श्रीमद्भागवत जीवन को धर्म सत्य और भक्ति के पथमार्ग पर ले जाने वाली एक अहम धारा
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जगतगुरु स्वामी राघवाचार्य महाराज
संजय द्विवेदी।,प्रयागराज।यमुनानगर अन्तर्गत मेजा दुर्गावती इण्टरनेशनल स्कूल प्रांगण में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन सोमवार को भक्तिमय वातावरण रहा।कथावाचक जगतगुरु स्वामी राघवाचार्य महाराज ने ध्रुव चरित्र और पुरजनोपाख्यान का वर्णन किया।उन्होंने बताया कि मनुष्य का जीवन तभी सार्थक होता है।जब वह अहंकार क्रोध ईर्ष्या और मोह से मुक्त होकर सच्चे भाव से भगवान की शरणम मे शरणागत होत है।ध्रुव चरित्र का उदाहरण देते हुए राघवाचार्य महाराज ने समझाया कि दृढ़ निश्चय और अटूट श्रद्धा एक साधारण व्यक्ति को भी असाधारण बना सकती है।
भगवान केवल भक्त के भाव को स्वीकार करते है न कि उसके पद धन या शक्ति को।कथा में कथावाचक द्वारा यह भी बताया गया कि श्रीमद्भागवत जीवन को धर्म सत्य और भक्ति के पथ मार्ग पर ले जाने वाली एक अहम धारा है।श्रद्धा और भक्ति वह ऊर्जा है जो मनुष्य को ईश्वर तक पहुंचने में सहायता प्रदान करती है।कथा स्थल पर महिलाओ युवाओं और बुजुर्ग श्रद्धालुओ की बड़ी भारी संख्या उमड़ी। भजन-संकीर्तन के दौरान श्रद्धालु भावविभोर होकर झूम उठे और पूरा पण्डाल हरे कृष्ण—हरे राम के जयकारों से गूंज उठा।कथा प्रतिदिन निर्धारित समय पर आयोजित की जाएगी जिसका लाभ क्षेत्र के सभी श्रद्धालु ले सकते है।जिसमे क्षेत्र और आसपास के गांवो से भारी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु उक्त भागवत कथा में उपस्थित रहे।









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