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भारत ने बांग्लादेश को दी बड़ी “चोट”, चीन में युनूस के दिए बयान के बाद एक्शन, जानें पूरा मामला

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने पिछले महीने चीन का दौरा किया था। वहां उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर पर टिप्प्णी की थी। उन्होंने कहा था कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य लैंड लॉक्ड हैं और समुद्र तक उनकी पहुंच का एकमात्र रास्ता बांग्लादेश है। यही नहीं, यूनुस ने चीन को बांग्लादेश की स्थिति का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया था। जिसके बाद दोनों देशों में डिप्लोमैटिक तनाव देखने को मिला था। इस बीच भारत ने सख्ती दिखाते हुए बांग्लादेश को दी गई ट्रांसशिपमेंट की सुविधा खत्म कर दी है।

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने 8 अप्रैल को सर्कुलर जारी कर इस फैसले के बारे में बताया।इसमें बोर्ड ने 29 जून, 2020 के अपने पुराने आदेश को रद्द कर दिया है। उसमें बांग्लादेश से आने वाले सामान को भारत के रास्ते दूसरे देशों में भेजने की अनुमति दी गई थी।

2020 से जारी इस व्यवस्था के अंतर्गत बांग्लादेश को भारतीय कस्टम स्टेशनों के जरिए अपने एक्सपोर्ट्स कार्गो को तीसरे देशों में बंदरगाहों और एयरपोर्ट तक भेजने की परमिशन थी। इसके जरिए बांग्लादेश आसानी से भूटान, नेपाल और म्यांमार जैसे देशों को सामान भेज सकता था।

नए सर्कुलर में क्या?

थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने कहा कि नए सर्कुलर के साथ, ट्रांसशिपमेंट व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया गया है। हालांकि, सर्कुलर के अनुसार, पहले की व्यवस्था के तहत भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर चुके कार्गो को मौजूदा प्रक्रियाओं के अनुसार बाहर निकलने की अनुमति दी जाएगी।

बांग्लादेश पर क्या होगा असर?

ट्रेड एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत के इस फैसले से बांग्लादेशी एक्सपोर्ट्स बुरी तरह प्रभावित होगा। भारत सरकार के इस कदम से बांग्लादेश के लिए नेपाल, भूटान और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों के साथ व्यापार में बाधा आ सकती है, क्योंकि ये व्यापार मुख्यतः भारतीय भूमि मार्गों के माध्यम से होता था। ट्रांस-शिपमेंट सुविधा के जरिए भारत ने बांग्लादेश को एक व्यवस्थित रास्ता दिया था। इससे बांग्लादेशी माल की ढुलाई लागत और समय दोनों में कटौती हुई थी। अब इसके बिना बांग्लादेश एक्सपोर्टर्स को नेपाल और भूटान समेत दुनिया भर में सामान भेजने में देरी, ऊंची लागत और अनिश्चितता का सामना करना पड़ेगा।

चीन-अमेरिका में गहराया टैरिफ वॉर, अब ड्रैगन ने यूएस प्रोडक्ट्स पर लगाया 84% एक्स्ट्रा टैरिफ

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अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर गहरा गया है। अमेरिका के “एक्शन” पर ड्रैगन ने “रिएक्शन” दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी सामान पर 104% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद अब चीन ने पलटवार करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ 34% से बढ़ाकर 84% कर दिया है।

टैरिफ आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला एक प्रकार का टैक्स है। टैरिफ को लेकर अमेरिका और चीन में टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। डोनाल्ड ट्रंप के 104 प्रतिशत वाले टैरिफ के जवाब में चीन ने भी करारा जवाब दिया है। चीन ने अब अमेरिकी सामानों पर 84 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है। चीन के कॉमर्स मंत्रालय ने इस बात की घोषणा की। चीनी मंत्री के अनुसार यह टैरिफ कल से लागू होगा।

चीन के कॉमर्स मिनिस्ट्री ने भी अमेरिका को जवाब देते हुए 12 अमेरिकी संस्थाओं को अपनी एक्सपोर्ट कंट्रोल लिस्ट में डाल दिया है। साथ ही, 6 अमेरिकी कंपनियों को "अविश्वसनीय संस्थाओं" (Unreliable Entity) की लिस्ट में शामिल किया गया है।

