कर्नाटक में जाति जनगणना की रिपोर्ट लीक होते ही सियासत गरमाई, जानें पूरा मामला

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कर्नाटक में जाति जनगणना को लेकर बवाल मचा हुआ है। जनगणना के आंकड़े लीक होने के बाद कई समुदाय नाराज हैं। खासकर, ताकतवर माने जाने वाले समुदायों में गुस्सा है। इस जनगणना के संभावित आंकड़ों के लीक होने के बाद प्रदेश के दो प्रभावशाली समुदायों वोक्कालिगा और लिंगायतों में खलबली मची हुई है। इस वजह से कांग्रेस में भी फूट पड़ गई है। कई नेता इस जनगणना को 'अवैज्ञानिक' बता रहे हैं। वे सरकार से इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

कर्नाटक में जातिगत सर्वे की लीक रिपोर्ट में पिछड़ी जातियों (ओबीसी) का आरक्षण 32% से बढ़ाकर 51% करने और मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षण 4% से बढ़ाकर 8% करने की सिफारिश की गई है। लीक हुई जातिगत सर्वे रिपोर्ट के आंकड़ों अनुसार, मुसलमानों को राज्य की सबसे बड़ी आबादी वाला समूह बताया गया है। इसमें मुसलमानों की आबादी 75.2 लाख है। यानी, राज्य की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी लगभग 12.6% है। यह आंकड़ा 2015 में हुए सर्वे का है। इसके बाद अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) का नंबर आता है। इसमें SC के लिए 15% और ST के लिए 7.5% आरक्षण शामिल है। वोक्कालिगा और लिंगायत जैसी पारंपरिक रूप से प्रभावशाली मानी जाने वाली जातियां जनसंख्या के लिहाज से अब पीछे दिखाई गई हैं। कैटेगरी III(A) में वोक्कालिगा और दो अन्य समुदाय शामिल हैं, जिनकी आबादी 73 लाख बताई गई है और उन्हें 7% आरक्षण दिया गया है। वहीं, कैटेगरी III(B) में लिंगायत समुदाय और पांच दूसरे समुदायों को जगह दी गई है, जिनकी जनसंख्या 81.3 लाख है और उन्हें 8% आरक्षण दिया गया है। यह वही जातियां हैं, जिनके समर्थन पर दशकों से कर्नाटक की राजनीति का संतुलन टिका रहा है। ऐसे में इन आंकड़ों ने सत्ताधारी कांग्रेस के भीतर दरार की आशंकाएं बढ़ा दी हैं।

कांग्रेस में नया कलह

लिंगायत का नेतृत्व कर रहे उद्योग और वाणिज्य मंत्री एमबी पाटिल ने लीक हुए आंकड़ों पर सवाल उठाया है। उन्होंने दावा करते हुए कि उनकी जनसंख्या अभी भी बहुत अधिक है। पाटिल ने तर्क दिया कि लिंगायतों के कई उप-जातियों ने आरक्षण के लाभ के लिए अपनी मूल जाति का उल्लेख किया है, न कि जनगणना में लिंगायत धर्म का। हालांकि वे लिंगायत धर्म का पालन करते हैं। वोक्कालिगा भी इसी तरह के दावे करते हैं उन्होंने आकड़ों को अवैज्ञानिक बताते हुए खारिज कर दिया।

डीके शिवकुमार के लिए ये रिपोर्ट क्यों सिरदर्द?

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और राहुल गांधी जैसे नेता इस रिपोर्ट को सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम मान सकते हैं। लेकिन डिप्टी सीएम और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार, जो स्वयं वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं, उनके लिए यह रिपोर्ट एक सियासी सिरदर्द बन गई है। शिवकुमार जैसे नेताओं की राजनीतिक शक्ति काफी हद तक उनकी जातिगत जनसंख्या के आधार पर तय होती रही है। अगर अब यह आधार ही कमजोर पड़ता दिखे, तो उनका राजनीतिक कद भी खतरे में पड़ सकता है।

Bihar Land Survey: जमीन मालिकों के लिए खुशखबरी, सरकार ने बढ़ाया भूमि सर्वे के आवेदन का समय

भोजपुर जिले में रैयतों के द्वारा जमीन के सर्वे (Bihar Land Survey) में कम दिलचस्पी दिखाई जा रही है। इस वजह से भोजपुर में जमीन सर्वे का कार्य काफी धीमी गति से चल रहा है। जिले में अपडेट की गई पंजी 2 के अनुसार, लगभग 10 लाख से ज्यादा जमाबंदियों की संख्या है। इतनी बड़ी संख्या होने के बाद भी अब तक केवल 2,81,694 आवेदन ऑनलाइन और आफलाइन दोनों मिलकर जमा किए गए हैं।

मालूम हो जिले में इन दिनों एक बार फिर से जमीन सर्वे के लिए आवेदन जमा करने का समय बढ़ा दिया गया है। इस बार बिहार सरकार के द्वारा आवेदन जमा करने में बड़ा बदलाव किया गया है। पहले जहां शपथ पत्र और वंशावली जमा करने के दौरान आवेदन और संबंधित कागजात जमा किए जाते थे। अब उसमें बदलाव करते हुए केवल आवेदन भी रैयत जमा कर सकते हैं।

रैयतों को मिली सहूलियत

इसके बाद जब सर्वे का कार्य शुरू होगा तब वह अपने संबंधित आवेदन के पक्ष में कागजात जमा कर सकते हैं। इससे रैयतों को काफी सहूलियत मिली है। मालूम हो भोजपुर जिले में कुल खेसरा की संख्या 20,39,431 है। पंजी दो के अनुसार, जिले में 10,03,228 जमाबंदियों की संख्या है। इसमें से अब तक ऑनलाइन आवेदन 1,26,089 और ऑफलाइन आवेदन 1,55,605 जमा किए गए

इस प्रकार कुल मिलाकर 2,81,694 आवेदन अब तक जमा हो चुके हैं। दूसरी तरफ, रैयतों के द्वारा जमा किए गए आवेदनों को कंप्यूटर |परेटर के द्वारा उसे अपलोड करने का कार्य भी तेजी से चलने लगा है। जिले के कुल 1157 राजस्व ग्रामों में से 581 में रैयतों के द्वारा दिए गए आवेदनों को अपलोड कर दिया गया है।

जिला सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी पंकज कुमार ने आम रैयतों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द ऑनलाइन या ऑफलाइन बगैर जमीन कागजात के भी आवेदन जमा करें। यदि किसी रैयत के पास कागजात हैं तो वह भी आवेदन के साथ जमा कर सकते हैं, परंतु इसकी कोई बाध्यता नहीं है।

1157 राजस्व ग्रामों में से 581 में दिया गया आवेदन हुआ अपलोड

भोजपुर जिले में कुल राजस्व ग्रामों की संख्या 1157 है। जिसमें ग्राम सभा कर सबको जानकारी दिए जाने के साथ शपथ पत्र और वंशावली जमा की जा रही है। अब तक इन 1157 गांव में से 581 राजस्व ग्रामों में रैयतों के द्वारा दिए गए आवेदन को अपलोड किया जा चुका है।

सबसे ज्यादा पीरो और तरारी अंचल क्षेत्र के 55 और 54 राजस्व ग्रामों में कागजातों को अपलोड किया गया है, वही सबसे कम संदेश अंचल में केवल 29 राजस्व ग्रामों में कागजात अपलोड हुए हैं।

आज हुए लोकसभा चुनाव तो किसकी बनेगी सरकार, जानें किसको मिलेंगी कितनी सीटें?

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हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए हैं। दिल्ली में 27 साल के बाद बीजेपी ने सत्ता में वापसी की है। इस साल मई में हुए लोकसभा चुनाव में जीत का परचम लहराने के बाद बीजेपी अब तक 3 राज्यों में विधानसभा चुनाव जीत चुकी है। जिसमें हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली शामिल है। इस बीच इंडिया टुडे और सी-वीटर ने लोकसभा की 543 सीटों पर सर्वे किया है। सर्वे के चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। अगर आज लोकसभा चुनाव होते तो एनडीए एक बार फिर 300 पार कर जाएगा।

इंडिया टुडे-सी वोटर ने एक ओपिनियन पोल किया है। नाम दिया है मूड ऑफ द नेशन। इस सर्वे के जरिए उसने देश की जनता के मूड को जानने की कोशिश की है। इस सर्वे के मुताबिक, मोदी सरकार पर अब भी जनता को भरोसा है। सर्वे के नतीजे भाजपा के पक्ष में आए हैं।

सर्वे के मुताबिक आज लोकसभा चुनाव होते हैं तो बीजेपी को 281 सीटें मिल सकती हैं। यानी भगवा पार्टी अपने दम पर सरकार बना सकती है।वहीं कांग्रेस को 78 सीटें मिल सकती हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 99 सीटें मिली थीं, जो अब घटती दिख रही हैं। अन्य के खाते में 184 सीटें आ सकती हैं। वहीं, पूरे एनडीए की बात करें तो एनडीए 343 सीटें जीतकर शानदार प्रदर्शन कर सकती है। पोल बताता है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाला इंडिया गठबंधन अगर आज चुनाव होते हैं तो 188 सीटों पर सिमट जाएगा।2024 के लोकसभा चुनावों में इस गठबंधन ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 232 सीटें जीती थीं।

