ये कैसा युद्धविराम? सीजफायर के बीच इजरायल ने लेबनान पर दागी मिसाइलें

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इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच सीजफायर पर सवाल उठने लगे हैं। दरअसल, लेबनान में 27 नवंबर को हुए युद्धविराम के बावजूद दोनों पक्षों से हमले जारी हैं। हिजबुल्लाह के साथ लंबे समय से जारी युद्ध के बीच लागू हुए सीजफायर के बाद इजरायल ने लेबनान में अपना सबसे बड़ा एयर स्ट्राइक किया है। दो दिसंबर (सोमवार) को इजरायली लड़ाकू विमानों ने हिजबुल्लाह के ठिकानों पर कई मिसाइलें दागी। जिससे करीब 11 लोगों की मौत हुई है।इजरायल ने ये हमले लेबनान से हिजबुल्लाह के मोर्टार दागे जाने के बाद किए हैं। पिछले बुधवार को 60 दिनों के युद्ध विराम को प्रभावी होने के बाद हिजबुल्लाह का इजरायल के ऊपर मोर्टार दागे जाने का यह पहला मामला है।

27 नवंबर इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच करीब एक साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के उद्देश्य से युद्ध विराम हुआ था।हालांकि युद्ध विराम के बावजूद दोनों देश एक दूसरे पर उल्लंघन का आरोप लगाते हुए युद्धविराम के प्रोटोकॉल को बार-बार तोड़ते नजर आ रह हैं।

एक बयान में इजरायली रक्षा बलों ने कहा कि लड़ाकू विमानों ने लेबनान में हिजबुल्लाह के ऑपरेटिव्स और दर्जनों रॉकेट लांचरों और आतंकी समूह से संबंधित सुविधाओं पर हमला किया। हिजबुल्लाह ने इसके पहले सोमवार को दावा किया था कि उसने पिछले सप्ताह हुए युद्ध विरम समझौते के बार-बार उल्लंघन के जवाब में मोर्टार दागे और इसे संघर्ष विराम के दौरान लेबनान पर आईडीएफ के हमलों के खिलाफ 'प्रारंभिक चेतावनी' बताया था।

आईडीएफ ने कहा कि हमले के दौरान उसने हिजबुल्लाह की सुविधाओं के अलावा माउंट डोव पर दो मोर्टार दागने के लिए इस्तेमाल किए गए लांचर को भी निशाना बनाया। इजरायली सेना के अनुसार, हमले के कुछ समय बाद ही साइट को निशाना बनाया गया। सेना ने कहा, 'इजराइल की मांग है कि लेबनान में संबंधित पक्ष अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करें और लेबनानी क्षेत्र के भीतर हिज्बुल्लाह की शत्रुतापूर्ण गतिविधि को रोकें। इजराइल लेबनान में युद्ध विराम समझौते की शर्तों को पूरा करने के लिए बाध्य है।

27 नवंबर की सुबह हुए युद्धविराम में यह तय किया गया है कि इजरायल लेबनान में नागरिक, सैन्य या अन्य सरकारी लक्ष्यों के खिलाफ आक्रामक सैन्य अभियान नहीं चलाएगा। वहीं लेबनान हिजबुल्ला समेत किसी भी सशस्त्र समूह को इजरायल के खिलाफ अभियान चलाने से रोकेगा। लेबनान और इजरायल ने पहले ही एक-दूसरे पर युद्धविराम के उल्लंघन का आरोप लगा चुके हैं।

बेंजामिन नेतन्याहू की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी, जानें इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के इस फैसले के पीछे की वजह

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इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध ने बड़ा रूप धारण कर लिया है। पिछले साल अक्‍टूबर में हमास के लड़ाकों ने इजरायल में घुसकर हजार से ज्‍यादा लोगों की निर्मम तरीके से हत्‍या कर दी थी और 250 से ज्‍यादा इजरयली नागरिकों को अगवा कर लिया था। इसके बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू ने बदला लेने की कसम खाई। जिसके बाद शुरू हुई जंग बढ़ती ही जा रही है। इजराइल और हमास के बीच युद्ध के दौरान 40 हजार से ज्‍यादा मौत के घाट उतारे जा चुके हैं। जबकि एक लाख से ज्‍यादा घायल हुए हैं। इस बीच इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) ने गुरुवार को युद्ध और मानवता के खिलाफ अपराधों को लेकर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योव गैलेंट के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया।

आईसीसी के जजों ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलंट और हमास के सैन्य कमांडर मोहम्मद डेफ के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया है। आईसीसी ने कहा कि इन नेताओं पर इजराइल और हमास के बीच युद्ध के दौरान युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों का आरोप है। कोर्ट ने नेतन्याहू के खिलाफ आरोपों को लेकर जांच कराने का भी आदेश दिया है।

रिर्पोट के मुताबिक, आईसीसी ने पीएम नेतन्याहू और इजराइल के रक्षा मंत्री पर इजराइली सेना को फिलिस्तीनी नागरिकों को जानबूझ कर मारने का आदेश देने और गाजा में अंतराष्ट्रीय मानवीय मदद को पहुंचने से रोकने के मामले में दोषी पाया, जिससे वजह से वहां पर भुखमरी के स्तिथी बनी। कोर्ट ने अपने जांच में पाया कि इजराइली पीएम ने जंग के बहाने फिलिस्तीनियों नागरिकों की हत्याएं करवाईं और गाजा को तहस नहस करने का भी आदेश दिया। आईसीसी के जजों ने इन सभी पहलुओं को देखते हुए उनके खिलाफ वारंट जारी करने का फैसला लिया।

इजराइल के राष्ट्रपति ने कहा- आईसीसी का ये फैसला एक मजाक

इस फैसले पर इजराइल के राष्ट्रपति आइजैक हर्जोग ने कहा कि आईसीसी का यह फैसला एक मजाक बन गया है। फैसला आतंकवाद के पक्ष में गया है। वहीं, फिलिस्तीनी नेता मुस्तफा बारघौती ने नेतन्याहू और गैलंट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट का स्वागत किया और आईसीसी से इस्राइल के खिलाफ नरसंहार के मामले में जल्द फैसला लेने का अनुरोध किया।

अमेरिका ने क्या कहा?

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के इस फैसले पर अमेरिका ने तीखी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की है। राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि इजरायल को आत्‍मरक्षा का पूरा अधिकार है। पीएम नेतन्‍याहू और अन्‍य के खिलाफ आईसीसी की ओर से जारी अरेस्‍ट वारंट के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि उन्‍हें कौन और कहां की पुलिस गिरफ्तार करेगी? दरअसल, निर्धारित प्रावधानों के तहत आईसीसी के सदस्‍य देशों की पुलिस नेतन्‍याहू को गिरफ्तार कर सकती है। बता दें कि अमेरिका आईसीसी का सदस्‍य देश नहीं है। हालांकि, आईसीसी के फैसले पर अमल काफी मुश्किल है

श्रीलंका में इजरायलियों के खिलाफ बड़ा साजिश नाकाम, कैसे भारत के खुफिया इनपुट से टला खतरा

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श्रीलंकाई पुलिस ने इजरायली नागरिकों के खिलाफ एक बड़ी साजिश का भंडाफोड़ किया है।श्रीलंकाई पुलिस ने दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया है, जो कथित तौर पर इजरायलियों को नुकसान पहुंचाने की योजना बना रहे थे।भारत से मिले खुफिया इनपुट के आधार पर श्रीलंकाई पुलिस ने इजरायली नागिरकों के खिलाफ खाजिश का पर्दाफाश किया है।

श्रीलंका की स्थानीय मीडिया ने गुरुवार को बताया कि इजरायली नागरिकों के खिलाफ आतंकी धमकियों के सिलसिले में दो श्रीलंकाई नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है। इसमें भारत की अहम भूमिका रही है। संदिग्धों में एक इराक में रहता था और भारत से दी गई खुफिया जानकारी ने उनकी पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यह जानकारी बुधवार को यहूदी राष्ट्र की ओर से जारी की गई ट्रेवल वार्निंग के बाद सामने आई। एक दिन पहले ही इजरायल की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने आतंकवाद के खतरे का हवाला देते हुए इजरायलियों से लोकप्रिय पर्यटन क्षेत्र और सर्फिंग रिसॉर्ट को तुरंत छोड़ने की अपील की। एनएससी ने कहा, "इन क्षेत्रों को छोड़ने वालों को सलाह दी जाती है कि वे देश छोड़ दें या कम से कम राजधानी कोलंबो चले जाएं, जहां स्थानीय सुरक्षा बलों की मौजूदगी काफी ज्यादा है।

