यूएस से डिपोर्ट भारतीयों को लेकर आया प्लेन पंजाब में क्यों उतरा? कांग्रेस उठा रही सवाल

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अमेरिका से 104 अवैध अप्रवासियों की वापसी हो चुकी है। उनको लेकर आए सैन्य विमान की लैंडिंग पंजाब के अमृतसर में हुई। निर्वासित लोगों में से 30 पंजाब से, 33-33 हरियाणा और गुजरात से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश, दो चंडीगढ़ से हैं। निर्वासित किए गए लोगों में 19 महिलाएं और चार वर्षीय एक बच्चा, पांच व सात वर्षीय दो लड़कियों सहित 13 नाबालिग शामिल हैं। इस बीच प्लेन के देश की राजधानी दिल्ली की जगह अमृतसर में लैंडिंग को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

कांग्रेस ने निर्वासित भारतीयों को ले जा रहे अमेरिकी सैन्य विमान को दिल्ली के बजाय अमृतसर में उतरने की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है। कांग्रेस ने कहा कि शहर को 'धारणा' और 'नैरेटिव' को ध्यान में रखते हुए चुना गया था।

“बदनाम करने वाले नैरेटिव”

कांग्रेस के जालंधर कैंट विधायक परगट सिंह ने कहा कि पंजाब की तुलना में गुजरात सहित अन्य राज्यों से अधिक निर्वासित लोग हैं। परगट सिंह ने सोशल मीडिया प्लोट कहा कि जब पंजाब अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की मांग करता है, तो पंजाब को आर्थिक लाभ से वंचित करने के लिए केवल दिल्ली एयरपोर्ट को अनुमति दी जाती है। लेकिन जब बदनाम करने वाले नैरेटिव की बात आती है, तो एक अमेरिकी निर्वासन विमान पंजाब में उतरता है। भले ही उसमें अधिककर निर्वासित गुजरात और हरियाणा से हों।

लोकसभा में इस पर चर्चा की मांग

वहीं, अमृतसर से सांसद और कांग्रेस नेता गुरजीत औजला ने विमान को अमृतसर में उतारे जाने पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने लोकसभा में इस पर चर्चा की मांग का नोटिस देते हुए पूछा कि प्लेन को दिल्ली में क्यों नहीं उतारा गया? उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए एक्स पर लिखा, शर्मनाक और अस्वीकार्य! मोदी सरकार ने भारतीय अप्रवासियों को बेड़ियों में जकड़े हुए विदेशी सैन्य विमान से वापस भेजने की अनुमति दी। कोई विरोध क्यों नहीं? वाणिज्यिक उड़ान क्यों नहीं? विमान दिल्ली में क्यों नहीं उतरा? यह हमारे लोगों और हमारी संप्रभुता का अपमान है। सरकार को जवाब देना चाहिए!’

आप ने भी घेरा

इस बीच, आम आदमी पार्टी (आप) ने सवाल किया है कि विमान की लैंडिंग अमृतसर में क्यों कराई गई। देश के किसी अन्य राज्य में विमान को क्यों नहीं उतारा गया। आप पंजाब के अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने सवाल किया कि विमान अमृतसर में क्यों उतरा, देश के किसी अन्य हवाई अड्डे पर क्यों नहीं। उन्होंने कहा, जब निर्वासित लोग पूरे देश से हैं, तो विमान को उतारने के लिए अमृतसर को क्यों चुना गया? यह सवाल हर किसी के दिमाग में है। अमन अरोड़ा ने कहा कि केंद्र सरकार ने पंजाब के साथ हमेशा सौतेला व्यवहार किया है। पंजाब की तुलना में अन्य राज्यों के लोग (निर्वासित) अधिक हैं. इस विमान को उतारने के लिए अमृतसर को चुनना एक सवालिया निशान खड़ा करता है।

जयशंकर ने यूएस से डिपोर्ट अवैध भारतीय प्रवासियों पर दिया जवाब, सदन को बताया सरकार को थी जानकारी

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अमेरिका से निर्वासित किए गए भारतीय नागरिकों पर राज्यसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बयान दिया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में कहा कि यदि कोई नागरिक विदेश में अवैध रूप से रह रहा पाया जाता है तो उसे वापस बुलाना सभी देशों का दायित्व है।उन्होंने कहा अमेरिका के नियम के तहत यह कार्रवाई हुई। पहले भी इस तरह की कार्रवाई हुई है। यह कोई नया प्रोसेस नहीं है। उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए अमेरिकी सरकार से संपर्क कर रहे हैं कि निर्वासितों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न हो।

विदेश मंत्री ने कहा, हम जानते हैं कि कल 104 लोग वापस आए। हम ही हैं जिन्होंने उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि की। हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि यह कोई नया मामला है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जो पहले भी होता रहा है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे वापस लौटने वाले प्रत्येक व्यक्ति (अमेरिका से निर्वासित भारतीय) के साथ बैठें और पता लगाएं कि वे अमेरिका कैसे गए, एजेंट कौन था, और हम कैसे सावधानी बरतें ताकि यह फिर से न हो।

विदेश मंत्री ने कहा, भारतीय प्रवासी अमानवीय हालात में फंसे थे. अवैध रूप में रह रहे लोगों को वापस स्वदेश भेजा जाता है. हमारे कई नागरिक गलत तरीके से अमेरिका पहुंचे थे. अवैध प्रवासियों को वापस लाना ही था। उन्होंने कहा कि साथ ही, सदन इस बात की सराहना करेगा कि हमारा ध्यान अवैध आव्रजन उद्योग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि निर्वासितों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर, कानून प्रवर्तन एजेंसियां एजेंटों और ऐसी एजेंसियों के खिलाफ आवश्यक, निवारक और अनुकरणीय कार्रवाई करेंगी।

दुनिया भर में आर्थिक मदद पहुँचाने वाली अमेरिकी एजेंसी यूएसएड बंद, जानें भारत के लिए क्यों अहम

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी सरकार की प्रमुख विदेशी सहायता एजेंसी यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) को बंद करके उसे विदेश मंत्रालय में शामिल करने एलान किया है। ट्रंप प्रशासन ने पहले विश्व भर में यूएसएड एजेंसी के प्रत्यक्ष कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया उसके बाद उसपर “ताला जड़” दिया।

मंगलवार कोऑआनलाइन पोस्ट किए गए एक नोटिस में कर्मचारियों को घर लौटने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है। वाशिंगटन में भी यूएसएड के सैकड़ों कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया और उनसे कहा गया है कि शहर में एजेंसी के कार्यालय सप्ताह के शेष दिनों के लिए बंद रहेंगे।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को पदभार संभालने के बाद अरबपति एलन मस्क को तकरीबन सभी अमेरिकी विदेशी सहायता की समीक्षा करने का निर्देश दिया था। ट्रंप की ओर से विदेशी सहायता पर रोक लगाए जाने के बाद हजारों यूएसएड कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया और दुनियाभर में इसके कार्यक्रम बंद कर दिए गए।