टैरिफ के कारण अब चीन में अमेरिका का सामान महंगा हो जाएगा। इसके कारण चीन में अमेरिकी वस्तुओं का निर्यात कम हो सकता है और वो अधिक महंगे हो सकते हैं।

इससे पहले व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलाइन लेविट ने कहा था कि चीन की जवाबी कार्रवाई एक भारी गलती थी। मंगलवार को उन्होंने कहा, "जब अमेरिका पर कोई वार करता है, तो राष्ट्रपति ट्रंप और जोर से पलटवार करते हैं। यही वजह है कि अब चीन पर मंगलवार रात 12 बजे से 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है। हालांकि, अगर चीन बातचीत करना चाहता है, तो राष्ट्रपति ट्रंप बेहद उदारता से उसका स्वागत करेंगे।"

ट्रंप की नीतियों से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा है। पूरी दुनिया में लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं और इसे एक गलत फैसला करार दे रहे हैं। लेकिन मंगलवार को ट्रंप ने अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया। ट्रंप ने वाशिंगटन में रिपब्लिकन डिनर में कहा, ‘मुझे पता है मैं क्या कर रहा हूं।’ यही नहीं, ट्रंप ने अब दवा आयात पर भी ‘बड़ा’ टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। हालांकि, अब तक इसकी तारीख तय नहीं की है।

यूएई के आसमान की रक्षा करेगा भारत का 'आकाश'? राजनाथ सिंह ने दुबई के क्राउन प्रिंस को दिया ऑफर

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भारत ने संयुक्त अरब अमीरात को आकाश वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली देने की पेशकश की। भारत ने ये पेशकश रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और दुबई के क्राउन प्रिंस और यूएई के उप प्रधानमंत्री शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम के बीच बैठक के दौरान की। इसके अलावा खाड़ी देश यूएई के साथ भारत रक्षा सहयोग के अलावा हथियारों के साझा-निर्माण के लिए भी तैयार हो गया है।

दिल्ली दौरे पर पहुंचे दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन ने मंगवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मीटिंग को बहुत अच्छा बताया।दोनों नेताओं ने दुनिया में चल रही राजनीतिक घटनाओं पर भी बात की। उन्होंने रक्षा सहयोग के लिए बनाए गए सिस्टम, सैन्य अभ्यास और ट्रेनिंग प्रोग्रामों पर खुशी जताई। एक अधिकारी ने बताया कि ट्रेनिंग प्रोग्रामों के आदान-प्रदान को रक्षा सहयोग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है। इससे दोनों देशों की रक्षा प्रणालियों को समझने और रक्षा संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलेगी

आकाश मिसाइल में यूएई की दिलचस्पी

इस दौरान मेक-इन-इंडिया और मेक-इन-एमिरेट्स पहल को लेकर ध्यान केंद्रित करने पर दोनों देशों के नेता सहमत हुए हैं। दरअसल, भारत की स्वदेशी आकाश मिसाइल में यूएई ने दिलचस्पी दिखाई है। थलसेना, वायुसेना और नौसेना द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली आकाश मिसाइल को भारत निर्यात भी करता है। आकाश मिसाइल को आर्मेनिया को एक्सपोर्ट किया जा चुका है।

रक्षा उद्योग सहयोग बढ़ाने पर हुई चर्चा

दोनों नेताओं ने तटरक्षक बल के बीच सक्रिय सहयोग पर भी संतोष व्यक्त किया और एक समझौता ज्ञापन के माध्यम से इसे औपचारिक रूप देकर और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की। दोनों नेता इस बात से आश्वस्त थे कि रक्षा उद्योगों के बीच घनिष्ठ सहयोग द्विपक्षीय संबंधों के लिए अभिन्न अंग होना चाहिए। उन्होंने रक्षा उद्योग सहयोग बढ़ाने पर जोर देते हुए और रक्षा विनिर्माण में साझेदारी बढ़ाने के अवसरों पर चर्चा की।

मेक इन इंडिया को बढ़ावा दे रही सरकार

बता दें कि भारत सरकार आकाश मिसाइल सिस्टम, पिनाका मल्टी-लॉन्च रॉकेट सिस्टम और ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल जैसे हथियारों को मित्र देशों को बेचना चाहता है। खासकर खाड़ी और आसियान देशों को। भारत पहले ही फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइलें बेच चुका है। आर्मेनिया, आकाश, पिनाका और 155mm तोपों का पहला विदेशी ग्राहक बन गया है।