ट्रेवल वार्निंग में कहा गया कि इजरायलियों को देश के बाकी हिस्सों की यात्रा स्थगित कर देनी चाहिए। उनसे उन चिह्नों को छिपाने को कहा गया जो यह दर्शाते हों कि वे इजरायली हैं। नागरिकों को बड़ी संख्या में जमा होने से बचने को भी कहा गया। इजरायल ने कहा कि वह श्रीलंकाई अधिकारियों के साथ निकट संपर्क में है। चेतावनी के मद्देनजर, श्रीलंका ने कहा कि उसने अरुगम खाड़ी में चबाड हाउस यहूदी सामुदायिक केंद्र में सुरक्षा बढ़ा दी।

इजरायल की चेतावनी से पहले, श्रीलंका में अमेरिकी दूतावास ने कहा था कि उसे पूर्वी अरुगाम खाड़ी में लोकप्रिय पर्यटक स्थलों को निशाना बनाकर किए जाने वाले हमले की विश्वसनीय सूचना मिली है। रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन और कनाडा ने अपनी वेबसाइटों पर अमेरिकी चेतावनी शेयर की, जबकि रूसी दूतावास ने अपने नागरिकों को द्वीप पर जाते समय भीड़-भाड़ वाले स्थानों से बचने की सलाह दी।

गाजा पर मौत बनकर बरस रहा इजरायल, एयर स्ट्राइक में 33 फिलिस्तीनियी मारे गए

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मध्य एशिया में तनाव बढ़ता ही जा रहा है।इजरायल की सेना ने एक बार फिर उत्तरी गाजा पट्टी में जबालिया शिविर पर एयर स्ट्राइक करके बमबारी की। हमले में 30 से ज्यादा लोग मारे गए। मरने वालों में 21 महिलाएं शामिल हैं। गाजा की नागरिक सुरक्षा एजेंसी ने कहा कि जबालिया के पास शुक्रवार रात इजराइली हमले में एक शरणार्थी शिविर में 33 लोग मारे गए।

एजेंसी के प्रवक्ता महमूद बस्सल ने 33 मौतों और दर्जनों घायलों का ऐलान किया। वहीं अल-अवदा अस्पताल के एक सूत्र ने बताया कि इससे पहले उसने फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए ताल अल-जातर शिविर पर हमले के बाद 22 लोगों की मौत और 70 लोगों के घायल होने की बात दर्ज की थी।

उधर, हमास द्वारा संचालित गाजा सरकार के मीडिया कार्यालय ने एक बयान जारी कर कहा कि इजराइली हवाई हमले में 33 फलस्तीनियों की मौत हो गई। कई पीड़ितों के मलबे और इमारतों के नीचे फंसे होने के कारण मौतों की संख्या 50 तक पहुंच सकती है। इजाराइल द्वारा की गई बमबारी में 85 से अधिक लोग घायल हुए हैं, इनमें कुछ को गंभीर चोटें आई हैं। कहा कि इस्राइली सेना ने जबालिया शिविर में कई घरों पर बमबारी की।

हालांकि, इजराइली सेना ने अभी तक इस घटना पर कोई टिप्पणी नहीं की है। एक दिन पहले इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बयान में कहा कि जब तक बंधकों को रिहा नहीं किया जाता तब तक देश की सेना लड़ती रहेगी और हमास को कमजोर करने के लिए गाजा में तैनात रहेगी। दोनों पक्षों का यह रुख इस बात का संकेत देता है कि दोनों ही संघर्ष को समाप्त करने के करीब नहीं हैं।

इजरायली का एक और दुश्मन ढेर, एयर स्ट्राइक में हमास के प्रमुख रावी मुश्तहा की हुई मौत

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इजरायली से ने अपने एक और दुश्मन का खात्मा कर दिया है।मिडिल ईस्ट में जारी गंभीर तनाव के बीच इजरायल एक-एक कर अपने दुश्मनों को ढेर कर रहा है।हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह को ठिकाने लगाने के बाद अब इजरायली सेना (आईडीएफ) ने हमास सरकार के प्रमुख रावी मुश्तहा के खात्मे का दावा किया है।आईडीएफ ने गुरुवार को रावी की मौत का ऐलान करते हुए कहा कि उसे कुछ महीने पहले हुए हवाई हमलों में मार दिया गया था। इजरायल ने ये दावा ईरान, फिलिस्तीन और लेबनान स्थित हिजबुल्लाह संग जारी जंग के बीच किया है।

गुरुवार को इजरायल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) और इजरायल सिक्योरिटीज अथॉरिटी (आईएसए) ने ऐलान किया कि उन्होंने तीन महीने पहले एक हवाई हमले में गाजा स्थित हमास सरकार के प्रमुख रावी मुश्तहा और उसके दो अन्य साथियों को मार गिराया है। इजरायली सेना ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा है कि तीन महीने पहले गाजा में आईडीएफ और आईएसए के संयुक्त हमले में तीन हमास आतंकियों को मार गिराया था। इनमें गाजा में हमास सरकार के प्रमुख रावी मुश्तहा, हमास के राजनीतिक ब्यूरो और हमास की श्रम समिति में सुरक्षा विभाग संभालने वाला समेह अल-सिराज और हमास के सामान्य सुरक्षा तंत्र का कमांडर सामी औदेह शामिल हैं।

इजरायली सेना ने अपने बयान में कहा, 'रावी मुश्तहा ने याह्या सिनवार के साथ मिलकर हमास के सुरक्षा तंत्र की स्थापना की थी। रावी ने भी याह्या के साथ इजरायली जेल में सजा काटी थी। मुश्तहा ने गाजा पट्टी में युद्ध के दौरान हमास शासन पर नागरिक नियंत्रण बनाए रखा।

आईडीएफ ने करहा है कि उसकी वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने इन तीनों पर तब हमला किया थास जब वे उत्तरी गाजा में एक मजबूत अंडरग्राउंड बंकर में छिपे हुए थे। यह बंकर हमास कमांड और नियंत्रण केंद्र के रूप में काम कर रहा था। हमास के वरिष्ठ कमांडर इसके अंदर रह रहे थे। इसमें लंबे समय तक छिपे रहने के लिए हर तरह की सुख सुविधाएं थीं। इस बंकर का प्रबंधन हमास के सामान्य सुरक्षा तंत्र के वरिष्ठ सदस्यों द्वारा किया जाता था और यह मुश्तहा के नेतृत्व वाले हमास प्रमुखों के लिए एक ठिकाने के रूप में कार्य करता था।

इजरायली सेना ने कहा कि बंकर पर हमले और आतंकवादियों के खात्मे के बाद हमास ने इस वजह से मुश्तहा के मौत की पुष्टि नहीं कि क्योंकि उन्हें डर था कि इस खबर से आतंकवादी गुर्गों के मनोबल और कामकाज पर असर पड़ेगा।

अमेरिका की संसद में गरजे इजरायली पीएम नेतन्याहू, बोले-जब तक हमास को पूरी तरह मिटा नहीं देते जारी रहेगा युद्ध

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बीते नौ महीनों से इजराइल और हमास के बीच जंग जारी है। इस बीच इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका के दौरे पर हैं। यहां उन्होंने अमेरिकी संसद को संबोधित किया। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बुधवार रात 11:30 बजे (भारतीय समयानुसार) अमेरिकी संसद के जॉइंट सेशन को संबोधित किया। नेतन्याहू ने करीब एक घंटे तक भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने सबसे अधिक ईरान पर ही बात की। उन्होंने ईरान को अमेरिका और इजराइल का सबसे बड़ा दुश्मन बताया। साथ ही उन्होंने हमास और अन्य ईरान समर्थित सशस्त्र समूहों के खिलाफ युद्ध के लिए अमेरिकी समर्थन बढ़ाने की भी मांग की।उन्होंने ये भी कहा कि जब तक हमास को पूरी तरह से मिटा नहीं देते युद्ध खत्म नहीं होगा। 

