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मुम्बई में बाबा सिद्दकी की हत्या पर बिहार की सियासत गरम, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी ने एनडीए पर साधा निशाना

डेस्क : बीती रात एनसीपी के नेता और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की हत्या अपराधियों ने बांद्रा में कर दी। बांद्रा के खेर वाड़ी सिग्नल के पास उनके बेटे जीशान सिद्दीकी के दफ्तर के बाहर ही गोली मार कर बाबा सिद्दीकी की हत्या कर दी गई। वहीं इस घटना के बाद देश की सियासत गरमाई हुई है। तेजस्वी भी इस घटना को लेकर एनडीए सरकार पर जमकर निशाना साधा हैं।

तेजस्वी यादव ने पहले ट्विट कर एनडीए सरकार पर हमला बोला था। तेजस्वी ने कहा था कि, "महाराष्ट्र के वरीय नेता बाबा सिद्दक़ी की हत्या का समाचार बेहद दुखद है। परवरदिग़ार से इल्तिजा है कि मरहूम को जन्नत में आला मक़ाम दें और परिजनों को सब्र और हिम्मत। महाराष्ट्र में NDA शासन में लगातार हो रही ऐसी आपराधिक घटनाओं को क्या नाम देंगे"?

वहीं आज दिल्ली जाने से पहले पटना एयरपोर्ट पर तेजस्वी यादव ने बाबा सिद्दीकी की हत्या पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आश्चर्य की बात है कि मुंबई के बांद्रा जैसे जगह में यह हत्या हो गई। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन को पूरे मामला को गंभीरता से देखना चाहिए।

उन्होंने कहा कि बाबा सिद्दीकी हमारे जिला गोपालगंज के रहने वाले हैं और बिहार के निवासी है। कुछ दिन पहले ही हमारी उनसे बातचीत हुई थी। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से बाबा सिद्दीकी की हत्या हुई है उसे लग रहा है कि कोई भी सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा कि आज सरकार को लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति को सुधारना चाहिए।

बड़ी खबर : प्लास्टिक फैक्ट्री में लगी भीषण आग, तकरीबन 1 करोड़ से अधिक रुपये की संपत्ति के नुकसान की जताई जा रही आशंका

डेस्क : बिहार के बेगूसराय जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां आज अहले सुबह प्लास्टिक फैक्ट्री में भीषण आगलगी की घटना में तकरीबन 1 करोड़ रुपये से अधिक के संपत्ति के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। घटना जिले के रिफाइनरी थाना क्षेत्र के मोसादपुर औद्योगिक क्षेत्र की है। आगलगी का कारण बिजली की शार्ट सर्किट बताया जा रहा है।

बताया जा रहा है कि आज जैसे ही लोगों की आंख खुली और लोग बाहर निकले तो देखा कि मोसादपुर देवना स्थित बियाडा के द्वारा संचालित एक निजी प्लास्टिक के फैक्ट्री में आग लगी हुई थी। जिसके बाद स्थानीय लोगों ने अग्निशमन विभाग को इसकी सूचना दी ।

जबतक अग्निशमन विभाग वहां पहुंचकर आग पर काबू पाती तब तक धू धू कर पूरी फैक्ट्री जल चुकी थी। उक्त फैक्ट्री में प्लास्टिक के बोतल, ढक्कन, आर ओ प्लांट में उपयोग होने वाले प्लास्टिक के बर्तन सहित कई प्लास्टिक की सामग्री बनाई जाती थी।

काफी मशक्कत के बाद अग्नि समन विभाग ने आग पर काबू पाया। गनीमत रही की आसपास के अन्य औद्योगिक प्रतिष्ठान में आग नहीं लगी अगर समय रहते आग पर काबू नहीं पाया जाता तो काफी बड़ी क्षति हो सकती थी। फिलहाल अग्निशमन विभाग के द्वारा आग पर पूरी तरह काबू पा लिया गया है।

NCP के वरिष्ठ नेता बाबा सिद्दकी की हत्या पर नेता प्रतिपक्ष समेत बिहार के कई नेताओं ने जताया गहरा दुख