आकाश मिसाइल की खासियत

स्वदेशी निर्मित आकाश मिसाइल सिस्टम को भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) ने बनाया है। यह एक मध्यम दूरी की सतह से हवा (SAM) सिस्टम है, जो 25 किलोमीटर की दूरी पर हवाई खतरों को खत्म कर कर सकती है। इसे फाइटर जेट्स, क्रूज मिसाइल और ड्रोन जैसे हवाई खतरों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है। मैक 2.5 की रफ्तार से यह 18 किलोमीटर की ऊंचाई तक के लक्ष्यों को ध्वस्त करने की क्षमता रखता है।

वक्‍फ कानून को लेकर केंद्र भी पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, जानें पूरा मामला

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वक्फ संशोधन एक्ट 2025 के खिलाफ करीब दर्जन भर याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं। इनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अलावा राजनेताओं की याचिकाएं शामिल हैं। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य लोगों ने इस कानून को चुनौती दी है। इस बीच केंद्र सरकार भी वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है।

केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है। सरकार की ओर से वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश पारित करने से पहले सुनवाई की मांग रखी गई है।कैविएट किसी पक्षकार द्वारा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की जाती है कि इसे सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए।

क्या है कैविएट का मतलब?

"केवियट" एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है "सावधान"। दरअसल, "केवियट" एक कानूनी नोटिस है जो किसी एक पार्टी द्वारा दायर किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी मुकदमे या न्यायिक कार्यवाही में कोई आदेश या निर्णय दिए जाने से पहले उन्हें सुनवाई का मौका दिया जाए। सिविल प्रक्रिया संहिता 1963 की धारा 148-ए में कैविएट दर्ज करने का प्रावधान है। कैविएट याचिका दाखिल करने या दर्ज कराने वाले व्यक्ति को कैविएटर कहा जाता है। यानी वक्फ कानून को लेकर दायर की गई याचिका में केंद्र सरकार कैविएटर है।

कैविएट याचिका कौन दाखिल कर सकता है?

कैविएट किसी भी व्यक्ति द्वारा दाखिल किया जा सकता है जो किसी आवेदन पर पारित होने वाले अंतरिम आदेश से प्रभावित होने वाला है, जिसके किसी न्यायालय में दायर या दायर होने वाले किसी मुकदमे या न्यायिक कार्यवाही में किए जाने की संभावना है। कोई भी व्यक्ति जो उपर्युक्त आवेदन की सुनवाई पर न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के अधिकार का दावा करता है, वह इसके संबंध में कैविएट दाखिल कर सकता है।

कैविएट कब दर्ज की जा सकती है?

कोर्ट में सामान्यतः निर्णय सुनाए जाने या आदेश पारित होने के बाद कैविएट दर्ज की जा सकती है। सीपीसी की धारा 148-ए के प्रावधान केवल उन मामलों में लागू हो सकते हैं, जहां आवेदन पर कोई आदेश दिए जाने या दायर किए जाने के प्रस्ताव से पहले कैविएटर को सुनवाई का अधिकार है। सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत कैविएट का कोई फार्मेट निर्धारित नहीं किया गया है, इसलिए इसे एक याचिका के रूप में दायर किया जा सकता है।

वक्फ कानून के खिलाफ दर्जनभर याचिकाएं दायर

बता दें कि वक्फ विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहले ही कुल 10 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं, इन याचिकाओं में नए बनाए गए कानून की वैधता को चुनौती दी गई है। इनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अलावा, केरल की सुन्नी मुस्लिम विद्वानों की संस्था 'समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य लोगों ने इस कानून को चुनौती दी है। याचिका दायर करने वाले वकीलों ने बताया कि याचिकाएं 15 अप्रैल को एक पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है। हालांकि अभी तक यह शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर नहीं दिखाई दे रहा है।

बंगाल में लागू नहीं होगा वक्फ एक्ट, सीएम ममता की दो टूक, बोलीं- धर्म के नाम पर बंटवारा नहीं होने दूंगी