हमास पर राहत सामग्री को चुराने का आरोप

बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी संसद में 9 महीने से जारी गाजा और इजराइल युद्ध का जिक्र करते हुए हमास पर फिलिस्तीनी नागरिकों के लिए भेजी जाने वाली राहत सामग्री को चुराने का बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इजराइल ने 40,000 से ज्यादा सहायता ट्रकों को गाजा में प्रवेश करने दिया है। लेकिन गाजा में फिलिस्तीनियों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल रहा है, तो इसका कारण यह नहीं है कि इजराइल इसे रोक रहा है। बल्कि ऐसा इसलिए है क्योंकि हमास इसे चुरा रहा है।

हमास पर फिलिस्तीनी नागरिकों का इस्तेमाल करने का आरोप

इजराइली पीएम ने कहा कहाल कि हमास फिलिस्तीनी नागरिकों को ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा कि आईडीएफ यानी इजराइली रक्षा बलों ने फिलिस्तीनी नागरिकों को नुकसान से बचाने के लिए लाखों फ़्लायर्स भेजे हैं लाखों टेक्स्ट संदेश भेजे हैं और सैकड़ों हजारों फोन कॉल किए हैं। उन्होंने कहा कि हमास फिलिस्तीनी नागरिकों को नुकसान पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास करता है। वह स्कूलों, अस्पतालों और मस्जिदों से रॉकेट दागता है। जब वे युद्ध क्षेत्र छोड़ने की कोशिश करते हैं तो वे उन्हें गोली भी मार देते हैं।

ईरान को अमेरिका और इजराइल के लिए संकट बताया

इस दौरान इजराइली पीएम ने हिजबुल्ला को भी कुचलने की धमकी। उन्होंने कहा कि हम अपने लोगों को सुरक्षित रखने के लिए हर जरूरू कदम उठाएंगे। आगे उन्होंने ईरान को अमेरिका और इजराइल के लिए संकट बताया। नेतन्याहू ने कहा कि ऐसे में अमेरिका और इस्राइल को एक साथ खड़ा होना चाहिए। जब हम एक साथ खड़े होते हैं तो वास्तव में सब अच्छा होता है। हम जीतते हैं, वे हारते हैं। 

रिकॉर्ड चौथी बार अमेरिकी संसद को संबोधित किया 

नेतन्याहू पहले ऐसे विदेशी नेता बन गए हैं, जिन्होंने अमेरिकी सीनेट और प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ कॉमन्स) की संयुक्त बैठक को रिकॉर्ड चौथी बार संबोधित किया है। उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे विंस्टन चर्चिल को पीछे छोड़ दिया, जिन्होंने तीन बार संबोधन किया था।

मालदीव ने इजराइली नागरिकों के एंट्री पर लगाया बैन, मुइज्जू के फैसले पर तेल अवीव ने कर दी भारत की तारीफ
#israeli_citizens_not_allowed_in_maldives चीन के इशारों पर काम करने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने बड़ा फैसला लिया। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने देश में इजरायली नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। गाजा में इजरायली हमले को लेकर मुस्लिम देश में बढ़ते विरोध के बीच इजरायली पासपोर्ट धारकों के प्रवेश को रोकने के लिए कानूनी संशोधन करने का फैसला लिया गया है। एशिया के छोटे से देश मालदीव ने ऐलान किया है कि वो अपनी सरहद में इजराइली नागरिकों के प्रवेश पर बैन लगाएगा। जिसके बाद इजराइल के विदेश मंत्रालय ने अपने नागरिकों को हिदायत दी है कि वे मालदीव की यात्रा करने से परहेज करें। राष्ट्रपति कार्यालय में एक आपातकाली प्रेस वार्ता में गृह मंत्री अल इहसुन ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने इजरायली पासपोर्ट पर मालदीव में प्रवेश पर प्रतिबंध के लिए कानून में बदलाव का फैसला किया है। इसकी निगरानी के लिए मंत्रियों की एक विशेष समिति गठित की गई है। मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू ने कैबिनेट की सिफारिश के बाद इजरायली पासपोर्ट पर प्रतिबंध लगाने का संकल्प लिया है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, कैबिनेट के फैसले में इजरायली पासपोर्ट धारकों को मालदीव में प्रवेश करने से रोकने के लिए आवश्यक कानूनों में संशोधन करना और इन प्रयासों की निगरानी के लिए एक कैबिनेट सब-कमिटी की स्थापना करना शामिल है। इजराइल पर यात्रा प्रतिबंध लगाने को लेकर पिछले साल इजराइल और फिलीस्तीन में जंग छिड़ने के बाद नवंबर में मालदीव के एक एमपी नशीद अब्दुल्ला ने प्रस्ताव पेश किया था।इस प्रस्ताव में सरकार से इजराइली पासपोर्ट रखने वाले नागरिकों के देश में प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी। अब मालदीव की सरकार ने इजराइलियों के ट्रैवल पर पाबंदी लगी दी है। मालदीव ने ये फैसला जनता में इजराइल के खिलाफ बढ़ते गुस्से के बाद लिया है। बता दें कि इजराइल की बढ़ती आक्रामकता के बाद मालदीव में कई फिलिस्तीनी समर्थित प्रदर्शन देखने मिले हैं। बता दें कि मालदीव की आबादी 5 लाख से ज्यादा है और पूरी दुनिया से हर साल करीब 17 लाख टूरिस्ट मालदीव घूमने आते हैं। इसमें इजराइल से लगभग 15,000 पर्यटक शामिल हैं। पिछले साल करीब 11 हजार इजराइली नागरिकों ने मालदीव की यात्रा की थी। मुइज्जू के प्रतिबंध के फैसले पर सोशल मीडिया पर एक बार फिर मालदीव ट्रेंड करने लगा है। इजरायली मालदीव की जमकर आलोचना कर रहे हैं। इसके साथ ही इजरायली भारत की चर्चा करने लगे हैं। सोशल मीडिया पर भारत में मौजूद शानदार बीच डेस्टिनेशन की तस्वीरें शेयर की जाने लगी हैं। पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर पांच हजार रॉकेट दागे थे। इसके साथ ही हमास के लड़ाके दक्षिणी इजरायल में घुस आए थे और लगभग 250 लोगों को बंधक बना लिया था। हमास के इस हमले में करीब 1200 लोग मारे गए थे। इसके बाद इजरायल ने हमास के खिलाफ जंग शुरू कर दी। कुछ महीनों पहले इजरायल और हमास के बीच हुई सीजफायर डील में कई बंधकों को छोड़ दिया गया था, लेकिन अब भी दर्जनों बंधक हमास के कब्जे में हैं। इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू का कहना है कि जब तक हमास का खात्मा नहीं होता, तब तक जंग जारी रहेगी। वहीं, इजरायल गाजा युद्ध का दुनियाभर के देश विरोध कर रहे हैं। कोई इजरायल का साथ दे रहा है तो कोई गाजा का समर्थन कर रहा है। इस युद्ध की वजह से इजरायल को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से भी मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं।
राफा कैंप में इजराइली हमले की चौतरफा निंदा के बीच इजरायली पीएम का बयान, बताया 'दुखद दुर्घटना'

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इजराइल और हमास के बीच चल रहे युद्ध से गाजा में तबाही मची हुई है। इजराइली सेना लगातार गाजा और राफा शहर के साथ ही अब शरणार्थी शिविरों को भी निशाना बना रही है। बीते रविवार को हमास ने तेल अवीव पर मिसाइलें दागीं वहीं जवाबी कार्रवाई में इजराइल ने भी हमला किया। इजराइली के लगातार हो रहे हमले से चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। इन हमलों में तमाम बेगुनाह लोगों की जान जा रही है जिस पर दुनिया के कई देशों ने चिंता जाहिर की है।हमले के बाद हो रही अंतरराष्ट्रीय निंदा के बीच इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे 'दुखद दुर्घटना' बताया है।

