बीमार पालतू बना काल: लखनऊ में एक ही घर से उठीं दो अर्थियां
लखनऊ ।राजधानी के पारा थाना क्षेत्र की जलालपुर दौदाखेड़ा कॉलोनी बुधवार को उस वक्त सन्नाटे में डूब गई, जब एक ही घर से चीख-पुकार और मातम की आवाजें गूंज उठीं। अवसाद से जूझ रहीं दो सगी बहनों ने पालतू कुत्ते की बीमारी के सदमे में ज़हरीला फिनाइल पी लिया। इलाज के दौरान दोनों की मौत हो गई। मोहल्ले में शोक की लहर दौड़ गई और हर आंख नम हो उठी।मृत बहनों की पहचान राधा सिंह (25) और जिया उर्फ शानू सिंह (22) के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि दोनों मानसिक रूप से अस्वस्थ थीं और अपने पालतू जर्मन शेफर्ड टोनी से बेहद लगाव रखती थीं। बीते करीब 15 दिनों से टोनी की तबीयत लगातार बिगड़ रही थी। इलाज के बावजूद हालत में सुधार न होने से दोनों बहनें गहरे तनाव में चली गईं।
मां के सामने कबूल किया गुनाह, फिर टूट गया सब कुछ
बुधवार दोपहर दोनों बहनों ने घर में रखा फिनाइल पी लिया। कुछ ही देर बाद हालत बिगड़ने लगी तो उन्होंने अपनी मां गुलाबा देवी को रोते हुए बताया कि उन्होंने ज़हर पी लिया है। घबराई मां ने तुरंत बड़े बेटे वीर सिंह को फोन किया। पड़ोसियों की मदद से दोनों को रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल ले जाया गया, जहां राधा ने कुछ ही देर में दम तोड़ दिया। गंभीर हालत में जिया को मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, लेकिन गुरुवार दोपहर इलाज के दौरान उसने भी अंतिम सांस ले ली।
“हम मर जाएं तो डॉगी को मत भगाना…”
इस दर्दनाक घटना ने हर किसी का कलेजा चीर दिया। मां गुलाबा देवी के मुताबिक, ज़हर पीने के बाद दोनों बेटियां फूट-फूटकर रो रही थीं और बस एक ही बात कह रही थीं—
“हमारे मरने के बाद डॉगी को घर से मत भगाना, उसकी दवा कराते रहना।”यह सुनकर मां बदहवास हो गईं, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
मोहल्ले में पसरा मातम, एक साथ उठी दो अर्थियां
गुरुवार देर शाम पोस्टमार्टम के बाद जब दोनों बहनों के शव घर पहुंचे तो कोहराम मच गया। एक ही घर से जब दो अर्थियां एक साथ उठीं, तो पूरे मोहल्ले की आंखें भर आईं। मां गुलाबा देवी बार-बार बेटियों के शव से लिपटकर बेसुध हो जा रही थीं। पड़ोसी ज्ञान सिंह, लाल चंद्र और लखन लाल ने बताया कि दोनों बहनें शांत स्वभाव की थीं और टोनी से उनका लगाव इस कदर था कि अगर कुत्ता खाना नहीं खाता था तो वे भी खाना छोड़ देती थीं।यह परिवार पहले ही कई दुख झेल चुका है। गुलाबा देवी के पति कैलाश सिंह, जो रुई की धुनाई का काम करते हैं, पिछले छह महीनों से गंभीर बीमारी के चलते बिस्तर पर हैं। कोरोना काल में परिवार अपना एक जवान बेटा भी खो चुका है। अब दो बेटियों की मौत ने परिवार को पूरी तरह तोड़ दिया है।
मानसिक बीमारी का लंबा इतिहास
परिजनों के अनुसार, वर्ष 2014 से दोनों बहनों का मानसिक बीमारी का इलाज चल रहा था। कई डॉक्टरों को दिखाया गया, मंदिरों और धार्मिक स्थलों—बालाजी, खाटू श्याम—तक ले जाया गया। 2017 तक हालत में सुधार हुआ, लेकिन बाद में फिर समस्याएं बढ़ने लगीं। कुछ समय पहले नाराजगी में दोनों ने घर की किराने की दुकान में आग लगा दी थी, जिसमें मां का एक पैर झुलस गया था। इसके बाद इलाज दोबारा शुरू कराया गया।
कुत्ते से शुरू हुई कहानी, उसी पर खत्म
करीब तीन साल पहले मॉर्निंग वॉक के दौरान एक ट्रॉली चालक से मुलाकात के बाद दोनों बहनें जर्मन शेफर्ड टोनी को घर लेकर आई थीं। वही टोनी धीरे-धीरे उनकी दुनिया का केंद्र बन गया। उसकी बीमारी ने दोनों को इस कदर तोड़ दिया कि उन्होंने जिंदगी से ही मुंह मोड़ लिया।इंस्पेक्टर सुरेश सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जांच में आत्महत्या का मामला सामने आया है। परिजनों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं और हर पहलू की जांच की जा रही है।यह हादसा सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि समाज के लिए भी एक गंभीर सवाल छोड़ गया है—मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक सहारे को समय रहते समझा और संभाला नहीं गया, तो नतीजे कितने भयावह हो सकते हैं।
1 hour and 3 min ago
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
0- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
0.1k