी मिलती थी. आज ये संख्या 50% से ज्यादा हो गई है. यहां तक कि बिजली गिरने की जानकारी भी मोबाइल पर मिलती है. देश के लाखों समुद्री मछुआरों को जो समंदर में जाते हैं, उनको रियल टाइम अपडेट मिल रहा है.
पिछले 10 सालों में मौसम विभाग के इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी में विस्तार हुआ है.
इसका उदाहरण Doppler Weather Radar, Automatic Weather Stations, Runway weather Monitoring Systems, District-wise Rainfall Monitoring stations हैं.
मौसम विज्ञान को भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी और डिजिटल टेक्नोलॉजी का भी पूरा फायदा मिल रहा है. आज देश के पास अंटार्टिका में मैत्री और भारती नाम के 2 मौसम संबंधी वेधशालाएं हैं.
पिछले साल अर्क और अरुणिका सुपर कंप्यूटर्स शुरू किए गए हैं.
इससे मौसम विभाग की विश्वसनीयता भी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ी है. भविष्य में भारत, मौसम की हर परिस्थिति के लिए तैयार रहे, भारत एक क्लाइमेट स्मार्ट राष्ट्र बनें, इसके लिए हमने मिशन मौसम भी लॉन्च किया है. मिशन मौसम Sustainable Future और Future Readiness को लेकर भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है.
बता दें कि आज के इस कार्यक्रम के लिए 1875 में अविभाजित भारत का हिस्सा रहे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश जैसे देशों को भी न्योता दिया था. हालांकि, बांग्लादेश ने सरकारी खर्चे पर गैर जरूरी विदेशी यात्रा पर प्रतिबंध का हवाला देते हुए आने से मना कर दिया. पर बाकि देशों ने आने की रजामंदी दी थी. हालांकि ऐने मौके पर कुछ वजहों से इन देशों के प्रतिनिधि भारत नहीं पाए. कुछ देशों के दिल्ली स्थित दूतावास के प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम में शिरकत की.
Jul 01 2025, 14:13
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