इजराइल-ईरान के बीच सीजफायर! डोनाल्ड ट्रंप ने किया ऐलान, खामेनेई का अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे से इनकार

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल और ईरान के बीच 12 दिन से जारी युद्ध को खत्म कराने का दावा कर दिया। उन्होंने दोनों देशों के बीच ‘पूर्ण सीजफायर’ की करते हुए इसे ‘12 डे वॉर’ का अंत बताया। उन्होंने ट्रुथ सोशल पर एक के बाद एक कई पोस्ट किए। इनमें उन्होंने यह भी बताया कि यह संघर्ष विराम कैसे हुआ और क्यों इसका एलान ट्रंप ने किया। ट्रंप के इस ऐलान पर इजरायल की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया तो नहीं आई है। धर ईरानी सुप्रीम लीडर ने कहा है कि ईरान सरेंडर करने वाला मुल्क नहीं।

ट्रंप ने क्या कहा?

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को सोशल मीडिया पर कहा कि सभी को बधाई! इजराइल और ईरान के बीच पूरी तरह से सहमति बन गई है। इजराइल और ईरान 24 घंटे में युद्ध विराम करने पर सहमत हो गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्रुथ सोशल पर कहा कि युद्ध विराम से युद्ध का आधिकारिक अंत होगा, जो कि तीन ईरानी परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमले के बाद शत्रुता में एक बड़ा बदलाव है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि मैं दोनों देशों, इजराइल और ईरान को बधाई देना चाहूंगा कि उनके पास वह सहनशक्ति, साहस और बुद्धिमत्ता है।

ईरान आत्मसमर्पण करने वाला राष्ट्र नहीं- खामेनेई

अयातुल्लाह खामेनेई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में कहा, जो ईरानी लोगों और उनके इतिहास को जानते हैं, वे जानते हैं कि ईरानी राष्ट्र आत्मसमर्पण करने वाला राष्ट्र नहीं है।

इजराइल हमले बंद करता है तो ईरान भी शांत बैठेगा-अराघची

वहीं, ईरान के विदेश मंत्री ने मंगलवार को कहा कि अगर इस्राइल स्थानीय समयानुसार सुबह 4 बजे तक अपने हवाई हमले बंद कर देता है तो तेहरान भी अपने हमले बंद कर देगा।अराघची ने तेहरान समयानुसार सुबह 4:16 बजे सोशल प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर अपना संदेश भेजा। अराघची ने लिखा, 'अभी तक किसी भी युद्ध विराम या सैन्य अभियानों को रोककने पर कोई समझौता नहीं हुआ है। हालांकि, बशर्ते कि इस्राइली शासन ईरानी लोगों के खिलाफ अपने अवैध आक्रमण को तेहरान समय के अनुसार सुबह 4 बजे से पहले बंद कर दे, उसके बाद हमारा जवाबी कार्रवाई जारी रखने का कोई इरादा नहीं है। अराघची ने कहा कि हमारे सैन्य अभियानों को रोकने पर अंतिम निर्णय बाद में लिया जाएगा।

अमेरिका के बाद अब इजरायल ने ईरान को दिए गहरे घाव, 6 मिलिट्री एयरपोर्ट, 15 लड़ाकू विमान किए तबाह

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पश्चिम एशिया में ईरान और इजराइल के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। अमेरिका के बाद अब इजराइल ने एक बार फिर ईरान पर हमला किया है। दावा किया जा रहा है कि इजराइल ने ईरान के छह सैन्य हवाई ठिकानों को निशाना बनाया। इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने कहा कि केरमानशाह क्षेत्र में 15 से अधिक लड़ाकू विमानों के साथ ईरानी बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपण स्थलों को निशाना बनाकर हमले किए। हालांकि, इस पर ईरान की ओर से अभी प्रतिक्रिया नहीं आई है।

आईडीएफ ने सोमवार को इसकी जानकारी देते हुए दावा किया है कि रात में किए गए इन हमलों में 15 ईरानी लड़ाकू विमानों, कई हेलीकॉप्टरों और दूसरी अहम सुविधाओं को तबाह कर दिया। इजरायल ने ड्रोन के जरिए ये हमले किए हैं, जिनमें ईरान के एयरफोर्स के ठिकानों पर भारी नुकसान हुआ है। 

ईरानी वायुसेना को भारी नुकसान

आडीएफ के अनुसार, उसके ड्रोन हमले के टारगेट पर ईरानी सेना और शासन के विमान शामिल थे। इनमें एफ-14 और एफ-5 लड़ाकू विमान और एएच-1 हेलीकॉप्टर शामिल थे। एक हवाई ईंधन भरने वाले विमान को भी निशाना बनाया गया। हमलों में रनवे, भूमिगत हैंगर और अतिरिक्त बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा। आईडीएफ ने ड्रोन का इस्तेमाल इजरायली अभियानों के खिलाफ इस्तेमाल होने वाले विमानों को निष्क्रिय करने के लिए किया।

इजरायल के खिलाफ संभावित हमले की तैयारी से पहले निशाना

इजराइली सेना के बयान के अनुसार, उनकी सैन्य खुफिया एजेंसी की सूचना के आधार पर ईरान के कर्मनशाह क्षेत्र में सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों के कई लॉन्च और स्टोरेज साइट्स को भी नष्ट किया गया। ये मिसाइलें इजरायल के खिलाफ संभावित हमले के लिए तैयार की जा रही थीं। 

अमेरिका भी इस जंग में एंट्री

इजरायल को समर्थन देते हुए अमेरिका भी इस लड़ाई में एंट्री कर चुका है। अमेरिकी एयरफोर्स ने रविवार सुबह सैकड़ों लड़ाकू विमानों, बमवर्षकों और बंकर बस्टर बमों से ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले किए हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि उनकी सेना के हमलों में ईरान को भारी नुकसान हुआ है और ईरान का परमाणु कार्यक्रम तबाह हो गया है।

बता दें कि ईरान और इजरायल के बीच बीते दस दिन से लड़ाई चल रही है। दोनों देशों ने सोमवार को ग्यारहवें दिन भी एक-दूसरे पर हमले जारी रखे हैं। इस लड़ाई की शुरुआत 13 जून को हुई थी, जब इजरायल ने ईरान पर भीषण हमला करते हुए उसके कई सैन्य अफसरों और परमाणु वैज्ञानिकों को मार डाला था। इसके बाद ईरान ने भी इजरायल के प्रमुख शहरों पर मिसाइल हमले किए हैं।

ईरान-इजरायल-अमेरिका युद्ध का भारत पर क्या होगा असर?

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ईरान और इजराइल के बीच जारी संघर्ष न केवल मध्य पूर्व को, बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है। इस टकराव का असर वैश्विक ऊर्जा बाज़ारों, व्यापारिक मार्गों और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति तक महसूस किया जा रहा है। अमेरिका इस संघर्ष में स्पष्ट रूप से इजराइल का समर्थन कर रहा है। हालांकि, अब अमेरिका भी आधिकारिक तौर पर जंग मे कूद चुका है। अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु केंद्रों पर हमले किए हैं। जिसके बाद युद्ध के विकराल होने के पूरे आसार हैं। इस बीच सवाल उठ रहा है कि इस युद्ध का भारत पर क्या असर होगा?

बीते कुछ सालों में भारत और इजरायल करीब आए हैं। सेक्योरिटी और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत और इजरायल के बीच गहरा सहयोग देखने को मिला है। साल 2023 के अक्तूबर महीने में हमास के हमले को लेकर भारत ने सख्त शब्दों में प्रतिक्रिया दी थी और साथ ही गाजा में सीजफायर से जुड़े यूएन प्रस्ताव पर वोटिंग से किनारा भी किया था। वहीं पहलगाम हमले के बाद इजरायल उन देशों में था जो भारत की आत्मरक्षा के अधिकार के साथ खुलकर सामने आया।

वहीं दूसरी ओर, भारत और ईरान के बीच लंबे समय से मजबूत और सभ्यतागत स्तर के संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जुड़ाव गहरे हैं। ऐसे में भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह बिना अपने दीर्घकालिक हितों को नुकसान पहुंचाए इस संघर्ष में किसके साथ खुलकर खड़ा हो सकता है।

चाबहार पोर्ट पर संकट मंडरा रहा

ऐसे में हालिया युद्ध के मद्देनजर भारत का बहुत कुछ दांव पर लगा है। चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट भारत को अफगानिस्तान, सेंट्रल एशिया और ईरान तक सीधी पहुंच देता है। भारत ने इस प्रोजेक्ट में अच्छा खासा निवेश किया है। चीन की बीआरआई परियोजना के मद्देनजर रूचि और पाकिस्तान की छुपी प्रतिद्वंद्विता की वजह से ये भारत के लिए अहम रणनीतिक प्रोजेक्ट है । सेंट्रल एशिया ना सिर्फ एनर्जी बल्कि रेयर अर्थ मिनरल्स के कारण भी बहुत अहम है। ऐसे में युद्ध कनेक्टिविटी को लेकर भारत की योजना को आघात पहुंचा सकता है।