ट्रंप ने कहा- एजेंसी को 'कट्टर वामपंथी सनकी' चला रहे

राष्ट्रपति ट्रंप और उनके सबसे शीर्ष के सलाहकार, अरबपति एलन मस्क यूएसएड के कड़े आलोचक रहे हैं। बीते सोमवार को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने आरोप लगाया कि इस एजेंसी को 'कट्टर वामपंथी सनकी' चला रहे हैं। वे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर रहे हैं और नाम और अन्य जानकारियां साझा नहीं कर रहे हैं। ट्रंप प्रशासन में सरकारी खर्च कटौती के लिए बने विभाग के अनौपचारिक प्रमुख एलन मस्क ने भी यूएसएड को बंद करने की बात कही थी। बीते एक सप्ताह में यूएसएड के दो शीर्ष अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया और एजेंसी की वेबसाइट डाउन हो गई। यूएसएड पर भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितता के आरोपों के अलावा मस्क ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं।

मस्क ने बताया आपराधिक संगठन

अपने मालिकाना हक वाले सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर मस्क ने यूएसएड को 'बुराई', 'एक आपराधिक संगठन' और 'कट्टर वामपंथी राजनीतिक मनोवैज्ञानिक अभियान' (आम तौर पर षड्यंत्रकारी या बुरे कारनामों को ढंकने के लिए इस्तेमाल होने वाला शब्द) कहा। सोमवार को एक्स पर एक लाइव स्ट्रीम के दौरान उन्होंने कहा, इस पूरे मामले से निजात पाने की जरूरत है। यह लाइलाज है... हम इसे बंद करने जा रहे हैं।

भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल संगठनों को भी मिली मदद

बता दें कि यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) अमेरिकी सरकार की एक वैधानिक निकाय है। यूएसएड पूरी दुनिया में गैर सरकारी संगठनों, सहायता ग्रुपों और ग़ैर लाभकारी संस्थाओं को अरबों डॉलर की मदद देती है। हालांकि, ये बात कम ही लोगों को पता है कि इस एजेंसी से मिलने वाला पैसा भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल संगठनों को जाता था। फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF), जो कि हाफिज सईद के लश्कर-ए-तैयबा (LET) का मुखौटा संगठन है। इस समूह को यूएसएड के माध्यम से फंडिंग मिलती थी। यह फाउंडेशन पाकिस्तान से संचालित होता है और आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त पाया गया है।

भारत को कितनी मदद मिलती है?

यूएसएड के जरिए भारत को भी मदद मिलती है। भारत को स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, स्वच्छ ऊर्जा, पानी और स्वच्छता जैसे क्षेत्रों में सहायता मिली है। खुद यूएसएड की वेबसाइट पर भारत को दी गई मदद के बारे में जो जानकारी दी गई है उसके अनुसार, इसने पोषण, टीकाकरण, स्वच्छता, पर्यावरण, क्लीन एनर्जी, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई।

यूएसएड की मदद से भारत में 8 कृषि विश्वविद्यालय, 14 इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, देश का पहला भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी आईआईटी खड़गपुर भी यूएसएड की मदद से स्थापित किया गया था।

पिछले चार सालों में भारत को 65 करोड़ डॉलर की मदद मिली

लेकिन साल 2004 में सूनामी के दौरान भारत की तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने सशर्त विदेशी मदद लेने की नीति में बदलाव किया, जिसके बाद यूएसएड से भारत को मिलने वाली मदद में अपेक्षाकृत कमी आई। हालांकि कोविड महामारी के बाद से भारत को मिलने वाली यूएसएड मदद में बढ़ोतरी देखी गई। अमेरिकी सरकार के फॉरेन असिस्टेंस पोर्टल के मुताबिक़, पिछले चार सालों में भारत को 65 करोड़ डॉलर की मदद मिली। जबकि 2001 से लेकर अबतक भारत को 2.86 अरब डॉलर की मदद मिल चुकी है। पोर्टल के अनुसार, यूएसएड की ओर से भारत को 2022 में सबसे अधिक 22.82 करोड़ डॉलर की मदद मिली, 2023 में 17.57 करोड़ डॉलर और 2024 में 15.19 करोड़ डॉलर की मदद मिली। यूएसएड से मदद पाने के मामले में भारत तीसरे स्थान पर रहा है।

*Yesterday started the Bengal Global Business Summit in Kolkata*

SB News Bureau: International and national statesmen (from Bhutan Minister to Jharkhand Chief Minister my brother Hemanta, with his wife Kalpana) joined.

And joined industrial and business tycoons (iconic Mukesh Ambani to Sajjan Jindal to other great corporate captains) as well as celebrities like Sourav Ganguly!

They all applauded our public policies, and unwavering commitments to promotion of industries, infrastructure and employment. Series of major announcements followed with investment decisions involving lakhs of crores.

Announced our policies, programmes and promises and told the assembled thousands of delegates how we interweave social security with industry- friendly steps for greater ease of doing business and better synergy.

Importantly, there will henceforth be a State Level Investment Synergy Committee under the Chairmanship of our Chief Secretary for effective, one-stop and time-bound clearance mechanism for investment projects. Fortnightly meetings will be held by the Committee which will have all the Departmental Secretaries to ensure 'NO DELAY'.

Mukesh Ambani made significant announcements for (a) digital infrastructure and services, with JIO services being rendered globally from the soil of Bengal ; (b) retail; (c) artisan economy ; and (d) clean and green energy (Sonar Bangla will be made Solar Bangla). Mukesh promised to double his investments in Bengal within next few years. A few years back, his investment was Rs 2000. crore; it is now 50000 crore; it will be doubled in a few years, he explained.

Sajjan Jindal announced 2× 800 MW power plants with investment of Rs. 16000 crore at Salboni and promised that the project could be scaled up in future to include another 2×800 MW power plants with investments of another Rs 16000 crore! He promised an Industrial Park over 2000 acres, and informed that they were seriously looking into the project of Durgapur Airport for entry and expansion.

Great day, great resolutions, great leaps forward. Looking eagerly towards the sessions tomorrow with national and international delegates and functionaries. And will follow further sectoral sessions, country sessions, industry discourses etc.

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बांग्लादेश पर डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा एक्शन, ढाका को दी जाने वाली सभी मदद तत्काल प्रभाव से बंद

डेस्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश के खिलाफ सबसे बड़ा एक्शन लिया है। ट्रंप ने बांग्लादेश को दी जाने वाली सभी तरह की मदद को तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। ट्र्ंप के कार्यकारी आदेश में बांग्लादेश को दी जाने वाली सभी प्रकार की सहायता को तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश दिया गया है।

इस आदेश में बांग्लादेश को दी जाने वाली मदद रोकने के साथ ही सभी प्रकार के प्रोजेक्ट पर भी स्टे लगा दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि बांग्लादेश में चल रहे सभी कार्यों को भी तत्काल प्रभाव से रोका जा रहा है। USAID ने एक पत्र जारी करके यह जानकारी दी है। इसमें अनुदान, अनुबंध समेत सभी तरह के सहायता कार्यक्रम को तत्काल रोकने की बात कही गई है।

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे जुर्म का मुद्दा उठाया था और ट्रंप प्रशासन से बांग्लादेश के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की थी। इसके कुछ ही दिनों में अमेरिका ने बांग्लादेश के खिलाफ यह कड़ी कार्रवाई की है।

हालांकि यूएसएस ने बांग्लादेश के खिलाफ कार्रवाई करने की कोई वजह नहीं बताई है। मगर ट्रंप का यह फैसला बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। यूएसएड अमेरिकी एजेंसी है। जो विभिन्न देशों को स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, आपता और मानवीय सहायता जैसे मद में अरबों डॉलर की सहायता देती है। अमेरिका के इस कदम से बांग्लादेश को बड़ा झटका लगा है।

ट्रंप के शपथ लेते ही अमेरिका से 18 हजार भारतीयों पर खतरा, क्या होगी घर वापसी?

