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महाकुम्भ में भारतीय संस्कृति के रंग में रंगे विदेशी श्रद्धालु

महाकुम्भ नगर। बसंत पंचमी के अवसर पर विदेशी श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान करते हुए भारतीय संस्कृति के जीवंत रंगों में रंगे दिखाई दिए। वो न सिर्फ भारतीय मित्रों के साथ आध्यात्मिक गहराइयों में डूबे नजर आए, बल्कि अन्य तीर्थयात्रियों का गर्मजोशी से स्वागत करते भी दिखे। विदेशी श्रद्धालुओं ने इस विशेष अवसर पर भारतीय परंपराओं को अपनाते हुए दिव्य स्नान में भाग लिया और अपनी यात्रा को एक अद्वितीय और अविस्मरणीय अनुभव बताया।

लोग इस क्षण के लिए 144 वर्षों से प्रतीक्षा कर रहे थे

इटली से आए एक विदेशी श्रद्धालु ने कहा कि मैंने कुछ मिनट पहले पवित्र डुबकी लगाई। यह एक जीवन में मिलने वाला अनोखा अवसर जैसा महसूस हो रहा है। लोग इस क्षण के लिए 144 वर्षों से प्रतीक्षा कर रहे थे। खुद को धन्य महसूस कर रहा हूं। यह मेरे जीवन के सबसे सुंदर अनुभवों में से एक रहा। यहां के लोग हमारे प्रति बहुत ही दयालु रहे हैं।

मैंने और मेरी पत्नी ने पवित्र स्नान किया

क्रोएशिया से आए एंड्रो ने बसंत पंचमी के अवसर पर संगम में पवित्र स्नान के बाद कहा कि मैंने और मेरी पत्नी ने पवित्र स्नान किया। यह एक अद्भुत अनुभव है। वास्तव में दिव्य महाकुम्भ की अनुभूति हो रही है। यहां व्यवस्थाएं और सुविधाएं सब कुछ बहुत शानदार और उत्तम रहा।

जीवन का सबसे अनमोल दिन

ऑस्ट्रिया से आई अविगेल कहती हैं, "यह अविश्वसनीय और अद्भुत है। यह जीवन में एक बार मिलने वाला अनुभव है। मैंने भारत के लोगों को समझना शुरू किया है। इससे पहले मैंने कभी ऐसा कुछ नहीं देखा।" इटली से एक अन्य श्रद्धालु भी कहते हैं, "यह मेरे लिए इस तरह का पहला अवसर है। मैं इटली से आ रहा हूं और मैं बहुत बहुत खुश हूं। यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा अनुभव है।

महाकुम्भ : अंतिम अमृत स्नान पर नागा श्रद्धालुओं को देखने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ 2025 के अंतिम अमृत स्नान के दौरान नागा साधुओं का अद्भुत प्रदर्शन श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना। त्रिवेणी तट पर इन साधुओं की पारंपरिक और अद्वितीय गतिविधियों ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। अमृत स्नान के लिए ज्यादातर अखाड़ों का नेतृत्व कर रहे इन नागा साधुओं का अनुशासन और उनका पारंपरिक शस्त्र कौशल देखने लायक था। कभी डमरू बजाते हुए तो कभी भाले और तलवारें लहराते हुए, इन साधुओं ने युद्ध कला का अद्भुत प्रदर्शन किया। लाठियां भांजते और अठखेलियां करते हुए ये साधु अपनी परंपरा और जोश का प्रदर्शन कर रहे थे।

घोड़ों पर और पैदल निकली शोभा यात्रा

बसंत पंचमी के अमृत स्नान के लिए निकली अखाड़ों की शोभा यात्रा में कुछ नागा साधु घोड़ों पर सवार थे तो कुछ पैदल चलते हुए अपनी विशिष्ट वेशभूषा और आभूषणों से सजे हुए थे। जटाओं में फूल, फूलों की मालाएं और त्रिशूल हवा में लहराते हुए उन्होंने महाकुम्भ की पवित्रता को और भी बढ़ा दिया। स्व-अनुशासन में रहने वाले इन साधुओं को कोई रोक नहीं सकता था, लेकिन वो अपने अखाड़ों के शीर्ष पदाधिकारियों के आदेशों का पालन करते हुए आगे बढ़े। नगाड़ों की गूंज के बीच उनके जोश ने इस अवसर को और भी खास बना दिया। त्रिशूल और डमरू के साथ उनके प्रदर्शन ने यह संदेश दिया कि महाकुम्भ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि प्रकृति और मनुष्य के मिलन का उत्सव है।