अपने लोगों के जान और माल की सुरक्षा की चिंता

इजरायल और ईरान, दोनों देशों में अच्छी खासी तादाद में भारतीय नागरिक मौजूद हैं। अगर हालात बिगड़ते हैं तो भारत को तात्कालिक तौर पर इन लोगों की जान और माल की सुरक्षा की चिंता करनी होगी। भारत ने ऑपरेशन सिंधु के चलते इन देशों से अपने नागरिक निकाले भी हैं। लेकिन अभी भी तादाद बहुत बड़ी है। एक आंकड़े के मुताबिक इजरायल में करीब 18 हजार और ईरान में करीब 10000 भारतीय मौजूद हैं।

कई देशों से व्यापार होगा प्रभावित

भारत के मध्य एशिया में कई अहम हित जुड़े हुए हैं। तेल की कीमतों में वृद्धि देश में ऊर्जा सुरक्षा की चुनौती व महंगाई बढ़ा सकती है। अब, ईरान-इजरायल युद्ध के कारण, एक और प्रमुख व्यापारिक मार्ग - होर्मुज जलडमरूमध्य प्रभावित हो रहा है। युद्ध ने पहले ही ईरान और इजरायल को भारत के निर्यात को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। युद्ध के और बढ़ने से इराक, जॉर्डन, लेबनान, सीरिया और यमन सहित पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के व्यापार पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा

इजरायल ने भारत का गलत नक्शा किया पोस्ट, लगी लताड़ तो मांगी माफी

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भारत कई बार यह स्पष्ट कर चुका है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, जिसके कुछ हिस्सों पर पाकिस्तान और चीन ने दशकों से अवैध रूप से कब्ज़ा कर रखा है, वो देश का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेंगे। इस बीच इजरायल रक्षा बल ने शुक्रवार को भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का गलत नक्शा पोस्ट कर दिया था। इस नक्शे में जम्मू और कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया था। हालांकि, गलती का एहसास होने पर आईडीएफ ने माफी मांगी। इस नक्शे पर जब विरोध जताया गया तो इजरायली सेना को मांफी मांगनी पड़ी।

इजरायली रक्षा बलों ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक नक्शा शेयर किया। इसके जरिए तेल अवीव की ओर से ईरान को वैश्विक खतरा बताया गया, इसी में भारत का नक्शे का गलत चित्रण किया गया। इजरायल सेना ने पश्चिम एशिया, उत्तरी अफ्रीका, यूरोप और भारत (गलत नक्शे के साथ) सहित एशिया के अधिकांश हिस्सों की सीमाओं को दिखाते हुए कहा था कि ईरान एक वैश्विक खतरा है। इजरायल अंतिम लक्ष्य नहीं है, यह सिर्फ शुरुआत है। हमारे पास कार्रवाई करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था।

सोशल मीडिया पर भड़के भारतीय यूजर्स

इस नक्शे में जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा और अरुणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा दिखाया गया। साथ-साथ उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को नेपाल से जोड़ा गया। कई भारतीय अकाउंट्स से मामले को लेकर काफी नाराजगी जताई गई। उन्होंने इस गलती को इजराइल के सामने रखा और उन्हें गलती का एहसास कराते हुए इजराइली सेना से पोस्ट को वापस लेने की बात कही। कुछ ने तो इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को भी टैग किया।

इजराइली बल ने मांगी माफी

जिसके बाद इजराइल रक्षा बलों ने कहा कि यह पोस्ट क्षेत्र का चित्रण है। यह नक्शा सीमाओं को सटीक रूप से चित्रित करने में विफल रहा है। हम किसी भी तरह की गलती और अपराध के लिए क्षमा चाहते हैं। यह माफी मूल पोस्ट के लगभग 90 मिनट बाद आई।

भारत सरकार ने अब तक नहीं दी प्रतिक्रिया

भारत ने हमेशा से यह स्पष्ट किया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, जिसके कुछ हिस्सों पर पाकिस्तान और चीन ने दशकों से अवैध रूप से कब्जा कर रखा है, देश का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा। मई में पहलगाम हमले और फिर ऑपरेशन सिंदूर के बाद पीएम मोदी ने भी यही बात दोहराई थी

मिडिल ईस्ट में बढ़ा तनाव, अब ईरान ने इजरायल पर 150 मिसाइल से किया हमला

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मिडिल ईस्ट इस वक्त गंभीर उथल-पुथल से गुजर रहा है। इजरायल और ईरान के बीच बढ़ती जंग की स्थिति ने पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल बना दिया है। दोनों देश अब युद्ध के कगार पर हैं। पहले इजराइल ने हमला कर जंग की शुरुआत की तो ईरान ने भी जवाबी हमले किए। शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर ताबड़तोड़ हमले किए थे। इसके जवाब में ईरान ने शनिवार सुबह इजरायल पर मिसाइल हमले किए, जिसमें विशेष रूप से इजरायल के उत्तरी क्षेत्र को निशाना बनाया गया।

ईरान ने इजराइल की मदद करने वाले देशों के चेताया

इजराइल ने शुक्रवार को ईरानी परमाणु ठिकानों पर जोरदार हमला करके जंग की शुरुआत की। इस हमले में 70 से ज्यादा लोगों की मौत और 350 से ज्यादा घायल हुए। जवाब में ईरान ने भी 150 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें से 6 सीधे तेल अवीव के दिल में आ गिरीं। ईरान के हमले को देखते हुए इजरायल के उत्तरी क्षेत्र में सायरन बजने लगे हैं और वहां की सरकार ने लोगों से बंकरों में शरण लेने का आग्रह किया है। वहीं ईरान ने चेतावनी दी है कि अगर कोई देश इजराइल की मदद करेगा, तो उसके क्षेत्रीय सैन्य अड्डे भी निशाने पर होंगे, जो सीधे अमेरिका को धमकी मानी जा रही है।

ईरानी रॉकेट से एक की मौत, 20 से ज्यादा घायल

ईरान के रॉकेट हमले ने तेल अवीव के दक्षिण में रिशोन लेज़ियोन के रिहायशी इलाके को निशाना बनाया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इजरायल की आपातकालीन सेवाओं ने बताया कि मलबे में कई लोग फँसे थे, और बचाव कार्य जारी है। मौके पर भारी संख्या में पैरामेडिक्स तैनात हैं।

इजराइल ने भी की जवाबी कार्रवाई

इजरायली सेना ने भी जवाबी कार्रवाई की और दावा किया कि उसने ईरान के दो प्रमुख एयरबेस पर हमला कर दिया है। इस हमले से पहले इजरायल ने ईरान के सैन्य कमांडरों और न्यूक्लियर साइट्स को निशाना बनाया। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दुनिया के सामने यह कहते हुए अपना स्टैंड रखा कि यह सिर्फ इजराइल की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि ईरानी जनता की आज़ादी के लिए भी है। उन्होंने ईरानी लोगों से अपील की कि वे अब इस्लामिक शासन के खिलाफ आवाज उठाएं।

अब मिडिल ईस्ट में युद्ध का आगाजः इजराइल ने ईरान पर किए हमले, नेतन्याहू बोले- हमने खतरे को कम किया

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दुनिया में अब एक और जंग की शुरुआत हो गई है। मिडिल ईस्ट में इजरायल और ईरान के बीच तनाव ने अब खतरनाक मोड़ ले लिया है। इजरायल और ईरान अब आपस में भिड़ चुके हैं। इजराइल ने शुक्रवार को ईरान पर बम बरसाए। राजधानी तेहरान में सुबह ही धुएं के बादल छा गए और कई जगह विस्फोट हुए। इजराइल ने अटैक के बाद दावा किया है कि उसने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है। परमाणु ठिकानों को तबाह कर दिया है।

ईरान के आर्मी चीफ को भी मार गिराया

इजरायल ने ईरान के सैन्य ठिकानों और न्यूक्लियर ठिकानों पर आज यानी शुक्रवार की सुबह हमला किया। इसके बाद ईरान में खलबली मच गई। इजरायल ने ईरान के न्यूक्लियर साइट्स और सैन्य ठिकानों को टारगेट कर तेहरान में कई हमले किए। इसके बाद तेहरान में एयरस्पेस को बंद कर दिया गया। ईरान सरकार ने देशभर में इमरजेंसी लागू कर दी है। माना जा रहा है कि इजरायल के हमले में ईरान को बड़ा नुकसान पहुंचा है। इजरायल ने ईरान के आर्मी चीफ, आईआरजीसी चीफ और टॉप न्यूक्लियर वैज्ञानिकों को मार गिराया है।

ईरान को करारा सबक सिखाया- नेतन्याहू

ईरान पर किए गए हमले की इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि हमारे हमले का उद्देश्य ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के खतरे को कम करना है। हमें उम्मीद है कि ईरान को करारा सबक सिखाया गया है। उम्मीद है कि यह अब दोबारा नहीं होगा।

ऑपरेशन राइजिंग लायन शुरू

नेतन्याहू ने ऑपरेशन राइजिंग लायन शुरू करने का एलान किया। उन्होंने कहा कि इजराइल ने ईरानी ठिकानों पर हमला किया है। कुछ ही समय पहले इजराइल ने ऑपरेशन राइजिंग लॉयन शुरू किया, जो इजराइल के अस्तित्व के लिए ईरानी खतरे को कम करने के लिए सैन्य अभियान था। उन्होंने कहा कि यह मिशन खतरे को खत्म करने के लिए जितने दिन लगेंगे, उतने दिन तक जारी रहेगा।

