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जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में CRPF दल पर हमला, एक इंस्पेक्टर की मौत

जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में आतंकियों ने सोमवार को सीआरपीएफ के दल पर हमला किया है। इस हमले में एक इंस्पेक्टर के बलिदान की खबर है। सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी है। फिलहाल दोनों ओर से फायरिंग जारी है।

एक अधिकारी ने बताया कि उधमपुर के रामनगर के चील इलाके में सीआरपीएफ की नियमित गश्त के दौरान आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें सीआरपीएफ के एक इंस्पेक्टर बलिदान हो गए। शहीद की पहचान कुलदीप के रूप में हुई है।

इससे पहले सात अगस्त को भी उधमपुर के बसंतगढ़ क्षेत्र में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। हालांकि आतंकी खराब मौसम और धुंध का फायदा उठाकर भागने में कामयाब रहे थे। माना जा रहा है कि उधमपुर के बसंतपुर के ऊपर जंगल में आतंकियों के कुछ ग्रुप यहां बीते कुछ महीने से छिपे हुए हैं। लोग संदिग्ध देखे जाने की लगातार सूचना दे रहे हैं। इतने समय तक बिना गाइड व मददगारों के छिपना संभव नहीं है।

सूत्रों की माने तो इन आतंकियों को किसी स्थानीय के यहां शरण मिल रही है। मौजूदा समय में गुज्जर-बकरवालों के कई डेरे जंगलों व पहाड़ों पर हैं। इनको धमकाकर आतंकी खाने का इंतजाम कर लेते हैं। सुरक्षाबलों को अप्रैल से इस क्षेत्र में आतंकियों की गतिविधियों के बारे में सूचना है।
हेल्थ वर्कर्स की बढ़ाई जाएगी सुरक्षा, कमेटी भी बनेगी, देश भर में डॉक्टरों की हड़ताल के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय का बड़ा फैसला


डेस्क: देश भर में डॉक्टरों की हड़ताल के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने बड़ा फैसला किया है। केंद्र सरकार ने सभी मेडिकल हॉस्पिटल्स में 25% सुरक्षा बढ़ाने का आदेश दिया है। वहीं, मंत्रालय ने हेल्थकेयर वर्कर्स की सुरक्षा के लिए एक कमेटी भी बनाने का आदेश दिया है। DGHS की अध्यक्षता में जो कमेटी बनाई जाएगी, वह डॉक्टरों और हेल्थकेयर वर्कर्स की समस्याओं पर सुझाव लेंगी। डॉक्टरों की बेसिक समस्याएं जैसे रेस्ट रुम, CCTV सुविधाएं इन सबको दुरुस्त किया जाएगा। जरूरत के आधार पर मार्शल भी बढ़ाए जाएंगे। अस्पताल में हिंसा मामले को लेकर 6 घंटे के भीतर FIR दर्ज कराने का आदेश दिया गया है। इस कमेटी में राज्य सरकार समेत सभी अहम स्टेकहोल्डर्स के प्रतिनिधि होंगे।

स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी से आज कई रेजिडेंट डॉक्टरों के प्रतिनिधियों की मुलाकात हुई। 26 राज्यों में पहले ही स्वास्थ्य सेवाकर्मियों की सुरक्षा के लिए कानून  है। जिसमें 3 साल से 10 तक की सजा का प्रावधान है। सरकार ने डाक्टरों को समझाया कि ऑर्डिनेंस से कोई फायदा नहीं होगा। रेजिडेंट डॉक्टरों की मांग उचित नहीं है। डॉक्टर जो भी मांग कर रहे हैं, वह राज्यों के कानून में कवर नहीं होता। पश्चिम बंगाल का मामला निंदनीय है और ये रेप मर्डर के कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी। अगर डॉक्टर ऐसे ही अपनी मांग पर अड़े रहे तो कानून और कोर्ट के आदेश के आधार पर डॉक्टर के खिलाफ एक्शन हो सकता है।


