Political COVID’ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस खतरनाक वायरस से की किसकी तुलना?*l

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत में चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने में यूएसएजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) द्वारा कथित तौर पर वित्त पोषण किए जाने को लेकर शुक्रवार को चिंता व्यक्त की। उन्होंने इसे ‘Political COVID’ करार दिया। कथित तौर पर वित्त पोषण किए जाने को लेकर कहा कि जिन लोगों ने देश के लोकतांत्रिक मूल्यों पर इस तरह के हमले की अनुमति दी, उन्हें बेनकाब किया जाना चाहिए।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, मैं दंग रह गया जब अमेरिका के राष्ट्रपति ने खुद स्वीकार किया कि भारत में चुनावी नतीजों को प्रभावित करने के लिए वित्तीय ताकत का उपयोग किया गया। किसी और को निर्वाचित कराने की साजिश रची गई। चुनाव का अधिकार केवल भारतीय जनता का है, कोई भी बाहरी ताकत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।” उन्होंने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे इस ‘Political COVID’ के खिलाफ एकजुट हों।

समाज में ‘Political COVID’ ने घुसपैठ की-धनखड़

उपराष्ट्रपति निवास में शनिवार को 5वें आरएस इंटर्नशिप कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए जगदीप धनखड़ ने कहा कि समय आ गया है कि हम पूरी तरह से इस बीमारी की जांच करें। हमारे लोकतंत्र को नष्ट करने के लिए हमारे समाज में इस ‘Political COVID’ ने घुसपैठ की है। इस भयावह गतिविधि में शामिल सभी लोगों को पूरी तरह से बेनकाब किया जाना चाहिए। उन्होंने यहां तक कहा कि चुनाव करना केवल भारतीय लोगों का अधिकार है। कोई भी उस प्रक्रिया से छेड़छाड़ कर रहा है तो, वह हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर रहा है. इससे हमारे लोकतंत्र को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है।

संवैधानिक संस्थाओं पर व्यवस्थित तरीके से हमले हो रहे-धनखड़

उपराष्ट्रपति ने चिंता जताई कि भारत की संवैधानिक संस्थाओं पर व्यवस्थित तरीके से हमले हो रहे हैं। उन्होंने कहा, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री – ये सभी संवैधानिक पद हैं. लेकिन इनका मजाक उड़ाया जा रहा है। यह एक नई तरह की ‘वोकिज्म’ है, जहां सम्मान की जगह अपमान को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों पर कड़ा ऐतराज जताया। भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को उनकी संवैधानिक भूमिका निभाने के लिए भी निशाना बनाया जाता है। उनका लंबा प्रशासनिक और राजनीतिक अनुभव है, लेकिन उनकी जनजातीय पहचान पर सवाल उठाए जाते हैं। यह अस्वीकार्य है।

महाकुंभ में आएंगे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री, जानें कौन कब लगाएगा आस्था की डुबकी
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भारच में लगने वाला महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम माना जाता है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजत महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। महाकुंभ में लगभग 45 करोड़ भक्तों के शामिल लेने की उम्मीद है। देश और दुनिया से लोग महाकुंभ में स्नान करने आ रहे हैं। महाकुंभ में तमाम बड़े नेता और हस्तियां पहुंच रही हैं। इस बीच खबर आ रही है कि महाकुंभ में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी जाएंगे। महाकुंभ में संगम स्नान के लिए PM मोदी 5 फरवरी को आएंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 10 फरवरी तो उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ 1 फरवरी को आएंगे। इससे पहले 27 जनवरी को गृह मंत्री अमित शाह संगम में स्नान करेंगे।

प्रयागराज महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी 5 फरवरी को पहुंचेंगे। उसी दिन दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए वोट भी डाले जाएंगे। इसलिए, प्रयाग से 'इंद्रप्रस्थ' साधने पर भी नजर होगी। पीएम पिछले महीने 13 दिसंबर को भी प्रयाग आए थे और महाकुंभ की तैयारियों और प्रयागराज के विकास से जुड़ी 5000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का लोकार्पण किया था। इसके बाद भी मोदी महाकुंभ के प्रमुख आयोजनों और स्नान के दिन सक्रिय रहे हैं।

पीएम मोदी के अलावा देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी महाकुंभ की साक्षी बनेंगी। सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रपति 10 फरवरी को प्रयागराज पहुंचेंगी। राष्ट्रपति के दौरे को लेकर तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। इसके साथ ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी महाकुंभ पहुंचकर संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे। धनखड़ एक फरवरी को पवित्र स्नान करेंगे।

इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह 27 जनवरी को महाकुंभ का दौरा करेंगे। शाह के कार्यक्रम का शेड्यूल जारी हो चुका है। वह संगम स्नान, गंगा पूजा के बाद अधिकारियों के साथ बैठक भी करेंगे।

इन संभावित दौरों को देखते हुए प्रशासनिक अफसरों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। सुरक्षा एजेंसियां भी नए तरीके से रिव्यू में जुट गई हैं। गंगा जल की रोज जांच कराई जा रही है। अब जांच टीम में एटीएस भी शामिल हो गए हैं।
When Alumni Became Chief Guests: RV, Harmeet, and Inderjit Return to Nazrana 2025

Guru Nanak Khalsa College hosted the grand spectacle of Nazrana 2025, an evening brimming with creativity, glamour, and cultural pride. The much-anticipated fashion show was the centerpiece of the event, captivating the audience with its stunning sequences and impeccable execution.

The judging panel evoked waves of nostalgia as Rajveer Singh (RV), Harmeet Singh Gupta, and Inderjit Singh, all proud alumni of the college, returned to grace the occasion. Rajveer, a celebrated influencer, branding expert, and winner of 13 prestigious awards, inspired the audience with his charisma and expertise. Joining him in the judging panel was Tamanna Bharat, an international beauty queen, crowned Miss Asia Global 2024, Miss Queen of India Runner-Up 2024, and Miss Navi Mumbai 2024. Their insightful commentary and radiant presence added a touch of stardom to the evening.

The judges, alongside chief guests Harmeet and Inderjit, brought an emotional and lively vibe to the celebration, reliving fond college memories while applauding the creativity and talent of the current generation. Trustee Chairman S. Gurinder Singh Bawa, Dr. Jasbir Kaur Makkar, and Dr. Kiran Mangaonkar provided steadfast support, ensuring every aspect of the event was executed seamlessly.

The Fashion Show: A Creative Extravaganza

The fashion show, meticulously planned under the leadership of Principal Dr. Ratna Sharma, was a testament to the teamwork and dedication of hundreds of students and non-teaching staff. Dr Jasmeet Kaur Ghai & Latit Bhodare were the head of Nazrana 2025.

The event, choreographed by Rohan, was managed by a dynamic committee comprising Dr. Gaganjyot Kaur, Dr. Gursimran Kaur Uppal, Dr. Charanjit Kaur, Dr. Sharad Tripathi, Mohd Shahid Qureshi, Sheetal, Komal Kaur, and Jagdeep Kaur. Together, they delivered an evening of unmatched artistry and elegance.

The sequences included:

Non-Teaching Staff Walk: A tribute to the unsung heroes of the college.

Kapoor Group: A vibrant Bollywood-inspired showcase, crowned the winner.

Dream Sequence: An ethereal and imaginative performance.

Chemistry: A creative depiction of bonds and unity.

Cabaret: A dazzling high-energy presentation.

Kishore Kumar Group: A nostalgic musical tribute, winning third place.

Sikh Group: A rich cultural celebration, securing second place.

The evening reached its peak when the Giddha and Bhangra performances ignited the stage, compelling even the judges and chief guests to join the teachers in dancing, much to the crowd's delight.

A Collective Effort Behind the Success

The collaborative efforts of students, teachers, and non-teaching staff transformed Nazrana 2025 into an unforgettable celebration. Weeks of meticulous planning, rigorous rehearsals, and unwavering dedication were evident in every performance. Beyond a showcase of fashion, the event became a symbol of unity, creativity, and cultural pride.

For alumni Rajveer, Harmeet, and Inderjit, the evening was an emotional reunion, celebrating not just the talent of today but also the cherished memories of their college years.

With over 7,000 attendees, Nazrana 2025 was a resounding success, setting a new benchmark for future celebrations and leaving everyone eagerly awaiting the next chapter of this remarkable tradition.