खामनोई ने दी अंजाम भुगतने की धमकी

इस हमले के बाद ईरान ने इजरायल को अंजाम भुगतने की धमकी दी है। ईरान के सुप्रीम लीडर यानी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने शुक्रवार को कहा कि उनके देश पर हमले के लिए इजराइल को ‘कड़ी सज़ा’ दी जाएगी। ईरान की सरकारी सामाचार एजेंसी ‘आईआरएनए’ ने खामनेई के बयान को जारी किया। इसने पुष्टि की कि हमले में सेना के शीर्ष अधिकारी और वैज्ञानिक मारे गए हैं। खामनेई ने कहा कि उनके देश में हुए इस अपराध में ‘‘इजराइल के शैतानी और रक्त-रंजित हाथ शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इजराइल ने आवासीय इलाकों पर हमला करके अपनी दुर्भावनापूर्ण प्रकृति को उजागर किया है।

Our journalist had the privilege of speaking with Commander Mandeep Pasricha

Our journalist had the privilege of speaking with Commander Mandeep Pasricha, a seasoned veteran with 24 years of distinguished service in Indian Navy. He comes with management qualifications from JBIMS, Mumbai University, and Symbiosis Pune. He has also worked with aircraft giants like Boeing, Ilyushin and Israel Aerospace. He is a certified Project Management Professional, with wide exposure in Revenue and Capital procurements and Product Management.

With a wealth of leadership experience, strategic acumen, and an unshakable commitment to excellence, he has successfully navigated the challenging transition from military life to the corporate world. In this candid conversation, he shares invaluable insights, practical advice, and hard-earned lessons for fellow faujis considering their next mission—thriving in the business world.

Fauji to Fauji: The Corporate Transition Playbook – An Interview

Interviewer: Welcome, Cdr Pasricha! There’s always a lot of buzz around military personnel transitioning to the corporate world. Many serving officers are on the fence about making the switch. What’s the most common question you hear from your fellow faujis?

Cdr Pasricha: Oh, I get a range of them! "Will I adjust to the new world order?", "How is corporate life?", "Is there stability at work?", "What do I need to plan before leaving service?"—the list goes on. The transition can feel like stepping into uncharted territory, but trust me, it's nothing a Fauji can't handle!

Interviewer: That’s reassuring! But let's be honest—military life is all about discipline, structure, and a well-defined purpose. The corporate world, on the other hand, is more profit-driven. How does this impact retired personnel?

Cdr Pasricha: Ah, the great shift in purpose! In the military, every mission serves a greater good—national security, saving lives, protecting borders. In the corporate world, success is measured by profits, market shares, and business growth. Many veterans initially struggle to find meaning in their work. The trick is to align yourself with roles that resonate with your core values—leadership development, consulting, or even CSR initiatives. Find your mission within the mission!

Interviewer: Well said! Now, the work culture is another massive change. In the military, hierarchy is everything—orders are followed, no questions asked. But in corporate life, collaboration and debate are encouraged. How do retired officers adapt?

Cdr Pasricha: You nailed it! In the forces, when a command is given, it’s executed—period. In the corporate world, questioning, brainstorming, and debating ideas are the norm. Initially, this can feel chaotic for veterans. My advice? Observe first. Soak in the dynamics. Once you get the hang of it, you’ll see that leadership here is more about influence than authority.

And here’s a pro tip: Instead of giving orders, ask, "What do you think?"—it works wonders!

Interviewer: That’s a gold nugget right there! Another big shift must be decision-making. Military officers are trained to take quick, high-pressure decisions. But the corporate world thrives on stakeholder consensus. Is that a tough adjustment?

Cdr Pasricha: Absolutely! In the military, a delay in decision-making can be life-threatening. In business, it’s all about buy-in from different stakeholders, endless meetings, and navigating office politics. Initially, the pace can be frustrating. But once you learn the game, you’ll see that your ability to make firm, informed decisions is a superpower. Just learn to balance decisiveness with diplomacy.

Interviewer: Speaking of adjustments, work-life balance is another big one. Defence personnel live in a close-knit community. But in corporate life, people clock out and go their own way. How does this impact retired officers?

Cdr Pasricha: Oh, this is a real shocker! In the armed forces, your colleagues are your family. You live together, train together, celebrate together. Then suddenly, you’re in a world where relationships are transactional, and weekend plans are personal. The key is to build new networks—join corporate clubs, alumni groups, or even veteran communities. Find your tribe, and you won’t feel alone!

Interviewer: That makes sense. Now, let’s talk money. The military offers a structured salary, benefits, housing, and medical perks. In corporate life, it’s all about negotiations. How can veterans ensure they get their due?

Cdr Pasricha: Negotiating salaries? That’s foreign territory for most of us! In the forces, our pay scales are fixed. But in corporate life, everything is negotiable. My advice? Do your homework. Know your market value. Speak to other veterans who have transitioned. And don’t undersell yourself—your leadership, discipline, and crisis-management skills are priceless.

Interviewer: What about career progression? In the military, promotions are structured. But in business, growth depends on networking and performance. How do retired personnel adapt to this?

Cdr Pasricha: That’s a mindset shift! In the armed forces, you rise through the ranks over time. In corporate, you must actively chase opportunities—network, take on new challenges, switch functions if needed. It’s more of a jungle gym than a ladder. My tip? Be open to lateral moves; they often lead to bigger roles down the line!

Interviewer: This has been enlightening! Before we wrap up, can you share some tips for faujis planning their corporate transition?

Cdr Pasricha: Of course! Here are my top five:

Upskill yourself – An executive MBA, project management certification, or industry-specific training will make you job-ready.

Leverage veteran networks – Connect with those who have successfully transitioned; they’ll guide you through.

Embrace change – Be open to feedback, learn new skills, and adapt quickly.

Play to your strengths – Leadership, crisis management, discipline—these are gold in the corporate world.

Use specialized agencies – There are organizations that help veterans with job placements, resumes, and career counseling.

Interviewer: This has been an eye-opener! Thank you, Cdr Pasricha, for sharing your insights. One last question—would you say this transition is difficult?

Cdr Pasricha: Difficult? Not at all! Challenging? Yes. But show me a Fauji who doesn’t love a challenge! We’ve conquered tougher terrains—this is just another mission. Plan well, adapt fast, and march forward. The corporate world isn’t ready for the force that’s coming their way!

Interviewer: (Laughs) Well, that’s the spirit! Thanks again, Cdr Pasricha. Wishing all our veterans a smooth and successful transition!

Final Thought: For every Fauji considering the corporate shift, remember: You’re not just a job-seeker—you’re a leader, a strategist, and a problem-solver. The boardroom needs more of your kind. Go, own it!

15 महीने बाद गाजा में बंद होगा युद्, इजरायल-हमास के बीच हुआ समझौता

#agreementsignedbetweenisraelandhamashostageswillbe_released

इजराइल और हमास ने 15 महीने से गाजा में चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए सीजफायर पर सहमति दी है। यह समझौता इजराइली बंधकों के बदले फिलिस्तीनी कैदियों के आदान-प्रदान के तहत हुआ है। ये समझौता 19 जनवरी से लागू होने की बात की जा रही है।मिस्र और कतर की मध्यस्थता से हुआ यह सौदा अमेरिकी समर्थन से संभव हो पाया है। अक्टूबर 2023 में शुरू हुए इस युद्ध में 46,000 से अधिक लोगों की मौत हुई।

कतर, मिस्र और अमेरिका ने बुधवार को एक संयुक्त बयान जारी किया। इसमें बताया गया कि इस्राइल और हमास ने युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई के लिए समझौता किया है। यह समझौता 19 जनवरी 2025 से प्रभावी होगा और इसमें तीन चरणों में शांति लाने की योजना है। साथ ही मामले में कतर, मिस्र और अमेरिका ने यह सुनिश्चित करने का वचन दिया है कि सभी तीन चरणों का पालन किया जाएगा और यह समझौता पूरी तरह से लागू होगा। इन देशों ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को सफल बनाने का भी वादा किया है।

वहीं, सीजफायर को लेकर इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि हमास के साथ युद्ध विराम समझौता अभी पूरी तरह से तय नहीं हुआ है और इस पर आखिरी विवरण पर काम किया जा रहा है। साथ ही पीएम नेतन्याहू ने इजाराइली बंधकों की रिहाई और वापसी के लिए प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप को धन्यवाद किया।

33 इजरायली बंधकों को रिहा किया जाएगा

समझौते के विवरण की अभी औपचारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन एक अधिकारी ने बताया कि शुरुआती चरण में छह हफ्ते का प्रारंभिक युद्धविराम होगा जिसमें गाजा पट्टी से इजरायली सेना की धीरे-धीरे वापसी, हमास के कब्जे से इजरायली बंधकों की रिहाई और इजरायल की कैद से फलस्तीनी कैदियों की रिहाई शामिल है। 