डेस्क : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की बीते शनिवार की रात मुंबई के बांद्रा ईस्ट इलाके में तीन लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी। महाराष्ट्र की राजनीति में उनका एक बड़ा राजनीतक कद रहा है। मूल रुप से बाबा सिद्दीकी बिहार के निवासी थे। उनका जन्म 1956 में पटना में हुआ था। गोपालगंज उनका पुश्तैनी घर है। बिहार के मूल निवासी होने के वाबजूद बाबा सिद्दीकी ने मुंबई को अपना कर्म क्षेत्र बनाया और महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई।

इधर बाबा सिद्दीकी की हत्या पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने उनकी हत्या पर गहरा शोक प्रकट किया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया के पोस्ट में लिखा है “महाराष्ट्र के वरीय नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या का समाचार बेहद दुखद है। परवरदिगार से इल्तिजा है कि मरहूम को जन्नत में आला मकाम दें और परिजनों को सब्र और हिम्मत। महाराष्ट्र में एनडीए शासन में लगातार हो रही ऐसी आपराधिक घटनाओं को क्या नाम देंगे?”

इधर, पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन ने कहा कि बाबा सिद्दीकी की हत्या बहुत दुखद है। दो आरोपियों को पकड़ लिया गया है, एक फरार है। शिवसेना-बीजेपी के राज में कोई भी हत्या करके बच नहीं सकता है। अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा।

वहीं बाबा सिद्दीकी की हत्या पर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने एक्स पर लिखा, “बिहार से ताल्लुक रखने वाले एनसीपी के बड़े लीडरान में शामिल बाबा सिद्दीकी साहब के कत्ल की खबर बेहद गमजदा कर देने वाली है। वह एक जिन्दादिल इंसान थे। पाक परवरदिगार से दरखास्त है कि उन्हें जन्नत-उल-फिरदौस में उंचा मुकाम दें और उनके चाहने वालों को सब्र अता करें।”

जेल में बंद पति से मिलने नहीं गई पत्नी, तो जमानत पर बाहर आते ही बीवी को पीट-पीटकर मार डाला

डेस्क: भोजपुर जिले के बड़हरा थाना क्षेत्र के रामशहर के छितनी के टोला गांव में शुक्रवार की देर रात जेल से जमानत पर छूटकर आए नशेड़ी पति ने अपनी पत्नी की लोहे के राड और लाठी-डंडे से पीटकर हत्या कर दी।

मृतका 34 वर्षीय कविता देवी बड़हरा थाना क्षेत्र छितनी टोला निवासी भोला लाल की पत्नी थी । वह महिला समूह में काम करती थी।शनिवार की सुबह शव का पोस्टमार्टम सदर अस्पताल, आरा में कराया गया।

मृतक के सिर समेत शरीर के अन्य भाग में जख्म के निशान पाए गए हैं। पुलिस ने आरोपित पति को गिरफ्तार कर लिया है। घटना के पीछे पत्नी द्वारा जेल जाकर मुलाकात नहीं किए जाने को लेकर उपजे विवाद की बात सामने आ रही है।

पहले भी पत्नी के साथ मारपीट करने में गया था जेल

इधर ,बड़हरा थाना क्षेत्र के गुलाब छपरा गांव निवासी मृतका के पिता बलिराम लाल ने बताया कि उन्होंने अपनी पुत्री कविता की शादी वर्ष 2013 के अप्रैल महीने में राम शहर छितनी के बाग गांव निवासी भोला लाल से की थी।

पहले वह कपड़े का फेरी करता था। लेकिन ,शादी के कुछ दिन बाद से ही उसे नशे की लत लग गई। जिसके कारण उसने फेरी करना छोड़ दिया। इसके बाद उनकी बेटी महिला समूह में काम कर अपने दोनों बच्चों का पालन-पोषण और घर का खर्च चलाती थी।

