ईरान के हमले से इजरायल को हुआ भारी नुकसान! एयरबेस तक पहुंची मिसाइलें, सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा

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ईरान और इजराइल के बीच तनाव चरम पर है। ईरान ने मंगलवार को इजराइल पर लगभग 200 मिसाइलें दागीं। इनमें से कई को इजराइल की वायु रक्षा प्रणाली ने रोक लिया, कुछ समुद्र में गिरीं, तथा अन्य ने धरती में गड्ढे कर दिए। ईरान का कहना है कि उसकी 90 फीसदी मिसाइलों ने अपने टारगेट को हिट किया है। ईरान द्वारा किए गए हमले में दो इजरायली एयरबेस, एक स्कूल का मैदान और मोसाद मुख्यालय के संदिग्ध क्षेत्र के निकट स्थित दो स्थान शामिल हैं। इसमें इजरायल को सबसे ज्यादा नुकसान नेवातिम एयरबेस और तेल नॉफ एयरबेस पर हुआ। हालांकि, इजराइल ने दावा किया है कि उसके मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने हमलों को नाकाम कर दिया।

इजरायल के सबसे सुरक्षित स्थानों में से एक है नेगेव रेगिस्तान में मौजूद नेवातिम एयर बेस। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों ने इस एयरबेस पर नुकसान पहुंचाया है। सैटेलाइट तस्वीरों में यह खुलासा हो रहा है। इन तस्वीरों को प्लैनेट लैब्स की सैटेलाइट ने लिया है। जिसे समाचार एजेंसी एपी ने जारी किया है।

हालांकि सैटेलाइट तस्वीरों से यह स्पष्ट नहीं है कि इजरायली स्टेल्थ फाइटर जेट को नुकसान पहुंचा है या नहीं। वो उस हैंगर में थे या नहीं जिसपर मिसाइल हमले से ज्यादा नुकसान हुआ है। लेकिन एयरबेस पर कई क्रेटर यानी गड्ढे बने दिख रहे हैं, जो मिसाइलों की टक्कर से बने हैं।

नुकसान के दावों से इजराइल का इनकार

वहीं, इजरायल इस दावे को नकार रहा है। इजरायली सेना ने कहा कि हमले हुए हैं। मिसाइलें गिरी हैं। लेकिन उनसे किसी फाइटर जेट, विमान, ड्रोन, हथियार या जरूरी ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचा है। मिसाइल हमले में ऑफिस बिल्डिंग और मेंटेनेंस एरिया क्षतिग्रस्त हुआ है।

इजरायल के लिए कितना अहम है नेवातिम एयरबेस

नेवातिम एयरबेस नेगेव रेगिस्तान में स्थित नेवातिम एयरबेस, जहां इजरायल के एफ-35 लड़ाकू विमान स्थित हैं, को अप्रैल में ईरान के ड्रोन और मिसाइल हमले का निशाना बनाया गया था, जो दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमले के जवाब में किया गया था। यह इजरायल के सबसे बड़े रनवे में से एक है और इसमें अलग-अलग लंबाई के तीन रनवे हैं। यहां स्टील्थ लड़ाकू विमान, परिवहन विमान, टैंकर विमान और इलेक्ट्रॉनिक टोही/निगरानी के लिए मशीनें, साथ ही विंग ऑफ जियोन भी तैनात थे. इस एयरबेस पर ईरान का हमला मतलब इजरायल के लिए गहरी चोट के बराबर है। थोड़ा सा भी नुकसान इजरायल के लिए काफी भारी पड़ सकता है।

नेवातिम एयरबेस का इजरायल का क्या है महत्व?

नेवातिम एयरबेस एयर फोर्स बेस 8 के नाम से भी जाना जाने वाला यह बेस इज़रायली एयर फ़ोर्स (आईएएफ) का सबसे पुराना और मुख्य बेस है जो इजरायल के रेहोवोट से 5 किमी दक्षिण में स्थित है। तेल नॉफ में दो स्ट्राइक फ़ाइटर, दो हेलिकॉप्टर और एक यूएवी स्क्वाड्रन है। बेस पर फ़्लाइट टेस्ट सेंटर मनात और इज़राइल डिफेंस फ़ोर्स (आईएएफ) की कई विशेष इकाइयां भी स्थित हैं, जिनमें यूनिट 669 (हेलीबोर्न कॉम्बैट सर्च एंड रेस्क्यू (सीएसएआर) और पैराट्रूपर्स ब्रिगेड प्रशिक्षण केंद्र और उसका मुख्यालय शामिल हैं।

जंग के मुहाने पर खड़ा मिडिल ईस्ट, इजराइल-ईरान जंग में कौन देश किसके साथ?

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मध्यपूर्व में तनाव बढ़ा हुआ है।ईरान ने मंगलवार को इजरायल पर बड़ा हमला किया। ईरान ने इजरायल पर 180 से ज्यादा मिसाइलें दायर कीं। इस हमले को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान की बड़ी गलती बताया। उन्होंने कहा कि ईरान को इसकी कीमत चुकानी पड़े। इजरायली पीएम नेतन्याहू के इस बयान को ईरान के लिए खुली चेतावनी माना जा रहा है। ईरान के हमले के बाद मिडिल ईस्ट जंग के मुहाने पर आकर खड़ा हो गया।

मिडिल ईस्ट पिछले कई दशकों से अशांति की चपेट में रहा है। इस क्षेत्र में कई युद्ध और गृहयुद्ध हुए, जिसने क्षेत्र को एक नया आकार दिया। अक्टूबर 2023 में इजरायल और हमास के बीच जंग की शुरूआत हुई। इजराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच जारी संघर्ष का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस जंग में हमास के कई प्रमुख नेताओं और हिज्बुल्लाह के प्रमुख समेत ईरान के सीनियर कमांडरों को अपने अंदर समा लिया। ऐसे में अब ईरान भी जंग में कूद पड़ा है और क्षेत्र भयानक जंग की कगार पर है।आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में हालात बिगड़ सकते हैं।

