राहुल-प्रियंका ने यूपी पुलिस की आलोचना करते हुए संभल दौरे पर रोक को 'एलओपी अधिकारों का उल्लंघन' बताया

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PTI

कौन थे संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, अजमेर में कैसे बनी उनकी दरगाह? जिस पर हो रहा विवाद

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Ajmer Shariff

अजमेर की दरगाह, जिसे ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के नाम से जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे महत्वपूर्ण सूफी धार्मिक स्थलों में से एक है। यह न केवल भारत बल्कि दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का जीवन और उनकी शिक्षाएं आज भी भारतीय समाज को प्रेम, मानवता और भाईचारे का संदेश देती हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में इस दरगाह को लेकर कुछ विवाद उठे हैं, जो सांप्रदायिक और प्रशासनिक पहलुओं से संबंधित हैं। इन विवादों के कारण दरगाह का ऐतिहासिक महत्व और सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश संकट में है।

अजमेर की एक सिविल कोर्ट द्वारा 13वीं शताब्दी में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के स्थल पर भगवान शिव का मंदिर होने का दावा करने वाले मुकदमे पर नोटिस जारी करने के एक दिन बाद, गुरुवार को देश भर के राजनीतिक और धार्मिक नेताओं ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। अजमेर शरीफ दरगाह, सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर विवाद है, जिसमें कुछ लोगों का दावा है कि यह दरगाह शिव मंदिर है। दावा दक्षिणपंथी हिंदू सेना के नेता विष्णु गुप्ता ने याचिका दायर कर दावा किया है कि यह दरगाह शिव मंदिर है। प्रतिक्रिया अजमेर की एक निचली अदालत ने अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को इस दावे का जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया। 

कुछ राजनीतिक दलों और संगठनों ने इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है:

चिश्ती फाउंडेशन: चिश्ती फाउंडेशन के अध्यक्ष सलमान चिश्ती ने कहा कि अदालतें सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता के निहितार्थों की अनदेखी कर रही हैं।

यूनाइटेड मुस्लिम फोरम राजस्थान: यूनाइटेड मुस्लिम फोरम राजस्थान के अध्यक्ष मुजफ्फर भारती ने कहा कि सिविल मुकदमे ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का उल्लंघन किया है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी): पार्टी ने कानूनी कार्यवाही को समाप्त करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।

पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज-राजस्थान: पीयूसीएल-राजस्थान के अध्यक्ष भंवर मेघवंशी ने सरकार से निराधार दावे करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का आह्वान किया।

उन्होंने भारत में सूफी धर्म की शिक्षा देने के लिए अपनी दरगाह अजमेर में स्थापित की, जो जल्द ही एक प्रमुख धार्मिक केंद्र बन गया। उनका उद्देश्य था कि वे समाज को बिना किसी भेदभाव के प्रेम और समर्पण का मार्ग दिखाएं। उनकी शिक्षाओं का प्रभाव केवल मुसलमानों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उनके विचार हिन्दू, जैन, सिख और अन्य समुदायों के बीच भी समादृत हुए।

दरगाह पर उठ रहे विवाद

 हाल के कुछ वर्षों में इस स्थल को लेकर विवाद उठे हैं,यह विवाद मुख्यतः प्रशासनिक नियंत्रण और धार्मिक भेदभाव के कारण उभरे हैं। 

1. प्रशासनिक विवाद

अजमेर स्थित दरगाह का प्रशासन एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है। पिछले कुछ समय से स्थानीय प्रशासन, विभिन्न धार्मिक और राजनीतिक संगठन, और दरगाह के संरक्षण को लेकर असहमतियां सामने आई हैं। कुछ संगठनों का आरोप है कि दरगाह का प्रशासन एक विशिष्ट समुदाय के हाथों में है, और इस पर राजनीतिक प्रभाव बढ़ रहा है। इसके कारण कई बार प्रशासनिक कार्यों में भ्रष्टाचार और गड़बड़ी के आरोप भी लगते रहे हैं। 

2. सांप्रदायिक विवाद

दरगाह का महत्व केवल मुस्लिम समुदाय के लिए नहीं है, बल्कि यह हिन्दू, जैन और सिख समुदायों के बीच भी एक सांप्रदायिक धरोहर के रूप में प्रतिष्ठित है। लेकिन हाल के वर्षों में कुछ धार्मिक संगठनों ने इसे सांप्रदायिक दृष्टिकोण से देखा है और आरोप लगाया है कि कुछ संगठन इस स्थल का दुरुपयोग कर धार्मिक भेदभाव बढ़ा रहे हैं। इस विवाद का प्रमुख कारण दरगाह में हो रही धार्मिक गतिविधियाँ और सांप्रदायिक संदर्भ में इसे प्रचारित करने की कोशिशें हैं। कुछ तत्वों का मानना है कि इस दरगाह को केवल मुसलमानों का स्थल बनाकर अन्य धर्मों को इससे बाहर रखा जा रहा है, जबकि दरगाह के वास्तविक उद्देश्य के खिलाफ यह प्रयास है। 

3. सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर प्रशासन और सांप्रदायिक विवाद के साथ-साथ राजनीतिक प्रभाव भी बढ़ रहा है। विभिन्न राजनीतिक दल और नेता इस स्थल को अपनी स्वार्थी राजनीति के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं। इससे दरगाह की पवित्रता और उसकी मूल भावना में विघटन का खतरा उत्पन्न हो रहा है। इसलिए, प्रशासनिक विवादों को सुलझाने के लिए पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देना होगा। साथ ही, सांप्रदायिक सौहार्द और धार्मिक समरसता की भावना को बनाए रखते हुए इस ऐतिहासिक स्थल की पवित्रता और महत्व को सुरक्षित रखना चाहिए।

महाराष्ट्र में महायुति में टकराव, एनसीपी अजित गुट ने नवाब मलिक को दिया टिकट, बीजेपी बोली-दाऊद से लिंक

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए नामांकन की तारीख खत्म हो चुकी है। नामांकन के आखिरी दिन कई उतार चढ़ाव देखने को मिले। इन सबके बीच नवाब मलिक की चर्चा सबसे अधिक हो रही है। अजित पवार की एनसीपी ने बीजेपी के विरोध के बाद भी नवाब मलिक को उम्मीदवार बना दिया। नवाब मलिक ने मुंबई के मानखुर्द के शिवाजीनगर सीट से एनसीपी के टिकट पर पर्चा भरा है। वहीं, पूर्व मंत्री नवाब मलिक की उम्मीदवारी को लेकर भाजपा और एनसीपी-अजित गुट में टकराव हो गया है।

मंगलवार को नामांकन के आखिरी दिन नवाब मल‍िक ने पहले मुंबई के शिवाजीनगर-मानखुर्द विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय पर्चा भरा लेकिन कुछ ही देर बाद उन्‍हें एनसीपी अज‍ित पवार गुट ने एबी फार्म देकर अपना कैंडिडेट बना दिया। इसके बाद बीजेपी का रुख हमलावर हो गया। मुंबई भाजपा के अध्यक्ष आशीष शेलार ने बुधवार को कहा- हमारी पार्ट का स्टैंड क्लियर है। हम पहले भी नवाब मलिक की उम्मीदवारी के खिलाफ थे। अब भी उनका समर्थन नहीं करेंगे, क्योंकि उनके दाऊद इब्राहिम से लिंक होने की बात सामने आई थी। यह बात डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने पहले ही कही है और अब मैं भी यही कह रहा हूं।

मुंबई भाजपा के अध्यक्ष आशीष शेलार ने कहा कि नवाब मलिक के लिए प्रचार करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। हमारा मानना है कि महायुति के सभी सहयोगियों को अपने उम्मीदवार घोषित करने का अधिकार है, लेकिन नवाब मलिक को लेकर भाजपा का रुख साफ है। महायुति की ओर से यह सीट शिवसेना शिंदे गुट को दी गई है और सुरेश पाटिल को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने भी पाटिल का समर्थन करते हुए कहा है कि वे मलिक के लिए कैंपेन नहीं करेंगे।

वहीं, भाजपा नेता किरीट सोमैया ने बुधवार को नवाब मलिक को आतंकी करार दिया। बता दें कि यह सीट पहले बीजेपी नेता किरीट सोमैया के पास थी लेकिन इस बार इसी सीट पर शिवसेना शिंदे गुट के सुरेश कृष्णराव पाटिल को महायुति को 'आधिकारिक' उम्मीदवार बनाया गया है। जिसके बाद बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट किया और कहा कि मानखुर्द शिवाजी नगर सीट के लिए महायुति के आधिकारिक उम्मीदवार सुरेश कृष्ण पाटिल (बुलेट पाटिल) हैं। किरीट सोमैया ने अपने ट्वीट में आगे लिखा, हम वोट जिहाद, आतंकवाद का समर्थन करने वाले उम्मीदवारों को हराने के लिए लड़ेंगे।

नवाब म‍ल‍िक के महायुत‍ि का उम्‍मीदवार बन जाने से उद्धव ठाकरे की पार्टी को बीजेपी पर हमला करने का मौका मिल गया। एनसीपी उद्धव गुट की नेता प्र‍ियंका चतुर्वेदी ने एक्‍स पर ल‍िखा, दाऊद का साथी अब देवेंद्र फडणवीस और आशीष शेलार का दोस्‍त होगा. उनकी पार्टी से चुनाव लड़ेगा। पेट्रोट‍िज्‍म का सर्टिफ‍िकेेट बांटने वाले आख‍िर कहा हैं?