इस चरण में 33 इजरायली बंधकों को रिहा किया जाएगा जिनमें सभी महिलाएं, बच्चे और 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष हैं। दूसरे चरण को लागू करने के लिए पहले चरण के 16वें दिन वार्ता शुरू होगी और इसमें सैनिकों समेत सभी बाकी बंधकों की रिहाई, स्थायी युद्ध विराम और गाजा से इजरायली सेना की पूर्ण वापसी शामिल होने की संभावना है। तीसरे चरण में सभी बाकी शवों को लौटाने और मिस्त्र, कतर व संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में गाजा का पुनर्निर्माण शुरू करने की बात हो सकती है।

46 हजार से अधिक लोगों ने गंवाई जान

बीते 7 अक्तूबर 2023 को हमास के हमले के साथ शुरू हुए इस्राइल और फलस्तीन के बीच जंग ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। इस युद्ध में अब तक 23 लाख की आबादी वाली गाजा पट्टी में लगभग 90 प्रतिशत लोग विस्थापित हो चुके हैं और 46 हजार से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।

इजराइल ने जारी किया नया नक्शा, भड़के ये अरबी देश, जताया कड़ा विरोध

#israelnewmap

सीरिया में गृहयुद्ध चरम पर है. देश में तख्तापलट के बाद अब तक राष्ट्रपति रहे बशर अल-असद को रूस भागना पड़ा। इस बीच, इज़राइल ने सीरियाई सीमा पर गोलान हाइट्स के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लिया है। इस बीच इजराइल ने नया मैप शेयर किया है। इजराइल के विदेश मंत्रालय के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक मानचित्र शेयर किया है। इस मानचित्र में बाइबिल में बताए गए इजरायल और जुदेया राज्य की सीमाओं को दिखाया गया है। मैप में इजरायल के कब्जे वाले फिलिस्तीनी इलाकों और पड़ोसी अरब जमीनों को ग्रेटर इजरायल के रूप में दर्शाया गया है। इस मानचित्र के प्रकाशित होने के बाद सऊदी अरब समेत अरब देश भड़क उठे हैं, जिसमें इजरायल का दोस्त मुस्लिम देश जॉर्डन भी शामिल है। इस मानचित्र के बाद कहा जा रहा है कि यहूदी देश अब ग्रेटर इजरायल प्लान की तरफ बढ़ रहा है।

इजरायली विदेश मंत्रालय की ओर से अरबी भाषा के इंस्टाग्राम और एक्स पर एक पोस्ट शेयर की गई है। इसमें लिखा है, क्या आप जानते हैं कि इजरायल का साम्राज्य 3000 साल पहले स्थापित हुआ था? इसमें आगे लिखा था,हालांकि, प्रवासी यहूदी लोग अपनी शक्तियों और क्षमताओं के पुनरुद्धार और अपने राज्य के पुनर्निर्माण की प्रतीक्षा कर रहे थे, जिसे 1948 में इजरायल राज्य में मध्य पूर्व में एकमात्र लोकतंत्र घोषित किया गया था।

फिलिस्तीनियों समेत अरबी देश भड़के

इजरायल के इस पोस्ट ने फिलिस्तीनियों समेत अरबी देशों में आक्रोश पैदा कर दिया है। संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन और कतर ने इजरायल के इस कदम की कड़ी निंदा की है। इन अरब देशों ने इजरायल की इस हरकत को उनकी संप्रभुता का सीधे उल्लंघन के रूप में देखा। जॉर्डन और कतर के विदेश मंत्रालय ने इसे शांति संभावनाओं के लिए खतरा बताया।

अरब लीग ने क्या कहा

इजरायल के नक्शे की आलोचना करते हुए अरब लीग के महासचिव अहमद अबुल घेइत ने इसे भड़काऊ कार्रवाई बताया और चेतावनी दी कि इस तरह के भड़काऊ कदम और गैरजिम्मेदाराना बयानबाजी से निपटने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की विफलता से सभी पक्षों में चरमपंथ और अतिवाद का विरोध बढ़ने का खतरा है। कतर और संयुक्त अरब अमीरात ने भी अलग-अलग बयानों में इस कदम की निंदा करते हुए इसे कब्जे को बढ़ाने का जानबूझकर किया गया प्रयास बताया।

ईरान के गैस, तेल भंडार को इजरायल ने क्यों नहीं बनाया निशाना? जानें क्या हो सकता है दुनिया पर असर

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इजरायल ने शनिवार को अपनी जगह से 2000 किलोमीटर दूर ईरान में घुसकर हमला किया। टारगेट ईरान के मिलिट्री ढांचे थे। यानी हथियार डिपो, कम्यूनिकेशन सेंटर, मिलिट्री कमांड और राडार सेंटर्स। इजरायली विमानों ने 2000 किलोमीटर की दूरी तक उड़ान भरकर ईरान की राजधानी तेहरान और उसके सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इजरायल ने एकसाथ 100 से ज्यादा फाइटर जेट्स उड़ाए थे। इजरायल ने अपने अलग-अलग बेस से 100 से ज्यादा फाइटर जेट्स उड़ाए। हमले का मेन फोकस तेहरान और करज शहर था। यहीं के मिलिट्री इंस्टॉलेशन टारगेट पर थे। इजरायल का हमला सीधे तौर पर राडार और एयर डिफेंस सिस्टम को उड़ाना था।

इजराइली हमले में उन जगहों को निशाना बनाया गया, जहां ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलें बनाई जाती थीं। इनका इस्तेमाल ईरान ने इजराइल पर 1 अक्टूबर के हमले में किया था। 1980 के दशक में इराक युद्ध के बाद से पहली बार किसी दुश्मन देश ने ईरान पर इस तरह से हवाई हमले किए हैं। हमले के बाद इजरायली सेना ने कहा कि ईरान की न्यूक्लियर या तेल फैसिलिटी पर हमला नहीं कर रहा है। उसका फोकस ईरान के मिलिट्री टार्गेट हैं। सवाल उठता है कि आखिर क्यों इजराइल ने ईरान की न्यूक्लियर या तेल फैसिलिटी को निशाना नहीं बनाया?

दरअसल, इजराइल का अजीज दोस्त अमेरिका लगातार चेताता रहा है कि वह ईरान की तेल या न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमला न करे। क्योंकि अगर तेल साइट को निशाना बनाया गया तो पूरी दुनिया में तेल के दाम बढ़ सकते हैं। अमेरिका के सहयोगियों पर भी इसका असर पड़ता। वहीं, न्यूक्लियर साइट पर हमला एक बड़ा युद्ध शुरू कर सकता है। अगर न्यूक्लियर साइट को निशाना बनाया गया तो ईरान के साथ इजरायल का बड़ा युद्ध शुरू हो सकता है। इसमें अमेरिका को भी इजरायल को बचाने के लिए आना पड़ेगा।

दुनिया के तेल बाज़ार में ईरान की अहमियत

ईरान दुनिया में तेल का सातवां सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यह अपने तेल उत्पादन का क़रीब आधा निर्यात करता है। इसके प्रमुख बाज़ारों में चीन शामिल है। हालांकि चीन में तेल की कम मांग और सऊदी अरब से तेल की पर्याप्त सप्लाई ने इस साल तेल की कीमतों को बढ़ने से काफ़ी हद तक रोके रखा है। दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल भंडार ईरान के पास है। जबकि ईरान में दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा गैस भंडार है।

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) में ईरान तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और प्रति दिन लगभग 30 लाख बैरल तेल का उत्पादन करता है। ये कुल वैश्विक उत्पादन का लगभग तीन फीसदी है। इस बात की आशंका है कि अगर इजराइल ने ईरान के तेल ठिकानों को निशाना बनाया और उसे नष्ट किया तो इससे तेल की सप्लाई पर असर पड़ेगा और दुनिया भर में तेल की क़ीमतों में बड़ा इज़ाफा हो सकता है।

इजराइल के निशाने पर हैं ईरान के न्यूक्लियर साइट

वहीं, अमेरिका ने इजराइल से ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला न करने की अपील की है। हालांकि, इजरायल ने इस सलाह को मानने का आश्वासन नहीं दिया है। ऐसे में आशंका जताई जाती रही है इजराइल की तरफ से ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला किया जा सकता है। हालांकि, शनिवार को किए हमले में भी इजराइल ने न्यूक्लियर साइट को निशाना नहीं बनाया। ऐसे में सवाल उठते रहे हैं कि क्या रान के पास परमाणु हथियार हैं। ईरान के परमाणु हथियार को लेकर कई सालों से कयास लग रहे हैं। उसने कभी खुलकर नहीं माना है कि उसके पास न्यूक्लियर वेपन हैं। पर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था का मानना है कि ईरान 2003 से ही परमाणु हथियार कार्यक्रम पर काम कर रहा है। जिसे उसने बीच में कुछ वक्त के लिए रोक दिया था। साल 2015 में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से राहत पाने लिए अपनी परमाणु गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने को राजी हुआ। हालांकि 2018 में जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप ने इस समझौते से बाहर निकलने का ऐलान कर दिया। इसके बाद यह समझौता खटाई में पड़ गया। ईरान ने भी प्रतिबंधों को वापस लेना शुरू कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक 2018 के बाद से ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम का तेजी से विस्तार कर रहा है।

इजराइल-ईरान के बीच सीजफायर! डोनाल्ड ट्रंप ने किया ऐलान, खामेनेई का अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे से इनकार

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल और ईरान के बीच 12 दिन से जारी युद्ध को खत्म कराने का दावा कर दिया। उन्होंने दोनों देशों के बीच ‘पूर्ण सीजफायर’ की करते हुए इसे ‘12 डे वॉर’ का अंत बताया। उन्होंने ट्रुथ सोशल पर एक के बाद एक कई पोस्ट किए। इनमें उन्होंने यह भी बताया कि यह संघर्ष विराम कैसे हुआ और क्यों इसका एलान ट्रंप ने किया। ट्रंप के इस ऐलान पर इजरायल की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया तो नहीं आई है। धर ईरानी सुप्रीम लीडर ने कहा है कि ईरान सरेंडर करने वाला मुल्क नहीं।

ट्रंप ने क्या कहा?