विपक्ष को बड़ा झटका, राज्यसभा सभापति के खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव खारिज

#no_confidence_motion_against_chairman_jagdeep_dhankhar_rejected

राज्यसभा के सभापति और उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष की तरफ से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को उप-सभापति हरिवंश ने खारिज कर दिया है।इस तरह अब इसे सदन में पेश नहीं किया जा सकेगा। अनुच्छेद 67(बी) का इस्तेमाल करते हुए उपराष्ट्रपति को हटाने पर विचार करने वाले किसी भी प्रस्ताव के लिए अनिवार्य रूप से कम से कम 14 दिन पूर्व नोटिस देना अनिवार्य होता है, जिसका पालन नहीं किया गया। इस वजह से तकनीकी आधार पर विपक्ष के प्रस्ताव को खारिज किया गया।

उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि यह अविश्वास प्रस्ताव देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ नैरेटिव बनाने के उद्देश्य से लाया गया था। उन्होंने बताया कि उस प्रस्ताव में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का नाम भी ठीक से नहीं लिखा गया था। बताया जा रहा है कि अविश्वास प्रस्ताव में दस्तावेज और वीडियो को जिक्र नहीं किया गया। उपसभापति ने कहा, संसद और उसके सदस्यों की प्रतिष्ठा के लिए चिंताजनक बात ये है कि यह नोटिस मौजूदा उपराष्ट्रपति को बदनाम करने के दावों से भरा हुआ है, जिसमें अगस्त 2022 में उनके पदभार ग्रहण करने के समय की घटनाओं का जिक्र किया गया है। नोटिस में प्रामाणिकता की कमी और बाद में सामने आई घटनाओं से पता चला कि यह राजनीतिक प्रचार को चमकाने का एक प्रयास था।

संसद के शाीतकालीन सत्र के 10वें दिन (10 दिसंबर) विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के जनरल सेक्रेटरी पीसी मोदी को धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। पीसी मोदी ने ही आज उप-सभापति का जवाब सदन में रखा।

राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर INDIA ब्लॉक ने 11 दिसंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- सभापति राज्यसभा में स्कूल के हेडमास्टर की तरह व्यवहार करते हैं। विपक्ष का सांसद 5 मिनट भाषण दे तो वे उस पर 10 मिनट तक टिप्पणी करते हैं। सभापति सदन के अंदर प्रतिपक्ष के नेताओं को अपने विरोधी के तौर पर देखते हैं। सीनियर-जूनियर कोई भी हो, विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर अपमानित करते हैं। उनके व्यवहार के कारण हम अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर हुए हैं।

सरकार के प्रवक्ता बन गए हैं धनखड़, खुद को बताते हैं आरएसएस का एकलव्य”, उपराष्ट्रपति पर खरगे का हमला
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* उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया है। इस अविश्वास प्रस्ताव में कुल 71 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्षी इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सभापति पर जमकर निशाना साधा। खरगे ने कहा कि सबापति को निष्पक्ष होना चाहिए। सभापति राजनीति से परे होते हैं। उन्होंने पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया है। खरगे ने आगे कहा कि आज सदन में चर्चा कम और राजनीति ज्यादा हो रही है। उनके आचरण से देश की गरिमा को नुकसान पहुंचा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हम अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर हुए हैं। *धनखड़ का आचरण संविधान के विपरीत-खरगे* कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। 1952 से अब तक किसी उप राष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया, क्योंकि सभी निष्पक्ष रहे और नियमों के मुताबिक सदन चलाया। लेकिन आज सदन में नियमों को छोड़कर राजनीति हो रही है। खरगे ने कहा, पिछले 3 सालों में उनका आचरण संविधान के विपरीत रहा है, उनका ध्यान सरकार की तारीफ करने में ज्यादा रहा है, सदन के अंदर कभी वह आरएसएस की तारीफ करते हैं, कभी सरकार की। *सदन नहीं चलने का कारण हमारे सभापति -खरगे* खरगे ने आगे कहा कि विपक्षी दलों को अपने विरोधी की तरह वह देखते हैं। उन्होंने कहा, संसद में विपक्षी पार्टियों की आवाज योजनाबद्ध तरीके से रोकते हैं। विपक्ष की आवाज को दबाने का काम राज्यसभा के सभापति करते हैं। सदन अगर नहीं चलता है तो उसका कारण हमारे सभापति हैं। रूलिंग पार्टी और चेयरमैन की तरफ से ज्यादा गतिरोध होता है। आमतौर पर विपक्ष चेयर से प्रोटेक्शन मांगता है, सभापति ही संरक्षक होता है। अगर वही प्रधानमंत्री और सत्तापक्ष का गुणगान कर रहा हो तो विपक्ष की कौन सुनेगा। उनके खिलाफ हमारी कोई निजी दुश्मनी, द्वेष या राजनीतिक लड़ाई नहीं है। देश के नागरिकों को हम विनम्रता से बताना चाहते हैं कि हमने सोच-विचारकर संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए मजबूरी में ये कदम उठाया है। *सभापति हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग करते हैं-खरगे* कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सीनियर-जूनियर कोई भी हो, विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर अपमानित करते हैं।सदन में एक्सपीरियंस नेता हैं, जर्नलिस्ट हैं, लेखक हैं, प्रोफेसर हैं। कई फील्ड में काम कर सदन में आए हैं। 40-40 साल का अनुभव रहा है, ऐसे नेताओं की भी सभापति हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग करते हैं, प्रवचन सुनाते हैं। अपोजिशन पार्टी के लोग 5 मिनट बोलें, वो 10 मिनट उस पर टिप्पणी करते हैं। *चेयरमैन खुद सरकार की ढाल बनकर खड़े होते हैं-खरगे* खरगे ने कहा कि कन्नड़ में कहते हैं कि खुद बाड़ी लगा रहे हैं फसलों की सुरक्षा के लिए और बाड़ी ही खेत को खा रही है तो रक्षा कौन करेगा। हम सुरक्षा उनसे मांगते हैं, अपेक्षा उनसे करते हैं। वे ध्यान नहीं देते, रूलिंग पार्टी के मेंबर्स को कहने के लिए इशारा करते हैं। जब भी विपक्ष सवाल पूछता है तो मंत्रियों से पहले चेयरमैन खुद सरकार की ढाल बनकर खड़े होते हैं। उनके आचरण ने देश की गरिमा को बहुत नुकसान पहुंचाया है। देश के संसदीय इतिहास में ऐसी स्थिति ला दी है कि हमें उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस लाना पड़ा।
क्या राज्यसभा के सभापति को हटा सकते हैं विपक्षी दल, जानिए क्या है उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया?*
#can_opposition_parties_really_remove_vice_president_jagdeep_dhankhar

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने आज राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया है। इस अविश्वास प्रस्ताव में कुल 71 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। इन सबके बीच दिलचस्प बात यह है कि इंडिया गठबंधन का हिस्सा कहे जाने वाली टीएमसी ने सदन से वॉकआउट कर दिया है। ममता बनर्जी की पार्टी की तरफ से इसपर कोई भी फैसला नहीं लिया गया है।अब बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या विपक्ष के इस प्रस्ताव के बाद उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकेगा? बता दें कि बेशक कांग्रेस और अन्य दल अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हों, लेकिन उन्हें पद से हटाना इतना आसान नहीं होगा।दरअसल, उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। उन्हें हटाने के लिए राज्यसभा में बहुमत से प्रस्ताव पारित कराना होगा। इस प्रस्ताव को लोकसभा में भी पारित कराना होगा। यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 67(बी), 92 और 100 का पालन करती है। *उपराष्ट्रपति को कैसे हटाया जा सकता है?* इस प्रस्ताव के लिए संविधान के अनुच्छेद 67(B) के तहत 14 दिन का नोटिस देना होता है। प्रस्ताव पास होने के लिए राज्यसभा और लोकसभा दोनों में बहुमत चाहिए,जो विपक्ष के लिए मुश्किल है। कांग्रेस और अन्य दलों को लगता है कि इस प्रस्ताव से इंडिया गठबंधन को एकजुट करने में मदद मिलेगी,जो अभी दोनों सदनों में बंटा हुआ है।दोनों सदनों की बात करें तो विपक्ष के पास जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है। लोकसभा में उसके पास 543 सीटों में 236 सीटे हैं और राज्यसभा में 231 में केवल 85 सीट हैं। बहुमत 272 पर है। इंडिया गठबंधन अपने साथ 14 दूसरे सदस्यों को भी लाए तब भी इस प्रस्ताव को पास करा पाना मुश्किल होगा *क्या है अनुच्छेद 67(बी)?* भारतीय संविधान का अनुच्छेद 67(बी) के अनुसार, उपराष्ट्रपति को तभी हटाया जा सकता है, जब राज्यसभा में प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद उसे 50 प्रतिशत सदस्यों द्वारा पारित किया गया है। इसके बाद लोकसभा भी उस प्रस्ताव पर सहमत हो। हालांकि, इसके बाद भी इसके लिए 14 दिन का नोटिस देना होता है। अनुच्छेद 67 में लिखा है कि उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच साल का होता है। उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को एक लेटर लिख उस पर दस्तखत कर अपना पद त्याग सकता है। अगर उसके पद की अवधि खत्म भी हो गई है, तो उसके उत्ताधिकारी के पद ग्रहण करने तक वह उस पद पर बना रहेगा। *उपराष्ट्रपति से क्यों नाराज विपक्ष?* उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ प्रस्ताव लाने के पीछे विपक्ष का सबसे बड़ा तर्क है कि वह राज्यसक्षा में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहे हैं। ऐसे आरोप उनके खिलाफ पिछले कुछ समय लगातार लगते रहे हैं। जॉर्ज सोरोस से जुड़े मुद्दे पर उनकी भूमिका से समूचा विपक्ष बुरी तरह नाराज है, इसने उन्हें फिर एकजुट कर दिया है। सोरोस मुद्दे पर राज्यसभा में बुरी तरह हंगामा हुआ। इस साल अगस्त में भी विपक्ष उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी कर चुका था। तब उनके खिलाफ आरोप था कि उनके इशारे पर नेता विपक्ष का माइक्रोफोन बार-बार बंद कर दिया जाता है। संसदीय नियम-कायदों का पालन नहीं किया जाता। विपक्षी सांसदों पर व्यक्ति टिप्पणी की जा रही है। विपक्षी नेताओं का ये भी कहना है कि वो हेडमास्टर की तरह बर्ताव करते हैं। मनमाने तरीके से सदन को चलाते हैं। उनके संचालन का तरीका पक्षपातपूर्ण लगता है।
केंद्र से क्यों नाराज हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कहा- किया गया वादा क्यों नहीं निभाया?

