एनडीए विधायक दल के नेता चुने गए नीतीश कुमार, कल 10वीं बार लेंगे सीएम पद की शपथ

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जनता दल यूनाइटेड सुप्रीमो नीतीश कुमार को सर्वसम्मति से एनडीए विधायक दल का नेता चुना गया है। अब नीतीश कुमार एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन गुरुवार को होगा। पटना में विधानसभा के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की बैठक हुई। इसमें भारतीय जनता पार्टी, जनता दल यूनाईटेड, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा, लोक जनशक्ति पार्टी के सभी नव निर्वाचित विधायक और नीतीश कुमार, चिराग पासवान, संतोष सुमन, उपेंद्र कुशवाहा, सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा मौजूद रहे।

सम्राट चौधरी ने रखा प्रस्ताव

भारतीय जनता पार्टी विधायक दल के नेता चुने गए सम्राट चौधरी ने बुधवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव रखा। जिसके बाद एनडीए के तमाम नेताओं ने सर्वसम्मति से नीतीश कुमार के नाम पर मुहर लगाई। इसी के साथ ही नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बनना तय हो गया।

एनडीए के घटक दलों ने भी चुनाव अपना नेता

इससे पहले एनडीए के प्रमुख घटक दलों ने बुधवार को अपने-अपने विधायक दल के नेताओं का चयन किया। जदयू के विधायकों की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुना गया। वहीं, भाजपा के नवनिर्वाचित विधायकों ने एक बैठक में वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता और विजय सिन्हा को उपनेता चुना। दोनों दलों ने यह जानकारी दी गई। इसके बाद एनडीए ने भी नीतीश कुमार के नाम पर अपनी मुहर लगा दी।

. विद्यासागर उपाध्याय : दो नये महाग्रंथों के साथ 20 दार्शनिक कृतियों का दिव्य शिखर
संजीव सिंह बलिया| भारतीय बौद्धिक–परंपरा में समय–समय पर ऐसे मनीषी अवतरित होते रहे हैं, जिनकी सोच केवल अपने युग को नहीं, आने वाली सहस्राब्दियों को दिशा देती है। समकालीन भारत में ऐसा ही एक तेजस्वी नाम है—डॉ. विद्यासागर उपाध्याय, जिनके द्वारा लिखित 20 महत्वपूर्ण ग्रंथ भारतीय दर्शन, समाज–चिंतन और राष्ट्रीय विमर्श के क्षेत्र में अमूल्य योगदान हैं। भारतीय ज्ञानपरंपरा के आकाश में यह तारा अत्यन्त उज्ज्वल हो उठा है, जिसे समकालीन युग “विद्या–सरस्वती का जीवंत पुरुष विस्तार” कहकर श्रद्धा प्रकट करता है। डॉ. उपाध्याय के ग्रंथों की विलक्षणता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अनेक कृतियाँ 800 पृष्ठों के ज्ञान-हिमालय की तरह खड़ी हैं, जबकि अन्य 300 पृष्ठों में भी “गागर में सागर” भर देती हैं। कई ग्रंथों के मूल्य 1000 रुपये से अधिक होने पर भी पाठकों का अटूट अनुराग, उनकी लेखनी की स्वर्ण-तुल्य गुणवत्ता का प्रमाण है। उनके 100 से अधिक शोध-आलेख देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। भारतवर्ष के समस्त प्रान्त व अनेक अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संस्थान उन्हें मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित करते रहे हैं। उनकी ओजस्वी वाणी, व्यापक दृष्टि और विश्लेषण की तीक्ष्णता श्रोताओं पर अमिट छाप छोड़ती है। अब तक उन्हें सैकड़ों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सम्मान/उपाधि प्राप्त हैं—जो उनकी प्रज्ञा, तपस्या और दार्शनिक ऊँचाई का प्रमाण है। मात्र 39 वर्ष की आयु में 20 दार्शनिक ग्रंथों का विरल शिखर स्पर्श करने वाले, अंतरराष्ट्रीय वक्ता, मौलिक चिंतक, प्रसिद्ध शिक्षाविद् और शोध-प्रज्ञा के आलोक–पुंज डॉ. विद्यासागर उपाध्याय ने वर्तमान में बौद्धिक-जगत को दो महत् वैचारिक नवीन ग्रंथ सौंपकर आधुनिक भारतीय विमर्श को नए आयाम प्रदान किए हैं। नवप्रकाशित दोनो महाग्रंथ— “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर! : विलुप्त प्रज्ञा का महाकोष”। और “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?” — पहुँचते ही विद्वत्-समाज में गहन बहस, विचार-मंथन और दार्शनिक पुनर्पाठ का सृजन कर चुके हैं। यह दोनों कृतियाँ ऐसी हैं, मानो भारतीय चिंतनभूमि के लिए दो दीप्तिमान वैचारिक यज्ञाहुतियाँ प्रस्तुत हो गई हों। प्रस्तुत निबंध में मैं इन दोनों ग्रंथों के गहन अध्ययन के आधार पर डॉ. उपाध्याय की शोध–दृष्टि, वैचारिक प्रस्तुति, तर्कप्रणाली और उनके विचार–लोक की व्यापकता का समीक्षात्मक विश्लेषण कर रही हूँ। 1. डॉ. विद्यासागर उपाध्याय : परंपरा और आधुनिकता के अद्वितीय सेतु - अध्ययन के दौरान यह तथ्य स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आता है कि डॉ. उपाध्याय न तो परंपरा के अंध–समर्थक हैं और न ही आधुनिकता के अंध–अनुयायी। उनकी लेखनी में परंपरा की आत्मा और आधुनिकता की वैज्ञानिक दृष्टि दोनों साथ–साथ चलती हैं। ऐसे लेखक आज विरले हैं जो प्राचीन भारतीय ग्रंथों—उपनिषदों, धर्मशास्त्रों, न्याय–मीमांसा—की तर्क–शक्ति को आधुनिक राजनीतिक–समाजशास्त्रीय विमर्श के साथ जोड़कर प्रस्तुत करते हों। डॉ. उपाध्याय का यह समन्वय–बोध स्वयं में एक उपलब्धि है। 2. “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?”—इतिहास पर पुनर्विचार का आह्वान - यह एक ऐसी साहसिक बौद्धिक शल्य-क्रिया है, जिसने आधुनिक भारत की शिक्षा-नीति, सांस्कृतिक चेतना और मानसिक रूपांतरण की जटिल परतों को निर्भीकता से उघाड़ दिया है। ग्रंथ में मैकाले की नीतियों के भारतीय मन, सामाजिक ढाँचे और सांस्कृतिक अस्मिता पर पड़े दीर्घकालीन घावों का सुसंगत, निष्पक्ष और अत्यंत मौलिक पुनर्मूल्यांकन किया गया है। लेखक केवल आलोचना नहीं करते, बल्कि उबरने का मार्ग भी प्रदान करते हैं—जो इस कृति की सर्वाधिक विशिष्टता है। वर्तमान भारत में हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य विद्वान प्रो. (डॉ.) पुनीत बिसारिया, अधिष्ठाता कला संकाय एवं विभागाध्यक्ष (हिन्दी), बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, इसे “सांस्कृतिक पुनरुत्थान का घोषणापत्र” बताते हुए लिखते हैं कि "डॉ. उपाध्याय की लेखनी इतिहास को केवल तिथियों का दस्तावेज़ नहीं रहने देती, बल्कि भारतीय आत्मा की जीवित आवाज़ बना देती है। न अंधभक्ति, न अंधघृणा—बल्कि संतुलन, तर्क, और भावनात्मक पारदर्शिता—इस कृति को अद्वितीय बनाती है।"इस ग्रंथ का मूल उद्देश्य किसी व्यक्तिविशेष का महिमागान अथवा निंदा करना नहीं, बल्कि मैकाले की शिक्षा–नीति के माध्यम से भारतीय मानसिकता के औपनिवेशिक पुनर्गठन का विश्लेषण करना है। डॉ. उपाध्याय ने यहाँ मात्र इतिहास नहीं बताया; अपितु उन्होंने इतिहास का तर्कसंगत पुनर्पाठ प्रस्तुत किया है। उनका प्रश्न— “क्या अंग्रेज़ी शिक्षा ने भारतीय मन को स्वतंत्र बनाया या परतंत्र?” आज भी प्रासंगिक है। यह पुस्तक न केवल शोधार्थियों के लिए उपयोगी है, बल्कि उन बुद्धिजीवियों के लिए भी अत्यंत आवश्यक है, जो भारतीय शिक्षा–दर्शन की पुनर्स्थापना में रुचि रखते हैं। 3. “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर!”— विलुप्त प्रज्ञा का वास्तव में महाकोष - यह ग्रंथ आधुनिक भारतीय मनीषा के दो महान विचारकों—लोकमान्य तिलक और डॉ. आम्बेडकर—के विचारों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण तो है ही; परंतु इसका वास्तविक वैभव यह है कि इसमें विश्व के चालीस महान दार्शनिकों के दृष्टिकोणों का अद्भुत समन्वय उपस्थित है। बौद्ध दिग्नाग, जैन अकलंकदेव, वेदांती विद्यारण्य, महर्षि रमण, अरविन्द, हेगेल, मेकियावली, एक्विनास, ओशो, स्वामी करपात्री, शोज, फिरदौसी, टैगोर, गाँधी तथा अनगिनत दार्शनिक धाराएँ—सब एक ही वैचारिक पट पर ऐसे संलयित होती हैं, जैसे अनेक पवित्र सरिताएँ अंततः एक ही महासागर में विलीन होती हों। इस वैचारिक महाकोष की मंगल-शुभाशंसा करते हुए आयरलैंड में भारत के राजदूत एवं दर्शन शास्त्र के शीर्ष विद्वान् आई.एफ.एस. डॉ. अखिलेश मिश्र लिखते हैं कि - यह कृति भारतीय ज्ञान-परंपरा के “सत्य–अन्वेषण की अनन्त यात्रा” का अद्भुत दस्तावेज है, जो इन्द्रियातीत सत्ता, आत्मबोध और विश्वमानवता के विराट भाव को पुनर्जीवित करती है। वहीं नेपाल के प्रसिद्ध दार्शनिक विद्यावाचस्पति अजय कुमार झा इसे “विलुप्त प्रज्ञा के पुनरुत्थान का महाग्रंथ” बताते हुए लिखते हैं कि यहाँ झ्वांग-त्ज़ु, बर्द्यायेव, गुरुदास, माइमोनीडीज़, कबीर, रामतीर्थ, पतंजलि और वाचस्पति—सभी के विचार एक ही विश्वदर्शी चेतना में एकाकार हो जाते हैं। यह ग्रंथ डॉ. उपाध्याय की विद्वत्ता का अद्भुत और तेजोमय उदाहरण है जहां उन्होंने तिलक और आम्बेडकर के साथ ही चालीस चिन्तनधाराओं का दार्शनिक, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक तर्कों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण करके गागर में सागर भर दिया है। ऐसा दुर्लभ वैचारिक साहस और व्यापक अध्ययन आज के लेखक–जगत में बहुत कम देखने को मिलता है। ग्रंथ की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि लेखक न तो किसी विचारक का चयनित समर्थन करते हैं, और न ही किसी का पक्षपातपूर्ण खंडन; वे केवल यह पूछते हैं— “सत्य किसके पास है?” यही प्रश्न और उसका प्रामाणिक उत्तर पाठक को विचार–यात्रा पर ले जाता है। 4. शोध–दृष्टि और प्रस्तुति : स्पष्टता, निर्भीकता और तर्क–समृद्धि का समन्वय - डॉ. उपाध्याय की सबसे बड़ी विशेषता है बौद्धिक निर्भीकता। वे जटिल विषयों को सरल बनाकर प्रस्तुत करते हैं, परन्तु सरलता में उथलापन नहीं आने देते। उनके ग्रंथ संदर्भ–समृद्ध, तथ्य–संगत, प्रमाण–निष्ठ और दार्शनिक गहराई से पूर्ण हैं। वाक्य–बंध में साहित्यिक माधुर्य है और तर्क में ऐसी कठोरता जो पाठक को हर पंक्ति पर चिंतन करने को बाध्य करती है। 5. भारतीय चिंतन–जगत में उनका स्थान - समग्रता में देखा जाए तो डॉ. उपाध्याय उन दुर्लभ लेखकों में हैं जो न केवल इतिहास को पुनर्पाठित करते हैं, बल्कि आने वाले कालखंड के लिए विचार–ईंधन भी प्रदान करते हैं। उनके 20 ग्रंथ — दर्शन, समाज, राजनीति, इतिहास, साहित्य— हर क्षेत्र में नवीन दृष्टि का उद्घाटन करते हैं। उनकी लेखनी में ज्ञान की प्रखरता, अध्ययन की व्यापकता, और राष्ट्र–चिंतन की गरिमा स्पष्ट रूप से प्रतिध्वनित होती है। एक अध्येता होने के नाते मैं यह निस्संकोच कह सकती हूँ कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय आज के भारतीय चिंतन–जगत के सबसे प्रभावशाली, सबसे साहसी और सबसे अधिक मौलिक लेखकों में से एक हैं। उनकी नवीनतम कृतियाँ केवल पुस्तकें नहीं— वे विमर्श का आमंत्रण, चिंतन का आलोक, और राष्ट्रीय स्वाभिमान की पुनर्स्मृति हैं। ज्ञान–क्षेत्र में ऐसे तेजस्वी प्रतिभाशाली लेखक का होना भारतीय बौद्धिक परंपरा के लिए एक अत्यंत शुभ संकेत है। दोनों महाग्रंथों के प्रकाशन के साथ यह तथ्य पुनः प्रतिष्ठित हो गया कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय केवल लेखक नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान–परंपरा के जीवंत प्रतिनिधि, मौलिक शोध के अग्रदूत और आधुनिक वैचारिक जगत् के धैर्यवान तपस्वी हैं। उनकी कृतियाँ केवल पठन का विषय नहीं—बल्कि सतत् मनन, विमर्श और आत्मबोध के शाश्वत निमंत्रण हैं। समकालीन भारतीय दर्शन को इन ग्रंथों ने नई ऊँचाई, नई दृष्टि और नया गौरव प्रदान किया है। यह ग्रंथ निस्संदेह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमर वैचारिक दीपस्तम्भ सिद्ध होंगे। समीक्षक डॉ. मणिकर्णिका (NET, JRF, SRF, Ph.D)
सिद्धपीठ श्री हथियाराम मठ के पीठाधीश्वर स्वामी भवानी नंदन यति महाराज का 20 नवंबर को नगरा आगमन


