भारत मंडपम में गूँजी सनातन की अलख : 300 से अधिक संतों की दिव्य उपस्थिति में सम्पन्न हुआ भव्य ‘सनातन संत सम्मेलन–2025’
सनातन इंटेलिजेंस: सच्ची, अच्छी और वास्तविक जानकारी का नया स्तंभ-सनातन संत सम्मेलन में हुआ भव्य उद्घोष
सनातन जागेगा तो भारत बचेगा-परम पूज्य स्वामी गोविन्द देव जी महराज
सनातन है तो संसार वसुधैव कुटुंब है और सर्वे भवन्तु सुखिन से विश्व में मानवता है - जैन मुनि आचार्य लोकेश जी
सनातन को अपने घर भारत को पहले अंदर से ठीक करना होगा - देवकीनंदन जी महराज
विश्व की चेतना का केंद्र है सनातन - पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी
अमरेश द्विवेदी
दिल्ली। प्रगति मैदान, नई दिल्ली के भारत मंडपम में ॐ सनातन न्यास द्वारा सनातन संत सम्मेलन–2025 दिव्य आध्यात्मिक ऊर्जा, अद्भुत भव्यता और राष्ट्रीय भाव से ओतप्रोत माहौल के साथ सम्पन्न हुआ।
राष्ट्रसंत परम पूज्य स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज की पावन अध्यक्षता में आयोजित इस विराट सम्मेलन में देशभर से 300 से अधिक प्रमुख संतों की उपस्थिति ने इसे सनातन संस्कृति का ऐतिहासिक पर्व बना दिया।
इस सम्मेलन का मूल उद्देश्य था, सनातन संस्कृति के संरक्षण–संवर्धन, उसकी गौरवपूर्ण परंपराओं के पुनर्जागरण और भारतीय समाज में सांस्कृतिक मूल्यों के पुनः प्रतिष्ठापन का संदेश जन-जन तक पहुँचाना।
स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज ने अपने आशीषपूर्ण उद्बोधन में कहा कि-“समय की मांग है कि हम सभी एक होकर सनातन को विश्वभर में पुनर्स्थापित करें। यह संस्कृति केवल परंपरा नहीं, बल्कि मानवता का मार्ग है। इसे आने वाली पीढ़ियों तक सशक्त रूप में पहुँचाना हम सभी का कर्तव्य है।” उन्होंने सभी संतों एवं उपस्थित जनों का स्वागत करते हुए एकता, प्रेम और सामाजिक जागरण का संदेश दिया। सभी संतों ने एक स्वर में कहा कि—“सनातन संस्कृति शाश्वत है, समावेशी है और विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है।”
परम पूज्य स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज की अध्यक्षता में एकल अभियान – भारत लोक शिक्षा परिषद को “सनातन रत्न सम्मान” प्रदान किया गया। साथ ही तीन अन्य प्रमुख संस्थाओं को “सनातन गौरव सम्मान” से अलंकृत किया गया।
जैन आचार्य डॉ. लोकेश मुनि जी (विश्व शांति दूत) ने वैश्विक चुनौतियों पर सारगर्भित विचार रखते हुए कहा कि सनातन संस्कृति ही मानवता को शांति, सद्भाव और समाधान का मार्ग दिखा सकती है।
प्रसिद्ध कथावाचक परम पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने सनातन धर्म की एकता और शक्ति पर प्रेरणादायी संदेश दिया तथा समाज में आध्यात्मिक जागरण की अलख जगाई।
श्री गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सलाहकार सरदार परमजीत सिंह जी ने युवाओं को सनातन जीवन-मूल्यों से जोड़ने की आवश्यकता पर जोर देते हुए सभी को राष्ट्र एकता और सद्भाव के लिए प्रेरित किया।
महंत रवींद्र पूरी जी महाराज ने राष्ट्र और संस्कृति के उत्थान में संत समाज की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए अपने ओजस्वी उद्बोधन से सभी को प्रेरित किया।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष परम पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज ने राष्ट्रीय एकता, प्राकृतिक संरक्षण, मानव सेवा और सनातन के संरक्षण-संवर्धन का सारगर्भित संदेश दिया। उन्होंने कहा कि “सनातन न तो आरंभ हुआ, न कभी समाप्त होगा — यह अनादि, अनंत और विश्व कल्याण की आधारशिला है।” स्वामी जी ने मानवता को प्रेम, करुणा और नैतिक मूल्यों के मार्ग पर चलने का आह्वान किया।
इस राष्ट्रीय आयोजन में भारत सहित विदेशों से भी ब्यूरोक्रेट्स, ज्यूडिशरी के वरिष्ठ सदस्य, उद्योगपति, समाजसेवी, शिक्षाविद, वैज्ञानिक एवं शोधकर्ता शामिल हुए, जिससे यह सम्मेलन एक विचार–संवाद और संस्कृति–संवर्धन का वैश्विक मंच बन गया।
पूरे कार्यक्रम का संचालन नीरज रायजादा जी और युवा चेहरा सुश्री स्मृति कुच्छल जी ने अत्यंत सौम्यता, संतुलन और गरिमा के साथ किया। वहीं कई विद्यालयों के बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने उपस्थित संतों व अतिथियों को भावविभोर कर दिया। बच्चों की वेशभूषा, नृत्य और संगीत ने मानो सनातन परंपरा को पुनः सजीव कर दिया।
इस भव्य सम्मेलन का समापन संत समाज द्वारा
सनातन के पुनर्जागरण, राष्ट्र के उत्थान, और भावी पीढ़ियों तक सांस्कृतिक विरासत के संवहन के संकल्प के साथ हुआ। यह दिव्य आयोजन केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत की आत्मा—सनातन संस्कृति—का महापर्व बनकर उपस्थित हुआ, जिसकी गूंज आने वाले समय में विश्वभर में प्रेरणा का प्रकाश बनेगी।


4 min ago
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