#vicepresidentjagdeepdhankharangryontheissueof_farmers

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किसान एक बार फिर सड़कों पर हैं। किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर एक बार फिर सियासी पारा चढ़ता दिख रहा है। दरअसल, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी किसानों के समर्थन में आए। किसान आंदोलन को लेकर उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल पूछा है। उन्होंने कहा, 'मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि किसान से वार्ता क्यों नहीं हो रही है। हम किसान को पुरस्कृत करने की बजाय, उसका सही हक भी नहीं दे रहे हैं।'

मुंबई में एक कार्यक्रम में मंगलवार को जगदीप धनखड़ ने कहा कि जिनको गले लगाना है, उनको दुत्कारा नहीं जा सकता। मेरे कठोर शब्द हैं। कई बार गंभीर बीमारी के इलाज के लिए कड़वी दवाई पीनी पड़ती है। मैं किसान भाइयों से आह्वान करता हूं कि मेरी बात सुनें, समझें। आप अर्थव्यवस्था की धुरी हैं। राजनीति को प्रभावित करते हैं। भारत की विकास यात्रा के आप महत्वपूर्ण अंग हैं। सामाजिक समरसता की मिसाल हैं। बातचीत के लिए आपको भी आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्या हम किसान और सरकार के बीच एक सीमा बना सकते हैं? मुझे समझ में नहीं आता कि किसानों के साथ कोई बातचीत क्यों नहीं हो रही है। मेरी चिंता यह है कि यह पहल अब तक क्यों नहीं हुई।

जगदीप धनखड के तीखे सवाल

उप राष्ट्रपति धनखड़ ने किसानों को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा,'कृषि मंत्री जी एक एक पल आपका भारी है। मेरा आपसे आग्रह है, भारत के सिद्धांत के तहत दूसरे पद विराजमान व्यक्ति आपसे अनुरोध कर रहा है। कृप्या करके मुझे बताइए क्या किसान से वादा किया गया था और किया हुआ वादा क्यों नहीं निभाया गया।' जगदीप धनखड़ यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा,'किसानों से किया गया वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं। पिछले साल भी आंदोलन था और इस वर्ष भी आंदोलन है। काल चक्र घूम रहा है और हम कुछ कर नहीं रहे हैं।'

हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है-धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, 'ये समय मेरे लिए कष्टदायक है क्योंकि मैं राष्ट्रधर्म से ओतप्रोत हूं। पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूं कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था, दुनिया में हमारी साख पहले कभी इतनी नहीं थी, भारत का पीएम आज विश्व के शीर्ष नेताओं में गिना जाता है, जब ऐसा कोहरा है तो मेरा किसान परेशान क्यों है? ये बहुत गहराई का मुद्दा है। इसको हल्के में लेने का मतलब है कि हम प्रैक्टिकल नहीं हैं। हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है। कौन हैं वो लोग जो किसानों को कहते हैं कि उसके उत्पाद का उचित मूल्य दे देंगे? मुझे समझ नहीं आता कि कोई पहाड़ गिरेगा। किसान अकेला है, जो असहाय है। '

कांग्रेस ने जताई खुशी

इस मामले पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने खुशी जताई है, उन्होंने कहा कि जिन मामलों पर उपराष्ट्रपति ने सवाल किए हैं, यही मामले हमारी पार्टी और राहुल गांधी पिछले 5 सालों से उठा रहे हैं।कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि हम उपराष्ट्रपति का सम्मान करते हैं, उन्होंने आगे कहा कि वे राज्यसभा के संरक्षक और संविधान के रक्षक हैं। उन्होंने कृषि मंत्री से जो सवाल पूछा, कांग्रेस पार्टी भी पिछले 4-5 साल से वही सवाल प्रधानमंत्री से पूछ रही है। हम इसी बात पर चर्चा चाहते हैं, और हमने इसके लिए नोटिस भी दिया है, हमें खुशी है कि उपराष्ट्रपति ने ये सवाल पूछा है।

केंद्र से क्यों नाराज हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कहा- किया गया वादा क्यों नहीं निभाया?

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किसान एक बार फिर सड़कों पर हैं। किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर एक बार फिर सियासी पारा चढ़ता दिख रहा है। दरअसल, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी किसानों के समर्थन में आए। किसान आंदोलन को लेकर उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल पूछा है। उन्होंने कहा, 'मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि किसान से वार्ता क्यों नहीं हो रही है। हम किसान को पुरस्कृत करने की बजाय, उसका सही हक भी नहीं दे रहे हैं।'

मुंबई में एक कार्यक्रम में मंगलवार को जगदीप धनखड़ ने कहा कि जिनको गले लगाना है, उनको दुत्कारा नहीं जा सकता। मेरे कठोर शब्द हैं। कई बार गंभीर बीमारी के इलाज के लिए कड़वी दवाई पीनी पड़ती है। मैं किसान भाइयों से आह्वान करता हूं कि मेरी बात सुनें, समझें। आप अर्थव्यवस्था की धुरी हैं। राजनीति को प्रभावित करते हैं। भारत की विकास यात्रा के आप महत्वपूर्ण अंग हैं। सामाजिक समरसता की मिसाल हैं। बातचीत के लिए आपको भी आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्या हम किसान और सरकार के बीच एक सीमा बना सकते हैं? मुझे समझ में नहीं आता कि किसानों के साथ कोई बातचीत क्यों नहीं हो रही है। मेरी चिंता यह है कि यह पहल अब तक क्यों नहीं हुई।

जगदीप धनखड के तीखे सवाल

उप राष्ट्रपति धनखड़ ने किसानों को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा,'कृषि मंत्री जी एक एक पल आपका भारी है। मेरा आपसे आग्रह है, भारत के सिद्धांत के तहत दूसरे पद विराजमान व्यक्ति आपसे अनुरोध कर रहा है। कृप्या करके मुझे बताइए क्या किसान से वादा किया गया था और किया हुआ वादा क्यों नहीं निभाया गया।' जगदीप धनखड़ यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा,'किसानों से किया गया वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं। पिछले साल भी आंदोलन था और इस वर्ष भी आंदोलन है। काल चक्र घूम रहा है और हम कुछ कर नहीं रहे हैं।'

हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है-धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, 'ये समय मेरे लिए कष्टदायक है क्योंकि मैं राष्ट्रधर्म से ओतप्रोत हूं। पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूं कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था, दुनिया में हमारी साख पहले कभी इतनी नहीं थी, भारत का पीएम आज विश्व के शीर्ष नेताओं में गिना जाता है, जब ऐसा कोहरा है तो मेरा किसान परेशान क्यों है? ये बहुत गहराई का मुद्दा है। इसको हल्के में लेने का मतलब है कि हम प्रैक्टिकल नहीं हैं। हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है। कौन हैं वो लोग जो किसानों को कहते हैं कि उसके उत्पाद का उचित मूल्य दे देंगे? मुझे समझ नहीं आता कि कोई पहाड़ गिरेगा। किसान अकेला है, जो असहाय है। '

कांग्रेस ने जताई खुशी

इस मामले पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने खुशी जताई है, उन्होंने कहा कि जिन मामलों पर उपराष्ट्रपति ने सवाल किए हैं, यही मामले हमारी पार्टी और राहुल गांधी पिछले 5 सालों से उठा रहे हैं।कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि हम उपराष्ट्रपति का सम्मान करते हैं, उन्होंने आगे कहा कि वे राज्यसभा के संरक्षक और संविधान के रक्षक हैं। उन्होंने कृषि मंत्री से जो सवाल पूछा, कांग्रेस पार्टी भी पिछले 4-5 साल से वही सवाल प्रधानमंत्री से पूछ रही है। हम इसी बात पर चर्चा चाहते हैं, और हमने इसके लिए नोटिस भी दिया है, हमें खुशी है कि उपराष्ट्रपति ने ये सवाल पूछा है।