मिनिस्ट्री ने प्रदर्शन पर बैठे डॉक्टर्स को काम पर लौटने को कहा है। मंत्रालय का कहना है कि इस समय डेंगू और मलेरिया के मामले बढ़ रहे हैं तो इस समय डॉक्टर्स की बहुत जरूरत है। मंत्रालय ने डॉक्‍टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी उपाय सुझाने के लिए एक समिति गठित करने का आश्‍वासन दिया है। 26 राज्य स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए कानून पारित कर चुके हैं।


दिल्‍ली मेडिकल एसोसिएशन के वरिष्‍ठ उपाध्‍यक्ष डॉ. सुनील सिंघल ने कहा कि हम जनहित में अब भी काम कर रहे हैं। हम इमरजेंसी ड्यूटी कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि हमें स्‍टेट लॉ नहीं बल्कि सीपीए चाहिए। साथ ही उन्‍होंने कहा कि हमें काम करने के लिए सुरक्षित वातावरण चाहिए। उन्‍होंने सरकार के कमेटी बनाने पर कहा कि कमेटी बनाने से क्‍या होगा, यह पहले भी हो चुका है।

बता दें कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के स्ट्राइक के आह्वान पर इस समय देश भर में ओपीडी बंद है। डॉक्टर्स कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के रेप और हत्या के विरोध में हड़ताल पर बैठे हुए हैं। सभी मेडिकल सर्विसेज ठप हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने देश भर के एलोपैथिक डॉक्टर्स को इमरजेंसी और कैजुअल्टी को छोड़ सभी प्रकार की सर्विसेज बंद करने को कहा था। विरोध कर रहे डॉक्टर्स सरकार से पीड़िता और उनके परिवार के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि घटना को 10 दिन से भी ज्यादा हो गए हैं। लेकिन अभी तक कोई गंभीर कार्रवाई नहीं हुई।

मालूम हो कि 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर की रेप कर हत्या कर दी गई। इससे देश भर के डॉक्टर्स के बीच रोष है जो विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के रेप और हत्या के विरोध में सभी मेडिकल सर्विसेज ठप हैं।
रक्षाबंधन के मौके पर गणेश जी को पहनाई गई दुनिया की सबसे बड़ी राखी, वजन है 125 किलो


डेस्क : मध्य प्रदेश के इंदौर में भगवान गणेश को दुनिया की सबसे बड़ी राखी पहनाई गई है। इस राखी का वजन 125 किलो है और इसकी डोर की लंबाई 101 मीटर है। इस राखी को पर्यावरण बचाने की थीम पर बनाया गया है।

भगवान गणेश के भक्तों की एक संस्था ने अपने इष्ट देव को रक्षाबंधन पर सोमवार को 169 वर्ग फुट की राखी अर्पित की। संस्था का दावा है कि यह पर्यावरण बचाने की थीम पर बनाई गई दुनिया की सबसे बड़ी राखी है। श्री विघ्नहर्ता गणेश भक्त समिति के सचिव राहुल शर्मा ने बताया कि रक्षाबंधन के दिन शुभ मुहूर्त पर शहर के खजराना गणेश मंदिर में भगवान को यह राखी अर्पित की गई।

उन्होंने इसे पर्यावरण बचाने की थीम पर बनाई गई दुनिया की सबसे बड़ी राखी बताया। शर्मा ने बताया कि 13 गुणा 13 फुट की राखी की डोर 101 मीटर लम्बी है जिसे पूरे मंदिर परिसर पर बांधा गया है। उन्होंने बताया कि राखी का वजन 125 किलोग्राम है और इसे 15 कलाकारों ने पखवाड़े भर में तैयार किया है।


राखी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में विश्व पर्यावरण दिवस पर पांच जून से शुरू किए गए एक पेड़ मां के नाम पौधारोपण अभियान का नाम भी लिखा गया है। शर्मा ने कहा कि हमने भगवान गणेश को यह राखी अर्पित करते समय उनसे प्रार्थना की कि वह वैश्विक तापमान में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के खतरों से पृथ्वी की रक्षा करें। यह राखी बनाने के पीछे हमारा मकसद आम लोगों को पर्यावरण बचाने के लिए जागरूक करना है।
23 अगस्त को यूक्रेन जाएंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, 30 साल बाद किसी भारतीय पीएम का होगा दौरा



डेस्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे की जानकारी यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के कार्यालय ने बयान जारी कर दिया है. बताया गया कि 23 अगस्त को राष्ट्रीय ध्वज दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन की आधिकारिक यात्रा पर आएंगे. यह हमारे द्विपक्षीय संबंधों के इतिहास में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यूक्रेन की पहली यात्रा है. इस यात्रा के दौरान, विशेष रूप से, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. यह भी उम्मीद है कि यूक्रेन और भारत के बीच कई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यूक्रेन दौरा कई मायनों में खास है. पहला की पीएम मोदी ऐसे समय में यात्रा करेंगे, जब यूक्रेन और रूस के बीच लंबे समय से युद्ध जारी है. दूसरा की यह पिछले 30 साल में पहला मौका होगा, जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री यूक्रेन दौरे पर जाने वाले हैं. 1991 में यूक्रेन स्वतंत्र हुआ था. जिसके बाद पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री वहां की यात्रा में जा रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कीव यात्रा से कुछ दिन पहले भारत ने सोमवार को कहा कि वह यूक्रेन संकट का शांतिपूर्ण समाधान तलाशने में योगदान देने को इच्छुक है. विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि भारत हमेशा से यूक्रेन में संघर्ष को सुलझाने के लिए कूटनीति और वार्ता की हिमायत करता रहा है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन में जारी संघर्ष पर भी चर्चा होगी. लाल ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत के रूस और यूक्रेन, दोनों देशों के साथ संबंध हैं.
सीएम सिद्धारमैया ने खटखटाया कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा, MUDA मामले में राज्यपाल की मंजूरी रद्द करने की मांग की

#cm_siddaramaiah_moves_karnataka_hc 

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने एक रिट याचिका दायर कर मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा वैकल्पिक स्थलों के आवंटन में अनियमितताओं के संबंध में उनके खिलाफ जांच की मंजूरी देने वाले राज्यपाल थावरचंद गहलोत के आदेश को चुनौती दी।

राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने बीते दिनों मूडा (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) के कथित भूमि घोटाले में मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कैबिनेट की राय मांगी थी। जिसके बाद गुरुवार को मंत्रिपरिषद की बैठक हुई, जिसमें राज्यपाल को कारण बताओ नोटिस वापस लेने की सलाह दी गई। साथ ही मंत्रिपरिषद ने इसे बहुमत से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करार दिया। हालांकि राज्यपाल ने कानूनी विशेषज्ञों से इस संबंध में राय ली। जिसके बाद राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी। 

राज्यपाल के आदेश के बाद कर्नाटक में सियासी बवाल खड़ा हो गया है। सत्ताधारी दल के नेता मुख्यमंत्री का बचाव कर रहे हैं तो वहीं विपक्ष सिद्धारमैया को घेरने की कोशिश में लगा है। इस बीच मुख्यमंत्री ने हाई कोर्ट का रुख कर लिया है।

राज्यपाल के आदेश पर सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि पूरा मंत्रिमंडल, पार्टी हाईकमान, सभी विधायक, एमएलसी, लोकसभा और राज्यसभा सांसद मेरे साथ हैं। बीजेपी, जेडीएस और अन्य दलों ने लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकार को हटाने की साजिश रची है। मैंने ऐसा कोई गलत काम नहीं किया है कि इस्तीफा देना पड़े। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि मंजूरी आदेश बिना सोचे-समझे जारी किया गया, यह वैधानिक आदेशों का उल्लंघन है तथा मंत्रिपरिषद की सलाह सहित संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत है, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत बाध्यकारी है। सिद्धारमैया ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत पूर्व अनुमोदन और मंजूरी देने वाले 16 अगस्त के आदेश को चुनौती दी।

उन्होंने कहा, "माननीय राज्यपाल का निर्णय कानूनी रूप से अस्थिर, प्रक्रियागत रूप से त्रुटिपूर्ण और बाहरी विचारों से प्रेरित है और इसलिए याचिकाकर्ता ने अन्य राहतों के साथ-साथ 16.08.2024 के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए यह रिट याचिका दायर की है।"

पीएम मोदी ने छात्राओं के साथ मनाया रक्षाबंधन, कलाई पर दिखी एक खास राखी

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आज पूरा देश रक्षाबंधन का पर्व बड़े ही प्यार और उल्लास के साथ मना रहा है। इस खास मौके पर आज पीएम मोदी को भी दिल्ली में स्कूली छात्रों ने राखी बांधी। इस दौरान वे बहुत खुश नजर आए। राखी से पीए मोदी की कलाई भर गई।

एक बच्ची ने पीएम मोदी को बहुत ही खास राखी बांधी। इस राखी में एक विशेष संदेश के साथ एक तस्वीर भी थी। उसमें पीएम की दिवंगत मां की फोटो लगी है। इस खास राखी में लगी फोटो में पीएम मोदी अपनी मां के पैरों को धोते हुए नजर आ रहे हैं।

इससे पहले रक्षाबंधन त्योहार पर पीएम मोदी ने देश के लोगों को बधाई दी है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखते हुए कहा, 'समस्त देशवासियों को भाई-बहन के असीम स्नेह के प्रतीक पर्व रक्षाबंधन की ढेरों शुभकामनाएं। यह पावन पर्व आप सभी के रिश्तों में नई मिठास और जीवन में सुख, समृद्धि एवं सौभाग्य लेकर आए।'

इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि सावन के आखिरी सोमवार को लेकर भी हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह पर्व भाई-बहन के प्यार एवं पवित्र रिश्ते को और गहरा करता है। अटूट प्रेम के इस पर्व पर बहनें जहां अपने भाइयों की सफलता की प्रार्थना करती है। भाई इसके बदले अपनी बहनों की हर प्रकार की विपत्ति से रक्षा करने का संकल्प लेते हैं।

इस तरह बांधें भाईयों को राखी, होगा मंगल ही मंगल, जानिए कब राखी बांधने का है शुभ मुहूर्त

 

रक्षा बंधन इस वर्ष 19 अगस्त को यानी आज मनाया जा रहा है। इस बार भद्राकाल के चलते सुबह राखी नहीं बांधी जाएगी। भद्राकाल, जो शनि की बहन मानी जाती हैं, को शुभ कार्यों में बाधा डालने वाली माना जाता है। इसलिए इस समय कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। इस बार भद्राकाल सुबह से शुरू हो जाएगा, जिससे राखी दोपहर बाद बांधना सही रहेगा।

19 अगस्त को राखी बांधने के लिए लगभग 7 घंटे 37 मिनट का शुभ मुहूर्त उपलब्ध है। आप दोपहर डेढ़ बजे के बाद से राखी का त्योहार मना सकते हैं।

राखी बांधने की विधि परंपरागत रूप से विविध होती है, लेकिन इस विशेष दिन पर कुछ सामान्य रिवाज होते हैं। इस बार रक्षा बंधन पर सौभाग्य और शोभन योग बन रहे हैं, जिससे यह समय शुभ और फलदायी माना जा रहा है।

राखी बांधने से पहले, सबसे पहले भगवान को पूजा की जाती है। इसके लिए निम्नलिखित मंत्रों का उच्चारण किया जाता है:

ऊँ नमो नारायणाय

ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय

येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:

इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए, राखी की पूजा की जाती है जिसमें रोली, अक्षत, फूल, धूप, दीप और प्रसाद का उपयोग किया जाता है। इसके बाद, चावल, पीला सरसों, दूब और पीला सिक्का को रेशमी या सूती वस्त्र में बांधकर कलाई में बांधने तक रखे जाते हैं। इसके साथ ही मौली (सुतली) भी जोड़कर राखी बांधी जाती है।

कई स्थानों पर राखी बांधते समय भाई को नारियल भी दिया जाता है। इस प्रकार से राखी की पूजा और बांधने की परंपरा को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ निभाया जाता है।

रक्षा बंधन 19 अगस्त को पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाएगा, जो सुबह 3:04 बजे से रात 11:55 बजे तक रहेगी। भद्राकाल की अवधि पूर्णिमा तिथि की शुरुआत के साथ शुरू होकर दोपहर 1:30 बजे तक चलेगा। राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:30 से रात 9:07 तक है।

यूपीएससी लेटरल एंट्री पर सियासी घमासान तेज, राहुल गांधी का आरोप-खुलेआम SC-ST और OBC का आरक्षण छीना जा रहा

#rahulgandhitargetsmodigovtlateralentry 

संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) ने लैटेरल एंट्री के जरिए टॉप पोस्ट पर वैकेंसी निकाली है। ने लेटरल एंट्री के जरिए सीधे

रक्षाबंधन स्पेशल: भस्म आरती में सबसे पहले उज्जैन में बाबा महाकाल को बांधी गई राखी

उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में इस बार रक्षाबंधन का त्योहार बेहद खास तरीके से मनाया जा रहा है। श्रावणी पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को भगवान महाकाल को राखी बांधकर उनकी विशेष पूजा की गई। रविवार-सोमवार की मध्यरात्रि 2:30 बजे भस्म आरती के दौरान सबसे पहले भगवान महाकाल को राखी बांधी गई, जो इस पवित्र दिन की शुरुआत थी। इसके बाद भगवान महाकाल को सवा लाख लड्डुओं का महाभोग अर्पित किया गया, जिससे पूरे मंदिर परिसर में एक खास आध्यात्मिक माहौल बन गया। सवा लाख लड्डुओं का भोग: भक्ति की अनोखी परंपरा महाकाल मंदिर में श्रावण मास के दौरान भस्म आरती की एक अनोखी परंपरा है, जिसमें भगवान महाकाल को सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। इस बार, शासकीय पुजारी पं. घनश्याम शर्मा, पं. आशीष पुजारी, पं. संजय पुजारी और पं. विकास पुजारी के परिवारों द्वारा यह पूजा संपन्न की गई। उन्होंने पूरी श्रद्धा के साथ भगवान को सवा लाख लड्डुओं का भोग अर्पित किया। इस भोग के बाद, दिनभर भक्तों को लड्डू महाप्रसादी के रूप में वितरित किए गए। भक्तगण महाप्रसादी पाकर धन्य हो गए और मंदिर का वातावरण भक्ति से ओतप्रोत हो गया। श्रावण मास की आखिरी सवारी आज श्रावण मास में भगवान महाकाल की विशेष सवारी निकलती है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं। इस बार सोमवार को श्रावण मास की पांचवीं और आखिरी सवारी निकाली जाएगी। इस सवारी में भगवान महाकाल के होल्कर मुखारविंद के दर्शन भक्तों को प्राप्त होंगे। यह सवारी मंदिर से शाम 4 बजे परंपरागत शाही ठाठ-बाट के साथ शुरू होगी। खास बात यह है कि इस बार की सवारी में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी शामिल होंगे, जिससे इस आयोजन की महत्ता और बढ़ गई है। श्रावण मास की सवारी के बाद, 26 अगस्त को भादौ मास की पहली सवारी और 2 सितंबर को श्रावण-भादौ मास की शाही सवारी निकलेगी। इन सवारियों का भक्तगण बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि इसमें भगवान महाकाल की झलक पाने के लिए दूर-दूर से लोग उज्जैन आते हैं। महाकाल मंदिर में रक्षाबंधन की विशेषता महाकाल मंदिर में