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ब्यूटी टिप्स:उमस भरी मौसम में अगर त्वचा हो जाती हैं चिपचिपा तो आजमाएं ये होममेड टोनर जिससे आपकी त्वचा रहेगी खिली - खिली


उमस और पसीने के चलते इस मौसम में त्वचा हर समय तैलीय और चिपचिपा रहता है। मानसून के दौरान हवा में नमी, पसीना और हल्की गर्मी के चलते स्किन पर चिपचिपाहट महसूस होती है. उमस भरे इस मौसम में स्किन पर चिपचिपाहट से चिढ़ तक महसूस होने लगती है।

उमस न सिर्फ परेशान करती है बल्कि इससे कई स्किन प्रॉब्लम्स तक होने लगती हैं।पिंपल के अलावा रैशज या फिर लालपन तक दिखने लगता है. अगर स्किन पर बारिश का पानी पड़ जाए तो खुजली, जलन समेत फंगल इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है।

इस मानसून स्किन पर होने वाले चिपचिपेपन से बचना चाहते हैं तो इसके लिए आप घरेलू नुस्खे आजमा सकते हैं. आइए जानते हैं आप किन तरीकों से घर पर ही होममेड टोनर तैयार कर सकते हैं.

चावल से स्किन की केयर

भारत में ज्यादातर घरों में चावल को बड़े शौक से खाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भूख मिटाने वाला ये अनाज स्किन केयर में भी बेस्ट है. आप चावल का टोनर तक तैयार कर सकते हैं. इसके लिए चावल को अच्छे से धोने के बाद इसे भिगो दें. अगले दिन चावल को निकालकर इसकी स्मूदी बना लें और इसमें पानी में मिलाकर एक बोतल में डाल लें. रात में सोने से पहले इसे स्किन पर लगाएं और फर्क देखें.

खीरे का रस

खीरे में पानी काफी होता है और ये स्किन को रिपेयर करने में भी कारगर होता है. खीरे में पोषक तत्वों के अलावा एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं. खास बात है कि ये स्किन को फ्रेश भी फील कराता है. इसका टोनर बनाने के लिए एक खीरे को कद्दूकस कर लें और एक बोतल में डाल लें. इसमें पानी डालें और रोज वाटर भी ऐड करें. रोज रात में इसे चेहरे पर स्प्रे करना न भूलें.

ग्रीन टी टोनर

इसे बनाने के लिए पैन में पानी लें और इसमें ग्रीन टी बैग शामिल करें. थोड़ी देर गर्म करने के बाद इसे ठंडा होने दें. अब एक बोतल में इसे शामिल करें. रात में सोने से पहले चेहरे को अच्छे से वॉश करें और मॉइस्चराइजर लगाने के बाद इस टोनर को जरूर अप्लाई करें.

एलोवेरा टोनर*

आप चाहे तो स्किन केयर में बेस्ट एलोवेरा का टोनर भी बना सकते हैं. इसके लिए आधा कप गुलाब जल लें और इसमें एलोवेरा जेल के पल्प को मिलाएं. इसे अच्छे से मिक्स करके एक टाइट कंटेनर में स्टोर करें. सुबह उठने के बाद और रात में सोने से पहले इसे स्किन पर अप्लाई करें. ये आपकी स्किन को फ्रेश रखेगा.

गर्भावस्था में अमरूद खाने से मिलते है कई लाभ,आइए जानते है गर्भावस्था में अमरूद खाने के फायदे के बारे में...


दिल्ली: प्रेगनेंसी एक महिला के लिए सबसे खूबसूरत पल होता है। प्रेगनेंसी में महिलाओं को अपने सेहत पर खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इसे उसे और होने वाले बच्चे दोनों पर असर पड़ता है। हर महिला को अपने साथ अपने होने वाले बच्चे का भी पूरा ध्यान रखना होता है। उनकी डायट में कई तरह के बदलाव किए जाते हैं और उन्‍हें फल, सब्जियां, सूखे मेवे और अन्‍य पौष्टिक चीज़ों को शामिल करने की सलाह दी जाती है। क्योकिं यह पौष्टिक चीज़े उनके और उनके शिशु के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। कुछ फल ऐसे हैं, जिन्हें प्रेगनेंसी में खाने के लिए मना किया जाता है।