नृत्य, नगाड़े और उत्साह

शोभायात्रा के दौरान मीडिया ही नहीं, बल्कि आम श्रद्धालुओं के मोबाइल के कैमरे भी नागा साधुओं को कैप्चर करने के लिए हवा में लहरा रहे थे। नागा भी किसी को निराश नहीं कर रहे थे, बल्कि वो अपने हाव भाव से उन्हें आमंत्रित कर रहे थे। कुछ नागा तो आंखों में काला चश्मा लगाकर आम लोगों से इंटरैक्ट भी कर पा रहे थे। उनकी इस स्टाइल को हर कोई कैद कर लेना चाहता था।

स्नान के दौरान भी मस्ती

यही नहीं, नागा साधु नगाड़ों की ताल पर नृत्य करते हुए अपनी परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी जोश और उत्साह से भरपूर गतिविधियों ने श्रद्धालुओं के बीच अपार उत्साह पैदा किया। जितने उत्साहित नागा साधु थे, उतने ही श्रद्धालु भी उनकी हर गतिविधि को देख मंत्रमुग्ध हो गए।स्नान के दौरान भी नागा साधुओं का अंदाज निराला था। त्रिवेणी संगम में उन्होंने पूरे जोश के साथ प्रवेश किया और पवित्र जल के साथ अठखेलियां कीं। इस दौरान सभी नागा आपस में मस्ती करते नजर आए।

महिला नागा संन्यासी भी बड़ी संख्या में जुटीं

पुरुष नागा साधुओं के साथ ही महिला नागा संन्यासियों की भी बड़ी संख्या में मौजूदगी रही। पुरुष नागाओं की तरह ही महिला नागा संन्यासी भी उसी ढंग से तप और योग में लीन रहती हैं। फर्क सिर्फ इतना होता है कि ये गेरुआ वस्त्र धारत करती हैं उसमें भी ये बिना सिलाया वस्त्र धारण करती हैं। उन्हें भी परिवार से अलग होना पड़ता है। खुद के साथ परिवार के लोगों का पिंड दान करना होता है तब जाकर महिला नागा संन्यासी बन पाती हैं। जब एक बार महिला नागा संन्यासी बन जाती हैं तो उनका लक्ष्य धर्म की रक्षा, सनातन की रक्षा करना होता है। इस महाकुम्भ में हर कोई इनके बारे में जानने को उत्सुक नजर आ रहा है।

मनुष्य के आत्मिक और प्राकृतिक मिलन का उत्सव

नागा साधुओं ने अपने व्यवहार और प्रदर्शन से यह संदेश दिया कि महाकुम्भ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मनुष्य के आत्मिक और प्राकृतिक मिलन का उत्सव है। उनकी हर गतिविधि में महाकुम्भ की पवित्रता और उल्लास का अद्वितीय अनुभव झलक रहा था। महाकुम्भ 2025 का यह आयोजन नागा साधुओं की विशिष्ट गतिविधियों और उनकी परंपराओं के कारण लंबे समय तक याद रखा जाएगा।

अखाड़ों का अमृत स्नान, संतों व श्रद्धालुओं पर हेलीकाप्टर से पुष्पवर्षा

महाकुम्भ में बसंत पंचमी के अवसर पर अखाड़ों के साधु-संत क्रम से अमृत स्नान कर रहे हैं। अखाड़ों का स्नान संपन्न हो गया। अमृत स्नान कर रहे संतों व श्रद्धालुओं पर हेलीकाप्टर से पुष्प वर्षा की गयी।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रातः साढ़े तीन बजे से अपने सरकारी आवास स्थित वॉर रूम में डीजीपी, प्रमुख सचिव गृह एवं मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों के साथ बसंत पंचमी के अमृत स्नान का लगातार अपडेट ले रहे एवं आवश्यक निर्देश दे रहे हैं।