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को सोशल मीडिया पर कहा कि सभी को बधाई! इजराइल और ईरान के बीच पूरी तरह से सहमति बन गई है। इजराइल और ईरान 24 घंटे में युद्ध विराम करने पर सहमत हो गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्रुथ सोशल पर कहा कि युद्ध विराम से युद्ध का आधिकारिक अंत होगा, जो कि तीन ईरानी परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमले के बाद शत्रुता में एक बड़ा बदलाव है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि मैं दोनों देशों, इजराइल और ईरान को बधाई देना चाहूंगा कि उनके पास वह सहनशक्ति, साहस और बुद्धिमत्ता है।

ईरान आत्मसमर्पण करने वाला राष्ट्र नहीं- खामेनेई

अयातुल्लाह खामेनेई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में कहा, जो ईरानी लोगों और उनके इतिहास को जानते हैं, वे जानते हैं कि ईरानी राष्ट्र आत्मसमर्पण करने वाला राष्ट्र नहीं है।

इजराइल हमले बंद करता है तो ईरान भी शांत बैठेगा-अराघची

वहीं, ईरान के विदेश मंत्री ने मंगलवार को कहा कि अगर इस्राइल स्थानीय समयानुसार सुबह 4 बजे तक अपने हवाई हमले बंद कर देता है तो तेहरान भी अपने हमले बंद कर देगा।अराघची ने तेहरान समयानुसार सुबह 4:16 बजे सोशल प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर अपना संदेश भेजा। अराघची ने लिखा, 'अभी तक किसी भी युद्ध विराम या सैन्य अभियानों को रोककने पर कोई समझौता नहीं हुआ है। हालांकि, बशर्ते कि इस्राइली शासन ईरानी लोगों के खिलाफ अपने अवैध आक्रमण को तेहरान समय के अनुसार सुबह 4 बजे से पहले बंद कर दे, उसके बाद हमारा जवाबी कार्रवाई जारी रखने का कोई इरादा नहीं है। अराघची ने कहा कि हमारे सैन्य अभियानों को रोकने पर अंतिम निर्णय बाद में लिया जाएगा।

अमेरिका के बाद अब इजरायल ने ईरान को दिए गहरे घाव, 6 मिलिट्री एयरपोर्ट, 15 लड़ाकू विमान किए तबाह

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पश्चिम एशिया में ईरान और इजराइल के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। अमेरिका के बाद अब इजराइल ने एक बार फिर ईरान पर हमला किया है। दावा किया जा रहा है कि इजराइल ने ईरान के छह सैन्य हवाई ठिकानों को निशाना बनाया। इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने कहा कि केरमानशाह क्षेत्र में 15 से अधिक लड़ाकू विमानों के साथ ईरानी बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपण स्थलों को निशाना बनाकर हमले किए। हालांकि, इस पर ईरान की ओर से अभी प्रतिक्रिया नहीं आई है।

आईडीएफ ने सोमवार को इसकी जानकारी देते हुए दावा किया है कि रात में किए गए इन हमलों में 15 ईरानी लड़ाकू विमानों, कई हेलीकॉप्टरों और दूसरी अहम सुविधाओं को तबाह कर दिया। इजरायल ने ड्रोन के जरिए ये हमले किए हैं, जिनमें ईरान के एयरफोर्स के ठिकानों पर भारी नुकसान हुआ है। 

ईरानी वायुसेना को भारी नुकसान

आडीएफ के अनुसार, उसके ड्रोन हमले के टारगेट पर ईरानी सेना और शासन के विमान शामिल थे। इनमें एफ-14 और एफ-5 लड़ाकू विमान और एएच-1 हेलीकॉप्टर शामिल थे। एक हवाई ईंधन भरने वाले विमान को भी निशाना बनाया गया। हमलों में रनवे, भूमिगत हैंगर और अतिरिक्त बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा। आईडीएफ ने ड्रोन का इस्तेमाल इजरायली अभियानों के खिलाफ इस्तेमाल होने वाले विमानों को निष्क्रिय करने के लिए किया।

इजरायल के खिलाफ संभावित हमले की तैयारी से पहले निशाना

इजराइली सेना के बयान के अनुसार, उनकी सैन्य खुफिया एजेंसी की सूचना के आधार पर ईरान के कर्मनशाह क्षेत्र में सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों के कई लॉन्च और स्टोरेज साइट्स को भी नष्ट किया गया। ये मिसाइलें इजरायल के खिलाफ संभावित हमले के लिए तैयार की जा रही थीं। 

अमेरिका भी इस जंग में एंट्री

इजरायल को समर्थन देते हुए अमेरिका भी इस लड़ाई में एंट्री कर चुका है। अमेरिकी एयरफोर्स ने रविवार सुबह सैकड़ों लड़ाकू विमानों, बमवर्षकों और बंकर बस्टर बमों से ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले किए हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि उनकी सेना के हमलों में ईरान को भारी नुकसान हुआ है और ईरान का परमाणु कार्यक्रम तबाह हो गया है।

बता दें कि ईरान और इजरायल के बीच बीते दस दिन से लड़ाई चल रही है। दोनों देशों ने सोमवार को ग्यारहवें दिन भी एक-दूसरे पर हमले जारी रखे हैं। इस लड़ाई की शुरुआत 13 जून को हुई थी, जब इजरायल ने ईरान पर भीषण हमला करते हुए उसके कई सैन्य अफसरों और परमाणु वैज्ञानिकों को मार डाला था। इसके बाद ईरान ने भी इजरायल के प्रमुख शहरों पर मिसाइल हमले किए हैं।

ईरान-इजरायल-अमेरिका युद्ध का भारत पर क्या होगा असर?

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ईरान और इजराइल के बीच जारी संघर्ष न केवल मध्य पूर्व को, बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है। इस टकराव का असर वैश्विक ऊर्जा बाज़ारों, व्यापारिक मार्गों और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति तक महसूस किया जा रहा है। अमेरिका इस संघर्ष में स्पष्ट रूप से इजराइल का समर्थन कर रहा है। हालांकि, अब अमेरिका भी आधिकारिक तौर पर जंग मे कूद चुका है। अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु केंद्रों पर हमले किए हैं। जिसके बाद युद्ध के विकराल होने के पूरे आसार हैं। इस बीच सवाल उठ रहा है कि इस युद्ध का भारत पर क्या असर होगा?

बीते कुछ सालों में भारत और इजरायल करीब आए हैं। सेक्योरिटी और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत और इजरायल के बीच गहरा सहयोग देखने को मिला है। साल 2023 के अक्तूबर महीने में हमास के हमले को लेकर भारत ने सख्त शब्दों में प्रतिक्रिया दी थी और साथ ही गाजा में सीजफायर से जुड़े यूएन प्रस्ताव पर वोटिंग से किनारा भी किया था। वहीं पहलगाम हमले के बाद इजरायल उन देशों में था जो भारत की आत्मरक्षा के अधिकार के साथ खुलकर सामने आया।

वहीं दूसरी ओर, भारत और ईरान के बीच लंबे समय से मजबूत और सभ्यतागत स्तर के संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जुड़ाव गहरे हैं। ऐसे में भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह बिना अपने दीर्घकालिक हितों को नुकसान पहुंचाए इस संघर्ष में किसके साथ खुलकर खड़ा हो सकता है।

चाबहार पोर्ट पर संकट मंडरा रहा

ऐसे में हालिया युद्ध के मद्देनजर भारत का बहुत कुछ दांव पर लगा है। चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट भारत को अफगानिस्तान, सेंट्रल एशिया और ईरान तक सीधी पहुंच देता है। भारत ने इस प्रोजेक्ट में अच्छा खासा निवेश किया है। चीन की बीआरआई परियोजना के मद्देनजर रूचि और पाकिस्तान की छुपी प्रतिद्वंद्विता की वजह से ये भारत के लिए अहम रणनीतिक प्रोजेक्ट है । सेंट्रल एशिया ना सिर्फ एनर्जी बल्कि रेयर अर्थ मिनरल्स के कारण भी बहुत अहम है। ऐसे में युद्ध कनेक्टिविटी को लेकर भारत की योजना को आघात पहुंचा सकता है।