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक इजरायली संसद में बोलते हुए नेतन्याहू जोर देकर कहा कि इजरायल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने संघर्ष में शामिल नहीं होने वालों को नुकसान न पहुंचाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया।नेतन्याहू ने कहा, 'राफा में हमने लगभग दस लाख गैर-लड़ाकू निवासियों को पहले ही निकाल लिया है और गैर-लड़ाकों को नुकसान न पहुंचाने के हमारे भरसक प्रयास के बावजूद, दुर्भाग्य से कुछ दुखद गलत हो गया।' हम घटना की जांच कर रहे हैं और निष्कर्ष पर पहुंचेंगे क्योंकि यह हमारी नीति है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने इस्राइली सेना के राफा शहर में किए हमले की कड़ी निंदा की है। सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने लिखा 'मैं इस्राइल की कार्रवाई की कड़ी निंदा करता हूं, जिसमें कई बेगुनाह आम नागरिक मारे गए, जो सिर्फ युद्ध के हालात में शरण लिए हुए थे। गाजा में अब कोई जगह सुरक्षित नहीं है और अब ये आतंक बंद होना चाहिए।'

हाल ही में इजराइल के राफा पर किए गए हमले में 45 लोगों की मौत हुई है और 200 अन्य घायल हुए हैं। हमास के तेल अवीव पर मिसाइल हमला करने के कुछ घंटों बाद इजरायल ने यह हमला किया था।

ईरान के साथ तनाव के बीच इजराइल की बड़ी अपील, कहा- भारत को पश्चिम एशिया में स्थिरता लाने का प्रयास करना चाहिए*
#israel_iran_tensions_israeli_said_india_should_impose_its_influence_to_normalize_situation सीरिया में ईरानी दूतावास पर हुए हमले को लेकर ईरान इजराइल पर बौखलाया हुआ है। इस हमले की जवाबी कर्रवाई करते हुए ईरान ने शनिवार को सैकड़ों मिसाइल और ड्रोन इजराइल के आसमान में दागे। इजरायल ने हर बार अपने दुश्मनों को ऐसा मुंहतोड़ जवाब दिया है कि वह इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो गया। इस हालात में दुनियाभर की नजर इजराइल के अगले कदम पर टिकी हुई है। माना जा रहा है कि इजराइल अपना बदला ले कर रहेगा। हालांकि ईरान के हमले को दो दिन बीत चुके हैं पर इजराइल अभी खामोश बना हुआ है। अब ये कहना मुश्किल है कि ये आने वाले तूफान के पहले की खामोशी है या इजराइल पर अपने दोस्त अमेरिका की चेतावनी का असर है। ईरान के साथ जारी तनाव के बीच इजरायल ने अपने 'दोस्त' भारत से मदद की अपील की है। नई दिल्ली में इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने कहा कि हम पश्चिम एशिया में शांति के लिए भारत से ईरान को रोकने की उम्मीद करते हैं। भारत में इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने सोमवार (15 अप्रैल) को कहा कि इजरायल मजबूत और परिस्थिति के अनुसार ढलने में सक्षम है और वह ईरान के हालिया हमले के बाद जरूरत पड़ने पर उसका मुकाबला करेगा। उन्होंने कहा कि भारत को पश्चिम एशिया क्षेत्र में स्थिरता लाने में भूमिका निभानी चाहिए। इजरायली राजदूत से पूछा गया कि भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने इस मामले में दोनों देशों के अपने समकक्षों के साथ टेलीफोन पर बात की है। ऐसी स्थिति में वग भारत से किस भूमिका की अपेक्षा करते है। इस पर उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि एक मित्र के रूप में हम भारत से यह उम्मीद करते हैं कि वह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में बहुत मजबूत होकर यह सुनिश्चित करेगा कि ईरान पश्चिम एशिया में अपनी अस्थिरता को रोके। उन्होंने आगे कहा, मुझे लगता है कि एक क्षेत्र के रूप में पश्चिम एशिया भारत के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि उस क्षेत्र में लाखों भारतीय काम करते हैं. उसके (क्षेत्र में) कई व्यापारिक संबंध हैं। संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर के साथ मजबूत संबंध हैं। मुझे लगता है कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि भारत ईरान को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हिस्से के रूप में सक्रिय भूमिका निभाए। राजदूत ने कहा, ईरान इस व्यवहार को जारी नहीं रख सकता, अगर हमें जरूरत पड़ी तो हम ईरान का मुकाबला करेंगे। यह हमारी पसंद नहीं है। हम यहां केवल जवाब दे रहे हैं और हमें जवाबी कार्रवाई करने या ईरान को यह संदेश भेजने के लिए संभवत: उचित समय मिल जाएगा कि यह अस्वीकार्य है। बातचीत के दौरान गिलोन ने कहा कि ईरान ने 350 मिसाइलों और ड्रोन से इजरायल के ऊपर हमला किया था। उन्होंने 99 प्रतिशत मिसाइलों और ड्रोन को रोकने के लिए अमेरिका और क्षेत्र के दूसरे दोस्तों के साथ इजरायल की एयर डिफेंस और वायु सेना की विशाल क्षमता को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि सौभाग्य से कोई हताहत नहीं हुआ। इजरायल के दक्षिण में केवल एक 7 साल की बच्ची घायल हुई है और उम्मीद करते हैं कि वह जल्द ठीक हो जाएगी। बता दें कि इजरायल पर ईरान की ओर से ड्रोन और मिसाइल हमला किए जाने के बाद भारत ने रविवार को कहा था कि वह दोनों देशों के बीच बढ़ते संघर्ष को लेकर अत्यंत चिंतित है और हमले से क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा है।
ईरान ने इराक में मोसाद मुख्यालय पर दागी बैलिस्टिक मिसाइल, चार लोगों की मौत

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ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स (IRGC) ने सोमवार देर रात इराक के एरबिल शहर में इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के दफ्तरों पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। इसमें 4 लोगों की मौत हो गई।ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने ही हमले की जानकारी दी। हाल ही में ईरान में बम धमाका हुआ था, जिसमें सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। ईरान ने इस्राइल पर हमले का आरोप लगाया था, जिसके जवाब में ईरान ने मोसाद के मुख्यालय पर हमला किया।

ईरान की स्टेट न्यूज एजेंसी IRNA के मुताबिक मिसाइलें ईरान विरोधी आतंकी खुफिया केंद्रों पर दागीं गई हैं। इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के एक बयान के हवाले से बताया कि हमलों ने इराकी कुर्दिस्तान की राजधानी इर्बिल में ‘एक जासूसी मुख्यालय’ और ‘ईरानी विरोधी आतंकवादी समूहों के जमावड़े’ को नष्ट कर दिया। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो गार्ड्स ने सीरिया में भी इस्लामिक स्टेट के खिलाफ हमला किया है। 

वहीं, इराक की कुर्दिस्तान सुरक्षा परिषद के मुताबिक, इस हमले में चार लोगों की मौत हुई है, जबकि 6 अन्य घायल हुए हैं। कुर्दिस्तान डेमोक्रेटिक पार्टी ने कहा कि मारे गए नागरिकों में प्रमुख कारोबारी पेश्रा दिजायी भी शामिल थे।

अमेरिकी मीडिया हाउस न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ईरान का हमला कुर्दिस्तान की राजधानी एरबिल से करीब 40 किमी उत्तर-पूर्व में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के करीब हुआ। दूतावास में भी विस्फोटों की आवाज सुनी दी। दो अमेरिकी अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि मिसाइलों के हमले से कोई भी अमेरिकी फैसिलिटी प्रभावित नहीं हुई।

अमेरिका ने इराक में ईरानी हमले की आलोचना की है। अमेरिका ने इसे जल्दबाजी में उठाया कदम बताया है। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता मैट मिलर ने कहा- ये हमला इराक की स्थिरता के लिए करारा झटका है। हम चाहते हैं कि इराक में और कुर्दिस्तान में स्थिरता आए और वहां कि सरकारें इराक के लोगों के लिए ठीक से काम कर पाए। दरअसल, इराक ने आतंकी संगठन ISIS के खिलाफ लंबी जंग लड़ी है। इसके बाद वहां स्थिरता आनी शुरू हुई है।