छह माह पूर्व उसने भोला लाल जिद करने पर उसे सेकंड हैंड ऑटो खरीद कर दिया था, पर उसने वह भी नहीं चलाया। 10 सितंबर को उसके नशेड़ी पति भोला लाल ने दांत शरीर उसके शरीर को कई जगह पर काट लिया था। जिससे वह गंभीर रूप से जख्मी हो गई थी।

इसके बाद उसने पति को पुलिस के हवाले कर दिया था। पुलिस ने 11 सितंबर को पत्नी के साथ मारपीट के मामले में उसे जेल भेज दिया था। उसी समय से उनकी बेटी मायके में ही रह रही थी।

इस बीच 10 अक्टूबर को आरोपित पति मैला जेल से बाहर आया और अपनी पत्नी कविता देवी से यह बोलकर लड़ने लगा कि जेल में मुझसे मिलने क्यों नहीं आई। इसके बाद वह उसे बहला-फुसला कर वापस ससुराल ले गया। वहां ले जाने के बाद शुक्रवार की रात लाठी-डंडे एवं लोहे के राड से पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी।

सूचना पर स्वजन तत्काल वहां पहुंच गए। इसके बेटे ने बताया कि पापा ने मम्मी को लाठी-डंडे एवं लोहे के राड से मारकर उन्हें मार डाला है। इसके बाद स्वजन द्वारा इसकी सूचना स्थानीय थाना को दी गई।

मृतका के पिता बलिराम लाल ने उसके पति भोला लाल पर नशा करने के लिए पैसे की मांग करने व जेल में मिलने नहीं जाने के कारण अपनी बेटी की लाठी-डंडे एवं लोहे के राड से पीटकर उसकी हत्या करने का आरोप लगाया है।

मृतका अपने चार बहन व दो भाई में दूसरे स्थान पर थी। परिवार में मां दौलत देवी व दो पुत्र आयुष एवं सार्थक है। मृतका की मां दौलत देवी एवं परिवार के सभी सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल है।

मम्मी पापा से मिलने जेल पर नहीं जाती थी,इसलिए बाहर आकर पापा ने लोहे के रॉड और डंडा से मारकर मम्मी को मार डाला । ये बातें मृत महिला के छह वर्षीय पुत्र आयुष ने कहा है। आयुष के सामने ही उसके पिता ने उसकी मम्मी की हत्या कर दी है।

2025 के चुनाव जगंल राज बनाम सुशासन के बदले अपने के आधार पर जदयू मांगेगी वोट, आखिर क्यों !

डेस्क : बिहार में अगले साल 2025 में विधान सभा चुनाव होने है। जिसकी तैयारी में प्रदेश के सभी राजनीतिक दल अभी से जुटे गए है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनो ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी अब धीरे-धीरे चरम पर पहुंचने लगा है। सत्ताधारी एनडीए जहां अपने शासनकाल में चहुमुंखी विकास का दावा करता रहा है। वहीं विपक्ष प्रदेश की सत्ताधारी एनडीए पर सिर्फ हवाबाजी और जुमलेबाजी करने का आरोप लगाता रहा है। घूम फिरकर बात जंगलराज बनाम सुशासन पर आ जाती है। लेकिन इसबार जदयू अपना एजेंडा बदल दिया है। जदयू इसबार जंगलराज बनाम सुशासन के नाम पर चुनाव मैदान में नहीं जाएगी। सीएम नीतीश कुमार ने साफ कहा है कि इसबार हम अपने काम के आधार पर जनता के बीच जाएंगे और उनसे वोट मांगगे। मतलब साफ ही इसबार जदयू का एजेंडा उसके 19 साल के कार्यकाल के दौरान किए गए काम होंगे।

बीते दिनों जदयू राज्य कार्यकारिणी की बैठक हुई। इस बैठक में नीतीश कुमार के साथ पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा समेत पार्टी के मंत्री, सीनियर नेता व पदाधिकारी आदि मौजूद रहे। बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया गया और 6 फैसलों पर मुहर लगायी गयी। वहीं नीतीश कुमार के नेतृत्व में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कही गयी।