अमर बहादुर सिंह, बलिया शहर। भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए हर्ष का विषय है कि सिद्धपीठ श्री हथियाराम मठ, वाराणसी के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर परमपूज्य स्वामी भवानी नंदन यति महाराज जी 20 नवंबर 2025, गुरुवार को रामहित कार्यक्रम के अंतर्गत नगरा आगमन करेंगे। गुरुदेव का पावन स्वागत प्राचीन दुर्गा मंदिर, नगरा के पावन प्रांगण में संध्या 5 बजे किया जाएगा।सिद्धपीठ द्वारा विगत वर्षों से ग्रामीण अंचलों में धर्म, शिक्षा, संस्कार और सामाजिक चेतना के विस्तार हेतु रामहित कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसी क्रम में संत, ब्राह्मण और सेवकों की लगभग 20–25 सदस्यीय टोली भगवान लक्ष्मीनारायण जी के आसन के साथ नगरा पहुँचेगी।कार्यक्रम के प्रमुख बिंदु:ग्राम आगमन एवं स्वागत: शाम 5:00 बजेसायंकाल उद्घोधन: 5:30 से 6:00 बजेसायंकालीन महाआरती: 7:30 से 8:30 बजेरात्रिकालीन प्रवचन: 8:30 से 9:30 बजेरात्रि भोजन (महाप्रसाद): 9:30 से 10:00 बजेअगले दिन 21 नवंबर, शुक्रवार को अपराह्न 4:00 बजे स्वामी जी का प्रस्थान तय है।भक्तों से अपील:आयोजन समिति ने समस्त भक्तों से अनुरोध किया है कि वे समयानुसार उपस्थित होकर प्रवचन श्रवण, महाप्रसाद ग्रहण एवं गुरुदेव के दर्शन–आशीर्वाद का लाभ अवश्य प्राप्त करें।
जदयू ने नीतीश तो भाजपा ने सम्राट चौधरी को चुना नेता, दोनों का डिप्टी सीएम बनने का रास्ता साफ

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बिहार में सीएम और डिप्टी सीएम के चेहरे पर फंसा सस्पेंस खत्म हो चुका है। जदयू विधायक दल ने अपना नेता नीतीश कुमार को चुना है। जाहिर है एक बार फिर से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। वहीं बीजेपी ने फिर से चौंकाया है। विधायक दल के नेता के तौर पर सम्राट चौधरी और उपनेता के लिए विजय सिन्हा का नाम बढ़ा कर बीजेपी ने अघोषित तौर पर दोनों नेताओं को उप मुख्यमंत्री पद के लिए रिपीट कर सभी को चौंका दिया है।

भाजपा विधायक दल की बैठक पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और बिहार में विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, सम्राट चौधरी को निर्वाचित करने का प्रस्ताव किया और भारती जनता पार्टी के विधायक दल ने सर्वसम्मति से सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता चुनने का समर्थन किया है और हमारे उपमुख्यमंत्री के रूप में शानदार काम करने कार्य किया। वह (विजय कुमार सिन्हा) बहुत ही वरिष्ठ नेता है। उनके नाम का भी प्रस्ताव आया है और सर्वसम्मति समर्थन मिला। मैं सम्राट चौधरी को विधायक दल के नेता के रूप में सम्राट चौधरी और उप नेता के रूप में विजय कुमार सिन्हा के नाम का ऐलान करता हूं।

डिप्टी सीएम में कोई बदलाव नहीं

इस फैसले के साथ ही दोनों नेताओं के दोबारा उपमुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है। भाजपा विधायक दल के नेता सम्राट चौधरी होंगे और विजय कुमार सिन्हा उपनेता बने रहेंगे। इस तरह भाजपा ने बिहार में कोई बदलाव नहीं किया है। पिछले 3 बार से भाजपा डिप्टी सीएम पद पर लगातार बदलाव करती रही है। पिछली बार बीजेपी ने तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी के बदले सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाया था। इस बार लग रहा था कि बीजेपी फिर से बदलाव कर सकती है। लेकिन विधायक दल के नेता के तौर पर सम्राट चौधरी और उपनेता के लिए विजय सिन्हा का नाम बढ़ा कर बीजेपी ने फिर से चौंका दिया।

चौधरी और सिन्हा को बरकरार रखने के क्या है मायने?

सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को बरकरार रखने का निर्णय पूरी तरह से बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व, खासकर अमित शाह की रणनीति का परिणाम माना जा रहा है। इसके पीछे का तर्क यह है कि निरंतरता बनाए रखना: सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने विपक्ष में रहते हुए और फिर एनडीए की सरकार में डिप्टी सीएम के रूप में पार्टी के लिए सफलतापूर्वक काम किया है। उनकी जोड़ी ने सफलतापूर्वक एनडीए को जीत दिलाई है. ऐसे में अमित शाह ने ‘विनिंग कॉम्बिनेशन’ को बदलने का जोखिम नहीं लिया, ताकि संगठन में किसी तरह की अस्थिरता पैदा न हो।

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन मंच पर बलरामपुर टीम को मिला हिंदू रत्न सम्मान

बलरामपुर। गोरखपुर,योगी गंभीर नाथ। प्रेक्षाग्रह मेंआयोजित अंतरराष्ट्रीय हिंदू सम्मेलन एवं प्रांतीय अधिवेशन के दौरान विश्व हिंदू महासंघ बलरामपुर जिला अध्यक्ष को " हिंदू रत्न सम्मान"से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में प्रदेश स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर जिले की टीम को प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ।सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष भिखारी प्रजापति ने सम्मान पत्र प्रदान करते हुए कहा कि चौधरी विजय सिंह एवं टीम ने संगठन को गांव-गांव तक विस्तार करते हुए मजबूती प्रदान की है जिसमें उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि वह आगे भी अपनी टीम के साथ समाज और संगठन को सशक्त करने का कार्य करते रहेंगे।

सोशल मीडिया प्रदेश अध्यक्ष गंगा शर्मा कौशिक ने सम्मान को जिले के लिए गौरवपूर्ण बताया, उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया टीम और जिला इकाई के संयुक्त प्रयास से बलरामपुर टीम ने प्रदेश में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए दूसरा स्थान प्राप्त किया इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने बलरामपुर टीम को बधाई देते हुए आशा किया कि आगे समय में प्रथम स्थान प्राप्त करेंगे।

इस अवसर पर विश्व हिंदू महासंघ के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्क्षा अस्मिता भंडारी के अलावा 6 राष्ट्रो के विश्व हिंदू महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष विभिन्न प्रांतो से आए हजारों कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे साथ ही जिला अध्यक्ष चौधरी विजय सिंह वरिष्ठ उपाध्यक्ष जीवनलाल मिथिलेश गिरी सुग्रीव कश्यप जय सिंह राधेश्याम कौशल कालीदीन सरोज प्रदीप कुमार संजय शिव कुमार राजू राम जागर बसंत पांडे प्रेम मिश्रा नरेंद्र देव विजय प्रताप सोनी आदि उपस्थित रहे।

अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जवाद सिद्दीकी ईडी की रिमांड में, आतंकी डॉक्टरों का खुलेगा राज

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दिल्ली की एक विशेष अदालत ने अल-फलाह समूह के चेयरमैन जावद अहमद सिद्दीकी को 13 दिन की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) हिरासत में भेज दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शीतल चौधरी प्रधान ने आधी रात के बाद अपने चैंबर में सुनवाई कर यह आदेश पारित किया। जावेद अहमद सिद्दकी से अब ईडी राज उगलवाने की तैयारी में है।

एक ओर एनआईए दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े आतंकी डॉक्टरों के अल फलाह कनेक्शन की जांच कर रही है। वहीं प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लांड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया है। ईडी ने मंगलवार को यूनिवर्सिटी के ओखला स्थित मुख्यालय और ट्रस्टियों के ठिकानों पर छापेमारी भी की थी। मंगलवार को लाल किला कार धमाके मामले से जुड़े यूनिवर्सिटी के ट्रस्टियों और प्रवर्तकों के खिलाफ दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में कई जगहों पर रेड डालने के बाद ग्रुप के अध्यक्ष जवाद अहमद को गिरफ्तार किया था।

मनी लॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तारी

जवाद की गिरफ्तारी दिल्ली धमाके मामले की जगह मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले की गई है। गिरफ्तारी के बाद जवाद को साकेत कोर्ट की एडिशनल सेशन जज शीतल चौधरी प्रधान के घर में रात 11:00 बजे अल फलाह विश्वविद्यालय के संस्थापक को पेश किया गया था। रिमांड आदेश में अदालत ने कहा है कि सिद्दीकी के खिलाफ बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, फर्जी मान्यता दावे करने और अल-फलाह विश्वविद्यालय से प्राप्त धन को अन्यत्र हस्तांतरित करने से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का संलिप्त होने के पर्याप्त आधार मौजूद हैं।

यूनिवर्सिटी से जुड़े लाल किला कार धमाका के तार

बता दें कि लाल किला कार बम धमाका मामले के तार इस यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं। इस धमाके को अंजाम देने वाला डॉक्टर उमर नबी इसी विश्वविद्यालय के अस्पताल से जुड़ा था। इसके अलावा सफेदपोश आतंकी नेटवर्क में पकड़े गए कई लोग इस संस्थान से जुड़े हैं। दिल्ली धमाके की जांच आगे बढ़ने पर विश्वविद्यालय भी जांच में दायरे में आ गया है। इस विश्वविद्यालय के वित्तीय लेन-देन की जांच के बाद अब ईडी ने संस्थापक जावद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया है।

यूनिवर्सिटी के खिलाफ क्या है मामला?

ईडी ने यह जांच दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की ओर से दर्ज दो एफआईआर के आधार पर शुरू की है। ये दोनों एफआईआर 13 नवंबर को दर्ज कराई गई थी। इन एफआईआर में NACC Accreditation और यूजीसी से जुड़े झूठे दावे किए जाने का जिक्र है। दिल्ली पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता के तहत धारा 318 (4), 336 (2), 336 (3), 336 (4), 338 और 340 (2) के तहत केस दर्ज किया। FIR में यह आरोप लगाया गया था कि फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी ने गलत तरीके से NAAC मान्यता (Accreditation) होने का दावा किया। यही नहीं यूनिवर्सिटी ने UGC के सेक्शन 12(B) के तहत मान्यता होने की झूठी जानकारी दी। ताकि छात्रों, माता-पिता और आम जनता को गुमराह कर आर्थिक फायदा लिया जा सके। इस बीच UGC ने भी साफ कर दिया है कि अल फहल यूनिवर्सिटी सिर्फ सेक्शन 2(f) के तहत एक स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी के रूप में लिस्टेड है और उसने कभी भी 12(B) के तहत मान्यता के लिए आवेदन नहीं किया है।

लखनऊ में 15 जनवरी तक पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक
लखनऊ। कमिश्नरेट पुलिस ने 24 नवंबर  से शहर में धारा 163 लागू कर दी है, जो 15 जनवरी 2026 तक कुल 53 दिन तक प्रभावी रहेगी। इस दौरान पांच या उससे अधिक लोगों के एक साथ एकत्र होने पर रोक रहेगी।जेसीपी एलओ बबलू कुमार ने बताया कि यह सुरक्षा प्रबंध गुरु तेग बहादुर जयंती, काला दिवस, क्रिसमस, नववर्ष और मकर संक्रांति जैसे पर्वों के मद्देनजर लागू किया गया है।