ये कैसा युद्धविराम? सीजफायर के बीच इजरायल ने लेबनान पर दागी मिसाइलें

#israeli_strikes_on_lebanon_killing_11_people 

इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच सीजफायर पर सवाल उठने लगे हैं। दरअसल, लेबनान में 27 नवंबर को हुए युद्धविराम के बावजूद दोनों पक्षों से हमले जारी हैं। हिजबुल्लाह के साथ लंबे समय से जारी युद्ध के बीच लागू हुए सीजफायर के बाद इजरायल ने लेबनान में अपना सबसे बड़ा एयर स्ट्राइक किया है। दो दिसंबर (सोमवार) को इजरायली लड़ाकू विमानों ने हिजबुल्लाह के ठिकानों पर कई मिसाइलें दागी। जिससे करीब 11 लोगों की मौत हुई है।इजरायल ने ये हमले लेबनान से हिजबुल्लाह के मोर्टार दागे जाने के बाद किए हैं। पिछले बुधवार को 60 दिनों के युद्ध विराम को प्रभावी होने के बाद हिजबुल्लाह का इजरायल के ऊपर मोर्टार दागे जाने का यह पहला मामला है।

27 नवंबर इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच करीब एक साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के उद्देश्य से युद्ध विराम हुआ था।हालांकि युद्ध विराम के बावजूद दोनों देश एक दूसरे पर उल्लंघन का आरोप लगाते हुए युद्धविराम के प्रोटोकॉल को बार-बार तोड़ते नजर आ रह हैं।

एक बयान में इजरायली रक्षा बलों ने कहा कि लड़ाकू विमानों ने लेबनान में हिजबुल्लाह के ऑपरेटिव्स और दर्जनों रॉकेट लांचरों और आतंकी समूह से संबंधित सुविधाओं पर हमला किया। हिजबुल्लाह ने इसके पहले सोमवार को दावा किया था कि उसने पिछले सप्ताह हुए युद्ध विरम समझौते के बार-बार उल्लंघन के जवाब में मोर्टार दागे और इसे संघर्ष विराम के दौरान लेबनान पर आईडीएफ के हमलों के खिलाफ 'प्रारंभिक चेतावनी' बताया था।

आईडीएफ ने कहा कि हमले के दौरान उसने हिजबुल्लाह की सुविधाओं के अलावा माउंट डोव पर दो मोर्टार दागने के लिए इस्तेमाल किए गए लांचर को भी निशाना बनाया। इजरायली सेना के अनुसार, हमले के कुछ समय बाद ही साइट को निशाना बनाया गया। सेना ने कहा, 'इजराइल की मांग है कि लेबनान में संबंधित पक्ष अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करें और लेबनानी क्षेत्र के भीतर हिज्बुल्लाह की शत्रुतापूर्ण गतिविधि को रोकें। इजराइल लेबनान में युद्ध विराम समझौते की शर्तों को पूरा करने के लिए बाध्य है।

27 नवंबर की सुबह हुए युद्धविराम में यह तय किया गया है कि इजरायल लेबनान में नागरिक, सैन्य या अन्य सरकारी लक्ष्यों के खिलाफ आक्रामक सैन्य अभियान नहीं चलाएगा। वहीं लेबनान हिजबुल्ला समेत किसी भी सशस्त्र समूह को इजरायल के खिलाफ अभियान चलाने से रोकेगा। लेबनान और इजरायल ने पहले ही एक-दूसरे पर युद्धविराम के उल्लंघन का आरोप लगा चुके हैं।

बेंजामिन नेतन्याहू की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी, जानें इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के इस फैसले के पीछे की वजह

#israelipmbenjaminnetanyahuwantedcriminaliccissuearrest_warrant

इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध ने बड़ा रूप धारण कर लिया है। पिछले साल अक्‍टूबर में हमास के लड़ाकों ने इजरायल में घुसकर हजार से ज्‍यादा लोगों की निर्मम तरीके से हत्‍या कर दी थी और 250 से ज्‍यादा इजरयली नागरिकों को अगवा कर लिया था। इसके बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू ने बदला लेने की कसम खाई। जिसके बाद शुरू हुई जंग बढ़ती ही जा रही है। इजराइल और हमास के बीच युद्ध के दौरान 40 हजार से ज्‍यादा मौत के घाट उतारे जा चुके हैं। जबकि एक लाख से ज्‍यादा घायल हुए हैं। इस बीच इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) ने गुरुवार को युद्ध और मानवता के खिलाफ अपराधों को लेकर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योव गैलेंट के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया।

आईसीसी के जजों ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलंट और हमास के सैन्य कमांडर मोहम्मद डेफ के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया है। आईसीसी ने कहा कि इन नेताओं पर इजराइल और हमास के बीच युद्ध के दौरान युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों का आरोप है। कोर्ट ने नेतन्याहू के खिलाफ आरोपों को लेकर जांच कराने का भी आदेश दिया है।

रिर्पोट के मुताबिक, आईसीसी ने पीएम नेतन्याहू और इजराइल के रक्षा मंत्री पर इजराइली सेना को फिलिस्तीनी नागरिकों को जानबूझ कर मारने का आदेश देने और गाजा में अंतराष्ट्रीय मानवीय मदद को पहुंचने से रोकने के मामले में दोषी पाया, जिससे वजह से वहां पर भुखमरी के स्तिथी बनी। कोर्ट ने अपने जांच में पाया कि इजराइली पीएम ने जंग के बहाने फिलिस्तीनियों नागरिकों की हत्याएं करवाईं और गाजा को तहस नहस करने का भी आदेश दिया। आईसीसी के जजों ने इन सभी पहलुओं को देखते हुए उनके खिलाफ वारंट जारी करने का फैसला लिया।

इजराइल के राष्ट्रपति ने कहा- आईसीसी का ये फैसला एक मजाक

इस फैसले पर इजराइल के राष्ट्रपति आइजैक हर्जोग ने कहा कि आईसीसी का यह फैसला एक मजाक बन गया है। फैसला आतंकवाद के पक्ष में गया है। वहीं, फिलिस्तीनी नेता मुस्तफा बारघौती ने नेतन्याहू और गैलंट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट का स्वागत किया और आईसीसी से इस्राइल के खिलाफ नरसंहार के मामले में जल्द फैसला लेने का अनुरोध किया।

अमेरिका ने क्या कहा?

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के इस फैसले पर अमेरिका ने तीखी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की है। राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि इजरायल को आत्‍मरक्षा का पूरा अधिकार है। पीएम नेतन्‍याहू और अन्‍य के खिलाफ आईसीसी की ओर से जारी अरेस्‍ट वारंट के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि उन्‍हें कौन और कहां की पुलिस गिरफ्तार करेगी? दरअसल, निर्धारित प्रावधानों के तहत आईसीसी के सदस्‍य देशों की पुलिस नेतन्‍याहू को गिरफ्तार कर सकती है। बता दें कि अमेरिका आईसीसी का सदस्‍य देश नहीं है। हालांकि, आईसीसी के फैसले पर अमल काफी मुश्किल है

श्रीलंका में इजरायलियों के खिलाफ बड़ा साजिश नाकाम, कैसे भारत के खुफिया इनपुट से टला खतरा

#2_arrested_in_sri_lanka_over_threats_to_israelis

श्रीलंकाई पुलिस ने इजरायली नागरिकों के खिलाफ एक बड़ी साजिश का भंडाफोड़ किया है।श्रीलंकाई पुलिस ने दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया है, जो कथित तौर पर इजरायलियों को नुकसान पहुंचाने की योजना बना रहे थे।भारत से मिले खुफिया इनपुट के आधार पर श्रीलंकाई पुलिस ने इजरायली नागिरकों के खिलाफ खाजिश का पर्दाफाश किया है।

श्रीलंका की स्थानीय मीडिया ने गुरुवार को बताया कि इजरायली नागरिकों के खिलाफ आतंकी धमकियों के सिलसिले में दो श्रीलंकाई नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है। इसमें भारत की अहम भूमिका रही है। संदिग्धों में एक इराक में रहता था और भारत से दी गई खुफिया जानकारी ने उनकी पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यह जानकारी बुधवार को यहूदी राष्ट्र की ओर से जारी की गई ट्रेवल वार्निंग के बाद सामने आई। एक दिन पहले ही इजरायल की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने आतंकवाद के खतरे का हवाला देते हुए इजरायलियों से लोकप्रिय पर्यटन क्षेत्र और सर्फिंग रिसॉर्ट को तुरंत छोड़ने की अपील की। एनएससी ने कहा, "इन क्षेत्रों को छोड़ने वालों को सलाह दी जाती है कि वे देश छोड़ दें या कम से कम राजधानी कोलंबो चले जाएं, जहां स्थानीय सुरक्षा बलों की मौजूदगी काफी ज्यादा है।