निरंजनी अखाड़े का अमृत स्नान हो चुका

श्रीपंयाचती अखाड़ा महानिर्वाणी व श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा और निरंजनी अखाड़े का अमृत स्नान हो चुका है। सबसे बड़ा अखाड़ा श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा,आह्वान अखाड़ा और श्री पंच अग्नि अखाड़े का स्नान चल रहा है। इसके बाद तीनों वैरागी अखाड़ों का स्नान होगा।

परम्परा का हिस्सा है, सबसे पहले नागा साधुओं का स्नान करना

महाकुम्भ का को 22वां दिन है। बसंत पंचमी पर तीसरा अमृत स्नान जारी है। इस दौरान 13 अखाड़ों के साधु त्रिवेणी संगम में आस्था की पवित्र डुबकी लगाएंगे। इसके बाद आमजन स्नान कर सकेंगे। महाकुम्भ मेले का मुख्य आकर्षण अमृत स्नान (शाही स्नान) को ही माना जाता है। इसमें सबसे पहले स्नान का अवसर नागा साधुओं को दिया जाता है, ये परम्परा प्राचीन काल से जारी है। नागा का स्नान धर्म और आध्यत्मिक ऊर्जा की केंद्र माना जाता है। इसके पीछे कई अलग-अलग मान्यताएं हैं। साथ ही 265 साल पुराना एक किस्सा भी है।

‘कुंभ में पहले स्नान करने को लेकर हमेशा से विवाद होते रहे

यदुनाथ सरकार अपनी किताब ‘द हिस्ट्री ऑफ दशनामी नागा संन्यासीज’ में लिखते हैं- ‘कुंभ में पहले स्नान करने को लेकर हमेशा से विवाद होते रहे हैं। नागा साधुओं और वैरागी साधुओं के बीच खूनी जंग हुई है। 1760 के हरिद्वार कुंभ के दौरान पहले स्नान को लेकर नागा और वैरागी आपस में लड़ गए। दोनों ओर से तलवारें निकल आईं। सैकड़ों वैरागी संत मारे गए।

1789 के नासिक कुंभ में भी फिर वैरागियों का खून बहा

1789 के नासिक कुंभ में भी फिर यही स्थिति बनी और वैरागियों का खून बहा. इस खूनखराबे से परेशान होकर वैरागियों के चित्रकूट खाकी अखाड़े के महंत बाबा रामदास ने पुणे के पेशवा दरबार में शिकायत की। 1801 में पेशवा कोर्ट ने नासिक कुंभ में नागा और वैरागियों के लिए अलग-अलग घाटों की व्यवस्था करने का आदेश दिया। नागाओं को त्र्यंबक में कुशावर्त-कुंड और वैष्णवों को नासिक में रामघाट दिया गया। उज्जैन कुंभ में वैरागियों को शिप्रा तट पर रामघाट और नागाओं को दत्तघाट दिया गया।

अंग्रेजों के शासन के बाद निकला हल

इसके बाद भी हरिद्वार और प्रयाग में पहले स्नान को लेकर विवाद जारी रहा. कुंभ पर अंग्रेजों के शासन के बाद तय किया गया कि पहले शैव नागा साधु स्नान करेंगे, उसके बाद वैरागी स्नान करेंगे। इतना ही नहीं, शैव अखाड़े आपस में ना लड़ें, इसलिए अखाड़ों की सीक्वेंसिंग भी तय की गई। तब से लेकर आज तक यही परंपरा चल रही है।

क्यों करते हैं पहले नागा स्नान?

वहीं, धार्मिक मान्यताओं की मानें तो जब देवता और असुर समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश की रक्षा के लिए एक-दूसरे से संघर्ष कर रहे थे, तो अमृत की 4 बूंदे कुंभ के 4 जगहों (प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नाशिक) पर गिर गई। इसके बाद यहां महाकुंभ मेले की शुरुआत की गई। नागा साधु भोले बाबा के अनुयायी माने जाते हैं और वह भोले शंकर की तपस्या और साधना की वजह से इस स्नान को नागा साधु सबसे पहले करने के अधिकारी माने गए। तभी से यह परंपरा चली आ रही कि अमृत स्नान पर सबसे पहला हक नागा साधुओं का ही रहता है। नागा का स्नान धर्म और आध्यत्मिक ऊर्जा की केंद्र माना जाता है।