बिना अनुमति के प्रदर्शन करने पर रोक

इस अवधि में बिना अनुमति निर्धारित धरना स्थल छोड़कर अन्य स्थानों पर प्रदर्शन करने पर रोक रहेगी। साथ ही, सरकारी कार्यालयों और विधान भवन के आसपास एक किलोमीटर के दायरे में ड्रोन से शूटिंग करने पर भी प्रतिबंध रहेगा। पुलिस ने आम जनता और आयोजकों से अपील की है कि वे नियमों का पालन करें और निर्धारित मार्गदर्शन के तहत ही कार्यक्रम आयोजित करें।
लखनऊ में हिंदू नेताओं की रेकी का अाया मामला सामने, गोपाल राय ने जताई सुरक्षा की चिंता
लखनऊ। विश्व हिंदू रक्षा परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल राय ने मंगलवार को प्रेस वार्ता कर बताया कि दिल्ली विस्फोट मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने पूछताछ में खुलासा किया है कि कई हिंदूवादी नेता उनके निशाने पर थे, जिनमें लखनऊ के कुछ नेता और उनका नाम भी शामिल है।

गोपाल राय ने बताया कि यह जानकारी उन्हें तब मिली जब वह मथुरा में एक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। उसी दौरान इंटेलिजेंस ब्यूरो ने उनसे फोन पर संपर्क कर उनके घर के बाहर नजर आए संदिग्ध व्यक्तियों की तारीख और जानकारी मांगी। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले दो संदिग्ध युवक रात में उनके घर के आसपास देखे गए थे, जिनकी CCTV फुटेज उन्होंने जांच एजेंसियों को दे दी है।

उन्होंने बताया कि संदिग्ध युवक 7 नवंबर की रात दो बार उनके घर के बाहर दिखाई दिए थे। यह फुटेज उन्होंने पुलिस, एलआईयू और आईबी समेत सभी संबंधित अधिकारियों को भेज दी है।

गोपाल राय ने कहा कि वे पहले भी जैश-ए-मोहम्मद के नेटवर्क, आईएसआई एजेंट और धर्मांतरण रैकेट के मामलों का खुलासा कर चुके हैं, इसलिए उन पर खतरा होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पहले सुरक्षा मिली थी, लेकिन बाद में उसे हटा दिया गया, जबकि जिला सुरक्षा समिति ने पहले एक्स कैटेगरी सुरक्षा की संस्तुति की थी।

उन्होंने बताया कि पहले भी उन पर 2006 वाराणसी और 2015 जम्मू में हमले हो चुके हैं। ऐसे में सुरक्षा हटाया जाना चिंता का विषय है। उन्होंने पूरे मामले की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी है।
*सुल्तानपुर ब्रेकिंग* कादीपुर पुलिस की बड़ी कार्रवाई,चोरी की मोटरसाइकिल संग एक चोर गिरफ्तार। कादीपुर कोतवाली पुलिस ने चोरी की मोटरसाइकिल के
*सुल्तानपुर ब्रेकिंग*




कादीपुर पुलिस की बड़ी कार्रवाई,चोरी की मोटरसाइकिल संग एक चोर गिरफ्तार। कादीपुर कोतवाली पुलिस ने चोरी की मोटरसाइकिल के साथ एक चोर को दबोचकर न्यायालय भेज दिया। एसपी के निर्देश पर चलाए जा रहे अभियान के तहत कोतवाली पुलिस को यह सफलता मिली है।अभियुक्त शिवम मिश्रा पुत्र विनोद कुमार मिश्रा निवासी सैदपुरकला थाना कादीपुर को पुलिस ने दबिश देकर गिरफ्तार किया। उसके कब्जे से चोरी की होण्डा साइन मोटरसाइकिल नंबर DL3SDB9429 बरामद की गई।कार्रवाई में प्रभारी निरीक्षक श्याम सुन्दर, वरिष्ठ उप निरीक्षक सुनील कुमार, हेड कांस्टेबल वेद प्रकाश, हेड कांस्टेबल विरेन्द्र तिवारी और कांस्टेबल धर्मेन्द्र सिंह शामिल रहे। पुलिस ने आरोपी को आवश्यक विधिक कार्रवाई के बाद न्यायालय भेज दिया।
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में मनाया गया जनजातीय गौरव दिवस

रायपुर- कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में आज बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में “जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत – ऐतिहासिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक योगदान” विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ शासन के आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधीय पादप बोर्ड के अध्यक्ष विकास मरकाम रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति महादेव कांवरे जी ने की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति एवं संभागायुक्त महादेव कांवरे ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज के स्वतंत्र आधुनिक भारत का सपना बिरसा मुंडा जी ने देखा था। जन जन तक विकास एवं शिक्षा पहुंचना उनका सपना था। जो हम सभी के सहयोग से ही साकार किया जा सकता है। इसी के साथ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संचालित जन-मन योजना एवं धरती आबा ग्राम उत्कर्ष योजना के क्रियान्वयन की जानकारी भी दी, जो कि जनजातीय क्षेत्रों में विकास, तथा बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में विशेष योगदान दे रही हैं।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधीय पादप बोर्ड, छत्तीसगढ शासन के अध्यक्ष विकास मरकाम ने अपने संबोधन में कहा कि यह दिवस केवल एक तारीख नहीं, बल्कि जनजातीय समाज के साहस, संघर्ष और बलिदान को स्मरण करने का अवसर है। उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने मात्र 14 वर्ष की आयु में स्वतंत्रता का बिगुल फूंका,उन्होंने धरती आबा, धरती के भगवान बिरसा मुंडा को याद करते हुए कहा कि प्रारंभिक शिक्षा के समय ही बिरसा मुंडा जी ने, मुंडा समुदाय के हितों की रक्षा के लिए अंग्रेजों से विद्रोह किया तथा जल जंगल जमीन की हक की लड़ाई लड़ी, अल्प आयु में ही उन्होंने अपने समुदाय को नेतृत्व प्रदान किया और अबुआ देश - अबुआ राज का नारा दिया।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले जनजातीय वीर सेनानियों की जीवनी प्रकाशित की तथा जन जन तक जनजातीय गौरव पहुंचाने का काम किया है और यह कार्यक्रम भी इसी श्रृंखला का भाग है।

उन्होंने परलकोट आंदोलन के शहीद गेंदसिंह, सोनाखान के नायक वीर नारायण सिंह, बस्तर के क्रांतिकारी गुंडाधूर तथा सरगुजा क्षेत्र के लांगुर किसान जैसे वीरों के योगदान को विस्तार से याद किया। उन्होंने कहा कि “जनजातीय इतिहास स्वर्णिम है, परंतु दुर्भाग्यवश हमारे अनेक जनजातीय नायकों को इतिहास में वह स्थान नहीं मिला जिसके वे अधिकारी थे। जनजातीय गौरव दिवस ने हमें अपने नायकों और अपनी जड़ों से दोबारा जोड़ा है।

उन्होंने युवाओं से आह्वान करते हुए कहा— “शिक्षा ग्रहण करो, लेकिन अपनी जड़ों को मत भूलो, नौकरी करो लेकिन अपने गाँव की सेवा करना मत छोड़ो, आधुनिक बनो लेकिन अपने तीज-त्योहारों को हमेशा याद रखो।

कुलसचिव सुनील कुमार शर्मा ने अपने उद्बोधन में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम के मूल उद्देश्य को बताया तथा कार्यक्रम की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में साथ ही विश्वविद्यालय के विज्ञापन जनसंपर्क तथा मीडिया व प्रबंधन में क्रिएटिविटी को बढ़ावा देने के लिए विद्यार्थियों द्वारा गठित एडवरटाइजिंग क्लब का शुभारंभ किया जिसमें अभिषेक साहू (अध्यक्ष), कविता भारती (उपाध्यक्ष), प्रज्ञा देवांगन (सचिव), तारिणी रजक (कोषाध्यक्ष) एवं तारिणी सोनी को (सदस्य) नामित किया गया।

इस अवसर पर छात्र-छात्राओं द्वारा विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ देकर कार्यक्रम को जीवंत बनाया गया तथा रजत जयंती वर्ष के अंतर्गत आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेता छात्र-छात्राओं को सम्मानित भी किया गया।

इस अवसर पर MBA (HA) के विद्यार्थियों द्वारा मेडिकल कैंप आयोजित किया गया, जिसमें विश्वविद्यालय के छात्रों, शोधार्थियों, प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों ने अपना स्वास्थ्य परीक्षण करवाया।

कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शित करते हुए कार्यक्रम संयोजक डॉ. आशुतोष मंडावी ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम हमें हमारी संस्कृति और इतिहास से जोड़ते हैं ।उन्होंने सभी विद्यार्थियों का जनजातीय समूह विषयों पर शोध एवं अध्ययन के लिए आव्हान किया।

कार्यक्रम में सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग विभागाध्यक्ष शैलेन्द्र खंडेलवाल, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभागाध्यक्ष डॉ. नृपेंद्र कुमार शर्मा, जनसंचार विभागाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र मोहंती, अग्रसेन महाविद्यालय की शिक्षिका ईशा गोस्वामी सहित विश्वविद्यालय के सभी अतिथि व्याख्याता, कर्मचारी, शोधार्थी, एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे। मेडिकल कैंप में प्रमुख भूमिका डॉ. देवेंद्र कश्यप तथा साथी रहे।