ट्रेवल वार्निंग में कहा गया कि इजरायलियों को देश के बाकी हिस्सों की यात्रा स्थगित कर देनी चाहिए। उनसे उन चिह्नों को छिपाने को कहा गया जो यह दर्शाते हों कि वे इजरायली हैं। नागरिकों को बड़ी संख्या में जमा होने से बचने को भी कहा गया। इजरायल ने कहा कि वह श्रीलंकाई अधिकारियों के साथ निकट संपर्क में है। चेतावनी के मद्देनजर, श्रीलंका ने कहा कि उसने अरुगम खाड़ी में चबाड हाउस यहूदी सामुदायिक केंद्र में सुरक्षा बढ़ा दी।

इजरायल की चेतावनी से पहले, श्रीलंका में अमेरिकी दूतावास ने कहा था कि उसे पूर्वी अरुगाम खाड़ी में लोकप्रिय पर्यटक स्थलों को निशाना बनाकर किए जाने वाले हमले की विश्वसनीय सूचना मिली है। रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन और कनाडा ने अपनी वेबसाइटों पर अमेरिकी चेतावनी शेयर की, जबकि रूसी दूतावास ने अपने नागरिकों को द्वीप पर जाते समय भीड़-भाड़ वाले स्थानों से बचने की सलाह दी।

गाजा पर मौत बनकर बरस रहा इजरायल, एयर स्ट्राइक में 33 फिलिस्तीनियी मारे गए

#israeli_strike_kills_several_people_in_jabalia

मध्य एशिया में तनाव बढ़ता ही जा रहा है।इजरायल की सेना ने एक बार फिर उत्तरी गाजा पट्टी में जबालिया शिविर पर एयर स्ट्राइक करके बमबारी की। हमले में 30 से ज्यादा लोग मारे गए। मरने वालों में 21 महिलाएं शामिल हैं। गाजा की नागरिक सुरक्षा एजेंसी ने कहा कि जबालिया के पास शुक्रवार रात इजराइली हमले में एक शरणार्थी शिविर में 33 लोग मारे गए।

एजेंसी के प्रवक्ता महमूद बस्सल ने 33 मौतों और दर्जनों घायलों का ऐलान किया। वहीं अल-अवदा अस्पताल के एक सूत्र ने बताया कि इससे पहले उसने फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए ताल अल-जातर शिविर पर हमले के बाद 22 लोगों की मौत और 70 लोगों के घायल होने की बात दर्ज की थी।

उधर, हमास द्वारा संचालित गाजा सरकार के मीडिया कार्यालय ने एक बयान जारी कर कहा कि इजराइली हवाई हमले में 33 फलस्तीनियों की मौत हो गई। कई पीड़ितों के मलबे और इमारतों के नीचे फंसे होने के कारण मौतों की संख्या 50 तक पहुंच सकती है। इजाराइल द्वारा की गई बमबारी में 85 से अधिक लोग घायल हुए हैं, इनमें कुछ को गंभीर चोटें आई हैं। कहा कि इस्राइली सेना ने जबालिया शिविर में कई घरों पर बमबारी की।

हालांकि, इजराइली सेना ने अभी तक इस घटना पर कोई टिप्पणी नहीं की है। एक दिन पहले इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बयान में कहा कि जब तक बंधकों को रिहा नहीं किया जाता तब तक देश की सेना लड़ती रहेगी और हमास को कमजोर करने के लिए गाजा में तैनात रहेगी। दोनों पक्षों का यह रुख इस बात का संकेत देता है कि दोनों ही संघर्ष को समाप्त करने के करीब नहीं हैं।

इजरायली का एक और दुश्मन ढेर, एयर स्ट्राइक में हमास के प्रमुख रावी मुश्तहा की हुई मौत

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इजरायली से ने अपने एक और दुश्मन का खात्मा कर दिया है।मिडिल ईस्ट में जारी गंभीर तनाव के बीच इजरायल एक-एक कर अपने दुश्मनों को ढेर कर रहा है।हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह को ठिकाने लगाने के बाद अब इजरायली सेना (आईडीएफ) ने हमास सरकार के प्रमुख रावी मुश्तहा के खात्मे का दावा किया है।आईडीएफ ने गुरुवार को रावी की मौत का ऐलान करते हुए कहा कि उसे कुछ महीने पहले हुए हवाई हमलों में मार दिया गया था। इजरायल ने ये दावा ईरान, फिलिस्तीन और लेबनान स्थित हिजबुल्लाह संग जारी जंग के बीच किया है।

गुरुवार को इजरायल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) और इजरायल सिक्योरिटीज अथॉरिटी (आईएसए) ने ऐलान किया कि उन्होंने तीन महीने पहले एक हवाई हमले में गाजा स्थित हमास सरकार के प्रमुख रावी मुश्तहा और उसके दो अन्य साथियों को मार गिराया है। इजरायली सेना ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा है कि तीन महीने पहले गाजा में आईडीएफ और आईएसए के संयुक्त हमले में तीन हमास आतंकियों को मार गिराया था। इनमें गाजा में हमास सरकार के प्रमुख रावी मुश्तहा, हमास के राजनीतिक ब्यूरो और हमास की श्रम समिति में सुरक्षा विभाग संभालने वाला समेह अल-सिराज और हमास के सामान्य सुरक्षा तंत्र का कमांडर सामी औदेह शामिल हैं।

इजरायली सेना ने अपने बयान में कहा, 'रावी मुश्तहा ने याह्या सिनवार के साथ मिलकर हमास के सुरक्षा तंत्र की स्थापना की थी। रावी ने भी याह्या के साथ इजरायली जेल में सजा काटी थी। मुश्तहा ने गाजा पट्टी में युद्ध के दौरान हमास शासन पर नागरिक नियंत्रण बनाए रखा।

आईडीएफ ने करहा है कि उसकी वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने इन तीनों पर तब हमला किया थास जब वे उत्तरी गाजा में एक मजबूत अंडरग्राउंड बंकर में छिपे हुए थे। यह बंकर हमास कमांड और नियंत्रण केंद्र के रूप में काम कर रहा था। हमास के वरिष्ठ कमांडर इसके अंदर रह रहे थे। इसमें लंबे समय तक छिपे रहने के लिए हर तरह की सुख सुविधाएं थीं। इस बंकर का प्रबंधन हमास के सामान्य सुरक्षा तंत्र के वरिष्ठ सदस्यों द्वारा किया जाता था और यह मुश्तहा के नेतृत्व वाले हमास प्रमुखों के लिए एक ठिकाने के रूप में कार्य करता था।

इजरायली सेना ने कहा कि बंकर पर हमले और आतंकवादियों के खात्मे के बाद हमास ने इस वजह से मुश्तहा के मौत की पुष्टि नहीं कि क्योंकि उन्हें डर था कि इस खबर से आतंकवादी गुर्गों के मनोबल और कामकाज पर असर पड़ेगा।

अमेरिका की संसद में गरजे इजरायली पीएम नेतन्याहू, बोले-जब तक हमास को पूरी तरह मिटा नहीं देते जारी रहेगा युद्ध

#israelipmnetanyahuaddressedthejointsessionoftheuscongress

बीते नौ महीनों से इजराइल और हमास के बीच जंग जारी है। इस बीच इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका के दौरे पर हैं। यहां उन्होंने अमेरिकी संसद को संबोधित किया। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बुधवार रात 11:30 बजे (भारतीय समयानुसार) अमेरिकी संसद के जॉइंट सेशन को संबोधित किया। नेतन्याहू ने करीब एक घंटे तक भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने सबसे अधिक ईरान पर ही बात की। उन्होंने ईरान को अमेरिका और इजराइल का सबसे बड़ा दुश्मन बताया। साथ ही उन्होंने हमास और अन्य ईरान समर्थित सशस्त्र समूहों के खिलाफ युद्ध के लिए अमेरिकी समर्थन बढ़ाने की भी मांग की।उन्होंने ये भी कहा कि जब तक हमास को पूरी तरह से मिटा नहीं देते युद्ध खत्म नहीं होगा। 