करीब दो महीने पहले हमास नेता इस्माइल हनिया की ईरान की राजधानी तेहरान में हत्या हुई थी। जिसके बाद बीती 28 सितंबर को हिज़्बुल्लाह ने इसराइली हमले में अपने नेता हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि की थी, उसके बाद से मध्य-पूर्व में संघर्ष और गंभीर होता जा रहा है। इजराइल हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर लेबनान में हमले जारी रखे हुए है और अब उसने हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर ज़मीन से सैन्य कार्रवाई भी शुरू कर दी है। हनिया की मौत के बाद ईरान ने फौरन कोई सैन्य प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन एक अक्तूबर के ईरान के मिसाइल हमलों ने मध्य-पूर्व के इस संघर्ष को बढ़ा दिया है। इस बढ़ते संघर्ष पर अरब मुल्क़ के साथ ही दुनियाभर के कई देश स्पष्ट तौर पर बँटे हुए नज़र आ रहे हैं

अब जबकि जंग एक नया रूप अख्तियार करने की राह पर है, सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर मिडिल ईस्ट की इस जंग में कौन, किसके साथ खड़ा है?

इजराइल के खिलाफ इस्लामिक देशों को एकजुट करने के लिए ईरान ने पहले ही इन मुल्कों से इसराइल से व्यापार खत्म करने की अपील की थी। दूसरी तरफ अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देश इसराइल के साथ खड़े हैं और इस युद्ध में उसकी मदद कर रहे हैं।

13 खाड़ी देश का रुख

मिडिल ईस्ट में कुल 18 देश हैं, इनमें से 13 अरब दुनिया का हिस्सा हैं। जानते हैं कि ईरान-इजरायल और लेबनान की जंग में इन 13 खाड़ी देश का रुख क्या है?

बहरीन: बहरीन ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है कि वह किस तरफ है। हालांकि इस देश के कुछ दल ईरान का समर्थन कर रहे हैं, इस देश ने 2020 से अपने संबध इजरायल से ठीक कर लिए थे।

ईरान: ईरान पूरी तरह से लेबनान के साथ खड़ा और हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत का बदले लेने के लिए इजरायल पर मंगलवार को 180 से ज्यादा मिसाइलें दागीं।

इराक: फिलहाल इस जंग से बाहर है, ईरान से इसकी दुश्मनी सभी जानते हैं, ईरान के इजरायल पर हमले का जश्न यहां भी लोगों ने मनाया।ईरानी समर्थित संगठनों ने इस हमले का समर्थन किया है। ईरान की मिसाइल सीरिया और इराक की हवाई सीमा को क्रॉस करके इजरायल में गिरीं।

फिलीस्तीन: 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर हमले किए थे। इसके बाद से इजरायल लगातार फिलिस्तीन और गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों को निशाना बना रहा है। हमास के समर्थन में ही लेबनानी संगठन हिजबुल्लाह इजरायल से जंग कर रहा है।

जॉर्डन: जॉर्डन ने खुद को इस जंग से अलग रखा हुआ है। जॉर्डन पीएम ने कहा है कि वो अपने देश को युद्ध का मैदान नहीं बनने देंगे। अरब मुल्क जॉर्डन की सीमा वेस्ट बैंक से मिलती है और यहां फिलिस्तीनी शरणार्थियों की बड़ी संख्या रहती है। इजराइल जब बना तो इस क्षेत्र की एक बड़ी आबादी भागकर जॉर्डन आ गई थी।

कुवैत: कुवैत ने कहा कि उसने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है। कुवैत ने यूएन में नेतनयाहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था।

लेबनान: इजराइल से सीधी जंग लड़ रहा है।

ओमान: इजराइल का विरोध करता रहा है। इसकी दोस्ती ईरान से भी है और यूएस से भी। शांति की अपील कर रहा है।

कतर: नसरल्लाह की मौत पर खामोश हैं, अभी तक कोई बयान नहीं दिया गया। हालांकि इस देश ने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है।

सऊदी अरब: सऊदी अरब ने भी खुद को जंग से दूर रखा है. सऊदी द्वारा इजराइल की निंदा तो की गई, लेकिन अभी तक किसी के साथ खुलकर नहीं आया है. यूएन में नेतन्याहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था.

सीरिया: इजराइल के खिलाफ रहा है, जंग लड़ता रहा है। इजरायल ने सीरिया में भी हमले किए हैं।

यूएई: नसरल्लाह की मौत पर खामोश है। कुछ भी नहीं बोल रहा है। इस देश ने 2020 से अपने संबध इजराइल से ठीक कर लिए थे।

यमन: इजरायल ने यमन में भी कई ठिकानों पर बमबारी की है।

अमेरिका और पश्चिमी देश

ये बात नई नहीं है कि फिलिस्तीन और इजराइल के संघर्ष में ज्यादातर पश्चिमी देशों का झुकाव इजराइल की तरफ रहा है। अब ईरान की बात करें तो इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान से पश्चिमी देशों ने दूरी बना ली है। अमेरिका के साथ साथ कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली आदि खुले तौर पर इजराइल के साथ हैं और अगर ईरान इजराइल पर हमला करता है, तो ये इजराइल को सैन्य मदद भी दे सकते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन ने पहले ही अपनी मौजूदगी मध्य पूर्व में बढ़ा दी है।

चीन-रूस किस तरफ जाएंगे?

इस पूरे तनाव के बीच दुनिया की नजरें चीन और रूस पर बनी हुई है। पिछले कुछ सालों में ईरान की चीन और रूस के साथ करीबी बढ़ी है। रूस और चीन के इजराइल के साथ सामान्य रिश्ते हैं, लेकिन चीन गाजा युद्ध के दौरान इजराइल के हमलों की निंदा करता रहा है और कुछ खबरों के मुताबिक वे हमास के नेताओं से भी संपर्क में है।

क्या होगा भारत का रूख?