एनडीए विधायक दल के नेता चुने गए नीतीश कुमार, कल 10वीं बार लेंगे सीएम पद की शपथ

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जनता दल यूनाइटेड सुप्रीमो नीतीश कुमार को सर्वसम्मति से एनडीए विधायक दल का नेता चुना गया है। अब नीतीश कुमार एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन गुरुवार को होगा। पटना में विधानसभा के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की बैठक हुई। इसमें भारतीय जनता पार्टी, जनता दल यूनाईटेड, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा, लोक जनशक्ति पार्टी के सभी नव निर्वाचित विधायक और नीतीश कुमार, चिराग पासवान, संतोष सुमन, उपेंद्र कुशवाहा, सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा मौजूद रहे।

सम्राट चौधरी ने रखा प्रस्ताव

भारतीय जनता पार्टी विधायक दल के नेता चुने गए सम्राट चौधरी ने बुधवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव रखा। जिसके बाद एनडीए के तमाम नेताओं ने सर्वसम्मति से नीतीश कुमार के नाम पर मुहर लगाई। इसी के साथ ही नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बनना तय हो गया।

एनडीए के घटक दलों ने भी चुनाव अपना नेता

इससे पहले एनडीए के प्रमुख घटक दलों ने बुधवार को अपने-अपने विधायक दल के नेताओं का चयन किया। जदयू के विधायकों की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुना गया। वहीं, भाजपा के नवनिर्वाचित विधायकों ने एक बैठक में वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता और विजय सिन्हा को उपनेता चुना। दोनों दलों ने यह जानकारी दी गई। इसके बाद एनडीए ने भी नीतीश कुमार के नाम पर अपनी मुहर लगा दी।

. विद्यासागर उपाध्याय : दो नये महाग्रंथों के साथ 20 दार्शनिक कृतियों का दिव्य शिखर
संजीव सिंह बलिया| भारतीय बौद्धिक–परंपरा में समय–समय पर ऐसे मनीषी अवतरित होते रहे हैं, जिनकी सोच केवल अपने युग को नहीं, आने वाली सहस्राब्दियों को दिशा देती है। समकालीन भारत में ऐसा ही एक तेजस्वी नाम है—डॉ. विद्यासागर उपाध्याय, जिनके द्वारा लिखित 20 महत्वपूर्ण ग्रंथ भारतीय दर्शन, समाज–चिंतन और राष्ट्रीय विमर्श के क्षेत्र में अमूल्य योगदान हैं। भारतीय ज्ञानपरंपरा के आकाश में यह तारा अत्यन्त उज्ज्वल हो उठा है, जिसे समकालीन युग “विद्या–सरस्वती का जीवंत पुरुष विस्तार” कहकर श्रद्धा प्रकट करता है। डॉ. उपाध्याय के ग्रंथों की विलक्षणता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अनेक कृतियाँ 800 पृष्ठों के ज्ञान-हिमालय की तरह खड़ी हैं, जबकि अन्य 300 पृष्ठों में भी “गागर में सागर” भर देती हैं। कई ग्रंथों के मूल्य 1000 रुपये से अधिक होने पर भी पाठकों का अटूट अनुराग, उनकी लेखनी की स्वर्ण-तुल्य गुणवत्ता का प्रमाण है। उनके 100 से अधिक शोध-आलेख देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। भारतवर्ष के समस्त प्रान्त व अनेक अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संस्थान उन्हें मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित करते रहे हैं। उनकी ओजस्वी वाणी, व्यापक दृष्टि और विश्लेषण की तीक्ष्णता श्रोताओं पर अमिट छाप छोड़ती है। अब तक उन्हें सैकड़ों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सम्मान/उपाधि प्राप्त हैं—जो उनकी प्रज्ञा, तपस्या और दार्शनिक ऊँचाई का प्रमाण है। मात्र 39 वर्ष की आयु में 20 दार्शनिक ग्रंथों का विरल शिखर स्पर्श करने वाले, अंतरराष्ट्रीय वक्ता, मौलिक चिंतक, प्रसिद्ध शिक्षाविद् और शोध-प्रज्ञा के आलोक–पुंज डॉ. विद्यासागर उपाध्याय ने वर्तमान में बौद्धिक-जगत को दो महत् वैचारिक नवीन ग्रंथ सौंपकर आधुनिक भारतीय विमर्श को नए आयाम प्रदान किए हैं। नवप्रकाशित दोनो महाग्रंथ— “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर! : विलुप्त प्रज्ञा का महाकोष”। और “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?” — पहुँचते ही विद्वत्-समाज में गहन बहस, विचार-मंथन और दार्शनिक पुनर्पाठ का सृजन कर चुके हैं। यह दोनों कृतियाँ ऐसी हैं, मानो भारतीय चिंतनभूमि के लिए दो दीप्तिमान वैचारिक यज्ञाहुतियाँ प्रस्तुत हो गई हों। प्रस्तुत निबंध में मैं इन दोनों ग्रंथों के गहन अध्ययन के आधार पर डॉ. उपाध्याय की शोध–दृष्टि, वैचारिक प्रस्तुति, तर्कप्रणाली और उनके विचार–लोक की व्यापकता का समीक्षात्मक विश्लेषण कर रही हूँ। 1. डॉ. विद्यासागर उपाध्याय : परंपरा और आधुनिकता के अद्वितीय सेतु - अध्ययन के दौरान यह तथ्य स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आता है कि डॉ. उपाध्याय न तो परंपरा के अंध–समर्थक हैं और न ही आधुनिकता के अंध–अनुयायी। उनकी लेखनी में परंपरा की आत्मा और आधुनिकता की वैज्ञानिक दृष्टि दोनों साथ–साथ चलती हैं। ऐसे लेखक आज विरले हैं जो प्राचीन भारतीय ग्रंथों—उपनिषदों, धर्मशास्त्रों, न्याय–मीमांसा—की तर्क–शक्ति को आधुनिक राजनीतिक–समाजशास्त्रीय विमर्श के साथ जोड़कर प्रस्तुत करते हों। डॉ. उपाध्याय का यह समन्वय–बोध स्वयं में एक उपलब्धि है। 2. “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?”—इतिहास पर पुनर्विचार का आह्वान - यह एक ऐसी साहसिक बौद्धिक शल्य-क्रिया है, जिसने आधुनिक भारत की शिक्षा-नीति, सांस्कृतिक चेतना और मानसिक रूपांतरण की जटिल परतों को निर्भीकता से उघाड़ दिया है। ग्रंथ में मैकाले की नीतियों के भारतीय मन, सामाजिक ढाँचे और सांस्कृतिक अस्मिता पर पड़े दीर्घकालीन घावों का सुसंगत, निष्पक्ष और अत्यंत मौलिक पुनर्मूल्यांकन किया गया है। लेखक केवल आलोचना नहीं करते, बल्कि उबरने का मार्ग भी प्रदान करते हैं—जो इस कृति की सर्वाधिक विशिष्टता है। वर्तमान भारत में हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य विद्वान प्रो. (डॉ.) पुनीत बिसारिया, अधिष्ठाता कला संकाय एवं विभागाध्यक्ष (हिन्दी), बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, इसे “सांस्कृतिक पुनरुत्थान का घोषणापत्र” बताते हुए लिखते हैं कि "डॉ. उपाध्याय की लेखनी इतिहास को केवल तिथियों का दस्तावेज़ नहीं रहने देती, बल्कि भारतीय आत्मा की जीवित आवाज़ बना देती है। न अंधभक्ति, न अंधघृणा—बल्कि संतुलन, तर्क, और भावनात्मक पारदर्शिता—इस कृति को अद्वितीय बनाती है।"इस ग्रंथ का मूल उद्देश्य किसी व्यक्तिविशेष का महिमागान अथवा निंदा करना नहीं, बल्कि मैकाले की शिक्षा–नीति के माध्यम से भारतीय मानसिकता के औपनिवेशिक पुनर्गठन का विश्लेषण करना है। डॉ. उपाध्याय ने यहाँ मात्र इतिहास नहीं बताया; अपितु उन्होंने इतिहास का तर्कसंगत पुनर्पाठ प्रस्तुत किया है। उनका प्रश्न— “क्या अंग्रेज़ी शिक्षा ने भारतीय मन को स्वतंत्र बनाया या परतंत्र?” आज भी प्रासंगिक है। यह पुस्तक न केवल शोधार्थियों के लिए उपयोगी है, बल्कि उन बुद्धिजीवियों के लिए भी अत्यंत आवश्यक है, जो भारतीय शिक्षा–दर्शन की पुनर्स्थापना में रुचि रखते हैं। 3. “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर!”— विलुप्त प्रज्ञा का वास्तव में महाकोष - यह ग्रंथ आधुनिक भारतीय मनीषा के दो महान विचारकों—लोकमान्य तिलक और डॉ. आम्बेडकर—के विचारों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण तो है ही; परंतु इसका वास्तविक वैभव यह है कि इसमें विश्व के चालीस महान दार्शनिकों के दृष्टिकोणों का अद्भुत समन्वय उपस्थित है। बौद्ध दिग्नाग, जैन अकलंकदेव, वेदांती विद्यारण्य, महर्षि रमण, अरविन्द, हेगेल, मेकियावली, एक्विनास, ओशो, स्वामी करपात्री, शोज, फिरदौसी, टैगोर, गाँधी तथा अनगिनत दार्शनिक धाराएँ—सब एक ही वैचारिक पट पर ऐसे संलयित होती हैं, जैसे अनेक पवित्र सरिताएँ अंततः एक ही महासागर में विलीन होती हों। इस वैचारिक महाकोष की मंगल-शुभाशंसा करते हुए आयरलैंड में भारत के राजदूत एवं दर्शन शास्त्र के शीर्ष विद्वान् आई.एफ.एस. डॉ. अखिलेश मिश्र लिखते हैं कि - यह कृति भारतीय ज्ञान-परंपरा के “सत्य–अन्वेषण की अनन्त यात्रा” का अद्भुत दस्तावेज है, जो इन्द्रियातीत सत्ता, आत्मबोध और विश्वमानवता के विराट भाव को पुनर्जीवित करती है। वहीं नेपाल के प्रसिद्ध दार्शनिक विद्यावाचस्पति अजय कुमार झा इसे “विलुप्त प्रज्ञा के पुनरुत्थान का महाग्रंथ” बताते हुए लिखते हैं कि यहाँ झ्वांग-त्ज़ु, बर्द्यायेव, गुरुदास, माइमोनीडीज़, कबीर, रामतीर्थ, पतंजलि और वाचस्पति—सभी के विचार एक ही विश्वदर्शी चेतना में एकाकार हो जाते हैं। यह ग्रंथ डॉ. उपाध्याय की विद्वत्ता का अद्भुत और तेजोमय उदाहरण है जहां उन्होंने तिलक और आम्बेडकर के साथ ही चालीस चिन्तनधाराओं का दार्शनिक, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक तर्कों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण करके गागर में सागर भर दिया है। ऐसा दुर्लभ वैचारिक साहस और व्यापक अध्ययन आज के लेखक–जगत में बहुत कम देखने को मिलता है। ग्रंथ की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि लेखक न तो किसी विचारक का चयनित समर्थन करते हैं, और न ही किसी का पक्षपातपूर्ण खंडन; वे केवल यह पूछते हैं— “सत्य किसके पास है?” यही प्रश्न और उसका प्रामाणिक उत्तर पाठक को विचार–यात्रा पर ले जाता है। 4. शोध–दृष्टि और प्रस्तुति : स्पष्टता, निर्भीकता और तर्क–समृद्धि का समन्वय - डॉ. उपाध्याय की सबसे बड़ी विशेषता है बौद्धिक निर्भीकता। वे जटिल विषयों को सरल बनाकर प्रस्तुत करते हैं, परन्तु सरलता में उथलापन नहीं आने देते। उनके ग्रंथ संदर्भ–समृद्ध, तथ्य–संगत, प्रमाण–निष्ठ और दार्शनिक गहराई से पूर्ण हैं। वाक्य–बंध में साहित्यिक माधुर्य है और तर्क में ऐसी कठोरता जो पाठक को हर पंक्ति पर चिंतन करने को बाध्य करती है। 5. भारतीय चिंतन–जगत में उनका स्थान - समग्रता में देखा जाए तो डॉ. उपाध्याय उन दुर्लभ लेखकों में हैं जो न केवल इतिहास को पुनर्पाठित करते हैं, बल्कि आने वाले कालखंड के लिए विचार–ईंधन भी प्रदान करते हैं। उनके 20 ग्रंथ — दर्शन, समाज, राजनीति, इतिहास, साहित्य— हर क्षेत्र में नवीन दृष्टि का उद्घाटन करते हैं। उनकी लेखनी में ज्ञान की प्रखरता, अध्ययन की व्यापकता, और राष्ट्र–चिंतन की गरिमा स्पष्ट रूप से प्रतिध्वनित होती है। एक अध्येता होने के नाते मैं यह निस्संकोच कह सकती हूँ कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय आज के भारतीय चिंतन–जगत के सबसे प्रभावशाली, सबसे साहसी और सबसे अधिक मौलिक लेखकों में से एक हैं। उनकी नवीनतम कृतियाँ केवल पुस्तकें नहीं— वे विमर्श का आमंत्रण, चिंतन का आलोक, और राष्ट्रीय स्वाभिमान की पुनर्स्मृति हैं। ज्ञान–क्षेत्र में ऐसे तेजस्वी प्रतिभाशाली लेखक का होना भारतीय बौद्धिक परंपरा के लिए एक अत्यंत शुभ संकेत है। दोनों महाग्रंथों के प्रकाशन के साथ यह तथ्य पुनः प्रतिष्ठित हो गया कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय केवल लेखक नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान–परंपरा के जीवंत प्रतिनिधि, मौलिक शोध के अग्रदूत और आधुनिक वैचारिक जगत् के धैर्यवान तपस्वी हैं। उनकी कृतियाँ केवल पठन का विषय नहीं—बल्कि सतत् मनन, विमर्श और आत्मबोध के शाश्वत निमंत्रण हैं। समकालीन भारतीय दर्शन को इन ग्रंथों ने नई ऊँचाई, नई दृष्टि और नया गौरव प्रदान किया है। यह ग्रंथ निस्संदेह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमर वैचारिक दीपस्तम्भ सिद्ध होंगे। समीक्षक डॉ. मणिकर्णिका (NET, JRF, SRF, Ph.D)
सिद्धपीठ श्री हथियाराम मठ के पीठाधीश्वर स्वामी भवानी नंदन यति महाराज का 20 नवंबर को नगरा आगमन