हमास पर राहत सामग्री को चुराने का आरोप

बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी संसद में 9 महीने से जारी गाजा और इजराइल युद्ध का जिक्र करते हुए हमास पर फिलिस्तीनी नागरिकों के लिए भेजी जाने वाली राहत सामग्री को चुराने का बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इजराइल ने 40,000 से ज्यादा सहायता ट्रकों को गाजा में प्रवेश करने दिया है। लेकिन गाजा में फिलिस्तीनियों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल रहा है, तो इसका कारण यह नहीं है कि इजराइल इसे रोक रहा है। बल्कि ऐसा इसलिए है क्योंकि हमास इसे चुरा रहा है।

हमास पर फिलिस्तीनी नागरिकों का इस्तेमाल करने का आरोप

इजराइली पीएम ने कहा कहाल कि हमास फिलिस्तीनी नागरिकों को ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा कि आईडीएफ यानी इजराइली रक्षा बलों ने फिलिस्तीनी नागरिकों को नुकसान से बचाने के लिए लाखों फ़्लायर्स भेजे हैं लाखों टेक्स्ट संदेश भेजे हैं और सैकड़ों हजारों फोन कॉल किए हैं। उन्होंने कहा कि हमास फिलिस्तीनी नागरिकों को नुकसान पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास करता है। वह स्कूलों, अस्पतालों और मस्जिदों से रॉकेट दागता है। जब वे युद्ध क्षेत्र छोड़ने की कोशिश करते हैं तो वे उन्हें गोली भी मार देते हैं।

ईरान को अमेरिका और इजराइल के लिए संकट बताया

इस दौरान इजराइली पीएम ने हिजबुल्ला को भी कुचलने की धमकी। उन्होंने कहा कि हम अपने लोगों को सुरक्षित रखने के लिए हर जरूरू कदम उठाएंगे। आगे उन्होंने ईरान को अमेरिका और इजराइल के लिए संकट बताया। नेतन्याहू ने कहा कि ऐसे में अमेरिका और इस्राइल को एक साथ खड़ा होना चाहिए। जब हम एक साथ खड़े होते हैं तो वास्तव में सब अच्छा होता है। हम जीतते हैं, वे हारते हैं। 

रिकॉर्ड चौथी बार अमेरिकी संसद को संबोधित किया 

नेतन्याहू पहले ऐसे विदेशी नेता बन गए हैं, जिन्होंने अमेरिकी सीनेट और प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ कॉमन्स) की संयुक्त बैठक को रिकॉर्ड चौथी बार संबोधित किया है। उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे विंस्टन चर्चिल को पीछे छोड़ दिया, जिन्होंने तीन बार संबोधन किया था।

मालदीव ने इजराइली नागरिकों के एंट्री पर लगाया बैन, मुइज्जू के फैसले पर तेल अवीव ने कर दी भारत की तारीफ
#israeli_citizens_not_allowed_in_maldives चीन के इशारों पर काम करने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने बड़ा फैसला लिया। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने देश में इजरायली नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। गाजा में इजरायली हमले को लेकर मुस्लिम देश में बढ़ते विरोध के बीच इजरायली पासपोर्ट धारकों के प्रवेश को रोकने के लिए कानूनी संशोधन करने का फैसला लिया गया है। एशिया के छोटे से देश मालदीव ने ऐलान किया है कि वो अपनी सरहद में इजराइली नागरिकों के प्रवेश पर बैन लगाएगा। जिसके बाद इजराइल के विदेश मंत्रालय ने अपने नागरिकों को हिदायत दी है कि वे मालदीव की यात्रा करने से परहेज करें। राष्ट्रपति कार्यालय में एक आपातकाली प्रेस वार्ता में गृह मंत्री अल इहसुन ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने इजरायली पासपोर्ट पर मालदीव में प्रवेश पर प्रतिबंध के लिए कानून में बदलाव का फैसला किया है। इसकी निगरानी के लिए मंत्रियों की एक विशेष समिति गठित की गई है। मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू ने कैबिनेट की सिफारिश के बाद इजरायली पासपोर्ट पर प्रतिबंध लगाने का संकल्प लिया है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, कैबिनेट के फैसले में इजरायली पासपोर्ट धारकों को मालदीव में प्रवेश करने से रोकने के लिए आवश्यक कानूनों में संशोधन करना और इन प्रयासों की निगरानी के लिए एक कैबिनेट सब-कमिटी की स्थापना करना शामिल है। इजराइल पर यात्रा प्रतिबंध लगाने को लेकर पिछले साल इजराइल और फिलीस्तीन में जंग छिड़ने के बाद नवंबर में मालदीव के एक एमपी नशीद अब्दुल्ला ने प्रस्ताव पेश किया था।इस प्रस्ताव में सरकार से इजराइली पासपोर्ट रखने वाले नागरिकों के देश में प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी। अब मालदीव की सरकार ने इजराइलियों के ट्रैवल पर पाबंदी लगी दी है। मालदीव ने ये फैसला जनता में इजराइल के खिलाफ बढ़ते गुस्से के बाद लिया है। बता दें कि इजराइल की बढ़ती आक्रामकता के बाद मालदीव में कई फिलिस्तीनी समर्थित प्रदर्शन देखने मिले हैं। बता दें कि मालदीव की आबादी 5 लाख से ज्यादा है और पूरी दुनिया से हर साल करीब 17 लाख टूरिस्ट मालदीव घूमने आते हैं। इसमें इजराइल से लगभग 15,000 पर्यटक शामिल हैं। पिछले साल करीब 11 हजार इजराइली नागरिकों ने मालदीव की यात्रा की थी। मुइज्जू के प्रतिबंध के फैसले पर सोशल मीडिया पर एक बार फिर मालदीव ट्रेंड करने लगा है। इजरायली मालदीव की जमकर आलोचना कर रहे हैं। इसके साथ ही इजरायली भारत की चर्चा करने लगे हैं। सोशल मीडिया पर भारत में मौजूद शानदार बीच डेस्टिनेशन की तस्वीरें शेयर की जाने लगी हैं। पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर पांच हजार रॉकेट दागे थे। इसके साथ ही हमास के लड़ाके दक्षिणी इजरायल में घुस आए थे और लगभग 250 लोगों को बंधक बना लिया था। हमास के इस हमले में करीब 1200 लोग मारे गए थे। इसके बाद इजरायल ने हमास के खिलाफ जंग शुरू कर दी। कुछ महीनों पहले इजरायल और हमास के बीच हुई सीजफायर डील में कई बंधकों को छोड़ दिया गया था, लेकिन अब भी दर्जनों बंधक हमास के कब्जे में हैं। इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू का कहना है कि जब तक हमास का खात्मा नहीं होता, तब तक जंग जारी रहेगी। वहीं, इजरायल गाजा युद्ध का दुनियाभर के देश विरोध कर रहे हैं। कोई इजरायल का साथ दे रहा है तो कोई गाजा का समर्थन कर रहा है। इस युद्ध की वजह से इजरायल को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से भी मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं।
राफा कैंप में इजराइली हमले की चौतरफा निंदा के बीच इजरायली पीएम का बयान, बताया 'दुखद दुर्घटना'

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इजराइल और हमास के बीच चल रहे युद्ध से गाजा में तबाही मची हुई है। इजराइली सेना लगातार गाजा और राफा शहर के साथ ही अब शरणार्थी शिविरों को भी निशाना बना रही है। बीते रविवार को हमास ने तेल अवीव पर मिसाइलें दागीं वहीं जवाबी कार्रवाई में इजराइल ने भी हमला किया। इजराइली के लगातार हो रहे हमले से चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। इन हमलों में तमाम बेगुनाह लोगों की जान जा रही है जिस पर दुनिया के कई देशों ने चिंता जाहिर की है।हमले के बाद हो रही अंतरराष्ट्रीय निंदा के बीच इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे 'दुखद दुर्घटना' बताया है।

