वर्ष 2025-26 में ग्राम पंचायतों में वितरण के वाद्य यंत्रों को उच्चस्तरीय कमेटी की देखरेख में सेट खरीदे जांएगे
![]()
![]()
उत्तर प्रदेश गौरव सम्मान के लिए आवेदन पत्रों के परीक्षण के उपरांत निर्णय लिया जाएगा
पर्यटन मंत्री ने पर्यटन एवं संस्कृति विभाग की समीक्षा की
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने आज दूसरे दिन पर्यटन एवं संस्कृति विभाग की समीक्षा करते हुए विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि पर्यटन विभाग की परियोजनाओं को तय समय सीमा में पूरा किया जाए। व्यवधान की स्थिति में उसका निस्तारण सुनिश्चित करते हुए कार्य को आगे बढ़ाया जाए। वित्तीय वर्ष 2025-26 की स्वीकृत कार्ययोजना में शामिल 19 परियोजनाओं के आगणन प्रस्ताव की स्वीकृति शीघ्र जारी कर दी जाएगी।
उन्होंने अब तक न शुरू की गई परियोजनाओं की भी गहन समीक्षा करते हुए कार्य की गति तेज करने के निर्देश दिए। पर्यटन मंत्री आज गोमती नगर स्थित पर्यटन भवन के सभागार में संस्कृति तथा पर्यटन विभाग की निर्माण कार्य से जुड़ी परियोजनाओं तथा विभागीय गतिविधियों की बिंदुवार समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिए कि बदले परिवेश में परियोजनाओं को गुणवत्ता के साथ पूरा करके पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा दिया जाए, ताकि वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में पर्यटन एवं संस्कृति विभाग का अधिकतम सहयोग सुनिश्चित हो सके और स्थानीय लोगों को अपने घर के आस-पास रोजगार मिल सके।
उन्होंने पिछली बैठकों में दिए गए निर्देशों के अनुपालन की स्थिति की भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि अधिकारी किसी कार्य में अड़गा न लगाए, बल्कि उसके समाधान के लिए हरसंभव प्रयास करे।
जयवीर सिंह ने कहा कि संस्कृति विभाग द्वारा लोककला से आमजनता को जोड़ने तथा उन्हें संरक्षित रखते हुए अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए संस्कृति विभाग ने वाद्य यंत्रों का सेट क्रय करके वितरित किया था। उसमें से अवशेष 26 सेट वाद्य यंत्र भातखंडे संगीत संस्थान को और आजमगढ़ के हरिहर पुर स्थित संगीत विद्यालय को उपलब्ध करा दिए गए है। यह वाद्य यत्र वित्तीय वर्ष 2023-24 में क्रय किए गए थे। उन्होंने शेष जनपदों में वाद्य यंत्र का सेट वितरित करने के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी की देख-रेख में नए वाद्य यंत्र क्रय करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि नए वाद्य यंत्र की गुणवत्ता एवं टिकाऊपन की जांच के लिए विशेषज्ञों की भी राय ली जाए और क्रय करते समय वित्तीय अनुशासन एवं गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। बैठक में बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में वाद्य यंत्र क्रय करने के लिए कार्यवाई शुरू कर दी गयी है।
पर्यटन मंत्री ने रेडियों जयघोष की फ्रीक्वेंसी बढ़ाने के लिए कार्यवाई शुरू की जाए। उन्होंने बताया कि रेडियो जयघोष की क्षमता बढ़ने से दूरस्थ स्थानों तक रेडियों जयघोष के कार्यक्रमों का श्रोताओं को लाभ मिलेगा। बैठक में यह भी बतायागया कि संगीत नाटक अकादमी द्वारा रिसोर्ट होटल से समन्वय किया जा रहा है तथा उप्र लोक जनजाति संस्कृति संस्थान के माध्यम से स्थानीय रिसोर्ट/होटल से समन्वय स्थापित कर कार्यक्रम कराए जाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा भारतेन्दु नाट्य अकादमी, राज्य ललित कला अकादमी, वृंदावन स्रोत संस्थान, अंतर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक स्रोत संस्थान द्वारा भी विभिन्न कार्यक्रमों हेतु समन्वय का प्रयास किया जा रहा है।