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डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनते ही अवैध प्रवासियों की धड़कनें तेज हो गई हैं। अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालते ही गैरकानूनी प्रवासियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इस बीच खबर है कि इसकी गाज अवैध भारतीय प्रवासियों पर भी गिरने जा रही है। 

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 18 हजार भारतीयों की देश वापसी होगी। रिपोर्ट के मुताबिक इनके पास अमेरिका की नागरिकता नहीं है, वहां की नागरिकता हासिल करने के लिए सही कागज दस्तावेज भी नहीं हैं। अमेरिका में पिछले महीने अवैध प्रवासियों से डील करने वाली सरकारी संस्था आव्रजन-सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) ने करीब 15 लाख लोगों की एक सूची बनाई थी, जो अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे हैं। 18 हजार भारतीय इसी सूची का हिस्सा हैं। सूत्रों ने बताया कि यह संख्या और भी अधिक हो सकती है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि कितने और लोग इस सूची में जोड़े जा सकते हैं क्योंकि अवैध भारतीय प्रवासियों की सही संख्या ज्ञात नहीं है।

अमेरिका में कितने अवैध भारतीय प्रवासी?

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका में अवैध प्रवासियों के रहने के मामले में भारत का स्थान बहुत मामूली है। अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा डेटा के मुताबिक साल 2024 में अवैध प्रवासियों में सिर्फ 3% भारतीय नागरिक थे। मेक्सिको, वेनेजुएला और ग्वाटेमाला जैसे लैटिन अमेरिकी देशों की हिस्सेदारी इसमें सबसे ज्यादा है।

वहीं,, 2024 की प्यू रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, अमेर‍िका में 725,000 भारतीय अवैध तरीके से रह रहे हैं। यह वहां रह रहे अवैध प्रवास‍ियों का सबसे बड़ा ह‍िस्‍सा है।

भारत सरकार वापसी में करेगी मदद

रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार वहां अवैध रूप से रह रहे अपने सभी नागरिकों की पहचान करने और उन्हें वापस लाने के लिए ट्रंप प्रशासन के साथ मिलकर काम करने को तैयार है। इसमें बताया गया है कि भारत नहीं चाहता कि अवैध नागरिकों के मुद्दे का एच-1B वीजा और स्टूडेंट वीजा जैसे कार्यक्रमों पर असर पड़े। भारत उम्मीद कर रहा कि ट्रंप प्रशासन के साथ उसके रिश्ते इसमें काफी काम आएंगे। हो सकता है क‍ि ट्रंप के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निजी रिश्तों की वजह से छात्र वीजा और एच-1बी वीजा से जुड़े लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

अवैध प्रवासियों की एंट्री बैन करने के लिए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी

ट्रंप ने सोमवार को शपथ लीने के बाद अवैध प्रवासियों की एंट्री बैन करने के अलावा जन्मजात नागरिकता (बर्थराइट सिटीजनशिप) को खत्म करने को लेकर भी एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किया है। एग्जीक्यूटिव ऑर्डर वह आदेश होते हैं, जिन्हें राष्ट्रपति जारी करते हैं। उनका यह आदेश कानून बन जाता है जिसे कांग्रेस की मंजूरी की जरूरत नहीं होती। कांग्रेस इन्हें पलट नहीं सकती। हालांकि इन्हें अदालत में चुनौती दी जा सकती है।

ट्रंप ने कहा कि वह अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर नेशनल इमरजेंसी घोषित करेंगे। देश में अवैध एंट्री को तुरंत रोका जाएगा और सरकार लाखों अवैध प्रवासियों को उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू करेगी। ट्रंप ने अपने एक भाषण में इसके संकेत भी दिए हैं कि जरूरत पड़ी तो वह 225 साल पुराने एलियन एनिमीज एक्ट (Alien Enemies Act of 1798) के तहत यह कार्रवाई करेंगे।

क्या है एलियन एनिमीज एक्ट?

1798 का विदेशी शत्रु अधिनियम (Alien Enemies Act of 1798) एक युद्धकालीन कानून है, जो अमेरिकी राष्ट्रपति को किसी शत्रु राष्ट्र के मूल निवासियों और नागरिकों को हिरासत में लेने या निर्वासित करने की अनुमति देता है। यह कानून राष्ट्रपति को इन अप्रवासियों को बिना सुनवाई के और केवल उनके जन्म के देश या नागरिकता के आधार पर बाहर करने की अनुमति देता है।

डोनाल्ड ट्रंप का भारत के लिए महत्व: रणनीतिक सहयोग, व्यापारिक चुनौतियाँ और कूटनीतिक अवसर

#donaldtrumpsimpactonindia

Donald Trump (President of USA)

डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में भारत-अमेरिका संबंधों में कुछ नए पहलू सामने आए, जो दोनों देशों के रणनीतिक और आर्थिक हितों के संदर्भ में महत्वपूर्ण थे। ट्रंप की विदेश नीति और उनकी नीतियों का भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा। इस लेख में हम यह देखेंगे कि ट्रंप का भारत के लिए क्या मतलब था, उनके कार्यकाल में दोनों देशों के रिश्ते कैसे विकसित हुए, और उनके निर्णयों के परिणामस्वरूप भारत को किन चुनौतियों और अवसरों का सामना करना पड़ा।

भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंध

1. चीन के खिलाफ साझा चिंता

  - ट्रंप के नेतृत्व में भारत और अमेरिका के बीच एक मजबूत साझेदारी ने चीन को दोनों देशों के लिए साझा चिंता का विषय बना दिया। भारत और अमेरिका की रणनीतिक सहयोगिता का मुख्य ड्राइवर चीन की बढ़ती ताकत और क्षेत्रीय प्रभाव था।

  - क्वाड का गठन इस साझेदारी का प्रमुख हिस्सा था, जो चीन के खिलाफ रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देता है।

  - ट्रंप ने चीन के खिलाफ एक मजबूत रुख अपनाया, जिससे भारत को इसके मुकाबले अपनी स्थिति को मजबूती से पेश करने का अवसर मिला।

2. सुरक्षा और रक्षा सहयोग

  - भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग में भी वृद्धि हुई, विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य तकनीकी सहयोग में। ट्रंप प्रशासन के दौरान, अमेरिकी हथियारों और रक्षा प्रणाली के साथ भारत के सहयोग को बढ़ावा मिला।

  - डोकलाम, बालाकोट और गलवान जैसे महत्वपूर्ण घटनाओं पर भारत और अमेरिका ने एक साथ काम किया, जो उनके सहयोग को और सुदृढ़ करता है।

3. पार्टी और वैचारिक संरेखण

  - नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच मजबूत व्यक्तिगत संबंध थे, और दोनों के बीच एक विचारधारात्मक समानता थी, जो उनके कार्यों और नीतियों में भी दिखाई दी।

  - ट्रंप ने मोदी के नेतृत्व में भारत को एक अहम साझेदार माना और दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग को बेहतर बनाने के लिए कई प्रयास किए।