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पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून को लेकर हो रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कहा कि नया वक्फ कानून पश्चिम बंगाल में लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक पश्चिम बंगाल में ममता दीदी है, मुस्लिम समुदाय की संपत्ति की रक्षा करेगी। ममता कोलकाता में जैन समाज के कार्यक्रम में बोल रही थीं। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बीते दिन हुई वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों और पुलिस के बीच हुई झड़प के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा बयान दिया है।

समाज में फूट डालकर राज कर सके ऐसा नहीं होगा-ममता

कोलकाता में जैन समुदाय के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ममता ने कहा कि वह अल्पसंख्यक लोगों और उनकी संपत्ति की रक्षा के लिए हम कदम उठाएंगी। उन्होंने कहा, मैं जानती हूं कि वक्फ अधिनियम के लागू होने से आप दुखी हैं। भरोसा रखें, बंगाल में ऐसा कुछ नहीं होगा, जिससे कोई समाज में फूट डालकर राज कर सके। उन्होंने कहा, लोग पूछते हैं कि मैं हर धर्म के स्थानों पर क्यों जाती हूं। मैं पूरी जिंदगी जाऊंगी। चाहे कोई गोली मार दे, मुझे एकता से अलग नहीं किया जा सकता। बंगाल में धर्म के नाम पर बंटवारा नहीं होगा। जियो और जीने दो यही हमारा रास्ता है।

राजनीतिक रूप से इकट्ठा होने के लिए उकसाता है तो...-ममता

ममता ने कहा, बांग्लादेश की स्थिति देखिए। इसे अभी पारित नहीं किया जाना चाहिए था। बंगाल में रहने वालों को सुरक्षा देना हमारा काम है। मैं आप सभी से अपील करती हूं कि अगर कोई आपको राजनीतिक रूप से एकत्र होने के लिए उकसाता है, तो कृपया ऐसा न करें। कृपया याद रखें कि दीदी आपकी और आपकी संपत्ति की रक्षा करेंगी। अगर हम साथ रहेंगे, तो हम दुनिया जीत सकते हैं।

हम एकजुट रहेंगे तो देश आगे बढ़ेगा

ममता बनर्जी ने कहा कि हमारा उद्देश्य जोड़ना है, बांटना नहीं। जब हम एकजुट रहेंगे, तो देश तरक्की करेगा। कुछ लोग बंगाल को बदनाम कर रहे हैं, कह रहे हैं कि मैं राज्य में हिंदू धर्म को संरक्षण नहीं देती। फिर सबको संरक्षण कौन देता है? मुझे बंगाल के अल्पसंख्यकों को श्रेय देना चाहिए, जो राज्य में हिंदू त्योहार भी मनाते हैं। सबका सिस्टम भले ही अलग हो सकता है, बंगाली लोग बंगाली गाना गाते हैं, हिंदू लोग हिंदी, गुजराती लोग दांडिया भी करते हैं। हमलोग भी मिलकर दांडिया करते हैं। मुझे यह कहते हुए गर्व है कि यह बंगाल है।उन्होंने कहा कि अगर हमें ये लोग गोली भी मार दें तो भी हमारी एकता को नहीं तोड़ सकते हैं।

मुर्शिदाबाद में प्रदर्शन के दौरान हिंसा

बता दें कि वक्फ (संशोधन) विधेयक को बीते गुरुवार को लोकसभा ने पारित किया था। इसके बाद शुक्रवार की सुबह राज्यसभा ने भी इस पर मुहर लगा दी थी। संसद के दोनों सदनों में लंबी बहस के बाद इसे पारित किया गया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को विधेयक को अपनी मंजूरी भी दे दी थी। केंद्र सरकार ने इसे लागू करने के लिए बीते दिन ही अधिसूचना जारी की है। हालांकि, लगातार इसका विरोध हो रहा है। इसी क्रम में बीते दिन मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी। सड़क जाम करने से रोकने पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी थी। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। इलाके में फिलहाल शांति है, लेकिन इंटरनेट को निलंबित रखा गया है

हिंद महासागर में चीन को कड़ी टक्कर देने की तैयारी में भारत, फ्रांस से 26 मरीन रॉफेल की डील

