एग्जिट पोले में दिल्ली में खिल रहा कमल, अगर बीजेपी की बनी सरकार तो कौन होगा सीएम?

#surveypredictsbjpvictorywhowillbecome_cm

दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर 5 फरवरी को मतदान हुआ। इसके बाद अब एग्जिट पोल सामने आए। एग्जिट पोल में दिल्ली में बड़ा बदलाव होता दिख रहा है। लगभग सभी एग्जिट पोल में बीजेपी को करीब 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी की संभावना जताई गई है। सभी चुनाव सर्वे भाजपा की जीत और आम आदमी पार्टी की हार का अनुमान लगा रहे हैं। एग्जिट पोल में जिस तरह से अनुमान लगाए गए हैं अगर 8 फरवरी को चुनाव नतीजों में तब्दील होते हैं तो फिर 27 साल बाद दिल्ली में बीजेपी की सरकार होगी। ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी दिल्ली में किसे मुख्यमंत्री बनाएगी?

बीजेपी ने अपने किसी भी नेता को दिल्ली में मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर चुनाव नहीं लड़ा था। पीएम मोदी के नाम और काम को लेकर बीजेपी दिल्ली चुनाव में उतरी थी। अब सभी चुनाव सर्वे भाजपा की जीत के अनुमान के बाद मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चा ने जोर पकड़ा है। पार्टी के भीतर कई नामों पर चर्चा हो रही है, फैसला चुनाव नतीजों के बाद होगा। फिलहाल रेस में जो पांच नाम सबसे आगे चल रहे हैं।

बीजेपी जीती तो कौन होगा सीएम?

प्रवेश वर्मा- बीजेपी के जीतने की सूरत में सबसे पहला नाम प्रवेश वर्मा का है। नई दिल्ली सीट पर उनका मुकाबला सीधे आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के संदीप दीक्षित से है। यह सीट हालिया चुनावों की सबसे चर्चित सीट रही है। वर्मा ने ‘केजरीवाल हटाओ, देश बचाओ’ अभियान चलाया और बेहद आक्रामक ढंग से प्रचार किया। उन्होंने प्रदूषण, महिला सुरक्षा और यमुना की गंदगी जैसे मसलों पर आप सरकार को जमकर घेरा।

दुष्यंत कुमार गौतम- बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम भी सीएम रेस में हैं। दिल्ली के करोल बाग विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे गौतम बीजेपी का दलित चेहरा माने जाते हैं और पार्टी के तमाम अहम पदों पर रह चुके हैं। अमित शाह और पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं.

दुष्यंत कुमार गौतम ने अपना सियासी सफर एबीवीपी से शुरू किया था। दलित मुद्दों पर मुखर रहते हैं और तीन बार अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष रहे हैं। राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं। दुष्यंत कुमार गौतम ने संगठनात्मक राजनीति में अपनी पहचान बनाई है। दिल्ली में दलित वोटों को जोड़े रखने के लिए बीजेपी उनके चेहरे को प्रोजेक्ट कर सकती है।

कपिल मिश्रा- कट्टर हिंदूवादी नेता की छवि रखने वाले कपिल दिल्ली बीजेपी के उपाध्यक्ष हैं। वह 2019 में बीजेपी से जुड़ने से पहले करावल नगर सीट से ही आप के विधायक थे। कपिल मिश्रा, राजधानी में पार्टी के सबसे प्रमुख पूर्वांचली चेहरों में से एक हैं। हालांकि, उन पर फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान नफरत भरे भाषण देने का आरोप लगाया गया था।

विजेंद्रर गुप्ता- दिल्ली के रोहिणी विधानसभा से बीजेपी प्रत्याशी और विधायक विजेंदर गुप्ता एक बार फिर से इस सीट से चुनावी मैदान में हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के सुमेश गुप्ता और आम आदमी पार्टी के प्रदीप मित्तल से है। विजेंदर गुप्ता ने अपनी सियासी पहचान एक मजबूत नेता और केजरीवाल की लहर में भी जीतने में सफल रहने वाले एकलौते नेता के रूप में बनाई हैं। केजरीवाल के 10 साल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा मुखर रहने वाले बीजेपी नेता हैं। दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी अदा कर चुके हैं। ऐसे में बीजेपी सत्ता में वापसी करती है तो विजेंद्रर गुप्ता सीएम पद के प्रबल दावेदार होंगे

रमेश बिधूड़ी- दिल्ली की सीएम आतिशी को कालकाजी सीट से चुनौती देने वाले नेता हैं बिधूड़ी। जैसे ही उनकी उम्मीदवारी का ऐलान हुआ, बिधूड़ी ने आतिशी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पहले आतिशी के पिता को लेकर टिप्पणी की। दोनों के बीच विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान लगातार तीखी नोक-झोंक चली है। बिधूड़ी अपने फायरब्रांड अंदाज के लिए जाने जाते हैं।

मनोज तिवारी- दिल्ली में अगर बीजेपी इस बार चुनाव जीत जाती है तो सांसद मनोज तिवारी भी सीएम के प्रबल दावेदार हो सकते हैं। मनोज तिवारी लगातार तीन बार से नॉर्थ दिल्ली सीट से सांसद हैं और बीजेपी के पूर्वांचल चेहरा माने जाते हैं। मनोज तिवारी तीन बार से लोकसभा चुनाव जीत रहे हैं। 2024 में बीजेपी ने दिल्ली के 7 में से 6 सांसदों का टिकट काट दिया था, लेकिन मनोज तिवारी एकलौते चेहरा थे, जिनको टिकट दिया था। मनोज तिवारी दिल्ली प्रदेश की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। उनके अध्यक्ष रहते हुए 2020 में चुनाव हुए थे, लेकिन बीजेपी सत्ता में नहीं आ सकी।

बता दें कि दिल्ली के सियासी इतिहास में बीजेपी ने 1993 में सरकार बनाई थी और पांच साल के कार्यकाल के दौरान तीन सीएम बनाए थे। 1993 में बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद ही मदनलाल खुराना को सीएम बनाया था और उसके बाद साहिब सिंह वर्मा को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी। 1998 चुनाव से पहले साहिब वर्मा की जगह सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बना दिया था। साल 1998के चुनाव हारने के बाद बीजेपी कभी भी सत्ता में वापसी नहीं कर सकी। अब 2025 में एग्जिट पोल के लिहाज से बीजेपी सरकार बनाती नजर आ रही है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण, 2026 में GDP में 6.3-6.8% वृद्धि का अनुमान

#financeministertabledtheeconomicsurveyin_parliament

बजट से एक दिन पहले शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 को पेश किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया। आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया तो लोकसभा अध्यक्ष ने लोकसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी। राज्यसभा में भी वित्त मंत्री ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। इसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही भी स्थगित कर दी गई।

सर्वेक्षण में FY26 के लिए भारत की GDP वृद्धि दर 6.3% से 6.8% के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है। जीएसटी संग्रह में 11 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है, जो 10.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। यह सर्वेक्षण नीतिगत सुधारों और आर्थिक स्थिरता की दिशा में सरकार के प्रयासों को रेखांकित करता है। सरकार का अनुमान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के 6.5% अनुमान के करीब है, लेकिन विश्व बैंक के 6.7% अनुमान से कम है।

सर्वे के मुताबिक, जीएसटी संग्रह में भी उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान है। 2024-25 के लिए जीएसटी संग्रह 11% बढ़कर 10.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि, पिछले तीन महीनों में राजस्व वृद्धि में मंदी देखी गई है, जिसके कारण वित्त वर्ष 26 के अनुमानों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सरकार ने नीतिगत ठहराव को दूर करने और आर्थिक सुधारों को गति देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

क्या है आर्थिक सर्वेक्षण

आर्थिक सर्वेक्षण सरकार द्वारा केंद्रीय बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के लिए प्रस्तुत किया जाने वाला एक वार्षिक दस्तावेज है। यह दस्तावेज अर्थव्यवस्था की अल्पकालिक से मध्यम अवधि की संभावनाओं का भी अवलोकन प्रदान करता है। आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार किया जाता है।

कल होगा बजट पेश

शनिवार को वित्त मंत्री सीतारमण मोदी 3.0 सरकार का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी, जिसमें आयकर स्लैब में बदलाव, बुनियादी ढांचा क्षेत्र को बड़ा बढ़ावा, ग्रामीण विकास और शिक्षा क्षेत्र के लिए बड़े आवंटन की उम्मीदें हैं। बजट दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए नीतिगत बढ़ावा दे सकता है, जिसकी शहरी मांग में कमी और कमजोर मुद्रा के कारण मुद्रास्फीति के जोखिम के बीच चार साल में सबसे धीमी वृद्धि दर दर्ज होने की उम्मीद है।

संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने नए मंदिर और कुओं का किया अन्वेषण, ऐतिहासिक महत्व की खोज

#new_temples_and_artifacts_found_in_sambhal_during_archaeological_survey

ANI

उत्तर प्रदेश के संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की चार सदस्यीय टीम ने नए खोजे गए मंदिर, 5 तीर्थ और 19 कुओं का निरीक्षण किया, जिला मजिस्ट्रेट डॉ राजेंद्र पेंसिया ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया। डीएम पेंसिया ने कहा, "संभल में, एएसआई द्वारा 5 तीर्थ और 19 कुओं का निरीक्षण किया गया, जो नया मंदिर मिला था, उसका भी निरीक्षण किया गया। सर्वेक्षण 8-10 घंटे चला। कुल मिलाकर लगभग 24 क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया।" उन्होंने यह भी कहा कि एएसआई अपने निष्कर्षों के आधार पर उन्हें एक रिपोर्ट सौंपेगा। समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि संभल जिला प्रशासन ने मंदिर और कुएं की कार्बन डेटिंग के लिए एएसआई को पत्र लिखा था।

13 दिसंबर को, शाही जामा मस्जिद के पास अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान अधिकारियों द्वारा खोजे जाने के बाद, 'प्राचीन' श्री कार्तिक महादेव मंदिर (भस्म शंकर मंदिर) को प्रार्थना के लिए फिर से खोल दिया गया। कथित तौर पर 1978 में क्षेत्र में सांप्रदायिक दंगों के बाद से मंदिर बंद था, जिसके कारण हिंदू परिवारों को विस्थापित होना पड़ा था। मंदिर की यह खोज शाही जामा मस्जिद के न्यायालय द्वारा आदेशित सर्वेक्षण को लेकर क्षेत्र में पुलिस और निवासियों के बीच झड़पों के तुरंत बाद हुई। 

24 नवंबर को हुई हिंसा में पांच लोगों की जान चली गई और 20 पुलिस अधिकारी घायल हो गए। तब से, साइट के चारों ओर पुलिस बल तैनात किया गया है। नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने सिविल कोर्ट को आदेश दिया कि वे पूजा स्थल अधिनियम (1991) के अनुसार किसी भी पूजा स्थल के स्वामित्व या शीर्षक को चुनौती देने वाले नए मुकदमों को न लें या विवादित धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण का आदेश न दें।

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्टःकोई नया केस दर्ज नहीं होगा, ना निचली अदालतें दे सकेंगी आदेश, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

#placesofworshipactscstayssurveysfreshsuits

सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट (1991) से जुड़े मामलों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि जब तक इस कानून को लेकर शीर्ष अदालत में मामला पेंडिंग है, तब तक कोई भी नया मुकदमा देश की किसी भी अदालत में दर्ज नहीं किया जाएगा। सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ यह सुनवाई कर रही थी। याचिका में उपासना स्थल अधिनियम, 1991 की धारा 2, 3 और 4 को रद्द करने की मांग की गई है।

दायर याचिका में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 को चुनौती दी गई है। सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का पक्ष जानना बेहद जरूरी है। अगली तारीख तक कोई केस दर्ज न हों, तब तक कोई नया मंदिर-मस्जिद विवाद दाखिल नहीं होगा। केंद्र सरकार जल्द इस मामले में हलफनामा दाखिल करें सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सिविल कोर्ट के आदेशों पर पर रोक लगा दी और कहा कि केंद्र सरकार 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करे। 8 हफ्ते के बाद मामले की सुनवाई होगी।

सीजेआई ने कहा कि आगे कोई केस दर्ज नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हमारे पास अयोध्या का फैसला भी मौजूद है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले में जल्द ही जवाब दाखिल किया जाएगा। सीजेआई ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का जवाब जरूरी है।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह जानकारी दी कि वर्तमान में धार्मिक स्थलों से संबंधित 18 मुकदमे देशभर में अदालतों में लंबित हैं। सीजेआई ने इस संदर्भ में कोर्ट का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इन मामलों पर कोई निर्णय नहीं देता, तब तक नया मुकदमा दायर नहीं होगा।

क्या है 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट

1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने राम मंदिर आंदोलन के चरम पर लागू किया था। इस कानून का उद्देश्य 15 अगस्त, 1947 को मौजूद धार्मिक स्थलों की स्थिति की रक्षा करना था। देश भर में मस्जिद और दरगाह सहित विभिन्न धार्मिक स्थलों पर सर्वेक्षण करने के लिए लगभग 18 मुकदमे दायर किए गए हैं, जिसके बारे में मुस्लिम पक्षों ने दावा किया है कि यह कानून के प्रावधानों की अवहेलना है।

जयराम रमेश ने बताया तेलंगाना में कैसे होगी जाति जनगणना

कांग्रेस हमेशा से जाति जनगणना का समर्थन करती आई है. इसी के चलते पार्टी ने शनिवार को कहा कि देश भर में जाति जनगणना कराना और अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की 50 प्रतिशत की मनमानी सीमा हटाना देश के लिए उसके विजन का केंद्र है.

कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर कहा, तेलंगाना में कांग्रेस पार्टी शनिवार को अपना जाति सर्वेक्षण (Caste Survey) शुरू करेगी. उन्होंने आगे कहा, अगले कुछ हफ्तों में तेलंगाना में 80 हजार गणनाकर्ता घर-घर जाएंगे और 33 जिलों के 1.17 करोड़ से अधिक घरों को कवर करेंगे.

यह एक क्रांतिकारी मौका है”

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, साल 1931 के बाद से यह पहला मौका है जब तेलंगाना में सरकार जाति-आधारित सर्वेक्षण करवा रही है. यह एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी मौका है, जो राज्य के लिए तेलंगाना आंदोलन की आकांक्षाओं की पूर्ति और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान के आदर्शों को भी स्थापित करने वाला है.

जयराम रमेश ने कहा, कांग्रेस भारत में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जैसा कि हमारे संविधान में लिखा है और जैसा कि भारत के निर्माताओं ने कल्पना की थी.

राहुल गांधी मीटिंग में हुए थे शामिल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी जाति सर्वे का समर्थन करते आए हैं. इसी के चलते राहुल गांधी तेलंगाना कांग्रेस की 5 नवंबर को जाति सर्वे पर आयोजित बैठक का हिस्सा बने थे. इस दौरान उन्होंने कहा था कि वह तेलंगाना में जाति सर्वे सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. इसी के बाद अब तेलेंगाना में जाति सर्वे शुरू होने जा रहा है.

तेलंगाना सरकार में मंत्री पोन्नम प्रभाकर ने अक्टूबर के महीने में राज्य में होने वाली जाति जनगणना की जानकारी देते हुए कहा था कि राज्य में विस्तृत जाति जनगणना 6 नवंबर से 30 नवंबर के बीच की जाएगी. हमने चुनाव में जो वादा किया था अब हम उसको पूरा कर रहे हैं.

पीएम मोदी से कांग्रेस ने पूछा सवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी शनिवार को महाराष्ट्र में रैली करने पहुंचे थे. इसी के चलते जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट करते हुए उनसे कुछ सवाल पूछे. कांग्रेस नेता ने जाति जनगणना को लेकर पूछा, जाति जनगणना और सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और OBC के लिए आरक्षण पर 50% की सीमा को आगे बढ़ाने के मुद्दे पर बीजेपी का क्या स्टैंड है?

.