चुनौतियाँ और अनिश्चितताएँ

1. अमेरिकी विदेश नीति में अनिश्चितता

  - ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिकी विदेश नीति में अस्थिरता और अनिश्चितता देखी गई। उनके अप्रत्याशित निर्णय और रणनीतियाँ, जैसे कि कई अंतरराष्ट्रीय समझौतों से बाहर निकलना, भारत के लिए कुछ मुद्दों पर चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते थे।

  - उदाहरण के तौर पर, इंडो-पैसिफिक नीति पर ट्रंप का दृष्टिकोण स्पष्ट नहीं था, और इसमें कभी-कभी विवाद भी उत्पन्न हुए।

2. व्यापारिक असंतुलन और टैरिफ़ नीति

  - ट्रंप के दृष्टिकोण में व्यापारिक असंतुलन को लेकर चिंता थी, और भारत से संबंधित व्यापार अधिशेष के कारण अमेरिका ने भारत पर उच्च टैरिफ लगाए जाने की संभावना जताई।

  - ट्रंप का यह मानना था कि भारत ने अमेरिकी उत्पादों के लिए अपने बाजार में उचित स्थान नहीं दिया और इसका फायदा उठाया। यह भारत के लिए एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि भारत को अपने निर्यात को संतुलित करने और अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों को बेहतर बनाने की आवश्यकता थी।

3. अमेरिका में निवेश और भारतीय कंपनियाँ

  - ट्रंप का मानना था कि भारतीय कंपनियाँ अमेरिका में निवेश किए बिना अमेरिकी निवेश को आकर्षित कर रही हैं। हालांकि, भारतीय कंपनियाँ अमेरिका में अरबों डॉलर का निवेश कर चुकी थीं, और इस निवेश के परिणामस्वरूप हजारों नौकरियाँ पैदा हुई थीं।

  - भारत को अपने निवेश और व्यापारिक रणनीति को सही तरीके से प्रस्तुत करने की आवश्यकता थी ताकि अमेरिका में भारतीय योगदान को सही रूप से पहचाना जा सके।

भारत के लिए लाभकारी रणनीतियाँ

1. भारत के लिए उपयुक्त कूटनीतिक संबंध

  - भारत के लिए यह महत्वपूर्ण था कि वह राजनीतिक और रणनीतिक संरेखण बनाए रखे, खासकर तब जब ट्रंप प्रशासन के लिए वैश्विक और क्षेत्रीय कूटनीति को सही दिशा देना चुनौतीपूर्ण हो सकता था।

  - ट्रंप के नेतृत्व में भारत को अपने कूटनीतिक संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए अपनी राजनीतिक समझ और कूटनीतिक योग्यता का इस्तेमाल करना पड़ा।

2. चीन के खिलाफ एकजुटता

  - चीन के बढ़ते प्रभाव और उसके खिलाफ साझा चिंता ने भारत और अमेरिका को एकजुट किया। यह साझा रणनीति दोनों देशों के लिए फायदेमंद रही, विशेषकर सुरक्षा, तकनीकी और आपूर्ति श्रृंखलाओं के क्षेत्रों में।

3. व्यापार और निवेश संबंधों का संतुलन

  - भारत को यह स्पष्ट करना था कि मेक इन इंडिया और मेड इन अमेरिका के बीच कोई टकराव नहीं है। अगर भारत ने सही तरीके से अपने व्यापारिक मुद्दों को हल किया, तो वह ट्रंप प्रशासन को एक राजनीतिक जीत दे सकता था और अमेरिका के साथ व्यापारिक संतुलन बना सकता था।

4. अमेरिका में निवेश का विस्तार

  - भारतीय कंपनियाँ अमेरिका में अरबों डॉलर का निवेश कर चुकी थीं, और यह स्थिति भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर थी। भारत को यह सुनिश्चित करना था कि उसके निवेश के प्रभाव को उचित तरीके से अमेरिका में समझा जाए और उसे पहचान मिले।

भारत-अमेरिका आर्थिक संबंध

1. व्यापारिक संघर्ष

  - भारत के लिए एक बड़ा मुद्दा व्यापारिक टैरिफ़ था, क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने भारतीय उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाने की संभावना जताई थी। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक चुनौती थी, क्योंकि इसे दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को प्रभावित करने से बचना था।

  

2. आवश्यक रणनीतिक सहयोग

  - भारत को अमेरिका के साथ अपनी व्यापार नीति को और मजबूत करने के लिए अपनी रणनीति को फिर से परिभाषित करना था। इस संदर्भ में, दोनों देशों के व्यापार संबंधों को सामान्य बनाने के लिए एक राजनीतिक इच्छाशक्ति और लचीलेपन की आवश्यकता थी।

3. अमेरिका में निवेश का मौका

  - भारतीय कंपनियाँ अमेरिका में निवेश करके लाभ कमा रही थीं, लेकिन यह भारत के लिए एक अनकहा पक्ष था। भारतीय निवेश को अमेरिकी कूटनीति में ज्यादा प्रमुखता से उठाना था ताकि इसके महत्व को समझा जा सके।

भारत-अमेरिका संबंधों का भविष्य

भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में चुनौती और अवसर दोनों थे। ट्रंप प्रशासन के दौरान, भारत ने अपनी कूटनीति, व्यापारिक रणनीतियों और सुरक्षा सहयोग को मजबूती से पेश किया। हालांकि, कुछ मुद्दों पर अनिश्चितता और संघर्ष रहा, लेकिन साझा रणनीतिक हित और व्यक्तिगत कूटनीतिक संबंधों ने दोनों देशों के बीच सहयोग को बनाए रखा। भारत को ट्रंप प्रशासन के अंतर्गत अपनी रणनीति को और मजबूती से आकार देना होगा, खासकर व्यापारिक और निवेश संबंधों में।  

पूनम देवी राज को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा

कमलेश मेहरोत्रा लहरपुर (सीतापुर)। स्थानीय

पूर्णोदय साहित्यिक संस्थान की राष्ट्रीय अध्यक्ष कवयित्री पूनम देवी राज को, काकद्वीप गंगासागर(पश्चिम बंगाल) में जिम्बाम्बे इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी,ग्लोबल इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी(USA) और धराधाम इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के कुलपति,

डॉ सौरभ पाण्डेय एवं निदेशक एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस डॉ० नारायण यादव एवं डॉ०एहसान अहमद उर्दू समिति अध्यक्ष(NCRT) के द्वारा 11 जनवरी को साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य एवं हिन्दी साहित्य के विकास के लिए पूनम देवी राज को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा।

पूनम देवी राज ने इस सफलता का श्रेय अपनी माता रूपा देवी पिता श्रीपाल,गुरुजन और अपने पति राज कलानवी को दिया।

ज्ञातव्य है कि डॉ०पूनम देवी राज लहरपुर के छोटे से गाँव गदापुर की रहने वाली हैं और कम्पोजिट विद्यालय मकनपुर में शिक्षामित्र पद पर कार्यरत हैं।

यूएस से डिपोर्ट भारतीयों को लेकर आया प्लेन पंजाब में क्यों उतरा? कांग्रेस उठा रही सवाल