राज्यसभा में जगदीप धनखड़-जया बच्चन में तीखी बहस, विपक्ष का वॉकआउट
#jaya_bacchan_angry_once_again_in_rajya_sabha_jagdeep_dhankhar
राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान आज हंगामा हो गया। दरअसल राज्यसभा में सपा सांसद जया बच्चन और सभापति जगदीप धनखड़ में तीखी बहस हो गई। इसके विरोध में विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया। सदन में जया बच्चन ने जगदीप धनखड़ के बोलने के तरीके पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि वह अभिनेत्री हैं, कलाकार हैं, टोन समझती हैं और सभापति की टोन या बॉडी लैंग्वेज (हाव-भाव) ठीक नहीं है। इस पर जगदीप धनखड़ ने कहा कि बेशक आप टोन समझती हैं, लेकिन एक अभिनेता को डायरेक्टर की बात सुननी होती है। यहां का डायरेक्टर मैं हूं, इसलिए मेरी बात मानिए, बैठ जाइए। दरअसल, सभापति ने जया बच्चन को जया अमिताभ बच्चन कहकर बुलाया था, जिस पर राज्यसभा सांसद कई बार आपत्ति जता चुकी हैं।

समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन के नाम को लेकर राज्यसभा में आज फिर हंगामा हो गया। राज्यसभा चेयरमैन जगदीप धनखड़ ने जया बच्चन को अपनी बात रखने के लिए जब आमंत्रित किया, तो उन्होंने जया अमिताभ बच्चन कहकर संबोधित किया। इस बात पर जया बच्चन ने आपत्ति जताई। जया बच्चन ने कहा, "मैं कलाकार हूं, बॉडी लैंग्वेज समझती हूं और एक्सप्रेशन (भाव) समझती हूं। मुझे माफ कीजिएगा सर, लेकिन आपका जो टोन है, वो मुझे स्वीकार नहीं है। हम सहकर्मी हैं, भले ही आप चेयर पर क्यों नहीं बैठे हों।"

इस पर सभापति ने कहा, "ये धारणा नहीं रखें कि सिर्फ आपकी ही प्रतिष्ठा है। एक वरिष्ठ संसद सदस्य के रूप में आपके पास सभापति की प्रतिष्ठा को कम करने का लाइसेंस नहीं है।" सभापति धनखड़ ने कहा, "जया जी, कृपया अपने स्थान पर बैठिए। आपने अपनी एक प्रतिष्ठा बनाई है। आप जानती हैं कि अभिनेता निर्देशक के अनुसार काम करता है। आपने वह चीजें नहीं देखी हैं, जो मैंने यहां इस आसन पर बैठकर देखा हूं। आप मेरे लहजे के बारे में बात कर रही हैं? बस बहुत हुआ। आप होंगे सेलिब्रिटी, लेकिन आपको यहां सदन की गरिमा का ध्यान रखना होगा।"

वहीं, सदन से बाहर आने पर जया बच्चन ने मीडिया से कहा, "मैंने सभापति के टोन को लेकर आपत्ति जताई। हम स्कूल जाने वाले बच्चे नहीं हैं। हममें से कुछ वरिष्ठ नागरिक हैं। मैं उनके बोलने के लहजे से परेशान थी और खासकर जब विपक्ष के नेता बोलने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने माइक बंद कर दिया। आप यह कैसे कर सकते हैं? आपको विपक्ष के नेता को बोलने देना चाहिए।"
जया बच्चन ने आगे कहा, "मेरा मतलब है  कि हर बार असंसदीय शब्दों का प्रयोग करना, जो मैं यहां सबके सामने नहीं कहना चाहती। तुम उपद्रवी हो, 'बुद्धिहीन' हो, ये कहा जाता है। उन्होंने कहा कि आप सेलिब्रिटी हो सकते हैं, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं उनसे परवाह करने के लिए नहीं कह रही हूं। मैं कह रही हूं कि मैं संसद की सदस्य हूं। यह मेरा पांचवां कार्यकाल है। मैं जानती हूं कि मैं क्या कह रही हूं। आजकल संसद में जिस तरह से बातें कही जा रही हैं, पहले कभी किसी ने नहीं बोलीं।मुझे माफी चाहिए।"

जया बच्चन इससे पहले भी राज्यसभा में सभापति से उलझती रही हैं। इसी सत्र में जब उपसभापति हरिवंश सदन का संचालन कर रहे थे तब उन्होंने जया बच्चन को पूरा नाम (जया अमिताभ बच्चन) लेकर संबोधित किया था। इस पर जया बच्चन ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि आज के समय में औरतों को उनके पति के नाम से जाना जाता है, जैसे किसी औरत की खुद की कोई पहचान नहीं है। इस पर हरिवंश ने कहा था कि आपने खुद के दम पर नाम कमाया है।

राज्यसभा में जगदीप धनखड़ ने अगले दिन इसका जवाब दिया था। उन्होंने कहा कि हरिवंश की छवि नियमों को मानने वाले सरल और शांत व्यक्ति की है। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि रिकॉर्ड में जया का नाम जया अमिताभ बच्चन ही है। ऐसे में हरिवंश ने कुछ गलत नहीं किया था। दिलचस्प बात यह है कि जब शुक्रवार को जया को बोलने का मौका मिला तो उन्होंने खुद अपना नाम जया अमिताभ बच्चन ही लिया।
मुझे चुनौती दी जा रही है, मैं दुखी मन से जा रहा हूं... ऐसा कहकर क्यों कार्रवाई छोड़कर चले गए धनखड़?*
#jagdeep_dhankhar_why_left_chair_rajyasabha
संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है। आज राज्यसभा में महिला रेसलर विनेश फोगाट का मामला उठी। जैसे ही ये मामला उठा, संसद में हंगामा मच गया। विपक्ष ने कई सवाल उठाए, जिससे सभापति जगदीप धनखड़ काफी नाराज हो गए।जगदीप धनखड़ विपक्ष के व्यवहार से इतने आहत दिखे कि कुर्सी छोड़कर चले गए। आज राज्यसभा में कुछ विपक्षी सांसदों के आचरण से दुखी होकर अपने संबोधन में सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि वो कुछ समय के लिए आसन पर बैठने में खुद को सक्षम नहीं पा रहे हैं। ये कहते हुए आसन से उठ कर चले गए। इसके बाद उपसभापति हरिवंश ने सदन की कार्यवाही का संचालन किया। जगदीप धनखड़ ने कहा कि उनके ऊपर विपक्ष चिट्ठी के जरिए, अखबारों के जरिए, आरोपों के जरिए हमले कर रहा है। उन्हें लगता है कि मैं इस पद के काबिल नहीं हूं, इसलिए कुछ समय के लिए मैं इस कुर्सी छोड़कर जा रहा हूं। उन्होंने इसी दौरान सदन में मौजूद कांग्रेस नेता जयराम रमेश को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि मिस्टर रमेश आप हंसिए मत, मैं आपको जानता हूं। दरअसल, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे सदन में विनेश फोगाट के मुद्द को उठाना चाह रहे थे। इसकी अनुमति नहीं मिलने पर विपक्षी नेता नारेबाजी करने लगे।सभापति धनखड़ ने कहा कि पूरा देश विनेश फोगाट के साथ है। उन्होंने कहा कि हर कोई इस घटना पर दुखी है, पीएम और मैंने भी इस पर बयान दिया है, लेकिन इस पर राजनीति होना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस बात पर विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया। इस पर ही सभापति नाराज हो गए। आहत सभापति ने ये भी कहा, 'आज यहा जो हुआ, वह ठीक नहीं है। यहां मुझे नहीं, बल्कि सभापति के पद को चुनौती दी जा रही है। विपक्ष के नेता मेरे खिलाफ टिप्पणी कर रहे हैं। ये चुनौती इसलिए दी जा रही है कि जो व्यक्ति इस पद पर बैठा है वो इसके लायक नहीं है। ऐसा ये सोचते हैं। मुझे हाउस का समर्थन जितना चाहिए उतना नहीं मिला है, ऐसा मैं सोचता हूं। इसी दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जयराम रमेश पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि 'नो डॉन्ट लाफ मिस्टर जयराम, नो'। उन्होंने कहा कि इसको मुद्दा मत बनाइए, मैं आपका हैबिट (आदत जानता हूं)। अब मेरे पास एक ही विकल्प है मैंने सदन में बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं, अभी उपस्थित हैं। उन्होंने राजनीति मेरे से बहुत ज्यादा देखी है, मैं मेरी शपथ से दूर नहीं भाग रहा हूं। जो आज मैंने देखा है कि जिस तरीके से व्यवहार सदस्य ने किया है, जिस तरीके से व्यवहार इधर से भी हुआ है, मैं कुछ समय के लिए यहां बैठने में सक्षम नहीं पा रहा हूं, मैं दुखी मन से जा रहा हूं।
Political COVID’ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस खतरनाक वायरस से की किसकी तुलना?*l