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अपने पड़ोसी देशों की हरकतों को देखते हुए भारत लगातार अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने में जुटा हुआ है। इसी क्रम में भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए फ्रांस से 26 मरीन रॉफेल खरीदने को मंजूरी दे दी है। भारत और फ्रांस के बीच पहले भी रॉफेल विमानों को लेकर सौदा हो चुका है। साल 2016 में भारत ने वायु सेना के लिए 36 रॉफेल विमान खरीदे थे। अब नौ सेना के लिए यह नया सौदा दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और गहरा करेगा। इस सौदे में विमानों के साथ-साथ हथियार, स्पेयर पार्ट्स और रखरखाव का सामान भी शामिल होगा।

सरकारी सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी एएनआई ने यह दावा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक 63,000 करोड़ रुपये से अधिक के इस सरकारी सौदे पर जल्द ही हस्ताक्षर किए जाएंगे। इसके बाद फ्रांस 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर जेट भारतीय नौसेना को सौंपेगा। इन्हें हिंद महासागर में चीन से मुकाबले के लिए आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाएगा। यह सौदा भारतीय वायुसेना के राफेल विमानों की क्षमताओं को भी अपग्रेड करने में मदद करेगा। राफेल-एम जेट को भारतीय नौसेना के विमानों के बेड़े में शामिल किया जाएगा।

दोनों देशों के बीच 26 राफेल मरीन जेट की खरीद को लेकर कई महीनों से बातचीत चल रही थी। भारत नौसेना के लिए राफेल मरीन की डील उसी बेस प्राइज में करना चाहता था, जो 2016 में वायुसेना के लिए 36 विमान खरीदते समय रखी थी। इस डील की जानकारी सबसे पहले पीएम मोदी की 2023 की फ्रांस यात्रा के दौरान सामने आई थी। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने लेटर ऑफ रिक्वेस्ट जारी किया था, जिसे फ्रांस ने दिसंबर 2023 में स्वीकार किया।

जून 2024 में हुई थी पहले दौर की चर्चा

26 राफेल-एम फाइटर जेट खरीदने की डील पर पहले दौर की चर्चा जून 2024 में शुरू हुई थी। तब फ्रांस सरकार और दसॉ कंपनी के अधिकारियों ने रक्षा मंत्रालय की कॉन्ट्रैक्ट नेगोशिएशन कमेटी से चर्चा की थी। डील फाइनल होने पर फ्रांस राफेल-M जेट के साथ हथियार, सिमुलेटर, क्रू के लिए ट्रेनिंग और लॉजिस्टक सपोर्ट मुहैया कराएगा।

इन हथियारों में अस्त्र एयर-टु-एयर मिसाइल, एयरक्राफ्ट कैरियर से ऑपरेट करने के लिए जेट में इंडियन स्पेसिफिक इन्हैंस्ड लैंडिंग इक्विपमेंट्स और जरूरी इक्विपमेंट्स शामिल किए हैं। इससे पहले सितंबर 2016 में 59 हजार करोड़ रुपए की डील में भारत वायुसेना के लिए फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीद चुका है।

हिंद महासागर में चीन को मिलेगी टक्कर

यह सौदा भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने में काफी मददगार साबित होगा। रॉफेल मरीन विमान आधुनिक तकनीक से लैस हैं और समुद्र में ऑपरेशन के लिए खास तौर पर डिजाइन किए गए हैं। ये विमान नौसेना के विमानवाहक पोतों जैसे आईएनएस विक्रांत से उड़ान भर सकेंगे। इससे भारत की समुद्री सुरक्षा और मजबूत होगी। खासकर हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी को देखते हुए यह सौदा बहुत जरूरी माना जा रहा है। ये विमान नौसेना को समुद्र में लंबी दूरी तक निगरानी और हमले की ताकत देंगे।

अब फार्मा सेक्टर पर भी टैरिफ लगाएंगे डोनाल्ड ट्रंप, जानें भारत पर क्या असर?