प्रियंका ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा है कि हाहाहाहाहा! आशीष शेलार कहते हैं, भाजपा नवाब मलिक के लिए प्रचार नहीं करेगी, लेकिन उनकी उम्मीदवारी का विरोध भी नहीं करेगी। पाखंड और झूठ की पार्टी! फुसकी फटाका!

टूट गई हमास की हिम्मत! इजरायल के साथ संघर्ष खत्म करने को तैयार, जानें क्या बोले नेतन्याहू

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इजराइल-हमास के बीच पिछले एक साल से संघर्ष जारी है। इजराइल इस युद्ध में हमेशा हमास पर भारी पड़ा है। इजराइल लगातार हमास पर हमले कर रहा है। उसका सबसे बड़ा नेता याह्रा सिनवार बीते दिनों इजरायली हमले में मारा गया। उसके तमाम बड़े नेता अब मारे जा चुके हैं। ऐसे में इजरायल डिफेंस फोर्स के लगातार एक्‍शन के बाद अब हमास हिम्मत हारता दिख रहा है।इस बीच गुरुवार को इजराइल ने बताया कि हमास के साथ जारी युद्ध को समाप्त करने के लिए लंबे समय से रुका प्रयास अब गति पकड़ते दिख रहा है। हमास का कहना है कि अगर इजराइल गाजा युद्धविराम समझौते के लिए मान जाता है तो वह युद्ध समाप्त कर देगा।

हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गुरुवार को काहिरा में मिस्र के अधिकारियों के साथ उनके प्रतिनिधिमंडल ने युद्ध विराम समझौते पर चर्चा की। उन्होंने कहा, "हमास ने युद्ध रोकने के लिए तत्परता दिखाई है। इस्राइल को युद्धविराम के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। उन्हें गाजा से निकल जाना चाहिए और विस्थापित लोगों को वहां वापस आने की अनुमति देनी चाहिए। इसके साथ गाजा में मानवीय सहायता की भी अनुमति देनी चाहिए।"

उधर, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि बंधकों की रिहाई के लिए एक समझौते पर पहुंचने के मिस्र के प्रयासों का हम स्वागत करते हैं। नेतन्याहू के ऑफिस की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया, काहिरा में हुई बैठकों के बाद प्रधानमंत्री ने मोसाद के निदेशक को दोहा जाने और सुरक्षा कैबिनेट के सदस्यों के समर्थन से एजेंडे में शामिल कई पहलों को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया है। इजराइल ने कहा कि मोसाद प्रमुख डेविड बार्निया रविवार को कतर में बैठक करने वाले थे, ताकि गाजा बंधक रिहाई समझौते की दिशा में बातचीत को फिर से शुरू किया जा सके।

कनाडा के साथ तनाव के बीच स्ट्राइकर खरीदने की योजना “खटाई” में! जानें भारत के लिए कितना बड़ा झटका

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कनाडा के साथ भारत के कूटनीतिक रिश्ते सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। इंडियन आर्मी का स्ट्राइकर आर्मर्ड गाड़ियां खरीदने का प्लान खटाई में पड़ता दिख रहा है। दरअसल, ये गाड़ियां कनाडा में बनती हैं। पिछले साल नवंबर में भारत और अमेरिका के बीच हुई 2+2 वार्ता के दौरान अमेरिका ने 'स्ट्राइकर' के सह-उत्पादन पर जोर दिया था। अमेरिका ने भारत को इसके एयर डिफेंस सिस्टम वेरिएंट की पेशकश की थी, लेकिन भारत-कनाडा विवाद के चलते 'स्ट्राइकर' बख्तरबंद वाहनों की खरीदी डील अधर में दिखाई पड़ रही है।

इसी साल जून से ‘स्ट्राइकर’ को लेकर भारत-अमेरिका के बीच बातचीत शुरुआती चरण में थी और इसकी क्षमताओं का प्रदर्शन भारतीय सेना के सामने किया जाना था। लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल भारत ने ‘स्ट्राइकर’ की खरीद को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है।कनाडा से रिश्ते बिगड़ने के बाद अब इस डील पर संशय के बादल छा गए हैं। सूत्रों का कहना है कि अब इस मामले में आगे कोई बात नहीं हुई है और न ही गाड़ियां खरीदने को लेकर कोई फैसला लिया गया है।

पिछले एक साल से कनाडा की इन गाड़ियों को भारत को बेचने की पुरजोर कोशिशें हो रही थीं। इस प्रोजेक्ट को 'आत्मनिर्भर भारत' पहल का हिस्सा बताया जा रहा था। शुरुआती प्लान के मुताबिक, पहले तो कनाडा से सीधे कुछ गाड़ियां खरीदी जातीं और फिर बाद में कनाडा की कंपनी जनरल डायनामिक्स लैंड सिस्टम्स के साथ मिलकर भारत में ही इनका निर्माण किया जाता।

हालांकि, भारत की अपनी रक्षा कंपनियों को यह बात रास नहीं आ रही थी। उनका कहना था कि उन्होंने इसी तरह की गाड़ियां बनाने में अपनी पूंजी और मेहनत लगाई है और अब विदेशी कंपनी को मौका देना सही नहीं होगा। भारतीय कंपनियों ने सरकार से अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा है कि हमारे पास ऐसी गाड़ियां बनाने की पूरी तकनीक और क्षमता है, तो फिर स्ट्राइकर गाड़ियों के लिए कनाडा के साथ समझौता करने का क्या मतलब?