नरेंद्र मोदी को पीएम के तौर पर पहली पसंद

सर्वे में कुल 1 लाख 25 हजार 123 लोगों की राय ली गई है। सर्वे में लोगों से प्रधानमंत्री की पसंद को लेकर सवाल पूछा गया, तो 51.2 प्रतिशत लोग नरेंद्र मोदी को पीएम के तौर पर देखना चाहते हैं। वहीं 24.9 प्रतिशत लोग राहुल गांधी को पीएम के तौर पसंद करते हैं। ममता बनर्जी को 4.8 प्रतिशत, अमित शाह को 2.1 प्रतिशत और अरविंद केजरीवाल को 1.2 प्रतिशत लोग प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं।

बीजेपी को 41 प्रतिशत वोट

वहीं बात करें वोट शेयर की तो एनडीए को 46.9 प्रतिशत वोट मिल सकता है। जबकि इंडिया ब्लॉक को 40.6 प्रतिशत और अन्य को 12.5 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान जताया गया है। बीजेपी को व्यक्तिगत तौर पर 41 प्रतिशत वोट मिल सकता है जबकि कांग्रेस को 20 प्रतिशत का नुकसान हो सकता है। हालांकि, इंडिया गठबंधन के वोट शेयर में सिर्फ 1% की बढ़ोतरी का अनुमान है।

एग्जिट पोले में दिल्ली में खिल रहा कमल, अगर बीजेपी की बनी सरकार तो कौन होगा सीएम?

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दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर 5 फरवरी को मतदान हुआ। इसके बाद अब एग्जिट पोल सामने आए। एग्जिट पोल में दिल्ली में बड़ा बदलाव होता दिख रहा है। लगभग सभी एग्जिट पोल में बीजेपी को करीब 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी की संभावना जताई गई है। सभी चुनाव सर्वे भाजपा की जीत और आम आदमी पार्टी की हार का अनुमान लगा रहे हैं। एग्जिट पोल में जिस तरह से अनुमान लगाए गए हैं अगर 8 फरवरी को चुनाव नतीजों में तब्दील होते हैं तो फिर 27 साल बाद दिल्ली में बीजेपी की सरकार होगी। ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी दिल्ली में किसे मुख्यमंत्री बनाएगी?

बीजेपी ने अपने किसी भी नेता को दिल्ली में मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर चुनाव नहीं लड़ा था। पीएम मोदी के नाम और काम को लेकर बीजेपी दिल्ली चुनाव में उतरी थी। अब सभी चुनाव सर्वे भाजपा की जीत के अनुमान के बाद मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चा ने जोर पकड़ा है। पार्टी के भीतर कई नामों पर चर्चा हो रही है, फैसला चुनाव नतीजों के बाद होगा। फिलहाल रेस में जो पांच नाम सबसे आगे चल रहे हैं।

बीजेपी जीती तो कौन होगा सीएम?

प्रवेश वर्मा- बीजेपी के जीतने की सूरत में सबसे पहला नाम प्रवेश वर्मा का है। नई दिल्ली सीट पर उनका मुकाबला सीधे आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के संदीप दीक्षित से है। यह सीट हालिया चुनावों की सबसे चर्चित सीट रही है। वर्मा ने ‘केजरीवाल हटाओ, देश बचाओ’ अभियान चलाया और बेहद आक्रामक ढंग से प्रचार किया। उन्होंने प्रदूषण, महिला सुरक्षा और यमुना की गंदगी जैसे मसलों पर आप सरकार को जमकर घेरा।

दुष्यंत कुमार गौतम- बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम भी सीएम रेस में हैं। दिल्ली के करोल बाग विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे गौतम बीजेपी का दलित चेहरा माने जाते हैं और पार्टी के तमाम अहम पदों पर रह चुके हैं। अमित शाह और पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं.

दुष्यंत कुमार गौतम ने अपना सियासी सफर एबीवीपी से शुरू किया था। दलित मुद्दों पर मुखर रहते हैं और तीन बार अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष रहे हैं। राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं। दुष्यंत कुमार गौतम ने संगठनात्मक राजनीति में अपनी पहचान बनाई है। दिल्ली में दलित वोटों को जोड़े रखने के लिए बीजेपी उनके चेहरे को प्रोजेक्ट कर सकती है।

कपिल मिश्रा- कट्टर हिंदूवादी नेता की छवि रखने वाले कपिल दिल्ली बीजेपी के उपाध्यक्ष हैं। वह 2019 में बीजेपी से जुड़ने से पहले करावल नगर सीट से ही आप के विधायक थे। कपिल मिश्रा, राजधानी में पार्टी के सबसे प्रमुख पूर्वांचली चेहरों में से एक हैं। हालांकि, उन पर फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान नफरत भरे भाषण देने का आरोप लगाया गया था।

विजेंद्रर गुप्ता- दिल्ली के रोहिणी विधानसभा से बीजेपी प्रत्याशी और विधायक विजेंदर गुप्ता एक बार फिर से इस सीट से चुनावी मैदान में हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के सुमेश गुप्ता और आम आदमी पार्टी के प्रदीप मित्तल से है। विजेंदर गुप्ता ने अपनी सियासी पहचान एक मजबूत नेता और केजरीवाल की लहर में भी जीतने में सफल रहने वाले एकलौते नेता के रूप में बनाई हैं। केजरीवाल के 10 साल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा मुखर रहने वाले बीजेपी नेता हैं। दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी अदा कर चुके हैं। ऐसे में बीजेपी सत्ता में वापसी करती है तो विजेंद्रर गुप्ता सीएम पद के प्रबल दावेदार होंगे

रमेश बिधूड़ी- दिल्ली की सीएम आतिशी को कालकाजी सीट से चुनौती देने वाले नेता हैं बिधूड़ी। जैसे ही उनकी उम्मीदवारी का ऐलान हुआ, बिधूड़ी ने आतिशी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पहले आतिशी के पिता को लेकर टिप्पणी की। दोनों के बीच विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान लगातार तीखी नोक-झोंक चली है। बिधूड़ी अपने फायरब्रांड अंदाज के लिए जाने जाते हैं।

मनोज तिवारी- दिल्ली में अगर बीजेपी इस बार चुनाव जीत जाती है तो सांसद मनोज तिवारी भी सीएम के प्रबल दावेदार हो सकते हैं। मनोज तिवारी लगातार तीन बार से नॉर्थ दिल्ली सीट से सांसद हैं और बीजेपी के पूर्वांचल चेहरा माने जाते हैं। मनोज तिवारी तीन बार से लोकसभा चुनाव जीत रहे हैं। 2024 में बीजेपी ने दिल्ली के 7 में से 6 सांसदों का टिकट काट दिया था, लेकिन मनोज तिवारी एकलौते चेहरा थे, जिनको टिकट दिया था। मनोज तिवारी दिल्ली प्रदेश की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। उनके अध्यक्ष रहते हुए 2020 में चुनाव हुए थे, लेकिन बीजेपी सत्ता में नहीं आ सकी।

बता दें कि दिल्ली के सियासी इतिहास में बीजेपी ने 1993 में सरकार बनाई थी और पांच साल के कार्यकाल के दौरान तीन सीएम बनाए थे। 1993 में बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद ही मदनलाल खुराना को सीएम बनाया था और उसके बाद साहिब सिंह वर्मा को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी। 1998 चुनाव से पहले साहिब वर्मा की जगह सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बना दिया था। साल 1998के चुनाव हारने के बाद बीजेपी कभी भी सत्ता में वापसी नहीं कर सकी। अब 2025 में एग्जिट पोल के लिहाज से बीजेपी सरकार बनाती नजर आ रही है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण, 2026 में GDP में 6.3-6.8% वृद्धि का अनुमान

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बजट से एक दिन पहले शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 को पेश किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया। आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया तो लोकसभा अध्यक्ष ने लोकसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी। राज्यसभा में भी वित्त मंत्री ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। इसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही भी स्थगित कर दी गई।

सर्वेक्षण में FY26 के लिए भारत की GDP वृद्धि दर 6.3% से 6.8% के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है। जीएसटी संग्रह में 11 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है, जो 10.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। यह सर्वेक्षण नीतिगत सुधारों और आर्थिक स्थिरता की दिशा में सरकार के प्रयासों को रेखांकित करता है। सरकार का अनुमान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के 6.5% अनुमान के करीब है, लेकिन विश्व बैंक के 6.7% अनुमान से कम है।

सर्वे के मुताबिक, जीएसटी संग्रह में भी उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान है। 2024-25 के लिए जीएसटी संग्रह 11% बढ़कर 10.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि, पिछले तीन महीनों में राजस्व वृद्धि में मंदी देखी गई है, जिसके कारण वित्त वर्ष 26 के अनुमानों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सरकार ने नीतिगत ठहराव को दूर करने और आर्थिक सुधारों को गति देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

क्या है आर्थिक सर्वेक्षण

आर्थिक सर्वेक्षण सरकार द्वारा केंद्रीय बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के लिए प्रस्तुत किया जाने वाला एक वार्षिक दस्तावेज है। यह दस्तावेज अर्थव्यवस्था की अल्पकालिक से मध्यम अवधि की संभावनाओं का भी अवलोकन प्रदान करता है। आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार किया जाता है।

कल होगा बजट पेश

शनिवार को वित्त मंत्री सीतारमण मोदी 3.0 सरकार का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी, जिसमें आयकर स्लैब में बदलाव, बुनियादी ढांचा क्षेत्र को बड़ा बढ़ावा, ग्रामीण विकास और शिक्षा क्षेत्र के लिए बड़े आवंटन की उम्मीदें हैं। बजट दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए नीतिगत बढ़ावा दे सकता है, जिसकी शहरी मांग में कमी और कमजोर मुद्रा के कारण मुद्रास्फीति के जोखिम के बीच चार साल में सबसे धीमी वृद्धि दर दर्ज होने की उम्मीद है।

संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने नए मंदिर और कुओं का किया अन्वेषण, ऐतिहासिक महत्व की खोज

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ANI

उत्तर प्रदेश के संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की चार सदस्यीय टीम ने नए खोजे गए मंदिर, 5 तीर्थ और 19 कुओं का निरीक्षण किया, जिला मजिस्ट्रेट डॉ राजेंद्र पेंसिया ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया। डीएम पेंसिया ने कहा, "संभल में, एएसआई द्वारा 5 तीर्थ और 19 कुओं का निरीक्षण किया गया, जो नया मंदिर मिला था, उसका भी निरीक्षण किया गया। सर्वेक्षण 8-10 घंटे चला। कुल मिलाकर लगभग 24 क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया।" उन्होंने यह भी कहा कि एएसआई अपने निष्कर्षों के आधार पर उन्हें एक रिपोर्ट सौंपेगा। समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि संभल जिला प्रशासन ने मंदिर और कुएं की कार्बन डेटिंग के लिए एएसआई को पत्र लिखा था।

13 दिसंबर को, शाही जामा मस्जिद के पास अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान अधिकारियों द्वारा खोजे जाने के बाद, 'प्राचीन' श्री कार्तिक महादेव मंदिर (भस्म शंकर मंदिर) को प्रार्थना के लिए फिर से खोल दिया गया। कथित तौर पर 1978 में क्षेत्र में सांप्रदायिक दंगों के बाद से मंदिर बंद था, जिसके कारण हिंदू परिवारों को विस्थापित होना पड़ा था। मंदिर की यह खोज शाही जामा मस्जिद के न्यायालय द्वारा आदेशित सर्वेक्षण को लेकर क्षेत्र में पुलिस और निवासियों के बीच झड़पों के तुरंत बाद हुई। 

24 नवंबर को हुई हिंसा में पांच लोगों की जान चली गई और 20 पुलिस अधिकारी घायल हो गए। तब से, साइट के चारों ओर पुलिस बल तैनात किया गया है। नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने सिविल कोर्ट को आदेश दिया कि वे पूजा स्थल अधिनियम (1991) के अनुसार किसी भी पूजा स्थल के स्वामित्व या शीर्षक को चुनौती देने वाले नए मुकदमों को न लें या विवादित धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण का आदेश न दें।

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्टःकोई नया केस दर्ज नहीं होगा, ना निचली अदालतें दे सकेंगी आदेश, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

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सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट (1991) से जुड़े मामलों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि जब तक इस कानून को लेकर शीर्ष अदालत में मामला पेंडिंग है, तब तक कोई भी नया मुकदमा देश की किसी भी अदालत में दर्ज नहीं किया जाएगा। सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ यह सुनवाई कर रही थी। याचिका में उपासना स्थल अधिनियम, 1991 की धारा 2, 3 और 4 को रद्द करने की मांग की गई है।

दायर याचिका में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 को चुनौती दी गई है। सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का पक्ष जानना बेहद जरूरी है। अगली तारीख तक कोई केस दर्ज न हों, तब तक कोई नया मंदिर-मस्जिद विवाद दाखिल नहीं होगा। केंद्र सरकार जल्द इस मामले में हलफनामा दाखिल करें सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सिविल कोर्ट के आदेशों पर पर रोक लगा दी और कहा कि केंद्र सरकार 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करे। 8 हफ्ते के बाद मामले की सुनवाई होगी।

सीजेआई ने कहा कि आगे कोई केस दर्ज नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हमारे पास अयोध्या का फैसला भी मौजूद है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले में जल्द ही जवाब दाखिल किया जाएगा। सीजेआई ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का जवाब जरूरी है।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह जानकारी दी कि वर्तमान में धार्मिक स्थलों से संबंधित 18 मुकदमे देशभर में अदालतों में लंबित हैं। सीजेआई ने इस संदर्भ में कोर्ट का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इन मामलों पर कोई निर्णय नहीं देता, तब तक नया मुकदमा दायर नहीं होगा।

क्या है 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट

1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने राम मंदिर आंदोलन के चरम पर लागू किया था। इस कानून का उद्देश्य 15 अगस्त, 1947 को मौजूद धार्मिक स्थलों की स्थिति की रक्षा करना था। देश भर में मस्जिद और दरगाह सहित विभिन्न धार्मिक स्थलों पर सर्वेक्षण करने के लिए लगभग 18 मुकदमे दायर किए गए हैं, जिसके बारे में मुस्लिम पक्षों ने दावा किया है कि यह कानून के प्रावधानों की अवहेलना है।

जयराम रमेश ने बताया तेलंगाना में कैसे होगी जाति जनगणना

कांग्रेस हमेशा से जाति जनगणना का समर्थन करती आई है. इसी के चलते पार्टी ने शनिवार को कहा कि देश भर में जाति जनगणना कराना और अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की 50 प्रतिशत की मनमानी सीमा हटाना देश के लिए उसके विजन का केंद्र है.

कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर कहा, तेलंगाना में कांग्रेस पार्टी शनिवार को अपना जाति सर्वेक्षण (Caste Survey) शुरू करेगी. उन्होंने आगे कहा, अगले कुछ हफ्तों में तेलंगाना में 80 हजार गणनाकर्ता घर-घर जाएंगे और 33 जिलों के 1.17 करोड़ से अधिक घरों को कवर करेंगे.

यह एक क्रांतिकारी मौका है”

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, साल 1931 के बाद से यह पहला मौका है जब तेलंगाना में सरकार जाति-आधारित सर्वेक्षण करवा रही है. यह एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी मौका है, जो राज्य के लिए तेलंगाना आंदोलन की आकांक्षाओं की पूर्ति और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान के आदर्शों को भी स्थापित करने वाला है.

जयराम रमेश ने कहा, कांग्रेस भारत में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जैसा कि हमारे संविधान में लिखा है और जैसा कि भारत के निर्माताओं ने कल्पना की थी.

राहुल गांधी मीटिंग में हुए थे शामिल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी जाति सर्वे का समर्थन करते आए हैं. इसी के चलते राहुल गांधी तेलंगाना कांग्रेस की 5 नवंबर को जाति सर्वे पर आयोजित बैठक का हिस्सा बने थे. इस दौरान उन्होंने कहा था कि वह तेलंगाना में जाति सर्वे सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. इसी के बाद अब तेलेंगाना में जाति सर्वे शुरू होने जा रहा है.

तेलंगाना सरकार में मंत्री पोन्नम प्रभाकर ने अक्टूबर के महीने में राज्य में होने वाली जाति जनगणना की जानकारी देते हुए कहा था कि राज्य में विस्तृत जाति जनगणना 6 नवंबर से 30 नवंबर के बीच की जाएगी. हमने चुनाव में जो वादा किया था अब हम उसको पूरा कर रहे हैं.

पीएम मोदी से कांग्रेस ने पूछा सवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी शनिवार को महाराष्ट्र में रैली करने पहुंचे थे. इसी के चलते जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट करते हुए उनसे कुछ सवाल पूछे. कांग्रेस नेता ने जाति जनगणना को लेकर पूछा, जाति जनगणना और सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और OBC के लिए आरक्षण पर 50% की सीमा को आगे बढ़ाने के मुद्दे पर बीजेपी का क्या स्टैंड है?

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देश में सबसे कम बेरोज़गारी दर वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ ने पाया स्थान, उत्तर प्रदेश को पीछे छोड़ा

रायपुर-     छत्तीसगढ़ राज्य ने रोजगार सृजन के मामले में देश भर में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। हाल ही में जारी Periodic Labour Force Survey (PLFS) की रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ ने देश में सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में पांचवां स्थान प्राप्त किया है। राज्य में चल रहे रोजगार सृजन और विकास प्रयासों के कारण छत्तीसगढ़ अब उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों को भी पीछे छोड़ चुका है, जो बेरोजगारी दर के मामले में राज्य की बड़ी सफलता को दर्शाता है।

ग़ौरतलब है कि ⁠राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) द्वारा पीएलएफएस के लिए नमूना सर्वेक्षण और डेटा संग्रह का कार्य किया जाता है। जो कि भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

रोजगार सृजन में छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण प्रगति

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में, छत्तीसगढ़ सरकार ने बेरोजगारी को कम करने और युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। सरकार ने हाल ही में पुलिस, स्वास्थ्य, पीएचई (सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी) और पंचायत विभागों में 1,068 पदों पर भर्ती को मंजूरी दी है। इन भर्तियों से राज्य में युवाओं को सरकारी नौकरियों में अवसर मिलेंगे, जिससे राज्य की विभिन्न योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करने में भी मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री साय ने इस बात पर जोर दिया है कि यह पहल राज्य के विकास को गति देने के साथ-साथ युवाओं के सपनों को नई उड़ान देगी।

छत्तीसगढ़ सरकार ने खासतौर पर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित करने पर ध्यान केंद्रित किया है। सरकार ने स्वरोजगार और कौशल विकास को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, ताकि गांव के युवाओं को अपने ही इलाके में काम करने का अवसर मिल सके और उन्हें महानगरों की ओर पलायन न करना पड़े।

PLFS रिपोर्ट में अन्य राज्यों की स्थिति

Periodic Labour Force Survey (PLFS) की रिपोर्ट ने देश भर के विभिन्न राज्यों में बेरोजगारी के आंकड़ों का भी खुलासा किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, केरल में बेरोजगारी दर सबसे अधिक रही, जहां 15-29 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं में बेरोजगारी दर 29.9% दर्ज की गई। केरल में महिलाओं में बेरोजगारी दर 47.1% और पुरुषों में 19.3% रही। इसके अलावा, लक्षद्वीप में बेरोजगारी दर सबसे अधिक 36.2% दर्ज की गई, जिसके बाद अंडमान और निकोबार द्वीप समूहमें यह दर 33.6% रही।

इसके विपरीत, छत्तीसगढ़ ने देश में सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में पांचवां स्थान प्राप्त किया है, जो राज्य सरकार की रोजगार सृजन नीतियों की सफलता का प्रतीक है।

शिक्षा और कौशल विकास पर जोर

छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षा और कौशल विकास को रोजगार सृजन के महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में माना है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे युवाओं को तकनीकी और व्यावसायिक कौशल प्रदान करने के लिए विशेष प्रयास करें, जिससे वे नए उद्योगों में काम करने के लिए तैयार हो सकें। राज्य में कई कौशल विकास केंद्र खोले गए हैं, जहां युवाओं को आधुनिक तकनीकों और कौशलों की शिक्षा दी जा रही है, ताकि वे रोजगार के नए अवसरों का लाभ उठा सकें।

छत्तीसगढ़ का विकास और प्रधानमंत्री मोदी का विज़न

छत्तीसगढ़ राज्य, जो कि पहले से ही अपने प्राकृतिक संसाधनों और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, अब रोजगार सृजन और विकास के क्षेत्र में भी देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो रहा है। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के विजन को भी साकार कर रहे हैं। स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन के जरिए सरकार ने राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने जिस प्रकार देश के हर कोने में विकास और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है, छत्तीसगढ़ सरकार उसी दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस दिशा में प्रदेश के प्रत्येक गांव में रोजगार सृजन की योजनाओं का विस्तार करने का संकल्प लिया है, ताकि राज्य का हर युवा आत्मनिर्भर बन सके और राज्य का विकास तेज़ी से हो सके।

छत्तीसगढ़: मतदाता सूची में 29 अक्टूबर से जुड़ेंगे नए नाम, फोटोयुक्त निर्वाचक नामावलियों का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम जारी

रायपुर-   भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली द्वारा छत्तीसगढ़ प्रदेश के नागरिकों का मतदाता सूची में नाम पंजीयन, विलोपन, स्थानातंरण एवं प्रविष्टि में किसी भी प्रकार के आवश्यक संशोधन हेतु फोटोयुक्त निर्वाचक नामावलियों का वार्षिक विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम अर्हता तिथि 01 जनवरी 2025 जारी कर दिया गया है।

आयोग द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार दिनांक 29 अक्टूबर, 2024 (मंगलवार) को प्रदेश के सभी मतदान केन्द्रों में मतदाता सूची का प्रारंभिक प्रकाशन किया जावेगा और इसी के साथ दावा/आपत्ति प्राप्त करने की कार्यवाही प्रारंभ हो जावेगी। सभी नागरिक दिनांक 28 नवम्बर, 2024 (गुरुवार) तक दावा/आपत्ति प्रस्तुत कर सकते हैं। इस दौरान दिनांक 09 नवम्बर 2024 (शनिवार), 10 नवम्बर 2024 (रविवार) एवं 16 नवम्बर 2024 (शनिवार), 17 नवम्बर 2024 (रविवार) को समस्त मतदान केन्द्रों में विशेष शिविर का भी आयोजन किया जावेगा।

इस अवधि में प्राप्त सभी दावा-आपत्तियों का निराकरण पूर्ण कर दिनाँक 06 जनवरी, 2025 (सोमवार) को निर्वाचक नामावली का अन्तिम प्रकाशन किया जायेगा। आयोग के निर्देशानुसार प्रारंभिक प्रकाशन दिनांक 29 अक्टूबर, 2024 (मंगलवार) एवं अंतिम प्रकाशन दिनांक 06 जनवरी, 2025 (सोमवार) को सभी मतदान केन्द्रों की मतदाता सूची का प्रकाशन कार्यालय के वेबसाईट https://ceochhattisgarh.nic.in पर भी किया जावेगा ।

भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार राज्य अंतर्गत सभी बूथ लेवल अधिकारियों के द्वारा दिनांक 20 अगस्त, 2024 से 18 अक्टूबर, 2024 तक H2H Survey (घर-घर सत्यापन) की कार्यवाही पूर्ण की जावेगी तथा Shiffed/मृत मतदाताओं हेतु आवश्यकतानुसार फार्म-8/ फार्म-7 भरने की कार्यवाही पूर्ण की जावेगी ।

इसके अलावा DSE (Demographically Similar Entries) के माध्यम से डुप्लीकेट मतदाताओं के लिये फार्म-7 भरने की कार्यवाही भी घर-घर सर्वे के दौरान की जावेगी ।

ऐसे युवा नागरिक, जो दिनाँक 01 जनवरी 2025 की स्थिति में 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर रहे है, वे प्ररूप-6 में आवेदन प्रस्तुत कर अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वा सकते है। इस दौरान मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाताओं के नाम विलोपन हेतु प्ररूप-7 में आवेदन प्राप्त किया जावेगा तथा त्रुटिपूर्ण नामों के सुधार, अन्य आवश्यक संशोधन एवं किसी भी प्रकार के स्थानातंरण हेतु प्ररूप 8 में आवेदन प्राप्त किया जावेगा। भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली के निर्देशानुसार दिनांक 01 जनवरी के अतिरिक्त दिनांक 01 अप्रैल, 01 जुलाई एवं 01 अक्टूबर, 2025 की स्थिति में भी 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले युवा नागरिक निर्धारित प्ररूप 6 में अपना नाम मतदाता सूची में सम्मिलित कराने हेतु अग्रिम आवेदन कर सकेंगे ।

आवेदन करने हेतु आम नागरिक अपने मतदान केन्द्र में बूथ लेवल अधिकारी के माध्यम से निर्धारित फार्म प्राप्त कर सकते हैं। भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली द्वारा नागरिकों के लिये ‘वोटर हेल्पलाइन एप के माध्यम से भी ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा प्रदान की गई है। यह एप्लीकेशन एन्ड्रायड एवं iOS दोनों प्लेटफार्म्स पर डाउनलोड हेतु उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त मतदाता अपना नाम जोडने, संशोधन हेतु वेबसाइट ttps://voters-eci.gov.in के माध्यम से भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते है।

निर्वाचक नामावली में पंजीयन से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी अथवा शिकायत हेतु राज्य स्तर पर स्थापित कॉल सेन्टर 180023311950 से संपर्क स्थापित किया जा सकता है।

प्रदेश की मतदाता सूची को शुद्ध एवं त्रुटिरहित बनाये जाने हेतु मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, छत्तीसगढ़ द्वारा इस राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम में सभी नागरिकों से सहयोग एवं अधिक से अधिक ऑनलाईन आवेदन प्रस्तुत करने की अपील की गई है।

कर्नाटक में जाति जनगणना की रिपोर्ट लीक होते ही सियासत गरमाई, जानें पूरा मामला

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कर्नाटक में जाति जनगणना को लेकर बवाल मचा हुआ है। जनगणना के आंकड़े लीक होने के बाद कई समुदाय नाराज हैं। खासकर, ताकतवर माने जाने वाले समुदायों में गुस्सा है। इस जनगणना के संभावित आंकड़ों के लीक होने के बाद प्रदेश के दो प्रभावशाली समुदायों वोक्कालिगा और लिंगायतों में खलबली मची हुई है। इस वजह से कांग्रेस में भी फूट पड़ गई है। कई नेता इस जनगणना को 'अवैज्ञानिक' बता रहे हैं। वे सरकार से इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

कर्नाटक में जातिगत सर्वे की लीक रिपोर्ट में पिछड़ी जातियों (ओबीसी) का आरक्षण 32% से बढ़ाकर 51% करने और मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षण 4% से बढ़ाकर 8% करने की सिफारिश की गई है। लीक हुई जातिगत सर्वे रिपोर्ट के आंकड़ों अनुसार, मुसलमानों को राज्य की सबसे बड़ी आबादी वाला समूह बताया गया है। इसमें मुसलमानों की आबादी 75.2 लाख है। यानी, राज्य की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी लगभग 12.6% है। यह आंकड़ा 2015 में हुए सर्वे का है। इसके बाद अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) का नंबर आता है। इसमें SC के लिए 15% और ST के लिए 7.5% आरक्षण शामिल है। वोक्कालिगा और लिंगायत जैसी पारंपरिक रूप से प्रभावशाली मानी जाने वाली जातियां जनसंख्या के लिहाज से अब पीछे दिखाई गई हैं। कैटेगरी III(A) में वोक्कालिगा और दो अन्य समुदाय शामिल हैं, जिनकी आबादी 73 लाख बताई गई है और उन्हें 7% आरक्षण दिया गया है। वहीं, कैटेगरी III(B) में लिंगायत समुदाय और पांच दूसरे समुदायों को जगह दी गई है, जिनकी जनसंख्या 81.3 लाख है और उन्हें 8% आरक्षण दिया गया है। यह वही जातियां हैं, जिनके समर्थन पर दशकों से कर्नाटक की राजनीति का संतुलन टिका रहा है। ऐसे में इन आंकड़ों ने सत्ताधारी कांग्रेस के भीतर दरार की आशंकाएं बढ़ा दी हैं।

कांग्रेस में नया कलह

लिंगायत का नेतृत्व कर रहे उद्योग और वाणिज्य मंत्री एमबी पाटिल ने लीक हुए आंकड़ों पर सवाल उठाया है। उन्होंने दावा करते हुए कि उनकी जनसंख्या अभी भी बहुत अधिक है। पाटिल ने तर्क दिया कि लिंगायतों के कई उप-जातियों ने आरक्षण के लाभ के लिए अपनी मूल जाति का उल्लेख किया है, न कि जनगणना में लिंगायत धर्म का। हालांकि वे लिंगायत धर्म का पालन करते हैं। वोक्कालिगा भी इसी तरह के दावे करते हैं उन्होंने आकड़ों को अवैज्ञानिक बताते हुए खारिज कर दिया।

डीके शिवकुमार के लिए ये रिपोर्ट क्यों सिरदर्द?

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और राहुल गांधी जैसे नेता इस रिपोर्ट को सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम मान सकते हैं। लेकिन डिप्टी सीएम और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार, जो स्वयं वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं, उनके लिए यह रिपोर्ट एक सियासी सिरदर्द बन गई है। शिवकुमार जैसे नेताओं की राजनीतिक शक्ति काफी हद तक उनकी जातिगत जनसंख्या के आधार पर तय होती रही है। अगर अब यह आधार ही कमजोर पड़ता दिखे, तो उनका राजनीतिक कद भी खतरे में पड़ सकता है।

Bihar Land Survey: जमीन मालिकों के लिए खुशखबरी, सरकार ने बढ़ाया भूमि सर्वे के आवेदन का समय

भोजपुर जिले में रैयतों के द्वारा जमीन के सर्वे (Bihar Land Survey) में कम दिलचस्पी दिखाई जा रही है। इस वजह से भोजपुर में जमीन सर्वे का कार्य काफी धीमी गति से चल रहा है। जिले में अपडेट की गई पंजी 2 के अनुसार, लगभग 10 लाख से ज्यादा जमाबंदियों की संख्या है। इतनी बड़ी संख्या होने के बाद भी अब तक केवल 2,81,694 आवेदन ऑनलाइन और आफलाइन दोनों मिलकर जमा किए गए हैं।

मालूम हो जिले में इन दिनों एक बार फिर से जमीन सर्वे के लिए आवेदन जमा करने का समय बढ़ा दिया गया है। इस बार बिहार सरकार के द्वारा आवेदन जमा करने में बड़ा बदलाव किया गया है। पहले जहां शपथ पत्र और वंशावली जमा करने के दौरान आवेदन और संबंधित कागजात जमा किए जाते थे। अब उसमें बदलाव करते हुए केवल आवेदन भी रैयत जमा कर सकते हैं।

रैयतों को मिली सहूलियत

इसके बाद जब सर्वे का कार्य शुरू होगा तब वह अपने संबंधित आवेदन के पक्ष में कागजात जमा कर सकते हैं। इससे रैयतों को काफी सहूलियत मिली है। मालूम हो भोजपुर जिले में कुल खेसरा की संख्या 20,39,431 है। पंजी दो के अनुसार, जिले में 10,03,228 जमाबंदियों की संख्या है। इसमें से अब तक ऑनलाइन आवेदन 1,26,089 और ऑफलाइन आवेदन 1,55,605 जमा किए गए

इस प्रकार कुल मिलाकर 2,81,694 आवेदन अब तक जमा हो चुके हैं। दूसरी तरफ, रैयतों के द्वारा जमा किए गए आवेदनों को कंप्यूटर |परेटर के द्वारा उसे अपलोड करने का कार्य भी तेजी से चलने लगा है। जिले के कुल 1157 राजस्व ग्रामों में से 581 में रैयतों के द्वारा दिए गए आवेदनों को अपलोड कर दिया गया है।

जिला सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी पंकज कुमार ने आम रैयतों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द ऑनलाइन या ऑफलाइन बगैर जमीन कागजात के भी आवेदन जमा करें। यदि किसी रैयत के पास कागजात हैं तो वह भी आवेदन के साथ जमा कर सकते हैं, परंतु इसकी कोई बाध्यता नहीं है।

1157 राजस्व ग्रामों में से 581 में दिया गया आवेदन हुआ अपलोड

भोजपुर जिले में कुल राजस्व ग्रामों की संख्या 1157 है। जिसमें ग्राम सभा कर सबको जानकारी दिए जाने के साथ शपथ पत्र और वंशावली जमा की जा रही है। अब तक इन 1157 गांव में से 581 राजस्व ग्रामों में रैयतों के द्वारा दिए गए आवेदन को अपलोड किया जा चुका है।

सबसे ज्यादा पीरो और तरारी अंचल क्षेत्र के 55 और 54 राजस्व ग्रामों में कागजातों को अपलोड किया गया है, वही सबसे कम संदेश अंचल में केवल 29 राजस्व ग्रामों में कागजात अपलोड हुए हैं।

आज हुए लोकसभा चुनाव तो किसकी बनेगी सरकार, जानें किसको मिलेंगी कितनी सीटें?

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हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए हैं। दिल्ली में 27 साल के बाद बीजेपी ने सत्ता में वापसी की है। इस साल मई में हुए लोकसभा चुनाव में जीत का परचम लहराने के बाद बीजेपी अब तक 3 राज्यों में विधानसभा चुनाव जीत चुकी है। जिसमें हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली शामिल है। इस बीच इंडिया टुडे और सी-वीटर ने लोकसभा की 543 सीटों पर सर्वे किया है। सर्वे के चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। अगर आज लोकसभा चुनाव होते तो एनडीए एक बार फिर 300 पार कर जाएगा।

इंडिया टुडे-सी वोटर ने एक ओपिनियन पोल किया है। नाम दिया है मूड ऑफ द नेशन। इस सर्वे के जरिए उसने देश की जनता के मूड को जानने की कोशिश की है। इस सर्वे के मुताबिक, मोदी सरकार पर अब भी जनता को भरोसा है। सर्वे के नतीजे भाजपा के पक्ष में आए हैं।

सर्वे के मुताबिक आज लोकसभा चुनाव होते हैं तो बीजेपी को 281 सीटें मिल सकती हैं। यानी भगवा पार्टी अपने दम पर सरकार बना सकती है।वहीं कांग्रेस को 78 सीटें मिल सकती हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 99 सीटें मिली थीं, जो अब घटती दिख रही हैं। अन्य के खाते में 184 सीटें आ सकती हैं। वहीं, पूरे एनडीए की बात करें तो एनडीए 343 सीटें जीतकर शानदार प्रदर्शन कर सकती है। पोल बताता है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाला इंडिया गठबंधन अगर आज चुनाव होते हैं तो 188 सीटों पर सिमट जाएगा।2024 के लोकसभा चुनावों में इस गठबंधन ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 232 सीटें जीती थीं।

नरेंद्र मोदी को पीएम के तौर पर पहली पसंद

सर्वे में कुल 1 लाख 25 हजार 123 लोगों की राय ली गई है। सर्वे में लोगों से प्रधानमंत्री की पसंद को लेकर सवाल पूछा गया, तो 51.2 प्रतिशत लोग नरेंद्र मोदी को पीएम के तौर पर देखना चाहते हैं। वहीं 24.9 प्रतिशत लोग राहुल गांधी को पीएम के तौर पसंद करते हैं। ममता बनर्जी को 4.8 प्रतिशत, अमित शाह को 2.1 प्रतिशत और अरविंद केजरीवाल को 1.2 प्रतिशत लोग प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं।

बीजेपी को 41 प्रतिशत वोट

वहीं बात करें वोट शेयर की तो एनडीए को 46.9 प्रतिशत वोट मिल सकता है। जबकि इंडिया ब्लॉक को 40.6 प्रतिशत और अन्य को 12.5 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान जताया गया है। बीजेपी को व्यक्तिगत तौर पर 41 प्रतिशत वोट मिल सकता है जबकि कांग्रेस को 20 प्रतिशत का नुकसान हो सकता है। हालांकि, इंडिया गठबंधन के वोट शेयर में सिर्फ 1% की बढ़ोतरी का अनुमान है।

एग्जिट पोले में दिल्ली में खिल रहा कमल, अगर बीजेपी की बनी सरकार तो कौन होगा सीएम?

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दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर 5 फरवरी को मतदान हुआ। इसके बाद अब एग्जिट पोल सामने आए। एग्जिट पोल में दिल्ली में बड़ा बदलाव होता दिख रहा है। लगभग सभी एग्जिट पोल में बीजेपी को करीब 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी की संभावना जताई गई है। सभी चुनाव सर्वे भाजपा की जीत और आम आदमी पार्टी की हार का अनुमान लगा रहे हैं। एग्जिट पोल में जिस तरह से अनुमान लगाए गए हैं अगर 8 फरवरी को चुनाव नतीजों में तब्दील होते हैं तो फिर 27 साल बाद दिल्ली में बीजेपी की सरकार होगी। ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी दिल्ली में किसे मुख्यमंत्री बनाएगी?

बीजेपी ने अपने किसी भी नेता को दिल्ली में मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर चुनाव नहीं लड़ा था। पीएम मोदी के नाम और काम को लेकर बीजेपी दिल्ली चुनाव में उतरी थी। अब सभी चुनाव सर्वे भाजपा की जीत के अनुमान के बाद मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चा ने जोर पकड़ा है। पार्टी के भीतर कई नामों पर चर्चा हो रही है, फैसला चुनाव नतीजों के बाद होगा। फिलहाल रेस में जो पांच नाम सबसे आगे चल रहे हैं।

बीजेपी जीती तो कौन होगा सीएम?

प्रवेश वर्मा- बीजेपी के जीतने की सूरत में सबसे पहला नाम प्रवेश वर्मा का है। नई दिल्ली सीट पर उनका मुकाबला सीधे आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के संदीप दीक्षित से है। यह सीट हालिया चुनावों की सबसे चर्चित सीट रही है। वर्मा ने ‘केजरीवाल हटाओ, देश बचाओ’ अभियान चलाया और बेहद आक्रामक ढंग से प्रचार किया। उन्होंने प्रदूषण, महिला सुरक्षा और यमुना की गंदगी जैसे मसलों पर आप सरकार को जमकर घेरा।

दुष्यंत कुमार गौतम- बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम भी सीएम रेस में हैं। दिल्ली के करोल बाग विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे गौतम बीजेपी का दलित चेहरा माने जाते हैं और पार्टी के तमाम अहम पदों पर रह चुके हैं। अमित शाह और पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं.

दुष्यंत कुमार गौतम ने अपना सियासी सफर एबीवीपी से शुरू किया था। दलित मुद्दों पर मुखर रहते हैं और तीन बार अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष रहे हैं। राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं। दुष्यंत कुमार गौतम ने संगठनात्मक राजनीति में अपनी पहचान बनाई है। दिल्ली में दलित वोटों को जोड़े रखने के लिए बीजेपी उनके चेहरे को प्रोजेक्ट कर सकती है।

कपिल मिश्रा- कट्टर हिंदूवादी नेता की छवि रखने वाले कपिल दिल्ली बीजेपी के उपाध्यक्ष हैं। वह 2019 में बीजेपी से जुड़ने से पहले करावल नगर सीट से ही आप के विधायक थे। कपिल मिश्रा, राजधानी में पार्टी के सबसे प्रमुख पूर्वांचली चेहरों में से एक हैं। हालांकि, उन पर फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान नफरत भरे भाषण देने का आरोप लगाया गया था।

विजेंद्रर गुप्ता- दिल्ली के रोहिणी विधानसभा से बीजेपी प्रत्याशी और विधायक विजेंदर गुप्ता एक बार फिर से इस सीट से चुनावी मैदान में हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के सुमेश गुप्ता और आम आदमी पार्टी के प्रदीप मित्तल से है। विजेंदर गुप्ता ने अपनी सियासी पहचान एक मजबूत नेता और केजरीवाल की लहर में भी जीतने में सफल रहने वाले एकलौते नेता के रूप में बनाई हैं। केजरीवाल के 10 साल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा मुखर रहने वाले बीजेपी नेता हैं। दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी अदा कर चुके हैं। ऐसे में बीजेपी सत्ता में वापसी करती है तो विजेंद्रर गुप्ता सीएम पद के प्रबल दावेदार होंगे

रमेश बिधूड़ी- दिल्ली की सीएम आतिशी को कालकाजी सीट से चुनौती देने वाले नेता हैं बिधूड़ी। जैसे ही उनकी उम्मीदवारी का ऐलान हुआ, बिधूड़ी ने आतिशी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पहले आतिशी के पिता को लेकर टिप्पणी की। दोनों के बीच विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान लगातार तीखी नोक-झोंक चली है। बिधूड़ी अपने फायरब्रांड अंदाज के लिए जाने जाते हैं।

मनोज तिवारी- दिल्ली में अगर बीजेपी इस बार चुनाव जीत जाती है तो सांसद मनोज तिवारी भी सीएम के प्रबल दावेदार हो सकते हैं। मनोज तिवारी लगातार तीन बार से नॉर्थ दिल्ली सीट से सांसद हैं और बीजेपी के पूर्वांचल चेहरा माने जाते हैं। मनोज तिवारी तीन बार से लोकसभा चुनाव जीत रहे हैं। 2024 में बीजेपी ने दिल्ली के 7 में से 6 सांसदों का टिकट काट दिया था, लेकिन मनोज तिवारी एकलौते चेहरा थे, जिनको टिकट दिया था। मनोज तिवारी दिल्ली प्रदेश की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। उनके अध्यक्ष रहते हुए 2020 में चुनाव हुए थे, लेकिन बीजेपी सत्ता में नहीं आ सकी।

बता दें कि दिल्ली के सियासी इतिहास में बीजेपी ने 1993 में सरकार बनाई थी और पांच साल के कार्यकाल के दौरान तीन सीएम बनाए थे। 1993 में बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद ही मदनलाल खुराना को सीएम बनाया था और उसके बाद साहिब सिंह वर्मा को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी। 1998 चुनाव से पहले साहिब वर्मा की जगह सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बना दिया था। साल 1998के चुनाव हारने के बाद बीजेपी कभी भी सत्ता में वापसी नहीं कर सकी। अब 2025 में एग्जिट पोल के लिहाज से बीजेपी सरकार बनाती नजर आ रही है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण, 2026 में GDP में 6.3-6.8% वृद्धि का अनुमान

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बजट से एक दिन पहले शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 को पेश किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया। आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया तो लोकसभा अध्यक्ष ने लोकसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी। राज्यसभा में भी वित्त मंत्री ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। इसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही भी स्थगित कर दी गई।

सर्वेक्षण में FY26 के लिए भारत की GDP वृद्धि दर 6.3% से 6.8% के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है। जीएसटी संग्रह में 11 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है, जो 10.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। यह सर्वेक्षण नीतिगत सुधारों और आर्थिक स्थिरता की दिशा में सरकार के प्रयासों को रेखांकित करता है। सरकार का अनुमान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के 6.5% अनुमान के करीब है, लेकिन विश्व बैंक के 6.7% अनुमान से कम है।

सर्वे के मुताबिक, जीएसटी संग्रह में भी उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान है। 2024-25 के लिए जीएसटी संग्रह 11% बढ़कर 10.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि, पिछले तीन महीनों में राजस्व वृद्धि में मंदी देखी गई है, जिसके कारण वित्त वर्ष 26 के अनुमानों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सरकार ने नीतिगत ठहराव को दूर करने और आर्थिक सुधारों को गति देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

क्या है आर्थिक सर्वेक्षण

आर्थिक सर्वेक्षण सरकार द्वारा केंद्रीय बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के लिए प्रस्तुत किया जाने वाला एक वार्षिक दस्तावेज है। यह दस्तावेज अर्थव्यवस्था की अल्पकालिक से मध्यम अवधि की संभावनाओं का भी अवलोकन प्रदान करता है। आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार किया जाता है।

कल होगा बजट पेश

शनिवार को वित्त मंत्री सीतारमण मोदी 3.0 सरकार का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी, जिसमें आयकर स्लैब में बदलाव, बुनियादी ढांचा क्षेत्र को बड़ा बढ़ावा, ग्रामीण विकास और शिक्षा क्षेत्र के लिए बड़े आवंटन की उम्मीदें हैं। बजट दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए नीतिगत बढ़ावा दे सकता है, जिसकी शहरी मांग में कमी और कमजोर मुद्रा के कारण मुद्रास्फीति के जोखिम के बीच चार साल में सबसे धीमी वृद्धि दर दर्ज होने की उम्मीद है।

संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने नए मंदिर और कुओं का किया अन्वेषण, ऐतिहासिक महत्व की खोज

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ANI

उत्तर प्रदेश के संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की चार सदस्यीय टीम ने नए खोजे गए मंदिर, 5 तीर्थ और 19 कुओं का निरीक्षण किया, जिला मजिस्ट्रेट डॉ राजेंद्र पेंसिया ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया। डीएम पेंसिया ने कहा, "संभल में, एएसआई द्वारा 5 तीर्थ और 19 कुओं का निरीक्षण किया गया, जो नया मंदिर मिला था, उसका भी निरीक्षण किया गया। सर्वेक्षण 8-10 घंटे चला। कुल मिलाकर लगभग 24 क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया।" उन्होंने यह भी कहा कि एएसआई अपने निष्कर्षों के आधार पर उन्हें एक रिपोर्ट सौंपेगा। समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि संभल जिला प्रशासन ने मंदिर और कुएं की कार्बन डेटिंग के लिए एएसआई को पत्र लिखा था।

13 दिसंबर को, शाही जामा मस्जिद के पास अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान अधिकारियों द्वारा खोजे जाने के बाद, 'प्राचीन' श्री कार्तिक महादेव मंदिर (भस्म शंकर मंदिर) को प्रार्थना के लिए फिर से खोल दिया गया। कथित तौर पर 1978 में क्षेत्र में सांप्रदायिक दंगों के बाद से मंदिर बंद था, जिसके कारण हिंदू परिवारों को विस्थापित होना पड़ा था। मंदिर की यह खोज शाही जामा मस्जिद के न्यायालय द्वारा आदेशित सर्वेक्षण को लेकर क्षेत्र में पुलिस और निवासियों के बीच झड़पों के तुरंत बाद हुई। 

24 नवंबर को हुई हिंसा में पांच लोगों की जान चली गई और 20 पुलिस अधिकारी घायल हो गए। तब से, साइट के चारों ओर पुलिस बल तैनात किया गया है। नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने सिविल कोर्ट को आदेश दिया कि वे पूजा स्थल अधिनियम (1991) के अनुसार किसी भी पूजा स्थल के स्वामित्व या शीर्षक को चुनौती देने वाले नए मुकदमों को न लें या विवादित धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण का आदेश न दें।

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्टःकोई नया केस दर्ज नहीं होगा, ना निचली अदालतें दे सकेंगी आदेश, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

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सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट (1991) से जुड़े मामलों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि जब तक इस कानून को लेकर शीर्ष अदालत में मामला पेंडिंग है, तब तक कोई भी नया मुकदमा देश की किसी भी अदालत में दर्ज नहीं किया जाएगा। सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ यह सुनवाई कर रही थी। याचिका में उपासना स्थल अधिनियम, 1991 की धारा 2, 3 और 4 को रद्द करने की मांग की गई है।

दायर याचिका में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 को चुनौती दी गई है। सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का पक्ष जानना बेहद जरूरी है। अगली तारीख तक कोई केस दर्ज न हों, तब तक कोई नया मंदिर-मस्जिद विवाद दाखिल नहीं होगा। केंद्र सरकार जल्द इस मामले में हलफनामा दाखिल करें सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सिविल कोर्ट के आदेशों पर पर रोक लगा दी और कहा कि केंद्र सरकार 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करे। 8 हफ्ते के बाद मामले की सुनवाई होगी।

सीजेआई ने कहा कि आगे कोई केस दर्ज नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हमारे पास अयोध्या का फैसला भी मौजूद है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले में जल्द ही जवाब दाखिल किया जाएगा। सीजेआई ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का जवाब जरूरी है।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह जानकारी दी कि वर्तमान में धार्मिक स्थलों से संबंधित 18 मुकदमे देशभर में अदालतों में लंबित हैं। सीजेआई ने इस संदर्भ में कोर्ट का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इन मामलों पर कोई निर्णय नहीं देता, तब तक नया मुकदमा दायर नहीं होगा।

क्या है 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट

1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने राम मंदिर आंदोलन के चरम पर लागू किया था। इस कानून का उद्देश्य 15 अगस्त, 1947 को मौजूद धार्मिक स्थलों की स्थिति की रक्षा करना था। देश भर में मस्जिद और दरगाह सहित विभिन्न धार्मिक स्थलों पर सर्वेक्षण करने के लिए लगभग 18 मुकदमे दायर किए गए हैं, जिसके बारे में मुस्लिम पक्षों ने दावा किया है कि यह कानून के प्रावधानों की अवहेलना है।

जयराम रमेश ने बताया तेलंगाना में कैसे होगी जाति जनगणना

कांग्रेस हमेशा से जाति जनगणना का समर्थन करती आई है. इसी के चलते पार्टी ने शनिवार को कहा कि देश भर में जाति जनगणना कराना और अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की 50 प्रतिशत की मनमानी सीमा हटाना देश के लिए उसके विजन का केंद्र है.

कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर कहा, तेलंगाना में कांग्रेस पार्टी शनिवार को अपना जाति सर्वेक्षण (Caste Survey) शुरू करेगी. उन्होंने आगे कहा, अगले कुछ हफ्तों में तेलंगाना में 80 हजार गणनाकर्ता घर-घर जाएंगे और 33 जिलों के 1.17 करोड़ से अधिक घरों को कवर करेंगे.

यह एक क्रांतिकारी मौका है”

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, साल 1931 के बाद से यह पहला मौका है जब तेलंगाना में सरकार जाति-आधारित सर्वेक्षण करवा रही है. यह एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी मौका है, जो राज्य के लिए तेलंगाना आंदोलन की आकांक्षाओं की पूर्ति और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान के आदर्शों को भी स्थापित करने वाला है.

जयराम रमेश ने कहा, कांग्रेस भारत में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जैसा कि हमारे संविधान में लिखा है और जैसा कि भारत के निर्माताओं ने कल्पना की थी.

राहुल गांधी मीटिंग में हुए थे शामिल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी जाति सर्वे का समर्थन करते आए हैं. इसी के चलते राहुल गांधी तेलंगाना कांग्रेस की 5 नवंबर को जाति सर्वे पर आयोजित बैठक का हिस्सा बने थे. इस दौरान उन्होंने कहा था कि वह तेलंगाना में जाति सर्वे सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. इसी के बाद अब तेलेंगाना में जाति सर्वे शुरू होने जा रहा है.

तेलंगाना सरकार में मंत्री पोन्नम प्रभाकर ने अक्टूबर के महीने में राज्य में होने वाली जाति जनगणना की जानकारी देते हुए कहा था कि राज्य में विस्तृत जाति जनगणना 6 नवंबर से 30 नवंबर के बीच की जाएगी. हमने चुनाव में जो वादा किया था अब हम उसको पूरा कर रहे हैं.

पीएम मोदी से कांग्रेस ने पूछा सवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी शनिवार को महाराष्ट्र में रैली करने पहुंचे थे. इसी के चलते जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट करते हुए उनसे कुछ सवाल पूछे. कांग्रेस नेता ने जाति जनगणना को लेकर पूछा, जाति जनगणना और सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और OBC के लिए आरक्षण पर 50% की सीमा को आगे बढ़ाने के मुद्दे पर बीजेपी का क्या स्टैंड है?

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देश में सबसे कम बेरोज़गारी दर वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ ने पाया स्थान, उत्तर प्रदेश को पीछे छोड़ा

रायपुर-     छत्तीसगढ़ राज्य ने रोजगार सृजन के मामले में देश भर में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। हाल ही में जारी Periodic Labour Force Survey (PLFS) की रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ ने देश में सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में पांचवां स्थान प्राप्त किया है। राज्य में चल रहे रोजगार सृजन और विकास प्रयासों के कारण छत्तीसगढ़ अब उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों को भी पीछे छोड़ चुका है, जो बेरोजगारी दर के मामले में राज्य की बड़ी सफलता को दर्शाता है।

ग़ौरतलब है कि ⁠राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) द्वारा पीएलएफएस के लिए नमूना सर्वेक्षण और डेटा संग्रह का कार्य किया जाता है। जो कि भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

रोजगार सृजन में छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण प्रगति

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में, छत्तीसगढ़ सरकार ने बेरोजगारी को कम करने और युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। सरकार ने हाल ही में पुलिस, स्वास्थ्य, पीएचई (सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी) और पंचायत विभागों में 1,068 पदों पर भर्ती को मंजूरी दी है। इन भर्तियों से राज्य में युवाओं को सरकारी नौकरियों में अवसर मिलेंगे, जिससे राज्य की विभिन्न योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करने में भी मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री साय ने इस बात पर जोर दिया है कि यह पहल राज्य के विकास को गति देने के साथ-साथ युवाओं के सपनों को नई उड़ान देगी।

छत्तीसगढ़ सरकार ने खासतौर पर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित करने पर ध्यान केंद्रित किया है। सरकार ने स्वरोजगार और कौशल विकास को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, ताकि गांव के युवाओं को अपने ही इलाके में काम करने का अवसर मिल सके और उन्हें महानगरों की ओर पलायन न करना पड़े।

PLFS रिपोर्ट में अन्य राज्यों की स्थिति

Periodic Labour Force Survey (PLFS) की रिपोर्ट ने देश भर के विभिन्न राज्यों में बेरोजगारी के आंकड़ों का भी खुलासा किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, केरल में बेरोजगारी दर सबसे अधिक रही, जहां 15-29 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं में बेरोजगारी दर 29.9% दर्ज की गई। केरल में महिलाओं में बेरोजगारी दर 47.1% और पुरुषों में 19.3% रही। इसके अलावा, लक्षद्वीप में बेरोजगारी दर सबसे अधिक 36.2% दर्ज की गई, जिसके बाद अंडमान और निकोबार द्वीप समूहमें यह दर 33.6% रही।

इसके विपरीत, छत्तीसगढ़ ने देश में सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में पांचवां स्थान प्राप्त किया है, जो राज्य सरकार की रोजगार सृजन नीतियों की सफलता का प्रतीक है।

शिक्षा और कौशल विकास पर जोर

छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षा और कौशल विकास को रोजगार सृजन के महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में माना है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे युवाओं को तकनीकी और व्यावसायिक कौशल प्रदान करने के लिए विशेष प्रयास करें, जिससे वे नए उद्योगों में काम करने के लिए तैयार हो सकें। राज्य में कई कौशल विकास केंद्र खोले गए हैं, जहां युवाओं को आधुनिक तकनीकों और कौशलों की शिक्षा दी जा रही है, ताकि वे रोजगार के नए अवसरों का लाभ उठा सकें।

छत्तीसगढ़ का विकास और प्रधानमंत्री मोदी का विज़न

छत्तीसगढ़ राज्य, जो कि पहले से ही अपने प्राकृतिक संसाधनों और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, अब रोजगार सृजन और विकास के क्षेत्र में भी देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो रहा है। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के विजन को भी साकार कर रहे हैं। स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन के जरिए सरकार ने राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने जिस प्रकार देश के हर कोने में विकास और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है, छत्तीसगढ़ सरकार उसी दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस दिशा में प्रदेश के प्रत्येक गांव में रोजगार सृजन की योजनाओं का विस्तार करने का संकल्प लिया है, ताकि राज्य का हर युवा आत्मनिर्भर बन सके और राज्य का विकास तेज़ी से हो सके।

छत्तीसगढ़: मतदाता सूची में 29 अक्टूबर से जुड़ेंगे नए नाम, फोटोयुक्त निर्वाचक नामावलियों का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम जारी

रायपुर-   भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली द्वारा छत्तीसगढ़ प्रदेश के नागरिकों का मतदाता सूची में नाम पंजीयन, विलोपन, स्थानातंरण एवं प्रविष्टि में किसी भी प्रकार के आवश्यक संशोधन हेतु फोटोयुक्त निर्वाचक नामावलियों का वार्षिक विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम अर्हता तिथि 01 जनवरी 2025 जारी कर दिया गया है।

आयोग द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार दिनांक 29 अक्टूबर, 2024 (मंगलवार) को प्रदेश के सभी मतदान केन्द्रों में मतदाता सूची का प्रारंभिक प्रकाशन किया जावेगा और इसी के साथ दावा/आपत्ति प्राप्त करने की कार्यवाही प्रारंभ हो जावेगी। सभी नागरिक दिनांक 28 नवम्बर, 2024 (गुरुवार) तक दावा/आपत्ति प्रस्तुत कर सकते हैं। इस दौरान दिनांक 09 नवम्बर 2024 (शनिवार), 10 नवम्बर 2024 (रविवार) एवं 16 नवम्बर 2024 (शनिवार), 17 नवम्बर 2024 (रविवार) को समस्त मतदान केन्द्रों में विशेष शिविर का भी आयोजन किया जावेगा।

इस अवधि में प्राप्त सभी दावा-आपत्तियों का निराकरण पूर्ण कर दिनाँक 06 जनवरी, 2025 (सोमवार) को निर्वाचक नामावली का अन्तिम प्रकाशन किया जायेगा। आयोग के निर्देशानुसार प्रारंभिक प्रकाशन दिनांक 29 अक्टूबर, 2024 (मंगलवार) एवं अंतिम प्रकाशन दिनांक 06 जनवरी, 2025 (सोमवार) को सभी मतदान केन्द्रों की मतदाता सूची का प्रकाशन कार्यालय के वेबसाईट https://ceochhattisgarh.nic.in पर भी किया जावेगा ।

भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार राज्य अंतर्गत सभी बूथ लेवल अधिकारियों के द्वारा दिनांक 20 अगस्त, 2024 से 18 अक्टूबर, 2024 तक H2H Survey (घर-घर सत्यापन) की कार्यवाही पूर्ण की जावेगी तथा Shiffed/मृत मतदाताओं हेतु आवश्यकतानुसार फार्म-8/ फार्म-7 भरने की कार्यवाही पूर्ण की जावेगी ।

इसके अलावा DSE (Demographically Similar Entries) के माध्यम से डुप्लीकेट मतदाताओं के लिये फार्म-7 भरने की कार्यवाही भी घर-घर सर्वे के दौरान की जावेगी ।

ऐसे युवा नागरिक, जो दिनाँक 01 जनवरी 2025 की स्थिति में 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर रहे है, वे प्ररूप-6 में आवेदन प्रस्तुत कर अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वा सकते है। इस दौरान मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाताओं के नाम विलोपन हेतु प्ररूप-7 में आवेदन प्राप्त किया जावेगा तथा त्रुटिपूर्ण नामों के सुधार, अन्य आवश्यक संशोधन एवं किसी भी प्रकार के स्थानातंरण हेतु प्ररूप 8 में आवेदन प्राप्त किया जावेगा। भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली के निर्देशानुसार दिनांक 01 जनवरी के अतिरिक्त दिनांक 01 अप्रैल, 01 जुलाई एवं 01 अक्टूबर, 2025 की स्थिति में भी 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले युवा नागरिक निर्धारित प्ररूप 6 में अपना नाम मतदाता सूची में सम्मिलित कराने हेतु अग्रिम आवेदन कर सकेंगे ।

आवेदन करने हेतु आम नागरिक अपने मतदान केन्द्र में बूथ लेवल अधिकारी के माध्यम से निर्धारित फार्म प्राप्त कर सकते हैं। भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली द्वारा नागरिकों के लिये ‘वोटर हेल्पलाइन एप के माध्यम से भी ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा प्रदान की गई है। यह एप्लीकेशन एन्ड्रायड एवं iOS दोनों प्लेटफार्म्स पर डाउनलोड हेतु उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त मतदाता अपना नाम जोडने, संशोधन हेतु वेबसाइट ttps://voters-eci.gov.in के माध्यम से भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते है।

निर्वाचक नामावली में पंजीयन से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी अथवा शिकायत हेतु राज्य स्तर पर स्थापित कॉल सेन्टर 180023311950 से संपर्क स्थापित किया जा सकता है।

प्रदेश की मतदाता सूची को शुद्ध एवं त्रुटिरहित बनाये जाने हेतु मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, छत्तीसगढ़ द्वारा इस राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम में सभी नागरिकों से सहयोग एवं अधिक से अधिक ऑनलाईन आवेदन प्रस्तुत करने की अपील की गई है।