इजराइल-ईरान संघर्ष के बीच भारत ने दोनों देश में रह रहे पने लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है। भारत इस मुद्दे पर शांतिपूर्ण समझौते के पक्ष में रहा है। हालांकि भारत ने साल 1988 में फिलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था। लेकिन हाल के वर्षों में मध्य-पूर्व के हालात पर भारत किसी एक पक्ष की तरफ स्पष्ट तौर पर झुका नज़र नहीं आता है। पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इजराइल के ख़िलाफ लाए गए एक प्रस्ताव में एक साल के अंदर गाजा और वेस्ट बैंक में इजराइली कब्ज़े को ख़त्म करने की बात कही गई थी।

नसरल्लाह के बाद याह्या सिनवार भी था निशाने पर, आखिरी वक्त में इजराइल ने रोका मारने का प्लान, जानें क्यों

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हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत के बाद हमास का प्रमुख याह्या सिनवार भी इजराइल के निशाने पर था। हालांकि, ऐन वक्त पर सिनवार के खात्मे का प्लान रोक दिया गया। पहले खबर थी कि इजरायल ने उसे मौत के घाट उतार दिया है। मगर अब यह कन्फर्म हो गया है कि वह मरा नहीं है। माना जा रहा है कि इजरायल ने अपने लोगों की जान बचाने की खातिर अब तक याह्या सिनवार को बख्श रखा है। 

इजरायली न्यूज आउटलेट N12 ने रविवार 29 सितम्बर की रात अपनी विशेष रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। एन12 के अनुसार, इजरायल को एक खुफिया इनपुट मिला था। यह सिनवार को खत्म करने का बेहतरीन मौका था, लेकिन बंधकों को नुकसान पहुंचने के डर से ऐसा नहीं किया गया। बंधकों को उसी इलाके में रखा गया था, जहां हमास नेता मौजूद था।

इजरायली मीडिया एन12 न्यूज ने अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट में खुलासा किया है कि इजरायल के पास हमास नेता याह्या सिनवार को खत्म करने का पूरा मौका था मगर आतंकी गुट की कैद में रखे गए इजरायली बंधकों को नुकसान के डर से उसने ऐसा नहीं किया। N12 न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि इजरायल को एक ऐसी सीक्रेट सूचना मिली थी, जिससे उसे याह्या सिनवार को मार गिराने का एक अनोखा मौका मिल सकता था। मगर इजरायल ने यह मौका जानबूझकर हाथ से जाने दिया। इसकी वजह यह थी कि आतंकी संगठन हमास के सरगना याह्या सिनवार के साथ इजरायली बंधक भी रखे गए हैं।

हिज्बुल्लाह चीफ नसरल्लाह की तरह याह्या सिनवार की खुफिया लोकेशन ट्रेस की जा चुकी थी। गाजा के जिस इलाके में सिनवार छिपा था उसकी घेराबंदी IDF के स्पेशल एलीट कमांडोज ने कर ली थी। सिनवार की जिंदगी और मौत के बीच के चंद मिनटों का फासला था मगर सिनवार का हंट ऑपरेशन शुरू होता उससे पहले ही IDF ने सिनवार को मारने का प्लान बदल दिया।

अगर इजराइल सिनवार के ठिकाने पर एयर स्ट्राइक करता या फिर स्पेशल ऑपरेशन को अंजाम देता तो यकीनन इस हमले में कई बंधकों की जान जा सकती थी या फिर सिनवार अपने बचाव के लिए बंधकों का इस्तेमाल कर सकता था। उन्हें जान से मार सकता था। बस इसी नुकसान के डर इजरायल ने सिनवार के खात्मे के प्लान को रोका।

याह्या सिनवार को हमास के अपने पूर्ववर्ती इस्माइल हानिया की तेहरान में हत्या के बाद समूह का नया नेता चुना गया था। हानिया 31 जुलाई को तेहरान में हुए एक विशेष हमले में मारे गए थे। याह्या सिनवार इतना खतरनाक है कि उसे गाजा के लादेन के नाम से जाना जाता है। उसने ही 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमले की योजना बनाई थी। इस हमले में 1200 इजरायली मारे गए थे, जबकि 251 को हमास के आतंकी बंधक बनाकर गाजा ले गए थे।7 अक्टूबर के हमले के बाद से ही याह्या सिनवार गाजा के नीचे बनी सुरंगों में छिपकर रह रहा है।

‘इजरायल के पहुंच से परे कोई जगह नहीं’: हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद नेतन्याहू की ईरान को चेतावनी

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Israel's Prime Minister Benjamin Netanyahu (REUTERS)

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शनिवार को कहा कि “ईरान या मध्य पूर्व में ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां इजरायल की लंबी भुजाएं नहीं पहुंच सकतीं,” उन्होंने इजरायली सशस्त्र बलों द्वारा हवाई हमले में हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह की लक्षित हत्या को लेकर ईरान को उनके देश पर हमला करने के किसी भी प्रयास के खिलाफ चेतावनी दी।

नेतन्याहू ने कहा, “अगर कोई आपको मारने के लिए उठता है, तो पहले उसे मार दें। कल, इजरायल राज्य ने कट्टर हत्यारे हसन नसरल्लाह को मार डाला,” उन्होंने कहा कि इजरायल ने “अनगिनत” इजरायलियों और अमेरिका और फ्रांस सहित अन्य देशों के नागरिकों की हत्या में कथित भूमिका के लिए हिजबुल्लाह प्रमुख के साथ “हिसाब-किताब चुकाया” है। उन्होंने नसरल्लाह को “सिर्फ एक और आतंकवादी” नहीं बल्कि “आतंकवादी” कहा और पश्चिम एशिया में “ईरान की बुराई की धुरी का मुख्य इंजन” भी कहा। नेतन्याहू ने यह भी आरोप लगाया कि नसरल्लाह ईरान के अयातुल्ला शासन की इजरायल को "नष्ट" करने की योजना के मुख्य वास्तुकारों में से एक थे।

पश्चिम एशिया में इस्लामी शासन और उसके सहयोगियों को जनविरोधी के रूप में चित्रित करने के प्रयास में, नेतन्याहू ने कहा, "वे सभी जो बुराई की धुरी का विरोध करते हैं, वे सभी जो लेबनान, सीरिया, ईरान और अन्य स्थानों पर ईरान और उसके समर्थकों की हिंसक तानाशाही के तहत लड़ रहे हैं, वे सभी आज आशा से भरे हुए हैं। मैं उन देशों के नागरिकों से कहता हूं: इजरायल आपके साथ खड़ा है और अयातुल्ला शासन से मैं कहता हूं: जो हम पर हमला करते हैं, हम उन पर हमला करते हैं। ईरान या मध्य पूर्व में ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ इजरायल का लंबा हाथ न पहुँच सके। आज, आप पहले से ही जानते हैं कि यह सही है"।

नसरल्लाह को क्यों मारा जाए?