अपने लोगों के जान और माल की सुरक्षा की चिंता

इजरायल और ईरान, दोनों देशों में अच्छी खासी तादाद में भारतीय नागरिक मौजूद हैं। अगर हालात बिगड़ते हैं तो भारत को तात्कालिक तौर पर इन लोगों की जान और माल की सुरक्षा की चिंता करनी होगी। भारत ने ऑपरेशन सिंधु के चलते इन देशों से अपने नागरिक निकाले भी हैं। लेकिन अभी भी तादाद बहुत बड़ी है। एक आंकड़े के मुताबिक इजरायल में करीब 18 हजार और ईरान में करीब 10000 भारतीय मौजूद हैं।

कई देशों से व्यापार होगा प्रभावित

भारत के मध्य एशिया में कई अहम हित जुड़े हुए हैं। तेल की कीमतों में वृद्धि देश में ऊर्जा सुरक्षा की चुनौती व महंगाई बढ़ा सकती है। अब, ईरान-इजरायल युद्ध के कारण, एक और प्रमुख व्यापारिक मार्ग - होर्मुज जलडमरूमध्य प्रभावित हो रहा है। युद्ध ने पहले ही ईरान और इजरायल को भारत के निर्यात को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। युद्ध के और बढ़ने से इराक, जॉर्डन, लेबनान, सीरिया और यमन सहित पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के व्यापार पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा

इजरायल ने भारत का गलत नक्शा किया पोस्ट, लगी लताड़ तो मांगी माफी

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भारत कई बार यह स्पष्ट कर चुका है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, जिसके कुछ हिस्सों पर पाकिस्तान और चीन ने दशकों से अवैध रूप से कब्ज़ा कर रखा है, वो देश का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेंगे। इस बीच इजरायल रक्षा बल ने शुक्रवार को भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का गलत नक्शा पोस्ट कर दिया था। इस नक्शे में जम्मू और कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया था। हालांकि, गलती का एहसास होने पर आईडीएफ ने माफी मांगी। इस नक्शे पर जब विरोध जताया गया तो इजरायली सेना को मांफी मांगनी पड़ी।

इजरायली रक्षा बलों ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक नक्शा शेयर किया। इसके जरिए तेल अवीव की ओर से ईरान को वैश्विक खतरा बताया गया, इसी में भारत का नक्शे का गलत चित्रण किया गया। इजरायल सेना ने पश्चिम एशिया, उत्तरी अफ्रीका, यूरोप और भारत (गलत नक्शे के साथ) सहित एशिया के अधिकांश हिस्सों की सीमाओं को दिखाते हुए कहा था कि ईरान एक वैश्विक खतरा है। इजरायल अंतिम लक्ष्य नहीं है, यह सिर्फ शुरुआत है। हमारे पास कार्रवाई करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था।

सोशल मीडिया पर भड़के भारतीय यूजर्स

इस नक्शे में जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा और अरुणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा दिखाया गया। साथ-साथ उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को नेपाल से जोड़ा गया। कई भारतीय अकाउंट्स से मामले को लेकर काफी नाराजगी जताई गई। उन्होंने इस गलती को इजराइल के सामने रखा और उन्हें गलती का एहसास कराते हुए इजराइली सेना से पोस्ट को वापस लेने की बात कही। कुछ ने तो इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को भी टैग किया।

इजराइली बल ने मांगी माफी

जिसके बाद इजराइल रक्षा बलों ने कहा कि यह पोस्ट क्षेत्र का चित्रण है। यह नक्शा सीमाओं को सटीक रूप से चित्रित करने में विफल रहा है। हम किसी भी तरह की गलती और अपराध के लिए क्षमा चाहते हैं। यह माफी मूल पोस्ट के लगभग 90 मिनट बाद आई।

भारत सरकार ने अब तक नहीं दी प्रतिक्रिया

भारत ने हमेशा से यह स्पष्ट किया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, जिसके कुछ हिस्सों पर पाकिस्तान और चीन ने दशकों से अवैध रूप से कब्जा कर रखा है, देश का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा। मई में पहलगाम हमले और फिर ऑपरेशन सिंदूर के बाद पीएम मोदी ने भी यही बात दोहराई थी

मिडिल ईस्ट में बढ़ा तनाव, अब ईरान ने इजरायल पर 150 मिसाइल से किया हमला

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मिडिल ईस्ट इस वक्त गंभीर उथल-पुथल से गुजर रहा है। इजरायल और ईरान के बीच बढ़ती जंग की स्थिति ने पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल बना दिया है। दोनों देश अब युद्ध के कगार पर हैं। पहले इजराइल ने हमला कर जंग की शुरुआत की तो ईरान ने भी जवाबी हमले किए। शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर ताबड़तोड़ हमले किए थे। इसके जवाब में ईरान ने शनिवार सुबह इजरायल पर मिसाइल हमले किए, जिसमें विशेष रूप से इजरायल के उत्तरी क्षेत्र को निशाना बनाया गया।

ईरान ने इजराइल की मदद करने वाले देशों के चेताया

इजराइल ने शुक्रवार को ईरानी परमाणु ठिकानों पर जोरदार हमला करके जंग की शुरुआत की। इस हमले में 70 से ज्यादा लोगों की मौत और 350 से ज्यादा घायल हुए। जवाब में ईरान ने भी 150 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें से 6 सीधे तेल अवीव के दिल में आ गिरीं। ईरान के हमले को देखते हुए इजरायल के उत्तरी क्षेत्र में सायरन बजने लगे हैं और वहां की सरकार ने लोगों से बंकरों में शरण लेने का आग्रह किया है। वहीं ईरान ने चेतावनी दी है कि अगर कोई देश इजराइल की मदद करेगा, तो उसके क्षेत्रीय सैन्य अड्डे भी निशाने पर होंगे, जो सीधे अमेरिका को धमकी मानी जा रही है।

ईरानी रॉकेट से एक की मौत, 20 से ज्यादा घायल

ईरान के रॉकेट हमले ने तेल अवीव के दक्षिण में रिशोन लेज़ियोन के रिहायशी इलाके को निशाना बनाया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इजरायल की आपातकालीन सेवाओं ने बताया कि मलबे में कई लोग फँसे थे, और बचाव कार्य जारी है। मौके पर भारी संख्या में पैरामेडिक्स तैनात हैं।

इजराइल ने भी की जवाबी कार्रवाई

इजरायली सेना ने भी जवाबी कार्रवाई की और दावा किया कि उसने ईरान के दो प्रमुख एयरबेस पर हमला कर दिया है। इस हमले से पहले इजरायल ने ईरान के सैन्य कमांडरों और न्यूक्लियर साइट्स को निशाना बनाया। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दुनिया के सामने यह कहते हुए अपना स्टैंड रखा कि यह सिर्फ इजराइल की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि ईरानी जनता की आज़ादी के लिए भी है। उन्होंने ईरानी लोगों से अपील की कि वे अब इस्लामिक शासन के खिलाफ आवाज उठाएं।

अब मिडिल ईस्ट में युद्ध का आगाजः इजराइल ने ईरान पर किए हमले, नेतन्याहू बोले- हमने खतरे को कम किया

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दुनिया में अब एक और जंग की शुरुआत हो गई है। मिडिल ईस्ट में इजरायल और ईरान के बीच तनाव ने अब खतरनाक मोड़ ले लिया है। इजरायल और ईरान अब आपस में भिड़ चुके हैं। इजराइल ने शुक्रवार को ईरान पर बम बरसाए। राजधानी तेहरान में सुबह ही धुएं के बादल छा गए और कई जगह विस्फोट हुए। इजराइल ने अटैक के बाद दावा किया है कि उसने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है। परमाणु ठिकानों को तबाह कर दिया है।

ईरान के आर्मी चीफ को भी मार गिराया

इजरायल ने ईरान के सैन्य ठिकानों और न्यूक्लियर ठिकानों पर आज यानी शुक्रवार की सुबह हमला किया। इसके बाद ईरान में खलबली मच गई। इजरायल ने ईरान के न्यूक्लियर साइट्स और सैन्य ठिकानों को टारगेट कर तेहरान में कई हमले किए। इसके बाद तेहरान में एयरस्पेस को बंद कर दिया गया। ईरान सरकार ने देशभर में इमरजेंसी लागू कर दी है। माना जा रहा है कि इजरायल के हमले में ईरान को बड़ा नुकसान पहुंचा है। इजरायल ने ईरान के आर्मी चीफ, आईआरजीसी चीफ और टॉप न्यूक्लियर वैज्ञानिकों को मार गिराया है।

ईरान को करारा सबक सिखाया- नेतन्याहू

ईरान पर किए गए हमले की इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि हमारे हमले का उद्देश्य ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के खतरे को कम करना है। हमें उम्मीद है कि ईरान को करारा सबक सिखाया गया है। उम्मीद है कि यह अब दोबारा नहीं होगा।

ऑपरेशन राइजिंग लायन शुरू

नेतन्याहू ने ऑपरेशन राइजिंग लायन शुरू करने का एलान किया। उन्होंने कहा कि इजराइल ने ईरानी ठिकानों पर हमला किया है। कुछ ही समय पहले इजराइल ने ऑपरेशन राइजिंग लॉयन शुरू किया, जो इजराइल के अस्तित्व के लिए ईरानी खतरे को कम करने के लिए सैन्य अभियान था। उन्होंने कहा कि यह मिशन खतरे को खत्म करने के लिए जितने दिन लगेंगे, उतने दिन तक जारी रहेगा।

खामनोई ने दी अंजाम भुगतने की धमकी

इस हमले के बाद ईरान ने इजरायल को अंजाम भुगतने की धमकी दी है। ईरान के सुप्रीम लीडर यानी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने शुक्रवार को कहा कि उनके देश पर हमले के लिए इजराइल को ‘कड़ी सज़ा’ दी जाएगी। ईरान की सरकारी सामाचार एजेंसी ‘आईआरएनए’ ने खामनेई के बयान को जारी किया। इसने पुष्टि की कि हमले में सेना के शीर्ष अधिकारी और वैज्ञानिक मारे गए हैं। खामनेई ने कहा कि उनके देश में हुए इस अपराध में ‘‘इजराइल के शैतानी और रक्त-रंजित हाथ शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इजराइल ने आवासीय इलाकों पर हमला करके अपनी दुर्भावनापूर्ण प्रकृति को उजागर किया है।

Our journalist had the privilege of speaking with Commander Mandeep Pasricha

Our journalist had the privilege of speaking with Commander Mandeep Pasricha, a seasoned veteran with 24 years of distinguished service in Indian Navy. He comes with management qualifications from JBIMS, Mumbai University, and Symbiosis Pune. He has also worked with aircraft giants like Boeing, Ilyushin and Israel Aerospace. He is a certified Project Management Professional, with wide exposure in Revenue and Capital procurements and Product Management.

With a wealth of leadership experience, strategic acumen, and an unshakable commitment to excellence, he has successfully navigated the challenging transition from military life to the corporate world. In this candid conversation, he shares invaluable insights, practical advice, and hard-earned lessons for fellow faujis considering their next mission—thriving in the business world.

Fauji to Fauji: The Corporate Transition Playbook – An Interview

Interviewer: Welcome, Cdr Pasricha! There’s always a lot of buzz around military personnel transitioning to the corporate world. Many serving officers are on the fence about making the switch. What’s the most common question you hear from your fellow faujis?

Cdr Pasricha: Oh, I get a range of them! "Will I adjust to the new world order?", "How is corporate life?", "Is there stability at work?", "What do I need to plan before leaving service?"—the list goes on. The transition can feel like stepping into uncharted territory, but trust me, it's nothing a Fauji can't handle!

Interviewer: That’s reassuring! But let's be honest—military life is all about discipline, structure, and a well-defined purpose. The corporate world, on the other hand, is more profit-driven. How does this impact retired personnel?

Cdr Pasricha: Ah, the great shift in purpose! In the military, every mission serves a greater good—national security, saving lives, protecting borders. In the corporate world, success is measured by profits, market shares, and business growth. Many veterans initially struggle to find meaning in their work. The trick is to align yourself with roles that resonate with your core values—leadership development, consulting, or even CSR initiatives. Find your mission within the mission!

Interviewer: Well said! Now, the work culture is another massive change. In the military, hierarchy is everything—orders are followed, no questions asked. But in corporate life, collaboration and debate are encouraged. How do retired officers adapt?

Cdr Pasricha: You nailed it! In the forces, when a command is given, it’s executed—period. In the corporate world, questioning, brainstorming, and debating ideas are the norm. Initially, this can feel chaotic for veterans. My advice? Observe first. Soak in the dynamics. Once you get the hang of it, you’ll see that leadership here is more about influence than authority.

And here’s a pro tip: Instead of giving orders, ask, "What do you think?"—it works wonders!

Interviewer: That’s a gold nugget right there! Another big shift must be decision-making. Military officers are trained to take quick, high-pressure decisions. But the corporate world thrives on stakeholder consensus. Is that a tough adjustment?

Cdr Pasricha: Absolutely! In the military, a delay in decision-making can be life-threatening. In business, it’s all about buy-in from different stakeholders, endless meetings, and navigating office politics. Initially, the pace can be frustrating. But once you learn the game, you’ll see that your ability to make firm, informed decisions is a superpower. Just learn to balance decisiveness with diplomacy.

Interviewer: Speaking of adjustments, work-life balance is another big one. Defence personnel live in a close-knit community. But in corporate life, people clock out and go their own way. How does this impact retired officers?

Cdr Pasricha: Oh, this is a real shocker! In the armed forces, your colleagues are your family. You live together, train together, celebrate together. Then suddenly, you’re in a world where relationships are transactional, and weekend plans are personal. The key is to build new networks—join corporate clubs, alumni groups, or even veteran communities. Find your tribe, and you won’t feel alone!

Interviewer: That makes sense. Now, let’s talk money. The military offers a structured salary, benefits, housing, and medical perks. In corporate life, it’s all about negotiations. How can veterans ensure they get their due?

Cdr Pasricha: Negotiating salaries? That’s foreign territory for most of us! In the forces, our pay scales are fixed. But in corporate life, everything is negotiable. My advice? Do your homework. Know your market value. Speak to other veterans who have transitioned. And don’t undersell yourself—your leadership, discipline, and crisis-management skills are priceless.

Interviewer: What about career progression? In the military, promotions are structured. But in business, growth depends on networking and performance. How do retired personnel adapt to this?

Cdr Pasricha: That’s a mindset shift! In the armed forces, you rise through the ranks over time. In corporate, you must actively chase opportunities—network, take on new challenges, switch functions if needed. It’s more of a jungle gym than a ladder. My tip? Be open to lateral moves; they often lead to bigger roles down the line!

Interviewer: This has been enlightening! Before we wrap up, can you share some tips for faujis planning their corporate transition?

Cdr Pasricha: Of course! Here are my top five:

Upskill yourself – An executive MBA, project management certification, or industry-specific training will make you job-ready.

Leverage veteran networks – Connect with those who have successfully transitioned; they’ll guide you through.

Embrace change – Be open to feedback, learn new skills, and adapt quickly.

Play to your strengths – Leadership, crisis management, discipline—these are gold in the corporate world.

Use specialized agencies – There are organizations that help veterans with job placements, resumes, and career counseling.

Interviewer: This has been an eye-opener! Thank you, Cdr Pasricha, for sharing your insights. One last question—would you say this transition is difficult?

Cdr Pasricha: Difficult? Not at all! Challenging? Yes. But show me a Fauji who doesn’t love a challenge! We’ve conquered tougher terrains—this is just another mission. Plan well, adapt fast, and march forward. The corporate world isn’t ready for the force that’s coming their way!

Interviewer: (Laughs) Well, that’s the spirit! Thanks again, Cdr Pasricha. Wishing all our veterans a smooth and successful transition!

Final Thought: For every Fauji considering the corporate shift, remember: You’re not just a job-seeker—you’re a leader, a strategist, and a problem-solver. The boardroom needs more of your kind. Go, own it!

15 महीने बाद गाजा में बंद होगा युद्, इजरायल-हमास के बीच हुआ समझौता

#agreementsignedbetweenisraelandhamashostageswillbe_released

इजराइल और हमास ने 15 महीने से गाजा में चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए सीजफायर पर सहमति दी है। यह समझौता इजराइली बंधकों के बदले फिलिस्तीनी कैदियों के आदान-प्रदान के तहत हुआ है। ये समझौता 19 जनवरी से लागू होने की बात की जा रही है।मिस्र और कतर की मध्यस्थता से हुआ यह सौदा अमेरिकी समर्थन से संभव हो पाया है। अक्टूबर 2023 में शुरू हुए इस युद्ध में 46,000 से अधिक लोगों की मौत हुई।

कतर, मिस्र और अमेरिका ने बुधवार को एक संयुक्त बयान जारी किया। इसमें बताया गया कि इस्राइल और हमास ने युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई के लिए समझौता किया है। यह समझौता 19 जनवरी 2025 से प्रभावी होगा और इसमें तीन चरणों में शांति लाने की योजना है। साथ ही मामले में कतर, मिस्र और अमेरिका ने यह सुनिश्चित करने का वचन दिया है कि सभी तीन चरणों का पालन किया जाएगा और यह समझौता पूरी तरह से लागू होगा। इन देशों ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को सफल बनाने का भी वादा किया है।

वहीं, सीजफायर को लेकर इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि हमास के साथ युद्ध विराम समझौता अभी पूरी तरह से तय नहीं हुआ है और इस पर आखिरी विवरण पर काम किया जा रहा है। साथ ही पीएम नेतन्याहू ने इजाराइली बंधकों की रिहाई और वापसी के लिए प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप को धन्यवाद किया।

33 इजरायली बंधकों को रिहा किया जाएगा

समझौते के विवरण की अभी औपचारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन एक अधिकारी ने बताया कि शुरुआती चरण में छह हफ्ते का प्रारंभिक युद्धविराम होगा जिसमें गाजा पट्टी से इजरायली सेना की धीरे-धीरे वापसी, हमास के कब्जे से इजरायली बंधकों की रिहाई और इजरायल की कैद से फलस्तीनी कैदियों की रिहाई शामिल है। 

