हिंद महासागर में चीन का बढ़ता प्रभाव भारत के लिए बड़ा “सिरदर्द
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भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा विवाद चला आ रहा है। साल 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई सैन्य झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव ज़्यादा गहरा गया है। जानकारों की मानें तो ये तनाव हिन्द महासागर में भी महसूस हो रहा है क्योंकि दोनों ही देश इस इलाक़े में अपना दबदबा बनाना चाहते हैं। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों के बीच हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री ने बड़ा बयान दिया है। एस जयशंकर का कहना है कि हिंद महासागर में अशांति पैदा करने वाले बदलाव होने की आशंका है और भारत को इसके लिए तैयार रहने की जरूरत है।
हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी नौसेना की बढ़ती उपस्थिति और गतिविधियां भारतीय नीति निर्माताओं और सुरक्षा विशेषज्ञों के लिए चिंता और चर्चा का विषय बनी हुई है। रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि जिस तरह से चीन हिंद महासागर में अपनी ताकत बढ़ा रहा है, उसको देखते हुए भारत को तत्काल इस बात की आवश्यकता है कि वह अंडमान के पास अपनी नौसैनिक उपस्थिति को जोरदार तरीके से बढ़ाए।
हिन्द महासागर में चीन जिस रणनीति को विकसित करता दिख रहा है उसे "स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल्स" के नाम से जाना जाता है। इस रणनीति के मुताबिक़ हिंद महासागर के आसपास के देशों में रणनीतिक बंदरगाहों और बुनियादी ढांचे का निर्माण और सुरक्षा शामिल है जिसका उपयोग ज़रूरत पड़ने पर सैन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। माना जाता है कि ये "पर्ल्स" चीन की ऊर्जा हितों और सुरक्षा उद्देश्यों की रक्षा के लिए मध्य पूर्व से दक्षिण चीन सागर तक समुद्री मार्गों पर कई देशों के साथ रणनीतिक संबंध बनाने में मदद करने के लिए बनाए जा रहे हैं।
चीन हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका में जिबूती में और पाकिस्तान के ग्वादर में बंदरगाह बना रहा है। साथ ही उसने श्रीलंका के हंबनटोटा को 99 साल की लीज़ पर ले लिया है। ये बंदरगाह चीन को हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी नौसैनिक पहुँच और प्रभाव बढ़ाने में मददगार हैं।
2010 के अंत से ही, श्रीलंका, म्यांमार और मालदीव जैसे रणनीतिक महत्त्व के देशों के आस-पास के एरिया में चीन जासूसी जहाजों को तैनात कर रहा है, हालांकि वह कहता रहा है कि यह समुद्री रिसर्च के लिए तैनात किए गए जहाज़ हैं। वे समुद्र पर प्रभुत्व के लिए अपनी नौसैनिक क्षमताओं को मजबूत करने के चीन के व्यवस्थित प्रयासों के साथ-साथ अपनी समुद्री क्षमताओं को मजबूत करते हुए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपने प्रभाव का विस्तार करने के देश के प्रयास पर प्रकाश डालते हैं। विशेष रूप से ध्यान देने योग्य बात यह है कि चीन के पास दोहरे उद्देश्य वाले नागरिक अनुसंधान जहाजों के दुनिया के सबसे बड़े बेड़े का कब्ज़ा है, जो स्पष्ट रूप से वैज्ञानिक और वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए तैनात किया गया है, लेकिन इसके व्यापक रणनीतिक उद्देश्यों के साथ भी जुड़ा हुआ है।
हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन के बीच मतभेद सीमा विवाद से कहीं आगे तक जाते हैं। यह निर्विवाद रूप से हिंद महासागर क्षेत्र तक विस्तृत है। पिछले साल सितंबर में, विदेश मंत्री ने कहा था, चीनी नौसेना के आकार और हिंद महासागर क्षेत्र में तैनाती में बहुत तेज वृद्धि हुई है। भारतीय दृष्टिकोण से, हमारे लिए तैयारी करना बहुत उचित है। हमने पहले की तुलना में कहीं अधिक बड़ी चीनी उपस्थिति देखी है।
चीन के बढ़ते नौसैनिक प्रभाव के बीच बड़ा सवाल ये है कि चीनी नौसेना भारत के लिए कितना बड़ा ख़तरा है और उसके मुक़ाबले भारतीय नौसेना कहां खड़ी है?
Aug 24 2024, 10:58