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संघ पर लगा बैन हटा, क्या रिश्तों के बीच आई दरारों को भरने की है कोशिश?
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भारतीय जनता पार्टी का बैकबोन यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) इन दिनों सुर्खियों में है। कभी बीजेपी के लिए नींव का काम करने वाले संघ से ही उसके रिश्ते तल्ख होते जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान और बाद में हुई बयानबाजी के बाद सवाल उठने लगा है कि क्या आरएसएस और बीजेपी के रिश्ते खत्म होने के कगार पर हैं? क्या अब भाजपा को संघ की जरूरत नहीं है? हालांकि इन सवालों और आरएसएस और बीजेपी में चल रही तनातनी की खबरों के बीच केंद्र सरकार का बड़ा फैसला सामने आया है। 58 साल बाद सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) में शामिल होने पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है। अब ऐसे में अहम सवाल ये उठ रहा है कि क्या संघ की नाराजगी दूर करने के लिए केन्द्र की मोदी सरकार ने ये फैसला लिया है?

केंद्र सरकार ने 1966, 1970 और 1980 में तत्कालीन सरकारों द्वारा जारी उन आदेशों में संशोधन किया गया है, जिनमें सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की शाखाओं और उसकी अन्य गतिविधियों से दूर रखने के लिए रोक लगाई थी। आरोप है कि पूर्व सरकारों ने सरकारी कर्मचारियों के संघ के कार्यक्रमों में शामिल होने पर रोक लगा दी थी। आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर कर्मचारियों को सजा देने तक का प्रावधान भी लागू किया गया। सरकारी सेवाओं से जुड़े लाभ लेने के लिए कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों से दूर रहते थे। हालांकि अब केन्द्र की बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार ने इस फैसले को पलट दिया है।

आरएसएस ने सरकारी कर्मचारियों के संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर लगी रोक हटाने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया। आरएसएस ने कहा कि फैसले से देश की लोकतांत्रिक प्रणाली मजबूत होगी। उसने पूर्ववर्ती सरकारों पर अपने राजनीतिक हितों के कारण सरकारी कर्मचारियों को संघ की गतिविधियों में हिस्सा लेने से प्रतिबंधित करने का आरोप भी लगाया। प्रतिबंध हटाने संबंधी सरकारी आदेश के सार्वजनिक होने के एक दिन बाद आरएसएस प्रवक्ता सुनील आंबेकर ने एक बयान में कहा, “सरकार का ताजा फैसला उचित है और यह भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत करेगा।”
वहीं, विपक्ष के कई नेताओं ने सरकारी कर्मचारियों पर संघ की गतिविधियों में हिस्सा लेने पर लगा प्रतिबंध हटाने के केंद्र के फैसले की आलोचना की है।

बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) दुनिया का सबसे बड़ा स्वैच्छिक संगठन माना जाता है और इसके स्वयंसेवक देश भर में सक्रिय हैं। आरएसएस बीजेपी का एक अहम अंग माना जाता है। आरएसएस को कई लोग भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का वैचारिक संरक्षक भी मानते हैं, जो कि इस वक्त दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियों में से एक है, और वर्तमान में लगातार एनडीए के सहयोगी दलों के साथ तीसरी बार सरकार बना चुकी है। मौजूदा दौर में भी देश के कई राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं और वह देश की सबसे ताकतवर राजनीतिक पार्टी बन चुकी है। बीजेपी पार्टी के ज्यादातर बड़े नेता मूलत: संघ से जुड़े हुए हैं जिनमें स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं, जिन्होंने संघ में लंबे समय तक कार्य किया है।

*संघ पर तीन बार लगा बैन*
संघ पर तीन बार प्रतिबंध लगाया जा चुका है। आजादी मिले एक साल भी नहीं हुआ था कि आरएसएस को प्रतिंबध का सामना करना पड़ा। सबसे पहले 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके पीछे की वजह ये है कि महात्मा गांधी की हत्या को संघ से जोड़कर देखा गया। 18 महीने तक संघ पर प्रतिबंध लगा रहा। ये प्रतिबंध 11 जुलाई, 1949 को तब हटा जब देश के उस वक्त के गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की शर्तें तत्कालीन संघ प्रमुख माधवराव सदाशिव गोलवलकर ने मान लीं। लेकिन ये प्रतिबंध इन शर्तों के साथ हटा कि संघ अपना संविधान बनाए और उसे प्रकाशित करे, जिसमें चुनाव की खास अहमियत होगी और लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत चुनाव होगा। इसके साथ ही आरएसएस की देश की राजनीतिक गतिविधियों से पूरी तरह से दूरी बनाकर रखेगा।

*आरएसएस पर दूसरी बार क्यों लगा बैन*
आरएसएस को दूसरी बार प्रतिबंध का समाना इमरजेंसी के दौर में करना पड़ा। इंदिरा गांधी ने साल 1975 जब देश में इमरजेंसी लगाई तो आरएसएस ने इसका जमकर विरोध किया था। इतने जोरदार विरोध के चलते बड़ी संख्या में आरएसएस के लोगों को बड़ी संख्या में जेल जाना पड़ा। इस दौरान आरएसएस पर 2 साल तक पाबंदी लगी रही। इमरजेंसी के बाद जब चुनाव की घोषणा हुई तो जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हो गया। इसके बाद साल 1977 में जनता पार्टी सत्ता में आई तब जाकर संघ पर लगा प्रतिबंध हटाया गया।