कुछ ऐसे हैं जिन्हें ज़रूर खाने की सलाह भी दी जाती है । अगर आप प्रेगनेंसी के दौरान अमरूद खाने की सोच रही हैं कि इसे खाना सुरक्षित होगा कि नहीं तो हम आपको बता दें प्रेगनेंसी में अमरूद का सेवन एकदम सुरक्षित होता है। अमरूद पोषण से भरा फल है। इसलिए प्रेगनेंट महिलाओं को इसके बहुत से स्वास्थ्य लाभ भी मिल सकते हैं। परन्तु इसको सीमित मात्रा में खाना चाहिए। 100-125 ग्राम अमरूद की मात्रा रोजाना खाना सुरक्षित माना जाता है। यहां हम आपको बताएंगे अमरूद को खाने के आश्चर्यजनक लाभ-

1. विटामिन सी का स्त्रोत-

अमरूद विटामिन सी का अच्छा स्रोत होता है। गर्भावस्था के दौरान अमरूद खाने से यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने में मदद करता है और शिशु को संक्रमण से बचाने में सहायता प्रदान करता है।

2. डायबिटीज को कंट्रोल करता है -

प्रेगनेंसी में डायबिटीज की समस्या काफी देखी जाती है। अगर आप प्रेगनेंट हैं और डायबिटीज से बचना चाहती हैं, तो आप अमरूद का सेवन कर सकती हैं । इससे टाइप 2 डायबिटीज को भी कंट्रोल करा जा सकता है।

,3. पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है-

अमरूद में अच्छी मात्रा में फाइबर होती है, जिससे पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। यह कब्ज को दूर करता है और आपको पेट की समस्याओं से राहत देता है।

4. हाइड्रेटेड रखता है-

प्रेगनेंसी में शरीर को हाइड्रेटेड रखना बहुत जरूरी है अगर आप पानी का ज्यादा सेवन नहीं कर पा रही हैं, तो आप लिक्विड चीजों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें या फिर ऐसे फलों को डाइट में शामिल करें जिनमें पानी की मात्रा अधिक होती है। अमरूद में अच्छी खासी पानी की मात्रा पाई जाती है, जो हाइड्रेशन से बचाने में मददगार है।

5. ओरल हेल्थ बेहतर बनाता है-

अमरूद गले के इंफेक्शन को कम करने में मदद कर सकता है और मौखिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। इसमें मौखिक अल्सर और मसूड़ों की समस्याओं को कम करने वाले गुण होते हैं।

6. शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है-

प्रेगनेंसी के दौरान अमरूद का सेवन ऊर्जा प्रदान करता है क्योकिं इसमें मध्यम रूप से कैलोरी होती हैं। इससे आपकी थकान और कमजोरी कम हो सकती है।

7. इम्यूनिटी को बढ़ाता है-

अमरूद में विटामिन ई, सी व बी की मात्रा भरपूर होती है। यह तीनों ही विटामिन प्रेगनेंसी के दौरान शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करती हैं। अमरूद में बहुत से एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं जो आपको बीमारियों से बचाते हैं। इसलिए हर एक महिला को जो मां बनने वाली है उन्हें अमरूद जरूर खाना चाहिए।

8. एनीमिया होने से बचाता है-

एनीमिया आयरन की कमी के कारण होता है और यह प्रेगनेंट महिलाओं में अक्सर मिलने वाली आम समस्या है। इसलिए यदि महिलाए इस दौरान अमरूद खाती हैं तो उनको इससे पर्याप्त मात्रा में आयरन मिल सकता है। जिससे उनके शरीर में आयरन की कमी नहीं होगी।

ब्यूटी टिप्स:बेजान त्वचा में निखार लाने के लिए चेहरे पर इन तरीकों से लगाए कच्चा दूध गुलाब जैसे खिल उठेगी स्किन।


दूध को कंपलीट फूड के तौर पर जाना जाता है. दूध में विटामिन, कैल्शियम, पौटेशियम, मैग्नीशियम, प्रोटीन और लैक्टिक एसिड समेत तमाम तरह की चीजें पाई जाती हैं, जो हमारी हेल्थ के लिए जरूरी हैं. लेकिन दूध न सिर्फ हेल्थ बल्कि स्किन के लिए भी काफी फायदेमंद है. त्वचा पर कच्चा दूध लगाने से स्किन को कई तरह के फायदे मिलेंगे.

अगर कच्चे दूध को स्किन पर लगाया जाए तो इसमें निखार आने के साथ-साथ झुर्रियां, फाइन लाइंस और एजिंग में भी फायदा होगा. इसे लगाने से चेहरे को मॉइश्चर मिलता है. आइए जानते हैं कि कच्चे दूध का इस्तेमाल किन-किन तरीकों से किया जा सकता है.

फेस स्क्रब

कच्चे दूध से फेस स्क्रब भूी बनाया जा सकता है. फेस स्क्रब बनाने के लिए कच्चे दूध के साथ चीनी और थोड़ा से बेसन लें. इन तीनों को मिक्स करके चेहरे पर लगा लें. इस फेस स्क्रब को करीब 2 से 3 मिनट तक हल्के हाथों से मसाज करें. इसके बाद आप अपने चेहरे को धो लें. इससे स्किन की डेड स्किन निकलती है.

दूध का क्लींजर

चेहरे को अच्छी तरह से साफ करने के लिए कच्चे दूध को क्लींजर के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है. सबसे पहले आप पानी से अपना मुंह अच्छी तरह धो लें. इसके बाद कच्चे दूध को रुई की मदद से अपने चेहरे पर लगाएं. इससे आपके चेहरे से धूल-मिट्टी निकलने लगेगी. कच्चा दूध से हर तरह की गंदगी तो दूर होती ही है लेकिन इसके साथ ही चेहरे पर ग्लो भी आता है.

हल्दी के साथ दूध

कच्चे दूध को हल्दी के साथ भी लगाया जा सकता है. हल्दी में एंटी इंफ्लामेटरी समेत तमाम औषधीय गुण पाए जाते हैं, जिसे लगाने से चेहरे पर निखार आ जाएगा. कच्चे दूध में एक चुटकी हल्दी डालकर चेहरे पर लगाएं. इसे लगाने के 10 मिनट के बाद अपने चेहरे को साफ पानी से धो लें. इससे स्किन निखरी नजर आएगी. ये कील मुहांसों में भी फायदेमंद है.

नए व्यायाम करने से मांसपेशियों में हो रहा है दर्द तो छुटकारा पाने के लिए अपनाए ये उपाय

नया व्यायाम शुरू करना एक स्वस्थ जीवनशैली की दिशा में बड़ा कदम है, लेकिन अक्सर इसके साथ मांसपेशियों में दर्द और अकड़न भी आ सकती है। यह दर्द आमतौर पर इसलिए होता है क्योंकि आपकी मांसपेशियां नए प्रकार के तनाव और गतिविधियों की आदत नहीं होती हैं। इसे 'डोम्स' (DOMS: Delayed Onset Muscle Soreness) कहा जाता है। यहां कुछ उपाय दिए जा रहे हैं जो आपको इस दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं:

1. सही वार्म-अप और कूल-डाउन करें

व्यायाम से पहले सही तरीके से वार्म-अप करें और उसके बाद कूल-डाउन करना न भूलें। वार्म-अप से आपकी मांसपेशियां व्यायाम के लिए तैयार हो जाती हैं और कूल-डाउन से उनकी रिकवरी में मदद मिलती है।

2. पर्याप्त पानी पिएं

व्यायाम के दौरान और बाद में पानी पीना बहुत महत्वपूर्ण है। यह न केवल आपके शरीर को हाइड्रेटेड रखता है बल्कि मांसपेशियों के दर्द को भी कम करता है।

3. आराम करें

यदि आपकी मांसपेशियों में अधिक दर्द हो रहा है, तो उन्हें आराम देने के लिए कुछ दिन का ब्रेक लें। यह आपके मांसपेशियों को ठीक होने का समय देगा।

4. स्ट्रेचिंग

हल्की स्ट्रेचिंग करने से मांसपेशियों का दर्द कम हो सकता है। यह आपकी मांसपेशियों को आराम देने और उनके रक्त प्रवाह को बढ़ाने में मदद करता है।

5. आइस और हीट थेरेपी

मांसपेशियों की सूजन और दर्द को कम करने के लिए आइस पैक का उपयोग करें। अगर दर्द और अकड़न अधिक हो तो हीट पैक का भी उपयोग कर सकते हैं।

6. मसाज

मांसपेशियों की मसाज करवाने से दर्द में राहत मिल सकती है। मसाज से रक्त प्रवाह बढ़ता है और मांसपेशियों को आराम मिलता है।

7. ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक

यदि दर्द बहुत अधिक हो रहा है, तो आप डॉक्टर की सलाह पर ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक दवाओं का सेवन कर सकते हैं।

8. सही पोषण

सही पोषण भी मांसपेशियों की रिकवरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर आहार लें।

9. धीमी गति से शुरू करें

अगर आप नए व्यायाम को शुरू कर रहे हैं, तो धीरे-धीरे उसकी तीव्रता और समय बढ़ाएं। यह आपकी मांसपेशियों को नए व्यायाम के अनुकूल बनने का समय देता है।

इन सुझावों को अपनाकर आप मांसपेशियों के दर्द से राहत पा सकते हैं और अपने फिटनेस सफर को बेहतर बना सकते हैं। यदि दर्द लगातार बना रहता है या अत्यधिक हो जाता है, तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।

ड्राई फ़्रूट में पिस्ता पोषक तत्वों से होता है भरपूर, वजन घटाने, आंत के स्वास्थ्य, शुगर नियंत्रण और हृदय स्वास्थ्य में भी है उसकी उपयोगिता


 पिस्ता विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर होता है और वजन घटाने, आंत स्वास्थ्य, शुगर नियंत्रण और हृदय स्वास्थ्य में सहायता करता है। इसमें निहित अनेक लाभ इसको काफी बेहतर बनाते हैं। साथ ही इसका स्वाद भी काफी अच्छा होता है जिससे ये आपको पोषण के साथ-साथ स्वाद भी देगा। आइये जानते हैं कि पिस्ता हमारे लिए कितना उपयोगी है और हमे इसे क्यों अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए।

पिस्ता खाने के फायदे

पिस्ता न केवल खाने में स्वादिष्ट और मज़ेदार होता है, बल्कि अत्यधिक पौष्टिक भी होता है। वास्तव में, पिस्ता वेरा पेड़ के इन खाद्य बीजों में स्वस्थ वसा होता है और ये प्रोटीन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत हैं। इसके अलावा, उनमें कई आवश्यक पोषक तत्व होते हैं और ये वजन घटाने से लेकर हृदय और आंत के स्वास्थ्य तक में भी सहायता करता है। फिलहाल ये आजकल, आइसक्रीम और डेसर्ट सहित कई व्यंजनों में बहुत लोकप्रिय हैं।

1 . कैलोरी में कम फिर भी प्रोटीन में उच्च

हालाँकि नट्स खाने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, लेकिन इनमें आमतौर पर कैलोरी अधिक होती है। पिस्ता सबसे कम कैलोरी वाले मेवों में से एक है। प्रत्येक औंस (28 ग्राम) पिस्ता में 159 कैलोरी होती है, जबकि अखरोट में 185 कैलोरी और पेकान में 196 कैलोरी होती है। उनकी कैलोरी सामग्री का लगभग 14% प्रोटीन युक्त होता है, जब प्रोटीन सामग्री की बात आती है तो पिस्ता बादाम के बाद दूसरे स्थान पर है। साथ ही, पिस्ता आवश्यक अमीनो एसिड से भरपूर होता है, अमीनो एसिड वो होते हैं जिन्हें आहार के माध्यम से प्राप्त किया जाना चाहिए, क्योंकि आपका शरीर उनका उत्पादन करने में असमर्थ है।

2 . वजन घटाने में सहायक

ऊर्जा से भरपूर होने के बावजूद, नट्स वजन घटाने के लिए सबसे अनुकूल खाद्य पदार्थों में से एक हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि पिस्ता फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होता है, जो दोनों ही पेट भरे होने की भावना को बढ़ाते हैं और आपको कम खाने में मदद करते हैं। कई अध्ययनों की एक समीक्षा के अनुसार, पिस्ता का नियमित सेवन बॉडी मास इंडेक्स में कमी से जुड़ा हो सकता है, जिसका उपयोग शरीर में वसा का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है। हालाँकि, समीक्षा में ये भी कहा गया कि पिस्ता शरीर के वजन या पेट की चर्बी में बदलाव से जुड़ा नहीं था। अतिरिक्त वजन वाले व्यक्तियों पर 24 सप्ताह के एक अन्य पुराने अध्ययन से पता चला है कि जो लोग पिस्ता से 20% कैलोरी का सेवन करते हैं, उनकी कमर का वज़न उन लोगों की तुलना में 0.6 इंच (1.5 सेंटीमीटर) अधिक कम हो जाता है, जो पिस्ता नहीं खाते हैं।

3 . पाचन तंत्र के लिए उपयोगी

पिस्ता में फाइबर की मात्रा 

अधिक होती है, एक सर्विंग में 3 ग्राम फाइबर होता है। दरअसल फाइबर आपके पाचन तंत्र में अधिकतर बिना पचे ही घूमता रहता है, और कुछ प्रकार के फाइबर आपके पेट में अच्छे बैक्टीरिया द्वारा पच जाते हैं, जो प्रीबायोटिक्स के रूप में कार्य करते हैं।

4 . कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप को कम कर ता है

पिस्ता विभिन्न तरीकों से हृदय रोग के खतरे को कम करता है। ये एंटीऑक्सिडेंट में उच्च होने के अलावा, रक्त कोलेस्ट्रॉल को भी कम कर सकता है और रक्तचाप में भी सुधार करता है, जिससे हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है। कई अध्ययनों ने पिस्ता के कोलेस्ट्रॉल-कम करने वाले प्रभावों का भी खुलासा किया है। कई अन्य अध्ययनों में ये भी पाया गया है कि इसके सेवन से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल में कमी और गुड कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि देखी गई है।

5 . रक्त शर्करा को कम करने में मददगार

अध्ययनों से पता चला है कि पिस्ता खाने से स्वस्थ रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है। साथ ही ये भी बात सामने आई है कि पिस्ता तेजी से रक्त शर्करा को कम कर सकता है और टाइप 2 मधुमेह, प्रीडायबिटीज या मेटाबोलिक सिंड्रोम वाले लोगों में इंसुलिन प्रतिरोध में सुधार कर सकता है।

हेल्थ टिप्स:आपके रसोईघर में उपयोग होने वाली हल्दी किसी औषधी से कम नहीं है,आइए जानते है हल्दी से होने वाले फायदे के बारे में...

हल्दी या हल्दी, जिसे करकुमा लोंगा के नाम से भी जाना जाता है, हल्दी को अक्सर "मसालों की रानी" कहा जाता है। यह वह मसाला है जो करी को उसका पीला रंग देता है और यह हर भारतीय रसोई की शेल्फ पर होना चाहिए। हल्दी हमारी रसोई का बेहद अहम हिस्सा मानी जाती है। इसका इस्तेमाल सिर्फ खाने में ही नहीं, बल्कि स्किन केयर और कई मांगलिक कार्यों में भी होता आया है। 

आयुर्वेद में हल्दी को दवा की तरह भी उपयोग में लाया जाता है। ऐसा इसमें मौजूद कुछ खास तत्वों के कारण होता है। इसमें कर्क्यूमिन नाम का एक कंपाउंड पाया जाता है, जो इसे पीला रंग देता है और साथ ही, इसे हमारी सेहत के लिए फायदेमंद भी माना जाता है। इस लेख में हम हल्दी से जुड़े स्वास्थ्य लाभों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।

सूजन कम करता है

हल्दी में मौजूद कर्क्यूमिन में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जिससे शरीर में होने वाली सूजन को कम करने में मदद मिलती है। सूजन धीरे-धीरे शरीर के टिश्यूज को प्रभावित करने लगती है, जिसके कारण दर्द बढ़ जाता है। कर्क्यूमिन सूजन को कम करता है और दर्द से आराम दिलाता है। यह आर्थराइटिस की वजह से होने वाली सूजन को कम करने में कारगर साबित हो सकता है।

हल्दी दिल की बीमारियों के जोखिम को कम करती है। कर्क्यूमिन ब्लड वेसल्स की लाइनिंग को स्वस्थ बनाता है, जिससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है और ब्लड फ्लो भी बेहतर होता है। साथ ही, हल्दी के सेवन से सूजन कम होती है और ऑक्सीडेटिव डैमेज कम होता है, जिसके कारण दिल से जुड़ी समस्याओं से बचाव करने में मदद मिलती है।

एजिंग धीरे होती है

हल्दी में मौजूद कर्क्यूमिन एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट है, जो ऑक्सीडेटिव डैमेज को कम करता है। ऑक्सीडेटिव डैमेज की वजह से एजिंग और कई बीमारियां, जैसे कैंसर का खतरा रहता है। कर्क्यूमिन फ्री रेडिकल्स को कम करता है, जिससे इन परेशानियों से बचाव होता है।

अल्जाइमर से बचाव

कर्क्यूमिन याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता को कमजोर होने से बचाता है। यह कॉग्नीटिव एबिलिटी यानी संज्ञानात्मक क्षमता के लिए फायदेमंद होता है। इसलिए इससे अल्जाइमर डिजीज से बचाव होता है, जो कॉग्नीटिव फंक्शन को प्रभावित करने वाली एक बीमारी है।

डिप्रेशन कम होता है

हल्दी में पाया जाने वाला कर्क्यूमिन डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। डिप्रेशन यानी अवसाद एक प्रकार का मेंटल डिजीज है, जिसमें व्यक्ति के बर्ताव में और सोचने-समझने में बदलाव होने लगता है। ऐसे में कर्क्यूमिन डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मददगार होता है।