Thinking of Going Solar? Here's What ANMAK SOLAR Wants You to Know

With electricity costs climbing and environmental concerns on the rise, switching to solar seems like a no-brainer. But many homeowners hesitate because of unanswered questions. ANMAK SOLAR, a trusted rooftop solar company from Meerut, answers your most common doubts.

1. Is solar expensive?

Not really. The initial cost has dropped significantly, and with government subsidies, payback can be as quick as 3–5 years. ANMAK helps you with all subsidy paperwork.

2. What about maintenance?

Minimal! ANMAK provides annual maintenance contracts to keep your system running efficiently.

3. Do solar panels work in cloudy weather?

Yes. Modern panels generate electricity even on cloudy days, though at reduced efficiency.

4. How much can I save?

Up to ₹1,000–₹3,000 per month, depending on system size and usage.

5. Can I sell extra electricity?

Yes. Thanks to net metering, surplus energy is sent back to the grid, earning you credits.

Trust the Experts

Founded in 2017 by Mr. Manoj Gupta, ANMAK SOLAR has transformed hundreds of rooftops into energy powerhouses. Their honest approach, local knowledge, and top-quality materials make them the go-to choice for solar in Meerut

विश्व मौसम विज्ञान दिवस आज! जानिए इस दिवस का इतिहास, महत्व और थीम

हर साल 23 मार्च को विश्व मौसम विज्ञान दिवस मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में मौसम, जलवायु और वातावरण के महत्व को उजागर करने के लिए समर्पित है। इस खास मौके पर मौसम विज्ञान के क्षेत्र में हुई प्रगति और पर्यावरण संरक्षण की जरूरतों पर चर्चा की जाती है। आइए जानते हैं इस दिन का इतिहास, महत्व और 2025 की थीम।

विश्व मौसम विज्ञान दिवस का इतिहास

विश्व मौसम विज्ञान दिवस की शुरुआत 1950 में हुई, जब विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की स्थापना हुई थी। यह संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक अहम एजेंसी है, जो वैश्विक स्तर पर मौसम, जलवायु और जल संसाधनों पर नजर रखता है।

WMO का मुख्य उद्देश्य देशों के बीच मौसम से जुड़ी जानकारी का आदान-प्रदान करना और मौसम आपदाओं से निपटने में सहयोग बढ़ाना है। 1961 से हर साल 23 मार्च को इस दिवस को आधिकारिक रूप से मनाया जाने लगा।

इस दिन का महत्व

मौसम और जलवायु पर जागरूकता:

विश्व मौसम विज्ञान दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को मौसम और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में जागरूक करना है।

आपदा प्रबंधन में मदद:

सटीक मौसम पूर्वानुमान बाढ़, चक्रवात, सूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से बचाव में मदद करता है। इससे जान-माल की हानि को कम किया जा सकता है।

कृषि और जल संसाधनों पर प्रभाव:

मौसम का सीधा असर खेती और जल संसाधनों पर पड़ता है। सही मौसम जानकारी से किसानों को बेहतर फैसले लेने में मदद मिलती है।

पर्यावरण संरक्षण:

मौसम विज्ञान हमें वायु प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग और समुद्र स्तर में बढ़ोतरी जैसी समस्याओं को समझने में मदद करता है। इससे पर्यावरण संरक्षण के लिए सही कदम उठाए जा सकते हैं।

विश्व मौसम विज्ञान दिवस 2025 की थीम

हर साल WMO एक नई थीम जारी करता है, जो जलवायु और मौसम से जुड़ी चुनौतियों पर केंद्रित होती है। 2025 की थीम अभी घोषित नहीं हुई है, लेकिन पिछले सालों की थीम को देखते हुए यह पर्यावरणीय बदलावों, आपदा प्रबंधन या जलवायु संरक्षण पर आधारित हो सकती है।

2024 की थीम थी "पृथ्वी की जलवायु का भविष्य (The Future of Weather, Climate, and Water across Generations)", जो आने वाली पीढ़ियों के लिए जलवायु संरक्षण पर केंद्रित थी।

विश्व मौसम विज्ञान दिवस हमें याद दिलाता है कि मौसम और जलवायु का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव है। बदलते मौसम के साथ हम सभी को सतर्क और जागरूक रहना जरूरी है। इस दिन का उद्देश्य न सिर्फ वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों तक सीमित है, बल्कि आम नागरिकों को भी पर्यावरण संरक्षण और मौसम से जुड़ी जानकारी का महत्व समझाने का है।

Google की AI तकनीक से मौसम विभाग के विशेषज्ञों को मिलेगी मदद

डेस्क:–Google ने मौसम की सटीक जानकारी के लिए Google deepmind के साथ मिलकर weather next AI मॉडल पेश कर दिया है। यह AI तकनीक मौसम पूर्वानुमान खबर की सटीकता के साथ जानकारी देता है। साथ ही तेजी के साथ सटीक जानकारी देने से लोगों को मौसम के पूर्वानुमान पर भी भरोसा बढेगा। Weather Next AI में दो AI MODEL Weather Next ग्राफ और Weather Next जनरेशन शामिल किए गए है।

Google के AI टेक्नॉलजी में वेदरनेक्सट जनरेशन लगभग दिन में 12 घंटे और 15 दिन की लीड के साथ 50 मौसम के बारे में जानकारी देता है। साथ ही माना जा रहा है कि इस तकनीक से तूफान आने की भी सटीक जानकारी मिल सकती है। वहीं दूसरी तकनीक वेदरनेक्सट ग्राफ 6 घंटे और 10 दिनों की लीड के साथ मौसम के पूर्वानुमान जानकारी देने में सक्षम है।

GOOGLE Deepmind का कहना है कि यह AI तकनीक तेज और सटीकता के साथ मौसम की जानकारी देने में कारगर साबित होगी जो कई अन्य भविष्यवाणियों की तुलना में बेहतर साबित होगा। वहीं Google ने बताया कि इस तकनीक से मौसम विभाग के विशेषज्ञों को सटीक जानकारी मिलेगी

मौसम विभाग के 150 साल पूरे होने पर पीएम मोदी ने लॉन्च किया 'मिशन मौसम'

भारतीय मौसम विभाग के 150वें स्थापना दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने ‘मिशन मौसम’ लॉन्च किया. साथ ही आईएमडी विजन-2047 दस्तावेज भी जारी किया. अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मौसम वैज्ञानिकों से भूकंप की चेतावनी देने वाला तंत्र विकसित करने के लिए कहा. ताकि समय रहते इससे देश को होने वाले नुकसान को रोका या कम किया जा सके. साथ ही पीएम ने कहा कि जहां पिछली सरकारों में प्राकृतिक आपदाओं में हजारों लोगों की जान जाने पर उसे नियति कहकर टाल दिया जाता था, वहीं आज मौसम से जुड़ा हर अपडेट व्हाट्सऐप पर मिल जाता है. यहा कारण है कि पिछले 10 सालों में कई साइक्लोन आए पर जनहानि या तो जीरो रही या सबसे कम.

