सीजेआई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील ने तोड़ी चुप्पी, नूपुर शर्मा का जिक्र कर कही ये बात
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सुप्रीम कोर्ट में वकील राकेश किशोर ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। राकेश ने इस मामले पर चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात कोई पछतावा नहीं है। राकेश किशोर ने यह भी बताया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया।
वकील ने कहा- वो सिर्फ एक्शन का रिएक्शन था
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सोमवार को वकील ने सीजेआई बीआर गवई पर जूता फेंक दिया था। यह हादसा पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। सीजेआई पर हमला करने वाले वकील की पहचान 72 वर्षीय राकेश किशोर के रूप में हुई है। घटना के बाद राकेश को दिल्ली पुलिस के हवाले कर दिया गया था। हालांकि, सीजेआई गवई ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करने से साफ मना कर दिया, जिसके बाद आरोपी को रिहा कर दिया गया था। अब वकील राकेश किशोर ने कहा कि उन्हें अपने किए पर कोई अफसोस नहीं है। उन्होंने कहा जो मैने किया वो सिर्फ एक्शन का रिएक्शन था।
सीजेआई के इस फैसले का गुस्सा
वकील ने बताया कि वह 16 सितंबर को दिए गए मुख्य न्यायाधीश के फैसले से आहत था। दरअसल, 16 सितंबर को बीआर गवई ने मध्य प्रदेश के खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की सिर कटी मूर्ति की पुनर्स्थापना से संबंधित याचिका को खारिज कर दिया था और याचिकाकर्ता से कहा था कि जाओ और मूर्ति से प्रार्थना करो और उसे अपना सिर वापस लगाने के लिए कहो। राकेश किशोर ने कहा कि जब हमारे सनातन धर्म से जुड़ा कोई मामला आता है, तो सर्वोच्च न्यायालय ऐसे आदेश देता है। उन्होंने कहा कि कोर्ट याचिकाकर्ता को राहत न दें, लेकिन उसका मजाक भी न उड़ाएं।
नूपूर शर्मा मामले का किया जिक्र
राकेश किशोर ने कहा कि हम देखते हैं यही चीफ जस्टिस बहुत सारे धर्मों के खिलाफ जो दूसरे समुदाय के लोग हैं, आप सब जानते हैं वो लोग कौन हैं, उनके खिलाफ कोई केस आता है तो बड़े-बड़े स्टेप लेते हैं। जैसे मैं उदाहरण देता हूं कि हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर एक विशेष समुदाय का कब्जा है, जब उसको हटाने की कोशिश की गई तो सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया जो आज तक लगा हुआ है। ऐसे ही नूपूर शर्मा का मामला आया तो कोर्ट ने कह दिया कि आपने मामला खराब कर दिया। ये सब जो रोक लगाते हैं वो बिल्कुल ठीक है।
“मुझे कोई पछतावा नहीं है”
एएनआई से बात करते हुए राकेश किशोर ने कहा कि ऐसा नहीं है कि मैं हिंसा करने वाला हूं, मैं खुद अहिंसा प्रेमी हूं, पढ़ा लिखा हूं और गोल्ड मेडलिस्ट हूं। न तो मुझे चोट लगी थी और न ही मैं नशे में ही था। यह उनकी हरकत पर मेरी प्रतिक्रिया थी। मैं डरा हुआ नहीं हूं। जो हुआ उसका मुझे कोई पछतावा नहीं है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एक मामले पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता राकेश किशोर ने सोमवार को सीजेआई बीआर गवई की कोर्ट में हंगामा किया। आरोप है कि 72 वर्षीय वकील ने भारत के प्रधान न्यायाधीश की ओर कथित तौर पर जूता उछालने की कोशिश की। उन्होंने कोर्ट में नारे भी लगाए।
3 hours ago