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हर तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ की चर्चा है। दुनियाभर के 180 से अधिक देशों पर 2 अप्रैल को पारस्परिक टैरिफ लगाने के बाद ट्रंप अभी रूकने के मूड मे नहीं दिख रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अब एलान किया है कि जल्द ही दवाओं के आयात पर शुल्क लगाया जाएगा। ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका जल्द ही दवा आयात पर बड़े टैरिफ की घोषणा करेगा।

विदेश में दवा बना रही कंपनियों को वापस लाना है-ट्रंप

ट्रंप ने कहा कि दवाएं दूसरे देशों में बनती हैं और इसके लिए आपको ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। लंदन में जो दवा 88 डॉलर में बिकती है, वही दवा अमेरिका में 1300 डॉलर में बिक रही है। अब यह सब खत्म हो जाएगा। अब उनका मकसद विदेश में दवा बना रही कंपनियों को अमेरिका में वापस लाना और घरेलू दवा इंडस्ट्री को बढ़ावा देना है।

टैरिफ लगाने से फार्मा कंपनियां वापस आएंगी-ट्रंप

ट्रंप ने कहा कि दूसरे देश दवाओं की कीमतों को कम रखने के लिए बहुत ज्यादा दबाव बनाते हैं। वहां ये कंपनियां सस्ती दवा बेचती हैं लेकिन अमेरिका में ऐसा नहीं होता है। एक बार जब इन दवा कंपनियों पर टैरिफ लग जाएगा तो ये सारी कंपनियां अमेरिका वापस आ जाएंगी, क्योंकि अमेरिका बहुत बड़ा बाजार है। हालांकि, ट्रंप दवाओं पर कब से और कितना टैरिफ लगाएंगे, इसकी तारीख उन्होंने नहीं बताई है।

भारतीय फार्मा कंपनियों पर असर

अगर अमेरिका दवाओं पर भी टैरिफ लगाने का फैसला लेता है तो इसका भारत पर भी असर पड़ेगा। भारत अमेरिका को दवाओं का सबसे बड़ा सप्लायर है। भारतीय फार्मास्यूटिकल्स कंपनियां हर साल अमेरिका को 40% जेरेनिक दवाएं भेजती हैं। ऐसे में ट्रंप के इस फैसले का सीधा असर भारतीय फार्मा कंपनियों पर पड़ेगा। Sun Pharma, Lupin, Dr. Reddy's, Aurobindo Pharma और Gland Pharma जैसी कंपनियां अमेरिकी बाजार पर काफी निर्भर हैं और उनके शेयर बुधवार को दबाव में नजर आए.

अभी फार्मा पर कितना टैरिफ है?

आपको बता दें कि फिलहाल भारत देश अमेरिका से आयात होने वाले फार्मा पर करीब 10 फ़ीसदी का टैरिफ चार्ज वसूलता है जबकि अमेरिका देश भारत से आने वाले फार्मा आयात पर किसी भी प्रकार का टैरिफ नहीं वसूलता है. आने वाले समय में अगर डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ लगाते हैं तो इससे भारतीय फार्मा कंपनियों के बिजनेस पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा.

ट्रंप के टैरिफ ने दिया टेंशन तो छटपटाया ड्रैगन, भारत से लगाई गुहार, जानें क्या कहा

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ‘टैरिफ वॉर’ से दुनियाभर के देश हलकान हैं। इन सबमें अगर किसी को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है, तो वो है चीन। ट्रंप ने चीन से आने वाले सभी सामानों पर 104% तक का भारी टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है।यह आज यानी 9 अप्रैल से लागू हो गया है। इन सबके बीच बीजिंग ने भारत ने दोस्ती की गुहार लगाई है और मुश्किल हालात पर काबू पाने के लिए भारत से साथ खड़े होने का भी आग्रह किया है।

भारत में चीन की एंबेसी की प्रवक्ता यू जिंग ने कहा कि चीन और भारत दोनों विकासशील राष्ट्र हैं और ऐसे में अमेरिका के टैरिफ जैसे कदम ‘वैश्विक दक्षिण’ देशों के विकास के अधिकार को छीनने की कोशिश हैं। उन्होंने कहा कि भारत और चीन को एकजुट होकर इन चुनौतियों का मुकाबला करना चाहिए।

यू जिंग ने यह भी कहा कि वैश्विक व्यापार और विकास के लिए सभी देशों को बहुपक्षीयता का समर्थन करना चाहिए और एकतरफा फैसलों और संरक्षणवाद का विरोध करना चाहिए। उनके अनुसार, इस तरह के टैरिफ युद्ध का कोई विजेता नहीं होता।