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक इजरायली संसद में बोलते हुए नेतन्याहू जोर देकर कहा कि इजरायल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने संघर्ष में शामिल नहीं होने वालों को नुकसान न पहुंचाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया।नेतन्याहू ने कहा, 'राफा में हमने लगभग दस लाख गैर-लड़ाकू निवासियों को पहले ही निकाल लिया है और गैर-लड़ाकों को नुकसान न पहुंचाने के हमारे भरसक प्रयास के बावजूद, दुर्भाग्य से कुछ दुखद गलत हो गया।' हम घटना की जांच कर रहे हैं और निष्कर्ष पर पहुंचेंगे क्योंकि यह हमारी नीति है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने इस्राइली सेना के राफा शहर में किए हमले की कड़ी निंदा की है। सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने लिखा 'मैं इस्राइल की कार्रवाई की कड़ी निंदा करता हूं, जिसमें कई बेगुनाह आम नागरिक मारे गए, जो सिर्फ युद्ध के हालात में शरण लिए हुए थे। गाजा में अब कोई जगह सुरक्षित नहीं है और अब ये आतंक बंद होना चाहिए।'

हाल ही में इजराइल के राफा पर किए गए हमले में 45 लोगों की मौत हुई है और 200 अन्य घायल हुए हैं। हमास के तेल अवीव पर मिसाइल हमला करने के कुछ घंटों बाद इजरायल ने यह हमला किया था।

ईरान के साथ तनाव के बीच इजराइल की बड़ी अपील, कहा- भारत को पश्चिम एशिया में स्थिरता लाने का प्रयास करना चाहिए*
#israel_iran_tensions_israeli_said_india_should_impose_its_influence_to_normalize_situation सीरिया में ईरानी दूतावास पर हुए हमले को लेकर ईरान इजराइल पर बौखलाया हुआ है। इस हमले की जवाबी कर्रवाई करते हुए ईरान ने शनिवार को सैकड़ों मिसाइल और ड्रोन इजराइल के आसमान में दागे। इजरायल ने हर बार अपने दुश्मनों को ऐसा मुंहतोड़ जवाब दिया है कि वह इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो गया। इस हालात में दुनियाभर की नजर इजराइल के अगले कदम पर टिकी हुई है। माना जा रहा है कि इजराइल अपना बदला ले कर रहेगा। हालांकि ईरान के हमले को दो दिन बीत चुके हैं पर इजराइल अभी खामोश बना हुआ है। अब ये कहना मुश्किल है कि ये आने वाले तूफान के पहले की खामोशी है या इजराइल पर अपने दोस्त अमेरिका की चेतावनी का असर है। ईरान के साथ जारी तनाव के बीच इजरायल ने अपने 'दोस्त' भारत से मदद की अपील की है। नई दिल्ली में इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने कहा कि हम पश्चिम एशिया में शांति के लिए भारत से ईरान को रोकने की उम्मीद करते हैं। भारत में इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने सोमवार (15 अप्रैल) को कहा कि इजरायल मजबूत और परिस्थिति के अनुसार ढलने में सक्षम है और वह ईरान के हालिया हमले के बाद जरूरत पड़ने पर उसका मुकाबला करेगा। उन्होंने कहा कि भारत को पश्चिम एशिया क्षेत्र में स्थिरता लाने में भूमिका निभानी चाहिए। इजरायली राजदूत से पूछा गया कि भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने इस मामले में दोनों देशों के अपने समकक्षों के साथ टेलीफोन पर बात की है। ऐसी स्थिति में वग भारत से किस भूमिका की अपेक्षा करते है। इस पर उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि एक मित्र के रूप में हम भारत से यह उम्मीद करते हैं कि वह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में बहुत मजबूत होकर यह सुनिश्चित करेगा कि ईरान पश्चिम एशिया में अपनी अस्थिरता को रोके। उन्होंने आगे कहा, मुझे लगता है कि एक क्षेत्र के रूप में पश्चिम एशिया भारत के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि उस क्षेत्र में लाखों भारतीय काम करते हैं. उसके (क्षेत्र में) कई व्यापारिक संबंध हैं। संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर के साथ मजबूत संबंध हैं। मुझे लगता है कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि भारत ईरान को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हिस्से के रूप में सक्रिय भूमिका निभाए। राजदूत ने कहा, ईरान इस व्यवहार को जारी नहीं रख सकता, अगर हमें जरूरत पड़ी तो हम ईरान का मुकाबला करेंगे। यह हमारी पसंद नहीं है। हम यहां केवल जवाब दे रहे हैं और हमें जवाबी कार्रवाई करने या ईरान को यह संदेश भेजने के लिए संभवत: उचित समय मिल जाएगा कि यह अस्वीकार्य है। बातचीत के दौरान गिलोन ने कहा कि ईरान ने 350 मिसाइलों और ड्रोन से इजरायल के ऊपर हमला किया था। उन्होंने 99 प्रतिशत मिसाइलों और ड्रोन को रोकने के लिए अमेरिका और क्षेत्र के दूसरे दोस्तों के साथ इजरायल की एयर डिफेंस और वायु सेना की विशाल क्षमता को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि सौभाग्य से कोई हताहत नहीं हुआ। इजरायल के दक्षिण में केवल एक 7 साल की बच्ची घायल हुई है और उम्मीद करते हैं कि वह जल्द ठीक हो जाएगी। बता दें कि इजरायल पर ईरान की ओर से ड्रोन और मिसाइल हमला किए जाने के बाद भारत ने रविवार को कहा था कि वह दोनों देशों के बीच बढ़ते संघर्ष को लेकर अत्यंत चिंतित है और हमले से क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा है।
ईरान ने इराक में मोसाद मुख्यालय पर दागी बैलिस्टिक मिसाइल, चार लोगों की मौत

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ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स (IRGC) ने सोमवार देर रात इराक के एरबिल शहर में इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के दफ्तरों पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। इसमें 4 लोगों की मौत हो गई।ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने ही हमले की जानकारी दी। हाल ही में ईरान में बम धमाका हुआ था, जिसमें सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। ईरान ने इस्राइल पर हमले का आरोप लगाया था, जिसके जवाब में ईरान ने मोसाद के मुख्यालय पर हमला किया।

ईरान की स्टेट न्यूज एजेंसी IRNA के मुताबिक मिसाइलें ईरान विरोधी आतंकी खुफिया केंद्रों पर दागीं गई हैं। इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के एक बयान के हवाले से बताया कि हमलों ने इराकी कुर्दिस्तान की राजधानी इर्बिल में ‘एक जासूसी मुख्यालय’ और ‘ईरानी विरोधी आतंकवादी समूहों के जमावड़े’ को नष्ट कर दिया। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो गार्ड्स ने सीरिया में भी इस्लामिक स्टेट के खिलाफ हमला किया है। 

वहीं, इराक की कुर्दिस्तान सुरक्षा परिषद के मुताबिक, इस हमले में चार लोगों की मौत हुई है, जबकि 6 अन्य घायल हुए हैं। कुर्दिस्तान डेमोक्रेटिक पार्टी ने कहा कि मारे गए नागरिकों में प्रमुख कारोबारी पेश्रा दिजायी भी शामिल थे।

अमेरिकी मीडिया हाउस न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ईरान का हमला कुर्दिस्तान की राजधानी एरबिल से करीब 40 किमी उत्तर-पूर्व में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के करीब हुआ। दूतावास में भी विस्फोटों की आवाज सुनी दी। दो अमेरिकी अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि मिसाइलों के हमले से कोई भी अमेरिकी फैसिलिटी प्रभावित नहीं हुई।

अमेरिका ने इराक में ईरानी हमले की आलोचना की है। अमेरिका ने इसे जल्दबाजी में उठाया कदम बताया है। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता मैट मिलर ने कहा- ये हमला इराक की स्थिरता के लिए करारा झटका है। हम चाहते हैं कि इराक में और कुर्दिस्तान में स्थिरता आए और वहां कि सरकारें इराक के लोगों के लिए ठीक से काम कर पाए। दरअसल, इराक ने आतंकी संगठन ISIS के खिलाफ लंबी जंग लड़ी है। इसके बाद वहां स्थिरता आनी शुरू हुई है।