असम में अब काजी नहीं कर सकेंगे मुस्लिमों की शादी का रजिस्ट्रेशन, बदलेगा 90 साल पुराना कानून
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असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार मुस्लिम पर्सनल लॉ के कुछ प्रावधानों को रद्द करने वाली है। दरअसल, असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार गुरुवार को विधानसभा में मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स रजिस्ट्रेशन बिल 2024 पेश करेगी। एक बार लागू होने के बाद, यह कानून मुस्लिम विवाह और तलाक को दर्ज करने वाले काजियों की भूमिका को खत्म कर देगा। इससे पहले बुधवार को असम कैबिनेट इस बिल को मंजूरी दे चुकी है। अब इसे सदन में पेश किया जाएगा।
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राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा- बिल में 2 विशेष प्रावधान हैं। पहला- मुस्लिम शादी का रजिस्ट्रेशन अब काजी नहीं सरकार करेगी। दूसरा- बाल विवाह के पंजीकरण को अवैध माना जाएगा। सीएम हिमंत ने कहा कि अब तक काजी नाबालिग लड़कियों की शादियां भी रजिस्टर्ड करते थे। अब ऐसा नहीं होगा। अब बाल विवाह रजिस्ट्रेशन बिल्कुल नहीं होगा। हम बाल विवाह की बुराई को खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि नया बिल इस्लामिक निकाह सिस्टम में बदलाव नहीं करेगा। केवल रजिस्ट्रेशन पार्ट में ही बदलाव होगा। शादी और तलाक रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्टर्ड होंगे।
नए बिल के पास होकर कानून बनने के बाद जिला आयुक्तों और रजिस्ट्रारों को मौजूदा वक्त में 94 काजियों के पास मौजूद रजिस्ट्रेशन के रिकॉर्ड को अपने कब्जे में लेने का अधिकार होगा। जिन्हें 1935 के ब्रिटिश युग के कानून द्वारा वैध बनाया गया था। 90 साल पहले अंग्रेजों के दौर में 1935 के कानून में निकाह और तलाक के लिए रजिस्ट्रेशन का जिक्र किया गया था। इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक बनाया गया था। यह अधिनियम मुस्लिम विवाह और तलाक के पंजीकरण की प्रक्रिया निर्धारित करता था। साल 2010 में इसमें बदलाव किया गया और रजिस्ट्रेशन को ऐच्छिक न रखकर, अनिवार्य किया गया। 1935 के कानून में विशेष स्थिति में कम उम्र में निकाह करने की अनुमति दी जाती।
असम कैबिनेट ने जुलाई की शुरुआत में प्रस्तावित अनिवार्य पंजीकरण कानून के लिए रास्ता साफ करने के लिए असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को निरस्त करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दी थी।1935 के कानून के तहत स्पेशल कंडीशन में कम उम्र में निकाह करने की अनुमति दी जाती थी। जुलाई में जारी इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन रिपोर्ट ने बाल विवाह से निपटने के लिए असम सरकार के प्रयासों की सराहना की। रिपोर्ट में कहा गया कि कानूनी कार्रवाई के जरिए असम में बाल विवाह के मामलों को कम किया है।







कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या का मुख्य आरोपी संजय रॉय पाश्विक प्रवृति का शख्स है, ये बात सीबीआई साइको एनालिटिक प्रोफाइल से पता चलती है।साइकोएनालिट पूछताछ के दौरान 31 साल के संजय रॉय के माथे पर कोई शिकन न थी, ना ही कोई पछतावा। उसने बिना कोई भावना जाहिर किए क्राइम सीन पर क्या हुआ, उस पर अपना पक्ष रखा। संजय रॉय से पूछताछ करने के लिए मनोविश्लेषकों की टीम आई। टीम ने जब उससे पूछताछ की तो वे एक ऐसे शख्स से परिचित हुए जो उसके अंदर छिपा हुआ था। उसने बिना किसी डर या पश्चाताप के घटना के दिन के बारे में बताया। रविवार को सीबीआई जांच में शामिल हुए विशेषज्ञों ने एजेंसी को दिए गए उसके बयानों को भी स्कैन किया ताकि उन्हें पोस्टमॉर्टम और फोरेंसिक निष्कर्षों से जोड़ा जा सके। सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि अपराध स्थल पर संजय रॉय की मौजूदगी की पुष्टि तकनीकी और वैज्ञानिक साक्ष्यों से हुई है, लेकिन वे डीएनए परीक्षणों के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, कोलकाता पुलिस के मुताबिक, अस्पताल में सिविल वालंटियर के रूप में तैनात संजय रॉय अपराध वाली रात को दो वेश्यालयों में भी गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस सूत्रों ने बताया कि संजय रॉय 8 अगस्त की रात को रेड लाइट एरिया सोनागाछी गया था। यहां उसने शराब पी और एक के बाद एक दो वेश्यालयों का दौरा किया। इसके बाद वह आधी रात के बाद अस्पताल गया।सीसीटीवी फुटेज में रॉय को सुबह 4 बजे अस्पताल परिसर में फिर से प्रवेश करते हुए देखा गया है। जांचकर्ताओं का मानना है कि वह फिर तीसरी मंजिल के सेमिनार हॉल में पहुंचा, जहां पीड़िता सो रही थी।



Aug 22 2024, 14:49
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