#usa104indiansdeportwhytheflightlandedin_amritsar

अमेरिका से 104 अवैध अप्रवासियों की वापसी हो चुकी है। उनको लेकर आए सैन्य विमान की लैंडिंग पंजाब के अमृतसर में हुई। निर्वासित लोगों में से 30 पंजाब से, 33-33 हरियाणा और गुजरात से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश, दो चंडीगढ़ से हैं। निर्वासित किए गए लोगों में 19 महिलाएं और चार वर्षीय एक बच्चा, पांच व सात वर्षीय दो लड़कियों सहित 13 नाबालिग शामिल हैं। इस बीच प्लेन के देश की राजधानी दिल्ली की जगह अमृतसर में लैंडिंग को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

कांग्रेस ने निर्वासित भारतीयों को ले जा रहे अमेरिकी सैन्य विमान को दिल्ली के बजाय अमृतसर में उतरने की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है। कांग्रेस ने कहा कि शहर को 'धारणा' और 'नैरेटिव' को ध्यान में रखते हुए चुना गया था।

“बदनाम करने वाले नैरेटिव”

कांग्रेस के जालंधर कैंट विधायक परगट सिंह ने कहा कि पंजाब की तुलना में गुजरात सहित अन्य राज्यों से अधिक निर्वासित लोग हैं। परगट सिंह ने सोशल मीडिया प्लोट कहा कि जब पंजाब अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की मांग करता है, तो पंजाब को आर्थिक लाभ से वंचित करने के लिए केवल दिल्ली एयरपोर्ट को अनुमति दी जाती है। लेकिन जब बदनाम करने वाले नैरेटिव की बात आती है, तो एक अमेरिकी निर्वासन विमान पंजाब में उतरता है। भले ही उसमें अधिककर निर्वासित गुजरात और हरियाणा से हों।

लोकसभा में इस पर चर्चा की मांग

वहीं, अमृतसर से सांसद और कांग्रेस नेता गुरजीत औजला ने विमान को अमृतसर में उतारे जाने पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने लोकसभा में इस पर चर्चा की मांग का नोटिस देते हुए पूछा कि प्लेन को दिल्ली में क्यों नहीं उतारा गया? उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए एक्स पर लिखा, शर्मनाक और अस्वीकार्य! मोदी सरकार ने भारतीय अप्रवासियों को बेड़ियों में जकड़े हुए विदेशी सैन्य विमान से वापस भेजने की अनुमति दी। कोई विरोध क्यों नहीं? वाणिज्यिक उड़ान क्यों नहीं? विमान दिल्ली में क्यों नहीं उतरा? यह हमारे लोगों और हमारी संप्रभुता का अपमान है। सरकार को जवाब देना चाहिए!’

आप ने भी घेरा

इस बीच, आम आदमी पार्टी (आप) ने सवाल किया है कि विमान की लैंडिंग अमृतसर में क्यों कराई गई। देश के किसी अन्य राज्य में विमान को क्यों नहीं उतारा गया। आप पंजाब के अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने सवाल किया कि विमान अमृतसर में क्यों उतरा, देश के किसी अन्य हवाई अड्डे पर क्यों नहीं। उन्होंने कहा, जब निर्वासित लोग पूरे देश से हैं, तो विमान को उतारने के लिए अमृतसर को क्यों चुना गया? यह सवाल हर किसी के दिमाग में है। अमन अरोड़ा ने कहा कि केंद्र सरकार ने पंजाब के साथ हमेशा सौतेला व्यवहार किया है। पंजाब की तुलना में अन्य राज्यों के लोग (निर्वासित) अधिक हैं. इस विमान को उतारने के लिए अमृतसर को चुनना एक सवालिया निशान खड़ा करता है।

जयशंकर ने यूएस से डिपोर्ट अवैध भारतीय प्रवासियों पर दिया जवाब, सदन को बताया सरकार को थी जानकारी

#foreign_minister_s_jaishankar_statement_rajya_sabha_104_indians_deports_usa

अमेरिका से निर्वासित किए गए भारतीय नागरिकों पर राज्यसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बयान दिया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में कहा कि यदि कोई नागरिक विदेश में अवैध रूप से रह रहा पाया जाता है तो उसे वापस बुलाना सभी देशों का दायित्व है।उन्होंने कहा अमेरिका के नियम के तहत यह कार्रवाई हुई। पहले भी इस तरह की कार्रवाई हुई है। यह कोई नया प्रोसेस नहीं है। उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए अमेरिकी सरकार से संपर्क कर रहे हैं कि निर्वासितों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न हो।

विदेश मंत्री ने कहा, हम जानते हैं कि कल 104 लोग वापस आए। हम ही हैं जिन्होंने उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि की। हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि यह कोई नया मामला है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जो पहले भी होता रहा है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे वापस लौटने वाले प्रत्येक व्यक्ति (अमेरिका से निर्वासित भारतीय) के साथ बैठें और पता लगाएं कि वे अमेरिका कैसे गए, एजेंट कौन था, और हम कैसे सावधानी बरतें ताकि यह फिर से न हो।

विदेश मंत्री ने कहा, भारतीय प्रवासी अमानवीय हालात में फंसे थे. अवैध रूप में रह रहे लोगों को वापस स्वदेश भेजा जाता है. हमारे कई नागरिक गलत तरीके से अमेरिका पहुंचे थे. अवैध प्रवासियों को वापस लाना ही था। उन्होंने कहा कि साथ ही, सदन इस बात की सराहना करेगा कि हमारा ध्यान अवैध आव्रजन उद्योग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि निर्वासितों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर, कानून प्रवर्तन एजेंसियां एजेंटों और ऐसी एजेंसियों के खिलाफ आवश्यक, निवारक और अनुकरणीय कार्रवाई करेंगी।

दुनिया भर में आर्थिक मदद पहुँचाने वाली अमेरिकी एजेंसी यूएसएड बंद, जानें भारत के लिए क्यों अहम

#donaldtrumpshutsdownusaidoncefundedterrorgroup

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी सरकार की प्रमुख विदेशी सहायता एजेंसी यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) को बंद करके उसे विदेश मंत्रालय में शामिल करने एलान किया है। ट्रंप प्रशासन ने पहले विश्व भर में यूएसएड एजेंसी के प्रत्यक्ष कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया उसके बाद उसपर “ताला जड़” दिया।

मंगलवार कोऑआनलाइन पोस्ट किए गए एक नोटिस में कर्मचारियों को घर लौटने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है। वाशिंगटन में भी यूएसएड के सैकड़ों कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया और उनसे कहा गया है कि शहर में एजेंसी के कार्यालय सप्ताह के शेष दिनों के लिए बंद रहेंगे।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को पदभार संभालने के बाद अरबपति एलन मस्क को तकरीबन सभी अमेरिकी विदेशी सहायता की समीक्षा करने का निर्देश दिया था। ट्रंप की ओर से विदेशी सहायता पर रोक लगाए जाने के बाद हजारों यूएसएड कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया और दुनियाभर में इसके कार्यक्रम बंद कर दिए गए।

ट्रंप ने कहा- एजेंसी को 'कट्टर वामपंथी सनकी' चला रहे

राष्ट्रपति ट्रंप और उनके सबसे शीर्ष के सलाहकार, अरबपति एलन मस्क यूएसएड के कड़े आलोचक रहे हैं। बीते सोमवार को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने आरोप लगाया कि इस एजेंसी को 'कट्टर वामपंथी सनकी' चला रहे हैं। वे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर रहे हैं और नाम और अन्य जानकारियां साझा नहीं कर रहे हैं। ट्रंप प्रशासन में सरकारी खर्च कटौती के लिए बने विभाग के अनौपचारिक प्रमुख एलन मस्क ने भी यूएसएड को बंद करने की बात कही थी। बीते एक सप्ताह में यूएसएड के दो शीर्ष अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया और एजेंसी की वेबसाइट डाउन हो गई। यूएसएड पर भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितता के आरोपों के अलावा मस्क ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं।