वही इस बैठक को संबोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर साफ तौर पर कहा कि इसबार हम जनता के बीच अपने काम को लेकर जाएंगे। उन्होंने नेताओं को कहा कि जनता के बीच जाकर सरकार के कामों से अवगत कराएं। इसकी तैयारी में अभी से लग जाना है।

अब सबसे अहम सवाल यह है कि बिहार में पिछले तकरीबन 20 सालों से चुनाव का मुद्दा जंगलराज बनाम सुशासन रहा है और उसके बल पर ही प्रदेश में 2005 से लेकर 2024 तक बीच के एक-दो साल छोड़ दिया जाए तो एनडीए सत्ता पर काबिज रही है, तो फिर नीतीश कुमार अगले चुनाव में इससे क्यों किनारा कर रहे है।

यदि बीते कुछ वर्षो में प्रदेश के हालात पर नजर डाले तो बहुत कुछ साफ हो जाएगा। राजद के शासन काल को खत्म कर जब प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुए तो यह सही है कि उन्होंने सबसे पहले अपराध पर लगाम लगाया था। लेकिन बीते कुछ वर्षों में बिहार में अपराध एकबार फिर से बढ़ा है। जिसकी चर्चा प्रतिदिन बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव करते रहते है। सबसे बड़ी बात यह है कि तेजस्वी प्रदेश कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़ा करने के दौरान अपनी पार्टी के शासन काल को लेकर माफी भी मांगते है। ऐसे नीतीश कुमार को यह समझ में आने लगा है कि अब जंगल राज बनाम सुशासन जैसे घिसे-पिटे मुद्दे पर जनता को पूरी तरह अपने पक्ष में नहीं किया जा सकता है। वहीं अब बिहार में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अपनी राजनीतिक पार्टी जनसुराज का एलान कर खलबली मचा दिया है।

प्रशांत किशोर ने दो साल तक जनता के बीच रहकर कड़ी मेहनत की है। इस दौरान उन्होंने कही भी अपराध या जंगलराज बनाम सुशासन जैसी बात कहकर बिहार के छत्रप राजद और जदयू को कटघरे में खड़ा नहीं किया है। उन्होंने राजद, जदयू और बीजेपी को कटघड़े में खड़ा किया है अपने अलग तरीके से। उन्होंने शिक्षा पर ज्यादा जोर दिया है। आर्थिक मजबूती की बात की है। वहीं उनकी पार्टी के लांचिग के मौके पर पटना में जो भीड़ उमड़ी थी वे राजद, जदयू और बीजेपी तीनो बड़ी पार्टियों के लिए खतरे के संकेत थे। यदि वह भीड़ सही मायने में पीके के जनसुराज के साथ चली जाती है तो प्रदेश के सत्ताधारी एनडीए और महागठबंधन दोनो को भारी पड़ सकता है।

इस पूरे गणित को देखते हुए अब नीतीश कुमार को यह लगने लगा है कि राजद के गुंडाराज शासन की बात कर जनता को अपनी ओर नहीं किया जा सकता है। बात भी सही है। पिछले 19 सालों से बिहार पर उनका शासन है। ऐसे में जनता यह सवाल कर सकती है कि अपराध तो आपने कम कर दिया, लेकिन शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दे भी अपनी जगह कायम है और यही वजह है कि नीतीश कुमार जहां चुनाव से पहले 10 लाख नौकरी की बात कर रहे है। वहीं जनता के बीच अपने शासन काल मे किये गए कार्यों को जनता के बीच पहुंचाने की बात कर उस आधार पर इसबार चुनाव मैदान में जाने की बात कर रहे है।

सीएम नीतीश ने बाढ़ पीड़ित लाभुकों के खाते में भेजे 7-7 हजार रुपये की राशि, दीवाली से पहले किसानों को फसल क्षति की राशि देने के दिए निर्देश*

डेस्क : बिहार के 18 जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है। हालांकि इनके राहत के लिए प्रदेश की नीतीश सरकार द्वारा खजाना खोल दिया गया है। सीएम नीतीश कुमार ने स्पष्ट रुप से कहा है कि सरकार के खजाने पर पहला हक बाढ़ पीड़ितों का है। वहीं बीते गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 18 जिलों के 3.21 लाख बाढ़ पीड़ित लाभुकों के खाते में 7-7 हजार रुपये की राशि डीबीटी के माध्यम से भेजी। गुरुवार को अपने आवास में आयोजत कार्यक्रम में उन्होंने भुगतान का माउस क्लिक कर दूसरे चरण के लाभुकों के खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के द्वारा 225.25 करोड़ रुपए की राशि भेजी। बता दें मुख्यमंत्री की ओर से प्रथम चरण में 4 लाख 38 हजार 529 परिवारों के खाते में 306.97 करोड़ रुपए भेजे गए थे। आज दूसरे चरण में 3 लाख 21 हजार 792 परिवारों के खाते में 225.25 करोड़ भेजे गए। इस प्रकार अबतक कुल 7 लाख 60 हजार 321 परिवारों के खाते में 532.22 करोड़ रुपए भेजे गए। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ राहत कार्यों की समीक्षा भी की। उन्होंने अधिकारियों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में किसानों को फसल क्षति की राशि दीपावली के पहले उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। कहा कि बाढ़ के दौरान जिन किसानों की फसल क्षति हुई है, उसमें कोई छूटें नहीं। सभी प्रभावित परिवारों को राशि अवश्य मिल जाय। कृषि विभाग इसके लिये तेजी से काम करे।
नवमी और दशमी को लेकर राजधानी पटना में सुरक्षा के कड़े इंतजाम, मूर्ति विसर्जन को लेकर 5 हजार से अधिक जवान तैनात*

डेस्क : राजधानी पटना में दुर्गापूजा को शांति एवं सौहाद्रपूर्ण माहौल में संपन्न कराने को लेकर जिला प्रशासन की ओर से पूरी तैयारी की गई है। नवमी और दशमी को राजधानी में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये हैं। पांच हजार से अधिक जवान मूर्ति विसर्जन तक अलग-अलग इलाकों में तैनात रहेंगे। आज शुक्रवार की सुबह से ही जवानों को अलग-अलग इलाकों में तैनात किया गया है। आज नवमी के दिन शहर में ज्यादा भीड़ उमड़ने की संभावना को देखते हुए डीआईजी सह एसएसपी ने सभी सिटी व ग्रामीण एसपी, यातायात एसपी, डीएसपी और थानेदारों को अपने इलाके में अलर्ट रहने के निर्देश दिये हैं। वहीं कल शनिवार को रावण वध के दिन गांधी मैदान के चारों ओर कड़ा पहरा रहेगा। सुरक्षा जांच के बाद ही किसी को भी गांधी मैदान के अंदर प्रवेश करने की अनुमति दी जायेगी। वहीं अष्टमी को शहर के कई इलाकों में पुलिस ने लहरिया कट बाइक चलाने वालों पर कार्रवाई की। अटल पथ, जेपी-गंगा पथ व अन्य इलाकों में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। पुलिस की एक विशेष टीम सीसीटीवी कैमरे के जरिये भीड़ पर नजर रख रही है। वहीं सादे लिबास में भी जवानों को तैनात किया गया है।
राजधानी पटना में दुर्गापूजा की धूम : माता रानी के दर्शन के लिए उमड़ी भारी भीड़, देर रात तक घमूते रहे लोग*

डेस्क : नवरात्र का आज नवां दिन है। आज मां के नवें रुप सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना हो रही है। वे बीते गुरुवार को महाअष्टमी के मौके पर श्रद्धालुओं ने मां महागौरी की पूजा भक्ति और श्रद्धा के साथ की। वहीं बांग्लाविधि से होने वाली पूजा में गुरुवार सुबह नव-पत्रिका प्रवेश के साथ मां की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा की गई। शहर के पूजा पंडालों और मंदिरों में सुबह सात बजे के बाद श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखने को मिली। दुर्गा मंदिर और पूजा पंडालों में महिलाओं ने मां दुर्गा के सामने धूप-दीप, सिंदूर, फूल आदि से मां की पूजा कर सुख, सौभाग्य, समृद्धि, संपत्ति आदि का वरदान मांगा। वहीं शाम ढलते ही शहर के पूजा-पंडाल, लाइटिंग और मेला घूमने, मां का दर्शन-पूजन करने पटना की सड़कों पर बड़ी संख्या लोग अपने परिवार के साथ घूमने निकले। डाकबंगला चौराहा से लेकर आयकर गोलंबर के बीच रात सात बजे के बाद श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया। भीड़ प्रबंधन के लिए डाकबंगला चौराहा पर आयोजन समिति के सदस्य माइकिंग कर लोगों को आगे बढ़ते रहने, भीड़ नहीं लगाने जैसी हिदायतें मंच से दी जाती रहीं। पटना की सड़कों पर बड़ी संख्या चाट-पकौड़ी की अस्थायी दुकानों में पंडाल घूमने वाले लेागों की भीड़ देखने को मिली। डाकबंगला चौराहा, कदमकुआं, राजाबाजार शेखपुरा, बोरिंग रोड, बोरिंग कैनाल रोड, राजापुर पुल, मीठापुर आदि इलाकों में लोग सड़कों पर मौजूद आइसक्रीम से लेकर मोमोज और चाय-कॉफी, कोल्ड ड्रिंक्स की दुकानों पर खाते-पीते नजर आए।
पीके का जन सुराज बदलेगा बिहार की सियासत ! बिहार को क्या मिल गया है तीसरा विकल्प

डेस्क : बिहार की सियासत अन्य राज्यों के मुकाबले अलग है, जहां जातिवाद से लेकर परिवारवाद हावी रहा है। प्रदेश में सियासी समीकरण के बदलाव का बयार लगातार चलता रहता है। बिहार में राजनीतिक ऊंट किस तरफ करवट लेगा, ये सवाल हमेशा बना रहता है। हालांकि 1 अक्टूबर तक पिछले तकरीबन 34 सालो से बिहार में केवल दो विकल्प था। एक एनडीए तो दूसरा महागठबंधन। लेकिन 2 अक्टूबर को बिहार में एक तीसरे विकल्प की एंट्री हो गई। भारत के कुछ सबसे सफल चुनाव अभियानों के पीछे रणनीतिक दिमाग रहने वाले प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन बिहार में आधिकारिक तौर पर अपनी राजनीतिक पार्टी, जन सुराज की शुरुआत की।

राजधानी पटना के भेटनरी कॉलेज मैदान में कार्यक्रम का आयोजन कर प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी को लॉन्च किया। इस मौके पर भेटनरी कॉलेज मैदान में उमड़ी भीड़ देखने लायक थी। शायद ही किसी पार्टी के एलान पर पटना में ऐसी भीड़ देखी गई हो। वहीं भीड़ को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं यहां केवल चुनाव जीतने के लिए नहीं हूं। हम यहां वास्तविक परिवर्तन लाने के लिए हैं और उस परिवर्तन की शुरुआत लोगों से होगी।"

नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार से लेकर केजरीवाल, ममता बनर्जी और अमरिंदर सिंह जैसे नेताओं के लिए चुनावी रणनीति तैयार करने वाले 47 वर्षीय प्रशांत किशोर के लिए यह अब तक की सबसे बड़ी चुनौती हो सकती है। प्रशांत किशोर को अब बिहार में एक सलाहकार के रूप में नहीं बल्कि एक नेता के रूप में काम करना है। उनकी रणनीति बिहार की कठोर राजनीतिक यथास्थिति को पहचानने में निहित है।

पिछले 34 सालों से, जब से लालू प्रसाद यादव ने मार्च 1990 में पहली बार मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला है, राज्य की राजनीतिक कहानी पर दो दलों - राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और जनता दल (यूनाइटेड) (जेडीयू) - और अनिवार्य रूप से दो नेताओं का वर्चस्व रहा है। जहां लालू और नीतीश ने राजनीतिक परिदृश्य पर राज किया तो राबड़ी देवी और जीतन राम मांझी जैसे लोग केवल उनके प्रतिनिधि के रूप में काम करते दिखे। इस बीच, राष्ट्रीय स्तर पर अन्य जगहों पर मजबूत पकड़ रखने वाली बीजेपी और कांग्रेस ने यहां दूसरे-तीसरे दर्जे की भूमिका निभाई है। उनका महत्व गठबंधन साझेदारी तक ही सीमित है।

अब प्रशांत किशोर इसी दो विकल्प वाले राजनीतिक इतिहास में एक तीसरे विकल्प के रुप में सामने आते दिख रहे है। बिहार की द्विध्रुवीय राजनीति में, जहां नीतीश बीजेपी के साथ और राजद कांग्रेस के साथ गठबंधन करती है, प्रशांत किशोर को मतदाताओं के ऊबने का अहसास होता है। बहुत लंबे समय से मतदाता बीजेपी के डर से लालू की पार्टी को चुनने या लालू के डर से नीतीश के बीजेपी गठबंधन का समर्थन करने के बीच एक चक्र में फंसे हुए हैं। प्रशांत इसी गतिशीलता को तोड़ना चाहते हैं, बिहार को एक विकल्प देना चाहते हैं - जो राज्य के दो दमघोंटू राजनीतिक विकल्पों से मुक्त हो।

वैसे बिहार की राजनीतिक निष्ठाएं बहुत गहराई से जुड़ी हुई हैं। नीतीश को संख्यात्मक रूप से महत्वपूर्ण अति पिछड़ी जातियों का समर्थन मिलता है तो तेजस्वी यादव और उनकी राजद को मुस्लिम समुदाय और प्रमुख यादव जाति की वफादारी हासिल है। इसके साथ ही दिवंगत रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान बिहार के नए दलित चेहरे हैं। ऐसे राज्य में जहां जातिगत निष्ठाएं बहुत गहरी हैं, इसलिए प्रशांत किशोर के लिए आगे की यात्रा आसान नहीं दिखती।

हालांकि इस पुराने राजनीतिक रणनीतिकार ने बिहार में शराबबंदी को खत्म करने के अपने आह्वान से भी लोगों में खलबली मचा दी है। उन्होंने अपनी हमेशा की तरह ही बेबाक शैली में तर्क दिया कि प्रतिबंध हटाने से राजस्व की बाढ़ आ सकती है, जिसे फिर शिक्षा और सार्वजनिक सेवाओं में बहुत जरूरी निवेश में लगाया जा सकता है। उनके इस एलान पर राजनीतिक हस्तियों, खास तौर पर सत्ताधारी पार्टी के लोगों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है, जो इसे बिहार में शराबबंदी और इससे होने वाली सामाजिक बुराइयों को रोकने के प्रयासों का अपमान मानते हैं। हालांकि, सबसे तीखी प्रतिक्रिया महिलाओं के एक वर्ग में देखी जा रही है, जो शराबबंदी के सबसे मजबूत समर्थकों में से एक थीं। कई लोगों को डर है कि प्रतिबंध हटाने से शराब की वजह से होने वाली घरेलू हिंसा और सामाजिक पतन के दरवाजे खुल जाएंगे। उनके लिए शराबबंदी का अंत केवल एक नीतिगत बदलाव नहीं है - यह बिहार की सबसे गहरी सामाजिक समस्याओं में से एक से निपटने में सालों की प्रगति को खत्म करने का खतरा है।

फिर भी, इन चुनौतियों के बीच एक अवसर छिपा है। भारत के सबसे गरीब राज्यों में से एक बिहार बेरोजगारी, खराब बुनियादी ढांचे और नाममात्र के फंड से चलने वाली शिक्षा प्रणाली से जूझ रहा है। प्रशांत ने अपने गृह राज्य पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला जानबूझकर किया है। जन सुराज के संस्थापक लंबे समय से बिहार में ठहराव के मुखर आलोचक रहे हैं, जिसका श्रेय वे दशकों से चली आ रही जाति-आधारित राजनीति और शासन की निष्क्रियता को देते हैं। उनकी पार्टी की शुरुआत राज्य भर में 5,000 गांवों में पदयात्रा के बाद हुई है। यह प्रयास न केवल आधार बनाने के लिए बल्कि बिहार के आम लोगों को परेशान करने वाले मुद्दों की गहन समझ हासिल करने के लिए किया गया है।

हालांकि दूसरे नए राजनीतिक चेहरे जो अक्सर करिश्मे या चुनावी वादों पर निर्भर रहते हैं, उनसे अलग प्रशांत ने जन सुराज को शासन-केंद्रित आंदोलन के रूप में स्थापित किया है। उनका मंच बिहार की सबसे अहम ज़रूरतों- शिक्षा, रोज़गार, स्वास्थ्य सेवा- को प्राथमिकता देता है, जिन्हें सत्ताधारी अभिजात वर्ग द्वारा लंबे समय से नज़रअंदाज़ किया जाता रहा है।

लेकिन इन सब के बीच अपने प्रभावशाली ट्रैक रिकॉर्ड के बावजूद प्रशांत किशोर को महत्वपूर्ण बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। बिहार के मतदाता अपनी जातिगत संबद्धताओं के प्रति बेहद वफादार हैं, और जन सुराज, एक नई पार्टी जिसका कोई जमीनी संगठनात्मक ढांचा नहीं है, को क्षेत्रीय दिग्गजों से मुकाबला करने के लिए रणनीति से कहीं ज़्यादा की ज़रूरत होगी। प्रशांत की अंतिम सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि क्या वे मतदाताओं को जाति से परे देखने और शासन और विकास पर आधारित भविष्य की ओर देखने के लिए राजी कर पाते हैं। किशोर का कहना सीधा है कि बिहार को एक राजनीतिक विकल्प की जरूरत है, और जन सुराज वह विकल्प हो सकता है।

अब देखने वाली बात यह होगी प्रशांत किशोर ने अपने दो साल के पदयात्रा में बिहार की जनता को कितना बदल पाए है। क्या जनता पीके के जनसुराज को स्वीकार कर बिहार में इस तीसरे विकल्प को प्राथमिकता देकर पिछले 34 सालों से जिन दो-तीन पार्टियों के कब्जे को तोड़ एक नई सरकार दे पाती है।

बिहारवासियों के लिए अब विदेश जाना होगा आसान, नए साल में पटना एयरपोर्ट से सीधी विमान सेवा की मिलेगी सुविधा

डेस्क : बिहार से विदेश जाने वाले लोगों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। अब उन्हें विदेश जाने में परेशानी नहीं होगी। नए साल में पटना एयरपोर्ट से हवाई यात्रियों को विदेशों के लिए सीधी उड़ान सेवाएं मिलेंगी। नए टर्मिनल बिल्डिंग के मार्च महीने तक पूरी तरह तैयार होने के बाद इम्रीग्रेशन काउंटरों को भी क्रियाशील करने की तैयारी तेज हो गई है। पटना एयरपोर्ट पर आव्रजन और प्रवजन से संबंधित अफसरों की तैनाती के लिए कवायद शुरू कर दी गई है।

अगले साल मार्च से काठमांडू, म्यांमार और सिंगापुर के लिए उड़ान सेवाएं शुरू हो सकती है। अभी पटना के यात्रियों को विदेश यात्रा के लिए पटना एयरपोर्ट से उड़ान भरने के बाद दूसरे शहरों में जैसे दिल्ली या कोलकाता जाना पड़ता है।

एएआई की योजना पटना एयरपोर्ट को जल्द से जल्द अंतरराष्ट्रीय सेवाओं के लायक तैयार करने की है। इसके बाद विदेशों के लिए सीधी विमान सेवाएं शुरू हो सकेंगी। इससे यात्रियों के पैसे व समय की बचत हो सकेगी। विदेशों में कारगो सप्लाई के लिए भी मॉडल को विकसित करने की तैयारी है ताकि बिहार के व्यापारी, उद्यमी और अन्य लोगों द्वारा तैयार उत्पाद को विदेशी बाजार सहजता से मिल सके।