एक अलग मान्यता के मुताबिक

एक अलग मान्यता के मुताबिक, ऐसा भी कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने जब धर्म की रक्षा के लिए नागा साधुओं की टोली बनाई, तो अन्य संतों ने आगे आकर धर्म की रक्षा करने वाले नागा साधुओं को पहले स्नान करने को आमंत्रित किया। चूंकि नागा भोले शंकर के उपासक है, इस कारण भी इन्हें पहले हक दिया गया। तब से यह परंपरा निरंतर चली आ रही है।

इस अखाड़े ने किया पहला स्नान

वर्षों से चली आ रही परम्परा को इस बार भी दोहराया गया है, अखाड़ों में भी पहले अखाड़ा महानिर्वाणी एवं शम्भू पंचायती अटल अखाड़ा को स्नान का पहला अवसर मिला है। ऐसे में आज सुबह 4.45 बजे पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने अमृत स्नान (शाही स्नान) कर लिया है। इसके पीछे अब निरंजनी अखाड़ा, आनन्द अखाड़ा, जूना अखाड़ा, दशनाम आवाहन अखाड़ा और पंचाग्नि अखाड़ा, पंच निर्मोही, पंच दिगंबर, पंच निर्वाणी, अनी अखाड़ा, नया उदासीन अखाड़ा बड़ा उदासीन व अन्य अखाड़े अमृत स्नान कर रहे हैं।

सत्यपथ की सीढ़ी पर बढ़ते पग एवं न्यायपथ से अलंकृत हृदय ही मनुष्य की वास्तविक शोभा है : राजेश तिवारी

 विश्वनाथ प्रतापसिंह 

प्रयागराज । सत्यपथ की सीढ़ी पर बढ़ते पग एवं न्यायपथ से अलंकृत हृदय ही मनुष्य की वास्तविक शोभा है यह अभिव्यक्ति एशोसिएशन बोरिंग टेक्नीशियन प्रयागराज के जिला मंत्री राजेश तिवारी ने अपने अत्यन्त प्रिय मित्र समाजसेवी गुड्डू अंसारी तड़िया कुशहा जिगना मिजार्पुर से रोशन टेन्ट हाऊस के प्रोपराइटर अतहर अली के निज निवास रामनगर मेजा प्रयागराज में कही।

गौरतलब हो जिला मंत्री एवं समाजसेवी गुड्डू अंसारी के बीच बहुत ही पुराने घनिष्ठतम पारिवारिक सम्बन्ध हैं और समाजसेवी गुड्डू अंसारी जिला मंत्री से मिलने हेतु उनके निज निवास बकचून्दा मेजा प्रयागराज पधारे हुए थे और जिला मंत्री अपने अनन्य मित्र समाजसेवी आफताब अली एवं रोशन टेन्ट हाऊस प्रोपराइटर समाजसेवी अतहर अली से मिलाने हेतु रामनगर मेजा प्रयागराज पधारे हुए थे।आपसी सौहार्दपूर्ण साहित्यिक परिचय के दौरान जिला मंत्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि सत्यपथ की सीढ़ी पर बढ़ते पग एवं न्यायपथ से अलंकृत हृदय ही मनुष्य की वास्तविक शोभा है क्योंकि ईश्वर द्वारा मानव तन मनुष्य को इसलिए प्राप्त हुआ है कि वह इस संसार के वास्तविक सच्चाई को जान व समझ सके।इस संसार में सत्य एवं न्याय वह मार्ग है जो संसार के सभी मार्गों से श्रेष्ठ है और इस मार्ग के पथिक को कोई कितना भी चाह ले पर उसे कभी हरा नही सकता क्योंकि सत्य ही ईश्वर है और न्याय ही उनका निवास स्थल है अर्थात सत्य एवं न्याय पथिक के साथ हरपल एवं हरसमय ईश्वर साथ रहता है।