भारतीय वैज्ञानिकों की तारीफ करते हुए पीएम ने कहा कि आज हमारा Flash Flood Guidance System भारत के पड़ोसी देशों जैसे नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और श्रीलंका को भी सूचनाएं दे रहा है. साथ ही अगर हमारे पड़ोस में कहीं कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो भारत सबसे पहले मदद के लिए मौजूद रहता है, जिससे दुनिया में भारत को लेकर भरोसा भी बढ़ा है.

पीएम ने सुनाया मौसम से जुड़ा एक किस्सा

भारतीय मौसम विभाग की स्थापना 1875 में मकर संक्रांति के ही करीब 15 जनवरी को हुई थी. आज के कार्यक्रम में पीएम मोदी ने मिशन मौसम लांच करने के साथ ही आईएमडी विजन-2047 दस्तावेज भी जारी किया. मिशन मौसम का मकसद देश को मौसम के लिए तैयार होने, देश को क्लाइमेट-स्मार्ट बनाने, वेदर मॉनिटरिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग कर नेक्स्ट जनरेशन रडार, सैटेलाइट और हाई-पर्फॉर्मिंग सुपर कंप्यूटर विकसित करना है. ताकि देश को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और प्राकृतिक आपदा से बेहतर तरीके से निपटने में मदद मिल सके.

विजन 2047 दस्तावेज में मौसम के पूर्वानुमान, मौसम प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने की योजनाएं शामिल है. ये दस्तावेज मॉडर्न वेदर मैनेजमेंट सिस्टम को लागू करने के लिए मददगार होगा. इस मौके पर पीएम ने अपना व्यक्तिगत अनुभव सुनाते हुए मौसम विभाग के पूर्वानुमान करने की तकनीक की तारीफ की.

पीएम ने कहा कि सोमवार को वो सोनमर्ग में थे, जिसका कार्यक्रम जल्दी बना था लेकिन मौसम विभाग की सारी जानकारियों से पता चला कि मेरे लिए वो समय उचित नहीं है. फिर मौसम विभाग ने मुझे बताया कि साहब 13 तारीख ठीक है. तब कल मैं वहां गया, माइनस 6 डिग्री टेंपरेचर था लेकिन जितना समय मैं वहां रहा, एक भी बादल नहीं था. धूप खिली हुई थी. मौसम विभाग की सूचना के कारण इतनी सरलता से मैं कार्यक्रम करके लौटा.

पीएम की स्पीच की मुख्य बातें

मौसम विभाग के Early Warning for All सुविधा की पहुंच आज देश की 90 प्रतिशत से ज्यादा आबादी तक हो रही है. कोई भी व्यक्ति किसी भी समय पिछले 10 दिन और आने वाले 10 दिन के मौसम की जानकारी ले सकता है. मौसम से जुड़ी भविष्यवाणी सीधे व्हाट्सऐप पर भी पहुंच जाती है. मेघदूत मोबाइल एप से देश की सभी स्थानीय भाषाओं में जानकारी मिलती है.

10 साल पहले देश के सिर्फ 10% किसानों और पशुपालकों को मौसम से जुड़ी जानकारी मिलती थी. आज ये संख्या 50% से ज्यादा हो गई है. यहां तक कि बिजली गिरने की जानकारी भी मोबाइल पर मिलती है. देश के लाखों समुद्री मछुआरों को जो समंदर में जाते हैं, उनको रियल टाइम अपडेट मिल रहा है.

पिछले 10 सालों में मौसम विभाग के इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी में विस्तार हुआ है.

इसका उदाहरण Doppler Weather Radar, Automatic Weather Stations, Runway weather Monitoring Systems, District-wise Rainfall Monitoring stations हैं.

मौसम विज्ञान को भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी और डिजिटल टेक्नोलॉजी का भी पूरा फायदा मिल रहा है. आज देश के पास अंटार्टिका में मैत्री और भारती नाम के 2 मौसम संबंधी वेधशालाएं हैं.

पिछले साल अर्क और अरुणिका सुपर कंप्यूटर्स शुरू किए गए हैं.

इससे मौसम विभाग की विश्वसनीयता भी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ी है. भविष्य में भारत, मौसम की हर परिस्थिति के लिए तैयार रहे, भारत एक क्लाइमेट स्मार्ट राष्ट्र बनें, इसके लिए हमने मिशन मौसम भी लॉन्च किया है. मिशन मौसम Sustainable Future और Future Readiness को लेकर भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है.

बता दें कि आज के इस कार्यक्रम के लिए 1875 में अविभाजित भारत का हिस्सा रहे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश जैसे देशों को भी न्योता दिया था. हालांकि, बांग्लादेश ने सरकारी खर्चे पर गैर जरूरी विदेशी यात्रा पर प्रतिबंध का हवाला देते हुए आने से मना कर दिया. पर बाकि देशों ने आने की रजामंदी दी थी. हालांकि ऐने मौके पर कुछ वजहों से इन देशों के प्रतिनिधि भारत नहीं पाए. कुछ देशों के दिल्ली स्थित दूतावास के प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम में शिरकत की.

पहाड़ों की बर्फबारी के बाद ठिठुरी देश की राजधानी दिल्ली, उत्तर भारत में अगले चार दिन शीतलहर का अलर्ट

#weatherreportcoldwavealertinnorth_india

पहाड़ों पर बर्फबारी के साथ-साथ हल्की बारिश हो रही है। कश्मीर के गुलमर्ग, राजदान पास, सोनमर्ग, जोजिला सहित कई पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बर्फबारी हुई है, जिससे शीतलहर और तेज हो गई है। कश्मीर घाटी में पहले से ही तापमान माइनस में चल रहा है और उसके ऊपर से हो रही बर्फबारी ने कंपकपी बढ़ा दी है। जम्मू संभाग में भी सर्दी का पिछले साल का रिकॉर्ड टूट गया है। लेह और लद्दाख में भी खून को जमा देने वाली ठंड पड़ रही है। जिसका असर पूरे उत्तर भारत में दिख रहा है। इन इलाकों में लगातार तापमान गिर रहा है।

मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों में दिल्ली, यूपी, बिहार, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान समेत देश के कई राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ेगी। राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार को इस सर्दी का अब तक का सबसे कम न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया। इस दौरान न्यूनतम तापमान 4.9 डिग्री सेल्सियस डिग्री दर्ज किया गया। आईएमडी ने कहा कि दिसंबर की शुरुआत में न्यूनतम तापमान 37 वर्षों में पहली बार पांच डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया है। आंकड़ों के अनुसार इस अवधि के दौरान सबसे कम न्यूनतम तापमान 6 दिसंबर 1987 को 4.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।