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत में चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने में यूएसएजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) द्वारा कथित तौर पर वित्त पोषण किए जाने को लेकर शुक्रवार को चिंता व्यक्त की। उन्होंने इसे ‘Political COVID’ करार दिया। कथित तौर पर वित्त पोषण किए जाने को लेकर कहा कि जिन लोगों ने देश के लोकतांत्रिक मूल्यों पर इस तरह के हमले की अनुमति दी, उन्हें बेनकाब किया जाना चाहिए।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, मैं दंग रह गया जब अमेरिका के राष्ट्रपति ने खुद स्वीकार किया कि भारत में चुनावी नतीजों को प्रभावित करने के लिए वित्तीय ताकत का उपयोग किया गया। किसी और को निर्वाचित कराने की साजिश रची गई। चुनाव का अधिकार केवल भारतीय जनता का है, कोई भी बाहरी ताकत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।” उन्होंने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे इस ‘Political COVID’ के खिलाफ एकजुट हों।

समाज में ‘Political COVID’ ने घुसपैठ की-धनखड़

उपराष्ट्रपति निवास में शनिवार को 5वें आरएस इंटर्नशिप कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए जगदीप धनखड़ ने कहा कि समय आ गया है कि हम पूरी तरह से इस बीमारी की जांच करें। हमारे लोकतंत्र को नष्ट करने के लिए हमारे समाज में इस ‘Political COVID’ ने घुसपैठ की है। इस भयावह गतिविधि में शामिल सभी लोगों को पूरी तरह से बेनकाब किया जाना चाहिए। उन्होंने यहां तक कहा कि चुनाव करना केवल भारतीय लोगों का अधिकार है। कोई भी उस प्रक्रिया से छेड़छाड़ कर रहा है तो, वह हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर रहा है. इससे हमारे लोकतंत्र को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है।

संवैधानिक संस्थाओं पर व्यवस्थित तरीके से हमले हो रहे-धनखड़

उपराष्ट्रपति ने चिंता जताई कि भारत की संवैधानिक संस्थाओं पर व्यवस्थित तरीके से हमले हो रहे हैं। उन्होंने कहा, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री – ये सभी संवैधानिक पद हैं. लेकिन इनका मजाक उड़ाया जा रहा है। यह एक नई तरह की ‘वोकिज्म’ है, जहां सम्मान की जगह अपमान को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों पर कड़ा ऐतराज जताया। भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को उनकी संवैधानिक भूमिका निभाने के लिए भी निशाना बनाया जाता है। उनका लंबा प्रशासनिक और राजनीतिक अनुभव है, लेकिन उनकी जनजातीय पहचान पर सवाल उठाए जाते हैं। यह अस्वीकार्य है।

महाकुंभ में आएंगे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री, जानें कौन कब लगाएगा आस्था की डुबकी
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भारच में लगने वाला महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम माना जाता है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजत महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। महाकुंभ में लगभग 45 करोड़ भक्तों के शामिल लेने की उम्मीद है। देश और दुनिया से लोग महाकुंभ में स्नान करने आ रहे हैं। महाकुंभ में तमाम बड़े नेता और हस्तियां पहुंच रही हैं। इस बीच खबर आ रही है कि महाकुंभ में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी जाएंगे। महाकुंभ में संगम स्नान के लिए PM मोदी 5 फरवरी को आएंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 10 फरवरी तो उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ 1 फरवरी को आएंगे। इससे पहले 27 जनवरी को गृह मंत्री अमित शाह संगम में स्नान करेंगे।

प्रयागराज महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी 5 फरवरी को पहुंचेंगे। उसी दिन दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए वोट भी डाले जाएंगे। इसलिए, प्रयाग से 'इंद्रप्रस्थ' साधने पर भी नजर होगी। पीएम पिछले महीने 13 दिसंबर को भी प्रयाग आए थे और महाकुंभ की तैयारियों और प्रयागराज के विकास से जुड़ी 5000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का लोकार्पण किया था। इसके बाद भी मोदी महाकुंभ के प्रमुख आयोजनों और स्नान के दिन सक्रिय रहे हैं।

पीएम मोदी के अलावा देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी महाकुंभ की साक्षी बनेंगी। सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रपति 10 फरवरी को प्रयागराज पहुंचेंगी। राष्ट्रपति के दौरे को लेकर तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। इसके साथ ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी महाकुंभ पहुंचकर संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे। धनखड़ एक फरवरी को पवित्र स्नान करेंगे।

इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह 27 जनवरी को महाकुंभ का दौरा करेंगे। शाह के कार्यक्रम का शेड्यूल जारी हो चुका है। वह संगम स्नान, गंगा पूजा के बाद अधिकारियों के साथ बैठक भी करेंगे।

इन संभावित दौरों को देखते हुए प्रशासनिक अफसरों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। सुरक्षा एजेंसियां भी नए तरीके से रिव्यू में जुट गई हैं। गंगा जल की रोज जांच कराई जा रही है। अब जांच टीम में एटीएस भी शामिल हो गए हैं।
When Alumni Became Chief Guests: RV, Harmeet, and Inderjit Return to Nazrana 2025

Guru Nanak Khalsa College hosted the grand spectacle of Nazrana 2025, an evening brimming with creativity, glamour, and cultural pride. The much-anticipated fashion show was the centerpiece of the event, captivating the audience with its stunning sequences and impeccable execution.

The judging panel evoked waves of nostalgia as Rajveer Singh (RV), Harmeet Singh Gupta, and Inderjit Singh, all proud alumni of the college, returned to grace the occasion. Rajveer, a celebrated influencer, branding expert, and winner of 13 prestigious awards, inspired the audience with his charisma and expertise. Joining him in the judging panel was Tamanna Bharat, an international beauty queen, crowned Miss Asia Global 2024, Miss Queen of India Runner-Up 2024, and Miss Navi Mumbai 2024. Their insightful commentary and radiant presence added a touch of stardom to the evening.

The judges, alongside chief guests Harmeet and Inderjit, brought an emotional and lively vibe to the celebration, reliving fond college memories while applauding the creativity and talent of the current generation. Trustee Chairman S. Gurinder Singh Bawa, Dr. Jasbir Kaur Makkar, and Dr. Kiran Mangaonkar provided steadfast support, ensuring every aspect of the event was executed seamlessly.

The Fashion Show: A Creative Extravaganza

The fashion show, meticulously planned under the leadership of Principal Dr. Ratna Sharma, was a testament to the teamwork and dedication of hundreds of students and non-teaching staff. Dr Jasmeet Kaur Ghai & Latit Bhodare were the head of Nazrana 2025.

The event, choreographed by Rohan, was managed by a dynamic committee comprising Dr. Gaganjyot Kaur, Dr. Gursimran Kaur Uppal, Dr. Charanjit Kaur, Dr. Sharad Tripathi, Mohd Shahid Qureshi, Sheetal, Komal Kaur, and Jagdeep Kaur. Together, they delivered an evening of unmatched artistry and elegance.

The sequences included:

Non-Teaching Staff Walk: A tribute to the unsung heroes of the college.

Kapoor Group: A vibrant Bollywood-inspired showcase, crowned the winner.

Dream Sequence: An ethereal and imaginative performance.

Chemistry: A creative depiction of bonds and unity.

Cabaret: A dazzling high-energy presentation.

Kishore Kumar Group: A nostalgic musical tribute, winning third place.

Sikh Group: A rich cultural celebration, securing second place.

The evening reached its peak when the Giddha and Bhangra performances ignited the stage, compelling even the judges and chief guests to join the teachers in dancing, much to the crowd's delight.

A Collective Effort Behind the Success

The collaborative efforts of students, teachers, and non-teaching staff transformed Nazrana 2025 into an unforgettable celebration. Weeks of meticulous planning, rigorous rehearsals, and unwavering dedication were evident in every performance. Beyond a showcase of fashion, the event became a symbol of unity, creativity, and cultural pride.

For alumni Rajveer, Harmeet, and Inderjit, the evening was an emotional reunion, celebrating not just the talent of today but also the cherished memories of their college years.

With over 7,000 attendees, Nazrana 2025 was a resounding success, setting a new benchmark for future celebrations and leaving everyone eagerly awaiting the next chapter of this remarkable tradition.