नेतन्याहू ने तर्क दिया कि नसरल्लाह को खत्म करना इजरायली नागरिकों को लेबनान के साथ देश की उत्तरी सीमा पर अपने घरों में वापस लाने और आने वाले "वर्षों" के लिए क्षेत्र में "शक्ति संतुलन" को बदलने के लिए आवश्यक था।

इजरायली प्रधानमंत्री ने अपने नागरिकों की “रक्षा” करने और सभी बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए अपने देश की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “हम अपने दुश्मनों पर हमला जारी रखने, अपने निवासियों को उनके घरों में वापस भेजने और अपने सभी बंधकों को वापस भेजने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। हम उन्हें एक पल के लिए भी नहीं भूलते।”

जब तक नसरल्लाह जीवित थे, उन्होंने हिजबुल्लाह से छीनी गई क्षमताओं को जल्दी से फिर से बनाया होता। उनके खात्मे से हमारे निवासियों की उत्तर में उनके घरों में वापसी की संभावना बढ़ेगी। इससे दक्षिण में हमारे बंधकों की वापसी की संभावना भी बढ़ेगी,” नेतन्याहू ने इजरायली सशस्त्र बलों और खुफिया एजेंसियों को उनकी “महान उपलब्धियों” के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा।

भारत ने इजराइल के साथ निभाई दोस्ती! यूएनजीए में फिलिस्तीन से जुड़े प्रस्ताव पर वोटिंग में नहीं लिया हिस्सा

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भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में फिलिस्तीन से जुड़े प्रस्ताव पर वोटिंग से किनारा कर लिया। इस प्रस्ताव में मांग की गई थी कि इजराइल ने फिलिस्तीन के क्षेत्र में जो अवैध कब्जा किया है, उसे जल्द से जल्द हटाए और वो भी बिना किसी देरी के 12 महीने के अंदर। इस प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग नहीं किया।

भारत का कहना है कि हम बातचीत और कूटनीति के जरिए विवाद को सुलझाने के समर्थक हैं। भारत ने कहा कि हमें विभाजन बढ़ाने के बजाय मतभेद मिटाने की दिशा में काम करना चाहिए। 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में बुधवार को फिलिस्तीन पर प्रस्ताव पेश किया गया। इस प्रस्ताव में मांग की गई है कि इजराइल को कब्जाए गए फिलिस्तीन के इलाकों को 12 महीनों में खाली कर देना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में पेश किए गए प्रस्ताव के पक्ष में 124 देशों ने मतदान किया। वहीं 14 देशों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया। 43 देश वोटिंग से दूर रहे, जिनमें भारत भी शामिल है।

इन देशों ने मतदान से बनाई दूरी

मतदान में जिन देशों ने भाग नहीं लिया, उनमें भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, इटली, नेपाल, यूक्रेन और ब्रिटेन शामिल हैं। वहीं इजराइल और अमेरिका ने प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने इजराइल-फिलिस्तीन विवाद की शांतिपूर्ण, न्यायपूर्ण और स्थानीय समाधान की वकालत की और दोहराया कि प्रत्यक्ष और सार्थक बातचीत के जरिए ही दोनों देशों के बीच दो राज्य समाधान ही स्थायी शांति ला सकता है।

फिलिस्तीन के प्रस्ताव में क्या?

फिलिस्तीन की ओर से तैयार प्रस्ताव में इजराइल सरकार की ओर से संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के प्रासंगिक प्रस्तावों के तहत अपने दायित्वों की अवहेलना किए जाने की भी कड़ी निंदा की गई। इस बात पर जोर दिया गया कि ऐसे उल्लंघनों से क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को गंभीर खतरा है। इसमें कहा गया है कि इजराइल को कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून के किसी भी उल्लंघन के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

हिज़्बुल्लाह ने इजराइल पर 320 रॉकेट दागे जाने का किया दावा, तेल अवीव ने दक्षिणी लेबनान में शुरू किए हवाई हमले

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Pictures of blast in Israel

ईरान समर्थित समूह हिजबुल्लाह ने रविवार को कहा कि शेष मध्य पूर्व संभावित रूप से एक और युद्ध के कगार पर पहुंच सकता है, उसने 11 इजरायली सैन्य स्थलों पर 320 कत्यूषा रॉकेट दागे। इज़राइल ने कहा कि उसने समूह के हमले को विफल करने के लिए दक्षिणी लेबनान में हवाई हमले शुरू किए हैं।

लेबनानी आतंकवादी समूह ने कहा कि उसने बेरूत में अपने एक कमांडर की हत्या के प्रतिशोध में इज़राइल पर ड्रोन हमले किए थे।

समूह ने कहा कि हमला "एक गुणात्मक इजरायली सैन्य लक्ष्य को लक्षित कर रहा था जिसकी घोषणा बाद में की जाएगी" और साथ ही "कई दुश्मन साइटों और बैरकों और आयरन डोम प्लेटफार्मों को लक्षित किया गया।"

ये हमले समूह के एक शीर्ष कमांडर फौद शुकुर की हत्या के जवाब में थे

इससे पहले रविवार को, इजरायली सेना ने लेबनान में हिजबुल्लाह साइटों पर अपने पूर्वव्यापी हमलों की घोषणा करते हुए कहा था कि आतंकवादी समूह हमले की तैयारी कर रहा था। सेना ने कहा कि हिजबुल्लाह इजरायल की ओर रॉकेट और मिसाइलों की भारी बमबारी शुरू करने की योजना बना रहा था। ईरान समर्थित समूह पिछले महीने के अंत में इज़राइल द्वारा एक शीर्ष कमांडर की हत्या का बदला लेने का वादा कर रहा था।

