*बांग्लादेश में खालिदा जिया की वापसी क्यों भारत के लिए चुनौती?
# bangladesh_coupe_khaleda_zias_return_effect_on_india
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद शेख हसीना के भारत भाग जाने के बाद, उनकी कट्टर प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया, जो पूर्व प्रधानमंत्री हैं, को वर्षों की नजरबंदी से रिहा कर दिया गया है। उनकी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ( बीएनपी) देश में मुख्य विपक्षी पार्टी है। देश की अंतरिम सरकार चुनाव कराएगी, जिसमें उनकी जीत की पूरी संभावना है। जिया का सत्ता में वापस आना भारत के लिए चिंताजनक होगा।
शेख हसीना की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के एक मामले में 17 साल की सजा सुनाए जाने के बाद 2018 में जेल में डाल दिया गया था। जेल से उनकी रिहाई इस बात का संकेत है कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी पर उनकी पकड़ बनी हुई है, जिसकी वे अध्यक्ष बनी हुई हैं। माना जा रहा है कि अपनी खराब सेहत के बावजूद खालिदा जिया बनने वाली अंतरिम सरकार में अहम भूमिका निभाएंगी। भारत के लिए, खालिदा जिया की मुख्यधारा बांग्लादेशी राजनीति में वापसी आने वाले समय के लिए सकारात्मक संकेत नहीं है। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनका पाकिस्तान समर्थक रवैया रहा है। साथ ही उनकी पार्टी और उनके संभावित सहयोगी जमात-ए-इस्लामी का भी।
बीएनपी सत्ता में आने से पहले ही शेख हसीना को शरण देने पर नाखुशी जाहिर कर चुकी है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक बीएनपी के एक नेता ने कहा, 'हमारी पार्टी का मानना है कि बांग्लादेश और भारत को आपसी सहयोग करना चाहिए। अगर आप हमारे दुश्मन की मदद करते हैं तो उस आपसी सहयोग का सम्मान मुश्किल हो जाता है।'
खालिदा जिया के कार्यकाल के दौरान भारत विरोधी ताकतें बांग्लादेश में मजबूत हुईं। आतंकियों को बांग्लादेश के इस्तेमाल की खुली छूट दे दी गई। जिया के शासन के दौरान, पहले 1991 से 1996 तक और फिर 2001 से 2006 तक, पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद में तेजी आई थी।
1997 में खालिदा जिया ने खुलेआम पूर्वोत्तर भारत में विद्रोही समूहों के लिए बीएनपी के समर्थन की घोषणा की, और दावा किया कि वे स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा: "वे (पूर्वोत्तर विद्रोही) स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे हैं। हमने भी इसके लिए लड़ाई लड़ी है, इसलिए हम हमेशा किसी भी स्वतंत्रता आंदोलन के पक्ष में हैं।"
जिया ने कहा कि पूर्वोत्तर के उग्रवादी समूहों के खिलाफ बांग्लादेश की सेना के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जाएगी। दिलचस्प बात यह है कि जब शेख हसीना ने सत्ता संभाली, तो वह उग्रवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक प्रमुख भागीदार बन गईं और बांग्लादेशी धरती से भारत के खिलाफ काम करने वाले उग्रवादियों पर नकेल कसने में बड़ी सहायता प्रदान की।
वहीं, 2001 से 2006 के बीच जिया की सत्ता के दौरान पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने ढाका में मजबूती से अपनी उपस्थिति बढ़ाई। भारत में कई आतंकी हमलों में अहम भूमिका निभाई। पूर्वोत्तर राज्यों के उग्रवादियों का ठिकाना भी बीएनपी शासन के दौरान आईएसआई के संरक्षण में बांग्लादेश में बना। हालांकि, हसीना जब सत्ता में आईं तो उन्होंने कार्रवाई का आदेश दिया और विद्रोही नेताओं को भारत के हवाले कर दिया।
यही नहीं, भारत का दूसरा दुश्मन चीन भी बीएनपी का करीबी सहयोगी रहा है। चीन बांग्लादेश की आजादी का विरोधी रहा है। शेख मुजीब की हत्या के बाद उसने बांग्लादेश को मान्यता दी थी।
Aug 17 2024, 15:25