विपक्ष को बड़ा झटका, राज्यसभा सभापति के खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव खारिज

#no_confidence_motion_against_chairman_jagdeep_dhankhar_rejected

राज्यसभा के सभापति और उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष की तरफ से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को उप-सभापति हरिवंश ने खारिज कर दिया है।इस तरह अब इसे सदन में पेश नहीं किया जा सकेगा। अनुच्छेद 67(बी) का इस्तेमाल करते हुए उपराष्ट्रपति को हटाने पर विचार करने वाले किसी भी प्रस्ताव के लिए अनिवार्य रूप से कम से कम 14 दिन पूर्व नोटिस देना अनिवार्य होता है, जिसका पालन नहीं किया गया। इस वजह से तकनीकी आधार पर विपक्ष के प्रस्ताव को खारिज किया गया।

उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि यह अविश्वास प्रस्ताव देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ नैरेटिव बनाने के उद्देश्य से लाया गया था। उन्होंने बताया कि उस प्रस्ताव में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का नाम भी ठीक से नहीं लिखा गया था। बताया जा रहा है कि अविश्वास प्रस्ताव में दस्तावेज और वीडियो को जिक्र नहीं किया गया। उपसभापति ने कहा, संसद और उसके सदस्यों की प्रतिष्ठा के लिए चिंताजनक बात ये है कि यह नोटिस मौजूदा उपराष्ट्रपति को बदनाम करने के दावों से भरा हुआ है, जिसमें अगस्त 2022 में उनके पदभार ग्रहण करने के समय की घटनाओं का जिक्र किया गया है। नोटिस में प्रामाणिकता की कमी और बाद में सामने आई घटनाओं से पता चला कि यह राजनीतिक प्रचार को चमकाने का एक प्रयास था।

संसद के शाीतकालीन सत्र के 10वें दिन (10 दिसंबर) विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के जनरल सेक्रेटरी पीसी मोदी को धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। पीसी मोदी ने ही आज उप-सभापति का जवाब सदन में रखा।

राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर INDIA ब्लॉक ने 11 दिसंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- सभापति राज्यसभा में स्कूल के हेडमास्टर की तरह व्यवहार करते हैं। विपक्ष का सांसद 5 मिनट भाषण दे तो वे उस पर 10 मिनट तक टिप्पणी करते हैं। सभापति सदन के अंदर प्रतिपक्ष के नेताओं को अपने विरोधी के तौर पर देखते हैं। सीनियर-जूनियर कोई भी हो, विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर अपमानित करते हैं। उनके व्यवहार के कारण हम अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर हुए हैं।

सरकार के प्रवक्ता बन गए हैं धनखड़, खुद को बताते हैं आरएसएस का एकलव्य”, उपराष्ट्रपति पर खरगे का हमला
#congress_attacked_jagdeep_dhankhar
* उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया है। इस अविश्वास प्रस्ताव में कुल 71 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्षी इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सभापति पर जमकर निशाना साधा। खरगे ने कहा कि सबापति को निष्पक्ष होना चाहिए। सभापति राजनीति से परे होते हैं। उन्होंने पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया है। खरगे ने आगे कहा कि आज सदन में चर्चा कम और राजनीति ज्यादा हो रही है। उनके आचरण से देश की गरिमा को नुकसान पहुंचा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हम अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर हुए हैं। *धनखड़ का आचरण संविधान के विपरीत-खरगे* कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। 1952 से अब तक किसी उप राष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया, क्योंकि सभी निष्पक्ष रहे और नियमों के मुताबिक सदन चलाया। लेकिन आज सदन में नियमों को छोड़कर राजनीति हो रही है। खरगे ने कहा, पिछले 3 सालों में उनका आचरण संविधान के विपरीत रहा है, उनका ध्यान सरकार की तारीफ करने में ज्यादा रहा है, सदन के अंदर कभी वह आरएसएस की तारीफ करते हैं, कभी सरकार की। *सदन नहीं चलने का कारण हमारे सभापति -खरगे* खरगे ने आगे कहा कि विपक्षी दलों को अपने विरोधी की तरह वह देखते हैं। उन्होंने कहा, संसद में विपक्षी पार्टियों की आवाज योजनाबद्ध तरीके से रोकते हैं। विपक्ष की आवाज को दबाने का काम राज्यसभा के सभापति करते हैं। सदन अगर नहीं चलता है तो उसका कारण हमारे सभापति हैं। रूलिंग पार्टी और चेयरमैन की तरफ से ज्यादा गतिरोध होता है। आमतौर पर विपक्ष चेयर से प्रोटेक्शन मांगता है, सभापति ही संरक्षक होता है। अगर वही प्रधानमंत्री और सत्तापक्ष का गुणगान कर रहा हो तो विपक्ष की कौन सुनेगा। उनके खिलाफ हमारी कोई निजी दुश्मनी, द्वेष या राजनीतिक लड़ाई नहीं है। देश के नागरिकों को हम विनम्रता से बताना चाहते हैं कि हमने सोच-विचारकर संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए मजबूरी में ये कदम उठाया है। *सभापति हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग करते हैं-खरगे* कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सीनियर-जूनियर कोई भी हो, विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर अपमानित करते हैं।सदन में एक्सपीरियंस नेता हैं, जर्नलिस्ट हैं, लेखक हैं, प्रोफेसर हैं। कई फील्ड में काम कर सदन में आए हैं। 40-40 साल का अनुभव रहा है, ऐसे नेताओं की भी सभापति हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग करते हैं, प्रवचन सुनाते हैं। अपोजिशन पार्टी के लोग 5 मिनट बोलें, वो 10 मिनट उस पर टिप्पणी करते हैं। *चेयरमैन खुद सरकार की ढाल बनकर खड़े होते हैं-खरगे* खरगे ने कहा कि कन्नड़ में कहते हैं कि खुद बाड़ी लगा रहे हैं फसलों की सुरक्षा के लिए और बाड़ी ही खेत को खा रही है तो रक्षा कौन करेगा। हम सुरक्षा उनसे मांगते हैं, अपेक्षा उनसे करते हैं। वे ध्यान नहीं देते, रूलिंग पार्टी के मेंबर्स को कहने के लिए इशारा करते हैं। जब भी विपक्ष सवाल पूछता है तो मंत्रियों से पहले चेयरमैन खुद सरकार की ढाल बनकर खड़े होते हैं। उनके आचरण ने देश की गरिमा को बहुत नुकसान पहुंचाया है। देश के संसदीय इतिहास में ऐसी स्थिति ला दी है कि हमें उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस लाना पड़ा।
क्या राज्यसभा के सभापति को हटा सकते हैं विपक्षी दल, जानिए क्या है उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया?*
#can_opposition_parties_really_remove_vice_president_jagdeep_dhankhar

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने आज राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया है। इस अविश्वास प्रस्ताव में कुल 71 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। इन सबके बीच दिलचस्प बात यह है कि इंडिया गठबंधन का हिस्सा कहे जाने वाली टीएमसी ने सदन से वॉकआउट कर दिया है। ममता बनर्जी की पार्टी की तरफ से इसपर कोई भी फैसला नहीं लिया गया है।अब बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या विपक्ष के इस प्रस्ताव के बाद उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकेगा? बता दें कि बेशक कांग्रेस और अन्य दल अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हों, लेकिन उन्हें पद से हटाना इतना आसान नहीं होगा।दरअसल, उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। उन्हें हटाने के लिए राज्यसभा में बहुमत से प्रस्ताव पारित कराना होगा। इस प्रस्ताव को लोकसभा में भी पारित कराना होगा। यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 67(बी), 92 और 100 का पालन करती है। *उपराष्ट्रपति को कैसे हटाया जा सकता है?* इस प्रस्ताव के लिए संविधान के अनुच्छेद 67(B) के तहत 14 दिन का नोटिस देना होता है। प्रस्ताव पास होने के लिए राज्यसभा और लोकसभा दोनों में बहुमत चाहिए,जो विपक्ष के लिए मुश्किल है। कांग्रेस और अन्य दलों को लगता है कि इस प्रस्ताव से इंडिया गठबंधन को एकजुट करने में मदद मिलेगी,जो अभी दोनों सदनों में बंटा हुआ है।दोनों सदनों की बात करें तो विपक्ष के पास जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है। लोकसभा में उसके पास 543 सीटों में 236 सीटे हैं और राज्यसभा में 231 में केवल 85 सीट हैं। बहुमत 272 पर है। इंडिया गठबंधन अपने साथ 14 दूसरे सदस्यों को भी लाए तब भी इस प्रस्ताव को पास करा पाना मुश्किल होगा *क्या है अनुच्छेद 67(बी)?* भारतीय संविधान का अनुच्छेद 67(बी) के अनुसार, उपराष्ट्रपति को तभी हटाया जा सकता है, जब राज्यसभा में प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद उसे 50 प्रतिशत सदस्यों द्वारा पारित किया गया है। इसके बाद लोकसभा भी उस प्रस्ताव पर सहमत हो। हालांकि, इसके बाद भी इसके लिए 14 दिन का नोटिस देना होता है। अनुच्छेद 67 में लिखा है कि उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच साल का होता है। उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को एक लेटर लिख उस पर दस्तखत कर अपना पद त्याग सकता है। अगर उसके पद की अवधि खत्म भी हो गई है, तो उसके उत्ताधिकारी के पद ग्रहण करने तक वह उस पद पर बना रहेगा। *उपराष्ट्रपति से क्यों नाराज विपक्ष?* उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ प्रस्ताव लाने के पीछे विपक्ष का सबसे बड़ा तर्क है कि वह राज्यसक्षा में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहे हैं। ऐसे आरोप उनके खिलाफ पिछले कुछ समय लगातार लगते रहे हैं। जॉर्ज सोरोस से जुड़े मुद्दे पर उनकी भूमिका से समूचा विपक्ष बुरी तरह नाराज है, इसने उन्हें फिर एकजुट कर दिया है। सोरोस मुद्दे पर राज्यसभा में बुरी तरह हंगामा हुआ। इस साल अगस्त में भी विपक्ष उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी कर चुका था। तब उनके खिलाफ आरोप था कि उनके इशारे पर नेता विपक्ष का माइक्रोफोन बार-बार बंद कर दिया जाता है। संसदीय नियम-कायदों का पालन नहीं किया जाता। विपक्षी सांसदों पर व्यक्ति टिप्पणी की जा रही है। विपक्षी नेताओं का ये भी कहना है कि वो हेडमास्टर की तरह बर्ताव करते हैं। मनमाने तरीके से सदन को चलाते हैं। उनके संचालन का तरीका पक्षपातपूर्ण लगता है।
केंद्र से क्यों नाराज हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कहा- किया गया वादा क्यों नहीं निभाया?