इन खतरों को दूर करने के लिए एक आत्मरक्षा कार्रवाई में, (इजरायली सेना) लेबनान में आतंकी ठिकानों पर हमला कर रही है, जहां से हिजबुल्लाह इजरायली नागरिकों पर अपने हमले शुरू करने की योजना बना रहा था। हम देख सकते हैं कि हिज़्बुल्लाह लेबनानी नागरिकों को खतरे में डालते हुए इज़राइल पर एक व्यापक हमला करने की तैयारी कर रहा है,'' उन्होंने विवरण दिए बिना कहा। हम उन क्षेत्रों में स्थित नागरिकों को चेतावनी देते हैं कि अपनी सुरक्षा के लिए जहां हिज़्बुल्लाह नुकसान कर रहा है वहां रास्ते से तुरंत हट जाएं , ”इजरायल के सैन्य प्रवक्ता, रियर एडमिरल डैनियल हागारी ने रविवार को कहा।

कई समाचार एजेंसियों के अनुसार, उत्तरी इज़राइल में हवाई हमले के सायरन बजाए गए। देश के बेन-गुरियन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे ने भी एहतियात के तौर पर उड़ानों को डायवर्ट किया। इसके तुरंत बाद हिजबुल्लाह ने अपने हमले की घोषणा कर दी। 

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस मामले पर कैबिनेट बैठक में हिस्सा लेंगे। यह हमला गाजा में इजरायल-हमास युद्ध को समाप्त करने के लिए नए दौर की वार्ता से पहले हुआ। हिजबुल्लाह ने कहा है कि अगर संघर्ष विराम होता है तो वह लड़ाई रोक देगा।

हमास चीफ इस्माइल हानिया के साथ एक और शख्स की हत्या, इजरायल ने अपने इस दुश्मन को मार गिराने का किया दावा

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इजरायल ने ईरान में घुसकर हमास चीफ इस्माइल हानिया को मार गिराया है। हालांकि, इसको लेकर इजराइल की तरफ से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। मगर शक की सुई इजरायल पर ही टिकी है। दरअसल, बेंजामिन नेतन्याहू ने 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए हमले के बाद से ही हमास चीफ इस्माइल हानिया और हमास के अन्य नेताओं को मारने की कसम खाई थी। इसी बीच इजरायल ने अपने एक और दुश्मन के मारे जाने का दावा किया है। इजराइल की सेना ने हिजबुल्‍लाह के कमांडर फउद शुकर को मार गिराने का दावा किया है। इजरायल की सेना ने कहा कि उसके लड़ाकू विमानों ने मंगलवार को बेरूत इलाके में फउद शुकर को खत्म कर दिया है।

शुकर को गोलान हाइट्स पर रॉकेट हमले के लिए जिम्मेदार माना जा रहा था। लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह ने इजरायल के गोलन हाइट्स इलाके में शनिवार को एक फुटबॉल ग्राउंड पर रॉकेट दागे थे। इस हमले में 12 बच्चों की मौत हो गई थी, जिसका बदला लेने के लिए ही इजरायल की सेना ने लेबनान की राजधानी बेरूत पर हवाई हमले किए। इजराइल की सेना के निशाने पर हिजबुल्लाह का कमांडर फुआद शुकर था। इजराइली की सेना ने कहा कि यह हमला गोलान में 12 युवाओं की मौत की मौत के साथ-साथ अन्य हमलों में कई इजराइली नागरिकों की मौत के लिए जिम्मेदार आतंकी कमांडर के ठिकाने को निशाना बनाकर किया गया।

लंबे समय से इजराइल-अमेरिका को थी शुकर की तलाश

इजरायल के खिलाफ कई बड़े हमलों को अंजाम देने वाले फउद शुकर की तलाश काफी समय से इजराइय और अमेरिका को थी। पिछले कई दशकों से इसकी तलाश जारी थी। बता दें कि हिजबुल्लाह के लिए रणनीति बनाने और उसे अंजाम देने के लिए ये काम करता था। फउद शुकर पर 40 करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया गया था। इनाम की राशि के जरिए आप हिंजबुल्लाह के कमांडर के कद का अंदाजा लगा सकते हैं। इस बीच इजरायली सेना की तरफ से दावा किया गया है कि उन्होंने कई मासूमों की मौत का बदला ले लिया है और फउद शुकर को मार गिराया है। 

कई हमलों का रह चुका है मास्टरमाइंड

बता दें कि फउद शुकर को मार गिराने के लिए उजरायल ने लेबनान की राजधानी बेरूत पर कई हवाई हमले किए। फउद शुकर को हिजबुल्ला नेता हसन नसरल्लाह का करीबी और भरोसेमंद माना जाता है। साल 2016 में सीरिया में वरिष्ठ हिजबुल्लाह कमांडर की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद फउद शुकर ने उनकी जगह ली थी। साल 1983 में बेरूत की एक बैरक में हमला किया गया था। यह हमला जहां हुआ, वहां फ्रांस और अमेरिका के सैनिक तैनात थे। 

बता दें कि फउद शुकर के अलाव इजरायल ने आज हमास के मुखिया इस्माइल हानिया को भी मार गिराया है। हमास पॉलिटिकल चीफ इस्माइल हानिया को ईरान में घुसकर मार गिराया है।

हमास से युद्ध के दौरान भारत ने हथियारों से की इजरायल की मदद, पूर्व राजदूत डैनियल कार्मन का बयान

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भारत में इजरायल के पूर्व राजदूत डेनियल कार्मन ने भारत को लेकर बड़ा बयान दिया है।उन्होंने दावा किया है कि हमास से युद्ध के दौरान भारत ने हथियारों से इजरायल की मदद की है। उन्होंने ये भी कहा है कि भारत शायद इसलिए हथियारों की सप्लाई कर रहा है क्योंकि करगिल युद्ध के समय इजरायल ने भारत की सहायता की थी। इजराइल के पूर्व राजदूत डैनियल कार्मन के बयान के बाद ये सावल उठ रहे हैं कि क्या भारत इजराइल का एहसान चुका रहा है।हालांकि, अभी तक भारत की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया कि वो इजराइल को कोई भी हथियार दे रहा है।