जिला मंत्री ने आगे अपने व्यक्तव्य में यह भी कहा कि जीवन की राह सदैव सत्य एवं न्याय पथ से होकर गुजारनी चाहिए,मानव का हृदय सदैव दया,प्रेम,परोपकार एवं सहानुभूति की अविरल धारा से सवरनी चाहिए। इस अवसर पर उपस्थित समाजसेवी आफताब अली ने कहा कि जिला मंत्री द्वारा मानव जीवन के वास्तविक चरित्रता का वर्णन बहुत ही सुंदर एवं सार्वभौमिक सत्यता के साथ वर्णित किया गया है।वास्तव में मनुष्य को सत्य एवं न्याय पथ पर चलते हुए दया,प्रेम,परोपकार एवं सहानुभूति से अपने हृदय को अलंकृत करते हुए मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। इस साहित्यिक एवं आध्यात्मिक परिचर्चा के दौरान जिला मंत्री के साथ समाजसेवी गुड्डू अंसारी,समाजसेवी अशोक ओझा,आचार्य प्रकाशानन्द महराज,समाजसेवी आफताब अली एवं रोशन टेन्ट हाऊस प्रोपराइटर समाजसेवी अतहर अली सहित आस पास बहुत से लोग मौजूद रहे।

महाकुंभ: क्या बंद होगा प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन? प्रयागराज DM की इस चिट्ठी से लगे कयास

विश्वनाथ प्रतापसिंह

प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर इतनी भीड़ उमड़ी की प्रशासन के लिए संभालना मुश्किल हो गया. भीड़ की वजह से संगम नोज पर भगदड़ तक मच गई जिसमें 30 लोगों की जान चली गई है. कुंभ में आ रही भीड़ को देखते हुए प्रयागराज के डीएम ने उत्तर रेलवे को एक पत्र लिखा है जिसमें प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन को बंद करने की मांग की गई है।

डीएम ने कहा कि जिस तरह से तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ रही है उसे देखते हुए संगम स्टेशन से आवागमन बंद होना जरूरी है. प्रयागराज के जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ ने इस संबंध में उत्तर रेलवे मंडल के रेल प्रबंधक लखनऊ को पत्र लिखा जिसमें कहा गया है कि प्रयागराज जिले में चल रहे महाकुंभ 2025 में अत्यधिक संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन जनपद में हो रहा है. जिसे देखते हुए उनके सुगम, सुरक्षित एवं सुव्यवस्थित आवागमन हेतु दिन 1 फरवरी 2025 को प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन से यात्रियों के आवागमन का बंद किया जाना आवश्यक ह।

जिलाधिकारी ने अनुरोध किया कि जनपद में बढ़ती भीड़ को देखते हुए एक फरवरी को प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन को यात्रियों के आवागमन के लिए बंद कराने लिए जरूरी कार्रवाई की जाए. इस संबंध में चिट्ठी की कॉपी रेलवे के तमाम संबंधित विभागों में भेज दी गई है. बता दें कि संगम नगरी में महाकुंभ के चलते भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. इनमें से ज़्यादातर श्रद्धालु रेल के ज़रिए प्रयागराज नगरी पहुँच रहे हैं वहीं मौनी अमावस्या पर भगदड़ के बाद बड़ी संख्या में आसपास के कई जिलों में तीर्थयात्रियों को होल्डिंग एरिया में रखना पड़ा था. मेला प्रशासन अब भीड़ को नियंत्रित करते हुए महाकुंभ का संचालन कर रहे हैं. वहीं भीड़ को नियंत्रित करने कि लिए श्रद्धालुओं के डायवर्जन से लेकर तमाम तरीके अपनाए जा रहे हैं. वहीं बसंत पंचमी को लेकर भी प्रशासन पहले से अलर्ट है.