जानकारी के मुताबिक इन वाहनों को सेना बॉर्डर के आगे के क्षेत्रों में उपयोग के लिए भेजा जाना था, खासकर लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर भारत इनकी तैनाती करना चाहता था, लेकिन भारत और कनाडा के बिगड़ते रिश्तों ने इस योजना पर संदेह पैदा कर दिए हैं।

ईरान पर बड़ा साइबर अटैक, निशाने पर रहे न्यूक्लियर ठिकानें, क्या इजराइल के बदले की शुरूआत?

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ईरान और इजरायल के बीच चल रहे मौजूदा तनाव के बीच शनिवार को ईरान के न्यूक्लियर साइट्स सहित कई प्रतिष्ठानों पर एक साथ साइबर अटैक हुए। साइबर हमले से सरकार की लगभग तीनों शाखाएं तबाह हुई। साथ ही न्यूक्लियर ठिकानों को भी निशाना बनाया गया। वहां की न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका शाखा - भारी साइबर हमलों की चपेट में आ गई हैं और उनकी इंफॉर्मेशन को हैक कर लिया गया है।ये हमला ऐसे समय में हुआ है, जब इजरायल ने 1 अक्टूबर को ईरान के बैलिस्टिक मिसाइलों के हमले का करारा जवाब देने की कसम खाई है। ऐसे में कहा जा रहा है कि ईरान पर यह इजरायल का जवाबी हमले की दिशा में पहला कदम है।

साइबर अटैक के बाद ईरानी सेना की नींद उड़ी हुई है।ईरान के सुप्रीम काउंसिल ऑफ साइबर स्पेस के पूर्व सचिव फिरोजाबादी ने कहा है कि साइबर अटैक की जद में ईरानी की तीनों सेनाएं हैं। दावा किया जा रहा है कि साइबर अटैक की चपेट में ईरान का न्यूक्लियर पावर प्लांट, ईंधन वितरण सिस्टम और बंदरगाह परिवहन नेटवर्क भी आया है। 

इसके बाद अब सवाल उठ रहे है कि इजराइल बिना कोई जंग लड़े ईरान के न्यूक्लियर प्लांट को तबाह करने की ठान चुका है? दरअसल, माना जा रहा है कि इजरायल ईरान को आर्थिक चोट पहुंचाने के मूड में हैं। इसलिए न्यूक्लियर प्लांट के साथ साथ इजरायल ईरान के तेल ठिकानों पर भी विस्फोट करने की तैयारी में है ताकि ईरानी अर्थव्यवस्था को पूरी तरह चौपट किया जा सके

इजराइल के टारगेट पर ईरान के ये न्यूक्लियर प्लांट

• इजराइल के टारगेट पर ईरान के परमाणु संयंत्रों में सबसे पहले फार्दो है। जो कि एक न्यूक्लियर एनरिचमेंट प्लांट है। 2009 से ऑपरेशनल है। ये चट्टानों के नीचे बना है। इसकी तेल अवीव से दूरी 1842 किमी है।

• इसी तरह अराक न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर भी टारगेट पर है, जो 2006 में बनकर तैयार हुआ था। यहां रेडियो आइसोटोप प्रोडक्शन होता है।

• इसके अलावा नतांज न्यूक्लियर एनरिचमेंट प्लांट है जो 2004 से ऑपरेशनल है। ये एक अंडरग्राउंड प्लांट है। इसकी तेल अवीव से दूरी 2027 किमी है।

• इस्फहान न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर चीन के सहयोग से बना है। इसमें 3000 से ज्यादा साइंटिस्ट काम करते हैं। इजराइल यहां भी हमला कर सकता है।

• आगे बुशहर न्यूक्लियर पावर प्लांट है जो रूस के सहयोग से बना है। 2010 से ऑपरेशनल है। इसकी तेल अवीव से दूरी 2072 किमी है।

ईरान की 7 बड़ी रिफाइनरी भी टारगेट पर

• पहले नंबर पर है अबादान रिफाइनरी.

• दूसरे नंबर पर है इस्फहान रिफाइनरी.

• तीसरे नंबर पर है अराक रिफाइनरी.

• चौथे नंबर पर है बंदर अब्बास रिफाइनरी.

• पांचवें नंबर पर है तेहरान रिफाइनरी.

• छठे नंबर पर है अरवांद रिफाइनरी.