*आरएसएस पर तीसरी बार बैन लगने की वजह*
आरएसएस पर तीसरी बार प्रतिबंध साल 1992 में लगा। दरअसल पहली बार बीजेपी ने 1984 का लोकसभा चुनाव लड़ा इस चुनाव में पार्टी महज 2 सीटों पर सिमट गई।लेकिन बाबरी मस्जिद ने राजनीतिक परिदृश्य बिल्कुल पूरी तरह बदल दिया। 1986 में अयोध्या के विवादित परिसर का ताला खोल दिया गया और वहां से मंदिर-मस्जिद की राजनीति गर्मा गई। इसी मौके को भाजपा और आरएसएस ने भुना लिया। नतीजतन इसको लेकर 1986 से 1992 के बीच खूब टकराव हुआ। जगह-जगह हिंसा हुई, लोगों की जानें गई। साल 1992 में अयोध्या में भीड़ ने विवादित ढांचे का गुंबद गिरा दिया।
इससे देश के कई हिंसों में तनाव पसर गया. हिंसा होने लगी और माहौल खराब होने लगा। देश की स्थिति देख तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगा दिया।इसके बाद एक बार फिर जांच चली। लेकिन जांच में आरएसएस के खिलाफ कुछ नहीं मिला। नतीजतन आखिर में तीसरी बार भी 4 जून 1993 को सरकार को आरएसएस पर से प्रतिबंध हटाना पड़ा।
'शर्म से सिर झुका लें': जानें टीएमसी ने एमपी के सीएम मोहन यादव पर क्यों किया ये कटाक्ष

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने सोमवार को मध्य प्रदेश में मोहन यादव के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार की आलोचना की, जिसमें राज्य के रीवा जिले में एक ट्रक द्वारा दो महिलाओं पर बजरी गिराने की घटना शामिल है। सोशल मीडिया पर कथित वीडियो शेयर करते हुए टीएमसी ने कहा, "आई एनडीए की यह सरकार लाई महिलाओं पर तीन गुना अत्याचार। भाजपा समर्थित अराजकता के तहत महिलाओं के खिलाफ अत्याचार एक महामारी बन गए हैं। एमपी के रीवा में, सड़क निर्माण का विरोध करने पर दो महिलाओं को लगभग जिंदा दफना दिया गया। सीएम को शर्म से सिर झुका लेना चाहिए।"


पुलिस ने रविवार को  बताया कि मध्य प्रदेश के रीवा जिले में एक ट्रक से दो महिलाओं पर मुरम गिराए जाने की चौंकाने वाली घटना शाम में आई जिसके के लिए एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस अधीक्षक (एसपी) विवेक सिंह ने कहा कि डंपर ट्रक को जब्त कर लिया गया है। पुलिस के अनुसार, यह घटना पारिवारिक विवाद का नतीजा थी और शनिवार को मंगावा पुलिस थाने के अंतर्गत हिनोता जोरोट गांव में हुई। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विवेक लाल ने बताया कि ममता पांडे और आशा पांडे नामक महिलाएं सड़क निर्माण का विरोध कर रही थीं और लाल मिट्टी के पदार्थ के नीचे आंशिक रूप से दब गईं। शिकायतकर्ता आशा पांडे ने आरोप लगाया कि विवाद उनके रिश्तेदार गोकरण पांडे के साथ संयुक्त स्वामित्व वाली जमीन के एक टुकड़े से संबंधित था और जब वहां सड़क बनाई जा रही थी, तो उन्होंने अपनी भाभी के साथ मिलकर इसका विरोध किया। उन्होंने पुलिस से शिकायत की कि सड़क निर्माण के लिए मुरुम ले जा रहे ट्रक के चालक ने उन पर सामग्री उतार दी। उन्होंने बताया कि बाद में ग्रामीणों ने उन्हें बाहर निकाला।

घटना पर मध्य प्रदेश के सीएम ने क्या कहा
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक्स पर कहा, "रीवा जिले में महिलाओं के खिलाफ अपराध का मामला सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त एक वीडियो से मेरे संज्ञान में आया है, जिसमें मैंने जिला प्रशासन और पुलिस को तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।" यह एक पारिवारिक विवाद था और पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। दो अन्य की तलाश जारी है, सीएम ने कहा।

यादव ने बताया कि महिलाओं को उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। उन्होंने कहा, "मध्य प्रदेश के नागरिकों, विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उनके खिलाफ किसी भी अपराध में आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।"
मोदी सरकार ने पलटा 58 साल पुराना फैसला, सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस के कार्यक्रमों में शामिल होने पर लगी रोक हटी?

केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने पर लगे 58 साल पुराने ‘‘प्रतिबंध’’ को हटा लिया है। सरकार के इस फैसलै के बाद अब सरकारी कर्मी आरएसएस की गतिविधियों में शामिल हो सकेंगे। आरएसएस और बीजेपी में चल रही तनातनी की खबरों के बीच केंद्र सरकार का बड़ा फैसला सामने आया है। 

डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल और ट्रेनिंग ने एक आदेश जारी करते हुए सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की तमाम गतिविधियों में शामिल होने पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है।जानकारी के मुताबिक पूर्व की केंद्र सरकारों के द्वारा 1966, 1970 और 1980 के उन आदेशों में संशोधन किया गया है, जिनमें कुछ अन्य संस्थाओं के साथ-साथ आरएसएस की शाखाओं और अन्य गतिविधियों में शामिल होने पर सरकारी कर्मचारियों पर कड़े दंडात्मक प्रावधान लागू किए गए थे।

कांग्रेस ने बोला तीखा हमला

सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर बैन को हटाने के आदेश को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है।सरकार के इस आदेश के बाद से अलग-अलग राजनीतिक दलों ने सरकार पर जमकर हमला बोला है।कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने पोस्ट में एक ऑफिस मेमोरेंडम का हवाला दिया था। यह मेमोरेंडम 9 जुलाई का बताया जा रहा है। जयराम रमेश ने एक्स पर कहा, 'फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया। इसके बाद भी RSS ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया। 1966 में, RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था - और यह सही निर्णय भी था। यह 1966 में बैन लगाने के लिए जारी किया गया आधिकारिक आदेश है। 4 जून 2024 के बाद, स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री और RSS के बीच संबंधों में कड़वाहट आई है। 9 जुलाई 2024 को, 58 साल का प्रतिबंध हटा दिया गया जो अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान भी लागू था। मेरा मानना है कि नौकरशाही अब निक्कर में भी आ सकती है।'

क्या है 58 साल पुराना आदेश, सरकार ने क्यों लगाया था बैन?

दरअसल, साल 1965 में देश में गोहत्या पर रोक लगाने और गोरक्षा को लेकर सख्त कानून बनाने की मांग हो रही थी। इसको लेकर देशभर में विशाल आंदोलन शुरू हो गया और काफी लंबे समय तक चलता रहा। साल 1966 में संत गोहत्या पर रोक और गोरक्षा को लेकर सख्त कानून की मांग को लेकर दिल्ली कूच किया। 7 नवंबर 1966 को साधु-संत इस मांग को लकेर संसद के बाहर पहुंच गए और धरने के साथ आमरण अनशन का ऐलान कर दिया। दावा किया जाता है कि इस दौरान पुलिस ने फायरिंग की और साधु-संतों और गोरक्षकों के अलावा कई कार्यकर्ता मारे भी गए थे। हालांकि, मारे गए लोगों की संख्या को लेकर स्थिति साफ नहीं है और कई जगहों संख्या अलग-अलग बताई गई है। इस दौरान दिल्ली में कर्फ्यू लगाने की नौबत आ गई थी और कई संतों को जेल में बंद कर दिया गया था। इस प्रदर्शन के बाद 30 नवंबर 1966 को केंद्र सरकार ने आरएसएस के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था।

इस वजह से सेवानिवृत होने के बाद पेंशन लाभ इत्यादि को ध्यान में रखते हुए भी अनेक सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में शामिल होने से बचते रहे थे। हालांकि, इस बीच मध्य प्रदेश सहित कई राज्य सरकारों ने इस आदेश को निरस्त कर दिया था। लेकिन इसके बाद भी केंद्र सरकार के स्तर पर यह वैध बना हुआ था। इस मामले में एक केस इंदौर की अदालत में चल रहा था, जिस पर अदालत ने केंद्र सरकार से उसका नजरिया भी मांगा था।

नीट पेपर लीक विवादः सीजेआई बोले- शक है कि पेपर स्ट्रॉन्ग रूम से पहले लीक हुआ, ट्रांसपोर्टेशन के दौरान नहीं

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सुप्रीम कोर्ट ने विवादों से घिरी नीट-यूजी परीक्षा से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान कई बातें सामने आ रही हैं। नीट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में 40 से ज्यादा याचिकाओं पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने सुनवाई जारी है। यह चौथी सुनवाई है। आज रीएग्जाम पर फैसला आ सकता है।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि एनटीए ने पेपर लीक होने और वॉट्सऐप के जरिए लीक हुए प्रश्नपत्रों के प्रसार की बात स्वीकार की है। याचिकाकर्ताओं-छात्रों के वकील की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र हुड्डा ने कोर्ट को बताया कि बिहार पुलिस की जांच के बयानों में कहा गया है कि लीक 4 मई को हुआ था और संबंधित बैंकों में प्रश्नपत्र जमा करने से पहले हुआ।

सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अमित आनंद जो कि नीट पेपर लीक मामले की अहम कडी है दरअसल वह एक बिचौलिया है। वह 4 मई की रात को छात्रों को इकट्ठा कर रहे थे, ताकि उन्हें 5 तारीख को पेपर मिले। इसी तरह एक अन्‍य नीतेश कुमार उस जगह पर थे, जहां उन्हें सुबह पेपर मिलता था और छात्रों को इसे याद करना था। 

कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीजीआई ने कहा कि अमित आनंद के बयान अलग-अलग हैं। एक बयान में कहा गया है कि नीट का पेपर 4 तारीख की रात को लीक हुआ था, दूसरे बयान में कहा गया है कि यह 5 तारीख की सुबह व्हाट्सएप पर प्राप्त हुआ था। उसका पहला बयान बताता है कि नीट का पेपर 4 की रात को लीक हुआ था। अगर पेपर 4 मई की रात को लीक हुआ है, तो जाहिर है कि लीक परिवहन की प्रक्रिया में नहीं हुआ था और यह स्ट्रॉन्ग रूम वॉल्ट से पहले हुआ था।