#vicepresidentjagdeepdhankharangryontheissueof_farmers

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किसान एक बार फिर सड़कों पर हैं। किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर एक बार फिर सियासी पारा चढ़ता दिख रहा है। दरअसल, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी किसानों के समर्थन में आए। किसान आंदोलन को लेकर उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल पूछा है। उन्होंने कहा, 'मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि किसान से वार्ता क्यों नहीं हो रही है। हम किसान को पुरस्कृत करने की बजाय, उसका सही हक भी नहीं दे रहे हैं।'

मुंबई में एक कार्यक्रम में मंगलवार को जगदीप धनखड़ ने कहा कि जिनको गले लगाना है, उनको दुत्कारा नहीं जा सकता। मेरे कठोर शब्द हैं। कई बार गंभीर बीमारी के इलाज के लिए कड़वी दवाई पीनी पड़ती है। मैं किसान भाइयों से आह्वान करता हूं कि मेरी बात सुनें, समझें। आप अर्थव्यवस्था की धुरी हैं। राजनीति को प्रभावित करते हैं। भारत की विकास यात्रा के आप महत्वपूर्ण अंग हैं। सामाजिक समरसता की मिसाल हैं। बातचीत के लिए आपको भी आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्या हम किसान और सरकार के बीच एक सीमा बना सकते हैं? मुझे समझ में नहीं आता कि किसानों के साथ कोई बातचीत क्यों नहीं हो रही है। मेरी चिंता यह है कि यह पहल अब तक क्यों नहीं हुई।

जगदीप धनखड के तीखे सवाल

उप राष्ट्रपति धनखड़ ने किसानों को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा,'कृषि मंत्री जी एक एक पल आपका भारी है। मेरा आपसे आग्रह है, भारत के सिद्धांत के तहत दूसरे पद विराजमान व्यक्ति आपसे अनुरोध कर रहा है। कृप्या करके मुझे बताइए क्या किसान से वादा किया गया था और किया हुआ वादा क्यों नहीं निभाया गया।' जगदीप धनखड़ यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा,'किसानों से किया गया वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं। पिछले साल भी आंदोलन था और इस वर्ष भी आंदोलन है। काल चक्र घूम रहा है और हम कुछ कर नहीं रहे हैं।'

हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है-धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, 'ये समय मेरे लिए कष्टदायक है क्योंकि मैं राष्ट्रधर्म से ओतप्रोत हूं। पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूं कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था, दुनिया में हमारी साख पहले कभी इतनी नहीं थी, भारत का पीएम आज विश्व के शीर्ष नेताओं में गिना जाता है, जब ऐसा कोहरा है तो मेरा किसान परेशान क्यों है? ये बहुत गहराई का मुद्दा है। इसको हल्के में लेने का मतलब है कि हम प्रैक्टिकल नहीं हैं। हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है। कौन हैं वो लोग जो किसानों को कहते हैं कि उसके उत्पाद का उचित मूल्य दे देंगे? मुझे समझ नहीं आता कि कोई पहाड़ गिरेगा। किसान अकेला है, जो असहाय है। '

कांग्रेस ने जताई खुशी

इस मामले पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने खुशी जताई है, उन्होंने कहा कि जिन मामलों पर उपराष्ट्रपति ने सवाल किए हैं, यही मामले हमारी पार्टी और राहुल गांधी पिछले 5 सालों से उठा रहे हैं।कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि हम उपराष्ट्रपति का सम्मान करते हैं, उन्होंने आगे कहा कि वे राज्यसभा के संरक्षक और संविधान के रक्षक हैं। उन्होंने कृषि मंत्री से जो सवाल पूछा, कांग्रेस पार्टी भी पिछले 4-5 साल से वही सवाल प्रधानमंत्री से पूछ रही है। हम इसी बात पर चर्चा चाहते हैं, और हमने इसके लिए नोटिस भी दिया है, हमें खुशी है कि उपराष्ट्रपति ने ये सवाल पूछा है।

केंद्र से क्यों नाराज हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कहा- किया गया वादा क्यों नहीं निभाया?

#vice_president_jagdeep_dhankhar_angry_on_the_issue_of_farmers

किसान एक बार फिर सड़कों पर हैं। किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर एक बार फिर सियासी पारा चढ़ता दिख रहा है। दरअसल, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी किसानों के समर्थन में आए। किसान आंदोलन को लेकर उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल पूछा है। उन्होंने कहा, 'मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि किसान से वार्ता क्यों नहीं हो रही है। हम किसान को पुरस्कृत करने की बजाय, उसका सही हक भी नहीं दे रहे हैं।'

मुंबई में एक कार्यक्रम में मंगलवार को जगदीप धनखड़ ने कहा कि जिनको गले लगाना है, उनको दुत्कारा नहीं जा सकता। मेरे कठोर शब्द हैं। कई बार गंभीर बीमारी के इलाज के लिए कड़वी दवाई पीनी पड़ती है। मैं किसान भाइयों से आह्वान करता हूं कि मेरी बात सुनें, समझें। आप अर्थव्यवस्था की धुरी हैं। राजनीति को प्रभावित करते हैं। भारत की विकास यात्रा के आप महत्वपूर्ण अंग हैं। सामाजिक समरसता की मिसाल हैं। बातचीत के लिए आपको भी आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्या हम किसान और सरकार के बीच एक सीमा बना सकते हैं? मुझे समझ में नहीं आता कि किसानों के साथ कोई बातचीत क्यों नहीं हो रही है। मेरी चिंता यह है कि यह पहल अब तक क्यों नहीं हुई।

जगदीप धनखड के तीखे सवाल

उप राष्ट्रपति धनखड़ ने किसानों को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा,'कृषि मंत्री जी एक एक पल आपका भारी है। मेरा आपसे आग्रह है, भारत के सिद्धांत के तहत दूसरे पद विराजमान व्यक्ति आपसे अनुरोध कर रहा है। कृप्या करके मुझे बताइए क्या किसान से वादा किया गया था और किया हुआ वादा क्यों नहीं निभाया गया।' जगदीप धनखड़ यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा,'किसानों से किया गया वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं। पिछले साल भी आंदोलन था और इस वर्ष भी आंदोलन है। काल चक्र घूम रहा है और हम कुछ कर नहीं रहे हैं।'

हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है-धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, 'ये समय मेरे लिए कष्टदायक है क्योंकि मैं राष्ट्रधर्म से ओतप्रोत हूं। पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूं कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था, दुनिया में हमारी साख पहले कभी इतनी नहीं थी, भारत का पीएम आज विश्व के शीर्ष नेताओं में गिना जाता है, जब ऐसा कोहरा है तो मेरा किसान परेशान क्यों है? ये बहुत गहराई का मुद्दा है। इसको हल्के में लेने का मतलब है कि हम प्रैक्टिकल नहीं हैं। हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है। कौन हैं वो लोग जो किसानों को कहते हैं कि उसके उत्पाद का उचित मूल्य दे देंगे? मुझे समझ नहीं आता कि कोई पहाड़ गिरेगा। किसान अकेला है, जो असहाय है। '

कांग्रेस ने जताई खुशी

इस मामले पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने खुशी जताई है, उन्होंने कहा कि जिन मामलों पर उपराष्ट्रपति ने सवाल किए हैं, यही मामले हमारी पार्टी और राहुल गांधी पिछले 5 सालों से उठा रहे हैं।कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि हम उपराष्ट्रपति का सम्मान करते हैं, उन्होंने आगे कहा कि वे राज्यसभा के संरक्षक और संविधान के रक्षक हैं। उन्होंने कृषि मंत्री से जो सवाल पूछा, कांग्रेस पार्टी भी पिछले 4-5 साल से वही सवाल प्रधानमंत्री से पूछ रही है। हम इसी बात पर चर्चा चाहते हैं, और हमने इसके लिए नोटिस भी दिया है, हमें खुशी है कि उपराष्ट्रपति ने ये सवाल पूछा है।