अमर बहादुर सिंह, बलिया शहर। भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए हर्ष का विषय है कि सिद्धपीठ श्री हथियाराम मठ, वाराणसी के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर परमपूज्य स्वामी भवानी नंदन यति महाराज जी 20 नवंबर 2025, गुरुवार को रामहित कार्यक्रम के अंतर्गत नगरा आगमन करेंगे। गुरुदेव का पावन स्वागत प्राचीन दुर्गा मंदिर, नगरा के पावन प्रांगण में संध्या 5 बजे किया जाएगा।सिद्धपीठ द्वारा विगत वर्षों से ग्रामीण अंचलों में धर्म, शिक्षा, संस्कार और सामाजिक चेतना के विस्तार हेतु रामहित कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसी क्रम में संत, ब्राह्मण और सेवकों की लगभग 20–25 सदस्यीय टोली भगवान लक्ष्मीनारायण जी के आसन के साथ नगरा पहुँचेगी।कार्यक्रम के प्रमुख बिंदु:ग्राम आगमन एवं स्वागत: शाम 5:00 बजेसायंकाल उद्घोधन: 5:30 से 6:00 बजेसायंकालीन महाआरती: 7:30 से 8:30 बजेरात्रिकालीन प्रवचन: 8:30 से 9:30 बजेरात्रि भोजन (महाप्रसाद): 9:30 से 10:00 बजेअगले दिन 21 नवंबर, शुक्रवार को अपराह्न 4:00 बजे स्वामी जी का प्रस्थान तय है।भक्तों से अपील:आयोजन समिति ने समस्त भक्तों से अनुरोध किया है कि वे समयानुसार उपस्थित होकर प्रवचन श्रवण, महाप्रसाद ग्रहण एवं गुरुदेव के दर्शन–आशीर्वाद का लाभ अवश्य प्राप्त करें।
जदयू ने नीतीश तो भाजपा ने सम्राट चौधरी को चुना नेता, दोनों का डिप्टी सीएम बनने का रास्ता साफ

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बिहार में सीएम और डिप्टी सीएम के चेहरे पर फंसा सस्पेंस खत्म हो चुका है। जदयू विधायक दल ने अपना नेता नीतीश कुमार को चुना है। जाहिर है एक बार फिर से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। वहीं बीजेपी ने फिर से चौंकाया है। विधायक दल के नेता के तौर पर सम्राट चौधरी और उपनेता के लिए विजय सिन्हा का नाम बढ़ा कर बीजेपी ने अघोषित तौर पर दोनों नेताओं को उप मुख्यमंत्री पद के लिए रिपीट कर सभी को चौंका दिया है।

भाजपा विधायक दल की बैठक पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और बिहार में विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, सम्राट चौधरी को निर्वाचित करने का प्रस्ताव किया और भारती जनता पार्टी के विधायक दल ने सर्वसम्मति से सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता चुनने का समर्थन किया है और हमारे उपमुख्यमंत्री के रूप में शानदार काम करने कार्य किया। वह (विजय कुमार सिन्हा) बहुत ही वरिष्ठ नेता है। उनके नाम का भी प्रस्ताव आया है और सर्वसम्मति समर्थन मिला। मैं सम्राट चौधरी को विधायक दल के नेता के रूप में सम्राट चौधरी और उप नेता के रूप में विजय कुमार सिन्हा के नाम का ऐलान करता हूं।

डिप्टी सीएम में कोई बदलाव नहीं

इस फैसले के साथ ही दोनों नेताओं के दोबारा उपमुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है। भाजपा विधायक दल के नेता सम्राट चौधरी होंगे और विजय कुमार सिन्हा उपनेता बने रहेंगे। इस तरह भाजपा ने बिहार में कोई बदलाव नहीं किया है। पिछले 3 बार से भाजपा डिप्टी सीएम पद पर लगातार बदलाव करती रही है। पिछली बार बीजेपी ने तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी के बदले सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाया था। इस बार लग रहा था कि बीजेपी फिर से बदलाव कर सकती है। लेकिन विधायक दल के नेता के तौर पर सम्राट चौधरी और उपनेता के लिए विजय सिन्हा का नाम बढ़ा कर बीजेपी ने फिर से चौंका दिया।

चौधरी और सिन्हा को बरकरार रखने के क्या है मायने?

सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को बरकरार रखने का निर्णय पूरी तरह से बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व, खासकर अमित शाह की रणनीति का परिणाम माना जा रहा है। इसके पीछे का तर्क यह है कि निरंतरता बनाए रखना: सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने विपक्ष में रहते हुए और फिर एनडीए की सरकार में डिप्टी सीएम के रूप में पार्टी के लिए सफलतापूर्वक काम किया है। उनकी जोड़ी ने सफलतापूर्वक एनडीए को जीत दिलाई है. ऐसे में अमित शाह ने ‘विनिंग कॉम्बिनेशन’ को बदलने का जोखिम नहीं लिया, ताकि संगठन में किसी तरह की अस्थिरता पैदा न हो।

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन मंच पर बलरामपुर टीम को मिला हिंदू रत्न सम्मान

बलरामपुर। गोरखपुर,योगी गंभीर नाथ। प्रेक्षाग्रह मेंआयोजित अंतरराष्ट्रीय हिंदू सम्मेलन एवं प्रांतीय अधिवेशन के दौरान विश्व हिंदू महासंघ बलरामपुर जिला अध्यक्ष को " हिंदू रत्न सम्मान"से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में प्रदेश स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर जिले की टीम को प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ।सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष भिखारी प्रजापति ने सम्मान पत्र प्रदान करते हुए कहा कि चौधरी विजय सिंह एवं टीम ने संगठन को गांव-गांव तक विस्तार करते हुए मजबूती प्रदान की है जिसमें उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि वह आगे भी अपनी टीम के साथ समाज और संगठन को सशक्त करने का कार्य करते रहेंगे।

सोशल मीडिया प्रदेश अध्यक्ष गंगा शर्मा कौशिक ने सम्मान को जिले के लिए गौरवपूर्ण बताया, उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया टीम और जिला इकाई के संयुक्त प्रयास से बलरामपुर टीम ने प्रदेश में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए दूसरा स्थान प्राप्त किया इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने बलरामपुर टीम को बधाई देते हुए आशा किया कि आगे समय में प्रथम स्थान प्राप्त करेंगे।

इस अवसर पर विश्व हिंदू महासंघ के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्क्षा अस्मिता भंडारी के अलावा 6 राष्ट्रो के विश्व हिंदू महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष विभिन्न प्रांतो से आए हजारों कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे साथ ही जिला अध्यक्ष चौधरी विजय सिंह वरिष्ठ उपाध्यक्ष जीवनलाल मिथिलेश गिरी सुग्रीव कश्यप जय सिंह राधेश्याम कौशल कालीदीन सरोज प्रदीप कुमार संजय शिव कुमार राजू राम जागर बसंत पांडे प्रेम मिश्रा नरेंद्र देव विजय प्रताप सोनी आदि उपस्थित रहे।

अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जवाद सिद्दीकी ईडी की रिमांड में, आतंकी डॉक्टरों का खुलेगा राज

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दिल्ली की एक विशेष अदालत ने अल-फलाह समूह के चेयरमैन जावद अहमद सिद्दीकी को 13 दिन की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) हिरासत में भेज दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शीतल चौधरी प्रधान ने आधी रात के बाद अपने चैंबर में सुनवाई कर यह आदेश पारित किया। जावेद अहमद सिद्दकी से अब ईडी राज उगलवाने की तैयारी में है।

एक ओर एनआईए दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े आतंकी डॉक्टरों के अल फलाह कनेक्शन की जांच कर रही है। वहीं प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लांड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया है। ईडी ने मंगलवार को यूनिवर्सिटी के ओखला स्थित मुख्यालय और ट्रस्टियों के ठिकानों पर छापेमारी भी की थी। मंगलवार को लाल किला कार धमाके मामले से जुड़े यूनिवर्सिटी के ट्रस्टियों और प्रवर्तकों के खिलाफ दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में कई जगहों पर रेड डालने के बाद ग्रुप के अध्यक्ष जवाद अहमद को गिरफ्तार किया था।

मनी लॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तारी

जवाद की गिरफ्तारी दिल्ली धमाके मामले की जगह मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले की गई है। गिरफ्तारी के बाद जवाद को साकेत कोर्ट की एडिशनल सेशन जज शीतल चौधरी प्रधान के घर में रात 11:00 बजे अल फलाह विश्वविद्यालय के संस्थापक को पेश किया गया था। रिमांड आदेश में अदालत ने कहा है कि सिद्दीकी के खिलाफ बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, फर्जी मान्यता दावे करने और अल-फलाह विश्वविद्यालय से प्राप्त धन को अन्यत्र हस्तांतरित करने से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का संलिप्त होने के पर्याप्त आधार मौजूद हैं।

यूनिवर्सिटी से जुड़े लाल किला कार धमाका के तार

बता दें कि लाल किला कार बम धमाका मामले के तार इस यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं। इस धमाके को अंजाम देने वाला डॉक्टर उमर नबी इसी विश्वविद्यालय के अस्पताल से जुड़ा था। इसके अलावा सफेदपोश आतंकी नेटवर्क में पकड़े गए कई लोग इस संस्थान से जुड़े हैं। दिल्ली धमाके की जांच आगे बढ़ने पर विश्वविद्यालय भी जांच में दायरे में आ गया है। इस विश्वविद्यालय के वित्तीय लेन-देन की जांच के बाद अब ईडी ने संस्थापक जावद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया है।

यूनिवर्सिटी के खिलाफ क्या है मामला?

ईडी ने यह जांच दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की ओर से दर्ज दो एफआईआर के आधार पर शुरू की है। ये दोनों एफआईआर 13 नवंबर को दर्ज कराई गई थी। इन एफआईआर में NACC Accreditation और यूजीसी से जुड़े झूठे दावे किए जाने का जिक्र है। दिल्ली पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता के तहत धारा 318 (4), 336 (2), 336 (3), 336 (4), 338 और 340 (2) के तहत केस दर्ज किया। FIR में यह आरोप लगाया गया था कि फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी ने गलत तरीके से NAAC मान्यता (Accreditation) होने का दावा किया। यही नहीं यूनिवर्सिटी ने UGC के सेक्शन 12(B) के तहत मान्यता होने की झूठी जानकारी दी। ताकि छात्रों, माता-पिता और आम जनता को गुमराह कर आर्थिक फायदा लिया जा सके। इस बीच UGC ने भी साफ कर दिया है कि अल फहल यूनिवर्सिटी सिर्फ सेक्शन 2(f) के तहत एक स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी के रूप में लिस्टेड है और उसने कभी भी 12(B) के तहत मान्यता के लिए आवेदन नहीं किया है।

लखनऊ में 15 जनवरी तक पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक
लखनऊ। कमिश्नरेट पुलिस ने 24 नवंबर  से शहर में धारा 163 लागू कर दी है, जो 15 जनवरी 2026 तक कुल 53 दिन तक प्रभावी रहेगी। इस दौरान पांच या उससे अधिक लोगों के एक साथ एकत्र होने पर रोक रहेगी।जेसीपी एलओ बबलू कुमार ने बताया कि यह सुरक्षा प्रबंध गुरु तेग बहादुर जयंती, काला दिवस, क्रिसमस, नववर्ष और मकर संक्रांति जैसे पर्वों के मद्देनजर लागू किया गया है।