डैनियल कार्मन 2014 से लेकर 2018 तक भारत में इजराइल के राजदूत थे। इजरायली मीडिया के साथ एक इंटरव्यू में डैनियल कार्मन ने कहा, इजराइल उन कुछ देशों में से एक था जिसने पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान भारत को हथियार उपलब्ध कराए थे। भारतीय हमेशा हमें याद दिलाते हैं कि कारगिल युद्ध के दौरान इजराइल उनके साथ था। भारतीय इसे नहीं भूलते हैं और अब शायद वे इस एहसान चुका रहे हैं।

डैनियल की ये टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब लगातार ऐसी खबरें आई हैं कि भारत ने इजरायल को ड्रोन और तोपखाने के गोलों की आपूर्ति की है क्योंकि हमास के खिलाफ आठ महीने से अधिक समय से जारी युद्ध के चलते इजरायल के पास हथियारों की कमी हो गई है।

कारगिल युद्ध में इजरायल ने की थी मदद

बता दें कि 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान इजराइल ने युद्ध सामग्री और ड्रोन सहित सैन्य आपूर्ति और उपकरण भारत को दिए थे। कारगिल वार के दौरान इजराइल ने भारत को मोर्टार समेत कई कई चीजें भेजी थी। ये ऐसा समय था जब बहुत कम देश भारत की मदद करने को तैयार थे, क्योंकि तब अमेरिका ने इजराइल और यूरोपीय देशों को कहा था कि आपको भारत को हथियार नहीं भेजने हैं और अगर भेजने भी हैं तो देरी से भेजो ताकि तब तक जंग खत्म हो जाए।लेकिन इजराइल ने अमेरिका के आदेश को मानने से इंकार कर दिया था। जो हथियार इजराइल को कुछ हफ्तों में भेजना था वो उसने कुछ ही दिन में भेज दिए।

इजराइली हथियारों की खरीद में टॉप पर भारत

भारत और इजराइल के बीच काफी पुराने रक्षा संबंध रहे हैं। मोदी सरकार बनने के बाद से इजराइल और भारत के रक्षा संबंधों काफी मजबूत हुए। मीडिया हाउस हारेट्ज की रिपोर्ट के मुताबिक इजराइली हथियारों को खरीदने वाले देशों में भारत टॉप पर है। 2019-2023 के बीच इजराइल के कुल डिफेंस एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 37% थी। जंग के दौरान भारत ने भी हथियार मुहैया कराने में इजराइल की मदद की है। ‘द वायर’ की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है, कि अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस और इजराइल के एल्बिट सिस्टम्स के बीच एक डील हुई है। इसके तहत 20 से अधिक हर्मीस 900 यूएवी/ड्रोन को भारत में तैयार कर इजराइल भेजा गया है। इसके अलावा जंगी विमानों के कई पुर्जे भी इजराइल को दिए गए हैं। सरकार के स्वामित्व वाली म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड ने जनवरी 2024 में इजराइल को जंगी सामान निर्यात किया है।

ईरान-इजरायल के बीच बने युद्ध के हालात, जानें भारत समेत पूरी दुनिया पर क्या होगा असर

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ईरान और इजरायल के बीच युद्ध के हालात बन गए हैं। दरअसल, ईरान ने इजरायल पर शनिवार देर रात सैकड़ों ड्रोन, क्रूज मिलाइल और बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया है। इस हमले के बाद से मध्‍य-पूर्व में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। ईरान और इजराइल के बीच युद्ध तेज होने की आशंका से पूरी दुनिया सहमी हुई है। युद्ध बढ़ने की आशंकाओं से दुनिया में महंगाई की टेंशन फिर बढ़ चुकी है। वहीं अंदेशा है कि आने वाला दिन ग्‍लोबल शेयर बाजार और अर्थव्‍यवस्‍थाओं के लिए अच्‍छा नहीं होने वाला है। साथ ही कई देशों के आयात-निर्यात कारोबार भी प्रभावित हो सकते हैं।इसके अलावा, सोने के दाम में भी उछाल आ सकता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अगर दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू होता है तो आने वाला समय मुश्किल भरा हो सकता है।

ईरान और इजरायल के भू-राजनीतिक तनाव का असर पूरी दुनिया दिख सकता है, खासकर तेल की कीमतों में इजाफे के रूप में।अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड का दाम पहले ही 91 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच चुका है, जो इसका पिछले 6 महीने का सबसे उच्च स्तर है। ईरान दुनियाभर के सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में से एक है।ऐसे में अगर ईरान और इजरायल का तनाव युद्ध में तब्दील होता है, तो इसका ऑयल प्रोडक्शन पर सीधा असर पड़ेगा।

युद्ध की आशंका से भारत भी “भयभीत”

युद्ध की आशंका ने भारत को भी डरा दिया है। युद्ध के हालात से भारत के आर्थिक हित भी दांव पर हैं। ईरान और इजरायल के बीच युद्ध का असर आर्थिक संबंधों पर पड़ सकता है। ईरान के साथ भारत की बढ़ती आर्थिक भागीदारी, इसमें विशेषकर चाबहार बंदरगाह विकास परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं। यह बंदरगाह इस क्षेत्र में व्यापार मार्गों और कनेक्टिविटी को मजबूत करने के भारत के प्रयासों का हिस्सा है। ईरान-इजरायल युद्ध की आशंका को देखते हुए इसका असर महंगाई पर भी पड़ सकता है। कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर तक पहुंचने की आशंका व्यक्त की जा रही है। पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की तेजी के पीछे यही संकट अहम माना जा रहा है। इसका असर महंगाई पर पड़ सकता है। साथ ही ग्लोबल सप्लाई चेन भी इससे प्रभावित हो सकती है।