राज्यसभा में जगदीप धनखड़-जया बच्चन में तीखी बहस, विपक्ष का वॉकआउट
#jaya_bacchan_angry_once_again_in_rajya_sabha_jagdeep_dhankhar
राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान आज हंगामा हो गया। दरअसल राज्यसभा में सपा सांसद जया बच्चन और सभापति जगदीप धनखड़ में तीखी बहस हो गई। इसके विरोध में विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया। सदन में जया बच्चन ने जगदीप धनखड़ के बोलने के तरीके पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि वह अभिनेत्री हैं, कलाकार हैं, टोन समझती हैं और सभापति की टोन या बॉडी लैंग्वेज (हाव-भाव) ठीक नहीं है। इस पर जगदीप धनखड़ ने कहा कि बेशक आप टोन समझती हैं, लेकिन एक अभिनेता को डायरेक्टर की बात सुननी होती है। यहां का डायरेक्टर मैं हूं, इसलिए मेरी बात मानिए, बैठ जाइए। दरअसल, सभापति ने जया बच्चन को जया अमिताभ बच्चन कहकर बुलाया था, जिस पर राज्यसभा सांसद कई बार आपत्ति जता चुकी हैं।

समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन के नाम को लेकर राज्यसभा में आज फिर हंगामा हो गया। राज्यसभा चेयरमैन जगदीप धनखड़ ने जया बच्चन को अपनी बात रखने के लिए जब आमंत्रित किया, तो उन्होंने जया अमिताभ बच्चन कहकर संबोधित किया। इस बात पर जया बच्चन ने आपत्ति जताई। जया बच्चन ने कहा, "मैं कलाकार हूं, बॉडी लैंग्वेज समझती हूं और एक्सप्रेशन (भाव) समझती हूं। मुझे माफ कीजिएगा सर, लेकिन आपका जो टोन है, वो मुझे स्वीकार नहीं है। हम सहकर्मी हैं, भले ही आप चेयर पर क्यों नहीं बैठे हों।"

इस पर सभापति ने कहा, "ये धारणा नहीं रखें कि सिर्फ आपकी ही प्रतिष्ठा है। एक वरिष्ठ संसद सदस्य के रूप में आपके पास सभापति की प्रतिष्ठा को कम करने का लाइसेंस नहीं है।" सभापति धनखड़ ने कहा, "जया जी, कृपया अपने स्थान पर बैठिए। आपने अपनी एक प्रतिष्ठा बनाई है। आप जानती हैं कि अभिनेता निर्देशक के अनुसार काम करता है। आपने वह चीजें नहीं देखी हैं, जो मैंने यहां इस आसन पर बैठकर देखा हूं। आप मेरे लहजे के बारे में बात कर रही हैं? बस बहुत हुआ। आप होंगे सेलिब्रिटी, लेकिन आपको यहां सदन की गरिमा का ध्यान रखना होगा।"

वहीं, सदन से बाहर आने पर जया बच्चन ने मीडिया से कहा, "मैंने सभापति के टोन को लेकर आपत्ति जताई। हम स्कूल जाने वाले बच्चे नहीं हैं। हममें से कुछ वरिष्ठ नागरिक हैं। मैं उनके बोलने के लहजे से परेशान थी और खासकर जब विपक्ष के नेता बोलने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने माइक बंद कर दिया। आप यह कैसे कर सकते हैं? आपको विपक्ष के नेता को बोलने देना चाहिए।"
जया बच्चन ने आगे कहा, "मेरा मतलब है  कि हर बार असंसदीय शब्दों का प्रयोग करना, जो मैं यहां सबके सामने नहीं कहना चाहती। तुम उपद्रवी हो, 'बुद्धिहीन' हो, ये कहा जाता है। उन्होंने कहा कि आप सेलिब्रिटी हो सकते हैं, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं उनसे परवाह करने के लिए नहीं कह रही हूं। मैं कह रही हूं कि मैं संसद की सदस्य हूं। यह मेरा पांचवां कार्यकाल है। मैं जानती हूं कि मैं क्या कह रही हूं। आजकल संसद में जिस तरह से बातें कही जा रही हैं, पहले कभी किसी ने नहीं बोलीं।मुझे माफी चाहिए।"

जया बच्चन इससे पहले भी राज्यसभा में सभापति से उलझती रही हैं। इसी सत्र में जब उपसभापति हरिवंश सदन का संचालन कर रहे थे तब उन्होंने जया बच्चन को पूरा नाम (जया अमिताभ बच्चन) लेकर संबोधित किया था। इस पर जया बच्चन ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि आज के समय में औरतों को उनके पति के नाम से जाना जाता है, जैसे किसी औरत की खुद की कोई पहचान नहीं है। इस पर हरिवंश ने कहा था कि आपने खुद के दम पर नाम कमाया है।

राज्यसभा में जगदीप धनखड़ ने अगले दिन इसका जवाब दिया था। उन्होंने कहा कि हरिवंश की छवि नियमों को मानने वाले सरल और शांत व्यक्ति की है। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि रिकॉर्ड में जया का नाम जया अमिताभ बच्चन ही है। ऐसे में हरिवंश ने कुछ गलत नहीं किया था। दिलचस्प बात यह है कि जब शुक्रवार को जया को बोलने का मौका मिला तो उन्होंने खुद अपना नाम जया अमिताभ बच्चन ही लिया।
मुझे चुनौती दी जा रही है, मैं दुखी मन से जा रहा हूं... ऐसा कहकर क्यों कार्रवाई छोड़कर चले गए धनखड़?*
#jagdeep_dhankhar_why_left_chair_rajyasabha
संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है। आज राज्यसभा में महिला रेसलर विनेश फोगाट का मामला उठी। जैसे ही ये मामला उठा, संसद में हंगामा मच गया। विपक्ष ने कई सवाल उठाए, जिससे सभापति जगदीप धनखड़ काफी नाराज हो गए।जगदीप धनखड़ विपक्ष के व्यवहार से इतने आहत दिखे कि कुर्सी छोड़कर चले गए। आज राज्यसभा में कुछ विपक्षी सांसदों के आचरण से दुखी होकर अपने संबोधन में सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि वो कुछ समय के लिए आसन पर बैठने में खुद को सक्षम नहीं पा रहे हैं। ये कहते हुए आसन से उठ कर चले गए। इसके बाद उपसभापति हरिवंश ने सदन की कार्यवाही का संचालन किया। जगदीप धनखड़ ने कहा कि उनके ऊपर विपक्ष चिट्ठी के जरिए, अखबारों के जरिए, आरोपों के जरिए हमले कर रहा है। उन्हें लगता है कि मैं इस पद के काबिल नहीं हूं, इसलिए कुछ समय के लिए मैं इस कुर्सी छोड़कर जा रहा हूं। उन्होंने इसी दौरान सदन में मौजूद कांग्रेस नेता जयराम रमेश को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि मिस्टर रमेश आप हंसिए मत, मैं आपको जानता हूं। दरअसल, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे सदन में विनेश फोगाट के मुद्द को उठाना चाह रहे थे। इसकी अनुमति नहीं मिलने पर विपक्षी नेता नारेबाजी करने लगे।सभापति धनखड़ ने कहा कि पूरा देश विनेश फोगाट के साथ है। उन्होंने कहा कि हर कोई इस घटना पर दुखी है, पीएम और मैंने भी इस पर बयान दिया है, लेकिन इस पर राजनीति होना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस बात पर विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया। इस पर ही सभापति नाराज हो गए। आहत सभापति ने ये भी कहा, 'आज यहा जो हुआ, वह ठीक नहीं है। यहां मुझे नहीं, बल्कि सभापति के पद को चुनौती दी जा रही है। विपक्ष के नेता मेरे खिलाफ टिप्पणी कर रहे हैं। ये चुनौती इसलिए दी जा रही है कि जो व्यक्ति इस पद पर बैठा है वो इसके लायक नहीं है। ऐसा ये सोचते हैं। मुझे हाउस का समर्थन जितना चाहिए उतना नहीं मिला है, ऐसा मैं सोचता हूं। इसी दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जयराम रमेश पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि 'नो डॉन्ट लाफ मिस्टर जयराम, नो'। उन्होंने कहा कि इसको मुद्दा मत बनाइए, मैं आपका हैबिट (आदत जानता हूं)। अब मेरे पास एक ही विकल्प है मैंने सदन में बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं, अभी उपस्थित हैं। उन्होंने राजनीति मेरे से बहुत ज्यादा देखी है, मैं मेरी शपथ से दूर नहीं भाग रहा हूं। जो आज मैंने देखा है कि जिस तरीके से व्यवहार सदस्य ने किया है, जिस तरीके से व्यवहार इधर से भी हुआ है, मैं कुछ समय के लिए यहां बैठने में सक्षम नहीं पा रहा हूं, मैं दुखी मन से जा रहा हूं।