सीजेआई कहा, हमारे पास अभी तक कोई ऐसा सबूत नहीं है, जिससे य़ह पता चले कि नीट-यूजी पेपर लीक इतना व्यापक था कि पूरे देश में फैल गया। हमें यह देखना होगा कि क्या लीक स्थानीय स्तर पर है और यह भी देखना होगा कि पेपर सुबह 9 बजे लीक हुआ और 10:30 बजे तक हल हो गया। अगर हम इस पर विश्वास नहीं करते हैं, तो आपको हमें यह दिखाना होगा कि लीक हजारीबाग और पटना से भी आगे हुआ था। हमें बताएं कि यह कितना व्यापक है। सीबीआई की तीसरी रिपोर्ट से हमें पता चला है कि प्रिंटिंग प्रेस कहां स्थित थी। इस पर याचिकाकर्ता वकील हुड्डा ने कहा, "झज्जर के हरदयाल स्कूल की प्रिंसिपल का वीडियो है, जिसमें उन्होंने कहा है कि केनरा बैंक का पेपर दिया गया था। कोई देरी नहीं हुई थी। इस पर सीजेआई ने कहा पूछा कि क्या सेंटर इंचार्ज को दोनों बैंकों से पेपर मिलते हैं? जवाब में सॉलिसिटर जनरल ने कहा, "किसी सिटी इंचार्ज को यह नहीं बताया जाता कि किस बैंक से पेपर लेना है।" फिर सीजेई पूछा, "क्या बैंकों को इस बारे में जानकारी नहीं है। जब एसबीआई को पेपर बांटने थे, तो झज्जर इंचार्ज केनरा बैंक कैसे गए और पेपर कैसे लाए? 

दरअसल, कोर्ट मामले में 40 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। याचिकाओं में एनटीए की अर्जियां भी शामिल हैं। एनटीए ने विभिन्न हाइकोर्ट में उसके खिलाफ लंबित मामलों को सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित करने की मांग की है। बता दें कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 पांच मई को आयोजित की गई थी। इससे पहले राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) ने शनिवार को मेडिकल प्रवेश परीक्षा के शहर और केंद्रवार परिणाम जारी किए थे।

कल पेश होगा बजट, हो सकते है कई बड़े ऐलान, समझिए किस करवट बैठेगा शेयर बाजार? देखें बीते 10 सालों का हाल

देश का आम बजट आने वाला है और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल 23 जुलाई 2024 को संसद में इसे पेश करेंगी. बजट पेश होने से पहले शेयर बाजार में हमेशा की तरह खासी उथल-पुथल देखने को मिल रही है. ऐसे में बजट वाले दिन Stock Market कैसा कैसा परफॉर्मेंस करेगा, ये कहना अभी जल्दबाजी होगी. लेकिन बजट वाले दिन शेयर मार्केट के इतिहास पर नजर करें, तो बीते 10 साल में ये 6 बार चढ़ा है, जबकि चार बार धराशायी हुआ है. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट कल संसद के पटल पर रखा जाएगा. निर्मला सीतारमण का ये लगातार सातवां बजट होगा और इसे पेश करने के साथ ही वित्त मंत्री मोरारजी देसाई का रिकॉर्ड तोड़ देंगी, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान लगातार छह बार बजट पेश किया था. पिछले एक दशक में Budget Day पर शेयर मार्केट की चाल बदली बदली रही है. छह बार सेंसेक्स ने जोरदार छलांग लगाई है, तो वहीं चार बार ये भरभराकर टूटा है. इस बीच बता दें कि साल 2021 में शेयर बाजार सबसे ज्यादा 2021 में 5 फीसदी चढ़ा था, जबकि इससे पहले 2020 में ये 2.43 फीसदी गिरा था, जो इसकी बजट वाले दिन सबसे बड़ी गिरावट थी.

बीते साल 2023 में Budget को लेकर शेयर बाजार के उत्साह पर अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग (Hindenburg) का असर दिखा था. भारतीय अरबपति गौतम अडानी (Gautam Adani) के अडानी ग्रुप को लेकर जारी की गई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का असर बजट वाले दिन शेयर बाजार पर दिखा था. हालांकि, 1 फरवरी 2023 को BSE Sensex 1223 अंक की उछाल के साथ 60,773 के स्तर तक पहुंचा था, लेकिन अंत में ये शुरुआती बढ़त को गंवाते हुए 158 अंक की बढ़त के साथ 59,708 पर बंद हुआ था. जबकि NSE Nifty 46 अंक फिसलकर 17,616.30 पर क्लोज हुआ था. 

इससे पहले साल 2022 में शेयर बाजार ने बजट वाले दिन जोरदार उड़ान भरी थी और BSE Sensex कारोबार के दौरान 1000 अंक से ज्यादा उछल गया था, हालांकि मार्केट क्लोज होने पर ये 848 अंक चढ़कर 58,862 के लेवल पर बंद हुआ था. वहीं NSE Nifty 237 अंक की तेजी लेकर 17,577 के स्तर पर क्लोज हुआ था. बात 2021 की करें, तो ये साल बजट-डे पर शेयर बाजार के लिए बेहतरीन साबित हुआ था. सेंसेक्स 2300 अंक या 5 फीसदी की ताबड़तोड़ तेजी के साथ 48,600 पर, जबकि निफ्टी 647 अंक उछलकर 14,281 पर बंद हुआ था. 

2015-2020 तक बजट के दिन ऐसी रही चाल

साल सेंसेक्स निफ्टी

2020 988 अंक टूटा 300 अंक फिसला

2019 212 अंक चढ़ा 62.7 अंक उछला

2018 839 अंक टूटा 256 अंक फिसला

2017 486 अंक चढ़ा 155 अंक उछला

2016 152 अंक टूटा 42.7 अंक फिसला

वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा साल 2015 में देश का आम बजट पेश किया गया था और बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स Budget वाले दिन 0.48% बढ़कर 29,361 अंक पर बंद हुआ था. वहीं निफ्टी भी तेजी के साथ क्लोज हुआ था. इससे पहले साल 2014 में बजट पेश होने पर शेयर बाजार में कारोबार के दौरान BSE Sensex 800 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ था. ताजा हालात की बात करें तो 23 जुलाई 2024 को पेश होने वाले बजट से पहले शेयर बाजार में खासी-उथल पुथल देखने को मिल रही है. शुक्रवार को सेंसेक्स जोरदार 738.81 अंक की गिरावट के साथ बंद हुआ. वहीं 269 अंक फिसलकर क्लोज हुआ.

मैं देशवासियों को गारंटी देता...प्रधानमंत्री मोदी ने 24 घंटे पहले ही बता दिया, कैसा होगा कल पेश होने वाला बजट





प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली मोदी 3.0 का पहला बजट  2024 कल 23 जुलाई को पेश होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सुबह 11 बजे संसद में इसे पेश करेंगी. इससे पहले सोमवार को संसद का बजट सत्र भी शुरू हो गया और इस मौके पर पीएम मोदी ने 24 घंटे पहले ही बता दिया, कैसा होगा कल पेश होने वाला आम बजट, जानिए कहां रहेगा फोकस. उन्होंने कहा कि हम कल मजबूत बजट पेश करने वाले हैं, जो साल 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र के रूप में पेश करने पर केंद्रित होगा. उन्होंने कहा कि आने पांच वर्ष हमारे लिए बेहद खास हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि ये बजट सत्र है और मैं देशवासियों को जो गारंटी देता रहा हूं, उन गारंटियों को पूरा करने के लक्ष्य पर हमें आगे बढ़ना है. अमृतकाल का ये महत्वपूर्ण बजट है, जो हमारे पांच साल के कार्य की दिशा तय करेगा. PM Modi ने आगे कहा कि आजादी के 100 साल होने पर 2047 तक विकसित भारत के सपने को पूरा करने का जो लक्ष्य हमने रखा है, कल पेश किया जाने वाला बजट उस पर क्रेंदित होगा.


Pm Modi ने कहा कि हम कल मजबूत बजट पेश करने आएंगे और भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए हम पूरी ताकत लगाएंगे.  उन्होंने देश की इकोनॉमी पर बात करते हुए कहा कि भारत लगातार दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाला देश बना हुआ है और लगातार तीन बार से 8 फीसदी ग्रोथ के साथ हम विकास के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं. पॉजिटिव आउटलुक और लगातार बढ़ रहा इन्वेस्टमेंट इस बात का सबूत है.

कल 23 जुलाई को देश का आम बजट पेश किया जाएगा, इससे पहले चुनावी साल होने के चलते बीते 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया गया था. देश में लगातार तीसरी बार PM Modi के नेतृत्व में बनी नई सरकार का ये पहला बजट होगा. इस बार BJP को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है और देश में NDA गठबंधन की सरकार है और इस सरकार से बजट में लोगों को इस बार खासी उम्मीदें हैं. देश की पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण अपने कार्यकाल का ये लगातार सालवां बजट करते हुए इतिहास रचने जा रही हैं.


निर्मला सीतारमण द्वारा कल पेश किए जाने वाले केंद्रीय बजट 2024 से वेतनभोगी वर्ग को बड़ी उम्‍मीदें हैं. माना जा रहा है कि सरकार टैक्‍स छूट से लेकर टैक्‍स स्‍लैब में बदलाव पर फोकस कर सकती है. कर्मचारियों को उम्‍मीद है कि सरकार इस बार के बजट में बड़ा ऐलान करते हुए आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कटौती सीमा को बढ़ाने के प्रस्ताव पर ऐलान कर सकती है. वित्त वर्ष 2014-15 से 1.5 लाख रुपये पर स्थिर बनी हुई ये कटौती इस बार के बजट 2 लाख रुपये तक हो सकती है. इससे मिडिल क्‍लास को बड़ी राहत मिलेगी.
सावन की पहली सोमवारी पर डेढ़ घंटा पहले जागे 'बाबा महाकाल', दर्शन को उमड़ा को भक्तों का सैलाब

आज सोमवार से श्रावण मास की शुरुआत हो चुकी है, तथा इस अवसर पर विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल ने भक्तों को विशेष दर्शन दिए। मंदिर में वीरभद्र जी की आज्ञा लेकर चांदी के दरवाजे खोले गए, तथा इसके बाद बाबा महाकाल की विशेष पूजा और भस्म आरती की गई। पंडित आशीष, श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी, ने बताया कि श्रावण कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा और सोमवार के महासंयोग पर आज प्रातः 2.30 बजे भस्म आरती का आयोजन हुआ। इस के चलते मंदिर के पट खुलते ही पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित सभी देवताओं की पूजा की।


जलाभिषेक और विशेष श्रृंगार


भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर पंचामृत और फलों के रस से किया गया। तत्पश्चात, प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम को जल अर्पित किया गया। पुजारियों ने बाबा महाकाल को विशेष श्रृंगार कर कपूर आरती की एवं नवीन मुकुट व मुंडमाला पहनाई। इसके बाद, महानिर्वाणी अखाड़े की तरफ से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई। इस के चलते हजारों भक्तों ने बाबा महाकाल के दिव्य दर्शनों का लाभ लिया, जिससे मंदिर परिसर जय श्री महाकाल के उद्घोष से गूंज उठा।

सावन महीने के पहले सोमवार पर विशेष पूजा

सावन के पहले सोमवार पर बाबा महाकाल की विशेष पूजा अर्चना की गई। भस्म आरती के साथ-साथ विशेष महाआरती कर राष्ट्र की सुख-समृद्धि की कामना की गई। पंडित आशीष ने बताया कि आज एक दुर्लभ संयोग बना है, जिसमें सोमवार से श्रावण मास की शुरुआत हो रही है।


सावन महीने के चलते, देश-विदेश से आने वाले भक्तों को बाबा महाकाल की भस्म आरती के दर्शन मिल सकें, इसीलिए मंदिर में चलित भस्म आरती का इंतजाम किया गया। आज प्रातः नंदी हॉल और गणेश मंडपम में श्रद्धालुओं के बैठकर भस्म आरती देखने का इंतजाम किया गया, साथ ही कार्तिक मंडपम से चलित भस्म आरती के दर्शन की सुविधा भी प्रदान की गई। श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति द्वारा की गई इस खास व्यवस्था का लाभ हजारों भक्तों ने उठाया। भस्म आरती के दर्शन के पश्चात् भक्तों ने खुद को धन्य महसूस किया और जय श्री महाकाल का उद्घोष किया।


चलित भस्म आरती देखने के लिए श्रद्धालु श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे तथा लंबी कतारों में लगकर अपनी बारी का इंतजार किया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल की भस्म आरती के दर्शन कर अपने आप को विशेष अनुभव से नवाज़ा।
'केजरीवाल को मारने की रची जा रही साजिश', संजय सिंह के बयान पर BJP ने दिया ये जवाब



आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने अधिकारियों पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नुकसान पहुंचाने की साजिश रचने का आरोप लगाया है, जो फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। सिंह ने दावा किया कि केजरीवाल के स्वास्थ्य को जानबूझकर खतरे में डाला जा रहा है। प्रेस कॉन्फ्रेंस  में संजय सिंह ने कहा, 'केजरीवाल की मेडिकल रिपोर्ट से पता चलता है कि उन्हें कभी भी कुछ भी हो सकता है. 'बीजेपी केजरीवाल के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है. आरम्भ में वे कह रहे थे कि वह मिठाई खा रहे हैं तथा अपना शुगर बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, मगर अब वे कह रहे हैं कि उन्होंने अपना खाना कम कर दिया है, कोई ऐसा क्यों करेगा जिसके उसके जीवन को खतरा पैदा हो जाए. उन्होंने कहा, 'यह केजरीवाल को मारने का षड्यंत्र है,'


वहीं दूसरी ओर भाजपा अध्यक्ष ने फिर आरोपों को दोहराते हुए कहा है कि केजरीवाल जानबूझकर अपना वजन कम कर रहे हैं. भाजपा ने कहा कि अदालत के आदेश पर घर से बना हुआ खाना अरविंद केजरीवाल को मिल रहा है किन्तु वो जानबूझकर कोताही कर डाइट को कम कर रहे हैं जिससे वजन कम हो तथा कोर्ट को दिखा सकें कि देखो तिहाड़ में मेरे साथ क्या हो रहा है? 

भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि ये साजिश बहुत दिनों तक नहीं चल सकती. आप मास्टरमाइंड अपराधी  हैं, आपका पूरा इकोसिस्टम इसके लिए शोर मचाता है. सीएम ही सबके सूत्रधार हैं. उन्होंने दिल्ली को कहीं का नहीं छोड़ा है. दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि हवा में जो जहर फैला है उसके लिए आप जिम्मेदार हैं. दिल्ली की पानी में जो जहर है उसके लिए आप जिम्मेदार हैं तथा आप गवर्नेंस की बात करते हैं. आपकी गवर्नेंस पूरी तरह से प्रेस कांफ्रेंस के जरिए चल रही है. आपकी सरकार ने दिल्ली को केवल लूटने का काम किया है.
अर्थव्यवस्था तो सरपट दौड़ेगी, लेकिन कुछ चुनौतियां भी रहेंगी..! सरकार ने संसद में पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण

23 जुलाई को बजट 2024-25 पेश किए जाने से पहले, पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 जारी किया है। दोपहर 12:10 बजे लोकसभा में पेश किए गए इस सर्वेक्षण में निजी क्षेत्र और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) पर खास ध्यान दिया गया है। इसमें अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 25 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि 6.5 से 7 प्रतिशत के बीच रहेगी, जो कि एक अच्छी विकास दर है। बता दें कि, कई अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने भी भारत की वृद्धि दर 7 फीसद से ऊपर रहने का अनुमान जताया है, जो दुनिया में सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था रहेगी। बाकी चीन-अमेरिका, भारत से काफी पीछे रहेंगे। 

आर्थिक सर्वेक्षण में GDP वृद्धि का सकारात्मक अनुमान दिया गया है, लेकिन इसमें महत्वपूर्ण चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला गया है। सरकार वैश्विक चुनौतियों के कारण निर्यात में संभावित गिरावट को स्वीकार करती है, इस बात पर जोर देते हुए कि वैश्विक अनिश्चितता पूंजी प्रवाह को प्रभावित कर सकती है और वैश्विक व्यापार में कठिनाइयाँ पेश कर सकती है। आर्थिक सर्वेक्षण में रोज़गार के डेटा शामिल हैं, जो कोविड-19 महामारी के बाद से देश की वार्षिक बेरोज़गारी दर में मामूली गिरावट को दर्शाता है, यानी कोरोना के बाद रोज़गार फिर से पटरी पर आया है और बेरोज़गारी घटी है। 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए शहरी बेरोज़गारी दर पिछले वर्ष के 6.8% से घटकर मार्च 2024 में 6.7% हो गई है। इसके अतिरिक्त, भारत के लगभग 57 प्रतिशत कार्यबल स्वरोजगार कर रहा हैं, और युवा बेरोज़गारी दर 2017-18 में 17.8% से घटकर 2022-23 में 10% हो गई है। ये एक अच्छी गिरावट दिखाई दे रही है।


सर्वेक्षण में पूंजीगत व्यय और बढ़ते निजी निवेश पर सरकार के ध्यान के कारण सकल स्थिर पूंजी निर्माण (GFCF) में मजबूत वृद्धि की रिपोर्ट की गई है। वर्ष 2023-24 के लिए GFCF में 9 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 देश की आर्थिक सेहत का अवलोकन प्रस्तुत करता है, जिसमें विकास की संभावनाओं और चुनौतियों दोनों पर प्रकाश डाला गया है। जबकि सरकार जीडीपी वृद्धि और रोजगार में सुधार के बारे में आशावादी है, यह वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बारे में सतर्क है जो निर्यात और पूंजी प्रवाह को प्रभावित कर सकती हैं।
'शंकराचार्य तो छोड़िए, संत भी नहीं हैं अविमुक्तेश्वरानंद..' कोर्ट के आदेश दिखाकर ज्योतिर्मठ ट्रस्ट के स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने किए बड़े खुलासे

आदिशंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठों में से एक ज्योतिर्मठ ट्रस्ट के स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती महाराज ने रविवार (21 जुलाई) को स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद को लेकर हैरान कर देने वाले खुलासे किए हैं। स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती ने अविमुक्तेश्वरानंद जी खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए उन्हें ‘फर्जी बाबा’ करार दिया। दावा किया है कि उन्हें कांग्रेस पार्टी का समर्थन प्राप्त है। गोविंदानंद ने कहा कि, "अविमुक्तेश्वरानंद नाम का एक फर्जी बाबा, प्रधानमंत्री उनके पैर छू रहे हैं, अंबानी जैसे उद्योगपति अपने घर पर उनका स्वागत कर रहे हैं, अविमुक्तेश्वरानंद फर्जी नंबर 1 है। शंकराचार्य तो छोड़िए, उनके नाम में 'साधु', 'संत' या 'सन्यासी' जोड़ना भी गलत है।"


स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती महाराज ने एक प्रेस वार्ता में दस्तावेज़ दिखाते हुए कहा कि, "यह वाराणसी कोर्ट का आदेश है। अविमुक्तेश्वरानंद के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था और उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया था। लंबे समय तक, वह वाराणसी नहीं आए और मध्य प्रदेश में छिपे रहे, जिस पर हमने उन्हें डांटा, जिसके बाद उन्होंने हमारे खिलाफ कानूनी मामले दर्ज किए। हम यह पूरी बातें सुप्रीम कोर्ट को बताना चाहते हैं, लेकिन अदालत हर बार अगली तारीख देती रहती हैं। हमें न्याय चाहिए।"

दरअसल, ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में पहचाने जाने वाले अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हाल ही में दावा किया था कि केदारनाथ से 228 किलो सोना चोरी हो गया है। स्वामी गोविंदानंद ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि, “अविमुक्तेश्वरानंद लोगों की हत्या और अपहरण कर रहे हैं, भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल उठा रहे हैं, वे संन्यासी होने का दिखावा करके शादियों में जा रहे हैं। वे कह रहे हैं कि केदारनाथ में 228 किलो सोना गायब है, क्या उन्हें सोने और पीतल में अंतर भी पता है, शायद नहीं, क्योंकि वे खुद एक डुप्लिकेट हैं। अगर हम उनकी कहानियाँ सुनाते रहेंगे, तो इससे समस्या पैदा हो सकती है, लेकिन हम शायद ऐसा करेंगे और वे हमसे कुछ नहीं छीन पाएंगे, क्योंकि हम संत हैं जो 'धर्म' के लिए लड़ते हैं।” उल्लेखनीय है कि, केदारनाथ मंदिर समिति ने भी अविमुक्तेश्वरानंद के इस आरोप पर कहा था कि, अगर उन्हें लगता है कि, सोना चोरी हुआ है, तो हम उन्हें चुनौती देते हैं कि सुप्रीम कोर्ट जाइए, हम वहीं उन्हें जवाब देंगे।    


गोविंदानंद सरस्वती महाराज ने कांग्रेस पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को समर्थन देने का आरोप लगाते हुए कहा कि, "जब हमारे गुरुजी ब्रह्मलीन हो गए, तो इन लोगों ने कांग्रेस से पत्र मांगा। कांग्रेस ने पत्र जारी किया और अविमुक्तेश्वरानंद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। प्रियंका गांधी वाड्रा ने 13 सितंबर 2022 को उन्हें श्रद्धेय शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी के नाम से संबोधित करते हुए पत्र लिखा। जब सुप्रीम कोर्ट ने अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य ना मानते हुए स्टे जारी कर दिया था, तब प्रियंका गांधी वाड्रा ने अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य बताते हुए पत्र कैसे लिखा? क्या कांग्रेस तय करेगी कि शंकराचार्य कौन हैं?"

उन्होंने एक पत्र दिखाते हुए कहा कि, "वह प्रधानमंत्री के खिलाफ खड़े हैं और उनका समर्थन कौन कर रहा है? प्रियंका गांधी वाड्रा। जब राहुल गांधी हिंदू हिंसक जैसी हिन्दू विरोधी टिप्पणी करते हैं, तो अविमुक्तेश्वरानंद उनका समर्थन करते हैं। क्यों? इसका कारण यह पत्र है। कांग्रेस एक खेल खेल रही है और अविमुक्तेश्वरानंद मात्र एक खिलौना हैं। मैं प्रियंका गांधी वाड्रा से पूछना चाहता हूं कि या तो उन्हें यह पत्र लिखने के लिए सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगनी चाहिए या फिर हम उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का मामला दर्ज करेंगे।"

इसके साथ ही स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती महाराज ने यह भी आरोप लगाया कि अविमुक्तेश्वरानंद का आपराधिक इतिहास काफी पुराना है। उन्होंने कहा कि, 'जब वाराणसी कोर्ट ने अविमुक्तेश्वरानंद के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था, तो उन्होंने जमानत लेने के लिए वकीलों के साथ बैठक की। 51 सदस्यों के समूह में से सभी लोगों को जमानत मिल गई, सिवाय अविमुक्तेश्वरानंद के। वह बिना संन्यासी वेश के चुपके से अदालत गए, शायद मीडिया से बचने के लिए। उन्होंने जज के सामने सरेंडर किया, वह भी चालाकी से और झूठ बोलते हुए।   अविमुक्तेश्वरानंद ने अदालत से कहा कि मैं शंकराचार्य हूं और पूरे देश के भक्त दुखी हैं, रो रहे हैं, हमें उन्हें धार्मिक मार्गदर्शन देना है और मेरी गिरफ्तारी से 'धर्म' को हानि हो सकती है। उन्होंने गलत तथ्य पेश करके कोर्ट से झूठ बोला। क्या वह जेम्स बॉन्ड हैं या कोई अवतारपुरुष? जमानत के लिए वह कोर्ट गए।' बता दें कि, अविमुक्तेश्वरानंद पर फर्जी तरीके से खुद को शंकराचार्य घोषित करने के आरोप लगे हैं। सितम्बर 2022 में अविमुक्तेश्वरानंद के गुरू स्वरूपानंद सरस्वती का हार्ट अटैक से निधन हो गया था, जिसके बाद अविमुक्तेश्वरानंद ने खुद को गुरु का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया और शंकराचार्य बनने की तैयारी करने लगे। लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और अदालत ने उनके अभिषेक पर रोक लगा दी।


स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती महाराज ने न्यायालय के आदेश की प्रति दिखाते कहा कि, "न्यायालय के आदेश में लिखा है कि उन्होंने न्यायालय को 50,000 रुपए का जुर्माना देकर अग्रिम जमानत प्राप्त की है। एक अन्य न्यायालय का आदेश है, जिसके अनुसार उन्हें जमानत के लिए 20,000 रुपए देने थे। उनका आपराधिक इतिहास काफी पुराना है।" इससे पहले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे के निजी आवास मातोश्री का दौरा किया था और  उद्धव को विश्वासघात से पीड़ित बताया था। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा था कि, उद्धव के साथ विश्वासघात हुआ है और जब तक वे वापस मुख्यमंत्री नहीं बन जाते, तब तक लोगों का दर्द कम नहीं होगा। वहीं, अविमुक्तेश्वरानंद ने राहुल गांधी के हिन्दू हिंसक वाले बयान पर कहा था कि, कांग्रेस नेता ने हिन्दू धर्म के खिलाफ कुछ नहीं कहा है। इसके अलावा पूरे लाव लश्कर के साथ अंबानी की शादी में जाने वाले अविमुक्तेश्वरानंद ने अयोध्या राम मंदिर का निमंत्रण ठुकरा दिया था, जिसके बाद से उन पर सवाल उठने लगे थे।