इससे पहले अमेरिका ने चीनी सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ को प्रभावी करने का फैसला लिया है। व्हाइट हाउस ने ऐलान किया है कि चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है और अतिरिक्त शुल्क मंगलवार आधी रात यानी 9 अप्रैल से शुरू हो जाएंगे। फॉक्स बिजनेस के अनुसार, व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि चीन ने अमेरिका पर अपने प्रतिशोधी टैरिफ को नहीं हटाया है। ऐसे में अमेरिका कल, 9 अप्रैल से चीनी आयात पर कुल 104% टैरिफ लगाना शुरू कर देगा।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चीन पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही थी। डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था कि अगर चीन ने अमेरिका पर लगाए गए 34% टैरिफ को वापस नहीं लिया, तो अमेरिका भी उस पर 50% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। अब व्हाइट हाउस की ओर से इस धमकी को अमलीजामा पहनाते हुए कुल 104% टैरिफ की घोषणा कर दी गई है।

बता दें कि ट्रंप ने चीन की ओर से अमेरिकी सामानों पर 34 प्रतिशत का जवाबी टैरिफ लगाने के बाद ये चेतावनी दी थी।

लागू हो गया ट्रंप का नया टैरिफ: चीन पर फिर चला अमेरिकी “चाबुक”

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ बुधवार आधी रात के बाद पूरी तरह से लागू हो गए।अमेरिका के स्थानीय समयानुसार मंगलवार आधी रात से भारत समेत दर्जनों देशों पर ट्रंप का जवाबी टैरिफ लागू हो गया है।इसके तहत भारत पर अब 26 फीसदी टैरिफ प्रभावी हो गया है। इसके साथ ही उन लगभग 60 देशों पर भी टैरिफ लग गए, जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका पर 'सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले सबसे खराब देश' बताया था। ट्रंप ने 2 अप्रैल को जवाबी टैरिफ का एलान किया था।

नया टैरिफ लागू होने से पहले अमेरिका ने चीन पर एक बार फिर “चाबुक” चलाया है। अमेरिका ने चीनी सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ को प्रभावी करने का फैसला लिया है। व्हाइट हाउस ने ऐलान किया है कि चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है और अतिरिक्त शुल्क मंगलवार आधी रात यानी 9 अप्रैल से शुरू हो जाएंगे। यह वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच जारी ट्रेड वॉर में अब तक उठाए गए सबसे आक्रामक कदमों में से एक है। फॉक्स बिजनेस के अनुसार, व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि चीन ने अमेरिका पर अपने प्रतिशोधी टैरिफ को नहीं हटाया है। ऐसे में अमेरिका कल, 9 अप्रैल से चीनी आयात पर कुल 104% टैरिफ लगाना शुरू कर देगा।

चीन की धमकी के बाद यूएस का एक्शन

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चीन पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही थी। डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था कि अगर चीन ने अमेरिका पर लगाए गए 34% टैरिफ को वापस नहीं लिया, तो अमेरिका भी उस पर 50% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। अब व्हाइट हाउस की ओर से इस धमकी को अमलीजामा पहनाते हुए कुल 104% टैरिफ की घोषणा कर दी गई है।

बता दें कि ट्रंप ने चीन की ओर से अमेरिकी सामानों पर 34 प्रतिशत का जवाबी टैरिफ लगाने के बाद ये चेतावनी दी थी।

चीन ने कहा था- अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला रवैया

ट्रंप के बयान पर कल चीन ने कहा था कि हमारे ऊपर लगे टैरिफ को और बढ़ाने की धमकी देकर अमेरिका गलती के ऊपर गलती कर रहा है। इस धमकी से अमेरिका का ब्लैकमेलिंग करने वाला रवैया सामने आ रहा है। चीन इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। अगर अमेरिका अपने हिसाब से चलने की जिद करेगा तो चीन भी आखिर तक लड़ेगा।

रविवार को चीन ने दुनिया के लिए साफ संदेश भेजा था- ‘अगर ट्रेड वॉर हुआ, तो चीन पूरी तरह तैयार है- और इससे और मजबूत होकर निकलेगा।‘ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपल्स डेली ने रविवार को एक टिप्पणी में लिखा: 'अमेरिकी टैरिफ का असर जरूर होगा, लेकिन 'आसमान नहीं गिरेगा।'

आतंकी तहव्वुर राणा के बचने के सारे रास्ते बंद, आज भारत लाया जा सकता है मुंबई हमलों का गुनहगार!