मस्क ने बताया आपराधिक संगठन

अपने मालिकाना हक वाले सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर मस्क ने यूएसएड को 'बुराई', 'एक आपराधिक संगठन' और 'कट्टर वामपंथी राजनीतिक मनोवैज्ञानिक अभियान' (आम तौर पर षड्यंत्रकारी या बुरे कारनामों को ढंकने के लिए इस्तेमाल होने वाला शब्द) कहा। सोमवार को एक्स पर एक लाइव स्ट्रीम के दौरान उन्होंने कहा, इस पूरे मामले से निजात पाने की जरूरत है। यह लाइलाज है... हम इसे बंद करने जा रहे हैं।

भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल संगठनों को भी मिली मदद

बता दें कि यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) अमेरिकी सरकार की एक वैधानिक निकाय है। यूएसएड पूरी दुनिया में गैर सरकारी संगठनों, सहायता ग्रुपों और ग़ैर लाभकारी संस्थाओं को अरबों डॉलर की मदद देती है। हालांकि, ये बात कम ही लोगों को पता है कि इस एजेंसी से मिलने वाला पैसा भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल संगठनों को जाता था। फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF), जो कि हाफिज सईद के लश्कर-ए-तैयबा (LET) का मुखौटा संगठन है। इस समूह को यूएसएड के माध्यम से फंडिंग मिलती थी। यह फाउंडेशन पाकिस्तान से संचालित होता है और आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त पाया गया है।

भारत को कितनी मदद मिलती है?

यूएसएड के जरिए भारत को भी मदद मिलती है। भारत को स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, स्वच्छ ऊर्जा, पानी और स्वच्छता जैसे क्षेत्रों में सहायता मिली है। खुद यूएसएड की वेबसाइट पर भारत को दी गई मदद के बारे में जो जानकारी दी गई है उसके अनुसार, इसने पोषण, टीकाकरण, स्वच्छता, पर्यावरण, क्लीन एनर्जी, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई।

यूएसएड की मदद से भारत में 8 कृषि विश्वविद्यालय, 14 इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, देश का पहला भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी आईआईटी खड़गपुर भी यूएसएड की मदद से स्थापित किया गया था।

पिछले चार सालों में भारत को 65 करोड़ डॉलर की मदद मिली

लेकिन साल 2004 में सूनामी के दौरान भारत की तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने सशर्त विदेशी मदद लेने की नीति में बदलाव किया, जिसके बाद यूएसएड से भारत को मिलने वाली मदद में अपेक्षाकृत कमी आई। हालांकि कोविड महामारी के बाद से भारत को मिलने वाली यूएसएड मदद में बढ़ोतरी देखी गई। अमेरिकी सरकार के फॉरेन असिस्टेंस पोर्टल के मुताबिक़, पिछले चार सालों में भारत को 65 करोड़ डॉलर की मदद मिली। जबकि 2001 से लेकर अबतक भारत को 2.86 अरब डॉलर की मदद मिल चुकी है। पोर्टल के अनुसार, यूएसएड की ओर से भारत को 2022 में सबसे अधिक 22.82 करोड़ डॉलर की मदद मिली, 2023 में 17.57 करोड़ डॉलर और 2024 में 15.19 करोड़ डॉलर की मदद मिली। यूएसएड से मदद पाने के मामले में भारत तीसरे स्थान पर रहा है।

*Yesterday started the Bengal Global Business Summit in Kolkata*

SB News Bureau: International and national statesmen (from Bhutan Minister to Jharkhand Chief Minister my brother Hemanta, with his wife Kalpana) joined.

And joined industrial and business tycoons (iconic Mukesh Ambani to Sajjan Jindal to other great corporate captains) as well as celebrities like Sourav Ganguly!

They all applauded our public policies, and unwavering commitments to promotion of industries, infrastructure and employment. Series of major announcements followed with investment decisions involving lakhs of crores.

Announced our policies, programmes and promises and told the assembled thousands of delegates how we interweave social security with industry- friendly steps for greater ease of doing business and better synergy.

Importantly, there will henceforth be a State Level Investment Synergy Committee under the Chairmanship of our Chief Secretary for effective, one-stop and time-bound clearance mechanism for investment projects. Fortnightly meetings will be held by the Committee which will have all the Departmental Secretaries to ensure 'NO DELAY'.

Mukesh Ambani made significant announcements for (a) digital infrastructure and services, with JIO services being rendered globally from the soil of Bengal ; (b) retail; (c) artisan economy ; and (d) clean and green energy (Sonar Bangla will be made Solar Bangla). Mukesh promised to double his investments in Bengal within next few years. A few years back, his investment was Rs 2000. crore; it is now 50000 crore; it will be doubled in a few years, he explained.

Sajjan Jindal announced 2× 800 MW power plants with investment of Rs. 16000 crore at Salboni and promised that the project could be scaled up in future to include another 2×800 MW power plants with investments of another Rs 16000 crore! He promised an Industrial Park over 2000 acres, and informed that they were seriously looking into the project of Durgapur Airport for entry and expansion.

Great day, great resolutions, great leaps forward. Looking eagerly towards the sessions tomorrow with national and international delegates and functionaries. And will follow further sectoral sessions, country sessions, industry discourses etc.

ELearn InfoTech: Master Full Stack Development in Hyderabad with Expert Training

The demand for skilled Full Stack Developers is soaring in the IT industry, making it one of the most sought-after career paths today. If you’re looking to build a successful career in software development, ELearn InfoTech offers the best Full Stack Developer courses in Hyderabad, designed to equip you with in-demand skills and hands-on experience.

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At ELearn InfoTech, we offer comprehensive Full Stack Development training in Hyderabad that covers all major programming languages, frameworks, and tools required to build dynamic and responsive web applications. Our courses include:

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बांग्लादेश पर डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा एक्शन, ढाका को दी जाने वाली सभी मदद तत्काल प्रभाव से बंद

डेस्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश के खिलाफ सबसे बड़ा एक्शन लिया है। ट्रंप ने बांग्लादेश को दी जाने वाली सभी तरह की मदद को तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। ट्र्ंप के कार्यकारी आदेश में बांग्लादेश को दी जाने वाली सभी प्रकार की सहायता को तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश दिया गया है।

इस आदेश में बांग्लादेश को दी जाने वाली मदद रोकने के साथ ही सभी प्रकार के प्रोजेक्ट पर भी स्टे लगा दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि बांग्लादेश में चल रहे सभी कार्यों को भी तत्काल प्रभाव से रोका जा रहा है। USAID ने एक पत्र जारी करके यह जानकारी दी है। इसमें अनुदान, अनुबंध समेत सभी तरह के सहायता कार्यक्रम को तत्काल रोकने की बात कही गई है।

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे जुर्म का मुद्दा उठाया था और ट्रंप प्रशासन से बांग्लादेश के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की थी। इसके कुछ ही दिनों में अमेरिका ने बांग्लादेश के खिलाफ यह कड़ी कार्रवाई की है।

हालांकि यूएसएस ने बांग्लादेश के खिलाफ कार्रवाई करने की कोई वजह नहीं बताई है। मगर ट्रंप का यह फैसला बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। यूएसएड अमेरिकी एजेंसी है। जो विभिन्न देशों को स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, आपता और मानवीय सहायता जैसे मद में अरबों डॉलर की सहायता देती है। अमेरिका के इस कदम से बांग्लादेश को बड़ा झटका लगा है।

ट्रंप के शपथ लेते ही अमेरिका से 18 हजार भारतीयों पर खतरा, क्या होगी घर वापसी?