बिना अनुमति के प्रदर्शन करने पर रोक

इस अवधि में बिना अनुमति निर्धारित धरना स्थल छोड़कर अन्य स्थानों पर प्रदर्शन करने पर रोक रहेगी। साथ ही, सरकारी कार्यालयों और विधान भवन के आसपास एक किलोमीटर के दायरे में ड्रोन से शूटिंग करने पर भी प्रतिबंध रहेगा। पुलिस ने आम जनता और आयोजकों से अपील की है कि वे नियमों का पालन करें और निर्धारित मार्गदर्शन के तहत ही कार्यक्रम आयोजित करें।
लखनऊ में हिंदू नेताओं की रेकी का अाया मामला सामने, गोपाल राय ने जताई सुरक्षा की चिंता
लखनऊ। विश्व हिंदू रक्षा परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल राय ने मंगलवार को प्रेस वार्ता कर बताया कि दिल्ली विस्फोट मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने पूछताछ में खुलासा किया है कि कई हिंदूवादी नेता उनके निशाने पर थे, जिनमें लखनऊ के कुछ नेता और उनका नाम भी शामिल है।

गोपाल राय ने बताया कि यह जानकारी उन्हें तब मिली जब वह मथुरा में एक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। उसी दौरान इंटेलिजेंस ब्यूरो ने उनसे फोन पर संपर्क कर उनके घर के बाहर नजर आए संदिग्ध व्यक्तियों की तारीख और जानकारी मांगी। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले दो संदिग्ध युवक रात में उनके घर के आसपास देखे गए थे, जिनकी CCTV फुटेज उन्होंने जांच एजेंसियों को दे दी है।

उन्होंने बताया कि संदिग्ध युवक 7 नवंबर की रात दो बार उनके घर के बाहर दिखाई दिए थे। यह फुटेज उन्होंने पुलिस, एलआईयू और आईबी समेत सभी संबंधित अधिकारियों को भेज दी है।

गोपाल राय ने कहा कि वे पहले भी जैश-ए-मोहम्मद के नेटवर्क, आईएसआई एजेंट और धर्मांतरण रैकेट के मामलों का खुलासा कर चुके हैं, इसलिए उन पर खतरा होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पहले सुरक्षा मिली थी, लेकिन बाद में उसे हटा दिया गया, जबकि जिला सुरक्षा समिति ने पहले एक्स कैटेगरी सुरक्षा की संस्तुति की थी।

उन्होंने बताया कि पहले भी उन पर 2006 वाराणसी और 2015 जम्मू में हमले हो चुके हैं। ऐसे में सुरक्षा हटाया जाना चिंता का विषय है। उन्होंने पूरे मामले की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी है।
*सुल्तानपुर ब्रेकिंग* कादीपुर पुलिस की बड़ी कार्रवाई,चोरी की मोटरसाइकिल संग एक चोर गिरफ्तार। कादीपुर कोतवाली पुलिस ने चोरी की मोटरसाइकिल के
*सुल्तानपुर ब्रेकिंग*




कादीपुर पुलिस की बड़ी कार्रवाई,चोरी की मोटरसाइकिल संग एक चोर गिरफ्तार। कादीपुर कोतवाली पुलिस ने चोरी की मोटरसाइकिल के साथ एक चोर को दबोचकर न्यायालय भेज दिया। एसपी के निर्देश पर चलाए जा रहे अभियान के तहत कोतवाली पुलिस को यह सफलता मिली है।अभियुक्त शिवम मिश्रा पुत्र विनोद कुमार मिश्रा निवासी सैदपुरकला थाना कादीपुर को पुलिस ने दबिश देकर गिरफ्तार किया। उसके कब्जे से चोरी की होण्डा साइन मोटरसाइकिल नंबर DL3SDB9429 बरामद की गई।कार्रवाई में प्रभारी निरीक्षक श्याम सुन्दर, वरिष्ठ उप निरीक्षक सुनील कुमार, हेड कांस्टेबल वेद प्रकाश, हेड कांस्टेबल विरेन्द्र तिवारी और कांस्टेबल धर्मेन्द्र सिंह शामिल रहे। पुलिस ने आरोपी को आवश्यक विधिक कार्रवाई के बाद न्यायालय भेज दिया।
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में मनाया गया जनजातीय गौरव दिवस

रायपुर- कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में आज बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में “जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत – ऐतिहासिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक योगदान” विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ शासन के आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधीय पादप बोर्ड के अध्यक्ष विकास मरकाम रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति महादेव कांवरे जी ने की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति एवं संभागायुक्त महादेव कांवरे ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज के स्वतंत्र आधुनिक भारत का सपना बिरसा मुंडा जी ने देखा था। जन जन तक विकास एवं शिक्षा पहुंचना उनका सपना था। जो हम सभी के सहयोग से ही साकार किया जा सकता है। इसी के साथ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संचालित जन-मन योजना एवं धरती आबा ग्राम उत्कर्ष योजना के क्रियान्वयन की जानकारी भी दी, जो कि जनजातीय क्षेत्रों में विकास, तथा बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में विशेष योगदान दे रही हैं।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधीय पादप बोर्ड, छत्तीसगढ शासन के अध्यक्ष विकास मरकाम ने अपने संबोधन में कहा कि यह दिवस केवल एक तारीख नहीं, बल्कि जनजातीय समाज के साहस, संघर्ष और बलिदान को स्मरण करने का अवसर है। उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने मात्र 14 वर्ष की आयु में स्वतंत्रता का बिगुल फूंका,उन्होंने धरती आबा, धरती के भगवान बिरसा मुंडा को याद करते हुए कहा कि प्रारंभिक शिक्षा के समय ही बिरसा मुंडा जी ने, मुंडा समुदाय के हितों की रक्षा के लिए अंग्रेजों से विद्रोह किया तथा जल जंगल जमीन की हक की लड़ाई लड़ी, अल्प आयु में ही उन्होंने अपने समुदाय को नेतृत्व प्रदान किया और अबुआ देश - अबुआ राज का नारा दिया।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले जनजातीय वीर सेनानियों की जीवनी प्रकाशित की तथा जन जन तक जनजातीय गौरव पहुंचाने का काम किया है और यह कार्यक्रम भी इसी श्रृंखला का भाग है।

उन्होंने परलकोट आंदोलन के शहीद गेंदसिंह, सोनाखान के नायक वीर नारायण सिंह, बस्तर के क्रांतिकारी गुंडाधूर तथा सरगुजा क्षेत्र के लांगुर किसान जैसे वीरों के योगदान को विस्तार से याद किया। उन्होंने कहा कि “जनजातीय इतिहास स्वर्णिम है, परंतु दुर्भाग्यवश हमारे अनेक जनजातीय नायकों को इतिहास में वह स्थान नहीं मिला जिसके वे अधिकारी थे। जनजातीय गौरव दिवस ने हमें अपने नायकों और अपनी जड़ों से दोबारा जोड़ा है।

उन्होंने युवाओं से आह्वान करते हुए कहा— “शिक्षा ग्रहण करो, लेकिन अपनी जड़ों को मत भूलो, नौकरी करो लेकिन अपने गाँव की सेवा करना मत छोड़ो, आधुनिक बनो लेकिन अपने तीज-त्योहारों को हमेशा याद रखो।

कुलसचिव सुनील कुमार शर्मा ने अपने उद्बोधन में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम के मूल उद्देश्य को बताया तथा कार्यक्रम की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में साथ ही विश्वविद्यालय के विज्ञापन जनसंपर्क तथा मीडिया व प्रबंधन में क्रिएटिविटी को बढ़ावा देने के लिए विद्यार्थियों द्वारा गठित एडवरटाइजिंग क्लब का शुभारंभ किया जिसमें अभिषेक साहू (अध्यक्ष), कविता भारती (उपाध्यक्ष), प्रज्ञा देवांगन (सचिव), तारिणी रजक (कोषाध्यक्ष) एवं तारिणी सोनी को (सदस्य) नामित किया गया।

इस अवसर पर छात्र-छात्राओं द्वारा विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ देकर कार्यक्रम को जीवंत बनाया गया तथा रजत जयंती वर्ष के अंतर्गत आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेता छात्र-छात्राओं को सम्मानित भी किया गया।

इस अवसर पर MBA (HA) के विद्यार्थियों द्वारा मेडिकल कैंप आयोजित किया गया, जिसमें विश्वविद्यालय के छात्रों, शोधार्थियों, प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों ने अपना स्वास्थ्य परीक्षण करवाया।

कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शित करते हुए कार्यक्रम संयोजक डॉ. आशुतोष मंडावी ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम हमें हमारी संस्कृति और इतिहास से जोड़ते हैं ।उन्होंने सभी विद्यार्थियों का जनजातीय समूह विषयों पर शोध एवं अध्ययन के लिए आव्हान किया।

कार्यक्रम में सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग विभागाध्यक्ष शैलेन्द्र खंडेलवाल, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभागाध्यक्ष डॉ. नृपेंद्र कुमार शर्मा, जनसंचार विभागाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र मोहंती, अग्रसेन महाविद्यालय की शिक्षिका ईशा गोस्वामी सहित विश्वविद्यालय के सभी अतिथि व्याख्याता, कर्मचारी, शोधार्थी, एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे। मेडिकल कैंप में प्रमुख भूमिका डॉ. देवेंद्र कश्यप तथा साथी रहे।