• सातवें नंबर पर है लावन आइलैंड रिफाइनरी।

इजराइल के इस प्लान से पूरे अरब में खलबली मच गई है क्योंकि ईरानी परमाणु संयंत्रों और तेल ठिकानों पर हमले का मतलब पूरे अरब में जंग फैलना होगा और इसके साथ ही पूरी दुनिया में तेल के दामों भी आग लगना तय है। अरब के कई देशों ने अमेरिका से अपील की है कि इजराइल को इस तरह के हमले करने से रोका जाए, लेकिन इजरायल के इस प्लान में अमेरिका भी शामिल है और प्लान सिर्फ इतना ही नहीं है।

बता दें कि हाल ही में हिजबुल्‍लाह के सदस्‍यों पर पैजर अटैक हुआ, जिससे ये आतंकी संगठन ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया सहम गई थी। पैजर में फिट किये गए बम फट रहे थे और लोग सड़कों पर मर रहे थे। ऐसा आरोप है कि हिजबुल्‍लाह पर ये पैजर अटैक इजरायल की सीक्रेट यूनिट 8200 ने अंजाम दिया था। इसके बाद कई वॉकी-टॉकी भी ब्‍लास्‍ट हुए थे।

पीएम मोदी के “जेम्स बॉन्ड” अजीत डोभाल जा रहे हैं रूस, दुनियाभर में इस दौरे की चर्चा क्यों?

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करीब दो साल से अधिक समय से चली आ रही रूस-यूक्रन जंग को लेकर दुनियाभर के देश भारत की तरफ टकटकी लगाकर देख रहे हैं। इन देशों में सबसे ताकतवर श अमेरिका भी शामिल है। जो कई ये जाहिर कर चुका है कि भारत ही रूस को रोक सकता है। अभी हाल ही में खुद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी कह चुके हैं कि रूस-यूक्रेन जंग सुलझाने में भारत और चीन अहम भूमिका निभा सकते हैं। पुतिन के बाद इटली की पीएम का भी मानना है कि शांति वार्ता को लेकर भारत और चीन ही मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते। इस बीच भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इस सप्ताह मास्को की यात्रा करेंगे। शांतिदूत वाला रोल निभाने को तैयार भारत के इस “दूत” के मॉस्को दौरे पर सबकी निगाहें जमी हैं।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी जुलाई में रूस की यात्रा की थी। इसके अगले महीने ही अगस्त में पीएम मोदी यूक्रेन पहुंचे। इसके बाद आए पुतिन के बयान ने साफ कर दिया है कि संघर्ष को रोकने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका होने वाली है।यूक्रेन की यात्रा और राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने 27 अगस्त को राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर बात की थी। रूस की तरफ से कहा गया कि फोन काल के दौरान पीएम मोदी ने पुतिन को अपनी हाल की कीव यात्रा के बारे में बताया। इस दौरान पीएम मोदी ने राजनीतिक और कूटनीतिक तरीकों से यूक्रेन समझौता करने की भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। सूत्रों के अनुसार, इस फोन काल के दौरान ही यह तय किया गया कि एनएसए डोभाल मॉस्को जाएंगे। खास बात यह है कि जेलेंस्की से मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से भी बात की थी, जो यूक्रेन का महत्वपूर्ण सहयोगी है।

एनएसए अजीत डोभाल 10-11 सितंबर को मॉस्को की यात्रा करेंगे। इस दौरान उनका फोकस यूक्रेन जंग में शांति समझौते कराने पर रहेगी। अजीत डोभाल मॉस्को में होने वाले ब्रिक्स एनएसए के सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं। भारत से जहां मध्यस्थ के रूप में अजीत डोभाल रहेंगे, वहीं चीन की ओर से वांग यी। चीन के एनएसए वांग यी भी उस सम्मेलन में मौजूद रहेंगे, जिसमें यूक्रेन जंग सबसे अहम मुद्दा होगा।

यहां खास बात है कि अजित डोभाल और वांग यी ही भारत-चीन सीमा समाधान पर बातचीत के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं। यह बैठक रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग समाप्त करने के लिए दोनों देशों के बीच शांति वार्ता को लेकर नये सिरे से जारी प्रयासों के बीच हो रही है।एनएसए अजीत डोभाल रूस यात्रा के दौरान चीन और ब्राजील समेत अपने ब्रिक्स समकक्षों से मिलेंगे और इस बात पर चर्चा करेंगे कि कैसे यह समूह संघर्ष को समाप्त करने में पहल कर सता है।

सुलगने लगा मिडिल ईस्टः हिजबुल्लाह-इजराइल के बीच बढ़ा तनाव, भारतीयों को लेबनान छोड़ने की एडवाइजरी