#18thousandillegalindianimmigrantswillbedeportedfrom_america

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनते ही अवैध प्रवासियों की धड़कनें तेज हो गई हैं। अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालते ही गैरकानूनी प्रवासियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इस बीच खबर है कि इसकी गाज अवैध भारतीय प्रवासियों पर भी गिरने जा रही है। 

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 18 हजार भारतीयों की देश वापसी होगी। रिपोर्ट के मुताबिक इनके पास अमेरिका की नागरिकता नहीं है, वहां की नागरिकता हासिल करने के लिए सही कागज दस्तावेज भी नहीं हैं। अमेरिका में पिछले महीने अवैध प्रवासियों से डील करने वाली सरकारी संस्था आव्रजन-सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) ने करीब 15 लाख लोगों की एक सूची बनाई थी, जो अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे हैं। 18 हजार भारतीय इसी सूची का हिस्सा हैं। सूत्रों ने बताया कि यह संख्या और भी अधिक हो सकती है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि कितने और लोग इस सूची में जोड़े जा सकते हैं क्योंकि अवैध भारतीय प्रवासियों की सही संख्या ज्ञात नहीं है।

अमेरिका में कितने अवैध भारतीय प्रवासी?

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका में अवैध प्रवासियों के रहने के मामले में भारत का स्थान बहुत मामूली है। अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा डेटा के मुताबिक साल 2024 में अवैध प्रवासियों में सिर्फ 3% भारतीय नागरिक थे। मेक्सिको, वेनेजुएला और ग्वाटेमाला जैसे लैटिन अमेरिकी देशों की हिस्सेदारी इसमें सबसे ज्यादा है।

वहीं,, 2024 की प्यू रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, अमेर‍िका में 725,000 भारतीय अवैध तरीके से रह रहे हैं। यह वहां रह रहे अवैध प्रवास‍ियों का सबसे बड़ा ह‍िस्‍सा है।

भारत सरकार वापसी में करेगी मदद

रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार वहां अवैध रूप से रह रहे अपने सभी नागरिकों की पहचान करने और उन्हें वापस लाने के लिए ट्रंप प्रशासन के साथ मिलकर काम करने को तैयार है। इसमें बताया गया है कि भारत नहीं चाहता कि अवैध नागरिकों के मुद्दे का एच-1B वीजा और स्टूडेंट वीजा जैसे कार्यक्रमों पर असर पड़े। भारत उम्मीद कर रहा कि ट्रंप प्रशासन के साथ उसके रिश्ते इसमें काफी काम आएंगे। हो सकता है क‍ि ट्रंप के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निजी रिश्तों की वजह से छात्र वीजा और एच-1बी वीजा से जुड़े लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

अवैध प्रवासियों की एंट्री बैन करने के लिए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी

ट्रंप ने सोमवार को शपथ लीने के बाद अवैध प्रवासियों की एंट्री बैन करने के अलावा जन्मजात नागरिकता (बर्थराइट सिटीजनशिप) को खत्म करने को लेकर भी एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किया है। एग्जीक्यूटिव ऑर्डर वह आदेश होते हैं, जिन्हें राष्ट्रपति जारी करते हैं। उनका यह आदेश कानून बन जाता है जिसे कांग्रेस की मंजूरी की जरूरत नहीं होती। कांग्रेस इन्हें पलट नहीं सकती। हालांकि इन्हें अदालत में चुनौती दी जा सकती है।

ट्रंप ने कहा कि वह अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर नेशनल इमरजेंसी घोषित करेंगे। देश में अवैध एंट्री को तुरंत रोका जाएगा और सरकार लाखों अवैध प्रवासियों को उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू करेगी। ट्रंप ने अपने एक भाषण में इसके संकेत भी दिए हैं कि जरूरत पड़ी तो वह 225 साल पुराने एलियन एनिमीज एक्ट (Alien Enemies Act of 1798) के तहत यह कार्रवाई करेंगे।

क्या है एलियन एनिमीज एक्ट?

1798 का विदेशी शत्रु अधिनियम (Alien Enemies Act of 1798) एक युद्धकालीन कानून है, जो अमेरिकी राष्ट्रपति को किसी शत्रु राष्ट्र के मूल निवासियों और नागरिकों को हिरासत में लेने या निर्वासित करने की अनुमति देता है। यह कानून राष्ट्रपति को इन अप्रवासियों को बिना सुनवाई के और केवल उनके जन्म के देश या नागरिकता के आधार पर बाहर करने की अनुमति देता है।

डोनाल्ड ट्रंप का भारत के लिए महत्व: रणनीतिक सहयोग, व्यापारिक चुनौतियाँ और कूटनीतिक अवसर

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Donald Trump (President of USA)

डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में भारत-अमेरिका संबंधों में कुछ नए पहलू सामने आए, जो दोनों देशों के रणनीतिक और आर्थिक हितों के संदर्भ में महत्वपूर्ण थे। ट्रंप की विदेश नीति और उनकी नीतियों का भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा। इस लेख में हम यह देखेंगे कि ट्रंप का भारत के लिए क्या मतलब था, उनके कार्यकाल में दोनों देशों के रिश्ते कैसे विकसित हुए, और उनके निर्णयों के परिणामस्वरूप भारत को किन चुनौतियों और अवसरों का सामना करना पड़ा।

भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंध

1. चीन के खिलाफ साझा चिंता

  - ट्रंप के नेतृत्व में भारत और अमेरिका के बीच एक मजबूत साझेदारी ने चीन को दोनों देशों के लिए साझा चिंता का विषय बना दिया। भारत और अमेरिका की रणनीतिक सहयोगिता का मुख्य ड्राइवर चीन की बढ़ती ताकत और क्षेत्रीय प्रभाव था।

  - क्वाड का गठन इस साझेदारी का प्रमुख हिस्सा था, जो चीन के खिलाफ रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देता है।

  - ट्रंप ने चीन के खिलाफ एक मजबूत रुख अपनाया, जिससे भारत को इसके मुकाबले अपनी स्थिति को मजबूती से पेश करने का अवसर मिला।

2. सुरक्षा और रक्षा सहयोग

  - भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग में भी वृद्धि हुई, विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य तकनीकी सहयोग में। ट्रंप प्रशासन के दौरान, अमेरिकी हथियारों और रक्षा प्रणाली के साथ भारत के सहयोग को बढ़ावा मिला।

  - डोकलाम, बालाकोट और गलवान जैसे महत्वपूर्ण घटनाओं पर भारत और अमेरिका ने एक साथ काम किया, जो उनके सहयोग को और सुदृढ़ करता है।