अल्पसंख्यक विद्यालय व मुस्लिम तन्जीमों ने स्नानार्थियों के लिए खोले दिल के द्वार

गुफरान खान

प्रयागराज। कुम्भ मेले के दौरान भगदड़ के बाद शहर यातायात व्यवस्था व प्रशासन असहाय हो गया और स्नानार्थियों खुले में एक सड़क से दुसरी सड़क नापते नापते थक गए और कहीं आश्रय नहीं मिला तो मस्जिद इमामबाड़े और अल्पसंख्यक विद्यालय के द्वारा लोगों के खोल दिए गए।चौक कोतवाली की जामा मस्जिद अल्पसंख्यक विद्यालय यादगारे हुसैनी इन्टर कॉलेज का गेट प्रबन्धक गौहर काजमी ने अपनी स्वेच्छा से खोल दिया।लगभग पांच सौ श्रद्धालुओं के लिए रानी मन्डी मोहल्ले के लोग भी अपने घरों से चादर कम्बल लेकर श्रद्धालुओं की सेवा में लग गए ।

वहीं कोई घर से चाय बना कर तो कोई बिस्किट आदि लेकर आवभगत में लगा रहा वहीं कालेज प्रबन्धक गौहर काजमी, शिक्षक रजा अब्बास जैदी समेत अन्य स्टाफ भी तीन दिनों से यादगारे हुसैनी इन्टर कालेज में शरण लिए श्रद्धालुओं के भोजन पानी के साथ अन्य व्यवस्थाओं को लगे रहे।वहीं मुस्लिम तन्जीमों में शिया सुन्नी इत्तेहाद कमेटी के एडवोकेट किताब अली ,काशान सिद्दीकी ,सैय्यद मोहम्मद अस्करी,हसनी हुसैनी फाउण्डेशन के सद्र वजीर खान ,सपा नेता व समाजसेवी तारिक खान , पूर्व पार्षद निजाम उद्दीन ,हाजी ओवैसी हसन ,फुरकान हसन , अन्जुमन गुन्चा ए कासिमिया के सेक्रेटरी मिर्ज़ा अजादार हुसैन आदि ने स्नानार्थियों के अकाल मौत पर शोक जताया वहीं बाद नमाज ए जुमा शोक सभा कर मृत आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना भी की।

समाजसेवी सैय्यद मोहम्मद अस्करी ने कहा जिस समुदाय को मेले में जाने रोके जाने की बात अब तक सुर्खियों में थी आज वहीं समुदाय ने भारतीयता और गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल पेश कि चाहे कांग्रेस के नेता हसीब अहमद हों ,इरशाद उल्ला हों या एम आई एम के नेता अफसर महमूद सपा नेता महबूब उस्मानी या अन्य मुस्लिम तन्जीमों के सदस्य सभी एकता की मिसाल बन कर सामने आए और बिना भेद भाव सभी के लिए खाने पीने कम्बल चादर और चाय बिस्किट का तोहफा भेंट कर अपने आप को सच्चा और देश भक्त मुस्लिम साबित करने में हर कदम तत्पर देखे गए।

*समाधान दिवस पर बाबा साहब की फोटो फेंकने वाले पर कार्रवाई और पुलिसिया दमन के खिलाफ सौंपा ज्ञापन*

विश्वनाथ प्रताप सिंह

प्रयागराज- कोरांव तहसील में समाधान दिवस पर पसना गांव की दलित समाज की सोनकर जाति के ऊपर थाना प्रभारी के द्वारा किया बर्बरतापूर्ण कार्यवाही पर और लेडियारी में राम चरण इंटर कॉलेज के प्रबंधक के द्वारा बाबा साहब की प्रतिमा को फेंकने व अपमानित करने वाले मामले में समाधान दिवस पर उपजिलाधि को ज्ञापन सौंपा गया।

ज्ञापन सौंपते हुए दिनेश चौधरी ने कहा कि एक महिला को जिस तरह से थाना प्रभारी के द्वारा बर्बर दमन कर पीता गया वह निंदनीय है हम मांग करते हैं कि तत्काल थाना प्रभारी को बर्खास्त कर उनके खिलाफ महिला उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज किया जाए,और लेडियारी में बाबा साहब का अपमान करने वाले शिवशंकर केशरवानि के खिलाफ दर्ज मुकदमा दर्ज किया जाए नहीं हम हम सभी अंबेडकरवादी उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे।

ज्ञापन देने वालो में मुख्य रूप से विनय सोनकर,अमित जैसल,अखिलेश कुशवाहा,विनय चौधरी,राम मूरत आदिवासी,एड प्रकाश वर्मा,पवन सोनकर और राहुल जैसल आदि लोग उपस्थित रहे

*भू माफिया व लखनपुर के पूर्व प्रधान के शासनकाल में सरकारी नाले भी नहीं रहे सुरक्षित, खड़ा हुआ सरकारी आवास*

विश्वनाथप्रताप सिंह

प्रयागराज- शंकरगढ़ विकासखंड के निराला नगर से निकलने वाले सरकारी नाले का पूर्व प्रधान और उसके दबंग गुंडों ने नामोनिशान खत्म कर दिया है। हल्का लेखपाल विश्व प्रकाश की मिली भगत से लखनपुर मौजा में अवैध कब्जे का कारोबार फल फूल रहा है।

जल्द ही स्थानीय ग्रामीण जिला अधिकारी से मिलकर पूर्व प्रधान लखनपुर की शिकायत करेंगे। लगातार शिकायत होने के बाद भी पूर्व प्रधान पर अंकुश नहीं लग पा रहा। लगातार सरकारी जमीनों पर कब्जा हो रहा है।

*महाकुंभ भगदड़ मामले के बाद पहली बार प्रयागराज पहुंचेंगे सीएम योगी*

विश्वनाथ प्रतापसिंह

प्रयागराज- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को प्रयागराज का दौरा किया। महाकुंभ में मची भगदड़ के बाद उनकी पहली यात्रा है। इस दौरान सीएम योगी उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का स्वागत किया और उनके साथ महाकुंभ से जुड़े कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। इसके बाद मुख्यमंत्री सेक्टर-21 में सतुआ बाबा आश्रम और सेक्टर-5 में भारत सेवा श्रम शिविर का दौरा किया। वह मेला सर्किट हाउस में विभिन्न देशों के मिशन प्रमुखों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात करेंगे।

इससे पहले सप्ताह की शुरुआत में मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ मेले में मची भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई थी.बुधवार को मौनी अमावस्या स्नान के दौरान हुई भगदड़ की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग ने प्रयागराज के स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल का दौरा किया। इस घटना में 30 लोगों की मौत हो गई थी और 60 अन्य घायल हुए थे. आयोग को इस त्रासदी के कारणों और परिस्थितियों की जांच करने और एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का जिम्मा सौंपा गया है.न्यायिक आयोग ने शुक्रवार को स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल का दौरा किया, जहां भगदड़ में घायल कई लोगों को भर्ती कराया गया था।

बुधवार तड़के संगम क्षेत्र में हुई इस दर्दनाक घटना में 30 लोगों की मौत हो गई और 60 अन्य घायल हो गए थे.इस संबंध में जारी अधिसूचना के अनुसार, आयोग को भगदड़ के कारणों और परिस्थितियों की जांच करने तथा भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सिफारिशें देने का काम सौंपा गया है। जांच रिपोर्ट आयोग के गठन के एक महीने के भीतर जमा करनी होगी.इस बीच, प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में शनिवार को 54.2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम में स्नान किया। इनमें से 10 लाख से अधिक कल्पवासी और 44.2 लाख से अधिक तीर्थ यात्रियों ने आज त्रिवेणी जल में आस्था की डुबकी लगाई। 31 जनवरी तक, इस आयोजन की शुरुआत से अब तक 31.46 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पवित्र संगम में स्नान कर चुके हैं। 13 जनवरी को शुरू हुआ महाकुंभ 26 फरवरी तक जारी रहेगा।

*उपराष्ट्रपति ने त्रिवेणी संगम में लगाई पावन डुबकी, कहाः धन्य हुआ जीवन*

विश्वनाथ प्रताप सिंह

प्रयागराज- भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को त्रिवेणी संगम में स्नान किया और इस घटना को जीवन धन्य करने वाला अवसर बताया। उपराष्ट्रपति धनखड़ तीर्थराज प्रयागराज पत्नी व परिवार समेत हेलिकॉप्टर से पहुंचे जहां हेलिपैड पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने उनका अंगवस्त्र ओढ़ाकर स्वागत किया। यहां से वह अरैल संगम घाट की ओर बढ़े जहां क्रूज पर सवार होकर उन्होंने नौकायन का आनंद लिया और त्रिवेणी संगम में चिह्नित स्थान पर स्नान किया। इस दौरान स्वस्ति वाचन की गूंज के मध्य धनखड़ ने सिर पर शिवलिंग रखकर आस्था की पवित्र डुबकी लगाई। इस दौरान वृंदावन के मुख्य पुजारी पुंडरीक गोस्वामी ने पूजन-अर्चन किया।

साइबेरियन पक्षियों को देखकर हुए उत्साहित

इससे पूर्व नौकायन के दौरान साइबेरियन पक्षियों को देखकर वह उत्साहित हो उठे। उन्होंने कलरव करते पक्षियों को अपने हाथ से दाना डाला और परिजनों समेत इस आनंदित करने वाले क्षण का आनंद लिया। नौकायन के दौरान उन्होंने त्रिवेणी संगम के महात्म के बारे में सीएम योगी से जाना। धवल वर्णा गंगा और श्यामल वर्णा यमुना समेत अदृश्य सरस्वति के महाप्रयाग को महाकुम्भ की पुण्य वेला में दर्शन करके, उसमें स्नान कर जनकल्याण का संकल्प लेकर उपराष्ट्रपति प्रफुल्लित दिखे। उन्होंने इस अवसर को जीवन धन्य करने वाला क्षण बताया। त्रिवेणी संगम में स्नान के पूर्व संगम नोज व आस-पास के घाटों पर स्नान कर रहे स्नानार्थियों का अभिवादन किया। स्नान के बाद उन्होंने तीर्थराज प्रयाग की जय और नमः पार्वति पतये हर-हर महादेव का जयकारा उद्घोषित किया।

सरस्वती कूप, अक्षय वट व बड़े हनुमान मंदिर का किया दर्शन

त्रिवेणी संगम पर स्नान के बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पत्नी व परिवार समेत सरस्वती कूप, अक्षय वट व बड़े हनुमान मंदिर में बाकायदा विधिवत पूजन-अर्चन किया। यहां उन्होंने महाबली हनुमान को रोली, वस्त्र, जनेऊ, सिंदूर, लाल चंदन, माला, धूप-दीप, नैवेद्य अर्पित किया और परिक्रमा भी की। धनखड़ ने इन सभी स्थानों पर पूजन-अर्चन के साथ ही योगी आदित्यनाथ ने इन स्थानों का महात्म भी जाना।

योगी सरकार की तैयारियों को बताया सुखद

महाकुम्भ में योगी सरकार की तैयारियों को धनखड़ ने सुखद अनुभव करार दिया। उन्होंने कहा कि मैने अपने जीवन में इतना भव्य-दिव्य और सुव्यवस्थित तरीके से आयोजित हो रहा महासमागम नहीं देखा है, यहां आकर जीवन धन्य हो गया। इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ, औद्योगिक विकास मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी समेत उत्तर प्रदेश सरकार के विभिन्न मंत्री व शासन के आला पदाधिकारी मौजूद रहे।

*महाकुंभ में दिल्ली विधानसभा चुनाव में मतदान जरूर करने का संदेश, वोट प्रतिशत बढ़ाने में प्रयासरत सरदार पतविंदर सिंह*

विश्वनाथप्रताप सिंह

प्रयागराज- भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा काशी क्षेत्र, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने अरैल संगम घाट तट पर श्रद्धालुओं के मध्य विचरण करते हुए कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं उन चुनाव में मतदाता मतदान करके लोकतंत्र के उत्सव में सम्मिलित होकर लोकतंत्र को मजबूत करें और एक मजबूत स्थिर सरकार बनाएं।

क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने मतदाता जागरूकता अभियान चलाते हुए मतदाताओं को जागरूक करने की कोई कोर कसर नहीं छोडे रहे है। देश के विभिन्न कोने से आए हुए श्रद्धालुओं के मध्य भ्रमण कर मतदाताओं को जगाने हुए कहा कि मतदान अवश्य करें,लोकतंत्र मजबूत करें एक कदम-मतदान की ओर बस एक ही उद्देश्य है कि मतदाता-मतदान प्रतिशत बढ़ जाए,मतदान के गर्भ से ही सरकार का जन्म होता है मतदान के प्रतिशत में लगातार बढ़ोतरी जरूर करेंगेl देश के लोकतंत्र के गर्भ(मतदान) मे सबको भागीदारी लेनी जरूरी हैl