#indian_embassy_issue_advisory_for_lebanon_israel_hezbollah_hassam_conflict

मिडिल ईस्ट में तनाव अपने चरम पर पहुंचता दिख रहा है। हिजबुल्लाह और इजराइल के बीच हालिया घटनाक्रमों ने तपिश बड़ा दी है। एक तरफ हिजबुल्ला के प्रमुख फउद शुकर को लेबनान की राजधानी बेरुत में ढेर किया गया है, तो दूसरी तरफ ईरान की राजधानी तेहरान में हमास की राजनीतिक शाखा के प्रमुख इस्माइल हानिया को मार गिराया गया। जिसके बाद हिजबुल्लाह ने इजराइल पर एयर स्ट्राइक भी कर दी है। इस बीच, लेबनान की राजधानी बेरुत स्थित भारतीय दूतावास ने भारतीय नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में सभी भारतीयों से देश छोड़ने को कहा गया है। 

लेबनान स्थित भारतीय दूतावास ने भारतीयों के लिए रिवाइज्ड एडवाइजरी जारी की है। इसमें भारतीय नागरिकों से अगले नोटिस तक लेबनान की यात्रा नहीं करने को कहा गया है। साथ ही वहां रह रहे भारतीयों को जल्द से जल्द लेबनान छोड़ने की सलाह दी गई है। इसके अलावा एंबेसी ने कहा है कि अगर कोई भारतीय किसी कारणवश लेबनान में ही रुका हुआ है तो उससे बाहर न निकलने और दूतावास के संपर्क में रहने को कहा गया है। भारतीय दूतावास ने इमरजेंसी फोन नंबर और ईमेल आईडी भी जारी की है।

बता दें कि हमास की राजनीतिक शाखा के प्रमुख इस्माइल हानिया और हिजबुल्ला के टॉप कमांडर फउद शुकर की मौत से मध्य पूर्व में अभी तनाव बढ़ ही रहा था कि इजराइल ने अपने एक और दुश्मन की मौत की पुष्टि कर दी। इजराइल ने कहा है कि हमास का शीर्ष सैन्य कमांडर मोहम्मद दइफ जुलाई में मारा जा चुका है। इजराइली सेना (आईडीएफ) ने गुरुवार को एक बयान जारी कर बताया कि हमास का सैन्य कमांडर मोहम्मद दइफ जुलाई में ही एक एयर स्ट्राइक हमले में मारा गया था। इजराइल पर 7 अक्तूबर, 2023 को हुए हमले का मास्टरमाइंड मोहम्मद दइफ ही माना जाता है। अब माना जा रहा है कि मध्य पूर्व में संघर्ष की आग भड़क सकती है। हमास, हिजबुल्ला और इस्राइल के बीच जंग छिड़ सकती है और इसका केंद्र लेबनान हो सकता है।

Opt for India Senior Sexologist in Patna for Weak Erection Remedy | Dr. Sunil Dubey

About the life of a patient suffering from erection problem:

Have you been a sexual patient of erection problem for a long time? You consulted many sexologist doctors for your problem but you did not get a permanent solution. At present, you are disappointed and cursing your sexual life.


You have consulted allopathic doctors for this erection problem but your improvement was for a moment not for permanent. You have spent lots of money behind your sexual dysfunction but in today’s time, your sexual problem was standing at the same place.


The sexual patient who is affected with erection problem always leads a despair sexual life. He thinks about his sexual health and curses it again and again. In fact, the erectile dysfunction patient is unable to get or maintain his erection for his sexual activity. As a result, both male and female become despair in their sexual life. The male is helpless because he does not get erection, the other side; his female partner taunts him against his sexual weakness. In fact, erectile dysfunction is a mark of impotence and the patient feels embarrassed sharing his problem to anyone.


About erectile dysfunction and how it affects a man:

Dr. Sunil Dubey, India's top-ranked senior sexologist, says that erectile dysfunction is a serious sexual problem for people under 40. But the sexual patients should not panic about their problems because its treatment is possible in Ayurveda Medicare. Most of the sexual patients fix it after a certain course of Dubey Clinic medication.


Erectile Dysfunction is a sexual dysfunction in which a man is incapable of having or maintaining the erection of his private part during the sexual activities. Before the age of 40, it is a matter of concern for all the sexual patients who suffer from erection problems. Dr. Sunil Dubey, most demanding sexologist in Patna says that every day 5-7 erectile dysfunction patients come to Dubey Clinic for their treatment and remedy sake.

Generally, increasing age is a real factor in reducing sexual desire and is the cause of erectile dysfunction. But apart from aging, all the reasons are a matter of concern for sexual patients. Mostly men are affected to erectile dysfunction sexual problem due to the following reasons:-


  1. Smoking and Drinking are the common cause of this sexual problem. One who uses the excess amount of these things, they lead to their sexual health unbalance.
  2. The overweight of a man in accordance with his height is also cause of this sexual dysfunction.
  3. The conflict in couple’s relationship always gives a birth to this erectile dysfunction in men.
  4. The psychological issues in which the misconception about the sexual activity is the hidden cause of erection problem in men.
  5. Lack of involvement in physical activity can cause of this sexual dysfunction.
  6. Diabetes and BP patients are always affected with this sexual dysfunction.
  7. One who uses the excess certain allopathic medicines for a disease.
  8. One who has poor body image and lower level of self-confidence, gets this problem.
  9. One who has spinal cord problem and cardiac disease is affected with it.
  10. Other medical, health, and injury are the causes of this erectile dysfunction.


