बिहार के तेजतर्रार आईपीएस अधिकारियों के सेंट्रल डेप्युटेशन और रिजाइन करने का सिलसिला जारी, आखिर क्या है इसके पीछे वजह !
डेस्क : बिहार में गिरती कानून व्यवस्था और कामकाज जहां विपक्ष के निशाने पर है, वहीं अब सरकार के बड़े अधिकारी भी बिहार से मुंह मोड़ने लगे हैं। पिछले कुछ दिनों में हुई घटनाक्रम पर नजर डाले तो बिहार से बड़े अधिकारियों की रुखसती इस बात की गवाही दे रही है। खासकर बिहार कैडर के तेज-तर्रार और ईमानदार छवि के लिए लोगों के बीच जाने जाने वाले आईएएस और आईपीएस अधिकारी या तो रिजाईन कर रहे है या फिर सेंट्रल डेप्युटेशन पर जा रहे है।
आईएएस अधिकारियों की बात बाद में करेगे। पहले आईपीएस अधिकारियों की बात करते है। हाल फिलहाल में बिहार के डीजीपी राजविंदर सिंह भट्टी अपना कार्यकाल पूरा होने से एक साल पहले ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए हैं। दरभंगा में ग्रामीण एसपी के पद पर तैनात तेज-तर्रार आईपीएस काम्या मिश्रा जिन्हें बिहार में 'लेडी सिंघम' के नाम से जाना जाता था। उन्होंने आईपीएस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। वहीं उसके बाद बिहार में सिंघम के नाम से जाने जानेवाले पूर्णिया रेंज के शिवदीप लांडे ने अचानक अपने सोशल मीडिया के फेसबुक पर आईपीएस की नौकरी से इस्तीफा देने का एलान कर तहलका मचा दिया।
आइए सबसे पहले जानते है हाल फिलहाल में बिहार के इन तीन आईपीएस अधिकारियों के विषय में जिन्होने या तो आईपीएस की नौकरी से त्याग-पत्र दे दिया है। या फिर केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए।
सबसे पहले हम बात करते है बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक राजविंदर सिंह भट्टी की। जिन्होंने अपने डीजीप के डेढ़ साल बचे होने के बाद भी केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए।
राजविंदर सिंह भट्टी
बिहार में जब भी अपराध और पुलिस की चर्चा होती है, तो उसमें 1990 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस राजविंदर सिंह भट्टी का नाम भी लिया जाता है। अपने कार्यकाल में बिहार के अपराधियों के लिए वह खौफ थे जिनका नाम सुनते ही बड़े से बड़े अपराधी कांप जाते थे। आईपीएस आरएस भट्टी अपने प्रोबेशन में वर्ष 1991-92 में भागलपुर पहुंचे थे। यह वह दौर था जब बिहार में अपराध अपने चरम पर था और उस समय अपराधियों से पुलिस वाले भी खौफ खाते थे। ऐसा ही हाल भागलपुर का भी था। यहां भी अपराधियों की तूती बोलती थी। यहां कई गिरोह सक्रिय थे। उस समय आरएस भट्टी ने यहां के अपराधियों पर जो नकेल कसी, जिसे आज तक याद किया जाता है।
काम्या मिश्रा
बिहार में लेडी सिंघम के नाम मशहूर आईपीएस काम्या मिश्रा 2019 की आईपीएस अधिकारी है। पहले उन्हें हिमाचल कैडर मिला, लेकिन उन्होंने बाद में अपना कैडर बिहार करा लिया। महज पांच साल के अपने कार्यकाल में काम्या मिश्रा ने ऐसे ऐसे केस सुलझाए जिसके बाद उन्हे लेडि सिंघम कहा जाने लगा। नौकरी से त्याग-पत्र उन्होंने दरभंगा के ग्रामीण एसपी के पद पर रहते हुए दिया है। हालांकि अभी उनका इस्तीफा मंजूर नही हुआ है। वहीं बिहार सरकार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी के पिता के जघन्य हत्याकांड का केस भी वही देख रही हैं।
शिवदीप लांडे
2006 बैच के IPS शिवदीप लांडे वो आईपीएस अधिकारी है जिन्हें आज भी राजधानी पटना की लड़कियां याद करती है। अपने राजधानी पटना के वतौर पुलिस कप्तान स्कूल-कॉलेज की लड़कियों के लिए वो काम किया जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। लड़कियों के अलावे उनके माता-पिता के लिए लांडे देवता समान हो गए थे। लांड की पहली पोस्टिंग बिहार के नक्सल प्रभावित जिले मुंगेर के जमालपुर में की गई। इसके बाद उन्होंने बिहार की राजधानी पटना समेत पूर्णिया, अररिया और रोहतास में बड़े पदों पर नौकरी की। कुछ ही सालों में IPS शिवदीप की छवी सुपरकॉप की बन गई। उन्होंने कई आरोपियों को सबक सिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
क्यों बिहार छोड़ रहे नीतीश के भरोसेमंद अफसर?
सबसे बड़ी बात यह है कि ये सभी अधिकारी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पसंदीदा और भरोसेमंद रहे है। ऐसे में बड़ा सवाल उठ रहा है कि आखिर नीतीश कुमार के भरोसेमंद अधिकारी इन दिनों दिल्ली पलायन और त्याग-पत्र क्यों दे कर रहे हैं? वो भी ऐसे अधिकारी, जिन्हें नीतीश कुमार ने बड़े-बड़े विभागों की जिम्मेदारी सौंप रखी थी।
वैसे तो त्याग-पत्र देने वाले अधिकारियों ने अपना निजी और पारिवारिक कारण बताया है। अमूमन जैसा कि त्याग-पत्र देने वाले बड़े अधिकारी हमेशा कहते है। कोई अधिकारी त्याग-पत्र देने के पीछे की असली वजह को सामने नहीं लाता। फिर भी अधिकारियों के पलायन और त्याग-पत्र देने के पीछे 3 मुख्य वजहें बताई जा रही हैं।
पहली सबसे बड़ी वजह राजनीति बताई जा रही है। पिछले 10 साल में बिहार में 3 पार्टियां ही बिहार में समय समय पर शासन करती आ रही है। वहीं किसी भी मुद्दे पर इन पार्टियों की रडार में नेता और मंत्री से ज्यादा अधिकारी ही होते हैं। सत्ता का परिवर्तन होते ही अधिकारियों पर दबाव बढ़ जाता है।
दूसरी वजह प्रशासनिक है। कहा जा रहा है कि बिहार में सीएम नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द जो पावरफुल अफसर हैं, उनमें अधिकांश रिटायर हो चुके हैं। इतना ही नहीं, सीएमओ के करीब कई अफसर तो लंबे वक्त से बड़े पदों पर बैठे हुए हैं। इन्हीं के कामकाज के हस्तक्षेप की वजह से अधिकारी पटना से दिल्ली की ओर पलायन कर रहे हैं या फिर रिजाइन कर रहे है।
तीसरी वजह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में मिलने वाला पद, राजनीति में प्रवेश या फिर किसी बड़े कंपनी में बड़ा ओहदा भी है। कहा जा रहा है कि बिहार से दिल्ली आ रहे अधिकारियों को तुरंत केंद्र में बड़े पद मिल जा रहे हैं। जैसे कि राजविंदर सिंह भट्टी को सीआईएसफ की कमान मिल गई है। वैसे ही बीते कुछ वर्षो में देखे तो कई आईएएस और आईपीएस अधिकारी राजनीतिक पार्टी ज्वाईन किये है। या फिर किसी बड़ी कंपनी में बड़े पद पर आसीन है।
Sep 27 2024, 19:52