3. पार्टी और वैचारिक संरेखण

  - नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच मजबूत व्यक्तिगत संबंध थे, और दोनों के बीच एक विचारधारात्मक समानता थी, जो उनके कार्यों और नीतियों में भी दिखाई दी।

  - ट्रंप ने मोदी के नेतृत्व में भारत को एक अहम साझेदार माना और दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग को बेहतर बनाने के लिए कई प्रयास किए।

चुनौतियाँ और अनिश्चितताएँ

1. अमेरिकी विदेश नीति में अनिश्चितता

  - ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिकी विदेश नीति में अस्थिरता और अनिश्चितता देखी गई। उनके अप्रत्याशित निर्णय और रणनीतियाँ, जैसे कि कई अंतरराष्ट्रीय समझौतों से बाहर निकलना, भारत के लिए कुछ मुद्दों पर चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते थे।

  - उदाहरण के तौर पर, इंडो-पैसिफिक नीति पर ट्रंप का दृष्टिकोण स्पष्ट नहीं था, और इसमें कभी-कभी विवाद भी उत्पन्न हुए।

2. व्यापारिक असंतुलन और टैरिफ़ नीति

  - ट्रंप के दृष्टिकोण में व्यापारिक असंतुलन को लेकर चिंता थी, और भारत से संबंधित व्यापार अधिशेष के कारण अमेरिका ने भारत पर उच्च टैरिफ लगाए जाने की संभावना जताई।

  - ट्रंप का यह मानना था कि भारत ने अमेरिकी उत्पादों के लिए अपने बाजार में उचित स्थान नहीं दिया और इसका फायदा उठाया। यह भारत के लिए एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि भारत को अपने निर्यात को संतुलित करने और अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों को बेहतर बनाने की आवश्यकता थी।

3. अमेरिका में निवेश और भारतीय कंपनियाँ

  - ट्रंप का मानना था कि भारतीय कंपनियाँ अमेरिका में निवेश किए बिना अमेरिकी निवेश को आकर्षित कर रही हैं। हालांकि, भारतीय कंपनियाँ अमेरिका में अरबों डॉलर का निवेश कर चुकी थीं, और इस निवेश के परिणामस्वरूप हजारों नौकरियाँ पैदा हुई थीं।

  - भारत को अपने निवेश और व्यापारिक रणनीति को सही तरीके से प्रस्तुत करने की आवश्यकता थी ताकि अमेरिका में भारतीय योगदान को सही रूप से पहचाना जा सके।

भारत के लिए लाभकारी रणनीतियाँ

1. भारत के लिए उपयुक्त कूटनीतिक संबंध

  - भारत के लिए यह महत्वपूर्ण था कि वह राजनीतिक और रणनीतिक संरेखण बनाए रखे, खासकर तब जब ट्रंप प्रशासन के लिए वैश्विक और क्षेत्रीय कूटनीति को सही दिशा देना चुनौतीपूर्ण हो सकता था।

  - ट्रंप के नेतृत्व में भारत को अपने कूटनीतिक संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए अपनी राजनीतिक समझ और कूटनीतिक योग्यता का इस्तेमाल करना पड़ा।

2. चीन के खिलाफ एकजुटता

  - चीन के बढ़ते प्रभाव और उसके खिलाफ साझा चिंता ने भारत और अमेरिका को एकजुट किया। यह साझा रणनीति दोनों देशों के लिए फायदेमंद रही, विशेषकर सुरक्षा, तकनीकी और आपूर्ति श्रृंखलाओं के क्षेत्रों में।

3. व्यापार और निवेश संबंधों का संतुलन

  - भारत को यह स्पष्ट करना था कि मेक इन इंडिया और मेड इन अमेरिका के बीच कोई टकराव नहीं है। अगर भारत ने सही तरीके से अपने व्यापारिक मुद्दों को हल किया, तो वह ट्रंप प्रशासन को एक राजनीतिक जीत दे सकता था और अमेरिका के साथ व्यापारिक संतुलन बना सकता था।

4. अमेरिका में निवेश का विस्तार

  - भारतीय कंपनियाँ अमेरिका में अरबों डॉलर का निवेश कर चुकी थीं, और यह स्थिति भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर थी। भारत को यह सुनिश्चित करना था कि उसके निवेश के प्रभाव को उचित तरीके से अमेरिका में समझा जाए और उसे पहचान मिले।

भारत-अमेरिका आर्थिक संबंध

1. व्यापारिक संघर्ष

  - भारत के लिए एक बड़ा मुद्दा व्यापारिक टैरिफ़ था, क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने भारतीय उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाने की संभावना जताई थी। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक चुनौती थी, क्योंकि इसे दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को प्रभावित करने से बचना था।

  

2. आवश्यक रणनीतिक सहयोग

  - भारत को अमेरिका के साथ अपनी व्यापार नीति को और मजबूत करने के लिए अपनी रणनीति को फिर से परिभाषित करना था। इस संदर्भ में, दोनों देशों के व्यापार संबंधों को सामान्य बनाने के लिए एक राजनीतिक इच्छाशक्ति और लचीलेपन की आवश्यकता थी।

3. अमेरिका में निवेश का मौका

  - भारतीय कंपनियाँ अमेरिका में निवेश करके लाभ कमा रही थीं, लेकिन यह भारत के लिए एक अनकहा पक्ष था। भारतीय निवेश को अमेरिकी कूटनीति में ज्यादा प्रमुखता से उठाना था ताकि इसके महत्व को समझा जा सके।

भारत-अमेरिका संबंधों का भविष्य

भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में चुनौती और अवसर दोनों थे। ट्रंप प्रशासन के दौरान, भारत ने अपनी कूटनीति, व्यापारिक रणनीतियों और सुरक्षा सहयोग को मजबूती से पेश किया। हालांकि, कुछ मुद्दों पर अनिश्चितता और संघर्ष रहा, लेकिन साझा रणनीतिक हित और व्यक्तिगत कूटनीतिक संबंधों ने दोनों देशों के बीच सहयोग को बनाए रखा। भारत को ट्रंप प्रशासन के अंतर्गत अपनी रणनीति को और मजबूती से आकार देना होगा, खासकर व्यापारिक और निवेश संबंधों में।  

पूनम देवी राज को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा

कमलेश मेहरोत्रा लहरपुर (सीतापुर)। स्थानीय

पूर्णोदय साहित्यिक संस्थान की राष्ट्रीय अध्यक्ष कवयित्री पूनम देवी राज को, काकद्वीप गंगासागर(पश्चिम बंगाल) में जिम्बाम्बे इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी,ग्लोबल इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी(USA) और धराधाम इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के कुलपति,

डॉ सौरभ पाण्डेय एवं निदेशक एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस डॉ० नारायण यादव एवं डॉ०एहसान अहमद उर्दू समिति अध्यक्ष(NCRT) के द्वारा 11 जनवरी को साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य एवं हिन्दी साहित्य के विकास के लिए पूनम देवी राज को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा।

पूनम देवी राज ने इस सफलता का श्रेय अपनी माता रूपा देवी पिता श्रीपाल,गुरुजन और अपने पति राज कलानवी को दिया।

ज्ञातव्य है कि डॉ०पूनम देवी राज लहरपुर के छोटे से गाँव गदापुर की रहने वाली हैं और कम्पोजिट विद्यालय मकनपुर में शिक्षामित्र पद पर कार्यरत हैं।