How can a man avoid his erectile dysfunction?

World renowned Ayurvedacharya, Senior Sexologist of India, Dr. Sunil Dubey says that sexual problem is not a difficult condition to avoid erectile dysfunction, when the patient follows the guidelines and medication of his sexual health care practitioner.

At present, he practices at Dubey Clinic that is located at Dubey Market, Langar Toli, Chauraha, Patna-04. He treats all over India sexual patients at this clinic through online and offline. Sexual patients from Bihar and nearby this state always contact this clinic over phone and visit the clinic to get their medication and treatment. This best sexologist in Bihar says that he has treated more than three lakh sexual patients and among them more than fifty thousand sexual patients suffering from erectile dysfunction. In today’s time, most of the erectile dysfunction patients have fixed their problems for good. He provides them Ayurveda Remedy, Herbs, Impactful Bhasma, natural Oil, and naturopathy medication to get rid of their sexual problems.


Apart from Ayurveda Medicare, he suggests them to follow some tips those are related to their daily life. Ayurveda Medicare heals any problem naturally and it takes time. One who understands the value of Ayurveda Treatment and Medication, they get their solution quickly.


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Dubey Clinic

An ISO Certified Clinic of India

Location: https://maps.app.goo.gl/RUZ6NcFtZsYmbrTU9

Helpline No: +91 98350 92586; +91 91555 55112

Venue: Subash Market, near Globe Time Telecom, Dariyapur Gola, Langar Toli, Chauraha, Patna, Bihar 800004

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बराक ओबामा ने इजराइल को दी चेतावनी, बोले-गाजा में इजरायल की सैन्य कार्रवाई का हो सकता है उलटा असर

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इजरायल और फिलिस्तीनी आतंकवादी संगठन हमास के बीच जंग तेज हो गई है।हमास-इजरायल युद्ध के बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इजरायल को चेतावनी दी है।ओबामा ने सोमवार को कहा कि हमास के खिलाफ युद्ध में इजरायल की कुछ कार्रवाइयां, जैसे गाजा के लिए भोजन और पानी में कटौती फिलिस्तीनी रवैये को बदल सकती है और इसे सख्त कर सकती है। 

ओबामा का बड़ा बयान

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, ओबामा ने कहा कि इजरायली सरकार गाजा में लोगों के लिए भोजन, पानी और बिजली काटने के इजरायली सरकार के फैसले से न केवल बढ़ते मानवीय संकट का खतरा है, बल्कि यह पीढ़ियों के लिए फिलिस्तीनी रवैये को और अधिक सख्त कर सकता है, इजरायल के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन को खत्म कर सकता है, इजरायल के दुश्मन इसका इस्तेमाल कर सकते हैं और इलाकों में शांति और स्थिरता हासिल करने के कोशिशों को कमजोर कर सकता है।

युद्ध हमेशा दुखद होता है-ओबामा

एक बयान में उन्होंने कहा, गाजा पर बमबारी की वजह से पहले ही हजारों फलस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिसमें कई बच्चे भी शामिल हैं। सैकड़ों हजारों को अपने घरों से बेघर होना पड़ा है।उन्होंने कहा, युद्ध हमेशा दुखद होता है।यहां तक की सैन्य अभियान भी नागरिकों को जोखिम में डालते हैं, चाहे अभियान को कितने ही नियोजित या सावधानी से क्यों किया जाए।

बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति रहते हुए गाजा में हमास के खिलाफ संघर्ष में इजरायल के अधिकारों का हिमायत करते रहे हैं।हालांकि, उन्होंने गाजा पट्टी में मरने वालों की संख्या को बढ़ते हुए देखकर इजरायल से संयम बरतने की अपील की।

राहुल-प्रियंका ने यूपी पुलिस की आलोचना करते हुए संभल दौरे पर रोक को 'एलओपी अधिकारों का उल्लंघन' बताया

#rahul_gandhi_denied_entry_in_sambhal_amidst_chaos_and_conflict

PTI

कौन थे संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, अजमेर में कैसे बनी उनकी दरगाह? जिस पर हो रहा विवाद

#conflictonajmersharifdargah

Ajmer Shariff

अजमेर की दरगाह, जिसे ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के नाम से जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे महत्वपूर्ण सूफी धार्मिक स्थलों में से एक है। यह न केवल भारत बल्कि दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का जीवन और उनकी शिक्षाएं आज भी भारतीय समाज को प्रेम, मानवता और भाईचारे का संदेश देती हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में इस दरगाह को लेकर कुछ विवाद उठे हैं, जो सांप्रदायिक और प्रशासनिक पहलुओं से संबंधित हैं। इन विवादों के कारण दरगाह का ऐतिहासिक महत्व और सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश संकट में है।