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मुंबई हमलों का गुनहगार आतंकी तहव्वुर राणा जल्द भारत लाया जा सकता है। तहव्वुर राणा को अमेरिका से कभी भी भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है। खबर आ रही है कि राणा के प्रत्यर्पण से संबंधित सारी औपचारिकताएं अमेरिका के साथ भारतीय एजेंसियों ने पूरी कर ली है। अमेरिका की अदालत में सारे जरूरी कागजात भारतीय एजेंसी ने सौंप दिए हैं और अदालत की अनुमति भी ले ली गई है।

तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के लिए भारत की एजेंसियां अमेरिका में मौजूद हैं। सूत्रों का कहना है कि उसके प्रत्यर्पण से संबंधित सारी कागजी औपाचारिकताएं अमेरिका के साथ पूरी की जा चुकी है। भारतीय एजेंसियों ने अमेरिका की अदालत में सारे जरूरी कागजात ने सौंप दिए हैं और अदालत की अनुमति भी ले ली है। अमेरिका ने भी प्रत्यार्पण को लेकर हामी भर दी है। अब किसी भी वक्त आतंकी तहव्वुर राणा भारत लैंड कर सकता है। सूत्रों की मानें तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि तहव्वुर राणा को आज ही भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है।

डोभाल खुद कर रहे प्रत्यर्पण की निगरानी

सूत्रों का कहना है कि तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की पूरी निगरानी खुद अजीत डोभाल ही कर रहे हैं। अमेरिका से कैसे तहव्वुर राणा को भारत लाया जाएगा, क्या-क्या ऑपचारिकताएं हैं और उसे भारत की किस जेल में रखा जाएगा, भारत लाने के बाद उसके साथ क्या होगा, इन सब पर अजीत डोभाल की पूरी नजर है। वह खुद गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठकर तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण की पटकथा लिख रहे हैं। सूत्रों की मानें तो तहव्वुर राणा के भारत आने और अदालत में पेश होने के बाद एनआईए उसकी हिरासत में पूछताछ की मांग कर सकती है।

कहां रखा जाएगा तहव्वुर राणा को?

अब सवाल है कि तहव्वुर राणा भारत आएगा तो कहां रखा जाएगा? इसके लिए दो ऑप्शन हैं। पहला दिल्ली की तिहाड़ जेल और दूसरा मुंबई की आर्थर रोड जेल। इन दोनों जगहों पर तैयारी पूरी है। यहां की जेलों में सुरक्षा व्यवस्था को सख्त किया गया है।

बताया जा रहा है कि राणा को भारत में लाने के तुरंत बाद ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया जाएगा। कुछ हफ्ते एनआईए उससे हिरासत में पूछताछ करेगी।

भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ

इससे पहले पिछले महीने ही आतंकी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया था। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने भारत प्रत्यर्पण के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी। उसने दलील दी थी कि अगर उसे भारत प्रत्यर्पित कर दिया जाता है तो वहां उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा सकता है।

मुंबई हमले की रची साजिश

आरोपी तहव्वुर राणा पाकिस्तान की निवासी है। उसने 10 साल पाकिस्तान की सेना में बतौर डॉक्टर काम किया है। फिर नौकरी छोड़ने के बाद वो भारत के खिलाफ नापाक साजिशों में लग गया। अदालती दस्तावेजों के मुताबिक, 2006 से नवंबर 2008 तक आरोपी राणा ने डेविड हेडली और पाकिस्तान के अन्य लोगों के साथ मिलकर मुंबई हमलों की साजिश रची थी। उसने मुंबई हमले को अंजाम देने के लिए आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी की मदद की थी।

26/11 यानी 26 नवंबर 2008 वो तारीख जिस दिन मुंबई में एक भयानक आतंकी साजिश को अंजाम दिया गया। रात के वक्त 10 आतकंवादियों ने अलग-अलग स्थानों को घेरकर गोलीबारी शुरू कर दी थी। समुद्री रास्ते से मुंबई पहुंचे आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा के थे। यह हमले चार दिन बाद यानी 29 नवंबर को खत्म हुए थे। इस आतंकी साजिश में 166 बेकसूरों की मौत हुई थी। वहीं, हमले में 300 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे।