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एनआईटी बिहटा में छात्रा ने की आत्महत्या, छात्रों ने किया हंगामा, कैंपस बंद

डेस्क : बिहटा थाना क्षेत्र के सिकंदरपुर स्थित निर्माणाधीन एनआईटी (राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान) परिसर स्थित महिला छात्रावास में रह रही छात्रा पल्लवी रेड्डी (19 वर्ष) ने शुक्रवार की देर रात फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इससे आक्रोशित बिहटा और पटना एनआइटी कैंपस के छात्र सड़क पर उतर गए और हंगामा करने लगे। छात्रों के हंगामा को देखते हुए एनआइटी कैंपस बिहटा बंद कर दिया गया है। छात्रा की आत्महत्या के बाद बाहरी लोगों का प्रवेश बंद है।

हाथ में तख्ती लेकर छात्र एनआईटी गेट पर बैठ गए और नारेबाजी की। सूचना मिलते ही कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंची। विद्यार्थियों को समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन देर रात तक वे धरने पर बैठे रहे। इधर, विद्यार्थियों के आक्रोश के सामने पुलिस अधिकारी मूकदर्शक बने रहे। पल्लवी ने किन परिस्थितियों में आत्महत्या और कब और कैसे आत्मघाती कदम उठाए? इन सारे सवालों के जवाब देर रात तक नहीं मिल पाए थे।

हादसे के बाद से एनआईटी अधिकारियों ने फोन उठाना बंद कर दिया। पीरबहोर थानेदार अब्दुल हलीम ने बताया कि विद्यार्थियों को समझाने का प्रयास जारी है। बताया जाता है कि एनआइटी में द्वितीय वर्ष की छात्रा पल्लवी रेड्डी आंध्रप्रदेश की राजधानी हैदराबाद के आनंदपुरा की रहने वाली थी। लगभग दो महीने पहले उसे बिहटा स्थित निर्माणाधीन परिसर के छात्रावास में शिफ्ट किया गया था। वहां पल्लवी के अलावा करीब दो सौ छात्राएं रह रही थीं।

हालांकि, जहां एनआइटी का निर्माण हो रहा है, वहां कई तरह की सुविधाओं का अभाव है। सूत्रों के मुताबिक, रात करीब साढ़े दस बजे पल्लवी की मौत की सूचना एनआइटी परिसर में फैल गई। संस्थान के अधिकारी सही जवाब नहीं दे रहे थे। पुलिस अधिकारियों ने भी पहुंच कर छात्रा की सहपाठियों को घटना के बारे में सही जानकारी नहीं दी, जिससे विद्यार्थियों का आक्रोश बढ़ गया। इसकी जानकारी जब एनआइटी, पटना के विद्यार्थियों को हुई तो वे आग-बबूला हो गए।

वी वांट जस्टिस के पोस्टर लेकर सड़क पर उतर गए और वाहनों का आवागमन बाधित करने की कोशिश की। एनआइटी छात्रों का आरोप है कि बिहटा के सुदूर इलाके में संस्थान का निर्माण कराया जा रहा है। जल्दबाजी में वहां महिला छात्रावास को शिफ्ट कर दिया गया। इससे छोटी-छोटी जरूरतों के लिए छात्राओं को बाहरी लोगों पर निर्भर रहना पड़ता है।

समस्तीपुर में मुखिया की गोली मारकर हत्या, ताबड़तोड़ फायरिंग से थर्रा उठा इलाका



डेस्क : समस्तीपुर के हलई थाना क्षेत्र के दादनपुर में डिहिया पुल के पास बदमाशों ने बनवीरा पंचायत के मुखिया नारायण शर्मा (45) की गोली मारकर हत्या कर दी। घटना शुक्रवार रात करीब साढ़े 10 बजे की बताई जा रही है।

मुखिया बगल के गांव महमदपुर में अंतिम संस्कार में शामिल होने के बाद बुलेट से घर लौट रहे थे। इसी दौरान बदमाशों ने गोली मार दी। उन्हें समस्तीपुर के निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। वहां उन्होंने दम तोड़ दिया। हलई थानाध्यक्ष ब्रजेश कुमार ने बताया कि पुलिस छानबीन कर रही है। मुखिया की गोली लगने से मौत हो गई है।

बताया जाता है कि मुखिया अपनी ही पंचायत के महमदपुर में अंतिम संस्कार में शामिल होने गए थे। वहां किसी बात को लेकर एक व्यक्ति से बकझक हो गई थी। उसने उन्हें जान से मारने की धमकी दी। वह घर लौट ही रहे थे कि थोड़ी दूरी पर गोली मार दी गई।

वह मोरवा मुखिया संघ के अध्यक्ष भी थे। थानाध्यक्ष ने बताया कि घटना की छानबीन की जा रही है। मुखिया को गोली लगने के बाद निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। हत्यारे कौन थे और गोली क्यों मारी समेत सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है।
गजब : बिहार के इस जिले में एक गधे की मौत पर बवाल, मुखिया-सरपंच समेत 55 लोगों पर मामला दर्ज

डेस्क : एक गधे की मौत पर बवाल और 55 लोगों पर मामला दर्ज हो सकता है। ऐसा जानकर आपको हैरानी होगी। लेकिन यह सच है। बिहार के बक्सर जिले से यह हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक गधे की मौत को लेकर घमासान छिड़ गया है। इस मामले में बिजली विभाग ने पांच नामजद समेत कुल 55 लोगों के खिलाफ थाने में केस दर्ज कराया गया है। एकसाथ 55 लोगों के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद हड़कंप मच गया है।

दरअसल, यह पूरा मामला केसठ प्रखंड के रामपुर गांव का है। रामपुर गांव निवासी ददन रजक के पास चार गधे थे, जिनका इस्तेमाल वह ईंट भट्ठा और अन्य काम मे करता था। 11 सितंबर की शाम वह अपने चारों गधों को लेकर घर लौट रहा था। इसी दौरान गांव के बीच स्थित एक बिजली के पोल से सका एक गधा सट गया, जिससे करंट लगने से उसकी मौत हो गई।वहीं दूसरा गधा भी करंट की चपेट में आ गया। उसको बचाने में दो लोग धनजी रजक और साथ में डिप्टी रजक भी घायल हो गए. यह घटना शाम के करीब 5 बजे हुई थी। इसके बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने चकौड़ा पावर ग्रिड जाकर मुख्य गेट पर बैठ गए और मुआवजे की मांग करने लगे। अधिकारियों को बुलाने की जिद करने लगे।

रात के 9 बजे तक हंगामा होता रहा। इस दौरान करीब ढाई घंटे तक पूरे प्रखंड में बिजली आपूर्ति बाधित हो गई। बाद में अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद मामले को शांत कराया गया और पावर सप्लाई शुरू कर दी गई।

हालांकि मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। बिजली विभाग के सहायक इंजीनियर ने पांच नामजद समेत कुल 55 ग्रामीणों के खिलाफ वासुदेवा ओपी में केस दर्ज करा दिया। बिजली कंपनी का आरोप है कि ढाई घंटे बिजली आपूर्ति ठप होने के कारण साउथ बिहार पावर ड्रिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को करीब डेढ लाख रुपए का घाटा हुआ है।

इस मामले में मुखिया, सरपंच और बीडीसी समेत अन्य लोगों को अभियुक्त बनाया गया है। गांव के लोगों ने बैठकर यह निर्णय लिया है कि अगर बिजली कंपनी अपने केस को वापस नही लेती है तो वो लोग भी केस लड़ने के लिए तैयार हैं।

पूरे मामले पर बक्सर एसपी शुभम आर्य ने कहा है कि ग्रामीणों ने बिजली सप्लाई बंद करने के लिए मशीन को बंद कर दिया था और सरकारी काम में बाधा डाला गया, जिससे लोगों को भारी परेशानी हुई। ग्रामीणों ने सनहा दर्ज कराया था जबकि बिजली विभाग ने केस दर्ज कराया है। फिलहाल पूरे मामले की जांच चल रही है और कानून संगत जो उचित होगा कार्रवाई की जाएगी।

सीएम नीतीश कुमार ने सहरसा जिले का किया दौरा, जिलेवासियों को दिए यह बड़ी सौगात

डेस्क : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज शुक्रवार को सहरसा जिले का दौरा किया। जहां उन्होंने जिलेवासियों को बड़ी सौगात दी। मुख्यमंत्री ने सहरसा में दिवारी स्थान स्थित प्राचीन माँ विषहरा भगवती मंदिर का उद्घाटन किया। इस दौरान बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा आदि मौजूद रहे।

जिला मुख्यालय से तकरीबन 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कहरा प्रखंड के दिवारी स्थान में स्थित मां विषहरा का मंदिर में स्थापित मां विषहरि भगवती स्थान का ऐतिहासिक व पौराणिक महत्ता है। यहां एक साथ पांच देवियों की पूजा की जाती है। ये देवियां अलग-अलग नहीं, बल्कि पांच बहनें हैं।

मंदिर को लेकर यह भी मान्यता है कि अगर किसी को कोई सर्प या बिच्छू डस लेता है, तो मैया को चढ़ाया गया नीर (जल) पिलाने से विष नहीं चढ़ता है। इस कारण बड़ी संख्या में ऐसे लोग यहां आते हैं। मंदिर में पांच देवियां पांच बहनों के रूप में विराजित हैं उन्हें दूतला देवी, मनसा देवी, मां भगवती, विषहरा और पांचवीं पायल देवी के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह देश एकलौता ऐसा मंदिर है जहां देवी के पांच स्वरूप एक साथ विराजित हैं।

प्राचीन माँ विषहरा भगवती मंदिर का खास आकर्षण मंदिर का नायाब स्थापत्य है। शिखरबद्ध संरचना वाले इस मंदिर में एक एक से अधिक प्रवेश द्वार है जो इसे विशेष स्वरूप प्रदान करता है। मंदिर की बाहरी दीवारों और संरचनाओं पर कई देवी- देवियों के आकर्षक शिल्प उकेरे गए हैं। अमूमन मंदिरों के बाह्य स्वरूप में ऐसी कलाकृतियां दक्षिण भारत के मंदिरों में देखने को मिलती हैं। लेकिन सहरसा के इस मंदिर का नायाब स्थापत्य इसे नयनाभिराम बनाता है।

वहीं सबसे बड़ी बात यह है कि इस मंदिर की परंपरा रही है कि यहां का पुजारी ब्राह्मण नहीं होते हैं। यहां नाई जाति के ही वंशज मंदिर के पुजारी के रूप में होते हैं। ऐसे में प्राचीन माँ विषहरा भगवती मंदिर में पीढ़ीगत रूप से एक ही जाति के पुजारी यहां पूजा कराते हैं। वहीं मंदिर में हर वर्ष बड़े स्तर पर मेला भी लगता है। इसमें हजारों लोग आते हैं और देवी के पांच रूपों कि आराधना करते हैं।

बिहार में पूर्व विधायक के खिलाफ पुलिस का एक्शन: गोपाल यादुका हत्याकांड में बीमा भारती के घर की कुर्की-जब्ती

बिहार में पूर्व विधायक बीमा भारती के खिलाफ पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है पूर्णिया पुलिस ने उनके घर की कुर्की की है. कोर्ट के आदेश पर बीमा के खिलाफ पुलिस का ये एक्शन भवानीपुर के चर्चित व्यवसायी गोपाल यादुका हत्याकांड में हुआ है. इसमें पुलिस ने बीमा भारती के पति अवधेश मंडल और बेटे राजा मंडल को आरोपी बनाया था. अवधेश ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था. राजा अभी भी फरार है.

ऐसे में पूर्णिया पुलिस ने कुर्की-जब्ती की कार्रवाई करने के लिए कोर्ट में एप्लीकेशन दी थी. अब कोर्ट के आदेश के बाद ये एक्शन हुआ है. इस मामले में अभी तक बीमा भारती का कोई बयान नहीं आया है.

पूर्णिया पुलिस अधीक्षक कार्तिकेय शर्मा का कहना है कि पूर्व विधायक बीमा के पति और बेटे के खिलाफ वारंट जारी हुआ था.

इसमें अवधेश ने आत्मसमर्पण किया था, जबकि राजा फरार है. इसके चलते कुर्की-जब्ती की कार्रवाई हुई है. पूर्व विधायक के घर की कुर्की-जब्ती की भनक लगते ही भारी संख्या में इलाके के लोग आसपास जमा हो गए. हाई प्रोफाइल मामले की गंभीरता को समझते हुए पूर्णिया पुलिस भी मुस्तैद है.

किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए तैयार है. इसके लिए जिला मुख्यायल से अतिरिक्त फोर्स भेजी गई है.

कब हुआ था गोपाल यादुका हत्याकांड

पूर्णिया के भवानीपुर बाजार में इसी साल 2 जून को व्यवसायी गोपाल यादुका की हत्या कर दी गई थी. वारदात को भाड़े के शूटर के जरिए अंजाम दिया गया था.

पुलिस ने हत्याकांड के बाद 4 आरोपियों को अरेस्ट किया था. मामले की जांच के बाद पुलिस की ओर से कहा गया कि हत्याकांड का मास्टरमाइंड बीमा भारती का बेटा राजा है. गोपाल के हत्या कराने के लिए उसने ही शूटर की व्यवस्था करवाई थी.

बिहार में बाढ़ के हालात : पटना में एनएच समेत कई मुख्यों सड़कों पर चढ़ा पानी, छपरा शहर में घुसा गंगा और घाघरा का पानी, यूपी से सड़क संपर्क टूटा

डेस्क : बिहार में गंगा, घाघरा (सरयू), गंडक, पुनपुन समेत करीब आधा दर्जन नदियों में उफान की वजह से राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) समेत कई मुख्य सड़कों पर पानी चढ़ गया है। कई स्थानों पर रेल लाइन पर बाढ़ का खतरा है। इससे पटना, सारण, भोजपुर, बक्सर, वैशाली और भागलपुर समेत कई जिलों में आवागमन पर असर पड़ा है।

पटना में दीघा घाट, गांधी घाट, हाथीदह में गंगा नदी लाल निशान से ऊपर बह रही है। पुनपुन नदी लाल निशान के पार है। कोइलवर में सोन का पानी बढ़ रहा है। पटना के सात अंचलों के दियारा क्षेत्र में बाढ़ का पानी फैल गया है। दीघा के बिंद टोली में पानी घर में घुसने से कुछ परिवारों को जेपी गंगा पथ पर शरण लेनी पड़ी है। वहीं गंगा का पानी तीन जगहों अथमलगोला के समीप सबनीमा, बरहपुर बिंद टोली और बख्तियारपुर के रानीसराय में एनएच 31 पर बह रहा है। इधर, जिले के सात अंचलों के दियारा क्षेत्र में बाढ़ का पानी फैल गया है। अथमलगोला की रामनगर दियारा में 500 परिवार बाढ़ से प्रभावित हैं।

वहीं बाढ़ से सबसे ज्यादा तबाही छपरा (सारण) जिले में देखने को मिल रही है। जहां गंगा और घाघरा का जलस्तर बढ़ने से छपरा शहर में भी पानी घुस गया है। गुरुवार को यूपी सीमा के पास मांझी-बैरिया के बीच एनएच 31 की सड़क ध्वस्त हो गई। इससे सारण का यूपी से सड़क संपर्क टूट गया। जेपी की जन्मस्थली सिताबदियारा व भिखारी ठाकुर के गांव कुतुबपुर का जिला मुख्यालय से संपर्क टूट गया है। वैशाली के 5 प्रखंड गंगा-गंडक से प्रभावित हैं। भागलपुर में गंगा का जलस्तर बढ़ा है। भोजपुर के आरा सदर, बिहिया और कोईलवर में भी पानी फैल गया है। बक्सर में गंगा का पानी पांच प्रखंडों के गांवों में फैल गया।

नौकरी की तलाश में जुटे छात्र-छात्राओं के लिए खुशखबरी : स्वास्थ्य विभाग में इन पदों पर होगी बंपर बहाली, अगले माह से शुरु होगी प्रक्रिया

डेस्क : सरकारी नौकरी के तलाश में जुटे छात्र-छात्राओं के लिए बड़ी खुशखबरी है। जल्ह ही उन्हें स्वास्थ्य विभाग में नौकरी का मौका मिल सकता है। स्वास्थ्य विभाग में 45 हजार स्वास्थ्यकर्मियों की बहाली इसी वित्तीय वर्ष में होगी। इसमें चिकित्सक, नर्स, फार्मासिस्ट और लैब तकनीशियन सहित दर्जनभर पद हैं। अक्टूबर से बहाली प्रक्रिया शुरू होगी।

सबसे अधिक लगभग 21 हजार पदों पर नर्स की नियुक्ति होनी है। स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 1339 सहायक प्राध्यापक नियुक्त होंगे। 3523 विशेषज्ञ चिकित्सा पदाधिकारी, 396 सामान्य चिकित्सा पदाधिकारी नियुक्त होंगे। संविदा के आधार पर 1290 सामान्य चिकित्सा पदाधिकारियों भी नियुक्ति होनी है।

स्वास्थ्य विभाग ने पहले 65 फीसदी आरक्षण के आधार पर जिलों से विभिन्न पदों का रोस्टर क्लियर कर रिक्तियां मांगी थीं। मगर बढ़े आरक्षण पर पटना हाईकोर्ट की रोक के बाद फिर विभाग ने पुराने प्रावधानों के आधार पर ही रिक्तियां भरने का निर्णय लिया है। स्वास्थ्य विभाग को कुछ पदों के लिए जिलों से 50 फीसदी आरक्षण के आधार पर रोस्टर क्लियर कर रिक्ति आने भी लगी है।

दरअसल, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने जून में विभागीय अधिकारियों के साथ विभाग में विभिन्न पदों पर रिक्तियों की समीक्षा की थी। मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि मिशन मोड में चिकित्सक और नर्स सहित सभी रिक्त पदों पर नियुक्ति पूरा कराएं। पिछले दिनों 770 दंत चिकित्सकों के पद स्वीकृत किए गए हैं। दो दिन पूर्व मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सभी रिक्त पदों को भरने का निर्देश दिया है।

स्वास्थ्य विभाग ने अक्टूबर अंत तक सभी 45 हजार पदों पर बहाली पूरी करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन आरक्षण के पेच के कारण बहाली प्रक्रिया शुरू होने में देर हो रही है। चिकित्सक, दंत चिकित्सक, नर्स, एएनएम, जीएनएम, सीएचओ और पारा मेडिकल सहित स्वास्थ्य विभाग से जुड़े रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए विभाग ने कार्रवाई तेज कर दी है।

नौकरी की तलाश में जुटे छात्र-छात्राओं के लिए खुशखबरी : स्वास्थ्य विभाग में इन पदों पर होगी बंपर बहाली, अगले माह से शुरु होगी प्रक्रिया*

डेस्क : सरकारी नौकरी के तलाश में जुटे छात्र-छात्राओं के लिए बड़ी खुशखबरी है। जल्ह ही उन्हें स्वास्थ्य विभाग में नौकरी का मौका मिल सकता है। स्वास्थ्य विभाग में 45 हजार स्वास्थ्यकर्मियों की बहाली इसी वित्तीय वर्ष में होगी। इसमें चिकित्सक, नर्स, फार्मासिस्ट और लैब तकनीशियन सहित दर्जनभर पद हैं। अक्टूबर से बहाली प्रक्रिया शुरू होगी। सबसे अधिक लगभग 21 हजार पदों पर नर्स की नियुक्ति होनी है। स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 1339 सहायक प्राध्यापक नियुक्त होंगे। 3523 विशेषज्ञ चिकित्सा पदाधिकारी, 396 सामान्य चिकित्सा पदाधिकारी नियुक्त होंगे। संविदा के आधार पर 1290 सामान्य चिकित्सा पदाधिकारियों भी नियुक्ति होनी है। स्वास्थ्य विभाग ने पहले 65 फीसदी आरक्षण के आधार पर जिलों से विभिन्न पदों का रोस्टर क्लियर कर रिक्तियां मांगी थीं। मगर बढ़े आरक्षण पर पटना हाईकोर्ट की रोक के बाद फिर विभाग ने पुराने प्रावधानों के आधार पर ही रिक्तियां भरने का निर्णय लिया है। स्वास्थ्य विभाग को कुछ पदों के लिए जिलों से 50 फीसदी आरक्षण के आधार पर रोस्टर क्लियर कर रिक्ति आने भी लगी है। दरअसल, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने जून में विभागीय अधिकारियों के साथ विभाग में विभिन्न पदों पर रिक्तियों की समीक्षा की थी। मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि मिशन मोड में चिकित्सक और नर्स सहित सभी रिक्त पदों पर नियुक्ति पूरा कराएं। पिछले दिनों 770 दंत चिकित्सकों के पद स्वीकृत किए गए हैं। दो दिन पूर्व मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सभी रिक्त पदों को भरने का निर्देश दिया है। स्वास्थ्य विभाग ने अक्टूबर अंत तक सभी 45 हजार पदों पर बहाली पूरी करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन आरक्षण के पेच के कारण बहाली प्रक्रिया शुरू होने में देर हो रही है। चिकित्सक, दंत चिकित्सक, नर्स, एएनएम, जीएनएम, सीएचओ और पारा मेडिकल सहित स्वास्थ्य विभाग से जुड़े रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए विभाग ने कार्रवाई तेज कर दी है।
बड़ी खबर : बिहार मे बड़े पैमाने पर डीएसपी का स्थानांतरण, गृह विभाग ने जारी की अधिसूचना*

डेस्क : बिहार में इन दिनों अधिकारियों के स्थानांतरण का सिलसिला जारी है। इसी कड़ी में बीते बुधवार को जहां बड़े पैमाने पर आईएएस अधिकारियों का तबादला किया गया था। उसके अगले ही दिन गुरुवार को राज्य सरकार ने पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) स्तर के 11 पदाधिकारियों का तबादला कर दिया है। गुरुवार को गृह विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी की है। गृह विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार पटना में अमित कुमार एवं नालंदा में खुर्शीद आलम नये यातायात डीएसपी बनाए गए है। वहीं विभाग के अनुसार चार अनुमंडलों में नए डीएसपी की तैनाती की गयी है। इनमें सीआईडी के डीएसपी कृष्ण कुमार सिंह को भोजपुर के पीरो का डीएसपी, बिहार पुलिस अकादमी, राजगीर के डीएसपी अमित कुमार को इमामगंज, नालंदा के यातायात डीएसपी सुनील कुमार सिंह को राजगीर, नालंदा तथा राजगीर के डीएसपी प्रदीप कुमार को मोहनिया का डीएसपी बनाया गया है। पीरो के डीएसपी राहुल सिंह को एसटीएफ में डीएसपी,मुख्यालय में पदस्थापना की प्रतीक्षा में रहे फिरोज आलम को ईआरएसएस का डीएसपी बनाया गया है। वहीं, मोहनिया के डीएसपी दिलीप कुमार को बी-सैप-16 में डीएसपी, सीआईडी के डीएसपी रविप्रकाश सिंह को गया के डीएसपी, विधि-व्यवस्था की जिम्मेदारी दी गयी है। पुलिस उपाधीक्षक पद पर उच्चतर प्रभार प्राप्त वीरेंद्र महतो को विशेष निगरानी ईकाई, पटना में तैनात किया गया है।
सिपाही बहाली पेपर लीक मामले पूर्व डीजीपी एसके सिंघल का हाथ, अहम सवाल ! ऐसे मामलों पर कैसे लगेगी रोक और कैसे सही अभ्यर्थियों को मिल पायेगी नौकरी


डेस्क : केन्द्रीय चयन परिषद (सिपाही भर्ती), बिहार सिपाही बहाली पेपर लीक मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। अबतक पेपर लीक का मुख्य आरोपी संजीव मुखिया को माना जा रहा था, लेकिन इसमें एक ऐसा नाम सामने आया है जिसके बाद सबसे अहम सवाल यह पैदा हो जाता है कि ऐसी स्थिति में कैसे निष्पक्ष तरीके से सही अभ्यर्थियों को नौकरी मिलेगी। 

दरअसल जिस अधिकारी के जिम्मे इस परीक्षा को निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराने की जिम्मेवारी थी वे इस मामले में शामिल थे। इस मामले की जांच कर रही ईओयू की एसआईटी ने इस मामले में केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष सह पूर्व डीजीपी एसके सिंघल को दोषी पाया है। ईओयू के एडीजी ने राज्य के डीजीपी को तमाम सबूतों के साथ सिंघल के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही प्रारंभ करने की अनुशंसा की है। एडीजी ने डीजीपी को इस बाबत पत्र भेजा है।

बता दें केन्द्रीय चयन परिषद (सिपाही भर्ती), बिहार, पटना के विज्ञापन संख्या-01/2023 जिसमें 21,391 सिपाही के रिक्त पदों की बहाली होनी थी। इसके लिए एक अक्टूबर 2023 को दो पालियों में परीक्षा आयोजित की गयी थी। इसके अतिरिक्त सात अक्टूबर 2023 एवं 15 अक्टूबर 2023 को भी इस परीक्षा का अयोजन होना था।

इस परीक्षा में कुल 18 लाख अभ्यर्थियों ने फार्म भरा था, लेकिन 1 अक्टूबर 2023 को आयोजित परीक्षा की दोनों पालियों में परीक्षा प्रारम्भ होने की निर्धारित अवधि से कई घंटे पूर्व ही, परीक्षा की उत्तर कुजी विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वायरल हो गई, जिसके परिणामस्वरूप, दो अक्टूबर 2023 को उक्त परीक्षा को रद्द कर दिया गया तथा सात अक्टूबर 2023 एवं 15 अक्टूबर 2023 को आयोजित होने वाली परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया।

बाद में इस मामले जांच का जिम्मा ईओयू को सौंपा गया था। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने खुलासा किया कि संजीव मुखिया गैंग ने ही सिपाही बहाली का पेपर भी लीक करवाया था। ईओयू की टीम ने इस मामले में ब्लेसिंग सिक्योर प्रिंटिंग से जुड़े लोगों को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया और काण्ड संख्या 16/2023 में 26 जून, 2024 को चार अभियुक्तों को गिरफ्तार कर 27 जून, 2024 को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। 

लेकिन अब इस मामले में ईओयू की एसआईटी ने इस मामले में केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष सह पूर्व डीजीपी एसके सिंघल को दोषी पाया है। ईओयू के एडीजी ने राज्य के डीजीपी को तमाम सबूतों के साथ सिंघल के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही प्रारंभ करने की अनुशंसा की है। एडीजी ने डीजीपी को इस बाबत पत्र भेजा है।

विशेष जांच दल ने अपनी जांच लगभग पूरी कर ली है। उसने पाया है कि पर्षद अध्यक्ष ने लापरवाही के अलावा नियमों एवं मानकों की अनदेखी की। उन्होंने अपने दायित्वों का सही ढंग से निर्वहन नहीं किया, जिसकी वजह से सुनियोजित तरीके से एक संगठित आपराधिक गिरोह ने पेपर लीक किया। हालांकि, एसआईटी ने जांच में पाया कि तत्कालीन अध्यक्ष के खिलाफ आपराधिक गतिविधि से संबंधित साक्ष्य नहीं मिले हैं।

जांच एजेंसी का मानना है कि सिंघल के दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही बरतने के कारण परीक्षा की कड़ी (चेन ऑफ कस्टडी) की गोपनीयता और सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के लिए निर्धारित मानकों की अनदेखी की गई है। इस कारण पेपर लीक हुआ। इसलिए इनके खिलाफ उचित कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है। 

 जांच के क्रम में एसके सिंघल से ईओयू की टीम तीन से चार बार पूछताछ कर चुकी है। इस दौरान कई तथ्यों पर उन्हें दोषी पाया गया है। गौरतलब है कि बहाली परीक्षा की गोपनीयता, विश्वसनीयता, अखंडता और सुरक्षा की पूरी जिम्मेवारी अध्यक्ष की थी।

सिपाही बहाली पेपर लीक मामले में ईओयू की एसआईटी की जांच में कई अहम तथ्य हाथ लगे हैं। जांच के दौरान यह पाया गया कि केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष एसके सिंघल का प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक के सरगना से साठगांठ थी। जिस कौशिक कर से उनकी करीबी है। वह पहले भी यूपीपीएससी की एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा का प्रश्न-पत्र लीक करने का मुख्य अभियुक्त है। इसका आपराधिक इतिहास रहा है। 

जांच में यह भी बात सामने आई है कि कॉलटेक्स मल्टीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कोलकाता गेस्ट हाउस में सिंघल तीन बार रुके थे। ब्लेसिंग सिक्योर प्रेस लिमिटेड के कार्यालय एवं प्रिंटिंग प्रेस के गेस्ट हाउस में रात्रि विश्राम भी किया था। यहां ये वर्क ऑर्डर, प्रश्न पत्रों के मोडरेशन एवं सिलेबस समेत अन्य कार्यों के लिए गए थे। इस संबंध में सवाल पूछने पर पूर्व डीजीपी एस.के सिंघल ने भ्रामक जानकारी दी।

कॉलटेक्स मल्टीवेंटर कंपनी एक सेल कंपनी है। इसे छापे से लेकर प्रश्न पत्र ढोने तक का ठेका दे दिया गया था। जबकि इसका कार्यालय, प्रिटिंग प्रेस या लॉजिस्टिक नहीं है। कंपनी के सभी निदेशक भी फर्जी हैं। इसके सत्यापन का दायित्व सिंघल ने नहीं निभाया। कंपनी के निदेशक के बारे में भी कोई जांच नहीं कराई।

वहीं पूछताछ में एसके सिंघल ने बताया कि इन्हें पेपर के छापने समेत अन्य गोपनीय कार्यों के आउटसोर्स करने की कोई जानकारी नहीं थी। जबकि नियमानुसार, एकरारनामा के पहले प्रेस की भौतिक स्थिति, कार्यानुभव, कार्य करने की क्षमता, लॉजिस्टिक, मशीनरी समेत अन्य जांच की पूरी जिम्मेदारी अध्यक्ष की थी।

सीए हेमंत ने बताया कि ब्लेसिंग सिक्योर प्रेस कंपनी के निदेशक कौशिक के लिए वे काफी दिनों से काम करते हैं। उन्होंने ही कॉलटेक्स मल्टीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड नामक फर्जी कंपनी खोलने की बात कही थी। इस कंपनी का पता भी कौशिक ने व्हाट्सएप कर भेजा था।

सबसे बड़ी बात यह है कि बिहार पुलिस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह ने भी इनपर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि सिंघल पूरी तरह से भ्रष्टचार में लिप्त अधिकारी है। डीजीपी पद पर रहते हुए पुलिसकर्मियों के विभागीय करवाई से विभाग से संबंधित ज़िला / रेंज से अनेकों फ़ाईल अपने पास मंगवाकर से आरोपी से खुद डील करते थे। यह डील कभी पुलिस मुख्यालय में होती थी और कभी डेरा पर या वह नहीं रहे तो उनकी पत्नी भी करती थी। उसके बाद उल्टा-पुल्टा साक्ष्य के आधार का आदेश निर्गत किया जाता था। इनके ऊपर जांच होनी चाहिए और जांच पूरी होने के बाद एक्शन लिया जाना चाहिए। 

इन सब के बीच सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न यह है कि अबतक तो किसी भी परीक्षा के पेपर लीक मामले में माफियाओं के हाथ होने की बात सामने आती थी, लेकिन जब वह अधिकारी जिसपर परीक्षा को निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराने की जिम्मेवारी होती है वही भ्रष्टाचार में लिप्त हो तो ऐसे ऐसे मामलों पर कैसे लगेगी रोक और कैसे दिन-रात एक कर नौकरी की सपना संजोए युवाओं को उनके मेहनत का फल अभ्यर्थियों को मिल पायेगा।