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सोनभद्र: ओबरा की खदानों से बोल्डर वाहन निकलकर बेधड़क शहरी क्षेत्र की घनी आबादी में भर रहे हैं फर्राटा

विकाश कुमार अग्रहरी

सोनभद्र। डैंजर जोन बनते जा रहे ओबरा नगर की सड़कों पर खदानों से बोल्डर गिट्टी लादकर निकलने वाले वाहन लोगों के जीवन के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। ओबरा के खदानों से निकलकर घनी आबादी के बीच फर्राटा भरते हुए दौड़ते बोल्डर गिट्टी लदे वाहनों पर नियंत्रण तो दूर सुरक्षा के उपाय भी नहीं होते हैं। ऐसे में पीछे से उलझकर बोल्डर गिरने से दुर्घटना का भय बना रहता है बावजूद इसके न तो यातायात पुलिस का ध्यान इस ओर जा रहा है ना ही इलाकाई पुलिस का जिससे इन वाहनों से निरन्तर दुर्घटना घटित होने कि अंदेशा बना हुआ रहता है।

पुलिस के अनुसार जिले में होने वाले सड़क हादसों में बेशकीमती जानें जा रही हैं। इन हादसों में सर्वाधिक युवा वर्ग अपनी जान खो देता है। इनमें

छोटे वाहन चालक अधिक होते हैं।जिले में होने वाले दो तिहाई से भी अधिक हादसों के शिकार छोटे वाहन होते हैं। तो वहीं खदानों क्रेशर प्लांटों से निकलने वाले वाहन भी हादसों को बढ़ाने में सहायक साबित हो रहें हैं।बताते चले कि सुरक्षा व्यवस्था की खातिर शारदा मंदिर चौराहे पर पुलिस केंद्र है मगर वहां अक्सर ताला लगा देखा जाता है। ना वहां ट्रैफिक पुलिस है ना वहां आसपास के थाने कर्मचारी नज़र आते हैं। बता दें कि तेज रफ्तार से बोल्डर गिट्टी लदे वाहन दौड़ रहे हैं जिनसे हादसों का भय तो बना ही रहता है यह प्रदूषण को भी बढ़ावा दे रहे हैं।

खनन क्षेत्रों से निकलने वाले वाहनों से खनन क्षेत्र के धूलकणों को हवा में उड़ने से रोकने के लिए सड़क की दोनों पटरियों पर पानी का छिड़काव होना चाहिए ताकि धूल के गुबार से आवागमन में लोगों को असुविधा न हो लेकिन पानी का छिड़काव भी नहीं होता है जिससे सड़क के किनारे रहने वाले लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो उठा है।

आसपास के क्षेत्रवासियों के आने-जाने का यही एक मार्ग रास्ता है। नौकरी करने वाले, स्कूल जाने वाले बच्चे और कचहरी या जिला मुख्यालय जाने के लिए लोग इसी मार्ग से होते हुए निकलते हैं। ऐसे में भय बना रहता है कि यदि बोल्डर गिट्टी लदे ट्रक से कोई बड़ी घटना घट जाने पर इसकी जिम्मेदार कौन लेगा?

सुरक्षा को लेकर ना पुलिस, ना ट्रैफिक पुलिस की जिम्मेदारी देखने को मिल रही है। ना ही नगर पंचायत समुचित ढंग से पानी के छिड़काव को लेकर अपनी जिम्मेदारी का सही ढंग से निर्वहन कर रहा है।

दूसरी ओर यह भी बताया जा रहा है कि राजस्व को भी बहुत बड़ा चूना लगाया जा रहा है।शारदा मंदिर चौराहे पर पुलिस केंद्र बना हुआ है मगर कभी वहां पुलिस कर्मी को देखा नहीं गया ना ट्रैफिक पुलिस को देखा जाता है।

यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने, दुर्घटना रोकने के लिए पुलिस केंद्र बना हुआ है मगर वहां कोई भी अधिकारी और कर्मचारी देखने को नहीं मिलते हैं।

सोनभद्र: तेज रफ्तार वाहनों से बढ़ रहे सड़क हादसे, ओवर-स्पीडिंग सड़क हादसों का बन रहा है मुख्य कारण

विकाश कुमार अग्रहरी ,सोनभद्र। जिले में तेज रफ्तार वाहन जिंदगी की गाड़ी में ब्रेेक लगा रहे हैं। वाहनों की तेज गति की वजह से होने वाले हादसों में लोगों की जान चली जाती है। जिले में औसतन एक मौत हर रोज सड़क हादसों में हो रही है। साढ़े तीन महीने में सैकड़ों मौत सड़क दुर्घटनाओं में हो चुकी है। मौत के बाद भले ही कानूनी कार्रवाई होती रहे, लेकिन दुनिया को छोड़ देने वाले व्यक्ति का परिवार खालीपन को कभी नहीं भर पाता।

हादसे में मरने वाले के आश्रित जीवनभर दिक्कतों से जूझते रहते हैं, मुआवजे के लिए भी लंबा संघर्ष करना पड़ता है।

तंग सड़कों पर वाहनों की स्पीड पर स्वत: ही लगाम हुई थी। अब सड़केें बेहतर हैं तो वाहनों की गति बढ़ रही है। साथ में बढ़ रहे सड़क हादसे। मामला पुलिस में पहुंचता है तो तेज रफ्तार और लापरवाही से ड्राइविंग करना कागजों में लिख दिया जाता है। यह सिर्फ कागजों में ही तस्दीक नहीं हो रहा, बल्कि वाहनों को तेज गति में दौड़ाया जा रहा है। बताते चलें कि निर्धारित है रफ्तार लेकिन…शहरी क्षेत्र से होकर निकले वाहन पर 20 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार निर्धारित है। लेकिन इसके बाद भी इन स्थानों पर 50 से 80 की स्पीड में दौड़ लगाते हुए वाहनों को देखा जा सकता है।

सड़कों के बीचों-बीच में तेज रफ्तार में दौड़ लगाने वाले यह वाहन दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। शारदा मंदिर से गजराज नगर तक तीन विद्यालय है और उसी रास्ते पर तेज रफ्तार से बॉर्डर वहां 50-60 की रफ्तार से बोल्डर लेकर दौड़ रहे हैं।

भागम भाग की इस दौड़ में सबको अपने गंतव्य स्थानों पर पहुंचने की जल्दी होती है। किसी को दफ्तर जाने की जल्दी है तो किसी को स्कूल और कॉलेज जाने की जल्दी है। ऐसे में कुछ लोग अनजाने में यातायात नियमों की हवा निकाल रहे हैं। तो अधिकांश लोग जानबूझ कर नियमों को ताक पर रख कर यातायात व्यवस्था की धज्जियां उड़ा रहे हैं।

चिंतित तो वैसे लोग हो रहे हैं जो अपने यातायात नियमों का पालन कर पूरी सावधानी से वाहन चलाते हैं और सामने वाले नियमों को ताक पर रखते हुए ट्रिपर बोल्डर वाहन खतरनाक तरीके से वाहन चलाते हुए सायं सायं निकल जाते हैं। लिहाजा हादसों के कारण असमय ही लोगों की जान जा रही है। विशेषज्ञों व आंकड़ों की बात करें तो अधिकांश सड़क हादसे यातायात नियमों का उल्लंघन से ही होते हैं।

भीड़ से बचने के लिए किसी भी दिशा में वाहन चलाने की बात हो या बगैर नंबर प्लेट वाहन चलाना दोनों ही शान की बात बन गई है। लोगों का कहना है कि शहरी क्षेत्र में बेलगाम दौड़ रहे वाहनों पर रोक लगनी चाहिए। प्रशासन को चाहिए कि वह तेज रफ्तार पर सख्ती से लगाम कसे। ताकि शहरी क्षेत्र की घनी आबादी वाले इलाके से वाहन धीमी गति में गुजरें, जिससे हादसा होने की आशंका न रहे। वहीं तेज गति से वाहन चलाने वालों से सख्ती से निपटा जाए। गौर करने की बात है कि उत्तर प्रदेश के मुखिया का भी निर्देश है कि ओवरलोड चलने वाले वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएं लेकिन कार्रवाई तो दूर सेटिंग होने से यह बेखौफ होकर दौड़ते हुए देखें जा सकतें हैं।

सोनभद्र : आदिवासी समाज, भाठ क्षेत्र के वनवासी आज भी विकास से वंचित हो बनें हुए हैं दोयम दर्जे के नागरिक

विकास कुमार अग्रहरी,सोनभद्र। जनपद का कालापानी कहे जाने वाला रेणुकापार का भाठ क्षेत्र देश की आजादी के बाद आज भी आवश्यक बुनियादी सुविधाओं से वंचित होता आया है।

जाति का मंत्री होने के बाद भी विकास को तरसते रहे भाठ क्षेत्र के वाशिंदों का कोई भी हाल खबर लेने वाला फिलहाल दिखलाई नहीं दे रहा है। यहां के लोग

आजादी के 75 साल बाद भी रोटी-कपड़ा, मकान तथा सड़क के लिए तरस रहे हैं। ओबरा तहसील क्षेत्र का रेणुका पार का आदिवासी इलाका आकाश पानी गांव की जनता ने बीते लोकसभा चुनाव से पूर्व चुनाव बहिष्कार कर सरकार को चेतावनी दी थी कि सड़क नहीं तो वोट नहीं, परंतु लाख लिखने पढ़ने के बाद भी न तो गांव में झांकने आया ना ही ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान हो पाया है।

चुनाव बीत चुका है लेकिन

अभी भी आदिवासी अंचलों में वहां के रहवासियों का सड़क निर्माण करायें जाने का अरमान अधूरा बना हुआ है। सड़क के अभाव में लोगों का चलना दुश्वार हो उठा है।

जान जोखिम में डालकर ग्रामीण करते हैं आवागमन

कड़िया से परसोई तथा दुरुह आदिवासी क्षेत्र को जोड़ने वाली सड़क खतरनाक गढ्ढे में तब्दील हो चुकी है। ग्रामीण जान जोखिम में डाल कर आवागमन करते हैं। सड़क न होने से ग्रामीण बरसात में भयंकर हादसा होने की आशंका जताते हैं। लोगों का कहना है कि क्या दर्जनों लोगों की मौत के बाद जागेगा शासन और जिला प्रशासन।

बताते चलें कि ओबरा रेणुका पार नदी के उस पार सैकड़ो गांव आज भी रोड के बिना विकास से वंचित हैं। आए दिन सड़क न होने के वजह से बीमार, गर्भवती महिलाएं 108 एंबुलेंस की सेवा अथवा गांव के किसी भी प्रकार के साधनों की सेवा के माध्यम से शहर तक नहीं पहुंच पाती हैं। जिसके कारण डोली पालकी के माध्यम से उन्हें शहर तक लाया जाता है।

जाति का जनप्रतिनिधि, मंत्री भी नहीं करा पा रहे हैं विकास

शहर तक लाने में रास्ते में ही उनकी मौत हो जाती है, आकाश पानी गांव के नाथू गौड़ का कहना है कि उनकी बिरादरी का नेता मंत्री विधायक होने के बाद भी वह लोग विकास के लिए तरस रहे हैं। शर्मनाक है, सड़क के लिए कई बार उन लोगों ने अपने नेता से गुहार लगाई पर कोई सुनवाई नहीं हो पाई है। वह कहते हैं कि हम लोग की आवाज उनके दरवाजे से निकलते ही दब जाती है।

गांव में जाने वाले मार्ग की स्थिति बरसात के महीने में देखते बनती है जब पैदल भी चलना मुश्किल हो जाता है। ग्रामीणों की माने तो आजादी के 75 साल बाद भी मैंड़ाडाण, आकाशपानी, कन्हरा जैसे दर्जनों बीहड़, आदिवासी वाले गांव के लिए आज भी किसी प्रकार की कोई सरकारी सुविधा नहीं मिलने से वंचित होते हुए आ रहें हैं। कभी भी कोई सरकारी अधिकारी कर्मचारी नेता मंत्री इन गांव का मुआयना नहीं करते, लेखपाल कानूनगो तथा सेक्रेटरी भी हमारे गांव आज तक नहीं आते क्योंकि गांव आने के लिए कोई रास्ता नहीं है।

हम लोग आज भी आदिवासी कबीलों की जिंदगी जी रहे हैं। वहीं सरकार का मानना है की जाति स्तर पर टिकट देने से उनकी जाति और क्षेत्र का विकास होगा, परंतु टिकट पाने के बाद सीट जीतने के बाद जात के नाम पर राजनीति करने वाले नेता ना तो कभी उन गांवों का दौरा करते हैं ,ना तो कभी अपने उन आदिवासी गरीब जनजाति कबिलों का कोई ध्यान रखते हैं। सरकार का यह दावा खोखला होता चला जा रहा है की जाति स्तर पर क्षेत्र का विकास करने के लिए जातिगत टिकट देना उनके लिए और चुनौती होती जा रही है।

बहरहाल, सड़क से लेकर विभिन्न बुनियादी सुविधाओं से वंचित होते चले आ रहे रेणुका पार के आदिवासी वनवासी समाज के लोगों का कोई पुरसाहाल नहीं है।

कनहर डैम में जल भंडारण के पूर्व लखनऊ से आई टीम ने किया निरीक्षण

विकाश कुमार अग्रहरी ,सोनभद्र। दुद्धी स्थित कनहर परियोजना के मुख्य डैम का बांध सुरक्षा संगठन के मुख्य इंजीनियर ने स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने कनहर डैम स्थानीय प्रबंधकों को चर्चा कर दिशा निर्देश दिए। बता दें कि सिंचाई परियोजना के मुख्य बांध में इस बरसात में जल भंडारण होना है।

डैम में जल भंडारण को लेकर प्रशासन ने पूर्व के दिनों में जगह जगह नोटिस चस्पा कर डूब क्षेत्र के लोगों को जानकारी देते हुए आगाह किया था।इसी क्रम में बांध सुरक्षा संगठन लखनऊ के मुख्य अभियंता स्तर वन इंजीनियर रमेश चंद्र अमवार स्थित कनहर सिंचाई परियोजना के मुख्य बांध स्पिलवे पहुंच कर बांध का स्थलीय जायजा लिया।

इस दौरान कनहर एवम पांगन नदियों के बरसात के दिनों में पानी के बहाव की स्थिति के बारे में सिंचाई विभाग के सहायक अभियंताओं से जानकारी ली।मुख्य अभियंता ने बांध में जल भराव के दौरान होने वाली सुरक्षा के बाबत सिंचाई विभाग के अभियंताओं के साथ बैठक कर चर्चा की और आवश्यक दिशा निर्देश दिए। बताया गया कि केंद्रीय जल आयोग को अपनी रिपोर्ट भेजेंगे कि बांध जल भराव के लिए सुरक्षित है।
सोनभद्र : अधिवक्ताओं से बंद हो टोल टैक्स की वसूली:  जयनारायण पांडेय

विकास कुमार अग्रहरि ,सोनभद्र। यूपी बार काउंसिल के सदस्य एवं पूर्व उपाध्यक्ष, एडवोकेट हाईकोर्ट लखनऊ जयनारायण पांडेय ने केंद्रीय मंत्री रोड, ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे आफ इंडिया, नई दिल्ली नितिन गडकरी को पत्रक भेजकर सम्पूर्ण भारत में अधिवक्ताओं से टोल टैक्स वसूली बंद किए जाने की मांग उठाई है। इसका अधिवक्ताओं ने स्वागत किया है।

पांडेय ने केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी को भेजे पत्रक में पुनः कैबिनेट मंत्री बनने पर बधाई देते हुए कहा है कि बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश अधिवक्ताओं की मातृ संस्था है। जहां से पंजीकरण होने के बाद ही अधिवक्ता विधि व्यवसाय करते हैं। अधिवक्ताओं को न्यायिक कार्य के वास्ते सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, ट्रिब्यूनल कोर्ट समेत विभिन्न कोर्टो में जाना पड़ता है।

बावजूद इसके अधिवक्ताओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर अपने वाहनों से जाने पर आमलोगों की तरह उनसे भी टोल टैक्स वसूल किया जाता है। जबकि अधिवक्ताओं को न्यायिक, अति आवश्यक कार्य से ही जाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में श्री पांडेय ने संपूर्ण भारत में अधिवक्ताओं से टोल टैक्स की वसूली बंद किए जाने का आदेश पारित किए जाने की मांग उठाई है। वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश शरण मिश्र, उमापति पांडेय, राजेश कुमार पाठक, राम प्रसाद यादव आदि अधिवक्ताओं ने मांग को जायज बताते हुए स्वागत किया है।
निर्माण मजदूर बोर्ड की वेबसाइट हो तत्काल चालू ,साझा मंच का प्रतिनिधि मंडल सचिव बोर्ड से मिला

विकाश कुमार अग्रहरी ,सोनभद्र।निर्माण मजदूर कर्मकार कल्याण बोर्ड की पिछले 6 महीने से बंद पड़ी वेबसाइट को तत्काल चालू करने ताकि मजदूरों के पंजीकरण, नवीनीकरण और हित लाभ मिलने जैसे काम हो सके, लेबर ऑफिस में पेंडिंग पड़े हित लाभों को तत्काल देने, लेबर अड्डे पर शेड, पीने के पानी और शौचालय की व्यवस्था करने, हीट वेव्स से मजदूरों को बचाने के लिए कार्य स्थलों पर न्यूनतम सुविधा उपलब्ध कराने और लेबर सेस का कलेक्शन बढ़ाने जैसी मांगों को लेकर आज असंगठित क्षेत्र के साझा मंच का प्रतिनिधि मंडल सचिव बोर्ड आईएएस गजला भारद्वाज से गोमती नगर स्थित बोर्ड कार्यालय में मिला।

प्रतिनिधिमंडल में वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर, उत्तर प्रदेश संयुक्त निर्माण मजदूर मोर्चा के संयोजक प्रमोद पटेल और एटक के जिला मंत्री रमेश कश्यप मौजूद रहे। प्रतिनिधिमंडल को सचिव बोर्ड ने आश्वस्त किया कि बोर्ड में वेबसाइट में सेंध लगाकर हुए धन के गबन के संबंध में किया जा रहा ऑडिट का कार्य पूरा हो चुका है और 10 जुलाई तक बोर्ड की वेबसाइट को चालू करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने प्रतिनिधि मंडल से कहा कि लेबर अड्डों के लिए शीघ्र ही जिलाधिकारियों को पत्र भेजा जाएगा और स्थान को चिन्हित करके वहां बोर्ड की तरफ से न्यूनतम सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी।

लखनऊ में एक माडल लेबर अड्डा बनाने के सुझाव को स्वीकार कर इस दिशा में कार्रवाई करने और अन्य बातों को भी अतिशीघ्र पूरा करने का उन्होंने आश्वासन दिया।इसके बाद साझा मंच के प्रतिनिधिमंडल ने असंगठित क्षेत्र कर्मकार कल्याण बोर्ड के सचिव शक्ति सेन मौर्य से इंदिरा भवन कार्यालय में मुलाकात की। उनको ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत 8.5 करोड़ असंगठित मजदूरों के लिए दुर्घटना बीमा, मृत्यु अंतेष्टी सहायता, पेंशन, पीएम आवास, पुत्री विवाह योजना, मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड आदि योजनाओं को लागू करने के संबंध में पत्रक दिया।

पत्रक में उत्तर प्रदेश में न्यूनतम मजदूरी का तत्काल वेज रिवीजन करने के बाद भी उठाई गई है। मजदूर नेताओं ने घरेलू कामगार, बुनकर, चिकनकारी,जूता जैसे घरेलू व कुटीर उद्योग में लगे लोगों, चालकों, कुली, पल्लेदार जैसे असंगठित मजदूरों के लिए तत्काल सहायता देने की बात उठाई। बोर्ड की तरफ से वार्ता में सचिव बोर्ड के अलावा सहायक श्रम आयुक्त डॉ. महेश कुमार पांडे भी मौजूद थे। बोर्ड सचिव ने आश्वासन दिया कि इस संबंध में शासन स्तर पर कार्रवाई चल रही है और ट्रेड यूनियनों की सलाह लेते हुए असंगठित मजदूरों के लिए नीति का निर्माण किया जायेगा।
युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं ने मनाया बलिदान दिवस
विकाश कुमार अग्रहरी ,ओबरा सोनभद्र। भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने रविवार को शक्ति केंद्र ओबरा बाजार में पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर माल्यार्पण कर बलिदान दिवस मनाया। युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष अरविंद सोनी की अध्यक्षता में कार्यक्रम किया गया। कहा गया कि स्वर्गीय श्री मुखर्जी के द्वारा देश के विकास और उन्नति के लिए सदैव समर्पण भाव से काम किया गया। साथ ही भारतीय जनता पार्टी संगठन के एक सच्चे सिपाही के रूप में आजीवन पार्टीजन कृतज्ञता व्यक्त करते हुए उनके दिखाए हुए मार्ग पर चलने के लिए संकल्पित है।

भारत माता और पार्टी की रीति नीतियों को सर्वोपरि मानते हुए निरंतर शिखर सोच रखना उनकी महानता और महता को दर्शाता है। उन्होंने एक देश में एक प्रधान, एक विधान, एक निशान के मुद्दे और भारत की अखंडता को लेकर 23 जून 1953 को अपना बलिदान दिया था। कार्यक्रम के दौरान भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष संदीप सिंह, मंडल महामंत्री समीर माली, मंडल मंत्री विक्रम सिंह, रामलाल जायसवाल, राजीव चौधरी, आनंद वर्मा, विजय सिंह, सुरेंद्र कुमार इत्यादि कार्यकर्ता मौजूद रहे।
युवा मोर्चा कार्यकतार्ओं ने मनाया बलिदान दिवस

ओबरा सोनभद्र। भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकतार्ओं ने रविवार को शक्ति केंद्र ओबरा बाजार में पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर माल्यार्पण कर बलिदान दिवस मनाया। युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष अरविंद सोनी की अध्यक्षता में कार्यक्रम किया गया। कहा गया कि स्वर्गीय श्री मुखर्जी के द्वारा देश के विकास और उन्नति के लिए सदैव समर्पण भाव से काम किया गया। साथ ही भारतीय जनता पार्टी संगठन के एक सच्चे सिपाही के रूप में आजीवन पार्टीजन कृतज्ञता व्यक्त करते हुए उनके दिखाए हुए मार्ग पर चलने के लिए संकल्पित है।

भारत माता और पार्टी की रीति नीतियों को सर्वोपरि मानते हुए निरंतर शिखर सोच रखना उनकी महानता और महता को दशार्ता है। उन्होंने एक देश में एक प्रधान, एक विधान, एक निशान के मुद्दे और भारत की अखंडता को लेकर 23 जून 1953 को अपना बलिदान दिया था। कार्यक्रम के दौरान भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष संदीप सिंह, मंडल महामंत्री समीर माली, मंडल मंत्री विक्रम सिंह, रामलाल जायसवाल, राजीव चौधरी, आनंद वर्मा, विजय सिंह, सुरेंद्र कुमार इत्यादि कार्यकर्ता मौजूद रहे।

मालगाड़ी ट्रेन से कटकर एक युवक की मौत

सोनभद्र विकास अग्रहरि,ओबरा। ओबरा थाना क्षेत्र अंतर्गत भलुआ टोला स्थित रेलवे क्रासिंग से करीब 2सौ मीटर दूर ट्रैक पर शनिवार की सुबह लगभग 10 बजे एक 25 वर्षीय युवक ने मालगाड़ी के नीचे कूदकर आत्महत्या कर लिया।

कोयला लदी मालगाड़ी विल्ली स्टेशन की ओर से सिंगरौली की तरफ जा रही थी। पोल संख्या 135/1A व 135/2A के बीच की घटना बताई गई। घटना के बाद शव पटरी के बीच में होने के कारण उस ट्रैक से ट्रेनों का आवागमन लगभग 2 घंटे तक बंद रहा। इस दौरान दूसरी पटरी से आवागमन संचालित कराया गया। घटना की सूचना रेलवे पुलिस सहित ओबरा पुलिस की दी गई। घटना की जानकारी नगर में आग की तरह फैलते ही परिजनों तक पहुंच गई।

मृतक के भाई संजीत कुमार उर्फ सोनू ने घटना स्थल पर पहुंच शव का शिनाख्त अपने छोटे भाई के रूप में किया। भाई ने बताया कि मृतक 26 वर्षीय बृजेश कुमार उर्फ मोनू पुत्र स्व० देव कुमार निवासी 4 सीटी 63 ओबरा कालोनी का निवास था। उन्होंने बताया की मृतक नशाखोरी की चपेट में आ गया था। जिसके कारण मां और भाई ने उसे घर से दो साल पहले ही घर से निकाल दिया था। इसके बाद वह कही और रहकर अपना जीवन यापन करता था मृतक का मूल निवास मुजफ्फरपुर बिहार का रहने वाला था।

मृतक के बड़े भाई ने जानकारी देते हुए बताया कि बृजेश की शादी रेणुकूट में हुई थी किसी कारण से उसकी पत्नी मायके में ही रहती है। ओबरा पुलिस ने पंचायत नामा की करवाही करते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। मौके पर एसआई संतोष सिंह व अन्य पुलिस कर्मी मौजूद थे।

*ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से मांगा इस्तीफा, कहा- उनके रहते निष्पक्ष जांच सम्भव नहीं*

सोनभद्र- ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने नीट पेपर लीक व धांधली प्रकरण में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के इस्तीफा की मांग की है। आइपीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. दारापुरी ने प्रेस को जारी बयान में कहा गया है कि पेपर लीक, धांधली और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के स्तर पर अनियमितता के पर्याप्त सबूतों के बावजूद शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान इसे एक सिरे से खारिज करते आए हैं। जब से रिजल्ट निकला है तभी से छात्र 10 दिन पहले रिजल्ट घोषित करने, पेपर लीक होने, गलत ग्रेस मार्क दिए जाने जैसे तमाम गम्भीर आरोप लगा रहे हैं और इस परीक्षा को रद्द करने के लिए आंदोलनरत हैं। सुप्रीम कोर्ट तक को कहना पड़ा है कि यदि 0.001 प्रतिशत भी गडबड़ी हुई तो कार्रवाई होगी। विपक्षी दलों द्वारा भी इसे लेकर आवाज उठाई गई।

एस. आर. दारापुरी ने कहा कि चौतरफा बन रहे दबाव के बाद अब शिक्षा मंत्री ने नीट परीक्षा में कुछ गड़बड़ी को स्वीकार किया है और इसकी वे नैतिक जिम्मेदारी लें रहे हैं। भविष्य में नीट परीक्षा में जीरो एरर के लिए आश्वस्त कर रहे हैं और इसके लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) में सुधार हेतु उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन करने की घोषणा कर रहे हैं। लेकिन शिक्षा मंत्री के पास इसका जवाब नहीं है कि पेपर लीक व धांधली के पर्याप्त सबूतों के बावजूद नीट परीक्षा रद्द करने से क्यों इंकार किया जा रहा है। जबकि इसी तरह के पेपर लीक प्रकरण में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा ही आयोजित यूजीसी-नेट परीक्षा को रद्द किया गया है। परीक्षा में शामिल लाखों छात्रों के हितों का हवाला देकर नीट परीक्षा रद्द करने से इंकार करना नेशनल टेस्टिंग एजेंसी और शिक्षा माफियाओं का बचाव करना है। इसलिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के रहते निष्पक्ष जांच सम्भव नहीं है और उन्हें तत्काल इस्तीफा देना चाहिए।

आइपीएफ ने देश में हुई इतनी बड़ी धांधली पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मौन धारण करने पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि कहीं उनका यह मौन दोषियों को बचाने की ही एक और राजनीतिक कोशिश तो नहीं है, जैसा वह गुजरात दंगों और मणिपुर में जारी आदिवासियों के नरसंहार जैसे तमाम मामलों में करते रहे हैं।

आइपीएफ ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एनटीए के शीर्ष पर बैठे हुए लोग आरएसएस से जुड़े हुए हैं। दरअसल पूरी शिक्षा व्यवस्था को मोदी सरकार ने आरएसएस के लोगों के हवाले कर दिया है जो मनमाने ढंग से काम कर रहे हैं। यदि सरकार में थोड़ी भी नैतिकता बची हो तो उसे तत्काल नीट की परीक्षा को रद्द कर पुनर्परीक्षा करानी चाहिए, इसमें लिप्त दोषी लोगों पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए, पूरी धांधली की सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में जांच करानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में पारदर्शी प्रवेश परीक्षाओं की गारंटी होगी।