DGP नियुक्ति को लेकर झारखंड की सियासत गर्म, राजनीतिक पार्टियों में मचा बवाल
रांची : झारखंड में डीजीपी की नियुक्ति को लेकर सियासी तेज हो गई है। डीजीपी की नियुक्ति मामले को लेकर बाबूलाल मरांडी ने सवाल खड़ा किए हैं।नियम के विरुद्ध जाकर नियुक्ति की प्रक्रिया की गई है। उन्होंने इस मामले में हाईकोर्ट के न्यायधीश को स्वत संज्ञान लेने की बात कही है।
बता दे कि अब तक डीजीपी के चयन के लिए पहले संघ लोकसेवा आयोग को राज्य सरकार आईपीएस अधिकारियों के नामों का पैनल भेजती थी, जिसमें से तीन नामों को स्वीकृत कर यूपीएससी उसे फिर राज्य सरकार को भेजता था। उन्हीं तीन नामों से किसी एक को राज्य सरकार डीजीपी बनाती थी। पर,अब ऐसा नहीं है। नई नियमावली के मुताबिक डीजीपी का चयन हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में बनी कमेटी करती है। इसी मामले पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडे ने कहा बाबूलाल मरांडी को जानकारी का अभाव है कैबिनेट के द्वारा एक कमेटी के गठन की गई थी। उसी के माध्यम से डीजीपी की नियुक्ति की जानी है। बाबूलाल मरांडी विधानसभा चुनाव के बाद डरे और घबराए हुए हैं उसी का परिणाम है कि डीजीपी नियुक्ति मामले को लेकर इस तरह की बात कर रहे हैं। सरकार के काम को कभी असंवैधानिक बताते हैं कभी निर्णय को गलत बताते हैं।
वहीं कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा ने कहा कि नियम के अनुरूपी डीजीपी की नियुक्ति की गई है। भाजपा पहले अपनी खेमे को संभाले। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष पर सवाल उठाते हुए कहा कि हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद भी अभी तक भाजपा नेता प्रतिपक्ष का चुनाव नहीं कर पाई है।
Feb 05 2025, 17:26