देश में सबसे कम बेरोज़गारी दर वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ ने पाया स्थान, उत्तर प्रदेश को पीछे छोड़ा

रायपुर-     छत्तीसगढ़ राज्य ने रोजगार सृजन के मामले में देश भर में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। हाल ही में जारी Periodic Labour Force Survey (PLFS) की रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ ने देश में सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में पांचवां स्थान प्राप्त किया है। राज्य में चल रहे रोजगार सृजन और विकास प्रयासों के कारण छत्तीसगढ़ अब उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों को भी पीछे छोड़ चुका है, जो बेरोजगारी दर के मामले में राज्य की बड़ी सफलता को दर्शाता है।

ग़ौरतलब है कि ⁠राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) द्वारा पीएलएफएस के लिए नमूना सर्वेक्षण और डेटा संग्रह का कार्य किया जाता है। जो कि भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

रोजगार सृजन में छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण प्रगति

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में, छत्तीसगढ़ सरकार ने बेरोजगारी को कम करने और युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। सरकार ने हाल ही में पुलिस, स्वास्थ्य, पीएचई (सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी) और पंचायत विभागों में 1,068 पदों पर भर्ती को मंजूरी दी है। इन भर्तियों से राज्य में युवाओं को सरकारी नौकरियों में अवसर मिलेंगे, जिससे राज्य की विभिन्न योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करने में भी मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री साय ने इस बात पर जोर दिया है कि यह पहल राज्य के विकास को गति देने के साथ-साथ युवाओं के सपनों को नई उड़ान देगी।

छत्तीसगढ़ सरकार ने खासतौर पर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित करने पर ध्यान केंद्रित किया है। सरकार ने स्वरोजगार और कौशल विकास को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, ताकि गांव के युवाओं को अपने ही इलाके में काम करने का अवसर मिल सके और उन्हें महानगरों की ओर पलायन न करना पड़े।

PLFS रिपोर्ट में अन्य राज्यों की स्थिति

Periodic Labour Force Survey (PLFS) की रिपोर्ट ने देश भर के विभिन्न राज्यों में बेरोजगारी के आंकड़ों का भी खुलासा किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, केरल में बेरोजगारी दर सबसे अधिक रही, जहां 15-29 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं में बेरोजगारी दर 29.9% दर्ज की गई। केरल में महिलाओं में बेरोजगारी दर 47.1% और पुरुषों में 19.3% रही। इसके अलावा, लक्षद्वीप में बेरोजगारी दर सबसे अधिक 36.2% दर्ज की गई, जिसके बाद अंडमान और निकोबार द्वीप समूहमें यह दर 33.6% रही।

इसके विपरीत, छत्तीसगढ़ ने देश में सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में पांचवां स्थान प्राप्त किया है, जो राज्य सरकार की रोजगार सृजन नीतियों की सफलता का प्रतीक है।

शिक्षा और कौशल विकास पर जोर

छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षा और कौशल विकास को रोजगार सृजन के महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में माना है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे युवाओं को तकनीकी और व्यावसायिक कौशल प्रदान करने के लिए विशेष प्रयास करें, जिससे वे नए उद्योगों में काम करने के लिए तैयार हो सकें। राज्य में कई कौशल विकास केंद्र खोले गए हैं, जहां युवाओं को आधुनिक तकनीकों और कौशलों की शिक्षा दी जा रही है, ताकि वे रोजगार के नए अवसरों का लाभ उठा सकें।

छत्तीसगढ़ का विकास और प्रधानमंत्री मोदी का विज़न

छत्तीसगढ़ राज्य, जो कि पहले से ही अपने प्राकृतिक संसाधनों और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, अब रोजगार सृजन और विकास के क्षेत्र में भी देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो रहा है। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के विजन को भी साकार कर रहे हैं। स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन के जरिए सरकार ने राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने जिस प्रकार देश के हर कोने में विकास और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है, छत्तीसगढ़ सरकार उसी दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस दिशा में प्रदेश के प्रत्येक गांव में रोजगार सृजन की योजनाओं का विस्तार करने का संकल्प लिया है, ताकि राज्य का हर युवा आत्मनिर्भर बन सके और राज्य का विकास तेज़ी से हो सके।

छत्तीसगढ़: मतदाता सूची में 29 अक्टूबर से जुड़ेंगे नए नाम, फोटोयुक्त निर्वाचक नामावलियों का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम जारी

रायपुर-   भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली द्वारा छत्तीसगढ़ प्रदेश के नागरिकों का मतदाता सूची में नाम पंजीयन, विलोपन, स्थानातंरण एवं प्रविष्टि में किसी भी प्रकार के आवश्यक संशोधन हेतु फोटोयुक्त निर्वाचक नामावलियों का वार्षिक विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम अर्हता तिथि 01 जनवरी 2025 जारी कर दिया गया है।

आयोग द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार दिनांक 29 अक्टूबर, 2024 (मंगलवार) को प्रदेश के सभी मतदान केन्द्रों में मतदाता सूची का प्रारंभिक प्रकाशन किया जावेगा और इसी के साथ दावा/आपत्ति प्राप्त करने की कार्यवाही प्रारंभ हो जावेगी। सभी नागरिक दिनांक 28 नवम्बर, 2024 (गुरुवार) तक दावा/आपत्ति प्रस्तुत कर सकते हैं। इस दौरान दिनांक 09 नवम्बर 2024 (शनिवार), 10 नवम्बर 2024 (रविवार) एवं 16 नवम्बर 2024 (शनिवार), 17 नवम्बर 2024 (रविवार) को समस्त मतदान केन्द्रों में विशेष शिविर का भी आयोजन किया जावेगा।

इस अवधि में प्राप्त सभी दावा-आपत्तियों का निराकरण पूर्ण कर दिनाँक 06 जनवरी, 2025 (सोमवार) को निर्वाचक नामावली का अन्तिम प्रकाशन किया जायेगा। आयोग के निर्देशानुसार प्रारंभिक प्रकाशन दिनांक 29 अक्टूबर, 2024 (मंगलवार) एवं अंतिम प्रकाशन दिनांक 06 जनवरी, 2025 (सोमवार) को सभी मतदान केन्द्रों की मतदाता सूची का प्रकाशन कार्यालय के वेबसाईट https://ceochhattisgarh.nic.in पर भी किया जावेगा ।

भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार राज्य अंतर्गत सभी बूथ लेवल अधिकारियों के द्वारा दिनांक 20 अगस्त, 2024 से 18 अक्टूबर, 2024 तक H2H Survey (घर-घर सत्यापन) की कार्यवाही पूर्ण की जावेगी तथा Shiffed/मृत मतदाताओं हेतु आवश्यकतानुसार फार्म-8/ फार्म-7 भरने की कार्यवाही पूर्ण की जावेगी ।

इसके अलावा DSE (Demographically Similar Entries) के माध्यम से डुप्लीकेट मतदाताओं के लिये फार्म-7 भरने की कार्यवाही भी घर-घर सर्वे के दौरान की जावेगी ।

ऐसे युवा नागरिक, जो दिनाँक 01 जनवरी 2025 की स्थिति में 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर रहे है, वे प्ररूप-6 में आवेदन प्रस्तुत कर अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वा सकते है। इस दौरान मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाताओं के नाम विलोपन हेतु प्ररूप-7 में आवेदन प्राप्त किया जावेगा तथा त्रुटिपूर्ण नामों के सुधार, अन्य आवश्यक संशोधन एवं किसी भी प्रकार के स्थानातंरण हेतु प्ररूप 8 में आवेदन प्राप्त किया जावेगा। भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली के निर्देशानुसार दिनांक 01 जनवरी के अतिरिक्त दिनांक 01 अप्रैल, 01 जुलाई एवं 01 अक्टूबर, 2025 की स्थिति में भी 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले युवा नागरिक निर्धारित प्ररूप 6 में अपना नाम मतदाता सूची में सम्मिलित कराने हेतु अग्रिम आवेदन कर सकेंगे ।

आवेदन करने हेतु आम नागरिक अपने मतदान केन्द्र में बूथ लेवल अधिकारी के माध्यम से निर्धारित फार्म प्राप्त कर सकते हैं। भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली द्वारा नागरिकों के लिये ‘वोटर हेल्पलाइन एप के माध्यम से भी ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा प्रदान की गई है। यह एप्लीकेशन एन्ड्रायड एवं iOS दोनों प्लेटफार्म्स पर डाउनलोड हेतु उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त मतदाता अपना नाम जोडने, संशोधन हेतु वेबसाइट ttps://voters-eci.gov.in के माध्यम से भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते है।

निर्वाचक नामावली में पंजीयन से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी अथवा शिकायत हेतु राज्य स्तर पर स्थापित कॉल सेन्टर 180023311950 से संपर्क स्थापित किया जा सकता है।

प्रदेश की मतदाता सूची को शुद्ध एवं त्रुटिरहित बनाये जाने हेतु मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, छत्तीसगढ़ द्वारा इस राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम में सभी नागरिकों से सहयोग एवं अधिक से अधिक ऑनलाईन आवेदन प्रस्तुत करने की अपील की गई है।

सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण किया पेश, देश की जीडीपी 6.5-7% रहने का अनुमान*
#economic_survey_budget_2024
आज से संसद के मानसून सत्र की शुरुआत हुई है। इस दौरान विपक्ष, सरकार को घेरने की पूरी कोशिश कर रहा है। सदन में पेपर लीक के मामले ने तूल पकड़ा हुआ है। इन सबके बीच लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्ती य वर्ष 2023-24 का आर्थिक सर्वे सोमवार को सदन में पेश किया। इस आर्थिक सर्वे में सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान देश की वास्तविक जीडीपी या वृद्धि दर 6.5-7% रहने का अनुमान जताया है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि पूंजीगत व्यय पर सरकार के जोर और निजी निवेश में निरंतर गति से पूंजी निर्माण वृद्धि को बढ़ावा मिला है। सकल स्थायी पूंजी निर्माण में 2023-24 में वास्तविक रूप से 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार देश का राजकोषीय घाटा (जीडीपी के प्रतिशत के रूप में) पिछले वर्ष की तुलना में 2023 में 1.6 प्रतिशत अंक बढ़ा। आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने कहा है कि सेवा क्षेत्र एक प्रमुख रोजगार प्रदाता बना हुआ है वहीं निर्माण क्षेत्र भी हाल ही में प्रमुखता से बढ़ रहा है, जो बुनियादी ढांचे के लिए सरकार की ओर की गई पहल नतीजा है। सर्वे के अनुसार खराब ऋणों की विरासत के कारण पिछले एक दशक में विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन कम हुआ पर 2021-22 की तुलना में इसमें सुधार हुआ है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को बहुप्रतीक्षित केंद्रीय बजट 2024-25 के अनावरण से ठीक पहले सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। बता दें कि आम चुनाव 2024 से पहले इसी साल 1 फरवरी को पेश किया गया आम बजट अंतरिम बजट था, इसलिए उस वक्त आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत नहीं किया गया था। इसले इसे भी पेश किया गया है।मंगलवार को पेश किए जाने वाले केंद्रीय पूर्ण बजट 2024 से पहले सोमवार को ही आर्थिक सर्वेक्षण को दोपहर 2 बजे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। *क्या होता है आर्थिक सर्वेक्षण?* हर साल केंद्र सरकार आर्थिक सर्वेक्षण पेश करती है, जिसे वित्त मंत्रालय के तहत आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा तैयार किया जाता है। इसे देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार किया जाता है। सर्वे के तैयार हो जाने के बाद वित्त सचिव इसकी जांच करते हैं, तथा उसके बाद वित्तमंत्री से अंतिम स्वीकृति ली जाती है। केंद्र सरकार द्वारा बजट से पहले पेश किया जाने वाला आर्थिक सर्वेक्षण अहम दस्तावेज होता है। आर्थिक सर्वे को पिछले वित्तीय वर्ष हुई आमदनी और खर्चे की समीक्षा के आधार पर तैयार किया जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण के जरिए सरकार देश की अर्थव्यवस्था वित्तीय स्थिति की बारे में जानकारी देती है। आर्थिक सर्वे से हमें पता चलता है कि किसी खास वित्तीय वर्ष के दौरान देश में विकास का रुख कैसा रहा। किस क्षेत्र से कमाई हुई और सरकार की योजनाएं किस तरह लागू की गईं
Akshat Nayyar, CEO Truemeds, shares How E-Pharmacies are Reshaping Medication Habits

Imagine a world where a few taps on your smartphone help you manage your health. Online or e-pharmacies are making this dream a reality by reshaping how we approach and understand our health and medication habits. These online platforms are more than just convenient storefronts — they are leading a revolution in healthcare accessibility and consumer education.

Gone are the days when consumers blindly followed medications based on prescriptions, with little knowledge or control over the process. Thanks to the wealth of information available online, from blogs to review platforms, we are far more aware now of our rights as consumers and are making informed choices about everything - from the food we eat to the skincare products we use. A recently found study by Bain & Co. on Asia-Pacific Front Line of Healthcare 2024 also states that Healthcare is no longer a passive experience: Consumers are taking charge of their health, are demanding a better experience, and are willing to invest in wellness.

The COVID-19 pandemic was a catalyst for this shift, forcing people to embrace e-commerce and online services out of sheer necessity. Even in smaller cities and suburbs, where the adoption of e-commerce might have otherwise been slower, the pandemic drove people to explore online shopping for essentials, including medicines. This shift towards e-pharmacies has continued to spike as these platforms bridge the gap in accessible and affordable healthcare. 

In fact, the Bain & Co. study also found that consumers desire a single touchpoint to manage their health and are increasingly placing high trust in primary care providers and other alternative sites of care like pharmacies and digital health. While face-to-face interactions are more commonly preferred, the pandemic has increased acceptance of virtual touchpoints. 

In India alone, there are over 50 e-pharmacy startups, serving around 5 million users every month with reasonably priced, high-quality medicines. The growth is fueled by rising education levels, increased consumer rights awareness, higher disposable incomes, and urbanization-driven lifestyle changes. Key to this is digital inclusion, as the internet and smartphones have reached a significant portion of the population. 

Why are e-pharmacies trending?

In today's fast-paced world, the hassle of traditional medication procurement processes—from scheduling appointments to purchasing medicines—is becoming increasingly unappealing. 

The biggest draw of e-pharmacies lies in the convenience they offer. One can easily track past orders, further helping them to take control of their healthcare needs from the comfort of their homes. Hence, offering “one-stop shop” solutions for all their needs, leveraging tech capabilities for better patient engagement. Pricing information is readily available on their platforms, and customers can compare options and choose the most affordable solutions for their prescription needs. This newfound transparency helps users make informed decisions and access the best deals. The survey also stated that telehealth led to major saving of healthcare costs due to the early triage and steerage care coupled with the low price point and pharmacy attach rate for teleconsultation compared to in-person primary consultation.

Future outlook

As the Indian government continues to push for digital transformation in the healthcare sector, e-pharmacies are likely to receive more support and recognition in the future.

राष्ट्रीय फाइलेरिया विलोपन कार्यक्रम को लेकर कार्यशाला।


हज़ारिबाग। राष्ट्रीय फाइलेरिया विलोपन कार्यक्रम के तहत 01 जून से 10 जून 2024 तक आयोजित Mf Night Blood Survey, मलेरिया रोधी माह जून 2024 के तहत जन-जागरूकता कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन तथा नियमित टीकाकरण के सुद्धदीकरण, एम. आर-1 एवं एम.आर-2 में Dropout एवं Leftout को कम करने हेतु दिनांक 29.05.2024 को सिविल सर्जन, हजारीबाग की अध्यक्षता में जिला टास्क फोर्स / जिला समन्वय समिति की बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, हजारीबाग, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी हजारीबाग, जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी, हजारीबाग, जिला मलेरिया सह आर.सी.एच. पदाधिकारी, हजारीबाग, जिला कल्याण पदाधिकारी, हजारीबाग, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, हजारीबाग, जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी पदाधिकारी, हजारीबाग, प्रबन्धक, जेएसएलपीएस, हजारीबाग, जिला कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई, एन.एच.एम. हजारीबाग, प्रभारी जीव विज्ञानवेत्ता, हजारीबाग, जिला भी.बी.डी. सलाहकार, हजारीबाग एवं जिला प्रतिनिधि, पीरामल फाउन्डेशन, हजारीबाग के अतिरिक्त विभिन्न सा.स्वा. केन्द्रों से सी. एच.ओ., एएनएम. एम.टी.एस. एस.आई, एवं एम.पी.डब्ल्यू. उपस्थित थे। उक्त टास्क फोर्स/जिला समन्वय समिति के उपस्थित सदस्यों/पदाधिकारियों/कर्मियों से अनुरोध किया गया कि मलेरिया रोधी माह में मलेरिया रोग से बचाव हेतु आम जन में जागरूकता लाने के लिए विभिन्न प्रचार-प्रसार कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वयन में अपेक्षित सहयोग किया जाय तथा राष्ट्रीय फाइलेरिया विलोपन कार्यक्रम के तहत माह अगस्त में आयोजित होने वाले सार्वजनिक दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए/आईडीए) से पूर्व 01 जून से 10 जून 2024 तक Mf Night Blood Survey कार्य के समुचित क्रियान्वयन हेतु अपेक्षित सहयोग करने का अनुरोध किया गया। बैठक में उक्त कार्यक्रमों से सफल पदाधिकारियों एवं स्वास्थ्य कर्मियों से अपेक्षित गया। क्रियान्वयन हेतु उपस्थित अन्तर्विभागीय सहयोग सुनिश्चित करने का निदेश दिया।
एग्जिट पोले में दिल्ली में खिल रहा कमल, अगर बीजेपी की बनी सरकार तो कौन होगा सीएम?

#surveypredictsbjpvictorywhowillbecome_cm

दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर 5 फरवरी को मतदान हुआ। इसके बाद अब एग्जिट पोल सामने आए। एग्जिट पोल में दिल्ली में बड़ा बदलाव होता दिख रहा है। लगभग सभी एग्जिट पोल में बीजेपी को करीब 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी की संभावना जताई गई है। सभी चुनाव सर्वे भाजपा की जीत और आम आदमी पार्टी की हार का अनुमान लगा रहे हैं। एग्जिट पोल में जिस तरह से अनुमान लगाए गए हैं अगर 8 फरवरी को चुनाव नतीजों में तब्दील होते हैं तो फिर 27 साल बाद दिल्ली में बीजेपी की सरकार होगी। ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी दिल्ली में किसे मुख्यमंत्री बनाएगी?

बीजेपी ने अपने किसी भी नेता को दिल्ली में मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर चुनाव नहीं लड़ा था। पीएम मोदी के नाम और काम को लेकर बीजेपी दिल्ली चुनाव में उतरी थी। अब सभी चुनाव सर्वे भाजपा की जीत के अनुमान के बाद मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चा ने जोर पकड़ा है। पार्टी के भीतर कई नामों पर चर्चा हो रही है, फैसला चुनाव नतीजों के बाद होगा। फिलहाल रेस में जो पांच नाम सबसे आगे चल रहे हैं।

बीजेपी जीती तो कौन होगा सीएम?

प्रवेश वर्मा- बीजेपी के जीतने की सूरत में सबसे पहला नाम प्रवेश वर्मा का है। नई दिल्ली सीट पर उनका मुकाबला सीधे आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के संदीप दीक्षित से है। यह सीट हालिया चुनावों की सबसे चर्चित सीट रही है। वर्मा ने ‘केजरीवाल हटाओ, देश बचाओ’ अभियान चलाया और बेहद आक्रामक ढंग से प्रचार किया। उन्होंने प्रदूषण, महिला सुरक्षा और यमुना की गंदगी जैसे मसलों पर आप सरकार को जमकर घेरा।

दुष्यंत कुमार गौतम- बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम भी सीएम रेस में हैं। दिल्ली के करोल बाग विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे गौतम बीजेपी का दलित चेहरा माने जाते हैं और पार्टी के तमाम अहम पदों पर रह चुके हैं। अमित शाह और पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं.

दुष्यंत कुमार गौतम ने अपना सियासी सफर एबीवीपी से शुरू किया था। दलित मुद्दों पर मुखर रहते हैं और तीन बार अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष रहे हैं। राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं। दुष्यंत कुमार गौतम ने संगठनात्मक राजनीति में अपनी पहचान बनाई है। दिल्ली में दलित वोटों को जोड़े रखने के लिए बीजेपी उनके चेहरे को प्रोजेक्ट कर सकती है।

कपिल मिश्रा- कट्टर हिंदूवादी नेता की छवि रखने वाले कपिल दिल्ली बीजेपी के उपाध्यक्ष हैं। वह 2019 में बीजेपी से जुड़ने से पहले करावल नगर सीट से ही आप के विधायक थे। कपिल मिश्रा, राजधानी में पार्टी के सबसे प्रमुख पूर्वांचली चेहरों में से एक हैं। हालांकि, उन पर फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान नफरत भरे भाषण देने का आरोप लगाया गया था।

विजेंद्रर गुप्ता- दिल्ली के रोहिणी विधानसभा से बीजेपी प्रत्याशी और विधायक विजेंदर गुप्ता एक बार फिर से इस सीट से चुनावी मैदान में हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के सुमेश गुप्ता और आम आदमी पार्टी के प्रदीप मित्तल से है। विजेंदर गुप्ता ने अपनी सियासी पहचान एक मजबूत नेता और केजरीवाल की लहर में भी जीतने में सफल रहने वाले एकलौते नेता के रूप में बनाई हैं। केजरीवाल के 10 साल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा मुखर रहने वाले बीजेपी नेता हैं। दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी अदा कर चुके हैं। ऐसे में बीजेपी सत्ता में वापसी करती है तो विजेंद्रर गुप्ता सीएम पद के प्रबल दावेदार होंगे

रमेश बिधूड़ी- दिल्ली की सीएम आतिशी को कालकाजी सीट से चुनौती देने वाले नेता हैं बिधूड़ी। जैसे ही उनकी उम्मीदवारी का ऐलान हुआ, बिधूड़ी ने आतिशी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पहले आतिशी के पिता को लेकर टिप्पणी की। दोनों के बीच विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान लगातार तीखी नोक-झोंक चली है। बिधूड़ी अपने फायरब्रांड अंदाज के लिए जाने जाते हैं।

मनोज तिवारी- दिल्ली में अगर बीजेपी इस बार चुनाव जीत जाती है तो सांसद मनोज तिवारी भी सीएम के प्रबल दावेदार हो सकते हैं। मनोज तिवारी लगातार तीन बार से नॉर्थ दिल्ली सीट से सांसद हैं और बीजेपी के पूर्वांचल चेहरा माने जाते हैं। मनोज तिवारी तीन बार से लोकसभा चुनाव जीत रहे हैं। 2024 में बीजेपी ने दिल्ली के 7 में से 6 सांसदों का टिकट काट दिया था, लेकिन मनोज तिवारी एकलौते चेहरा थे, जिनको टिकट दिया था। मनोज तिवारी दिल्ली प्रदेश की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। उनके अध्यक्ष रहते हुए 2020 में चुनाव हुए थे, लेकिन बीजेपी सत्ता में नहीं आ सकी।

बता दें कि दिल्ली के सियासी इतिहास में बीजेपी ने 1993 में सरकार बनाई थी और पांच साल के कार्यकाल के दौरान तीन सीएम बनाए थे। 1993 में बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद ही मदनलाल खुराना को सीएम बनाया था और उसके बाद साहिब सिंह वर्मा को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी। 1998 चुनाव से पहले साहिब वर्मा की जगह सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बना दिया था। साल 1998के चुनाव हारने के बाद बीजेपी कभी भी सत्ता में वापसी नहीं कर सकी। अब 2025 में एग्जिट पोल के लिहाज से बीजेपी सरकार बनाती नजर आ रही है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण, 2026 में GDP में 6.3-6.8% वृद्धि का अनुमान

#financeministertabledtheeconomicsurveyin_parliament

बजट से एक दिन पहले शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 को पेश किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया। आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया तो लोकसभा अध्यक्ष ने लोकसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी। राज्यसभा में भी वित्त मंत्री ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। इसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही भी स्थगित कर दी गई।

सर्वेक्षण में FY26 के लिए भारत की GDP वृद्धि दर 6.3% से 6.8% के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है। जीएसटी संग्रह में 11 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है, जो 10.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। यह सर्वेक्षण नीतिगत सुधारों और आर्थिक स्थिरता की दिशा में सरकार के प्रयासों को रेखांकित करता है। सरकार का अनुमान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के 6.5% अनुमान के करीब है, लेकिन विश्व बैंक के 6.7% अनुमान से कम है।

सर्वे के मुताबिक, जीएसटी संग्रह में भी उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान है। 2024-25 के लिए जीएसटी संग्रह 11% बढ़कर 10.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि, पिछले तीन महीनों में राजस्व वृद्धि में मंदी देखी गई है, जिसके कारण वित्त वर्ष 26 के अनुमानों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सरकार ने नीतिगत ठहराव को दूर करने और आर्थिक सुधारों को गति देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

क्या है आर्थिक सर्वेक्षण

आर्थिक सर्वेक्षण सरकार द्वारा केंद्रीय बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के लिए प्रस्तुत किया जाने वाला एक वार्षिक दस्तावेज है। यह दस्तावेज अर्थव्यवस्था की अल्पकालिक से मध्यम अवधि की संभावनाओं का भी अवलोकन प्रदान करता है। आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार किया जाता है।

कल होगा बजट पेश

शनिवार को वित्त मंत्री सीतारमण मोदी 3.0 सरकार का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी, जिसमें आयकर स्लैब में बदलाव, बुनियादी ढांचा क्षेत्र को बड़ा बढ़ावा, ग्रामीण विकास और शिक्षा क्षेत्र के लिए बड़े आवंटन की उम्मीदें हैं। बजट दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए नीतिगत बढ़ावा दे सकता है, जिसकी शहरी मांग में कमी और कमजोर मुद्रा के कारण मुद्रास्फीति के जोखिम के बीच चार साल में सबसे धीमी वृद्धि दर दर्ज होने की उम्मीद है।

संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने नए मंदिर और कुओं का किया अन्वेषण, ऐतिहासिक महत्व की खोज

#new_temples_and_artifacts_found_in_sambhal_during_archaeological_survey

ANI

उत्तर प्रदेश के संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की चार सदस्यीय टीम ने नए खोजे गए मंदिर, 5 तीर्थ और 19 कुओं का निरीक्षण किया, जिला मजिस्ट्रेट डॉ राजेंद्र पेंसिया ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया। डीएम पेंसिया ने कहा, "संभल में, एएसआई द्वारा 5 तीर्थ और 19 कुओं का निरीक्षण किया गया, जो नया मंदिर मिला था, उसका भी निरीक्षण किया गया। सर्वेक्षण 8-10 घंटे चला। कुल मिलाकर लगभग 24 क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया।" उन्होंने यह भी कहा कि एएसआई अपने निष्कर्षों के आधार पर उन्हें एक रिपोर्ट सौंपेगा। समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि संभल जिला प्रशासन ने मंदिर और कुएं की कार्बन डेटिंग के लिए एएसआई को पत्र लिखा था।

13 दिसंबर को, शाही जामा मस्जिद के पास अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान अधिकारियों द्वारा खोजे जाने के बाद, 'प्राचीन' श्री कार्तिक महादेव मंदिर (भस्म शंकर मंदिर) को प्रार्थना के लिए फिर से खोल दिया गया। कथित तौर पर 1978 में क्षेत्र में सांप्रदायिक दंगों के बाद से मंदिर बंद था, जिसके कारण हिंदू परिवारों को विस्थापित होना पड़ा था। मंदिर की यह खोज शाही जामा मस्जिद के न्यायालय द्वारा आदेशित सर्वेक्षण को लेकर क्षेत्र में पुलिस और निवासियों के बीच झड़पों के तुरंत बाद हुई। 

24 नवंबर को हुई हिंसा में पांच लोगों की जान चली गई और 20 पुलिस अधिकारी घायल हो गए। तब से, साइट के चारों ओर पुलिस बल तैनात किया गया है। नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने सिविल कोर्ट को आदेश दिया कि वे पूजा स्थल अधिनियम (1991) के अनुसार किसी भी पूजा स्थल के स्वामित्व या शीर्षक को चुनौती देने वाले नए मुकदमों को न लें या विवादित धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण का आदेश न दें।

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्टःकोई नया केस दर्ज नहीं होगा, ना निचली अदालतें दे सकेंगी आदेश, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

#placesofworshipactscstayssurveysfreshsuits

सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट (1991) से जुड़े मामलों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि जब तक इस कानून को लेकर शीर्ष अदालत में मामला पेंडिंग है, तब तक कोई भी नया मुकदमा देश की किसी भी अदालत में दर्ज नहीं किया जाएगा। सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ यह सुनवाई कर रही थी। याचिका में उपासना स्थल अधिनियम, 1991 की धारा 2, 3 और 4 को रद्द करने की मांग की गई है।

दायर याचिका में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 को चुनौती दी गई है। सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का पक्ष जानना बेहद जरूरी है। अगली तारीख तक कोई केस दर्ज न हों, तब तक कोई नया मंदिर-मस्जिद विवाद दाखिल नहीं होगा। केंद्र सरकार जल्द इस मामले में हलफनामा दाखिल करें सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सिविल कोर्ट के आदेशों पर पर रोक लगा दी और कहा कि केंद्र सरकार 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करे। 8 हफ्ते के बाद मामले की सुनवाई होगी।

सीजेआई ने कहा कि आगे कोई केस दर्ज नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हमारे पास अयोध्या का फैसला भी मौजूद है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले में जल्द ही जवाब दाखिल किया जाएगा। सीजेआई ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का जवाब जरूरी है।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह जानकारी दी कि वर्तमान में धार्मिक स्थलों से संबंधित 18 मुकदमे देशभर में अदालतों में लंबित हैं। सीजेआई ने इस संदर्भ में कोर्ट का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इन मामलों पर कोई निर्णय नहीं देता, तब तक नया मुकदमा दायर नहीं होगा।

क्या है 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट

1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने राम मंदिर आंदोलन के चरम पर लागू किया था। इस कानून का उद्देश्य 15 अगस्त, 1947 को मौजूद धार्मिक स्थलों की स्थिति की रक्षा करना था। देश भर में मस्जिद और दरगाह सहित विभिन्न धार्मिक स्थलों पर सर्वेक्षण करने के लिए लगभग 18 मुकदमे दायर किए गए हैं, जिसके बारे में मुस्लिम पक्षों ने दावा किया है कि यह कानून के प्रावधानों की अवहेलना है।

जयराम रमेश ने बताया तेलंगाना में कैसे होगी जाति जनगणना

कांग्रेस हमेशा से जाति जनगणना का समर्थन करती आई है. इसी के चलते पार्टी ने शनिवार को कहा कि देश भर में जाति जनगणना कराना और अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की 50 प्रतिशत की मनमानी सीमा हटाना देश के लिए उसके विजन का केंद्र है.

कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर कहा, तेलंगाना में कांग्रेस पार्टी शनिवार को अपना जाति सर्वेक्षण (Caste Survey) शुरू करेगी. उन्होंने आगे कहा, अगले कुछ हफ्तों में तेलंगाना में 80 हजार गणनाकर्ता घर-घर जाएंगे और 33 जिलों के 1.17 करोड़ से अधिक घरों को कवर करेंगे.

यह एक क्रांतिकारी मौका है”

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, साल 1931 के बाद से यह पहला मौका है जब तेलंगाना में सरकार जाति-आधारित सर्वेक्षण करवा रही है. यह एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी मौका है, जो राज्य के लिए तेलंगाना आंदोलन की आकांक्षाओं की पूर्ति और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान के आदर्शों को भी स्थापित करने वाला है.

जयराम रमेश ने कहा, कांग्रेस भारत में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जैसा कि हमारे संविधान में लिखा है और जैसा कि भारत के निर्माताओं ने कल्पना की थी.

राहुल गांधी मीटिंग में हुए थे शामिल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी जाति सर्वे का समर्थन करते आए हैं. इसी के चलते राहुल गांधी तेलंगाना कांग्रेस की 5 नवंबर को जाति सर्वे पर आयोजित बैठक का हिस्सा बने थे. इस दौरान उन्होंने कहा था कि वह तेलंगाना में जाति सर्वे सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. इसी के बाद अब तेलेंगाना में जाति सर्वे शुरू होने जा रहा है.

तेलंगाना सरकार में मंत्री पोन्नम प्रभाकर ने अक्टूबर के महीने में राज्य में होने वाली जाति जनगणना की जानकारी देते हुए कहा था कि राज्य में विस्तृत जाति जनगणना 6 नवंबर से 30 नवंबर के बीच की जाएगी. हमने चुनाव में जो वादा किया था अब हम उसको पूरा कर रहे हैं.

पीएम मोदी से कांग्रेस ने पूछा सवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी शनिवार को महाराष्ट्र में रैली करने पहुंचे थे. इसी के चलते जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट करते हुए उनसे कुछ सवाल पूछे. कांग्रेस नेता ने जाति जनगणना को लेकर पूछा, जाति जनगणना और सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और OBC के लिए आरक्षण पर 50% की सीमा को आगे बढ़ाने के मुद्दे पर बीजेपी का क्या स्टैंड है?

.

देश में सबसे कम बेरोज़गारी दर वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ ने पाया स्थान, उत्तर प्रदेश को पीछे छोड़ा

रायपुर-     छत्तीसगढ़ राज्य ने रोजगार सृजन के मामले में देश भर में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। हाल ही में जारी Periodic Labour Force Survey (PLFS) की रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ ने देश में सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में पांचवां स्थान प्राप्त किया है। राज्य में चल रहे रोजगार सृजन और विकास प्रयासों के कारण छत्तीसगढ़ अब उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों को भी पीछे छोड़ चुका है, जो बेरोजगारी दर के मामले में राज्य की बड़ी सफलता को दर्शाता है।

ग़ौरतलब है कि ⁠राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) द्वारा पीएलएफएस के लिए नमूना सर्वेक्षण और डेटा संग्रह का कार्य किया जाता है। जो कि भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

रोजगार सृजन में छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण प्रगति

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में, छत्तीसगढ़ सरकार ने बेरोजगारी को कम करने और युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। सरकार ने हाल ही में पुलिस, स्वास्थ्य, पीएचई (सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी) और पंचायत विभागों में 1,068 पदों पर भर्ती को मंजूरी दी है। इन भर्तियों से राज्य में युवाओं को सरकारी नौकरियों में अवसर मिलेंगे, जिससे राज्य की विभिन्न योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करने में भी मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री साय ने इस बात पर जोर दिया है कि यह पहल राज्य के विकास को गति देने के साथ-साथ युवाओं के सपनों को नई उड़ान देगी।

छत्तीसगढ़ सरकार ने खासतौर पर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित करने पर ध्यान केंद्रित किया है। सरकार ने स्वरोजगार और कौशल विकास को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, ताकि गांव के युवाओं को अपने ही इलाके में काम करने का अवसर मिल सके और उन्हें महानगरों की ओर पलायन न करना पड़े।

PLFS रिपोर्ट में अन्य राज्यों की स्थिति

Periodic Labour Force Survey (PLFS) की रिपोर्ट ने देश भर के विभिन्न राज्यों में बेरोजगारी के आंकड़ों का भी खुलासा किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, केरल में बेरोजगारी दर सबसे अधिक रही, जहां 15-29 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं में बेरोजगारी दर 29.9% दर्ज की गई। केरल में महिलाओं में बेरोजगारी दर 47.1% और पुरुषों में 19.3% रही। इसके अलावा, लक्षद्वीप में बेरोजगारी दर सबसे अधिक 36.2% दर्ज की गई, जिसके बाद अंडमान और निकोबार द्वीप समूहमें यह दर 33.6% रही।

इसके विपरीत, छत्तीसगढ़ ने देश में सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में पांचवां स्थान प्राप्त किया है, जो राज्य सरकार की रोजगार सृजन नीतियों की सफलता का प्रतीक है।

शिक्षा और कौशल विकास पर जोर

छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षा और कौशल विकास को रोजगार सृजन के महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में माना है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे युवाओं को तकनीकी और व्यावसायिक कौशल प्रदान करने के लिए विशेष प्रयास करें, जिससे वे नए उद्योगों में काम करने के लिए तैयार हो सकें। राज्य में कई कौशल विकास केंद्र खोले गए हैं, जहां युवाओं को आधुनिक तकनीकों और कौशलों की शिक्षा दी जा रही है, ताकि वे रोजगार के नए अवसरों का लाभ उठा सकें।

छत्तीसगढ़ का विकास और प्रधानमंत्री मोदी का विज़न

छत्तीसगढ़ राज्य, जो कि पहले से ही अपने प्राकृतिक संसाधनों और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, अब रोजगार सृजन और विकास के क्षेत्र में भी देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो रहा है। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के विजन को भी साकार कर रहे हैं। स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन के जरिए सरकार ने राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने जिस प्रकार देश के हर कोने में विकास और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है, छत्तीसगढ़ सरकार उसी दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस दिशा में प्रदेश के प्रत्येक गांव में रोजगार सृजन की योजनाओं का विस्तार करने का संकल्प लिया है, ताकि राज्य का हर युवा आत्मनिर्भर बन सके और राज्य का विकास तेज़ी से हो सके।

छत्तीसगढ़: मतदाता सूची में 29 अक्टूबर से जुड़ेंगे नए नाम, फोटोयुक्त निर्वाचक नामावलियों का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम जारी

रायपुर-   भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली द्वारा छत्तीसगढ़ प्रदेश के नागरिकों का मतदाता सूची में नाम पंजीयन, विलोपन, स्थानातंरण एवं प्रविष्टि में किसी भी प्रकार के आवश्यक संशोधन हेतु फोटोयुक्त निर्वाचक नामावलियों का वार्षिक विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम अर्हता तिथि 01 जनवरी 2025 जारी कर दिया गया है।

आयोग द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार दिनांक 29 अक्टूबर, 2024 (मंगलवार) को प्रदेश के सभी मतदान केन्द्रों में मतदाता सूची का प्रारंभिक प्रकाशन किया जावेगा और इसी के साथ दावा/आपत्ति प्राप्त करने की कार्यवाही प्रारंभ हो जावेगी। सभी नागरिक दिनांक 28 नवम्बर, 2024 (गुरुवार) तक दावा/आपत्ति प्रस्तुत कर सकते हैं। इस दौरान दिनांक 09 नवम्बर 2024 (शनिवार), 10 नवम्बर 2024 (रविवार) एवं 16 नवम्बर 2024 (शनिवार), 17 नवम्बर 2024 (रविवार) को समस्त मतदान केन्द्रों में विशेष शिविर का भी आयोजन किया जावेगा।

इस अवधि में प्राप्त सभी दावा-आपत्तियों का निराकरण पूर्ण कर दिनाँक 06 जनवरी, 2025 (सोमवार) को निर्वाचक नामावली का अन्तिम प्रकाशन किया जायेगा। आयोग के निर्देशानुसार प्रारंभिक प्रकाशन दिनांक 29 अक्टूबर, 2024 (मंगलवार) एवं अंतिम प्रकाशन दिनांक 06 जनवरी, 2025 (सोमवार) को सभी मतदान केन्द्रों की मतदाता सूची का प्रकाशन कार्यालय के वेबसाईट https://ceochhattisgarh.nic.in पर भी किया जावेगा ।

भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार राज्य अंतर्गत सभी बूथ लेवल अधिकारियों के द्वारा दिनांक 20 अगस्त, 2024 से 18 अक्टूबर, 2024 तक H2H Survey (घर-घर सत्यापन) की कार्यवाही पूर्ण की जावेगी तथा Shiffed/मृत मतदाताओं हेतु आवश्यकतानुसार फार्म-8/ फार्म-7 भरने की कार्यवाही पूर्ण की जावेगी ।

इसके अलावा DSE (Demographically Similar Entries) के माध्यम से डुप्लीकेट मतदाताओं के लिये फार्म-7 भरने की कार्यवाही भी घर-घर सर्वे के दौरान की जावेगी ।

ऐसे युवा नागरिक, जो दिनाँक 01 जनवरी 2025 की स्थिति में 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर रहे है, वे प्ररूप-6 में आवेदन प्रस्तुत कर अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वा सकते है। इस दौरान मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाताओं के नाम विलोपन हेतु प्ररूप-7 में आवेदन प्राप्त किया जावेगा तथा त्रुटिपूर्ण नामों के सुधार, अन्य आवश्यक संशोधन एवं किसी भी प्रकार के स्थानातंरण हेतु प्ररूप 8 में आवेदन प्राप्त किया जावेगा। भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली के निर्देशानुसार दिनांक 01 जनवरी के अतिरिक्त दिनांक 01 अप्रैल, 01 जुलाई एवं 01 अक्टूबर, 2025 की स्थिति में भी 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले युवा नागरिक निर्धारित प्ररूप 6 में अपना नाम मतदाता सूची में सम्मिलित कराने हेतु अग्रिम आवेदन कर सकेंगे ।

आवेदन करने हेतु आम नागरिक अपने मतदान केन्द्र में बूथ लेवल अधिकारी के माध्यम से निर्धारित फार्म प्राप्त कर सकते हैं। भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली द्वारा नागरिकों के लिये ‘वोटर हेल्पलाइन एप के माध्यम से भी ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा प्रदान की गई है। यह एप्लीकेशन एन्ड्रायड एवं iOS दोनों प्लेटफार्म्स पर डाउनलोड हेतु उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त मतदाता अपना नाम जोडने, संशोधन हेतु वेबसाइट ttps://voters-eci.gov.in के माध्यम से भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते है।

निर्वाचक नामावली में पंजीयन से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी अथवा शिकायत हेतु राज्य स्तर पर स्थापित कॉल सेन्टर 180023311950 से संपर्क स्थापित किया जा सकता है।

प्रदेश की मतदाता सूची को शुद्ध एवं त्रुटिरहित बनाये जाने हेतु मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, छत्तीसगढ़ द्वारा इस राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम में सभी नागरिकों से सहयोग एवं अधिक से अधिक ऑनलाईन आवेदन प्रस्तुत करने की अपील की गई है।

सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण किया पेश, देश की जीडीपी 6.5-7% रहने का अनुमान*
#economic_survey_budget_2024
आज से संसद के मानसून सत्र की शुरुआत हुई है। इस दौरान विपक्ष, सरकार को घेरने की पूरी कोशिश कर रहा है। सदन में पेपर लीक के मामले ने तूल पकड़ा हुआ है। इन सबके बीच लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्ती य वर्ष 2023-24 का आर्थिक सर्वे सोमवार को सदन में पेश किया। इस आर्थिक सर्वे में सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान देश की वास्तविक जीडीपी या वृद्धि दर 6.5-7% रहने का अनुमान जताया है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि पूंजीगत व्यय पर सरकार के जोर और निजी निवेश में निरंतर गति से पूंजी निर्माण वृद्धि को बढ़ावा मिला है। सकल स्थायी पूंजी निर्माण में 2023-24 में वास्तविक रूप से 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार देश का राजकोषीय घाटा (जीडीपी के प्रतिशत के रूप में) पिछले वर्ष की तुलना में 2023 में 1.6 प्रतिशत अंक बढ़ा। आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने कहा है कि सेवा क्षेत्र एक प्रमुख रोजगार प्रदाता बना हुआ है वहीं निर्माण क्षेत्र भी हाल ही में प्रमुखता से बढ़ रहा है, जो बुनियादी ढांचे के लिए सरकार की ओर की गई पहल नतीजा है। सर्वे के अनुसार खराब ऋणों की विरासत के कारण पिछले एक दशक में विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन कम हुआ पर 2021-22 की तुलना में इसमें सुधार हुआ है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को बहुप्रतीक्षित केंद्रीय बजट 2024-25 के अनावरण से ठीक पहले सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। बता दें कि आम चुनाव 2024 से पहले इसी साल 1 फरवरी को पेश किया गया आम बजट अंतरिम बजट था, इसलिए उस वक्त आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत नहीं किया गया था। इसले इसे भी पेश किया गया है।मंगलवार को पेश किए जाने वाले केंद्रीय पूर्ण बजट 2024 से पहले सोमवार को ही आर्थिक सर्वेक्षण को दोपहर 2 बजे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। *क्या होता है आर्थिक सर्वेक्षण?* हर साल केंद्र सरकार आर्थिक सर्वेक्षण पेश करती है, जिसे वित्त मंत्रालय के तहत आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा तैयार किया जाता है। इसे देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार किया जाता है। सर्वे के तैयार हो जाने के बाद वित्त सचिव इसकी जांच करते हैं, तथा उसके बाद वित्तमंत्री से अंतिम स्वीकृति ली जाती है। केंद्र सरकार द्वारा बजट से पहले पेश किया जाने वाला आर्थिक सर्वेक्षण अहम दस्तावेज होता है। आर्थिक सर्वे को पिछले वित्तीय वर्ष हुई आमदनी और खर्चे की समीक्षा के आधार पर तैयार किया जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण के जरिए सरकार देश की अर्थव्यवस्था वित्तीय स्थिति की बारे में जानकारी देती है। आर्थिक सर्वे से हमें पता चलता है कि किसी खास वित्तीय वर्ष के दौरान देश में विकास का रुख कैसा रहा। किस क्षेत्र से कमाई हुई और सरकार की योजनाएं किस तरह लागू की गईं
Akshat Nayyar, CEO Truemeds, shares How E-Pharmacies are Reshaping Medication Habits

Imagine a world where a few taps on your smartphone help you manage your health. Online or e-pharmacies are making this dream a reality by reshaping how we approach and understand our health and medication habits. These online platforms are more than just convenient storefronts — they are leading a revolution in healthcare accessibility and consumer education.

Gone are the days when consumers blindly followed medications based on prescriptions, with little knowledge or control over the process. Thanks to the wealth of information available online, from blogs to review platforms, we are far more aware now of our rights as consumers and are making informed choices about everything - from the food we eat to the skincare products we use. A recently found study by Bain & Co. on Asia-Pacific Front Line of Healthcare 2024 also states that Healthcare is no longer a passive experience: Consumers are taking charge of their health, are demanding a better experience, and are willing to invest in wellness.

The COVID-19 pandemic was a catalyst for this shift, forcing people to embrace e-commerce and online services out of sheer necessity. Even in smaller cities and suburbs, where the adoption of e-commerce might have otherwise been slower, the pandemic drove people to explore online shopping for essentials, including medicines. This shift towards e-pharmacies has continued to spike as these platforms bridge the gap in accessible and affordable healthcare. 

In fact, the Bain & Co. study also found that consumers desire a single touchpoint to manage their health and are increasingly placing high trust in primary care providers and other alternative sites of care like pharmacies and digital health. While face-to-face interactions are more commonly preferred, the pandemic has increased acceptance of virtual touchpoints. 

In India alone, there are over 50 e-pharmacy startups, serving around 5 million users every month with reasonably priced, high-quality medicines. The growth is fueled by rising education levels, increased consumer rights awareness, higher disposable incomes, and urbanization-driven lifestyle changes. Key to this is digital inclusion, as the internet and smartphones have reached a significant portion of the population. 

Why are e-pharmacies trending?

In today's fast-paced world, the hassle of traditional medication procurement processes—from scheduling appointments to purchasing medicines—is becoming increasingly unappealing. 

The biggest draw of e-pharmacies lies in the convenience they offer. One can easily track past orders, further helping them to take control of their healthcare needs from the comfort of their homes. Hence, offering “one-stop shop” solutions for all their needs, leveraging tech capabilities for better patient engagement. Pricing information is readily available on their platforms, and customers can compare options and choose the most affordable solutions for their prescription needs. This newfound transparency helps users make informed decisions and access the best deals. The survey also stated that telehealth led to major saving of healthcare costs due to the early triage and steerage care coupled with the low price point and pharmacy attach rate for teleconsultation compared to in-person primary consultation.

Future outlook

As the Indian government continues to push for digital transformation in the healthcare sector, e-pharmacies are likely to receive more support and recognition in the future.

राष्ट्रीय फाइलेरिया विलोपन कार्यक्रम को लेकर कार्यशाला।


हज़ारिबाग। राष्ट्रीय फाइलेरिया विलोपन कार्यक्रम के तहत 01 जून से 10 जून 2024 तक आयोजित Mf Night Blood Survey, मलेरिया रोधी माह जून 2024 के तहत जन-जागरूकता कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन तथा नियमित टीकाकरण के सुद्धदीकरण, एम. आर-1 एवं एम.आर-2 में Dropout एवं Leftout को कम करने हेतु दिनांक 29.05.2024 को सिविल सर्जन, हजारीबाग की अध्यक्षता में जिला टास्क फोर्स / जिला समन्वय समिति की बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, हजारीबाग, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी हजारीबाग, जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी, हजारीबाग, जिला मलेरिया सह आर.सी.एच. पदाधिकारी, हजारीबाग, जिला कल्याण पदाधिकारी, हजारीबाग, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, हजारीबाग, जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी पदाधिकारी, हजारीबाग, प्रबन्धक, जेएसएलपीएस, हजारीबाग, जिला कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई, एन.एच.एम. हजारीबाग, प्रभारी जीव विज्ञानवेत्ता, हजारीबाग, जिला भी.बी.डी. सलाहकार, हजारीबाग एवं जिला प्रतिनिधि, पीरामल फाउन्डेशन, हजारीबाग के अतिरिक्त विभिन्न सा.स्वा. केन्द्रों से सी. एच.ओ., एएनएम. एम.टी.एस. एस.आई, एवं एम.पी.डब्ल्यू. उपस्थित थे। उक्त टास्क फोर्स/जिला समन्वय समिति के उपस्थित सदस्यों/पदाधिकारियों/कर्मियों से अनुरोध किया गया कि मलेरिया रोधी माह में मलेरिया रोग से बचाव हेतु आम जन में जागरूकता लाने के लिए विभिन्न प्रचार-प्रसार कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वयन में अपेक्षित सहयोग किया जाय तथा राष्ट्रीय फाइलेरिया विलोपन कार्यक्रम के तहत माह अगस्त में आयोजित होने वाले सार्वजनिक दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए/आईडीए) से पूर्व 01 जून से 10 जून 2024 तक Mf Night Blood Survey कार्य के समुचित क्रियान्वयन हेतु अपेक्षित सहयोग करने का अनुरोध किया गया। बैठक में उक्त कार्यक्रमों से सफल पदाधिकारियों एवं स्वास्थ्य कर्मियों से अपेक्षित गया। क्रियान्वयन हेतु उपस्थित अन्तर्विभागीय सहयोग सुनिश्चित करने का निदेश दिया।