अजमेर की एक सिविल कोर्ट द्वारा 13वीं शताब्दी में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के स्थल पर भगवान शिव का मंदिर होने का दावा करने वाले मुकदमे पर नोटिस जारी करने के एक दिन बाद, गुरुवार को देश भर के राजनीतिक और धार्मिक नेताओं ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। अजमेर शरीफ दरगाह, सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर विवाद है, जिसमें कुछ लोगों का दावा है कि यह दरगाह शिव मंदिर है। दावा दक्षिणपंथी हिंदू सेना के नेता विष्णु गुप्ता ने याचिका दायर कर दावा किया है कि यह दरगाह शिव मंदिर है। प्रतिक्रिया अजमेर की एक निचली अदालत ने अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को इस दावे का जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया। 

कुछ राजनीतिक दलों और संगठनों ने इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है:

चिश्ती फाउंडेशन: चिश्ती फाउंडेशन के अध्यक्ष सलमान चिश्ती ने कहा कि अदालतें सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता के निहितार्थों की अनदेखी कर रही हैं।

यूनाइटेड मुस्लिम फोरम राजस्थान: यूनाइटेड मुस्लिम फोरम राजस्थान के अध्यक्ष मुजफ्फर भारती ने कहा कि सिविल मुकदमे ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का उल्लंघन किया है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी): पार्टी ने कानूनी कार्यवाही को समाप्त करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।

पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज-राजस्थान: पीयूसीएल-राजस्थान के अध्यक्ष भंवर मेघवंशी ने सरकार से निराधार दावे करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का आह्वान किया।

उन्होंने भारत में सूफी धर्म की शिक्षा देने के लिए अपनी दरगाह अजमेर में स्थापित की, जो जल्द ही एक प्रमुख धार्मिक केंद्र बन गया। उनका उद्देश्य था कि वे समाज को बिना किसी भेदभाव के प्रेम और समर्पण का मार्ग दिखाएं। उनकी शिक्षाओं का प्रभाव केवल मुसलमानों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उनके विचार हिन्दू, जैन, सिख और अन्य समुदायों के बीच भी समादृत हुए।

दरगाह पर उठ रहे विवाद

 हाल के कुछ वर्षों में इस स्थल को लेकर विवाद उठे हैं,यह विवाद मुख्यतः प्रशासनिक नियंत्रण और धार्मिक भेदभाव के कारण उभरे हैं। 

1. प्रशासनिक विवाद

अजमेर स्थित दरगाह का प्रशासन एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है। पिछले कुछ समय से स्थानीय प्रशासन, विभिन्न धार्मिक और राजनीतिक संगठन, और दरगाह के संरक्षण को लेकर असहमतियां सामने आई हैं। कुछ संगठनों का आरोप है कि दरगाह का प्रशासन एक विशिष्ट समुदाय के हाथों में है, और इस पर राजनीतिक प्रभाव बढ़ रहा है। इसके कारण कई बार प्रशासनिक कार्यों में भ्रष्टाचार और गड़बड़ी के आरोप भी लगते रहे हैं। 

2. सांप्रदायिक विवाद

दरगाह का महत्व केवल मुस्लिम समुदाय के लिए नहीं है, बल्कि यह हिन्दू, जैन और सिख समुदायों के बीच भी एक सांप्रदायिक धरोहर के रूप में प्रतिष्ठित है। लेकिन हाल के वर्षों में कुछ धार्मिक संगठनों ने इसे सांप्रदायिक दृष्टिकोण से देखा है और आरोप लगाया है कि कुछ संगठन इस स्थल का दुरुपयोग कर धार्मिक भेदभाव बढ़ा रहे हैं। इस विवाद का प्रमुख कारण दरगाह में हो रही धार्मिक गतिविधियाँ और सांप्रदायिक संदर्भ में इसे प्रचारित करने की कोशिशें हैं। कुछ तत्वों का मानना है कि इस दरगाह को केवल मुसलमानों का स्थल बनाकर अन्य धर्मों को इससे बाहर रखा जा रहा है, जबकि दरगाह के वास्तविक उद्देश्य के खिलाफ यह प्रयास है। 

3. सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर प्रशासन और सांप्रदायिक विवाद के साथ-साथ राजनीतिक प्रभाव भी बढ़ रहा है। विभिन्न राजनीतिक दल और नेता इस स्थल को अपनी स्वार्थी राजनीति के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं। इससे दरगाह की पवित्रता और उसकी मूल भावना में विघटन का खतरा उत्पन्न हो रहा है। इसलिए, प्रशासनिक विवादों को सुलझाने के लिए पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देना होगा। साथ ही, सांप्रदायिक सौहार्द और धार्मिक समरसता की भावना को बनाए रखते हुए इस ऐतिहासिक स्थल की पवित्रता और महत्व को सुरक्षित रखना चाहिए।