भारत कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक

भारत कच्चे तेल का सबसे अधिक आयात और उपभोग करने वाले देशों में से एक है। ऐसे में पश्चिम एशिया के तनाव का हम पर सीधा असर पड़ेगा। हमारी तेल आपूर्ति खतरे में आ सकती है। भारत फिलहाल करीब 40 देशों से अपनी जरूरत का 90 प्रतिशत तेल आयात करता है। देश में रोजाना 50 लाख बैरल क्रूड ऑयल की खपत होती है। पिछले वित्त वर्ष यानी 2023-24 की पहली छमाही की बात करें, तो भारत ने सबसे ज्यादा कच्चा तेल रूस से खरीदा। उसके बाद इराक और सऊदी अरब का नंबर था। भारत के लिए अच्छी बात यह है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जहां अधिकतर देशों ने रूस से तेल खरीदना कम कर दिया, वहीं भारत लगातार उससे सस्ते भाव क्रूड ऑयल खरीद रहा है।

दोनों देशों के साथ कारोबार होंगे प्रभावित

भारत के दोनों ही देशों से कारोबारी संबंध है। ईरान और इजरायल के साथ पिछले साल भारत ने करीब 1.1 लाख करोड़ रुपये का कारोबार किया था। ईरान के साथ भारत ने 20800 करोड़ का कारोबार किया। भारत मुख्‍यत: ईरान को चाय, कॉफी, बासमती चावल और चीनी का निर्यात करता है। भारत से ईरान को पिछले साल 15300 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया था। वहीं, ईरान से भारत ने पेट्रोलियम कोक, मेवे और कुछ अन्‍य चीजें आयात की। इनका मूल्‍य 5500 करोड रुपये था। साल 2023 में भारत का इजरायल के साथ 89 हजार करोड रुपये का कारोबार रहा। भारत ने ईरान को 70 हजार करोड रुपये का माल और सेवाओं का निर्यात किया।

सप्लाई चेन प्रभावित होने की आशंका

ईरान-इजरायल संघर्ष से सप्लाई चेन भी प्रभावित हो सकती है, क्योंकि ईरान स्वेज नहर को बंद करने की अपनी धमकी पर कायम है। स्वेज नहर रूट से फारस की खाड़ी के देशों से खनिज तेल भेजा जाता है। वहीं भारत और अन्य एशियाई देशों से चाय, जूट, कपास, मसाले और चीनी जैसी चीजों का पश्चिमी यूरोपीय देशों के साथ उत्तरी अमेरिका में निर्यात होता है। पश्चिमी देशों भी इसी रास्ते से केमिकल, इस्पात, दवाएं और गाड़ियां और वैज्ञानिक उपकरण आदि भेजते हैं। अगर यह रूट बंद होता है, तो वैश्विक व्यापार को बड़ा झटका लगेगा। दुनियाभर में महंगाई में भीषण इजाफा भी हो सकता है।

ईरान से बदले की तैयारी में इजराइल, मिडिल ईस्ट में खुल सकता है एक और वॉर जोन

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कभी यूक्रेन और रूस का युद्ध तो कभी इजरायल और हमास के बीच जंग और अब ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के बाद युद्ध की आशंका से पूरी दुनिया सहमी हुई है। ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन के साथ इजरायल पर बड़ा हमला बोला है। जिसके बाद ईरान और इजरायल के बीच तनाव चरम पर है। इजराइल ने ईरान से बदला लेने का मन बना लिया है। माना जा रहा है कि अगले 24-48 घंटों में इजराइल कभी भी ईरान पर हमला कर सकता है। इस बीच ईरान के प्रमुख नेता खामेनेई ने अमेरिका को चुनौती दी है कि जंग और भीषण होगी। ऐसे में साफ है कि इजराइल ने हमला किया तो ईरान विध्वंसक बदले से भी पीछे नहीं हटेगा। ऐसे हालात में एक और मोर्चे पर युद्ध शुरू हो सकता है।

बता दे कि शनिवार को ईरान ने 300 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन के साथ इजरायल पर बड़ा हमला बोला। हालांकि, इनमें से 99 प्रतिशत को इजरायल ने एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से हवा में ही मार गिराया गया। ईरानी हमले को रोकने में इजरायल की मदद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ ही पड़ोसी मुस्लिम देश जॉर्डन ने भी की। अब ईरानी हमले के बाद इजरायल क्या प्रतिक्रिया देगा, सारी दुनिया की नजर इस पर है। इजरायल के प्रमुख राजनेताओं के बीच रविवार को इस बात पर चर्चा होती रही कि ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमलों के बाद इजरायल का अगला कदम क्या होना चाहिए।

कब और कैसे हमला करेगा इजराइल?

ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमले को नाकाम करने के बाद इजरायल अब जवाबी तैयारी कर रहा है। रविवार को इजराइल की वॉर कैबिनेट की बैठक हुई. बैठक में पीएम नेतन्याहु, रक्षा मंत्री गैलेंट, कैबिनेट मिनिस्टर बेनी गैंज इस बात पर तो एकमत रहे कि ईरान को करारा जवाब दिया जाएगा।

यरूशलम पोस्ट की खबर के अनुसार, इजरायल की वार कैबिनेट के सदस्य और बिना पोर्टपोलियो वाले मंत्री बेनी गैंट्ज ने कहा कि यह अभियान अभी खत्म नहीं हुआ है। एक वीडियो बयान में कहा कि इजरायल ईरान के खिलाफ हमले का तुरंत जवाब नहीं देगा। गैंट्स ने कहा, ईरान के खिलाफ हम एक क्षेत्रीय गठबंधन बनाएंगे और अपने हिसाब से सही समय पर इस हमले की कीमत वसूलेंगे। गैंट्ज से हमले को नाकाम करने को एक रणनीतिक उपलब्धि बताया जिसका इजरायल को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए लाभ उठाना चाहिए।

बता दें कि वॉर कैबिनेट ने अटैक और डिफेंस के लिए अपने प्लान को अंतिम रूप दे दिया है। हालांकि, यह साफ नहीं है कि ईरान पर इजराइल कब हमला करेगा? सीधा हमला करेगा या कुछ और तरकीब अपनाएगा। उधर, इजराइल के जवाबी हमले को लेकर ईरान अलर्ट पर है।

अमेरिका ने किया आगाह

बता दें कि अमेरिका के मनाही के बावजूद इजराइल ने ईरान के हमले का जवाब देने का फैसला किया है। दरअसल, ईरानी के हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजराइली पीएम नेतन्याहू से बात की। इस दौरान बाइडेन ने इजराइल को सुरक्षा का भरोसा दिया।इजरायल को आगाह किया है कि वह ईरान के खिलाफ इजरायल की अगली कार्रवाई में साथ नहीं देगा। राष्ट्रपति बाइडन ने प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को एक स्पष्ट संदेश भेजा है। ईरान के हमले को विफल कर दिया गया है। इजराइल की जीत हुई है। इसलिए ईरानी धरती पर सीधा सैन्य हमला करके इस और बढ़ाने की जरूरत नहीं है।

मिडिल ईस्ट में जंग की आहट

इजरायल के सामने मुश्किल यह है कि एक तरफ उसका सबसे बड़ा सहयोगी अमेरिका उससे शांति की अपील कर रहा है, तो वहीं इजरायली सुरक्षा प्रतिष्ठान में कई हार्डलाइनर हैं जो ईरान पर मजबूती से हमला किए जाने पर जोर दे रहे हैं। नेतन्याहू के गठबंधन सहयोगी सुरक्षा मंत्री इतमार बेन गविर ने ईरान पर हमले में देरी को खोखला पश्चिमी विचार कहा है। तेल अवीव के नेताओं के बयानों से साफ है कि ईरान को इजरायल जवाब देगा। इसका मतलब है कि इजरायल का अगला कदम मध्य पूर्व में जंग शुरू कर देगा।

ईरान के हमले से इजरायल को हुआ भारी नुकसान! एयरबेस तक पहुंची मिसाइलें, सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा

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ईरान और इजराइल के बीच तनाव चरम पर है। ईरान ने मंगलवार को इजराइल पर लगभग 200 मिसाइलें दागीं। इनमें से कई को इजराइल की वायु रक्षा प्रणाली ने रोक लिया, कुछ समुद्र में गिरीं, तथा अन्य ने धरती में गड्ढे कर दिए। ईरान का कहना है कि उसकी 90 फीसदी मिसाइलों ने अपने टारगेट को हिट किया है। ईरान द्वारा किए गए हमले में दो इजरायली एयरबेस, एक स्कूल का मैदान और मोसाद मुख्यालय के संदिग्ध क्षेत्र के निकट स्थित दो स्थान शामिल हैं। इसमें इजरायल को सबसे ज्यादा नुकसान नेवातिम एयरबेस और तेल नॉफ एयरबेस पर हुआ। हालांकि, इजराइल ने दावा किया है कि उसके मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने हमलों को नाकाम कर दिया।

इजरायल के सबसे सुरक्षित स्थानों में से एक है नेगेव रेगिस्तान में मौजूद नेवातिम एयर बेस। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों ने इस एयरबेस पर नुकसान पहुंचाया है। सैटेलाइट तस्वीरों में यह खुलासा हो रहा है। इन तस्वीरों को प्लैनेट लैब्स की सैटेलाइट ने लिया है। जिसे समाचार एजेंसी एपी ने जारी किया है।

हालांकि सैटेलाइट तस्वीरों से यह स्पष्ट नहीं है कि इजरायली स्टेल्थ फाइटर जेट को नुकसान पहुंचा है या नहीं। वो उस हैंगर में थे या नहीं जिसपर मिसाइल हमले से ज्यादा नुकसान हुआ है। लेकिन एयरबेस पर कई क्रेटर यानी गड्ढे बने दिख रहे हैं, जो मिसाइलों की टक्कर से बने हैं।

नुकसान के दावों से इजराइल का इनकार

वहीं, इजरायल इस दावे को नकार रहा है। इजरायली सेना ने कहा कि हमले हुए हैं। मिसाइलें गिरी हैं। लेकिन उनसे किसी फाइटर जेट, विमान, ड्रोन, हथियार या जरूरी ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचा है। मिसाइल हमले में ऑफिस बिल्डिंग और मेंटेनेंस एरिया क्षतिग्रस्त हुआ है।

इजरायल के लिए कितना अहम है नेवातिम एयरबेस

नेवातिम एयरबेस नेगेव रेगिस्तान में स्थित नेवातिम एयरबेस, जहां इजरायल के एफ-35 लड़ाकू विमान स्थित हैं, को अप्रैल में ईरान के ड्रोन और मिसाइल हमले का निशाना बनाया गया था, जो दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमले के जवाब में किया गया था। यह इजरायल के सबसे बड़े रनवे में से एक है और इसमें अलग-अलग लंबाई के तीन रनवे हैं। यहां स्टील्थ लड़ाकू विमान, परिवहन विमान, टैंकर विमान और इलेक्ट्रॉनिक टोही/निगरानी के लिए मशीनें, साथ ही विंग ऑफ जियोन भी तैनात थे. इस एयरबेस पर ईरान का हमला मतलब इजरायल के लिए गहरी चोट के बराबर है। थोड़ा सा भी नुकसान इजरायल के लिए काफी भारी पड़ सकता है।

नेवातिम एयरबेस का इजरायल का क्या है महत्व?

नेवातिम एयरबेस एयर फोर्स बेस 8 के नाम से भी जाना जाने वाला यह बेस इज़रायली एयर फ़ोर्स (आईएएफ) का सबसे पुराना और मुख्य बेस है जो इजरायल के रेहोवोट से 5 किमी दक्षिण में स्थित है। तेल नॉफ में दो स्ट्राइक फ़ाइटर, दो हेलिकॉप्टर और एक यूएवी स्क्वाड्रन है। बेस पर फ़्लाइट टेस्ट सेंटर मनात और इज़राइल डिफेंस फ़ोर्स (आईएएफ) की कई विशेष इकाइयां भी स्थित हैं, जिनमें यूनिट 669 (हेलीबोर्न कॉम्बैट सर्च एंड रेस्क्