येलो अलर्ट किया गया है जारी

मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली में 12 दिसंबर को अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। इसके अलावा राष्ट्रीय राजधानी में अगले दो दिनों तक शीतलहर चलने और घना कोहरे होने की संभावना, जिसकी वजह से विभाग ने येलो अलर्ट भी जारी किया है।

हिमाचल से आ रही हवाओं ने बढ़ाई ठंड

मौसम विशेषज्ञ डॉ. चंद्रमोहन ने बताया कि हिमालय से सीधी आ रही बर्फीली हवाओं ने हरियाणा, एनसीआर और दिल्ली को अपने आगोश में ले लिया है। तापमान जमाव बिंदु के पास पहुंच गया है।हिमाचल प्रदेश के अधिकांश स्थानों पर बुधवार को न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री नीचे दर्ज किया गया जबकि कुछ इलाकों में हल्की बर्फबारी भी हुई। इस दौरान राज्य में जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति का ताबो सबसे ठंडा स्थान रहा, जहां न्यूनतम तापमान शून्य से 12.7 डिग्री नीचे दर्ज किया गया। पश्चिमी जिलों में खेत खलिहानों और खुले स्थानों पर पाला जमने लगा है। बारिश न होने से अभी सूखी ठंड का सामना लोगों को करना पड़ रहा है। हालांकि दिन में चमकदार धूप खिली रहने से दिन में ठंड से लोगों को राहत मिल रही है। 5-10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बर्फीली हवा चलने से कोहरा भी नहीं बन रहा है। बुधवार को प्रदेश में अधिकतर स्थानों पर दिन व रात का ताप मान सामान्य से नीचे बना हुआ है।

कश्मीर में बर्फबारी के बाद शीतलहर और तेज

इधर, कश्मीर के गुलमर्ग, राजदान पास, सोनमर्ग, जोजिला सहित कई पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बर्फबारी हुई है, जिससे शीतलहर और तेज हो गई है। कश्मीर में रात के तापमान में सुधार आया है, लेकिन अधिकांश जिलों में दिन के साथ रात का पारा सामान्य से 2 से 6 डिग्री नीचे चल रहा है। राजधानी श्रीनगर में दिन का तापमान 8.8, पहलगाम में 4.2 और गुलमर्ग में माइनस 0.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। लेह में खून जमा देने वाली ठंड के बीच दिन और रात का पारा शून्य डिग्री से नीचे चल रहा है। जम्मू में रात का पारा सामान्य से 5.2 डिग्री गिरकर 5.0 डिग्री तक पहुंच गया, जो इस सीजन की सर्द रात बीती। इस पारे ने पिछले साल का न्यूनतम तापमान का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। जम्मू में 19 दिसंबर 2023 को न्यूनतम तापमान 5.7 डिग्री दर्ज किया गया था।

IMD's orange flash flood warnings for Himachal Pradesh other states

The India Meteorological Department (IMD) has issued an ‘orange’ alert for Himachal Pradesh and other states as heavy rain continued northern India through the first two weeks of August. Earlier this week, the IMD predicted that heavy to extremely heavy rainfall would continue in parts of Himachal Pradesh till August 12

The weather agency issued the orange alert owing to heavy downpour in Himachal Pradesh, Uttarakhand, East Uttar Pradesh, East Madhya Pradesh, Meghalaya, Manipur, Mizoram, Nagaland and Tripura.

In its forecast, the IMD said heavy isolated rainfall will continue to lash Himachal Pradesh, Uttarakhand, and parts of Rajasthan till August 12, while moderate rainfall is expected to lash Jammu and Kashmir, Haryana, Punjab and Chandigarh on August 10The weather agency said heavy to extremely heavy rain will continue in Himachal Pradesh till Saturday, along with lightening and thunderstorms. An orange alert will remain in place in the state till August 12, and a yellow warning has been issued till August 15

The IMD also alerted of a low to moderate risk of flash floods in isolated areas of Mandi, Bilaspur, Solan, Sirmaur, Shimla, and Kullu districts through Saturday, news agency PTI reported.

The agency further sounded a warning of potential landslides in some regions, along with possible damage to plantations, crops, vulnerable structures, and kutcha houses due to waterlogging and strong winds in low lying areas in the state.

Earlier, on August 7, the IMD reported significant rainfall across the state, with Joginder Nagar in Mandi district experiencing the highest at 110 MM in 24 hours. The incessant downpour has affected daily life, making it challenging for residents and visitors alike. The cloudburst and flash floods that occurred on August 1 have affected the districts of Kullu, Mandi and Shimla.

Meanwhile, a yellow alert has been issued in Delhi for the next two days, with a forecast of moderate to heavy rainfall in the national capital till August 11. The weather office forecasted cloudy skies and moderate rains in Delhi NCR for Saturday, reported PTI

Heavy rainfall lashed parts of Delhi and NCR on Friday, leading to heavy waterlogging and traffic congestion in the evening. The Met office issued an 'orange' warning to "be prepared" after earlier putting the city in the 'green' zone for no warning or alert.

झारखंड में अगले 5 दिनों का मौसम फोरकास्ट
Ranchi: Weather Forecast & Updates for Jharkhand for the next five days by Abhishek Anand, Sc. C & Head, Meteorological Centre, Ranchi

दिल्ली समेत उत्तर पश्चिम भारत में सूरज के ताप से झुलस रहे लोग, देश में 17 स्थानों पर तापमान 48 के पार

#imdweatherforecast

देश की राजधानी दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में प्रचंड गर्मी पड़ रही है। धरती तवे के समान तप रही है, लू के थपेड़ों से लोग त्राहिमाम कर रहे है। आलम ये है कि सुबह 8 बजे ही सूरज की किरणों की तपिश लोगों को हलकान कर रही है।मार्निंग वॉक करने वाले बेचैनी का अनुभव कर रहे हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग(आईएमडी) का कहना है कि प्रचंड गर्मी का सामना कर रही दिल्ली समेत उत्तर पश्चिम भारत के लोगों को 30 मई के बाद भीषण लू से राहत मिल सकती है। इसके साथ ही किन राज्यों में कब और कितनी बारिश हो सकती है, इसको लेकर भी जानकारी दी है।

आईएमडी ने दिल्ली के अलावा राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, पश्चिम उत्तर प्रदेश और गुजरात के लिए गर्मी को लेकर 'रेड अलर्ट' जारी किया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा कि दिल्ली के लिए सोमवार को ‘रेड अलर्ट’ जारी किया गया था और अगले तीन दिनों तक ऐसा ही रहेगा। अगले कुछ दिनों तक लू से राहत मिलने की कोई संभावना नहीं है।

3 दिनों तक राहत के आसार नहीं

भारत मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि पश्चिमी विक्षोभ और अरब सागर से नमी आने के कारण 3 दिनों के बाद चिलचिलाती गर्मी से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी विक्षोभ और अरब सागर से नमी आने के कारण देश के उत्तर पश्चिम और मध्य भागों में गरज के साथ वर्षा होने और पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में बारिश होने की संभावना है, जिससे लोगों को गर्मी से राहत मिल सकती है।

देश में 17 स्थानों पर तापमान 48 के पार

देश में 17 स्थानों पर तापमान 48 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया। राजस्थान का फलोदी 49.4 डिग्री सेल्सियस के साथ देश का सबसे गर्म स्थान रहा। राजस्थान में कम से कम आठ और स्थानों पर तापमान 48 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा। हरियाणा के सिरसा में पारा 48.4 डिग्री, दिल्ली के मुंगेशपुर में 48.8 डिग्री, पंजाब के बठिंडा में 48.4 डिग्री, उत्तर प्रदेश के झांसी में 48.1 डिग्री और मध्य प्रदेश के निवाड़ी में 48.7 डिग्री तक पहुंच गया। यहां तक कि हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों में भी गर्मी का सामना करना पड़ा है। ऊना में अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि मंडी में अधिकतम तापमान 39.4 डिग्री दर्ज किया गया।

దక్షిణాదిలో దంచికొడుతున్న ఎండలు..

weather Report: దక్షిణాదిలో ఎండలు దంచికొడుతున్నాయి. సౌత్ రాష్ట్రాల్లో ఎన్నికల వేడి ఓవైపు.. ఎండల వేడి మరోవైపు జనాలను ఉక్కిరిబిక్కిరి చేస్తున్నాయి..

రోజురోజుకు పెరుగుతున్న ఉష్ణోగ్రతలు.. జనాలను ఎండ వేడికి ఠారెత్తిస్తున్నాయి. ఉదయం 10 గంటలకే 40 డిగ్రీల ఎండ ఉష్ణోగ్రతలు నమోదుతున్నాయి. ఉదయం 10 గంటల నుంచి సాయంత్రం 5 గంటల వరకూ అవసరమైతేనే బయటికి రావాలని.. వాతావరణ శాఖ సూచిస్తోంది. రానున్న మరో 5 రోజులు ఉష్ణోగ్రతలు మరింత పెరిగే అవకాశం ఉందని వాతావరణ శాఖ వెల్లడించింది. పలు జిల్లాలో వేడిగాలుల వీస్తాయని.. కరీంనగర్, నల్గొండ, పెద్దపల్లి, జగిత్యాల, వరంగల్, వనపర్తి, యాదాద్రి, రంగారెడ్డి, జిల్లాలకు రెడ్ అలర్డ్ జారీ చేసింది.

ఎండ వేడిమికి అల్లాడుతున్న సాధారణ జనాలు ఓవైపు అయితే... సార్వత్రిక ఎన్నికల వేళ ప్రచారానికి జనాలు రాక.. పార్టీల నేతలు తీవ్ర ఇబ్బందులు పడుతున్నారు. ఏపీలో అసెంబ్లీకి... పార్లమెంట్‌ ఎన్నికలకు సమయం దగ్గరపడుతున్నకొద్దీ... ప్రచారాలు ముమ్మరం చేయాల్సిన సమయంలో.. ఎండ వేడిమికి తాళలేక జనాలు బయటికి రావడం లేదు. వీలైనంత వరకూ పార్టీలు సైతం.. ఉదయం.. సాయంత్రం మాత్రమే ప్రచారాలకు ప్లాన్ చేసుకుంటున్నాయి.

సౌత్ మొత్తంలో కేరళ, కర్నాటక రాష్ట్రాల్లో అత్యధిక ఉష్ణోగ్రతలు నమోదు అవుతున్నాయి. కేరళలో హీట్‌వేవ్ ఎక్కువగా ఉండటంతో.. పాలక్కాడ్‌, మలప్పురం, అలప్పుజా నియోజకవర్గాల్లో ముగ్గురు ఓటర్లు మృతిచెందారు. ఎండ వేడి తట్టుకోలేక వాళ్లు ప్రాణాలు కోల్పోయినట్లు అధికారులు తెలిపారు. కోజికోడ్‌లో ఓ పోలింగ్ ఏజెంట్ మృతిచెందాడు. 48 డిగ్రీలు ఎండ, వేడిగాలులతో జనాలు తీవ్ర ఇబ్బందులు పడ్డారు.

इस साल जमकर बरसेंगे बादल, मानसून पर दिखेगा ला नीना का असर, मौसम विभाग ने दी खुशखबरी

#indiaweatherseegoodmonsoonduetolanina_effect

इस साल बादल भारत पर खूब मेहरबान होंगे। इस साल मानसून सीजन में खूब बादल बरसेंगे। तपतपाती गरमी के बीच भारत मौसम विभाग ने राहत भरी खबर दी है। मौसम विभाग का कहना है कि इस साल पूरे देश में औसतन 87 सेंटीमीटर तक बारिश हो सकती है। ला नीना प्रभाव के चलते इस साल देश में मानसून अच्छा रहेगा। अगस्त-सितंबर में अच्छी बारिश होने का अनुमान है।  

इस बार मॉनसून में होगी तेज बारिश

मौसम विभाग के मुताबिक अल नीनो के प्रभाव के कम होने के कारण ला नीना का प्रभाव बढ़ने जा रहा है। इसकी वजह से देशभर में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की जा सकती है। मॉनसूनी बारिश के दीर्घकालीन पूर्वानुमानों पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिए एम रविचंद्रन ने कहा कि 1971 से 2020 तक के वर्षा के आंकड़ों के आधार पर दीर्घकालीन पूर्वानुमान जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि एक जून से सितंबर की 30 तारीख तक,यानी कुल चार महीनों में देशभर में औसतन 87 सेंमी तक बारिश देखने को मिल सकती है।

ला नीना के कारण बारिश के आसार

देश में चार महीनों तक (जून से सितंबर तक) सामान्य से ज्यादा बारिश होगी और 106 प्रतिशत तक होगी। जलवायु विज्ञानियों का कहना है कि बारिश के दिनों में कमी आ रही है, जबकि भारी बारिश की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसके चलते ही बाढ़ और सूखे की समस्या देखने को मिल रही है। अभी देश में अल नीनो प्रभाव का असर है, लेकिन अगस्त-सितंबर में इसके ला नीना प्रभाव में बदलने का अनुमान है। उत्तरी गोलार्द्ध में बर्फबारी भी कम हुई है और ये परिस्थिति भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून के पक्ष में है। 

अल नीनो प्रभाव के चलते बीते साल कम हुई बारिश

अल नीनो प्रभाव के चलते साल 2023 में भारत में 820 मिमी बारिश हुई थी, जो कि सामान्य से कम थी। यह दीर्घ अवधि के औसत 868.6 मिमी से भी कम थी। साल 2023 से पहले चार वर्षों में मानसून के दौरान भारत में सामान्य और सामान्य से बेहतर बारिश दर्ज की गई थी।

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Not really. The initial cost has dropped significantly, and with government subsidies, payback can be as quick as 3–5 years. ANMAK helps you with all subsidy paperwork.

2. What about maintenance?

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Yes. Modern panels generate electricity even on cloudy days, though at reduced efficiency.

4. How much can I save?

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विश्व मौसम विज्ञान दिवस आज! जानिए इस दिवस का इतिहास, महत्व और थीम

हर साल 23 मार्च को विश्व मौसम विज्ञान दिवस मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में मौसम, जलवायु और वातावरण के महत्व को उजागर करने के लिए समर्पित है। इस खास मौके पर मौसम विज्ञान के क्षेत्र में हुई प्रगति और पर्यावरण संरक्षण की जरूरतों पर चर्चा की जाती है। आइए जानते हैं इस दिन का इतिहास, महत्व और 2025 की थीम।

विश्व मौसम विज्ञान दिवस का इतिहास

विश्व मौसम विज्ञान दिवस की शुरुआत 1950 में हुई, जब विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की स्थापना हुई थी। यह संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक अहम एजेंसी है, जो वैश्विक स्तर पर मौसम, जलवायु और जल संसाधनों पर नजर रखता है।

WMO का मुख्य उद्देश्य देशों के बीच मौसम से जुड़ी जानकारी का आदान-प्रदान करना और मौसम आपदाओं से निपटने में सहयोग बढ़ाना है। 1961 से हर साल 23 मार्च को इस दिवस को आधिकारिक रूप से मनाया जाने लगा।

इस दिन का महत्व

मौसम और जलवायु पर जागरूकता:

विश्व मौसम विज्ञान दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को मौसम और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में जागरूक करना है।

आपदा प्रबंधन में मदद:

सटीक मौसम पूर्वानुमान बाढ़, चक्रवात, सूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से बचाव में मदद करता है। इससे जान-माल की हानि को कम किया जा सकता है।

कृषि और जल संसाधनों पर प्रभाव:

मौसम का सीधा असर खेती और जल संसाधनों पर पड़ता है। सही मौसम जानकारी से किसानों को बेहतर फैसले लेने में मदद मिलती है।

पर्यावरण संरक्षण:

मौसम विज्ञान हमें वायु प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग और समुद्र स्तर में बढ़ोतरी जैसी समस्याओं को समझने में मदद करता है। इससे पर्यावरण संरक्षण के लिए सही कदम उठाए जा सकते हैं।

विश्व मौसम विज्ञान दिवस 2025 की थीम

हर साल WMO एक नई थीम जारी करता है, जो जलवायु और मौसम से जुड़ी चुनौतियों पर केंद्रित होती है। 2025 की थीम अभी घोषित नहीं हुई है, लेकिन पिछले सालों की थीम को देखते हुए यह पर्यावरणीय बदलावों, आपदा प्रबंधन या जलवायु संरक्षण पर आधारित हो सकती है।

2024 की थीम थी "पृथ्वी की जलवायु का भविष्य (The Future of Weather, Climate, and Water across Generations)", जो आने वाली पीढ़ियों के लिए जलवायु संरक्षण पर केंद्रित थी।

विश्व मौसम विज्ञान दिवस हमें याद दिलाता है कि मौसम और जलवायु का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव है। बदलते मौसम के साथ हम सभी को सतर्क और जागरूक रहना जरूरी है। इस दिन का उद्देश्य न सिर्फ वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों तक सीमित है, बल्कि आम नागरिकों को भी पर्यावरण संरक्षण और मौसम से जुड़ी जानकारी का महत्व समझाने का है।

Google की AI तकनीक से मौसम विभाग के विशेषज्ञों को मिलेगी मदद

डेस्क:–Google ने मौसम की सटीक जानकारी के लिए Google deepmind के साथ मिलकर weather next AI मॉडल पेश कर दिया है। यह AI तकनीक मौसम पूर्वानुमान खबर की सटीकता के साथ जानकारी देता है। साथ ही तेजी के साथ सटीक जानकारी देने से लोगों को मौसम के पूर्वानुमान पर भी भरोसा बढेगा। Weather Next AI में दो AI MODEL Weather Next ग्राफ और Weather Next जनरेशन शामिल किए गए है।

Google के AI टेक्नॉलजी में वेदरनेक्सट जनरेशन लगभग दिन में 12 घंटे और 15 दिन की लीड के साथ 50 मौसम के बारे में जानकारी देता है। साथ ही माना जा रहा है कि इस तकनीक से तूफान आने की भी सटीक जानकारी मिल सकती है। वहीं दूसरी तकनीक वेदरनेक्सट ग्राफ 6 घंटे और 10 दिनों की लीड के साथ मौसम के पूर्वानुमान जानकारी देने में सक्षम है।

GOOGLE Deepmind का कहना है कि यह AI तकनीक तेज और सटीकता के साथ मौसम की जानकारी देने में कारगर साबित होगी जो कई अन्य भविष्यवाणियों की तुलना में बेहतर साबित होगा। वहीं Google ने बताया कि इस तकनीक से मौसम विभाग के विशेषज्ञों को सटीक जानकारी मिलेगी

मौसम विभाग के 150 साल पूरे होने पर पीएम मोदी ने लॉन्च किया 'मिशन मौसम'

भारतीय मौसम विभाग के 150वें स्थापना दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने ‘मिशन मौसम’ लॉन्च किया. साथ ही आईएमडी विजन-2047 दस्तावेज भी जारी किया. अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मौसम वैज्ञानिकों से भूकंप की चेतावनी देने वाला तंत्र विकसित करने के लिए कहा. ताकि समय रहते इससे देश को होने वाले नुकसान को रोका या कम किया जा सके. साथ ही पीएम ने कहा कि जहां पिछली सरकारों में प्राकृतिक आपदाओं में हजारों लोगों की जान जाने पर उसे नियति कहकर टाल दिया जाता था, वहीं आज मौसम से जुड़ा हर अपडेट व्हाट्सऐप पर मिल जाता है. यहा कारण है कि पिछले 10 सालों में कई साइक्लोन आए पर जनहानि या तो जीरो रही या सबसे कम.

भारतीय वैज्ञानिकों की तारीफ करते हुए पीएम ने कहा कि आज हमारा Flash Flood Guidance System भारत के पड़ोसी देशों जैसे नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और श्रीलंका को भी सूचनाएं दे रहा है. साथ ही अगर हमारे पड़ोस में कहीं कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो भारत सबसे पहले मदद के लिए मौजूद रहता है, जिससे दुनिया में भारत को लेकर भरोसा भी बढ़ा है.

पीएम ने सुनाया मौसम से जुड़ा एक किस्सा

भारतीय मौसम विभाग की स्थापना 1875 में मकर संक्रांति के ही करीब 15 जनवरी को हुई थी. आज के कार्यक्रम में पीएम मोदी ने मिशन मौसम लांच करने के साथ ही आईएमडी विजन-2047 दस्तावेज भी जारी किया. मिशन मौसम का मकसद देश को मौसम के लिए तैयार होने, देश को क्लाइमेट-स्मार्ट बनाने, वेदर मॉनिटरिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग कर नेक्स्ट जनरेशन रडार, सैटेलाइट और हाई-पर्फॉर्मिंग सुपर कंप्यूटर विकसित करना है. ताकि देश को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और प्राकृतिक आपदा से बेहतर तरीके से निपटने में मदद मिल सके.

विजन 2047 दस्तावेज में मौसम के पूर्वानुमान, मौसम प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने की योजनाएं शामिल है. ये दस्तावेज मॉडर्न वेदर मैनेजमेंट सिस्टम को लागू करने के लिए मददगार होगा. इस मौके पर पीएम ने अपना व्यक्तिगत अनुभव सुनाते हुए मौसम विभाग के पूर्वानुमान करने की तकनीक की तारीफ की.

पीएम ने कहा कि सोमवार को वो सोनमर्ग में थे, जिसका कार्यक्रम जल्दी बना था लेकिन मौसम विभाग की सारी जानकारियों से पता चला कि मेरे लिए वो समय उचित नहीं है. फिर मौसम विभाग ने मुझे बताया कि साहब 13 तारीख ठीक है. तब कल मैं वहां गया, माइनस 6 डिग्री टेंपरेचर था लेकिन जितना समय मैं वहां रहा, एक भी बादल नहीं था. धूप खिली हुई थी. मौसम विभाग की सूचना के कारण इतनी सरलता से मैं कार्यक्रम करके लौटा.

पीएम की स्पीच की मुख्य बातें

मौसम विभाग के Early Warning for All सुविधा की पहुंच आज देश की 90 प्रतिशत से ज्यादा आबादी तक हो रही है. कोई भी व्यक्ति किसी भी समय पिछले 10 दिन और आने वाले 10 दिन के मौसम की जानकारी ले सकता है. मौसम से जुड़ी भविष्यवाणी सीधे व्हाट्सऐप पर भी पहुंच जाती है. मेघदूत मोबाइल एप से देश की सभी स्थानीय भाषाओं में जानकारी मिलती है.

10 साल पहले देश के सिर्फ 10% किसानों और पशुपालकों को मौसम से जुड़ी जानकारी मिलती थी. आज ये संख्या 50% से ज्यादा हो गई है. यहां तक कि बिजली गिरने की जानकारी भी मोबाइल पर मिलती है. देश के लाखों समुद्री मछुआरों को जो समंदर में जाते हैं, उनको रियल टाइम अपडेट मिल रहा है.

पिछले 10 सालों में मौसम विभाग के इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी में विस्तार हुआ है.

इसका उदाहरण Doppler Weather Radar, Automatic Weather Stations, Runway weather Monitoring Systems, District-wise Rainfall Monitoring stations हैं.

मौसम विज्ञान को भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी और डिजिटल टेक्नोलॉजी का भी पूरा फायदा मिल रहा है. आज देश के पास अंटार्टिका में मैत्री और भारती नाम के 2 मौसम संबंधी वेधशालाएं हैं.

पिछले साल अर्क और अरुणिका सुपर कंप्यूटर्स शुरू किए गए हैं.

इससे मौसम विभाग की विश्वसनीयता भी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ी है. भविष्य में भारत, मौसम की हर परिस्थिति के लिए तैयार रहे, भारत एक क्लाइमेट स्मार्ट राष्ट्र बनें, इसके लिए हमने मिशन मौसम भी लॉन्च किया है. मिशन मौसम Sustainable Future और Future Readiness को लेकर भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है.

बता दें कि आज के इस कार्यक्रम के लिए 1875 में अविभाजित भारत का हिस्सा रहे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश जैसे देशों को भी न्योता दिया था. हालांकि, बांग्लादेश ने सरकारी खर्चे पर गैर जरूरी विदेशी यात्रा पर प्रतिबंध का हवाला देते हुए आने से मना कर दिया. पर बाकि देशों ने आने की रजामंदी दी थी. हालांकि ऐने मौके पर कुछ वजहों से इन देशों के प्रतिनिधि भारत नहीं पाए. कुछ देशों के दिल्ली स्थित दूतावास के प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम में शिरकत की.

पहाड़ों की बर्फबारी के बाद ठिठुरी देश की राजधानी दिल्ली, उत्तर भारत में अगले चार दिन शीतलहर का अलर्ट

#weatherreportcoldwavealertinnorth_india

पहाड़ों पर बर्फबारी के साथ-साथ हल्की बारिश हो रही है। कश्मीर के गुलमर्ग, राजदान पास, सोनमर्ग, जोजिला सहित कई पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बर्फबारी हुई है, जिससे शीतलहर और तेज हो गई है। कश्मीर घाटी में पहले से ही तापमान माइनस में चल रहा है और उसके ऊपर से हो रही बर्फबारी ने कंपकपी बढ़ा दी है। जम्मू संभाग में भी सर्दी का पिछले साल का रिकॉर्ड टूट गया है। लेह और लद्दाख में भी खून को जमा देने वाली ठंड पड़ रही है। जिसका असर पूरे उत्तर भारत में दिख रहा है। इन इलाकों में लगातार तापमान गिर रहा है।

मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों में दिल्ली, यूपी, बिहार, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान समेत देश के कई राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ेगी। राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार को इस सर्दी का अब तक का सबसे कम न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया। इस दौरान न्यूनतम तापमान 4.9 डिग्री सेल्सियस डिग्री दर्ज किया गया। आईएमडी ने कहा कि दिसंबर की शुरुआत में न्यूनतम तापमान 37 वर्षों में पहली बार पांच डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया है। आंकड़ों के अनुसार इस अवधि के दौरान सबसे कम न्यूनतम तापमान 6 दिसंबर 1987 को 4.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।

येलो अलर्ट किया गया है जारी

मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली में 12 दिसंबर को अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। इसके अलावा राष्ट्रीय राजधानी में अगले दो दिनों तक शीतलहर चलने और घना कोहरे होने की संभावना, जिसकी वजह से विभाग ने येलो अलर्ट भी जारी किया है।

हिमाचल से आ रही हवाओं ने बढ़ाई ठंड

मौसम विशेषज्ञ डॉ. चंद्रमोहन ने बताया कि हिमालय से सीधी आ रही बर्फीली हवाओं ने हरियाणा, एनसीआर और दिल्ली को अपने आगोश में ले लिया है। तापमान जमाव बिंदु के पास पहुंच गया है।हिमाचल प्रदेश के अधिकांश स्थानों पर बुधवार को न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री नीचे दर्ज किया गया जबकि कुछ इलाकों में हल्की बर्फबारी भी हुई। इस दौरान राज्य में जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति का ताबो सबसे ठंडा स्थान रहा, जहां न्यूनतम तापमान शून्य से 12.7 डिग्री नीचे दर्ज किया गया। पश्चिमी जिलों में खेत खलिहानों और खुले स्थानों पर पाला जमने लगा है। बारिश न होने से अभी सूखी ठंड का सामना लोगों को करना पड़ रहा है। हालांकि दिन में चमकदार धूप खिली रहने से दिन में ठंड से लोगों को राहत मिल रही है। 5-10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बर्फीली हवा चलने से कोहरा भी नहीं बन रहा है। बुधवार को प्रदेश में अधिकतर स्थानों पर दिन व रात का ताप मान सामान्य से नीचे बना हुआ है।

कश्मीर में बर्फबारी के बाद शीतलहर और तेज

इधर, कश्मीर के गुलमर्ग, राजदान पास, सोनमर्ग, जोजिला सहित कई पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बर्फबारी हुई है, जिससे शीतलहर और तेज हो गई है। कश्मीर में रात के तापमान में सुधार आया है, लेकिन अधिकांश जिलों में दिन के साथ रात का पारा सामान्य से 2 से 6 डिग्री नीचे चल रहा है। राजधानी श्रीनगर में दिन का तापमान 8.8, पहलगाम में 4.2 और गुलमर्ग में माइनस 0.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। लेह में खून जमा देने वाली ठंड के बीच दिन और रात का पारा शून्य डिग्री से नीचे चल रहा है। जम्मू में रात का पारा सामान्य से 5.2 डिग्री गिरकर 5.0 डिग्री तक पहुंच गया, जो इस सीजन की सर्द रात बीती। इस पारे ने पिछले साल का न्यूनतम तापमान का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। जम्मू में 19 दिसंबर 2023 को न्यूनतम तापमान 5.7 डिग्री दर्ज किया गया था।

IMD's orange flash flood warnings for Himachal Pradesh other states

The India Meteorological Department (IMD) has issued an ‘orange’ alert for Himachal Pradesh and other states as heavy rain continued northern India through the first two weeks of August. Earlier this week, the IMD predicted that heavy to extremely heavy rainfall would continue in parts of Himachal Pradesh till August 12

The weather agency issued the orange alert owing to heavy downpour in Himachal Pradesh, Uttarakhand, East Uttar Pradesh, East Madhya Pradesh, Meghalaya, Manipur, Mizoram, Nagaland and Tripura.

In its forecast, the IMD said heavy isolated rainfall will continue to lash Himachal Pradesh, Uttarakhand, and parts of Rajasthan till August 12, while moderate rainfall is expected to lash Jammu and Kashmir, Haryana, Punjab and Chandigarh on August 10The weather agency said heavy to extremely heavy rain will continue in Himachal Pradesh till Saturday, along with lightening and thunderstorms. An orange alert will remain in place in the state till August 12, and a yellow warning has been issued till August 15

The IMD also alerted of a low to moderate risk of flash floods in isolated areas of Mandi, Bilaspur, Solan, Sirmaur, Shimla, and Kullu districts through Saturday, news agency PTI reported.

The agency further sounded a warning of potential landslides in some regions, along with possible damage to plantations, crops, vulnerable structures, and kutcha houses due to waterlogging and strong winds in low lying areas in the state.

Earlier, on August 7, the IMD reported significant rainfall across the state, with Joginder Nagar in Mandi district experiencing the highest at 110 MM in 24 hours. The incessant downpour has affected daily life, making it challenging for residents and visitors alike. The cloudburst and flash floods that occurred on August 1 have affected the districts of Kullu, Mandi and Shimla.

Meanwhile, a yellow alert has been issued in Delhi for the next two days, with a forecast of moderate to heavy rainfall in the national capital till August 11. The weather office forecasted cloudy skies and moderate rains in Delhi NCR for Saturday, reported PTI

Heavy rainfall lashed parts of Delhi and NCR on Friday, leading to heavy waterlogging and traffic congestion in the evening. The Met office issued an 'orange' warning to "be prepared" after earlier putting the city in the 'green' zone for no warning or alert.

झारखंड में अगले 5 दिनों का मौसम फोरकास्ट
Ranchi: Weather Forecast & Updates for Jharkhand for the next five days by Abhishek Anand, Sc. C & Head, Meteorological Centre, Ranchi

दिल्ली समेत उत्तर पश्चिम भारत में सूरज के ताप से झुलस रहे लोग, देश में 17 स्थानों पर तापमान 48 के पार

#imdweatherforecast

देश की राजधानी दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में प्रचंड गर्मी पड़ रही है। धरती तवे के समान तप रही है, लू के थपेड़ों से लोग त्राहिमाम कर रहे है। आलम ये है कि सुबह 8 बजे ही सूरज की किरणों की तपिश लोगों को हलकान कर रही है।मार्निंग वॉक करने वाले बेचैनी का अनुभव कर रहे हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग(आईएमडी) का कहना है कि प्रचंड गर्मी का सामना कर रही दिल्ली समेत उत्तर पश्चिम भारत के लोगों को 30 मई के बाद भीषण लू से राहत मिल सकती है। इसके साथ ही किन राज्यों में कब और कितनी बारिश हो सकती है, इसको लेकर भी जानकारी दी है।

आईएमडी ने दिल्ली के अलावा राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, पश्चिम उत्तर प्रदेश और गुजरात के लिए गर्मी को लेकर 'रेड अलर्ट' जारी किया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा कि दिल्ली के लिए सोमवार को ‘रेड अलर्ट’ जारी किया गया था और अगले तीन दिनों तक ऐसा ही रहेगा। अगले कुछ दिनों तक लू से राहत मिलने की कोई संभावना नहीं है।

3 दिनों तक राहत के आसार नहीं

भारत मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि पश्चिमी विक्षोभ और अरब सागर से नमी आने के कारण 3 दिनों के बाद चिलचिलाती गर्मी से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी विक्षोभ और अरब सागर से नमी आने के कारण देश के उत्तर पश्चिम और मध्य भागों में गरज के साथ वर्षा होने और पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में बारिश होने की संभावना है, जिससे लोगों को गर्मी से राहत मिल सकती है।