प्रदेश में लोक सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए संस्कृति उत्सव के आयोजन के निर्देश दिए। उन्होंने प्रदेश के 75 जनपदों के लिए निदेशालय स्तर से नोडल अधिकारी नामित करने के भी निर्देश दिए।
जयवीर सिंह ने उप्र की संस्कृति नीति तैयार करने के लिए भारत सरकार द्वारा संस्कृति नीति जारी होने के पश्चात उसके प्रस्तावों के हिसाब से प्रदेश की संस्कृति नीति तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी हिदायत दी कि समीक्षा बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुरूप निर्धारित समय सीमा में अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। दोनों बैठकों मे प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति अमृत अभिजात, महानिदेशक पर्यटन, अशोक कुमार द्वितीय, विशेष सचिव संस्कृति ईशाप्रिया, अपर निदेशक संस्कृति डॉ सृष्टि धवन, प्रबंध निदेशक आशीष कुमार, पर्यटन सलाहाकार जेपी सिंह, संयुक्त निदेशक वीरेन्द्र कुमार व प्रीति श्रीवास्तव तथा अंजु चौधरी, निदेशक अमित अग्निहोत्री, निदेशक पुरातत्व रेनु द्विवेदी के अलावा उपनिदेशक एवं सहायक निदेशक मौजूद थे।



संजय द्विवेदी।प्रयागराज।माघ मेले के इतिहास में पहली बार मेले के दर्शन तत्त्व को परिलक्षित करतेना हुए मुख्यमंत्री के स्तर से माघ मेले का लोगो जारी किया गया है।इस लोगो के अन्तर्गत तीर्थराज प्रयाग संगम की तपोभूमि तथा ज्योतिषीय गणना के अनुसार माघ मास में संगम की रेती पर अनुष्ठान करने की महत्वता को समग्र रूप से दर्शाया गया है।सर्वप्रथम लोगो में सूर्य एवं चंद्रमा की 14 कलाओ की उपस्थिति ज्योतिषीय गणना के अनुसार सूर्य चंद्रमा एवं नक्षत्रो की स्थितियों को प्रतिबिबित करता है जो प्रयागराज में माघ मेले का कारक बनता।भारतीय ज्योतिषीय गणना के अनुसार चंद्रमा 27 नक्षत्रो की परिक्रमा लगभग 27.3 दिनो में पूर्ण करता है।माघ मेला इन्ही नक्षत्रीय गतियो के अत्यंत सूक्ष्म गणित पर आधारित है।जब सूर्य मकर राशि में होता है और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा माघी या अश्लेषा-पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्रो के समीप होता है तब माघ मास बनता है और उसी काल में माघ मेला आयोजित होता है।चंद्रमा की 14 कलाओ का सम्बन्ध मानव जीवन मनोवैज्ञानिक ऊर्जा और आध्यात्मिक साधना से माना गया है।माघ मेला चंद्र-ऊर्जा की इन कलाओं के सक्रिय होने का विशेष काल भी है।अमावस्या से पूर्णिमा की ओर चंद्रमा की वृद्धि (शुक्ल पक्ष) साधना की उन्नति के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गई है।माघ स्नान की तिथियाँ चंद्र कलाओ के अत्यंत सूक्ष्म संतुलन पर चुनी जाती है।माघ महीने की ऊर्जा (शक्ति)अनुशासन भक्ति और गहन आध्यात्मिक कार्यो से जुड़ी होती है क्योकि यह महीना पवित्र नदियो में स्नान दान तपस्या और कल्पवास जैसे कार्यो के लिए विशेष माना जाता है।इस माह में किए गए कार्य व्यक्ति को निरोगी बनाते हैं और उसे दिव्य ऊर्जा से भर देते है।प्रयागराज का अविनाशी अक्षयवट जिसकी जड़ो में भगवन ब्रह्मा जी का तने में भगवन विष्णु जी का एवं शाखाओ और जटाओ में भगवन शिव जी का वास है उसके दर्शन मात्र से मोक्ष मार्ग सरल हो जाता है।इसी कारण कल्पवासियों में उसका स्थान अद्वितीय है।