इस चरण में 33 इजरायली बंधकों को रिहा किया जाएगा जिनमें सभी महिलाएं, बच्चे और 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष हैं। दूसरे चरण को लागू करने के लिए पहले चरण के 16वें दिन वार्ता शुरू होगी और इसमें सैनिकों समेत सभी बाकी बंधकों की रिहाई, स्थायी युद्ध विराम और गाजा से इजरायली सेना की पूर्ण वापसी शामिल होने की संभावना है। तीसरे चरण में सभी बाकी शवों को लौटाने और मिस्त्र, कतर व संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में गाजा का पुनर्निर्माण शुरू करने की बात हो सकती है।

46 हजार से अधिक लोगों ने गंवाई जान

बीते 7 अक्तूबर 2023 को हमास के हमले के साथ शुरू हुए इस्राइल और फलस्तीन के बीच जंग ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। इस युद्ध में अब तक 23 लाख की आबादी वाली गाजा पट्टी में लगभग 90 प्रतिशत लोग विस्थापित हो चुके हैं और 46 हजार से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।

इजराइल ने जारी किया नया नक्शा, भड़के ये अरबी देश, जताया कड़ा विरोध

#israelnewmap

सीरिया में गृहयुद्ध चरम पर है. देश में तख्तापलट के बाद अब तक राष्ट्रपति रहे बशर अल-असद को रूस भागना पड़ा। इस बीच, इज़राइल ने सीरियाई सीमा पर गोलान हाइट्स के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लिया है। इस बीच इजराइल ने नया मैप शेयर किया है। इजराइल के विदेश मंत्रालय के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक मानचित्र शेयर किया है। इस मानचित्र में बाइबिल में बताए गए इजरायल और जुदेया राज्य की सीमाओं को दिखाया गया है। मैप में इजरायल के कब्जे वाले फिलिस्तीनी इलाकों और पड़ोसी अरब जमीनों को ग्रेटर इजरायल के रूप में दर्शाया गया है। इस मानचित्र के प्रकाशित होने के बाद सऊदी अरब समेत अरब देश भड़क उठे हैं, जिसमें इजरायल का दोस्त मुस्लिम देश जॉर्डन भी शामिल है। इस मानचित्र के बाद कहा जा रहा है कि यहूदी देश अब ग्रेटर इजरायल प्लान की तरफ बढ़ रहा है।

इजरायली विदेश मंत्रालय की ओर से अरबी भाषा के इंस्टाग्राम और एक्स पर एक पोस्ट शेयर की गई है। इसमें लिखा है, क्या आप जानते हैं कि इजरायल का साम्राज्य 3000 साल पहले स्थापित हुआ था? इसमें आगे लिखा था,हालांकि, प्रवासी यहूदी लोग अपनी शक्तियों और क्षमताओं के पुनरुद्धार और अपने राज्य के पुनर्निर्माण की प्रतीक्षा कर रहे थे, जिसे 1948 में इजरायल राज्य में मध्य पूर्व में एकमात्र लोकतंत्र घोषित किया गया था।

फिलिस्तीनियों समेत अरबी देश भड़के

इजरायल के इस पोस्ट ने फिलिस्तीनियों समेत अरबी देशों में आक्रोश पैदा कर दिया है। संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन और कतर ने इजरायल के इस कदम की कड़ी निंदा की है। इन अरब देशों ने इजरायल की इस हरकत को उनकी संप्रभुता का सीधे उल्लंघन के रूप में देखा। जॉर्डन और कतर के विदेश मंत्रालय ने इसे शांति संभावनाओं के लिए खतरा बताया।

अरब लीग ने क्या कहा

इजरायल के नक्शे की आलोचना करते हुए अरब लीग के महासचिव अहमद अबुल घेइत ने इसे भड़काऊ कार्रवाई बताया और चेतावनी दी कि इस तरह के भड़काऊ कदम और गैरजिम्मेदाराना बयानबाजी से निपटने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की विफलता से सभी पक्षों में चरमपंथ और अतिवाद का विरोध बढ़ने का खतरा है। कतर और संयुक्त अरब अमीरात ने भी अलग-अलग बयानों में इस कदम की निंदा करते हुए इसे कब्जे को बढ़ाने का जानबूझकर किया गया प्रयास बताया।

ईरान के गैस, तेल भंडार को इजरायल ने क्यों नहीं बनाया निशाना? जानें क्या हो सकता है दुनिया पर असर

#israelnottargetirannuclearandoilfacilityreason

इजरायल ने शनिवार को अपनी जगह से 2000 किलोमीटर दूर ईरान में घुसकर हमला किया। टारगेट ईरान के मिलिट्री ढांचे थे। यानी हथियार डिपो, कम्यूनिकेशन सेंटर, मिलिट्री कमांड और राडार सेंटर्स। इजरायली विमानों ने 2000 किलोमीटर की दूरी तक उड़ान भरकर ईरान की राजधानी तेहरान और उसके सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इजरायल ने एकसाथ 100 से ज्यादा फाइटर जेट्स उड़ाए थे। इजरायल ने अपने अलग-अलग बेस से 100 से ज्यादा फाइटर जेट्स उड़ाए। हमले का मेन फोकस तेहरान और करज शहर था। यहीं के मिलिट्री इंस्टॉलेशन टारगेट पर थे। इजरायल का हमला सीधे तौर पर राडार और एयर डिफेंस सिस्टम को उड़ाना था।

इजराइली हमले में उन जगहों को निशाना बनाया गया, जहां ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलें बनाई जाती थीं। इनका इस्तेमाल ईरान ने इजराइल पर 1 अक्टूबर के हमले में किया था। 1980 के दशक में इराक युद्ध के बाद से पहली बार किसी दुश्मन देश ने ईरान पर इस तरह से हवाई हमले किए हैं। हमले के बाद इजरायली सेना ने कहा कि ईरान की न्यूक्लियर या तेल फैसिलिटी पर हमला नहीं कर रहा है। उसका फोकस ईरान के मिलिट्री टार्गेट हैं। सवाल उठता है कि आखिर क्यों इजराइल ने ईरान की न्यूक्लियर या तेल फैसिलिटी को निशाना नहीं बनाया?

दरअसल, इजराइल का अजीज दोस्त अमेरिका लगातार चेताता रहा है कि वह ईरान की तेल या न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमला न करे। क्योंकि अगर तेल साइट को निशाना बनाया गया तो पूरी दुनिया में तेल के दाम बढ़ सकते हैं। अमेरिका के सहयोगियों पर भी इसका असर पड़ता। वहीं, न्यूक्लियर साइट पर हमला एक बड़ा युद्ध शुरू कर सकता है। अगर न्यूक्लियर साइट को निशाना बनाया गया तो ईरान के साथ इजरायल का बड़ा युद्ध शुरू हो सकता है। इसमें अमेरिका को भी इजरायल को बचाने के लिए आना पड़ेगा।

दुनिया के तेल बाज़ार में ईरान की अहमियत

ईरान दुनिया में तेल का सातवां सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यह अपने तेल उत्पादन का क़रीब आधा निर्यात करता है। इसके प्रमुख बाज़ारों में चीन शामिल है। हालांकि चीन में तेल की कम मांग और सऊदी अरब से तेल की पर्याप्त सप्लाई ने इस साल तेल की कीमतों को बढ़ने से काफ़ी हद तक रोके रखा है। दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल भंडार ईरान के पास है। जबकि ईरान में दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा गैस भंडार है।

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) में ईरान तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और प्रति दिन लगभग 30 लाख बैरल तेल का उत्पादन करता है। ये कुल वैश्विक उत्पादन का लगभग तीन फीसदी है। इस बात की आशंका है कि अगर इजराइल ने ईरान के तेल ठिकानों को निशाना बनाया और उसे नष्ट किया तो इससे तेल की सप्लाई पर असर पड़ेगा और दुनिया भर में तेल की क़ीमतों में बड़ा इज़ाफा हो सकता है।

इजराइल के निशाने पर हैं ईरान के न्यूक्लियर साइट

वहीं, अमेरिका ने इजराइल से ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला न करने की अपील की है। हालांकि, इजरायल ने इस सलाह को मानने का आश्वासन नहीं दिया है। ऐसे में आशंका जताई जाती रही है इजराइल की तरफ से ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला किया जा सकता है। हालांकि, शनिवार को किए हमले में भी इजराइल ने न्यूक्लियर साइट को निशाना नहीं बनाया। ऐसे में सवाल उठते रहे हैं कि क्या रान के पास परमाणु हथियार हैं। ईरान के परमाणु हथियार को लेकर कई सालों से कयास लग रहे हैं। उसने कभी खुलकर नहीं माना है कि उसके पास न्यूक्लियर वेपन हैं। पर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था का मानना है कि ईरान 2003 से ही परमाणु हथियार कार्यक्रम पर काम कर रहा है। जिसे उसने बीच में कुछ वक्त के लिए रोक दिया था। साल 2015 में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से राहत पाने लिए अपनी परमाणु गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने को राजी हुआ। हालांकि 2018 में जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप ने इस समझौते से बाहर निकलने का ऐलान कर दिया। इसके बाद यह समझौता खटाई में पड़ गया। ईरान ने भी प्रतिबंधों को वापस लेना शुरू कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक 2018 के बाद से ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम का तेजी से विस्तार कर रहा है।