देश में 17 स्थानों पर तापमान 48 के पार

देश में 17 स्थानों पर तापमान 48 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया। राजस्थान का फलोदी 49.4 डिग्री सेल्सियस के साथ देश का सबसे गर्म स्थान रहा। राजस्थान में कम से कम आठ और स्थानों पर तापमान 48 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा। हरियाणा के सिरसा में पारा 48.4 डिग्री, दिल्ली के मुंगेशपुर में 48.8 डिग्री, पंजाब के बठिंडा में 48.4 डिग्री, उत्तर प्रदेश के झांसी में 48.1 डिग्री और मध्य प्रदेश के निवाड़ी में 48.7 डिग्री तक पहुंच गया। यहां तक कि हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों में भी गर्मी का सामना करना पड़ा है। ऊना में अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि मंडी में अधिकतम तापमान 39.4 डिग्री दर्ज किया गया।

దక్షిణాదిలో దంచికొడుతున్న ఎండలు..

weather Report: దక్షిణాదిలో ఎండలు దంచికొడుతున్నాయి. సౌత్ రాష్ట్రాల్లో ఎన్నికల వేడి ఓవైపు.. ఎండల వేడి మరోవైపు జనాలను ఉక్కిరిబిక్కిరి చేస్తున్నాయి..

రోజురోజుకు పెరుగుతున్న ఉష్ణోగ్రతలు.. జనాలను ఎండ వేడికి ఠారెత్తిస్తున్నాయి. ఉదయం 10 గంటలకే 40 డిగ్రీల ఎండ ఉష్ణోగ్రతలు నమోదుతున్నాయి. ఉదయం 10 గంటల నుంచి సాయంత్రం 5 గంటల వరకూ అవసరమైతేనే బయటికి రావాలని.. వాతావరణ శాఖ సూచిస్తోంది. రానున్న మరో 5 రోజులు ఉష్ణోగ్రతలు మరింత పెరిగే అవకాశం ఉందని వాతావరణ శాఖ వెల్లడించింది. పలు జిల్లాలో వేడిగాలుల వీస్తాయని.. కరీంనగర్, నల్గొండ, పెద్దపల్లి, జగిత్యాల, వరంగల్, వనపర్తి, యాదాద్రి, రంగారెడ్డి, జిల్లాలకు రెడ్ అలర్డ్ జారీ చేసింది.

ఎండ వేడిమికి అల్లాడుతున్న సాధారణ జనాలు ఓవైపు అయితే... సార్వత్రిక ఎన్నికల వేళ ప్రచారానికి జనాలు రాక.. పార్టీల నేతలు తీవ్ర ఇబ్బందులు పడుతున్నారు. ఏపీలో అసెంబ్లీకి... పార్లమెంట్‌ ఎన్నికలకు సమయం దగ్గరపడుతున్నకొద్దీ... ప్రచారాలు ముమ్మరం చేయాల్సిన సమయంలో.. ఎండ వేడిమికి తాళలేక జనాలు బయటికి రావడం లేదు. వీలైనంత వరకూ పార్టీలు సైతం.. ఉదయం.. సాయంత్రం మాత్రమే ప్రచారాలకు ప్లాన్ చేసుకుంటున్నాయి.

సౌత్ మొత్తంలో కేరళ, కర్నాటక రాష్ట్రాల్లో అత్యధిక ఉష్ణోగ్రతలు నమోదు అవుతున్నాయి. కేరళలో హీట్‌వేవ్ ఎక్కువగా ఉండటంతో.. పాలక్కాడ్‌, మలప్పురం, అలప్పుజా నియోజకవర్గాల్లో ముగ్గురు ఓటర్లు మృతిచెందారు. ఎండ వేడి తట్టుకోలేక వాళ్లు ప్రాణాలు కోల్పోయినట్లు అధికారులు తెలిపారు. కోజికోడ్‌లో ఓ పోలింగ్ ఏజెంట్ మృతిచెందాడు. 48 డిగ్రీలు ఎండ, వేడిగాలులతో జనాలు తీవ్ర ఇబ్బందులు పడ్డారు.

इस साल जमकर बरसेंगे बादल, मानसून पर दिखेगा ला नीना का असर, मौसम विभाग ने दी खुशखबरी

#indiaweatherseegoodmonsoonduetolanina_effect

इस साल बादल भारत पर खूब मेहरबान होंगे। इस साल मानसून सीजन में खूब बादल बरसेंगे। तपतपाती गरमी के बीच भारत मौसम विभाग ने राहत भरी खबर दी है। मौसम विभाग का कहना है कि इस साल पूरे देश में औसतन 87 सेंटीमीटर तक बारिश हो सकती है। ला नीना प्रभाव के चलते इस साल देश में मानसून अच्छा रहेगा। अगस्त-सितंबर में अच्छी बारिश होने का अनुमान है।  

इस बार मॉनसून में होगी तेज बारिश

मौसम विभाग के मुताबिक अल नीनो के प्रभाव के कम होने के कारण ला नीना का प्रभाव बढ़ने जा रहा है। इसकी वजह से देशभर में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की जा सकती है। मॉनसूनी बारिश के दीर्घकालीन पूर्वानुमानों पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिए एम रविचंद्रन ने कहा कि 1971 से 2020 तक के वर्षा के आंकड़ों के आधार पर दीर्घकालीन पूर्वानुमान जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि एक जून से सितंबर की 30 तारीख तक,यानी कुल चार महीनों में देशभर में औसतन 87 सेंमी तक बारिश देखने को मिल सकती है।

ला नीना के कारण बारिश के आसार

देश में चार महीनों तक (जून से सितंबर तक) सामान्य से ज्यादा बारिश होगी और 106 प्रतिशत तक होगी। जलवायु विज्ञानियों का कहना है कि बारिश के दिनों में कमी आ रही है, जबकि भारी बारिश की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसके चलते ही बाढ़ और सूखे की समस्या देखने को मिल रही है। अभी देश में अल नीनो प्रभाव का असर है, लेकिन अगस्त-सितंबर में इसके ला नीना प्रभाव में बदलने का अनुमान है। उत्तरी गोलार्द्ध में बर्फबारी भी कम हुई है और ये परिस्थिति भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून के पक्ष में है। 

अल नीनो प्रभाव के चलते बीते साल कम हुई बारिश

अल नीनो प्रभाव के चलते साल 2023 में भारत में 820 मिमी बारिश हुई थी, जो कि सामान्य से कम थी। यह दीर्घ अवधि के औसत 868.6 मिमी से भी कम थी। साल 2023 से पहले चार वर्षों में मानसून के दौरान भारत में सामान्य और सामान्य से बेहतर बारिश दर्ज की गई थी।