सनातन धर्म के अनुसार मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति है अतः महात्मा का चित्र इस देव भूमि में सनातनी परम्परा को दर्शाता है जहां चिर काल से ऋषि-मुनि आध्यात्मिक ऊर्जा हेतु आते रहे हैं।माघ मास में किए गए पूजन एवं कल्पवास का पूर्ण फल संगम स्नान के उपरांत श्री लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन से प्राप्त होता है:अतःलोगो पर उनके मंदिर एवं पताका की उपस्थिति माघ मेले में किए गए तप की पूर्णता:की व्याख्या करता है।संगम पर साइबेरियन पक्षियों की उपस्थिति यहाँ के पर्यावरण की विशेषता को दर्शाता है।लोगो पर श्लोक माघे निमज्जनं यत्र पापं परिहरेत् तत:का अर्थ है माघ के महीने में स्नान करने से सभी पाप मुक्ति हो जाती है।यह लोगो मेला प्राधिकरण द्वारा आबद्ध किए गए डिजाइन कंसल्टेंट अजय सक्सेना एवं प्रागल्भ अजय द्वारा डिजाइन किया गया।

हजारीबाग यूथ विंग द्वारा हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी शीतकालीन राहत अभियान का व्यापक आयोजन किया जा रहा है। यह अभियान 14 दिसंबर 2025 से प्रारंभ होकर फरवरी 2026 तक लगातार चलाया जाएगा। नगर निगम क्षेत्र से लेकर ग्रामीण इलाकों तक हर रविवार को 100-100 कंबलों का वितरण किया जाएगा, ताकि कड़ाके की ठंड से परेशान परिवारों को राहत मिल सके। संरक्षक चंद्र प्रकाश जैन के निर्देशानुसार गुरुवार को अध्यक्ष करण जायसवाल के कार्यालय सभागार में विशेष बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता स्वयं श्री जायसवाल ने की। बैठक में इस वर्ष के राहत अभियान को और अधिक प्रभावी, सुव्यवस्थित एवं व्यापक बनाने को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। संस्था का लक्ष्य है कि पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी कम-से-कम 1200 या उससे अधिक कंबलों का वितरण किया जाए और जरूरतमंदों तक बिना किसी भेदभाव के सहायता पहुंचाई जाए। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि ठंड अपने चरम पर पहुंचने पर शहर के प्रमुख चौक-चौराहों अन्य स्थानों पर शाम के समय अलाव की व्यवस्था भी नियमित की जाएगी, ताकि राहगीरों, रिक्शा चालकों, मजदूरों तथा बेघर लोगों को सर्द रातों में राहत मिल सके। संरक्षक चंद्र प्रकाश जैन ने कहा कि मानव सेवा ही सर्वोच्च धर्म है। हजारीबाग यूथ विंग का यह अभियान सिर्फ कंबल वितरण नहीं, बल्कि जरूरतमंदों के चेहरों पर मुस्कान लाने का प्रयास है। इस बार टीम की ऊर्जा और योजना देखकर विश्वास है कि हम पिछले साल से बड़ी उपलब्धि हासिल करेंगे। अध्यक्ष करण जायसवाल ने कहा कि हमारा उद्देश्य सिर्फ ठंड से बचाव प्रदान करना नहीं बल्कि समाज में सहयोग और संवेदना का संदेश देना है। फरवरी 2026 तक लगातार होने वाले इस अभियान में हमारी पूरी टीम पूरी निष्ठा से जुटी रहेगी। हम हर रविवार को अलग-अलग इलाकों में जाकर लोगों तक राहत पहुंचाएंगे। बैठक में संस्था के सचिव रितेश खंडेलवाल, संस्था के मार्गदर्शक जयप्रकाश खंडेलवाल, विकास केसरी, और संजय कुमार उपस्थित रहे। सभी सदस्यों ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए टीम वर्क और समर्पण की भावना पर जोर दिया। बैठक के बाद अध्यक्ष करण जायसवाल और उनकी धर्मपत्नी अवंतिका जायसवाल की विवाह वर्षगांठ पर केक काटकर शुभकामनाएँ दी गईं। दोनों ने सदस्यों के बीच स्नेहपूर्ण वातावरण में उत्सव का आनंद लिया और सभी ने उनके दांपत्य जीवन की मंगलकामनाएं दी ।





Dec 11 2025, 19:34
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
1