रक्षाबंधन का त्योहार हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस साल सवा लाख लड्डुओं के महाभोग और भव्य सवारी ने इसे और खास बना दिया। इस दिन भगवान महाकाल को राखी बांधने की परंपरा के साथ ही भक्तों को भी यह मौका मिलता है कि वे अपनी आस्था और भक्ति को और भी मजबूती से महसूस कर सकें। महाकाल मंदिर में रक्षाबंधन के इस खास आयोजन ने पूरे शहर में एक अलग ही उमंग भर दी है। भक्तों की भीड़, भस्म आरती, लड्डुओं का भोग, और भव्य सवारी—इन सबके बीच भक्तगण भगवान महाकाल के आशीर्वाद की कामना कर रहे हैं। इस पवित्र माहौल में रक्षाबंधन का पर्व और भी खास बन गया है।
साउथ चाइना सी में फिलिपींस के जहाज ने चीनी शिप को मारी टक्कर, भड़का ड्रैगन, दी चेतावनी*
#china_accuses_philippines_of_deliberately_crashing_its_one_ships
चीन और फिलीपींस के जहाजों के बीच सोमवार सुबह साउथ चाइना सी में टक्कर हो गई। चीन के तट रक्षक बल ने सोमवार तड़के आरोप लगाया कि फिलिपींस के जहाजों ने विवादित सबीना शोल में एक चीनी जहाज को टक्कर मारी है। चीनी तटरक्षक बल के प्रवक्ता गान यू ने बताया कि दो फिलीपीन तटरक्षक जहाजों ने बिना अनुमति के चीन के जल क्षेत्र में अवैध घुसपैठ की। सोमवार सुबह चीनी तटरक्षक बल ने दावा किया कि फिलीपींस के एक जहाज ने चेतावनियों को दरकिनार करते हुए एक चीनी जहाज को टक्कर मार दी। चीनी तट रक्षक बल के प्रवक्ता गान यू ने एक बयान में दावा किया, “फिलिपींस तट रक्षक बल के दो जहाज सबीना शोल के पास जल क्षेत्र में दाखिल हुए, चीनी तट रक्षक बल की चेतावनी को नजरअंदाज किया और तड़के 3:24 बजे एक चीनी पोत को जानबूझकर टक्कर मार दी।” गान यू ने कहा, “इस टक्कर के लिए फिलिपींस पक्ष पूरी तरह से जिम्मेदार है। हम फिलिपींस पक्ष को क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन और उकसावे भरी कार्रवाई तुरंत बंद करने की चेतावनी देते हैं, वरना उसे इसके सभी गंभीर नतीजे भुगतने होंगे।” उन्होंने कहा कि चीन सबीना शोल और उसके निकटवर्ती जल क्षेत्र सहित पूरे स्प्रैटली द्वीप समूह पर “निर्विवाद संप्रभुता” का दावा करता है। स्प्रैटली द्वीप समूह को चीन में नान्शा द्वीप समूह, जबकि सबीना शोल को जियानबिन रीफ के नाम से जाना जाता है। पिछले दिनों ही चीन और फिलीपींस के बीच एक समझौता हुआ है। जिससे दक्षिण चीन सागर में एक द्वीप के सबसे विवादित इलाके 'सेकंड थॉमस शोल' में टकराव खत्म होने की उम्मीद है। 'सेकंड थॉमस शोल' फिलीपींस के कब्जे में है, लेकिन चीन भी इस पर दावा करता है। फिलीपींस और चीन में हुए समझौते का उद्देश्य किसी भी पक्ष के क्षेत्रीय दावों को स्वीकार किए बिना ऐसी व्यवस्था बनाना है, जो दोनों पक्षों के लिए स्वीकार्य हो। चीन वर्तमान में दक्षिण चीन सागर के अधिकांश क्षेत्र पर अपना अधिकार होने का दावा करता है, लेकिन चीन के इस दावे का कोई कानूनी आधार नहीं है। हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय ने 2016 में एक निर्णय दिया था, जिसमें स्पष्ट किया था कि इस क्षेत्र पर चीन के दावों का कोई कानूनी आधार नहीं है। यह निर्णय संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) पर आधारित था। हालांकि, चीन ने इसे अस्वीकार कर दिया।